INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 30 January 2021

 

विषयसूची

 सामान्य अध्ययन-I

1. पथरूघाट: 1894 का विस्मृत किसान विद्रोह

 

सामान्य अध्ययन-II

1. उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियां (NTDs)

2. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)

3. NCAVES इंडिया फोरम 2021

 

सामान्य अध्ययन-III

1. पाकिस्तान को बासमती चावल के लिए भैगोलिक संकेतक टैग

2. क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. राष्ट्रीय समुद्री कछुआ कार्य योजना

2. मुंबई पुलिस का ‘टॉप 25’ अभियान

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

पथरूघाट: 1894 का विस्मृत किसान विद्रोह


(Patharughat: The forgotten peasant uprising of Assam in 1894)

संदर्भ:

28 जनवरी, 1894 को असम में पथरूघाट किसान विद्रोह (Patharughat peasant uprising) की घटना हुई थी।

इस दिन, ब्रिटिश सेना ने औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा लागू किए गए भू-राजस्व में वृद्धि का विरोध कर रहे निहत्थे किसानों पर गोलाबारी की थी।

पथरूघाट विद्रोह की शुरुआत:

  • वर्ष 1826 में ब्रिटिश शासन द्वारा असम पर कब्ज़ा करने के बाद राज्य में भूमि का विस्तृत सर्वेक्षण शुरू किए गए थे। इन सर्वेक्षणों के आधार पर अंग्रेजों ने भूमि कर लागू करना शुरू कर दिया, जिससे किसानों के बीच असंतोष में और अधिक बढ़ गया।
  • रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 1893 में, ब्रिटिश सरकार ने कृषि-भूमि कर में 70- 80 प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्णय लिया। इससे पहले किसान करों का भुगतान, नकद राशि चुकाने के स्थान पर विभिन्न प्रकार की ‘सेवाएं’ प्रदान करते थे।
  • पथरूघाट में होने वाले प्रदर्शन शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक थे, किंतु ब्रिटिश सरकार द्वारा इन्हें देशद्रोह के रूप में देखा गया और ब्रिटिश सैनिकों ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर फायरिंग शुरू कर दी।

इस घटना का महत्व:

अधिकाँश असमिया समुदाय के लिए, पथरूघाट का विद्रोह, सराईघाट की लड़ाई के बाद दूसरे स्थान पर आता है। सराईघाट की लड़ाई में अहोमों ने वर्ष 1671 में मुगलों को पराजित किया था।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. पथरूघाट विद्रोह के बारे में
  2. कारण
  3. परिणाम
  4. सराईघाट की लड़ाई के बारे में

मेंस लिंक:

सराईघाट की लड़ाई के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियां (NTDs)


(Neglected Tropical Diseases)

संदर्भ:

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों (Neglected Tropical Diseases-NTDs) के खिलाफ युद्ध में दुनिया के साथ शामिल होने के प्रतीक स्वरूप भारत में कुतुब मीनार को रोशन किया जाएगा।

30 जनवरी, 2021 को दूसरे वार्षिक विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी (NTD) दिवस के रूप में चिन्हित किया जाएगा।

कुछ उष्णकटिबंधीय बीमरियों को ‘उपेक्षित’ क्यों कहा जाता है?

इन बीमारियों से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले, अक्सर दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों, शहरी मलिन बस्तियों या युद्धग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाली आबादी होती है। उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियाँ, गरीबी के हालातों में फैलती हैं तथा लगभग विशेष रूप से विकासशील देशों में गरीब आबादी को प्रभावित करती हैं।

इन बीमारियों से संबंधित चुनौतियाँ एवं चिंताएँ:

  1. उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों से ग्रसित आबादी, आमतौर पर एक सशक्त राजनीतिक आवाज से रहित तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में सबसे निचले स्तर पर होती है।
  2. विश्वसनीय आँकड़ों की कमी और बीमारियों के जटिल नाम, इन लोगों को बीमारियों से मुक्त करने हेतु किए जाने वाले प्रयासों में बाधा उत्पन्न करते हैं।
  3. उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियां, लगभग 1 अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करती हैं, जिनमे से अधिकांशतः उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्रों में रहने वाले गरीब आबादी होती है।
  4. ये लोग अक्सर भौगोलिक रूप से एक साथ समूहों में रहते हैं और इनमे रहने वाले व्यक्ति सामान्यतः एक से अधिक परजीवी या संक्रमण से ग्रसित होते हैं।
  5. उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों की मौजूदगी की रिपोर्ट करने वाले 70% से अधिक देश और क्षेत्र निम्न-आय या निम्न मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं।

इन बीमारियों का प्रसरण:

  • दूषित पानी, वास-स्थानों की दयनीय स्थिति और स्वच्छता का अभाव, इन बीमारियों के फैलने का प्रमुख कारण होते हैं।
  • बच्चे, उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों के सबसे अधिक शिकार होते हैं, तथा ये बीमारियाँ प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मृत्यु अथवा स्थाई अपंगता का कारण बनती हैं, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अक्सर जीवन भर शारीरिक पीड़ा और सामाजिक कलंक झेलता है।

भारत में उपेक्षित बीमारियों पर अनुसंधान हेतु नीतियां:

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) में स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है और सर्वाधिक जरूरतमंद लोगों तक सस्ती नई दवाईयों की पहुँच सुनिश्चित करती है, लेकिन इसमें विशेष रूप से उपेक्षित बीमारियों से निपटने का प्रावधान नहीं किया गया है।
  • दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु राष्ट्रीय नीति (2018) में संक्रामक उष्णकटिबंधीय बीमारीयों को शामिल किया गया हैं तथा इसमें दुर्लभ बीमारियों के उपचार पर अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। किंतु, इस नीति के तहत अनुसंधान वित्तपोषण हेतु अभी तक रोगों और क्षेत्रों की प्राथमिकता निर्धारित नहीं की गयी है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियाँ’ क्या हैं?
  2. प्रोटोजोआ, बैक्टीरिया और वायरस के बीच अंतर?
  3. इन बीमारियों को ‘मौन एवं निरुत्तर बीमारी क्यों कहा जाता है?
  4. ‘विश्व स्वास्थ्य सभा’ क्या है?

मेंस लिंक:

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)


संदर्भ:

नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार:

  • प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) कार्यक्रम जिन राज्यों में लागू किया गया, वहां स्वास्थ्य परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं।
  • PM-JAY लागू करने वाले राज्यों में, योजना से अलग रहने वाले राज्यों की तुलना में, स्वास्थ्य बीमा का अधिक विस्तार, शिशु और बाल मृत्यु दर में कमी, परिवार नियोजन सेवाओं के उपयोग में सुधार और एचआईवी / एड्स के बारे में अधिक जागरूकता आदि का अनुभव किया गया।
  • PM-JAY लागू करने वाले राज्यों में स्वास्थ्य बीमा वाले परिवारों के अनुपात में 54% की वृद्धि हुई, जबकि योजना से अलग रहने वाले राज्यों में 10% की गिरावट दर्ज की गयी है।

PM-JAY की प्रमुख विशेषताएं:

  1. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY), सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा / आश्वासन योजना है।
  2. यह योजना भारत में सार्वजनिक व निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य उपचार के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक की धन राशि लाभार्थियों को मुहया कराती है।
  3. कवरेज:74 करोड़ से भी अधिक गरीब व वंचित परिवार (या लगभग 50 करोड़ लाभार्थी) इस योजना के तहत लाभ प्राप्त कर सकतें हैं।
  4. इस योजना में सेवा-स्थल पर लाभार्थी के लिए कैशलेस स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को उपलब्ध कराया जाता है।

पात्रता:

  • इस योजना के तहत परिवार के आकार, आयु या लिंग पर कोई सीमा नहीं है।
  • इस योजना के तहत पहले से मौजूद विभिन्न चिकित्सीय परिस्थितियों और गम्भीर बीमारियों को पहले दिन से ही शामिल किया जाता है।
  • इस योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने से 3 दिन पहले और 15 दिन बाद तक का नैदानिक उपचार, स्वास्थ्य इलाज व दवाइयाँ मुफ्त उपलब्ध होतीं हैं।
  • यह एक पोर्टेबल योजना हैं यानी की लाभार्थी इसका लाभ पूरे देश में किसी भी सार्वजनिक या निजी सूचीबद्ध अस्पताल में उठा सकतें हैं।
  • इस योजना में लगभग 1,393 प्रक्रियाएं और पैकिज शामिल हैं जैसे की दवाइयाँ, आपूर्ति, नैदानिक सेवाएँ, चिकित्सकों की फीस, कमरे का शुल्क, ओ-टी और आई-सी-यू शुल्क इत्यादि जो मुफ़्त उपलब्ध हैं।
  • स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति सार्वजनिक अस्पतालों के बराबर की जाती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. आयुष्मान भारत के घटक
  2. PMJAY- मुख्य विशेषताएं
  3. पात्रता
  4. राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी के बारे में

मेंस लिंक:

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के महत्व और संभावानाओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

NCAVES इंडिया फोरम- 2021


संदर्भ:

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा आयोजित प्राकृतिक पूंजी लेखा एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन (Natural Capital Accounting and Valuation of the Ecosystem Services- NCAVES) इंडिया फोरम– 2021 का समापन हो गया है।

NCAVES इंडिया फोरम- 2021 के बारे में:

NCAVES इंडिया फोरम- 2021, संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (UNSD) के NCAVES प्रोजेक्ट का एक भाग है।

  • इसका उद्देश्य पांच देशों को आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करते हुए भविष्य में उपयोग के लिए पर्यावरण की संवहनीयता एवं संरक्षण करने में सहायता प्रदान करना है।
  • भारत इस परियोजना में भाग लेने वाले पांच देशों में से एक है – अन्य देश ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको हैं।

NCAVES परियोजना

  • ‘प्राकृतिक पूंजी लेखा एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन’ परियोजना अर्थात NCAVES परियोजना का उद्देश्य ब्राजील, चीन, भारत, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका में पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र लेखांकन के सिद्धांतों एवं प्रणालियों को उन्नत करना है।
  • इस परियोजना को संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी प्रभाग (UNSD), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और जैव विविधता सम्मेलन (CBD) सचिवालय द्वारा संयुक्त रूप से लागू किया जा रहा है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य पांचों भागीदार देशों के लिए ‘विशेष रूप से पारिस्थितिक तंत्र लेखांकन’ में पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन पर उपलब्ध जानकारी एवं प्रचलित कार्यप्रणालियों को उन्नत करने में सहायता प्रदान करना है।
  • इस परियोजना की अवधि वर्ष 2021 के अंत में समाप्त होगी।

महत्व:

इस परियोजना में भागीदारी से सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) को UN-SEEA फ्रेमवर्क के अनुरूप पर्यावरणीय खातों का संकलन शुरू करने में सहायता प्राप्त होगी।

  • वर्ष 2018 से वार्षिक आधार पर अपने प्रकाशन “एनवीस्टैट्स इंडिया” में पर्यावरणीय खातों को जारी करने में मदद मिली है।
  • इस फोरम में, MOSPI द्वारा वर्ष 2018 से वार्षिक आधार पर अपने प्रकाशन “EnviStats India” में पर्यावरण खातों का विवरण जारी किया गया है।
  • इनमें से कई खाते सामाजिक और आर्थिक विशेषताओं से निकटता से संबंधित हैं, जोकि इस नीति के लिए उपयोगी साबित होंगे।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. NCAVES प्रोजेक्ट के बारे में?
  2. भागीदार देश।
  3. भारत में इस परियोजना को लागू करने वाली संस्थाएं
  4. अनुदान
  5. भारत के लिए महत्व

मेंस लिंक:

NCAVES परियोजना में भागीदारी से भारत को पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र लेखांकन के सिद्धांत और प्रणालियों को उन्नत करने में मदद मिलेगी। चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

पाकिस्तान को बासमती चावल के लिए भैगोलिक संकेतक टैग


संदर्भ:

पाकिस्तान ने अपने बासमती चावल के लिए भौगोलिक संकेतक (Geographical Indicator- GI) टैग हासिल किया है। यह चावल की विशेष किस्म के लिए एक स्थानीय पंजीयन तैयार करने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तान की स्थिति मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

भारत के लिए चिंता:

  • कानून के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में किसी भी उत्पाद के पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले उत्पाद को उस देश के भौगोलिक संकेत (जीआई) कानूनों के तहत उसे संरक्षित किया जाना चाहिए।
  • भारत द्वारा बासमती चावल को अपने उत्पाद के रूप में पंजीकृत किया गया है, इसके खिलाफ पाकिस्तान 27-सदस्यीय यूरोपीय संघ में मुकदमा लड़ रहा है।

निहितार्थ:

यह माना जाता है कि जीआई टैग की वजह से यूरोपीय संघ में पाकिस्तान की स्थिति मजबूत होगी। पिछले साल सितंबर में भारत ने बासमती चावल के एकमात्र स्वामित्व का दावा करते हुए यूरोपीय संघ को आवेदन दिया था। आवेदन प्रस्तुत करने के बाद बासमती चावल को पाकिस्तान के उत्पाद के रूप में संरक्षित करने का मुद्दा सामने आया था।

पृष्ठभूमि:

मई 2010 में, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों में उगाए जाने वाले ‘बासमती’ को भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा दिया गया था।

‘जीआई टैग’ के बारे में:

भौगोलिक संकेत (Geographical Indication- GI), मुख्यतः, किसी एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित, कृषि, प्राकृतिक अथवा निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक वस्तुएं) होते हैं।

  • आमतौर पर, इन उत्पादों का नाम गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जोकि वास्तव में इनकी उत्पत्ति-स्थान विशेषता को अभिव्यक्त करता है।

‘जीआई टैग’ के लाभ:

एक बार जीआई सुरक्षा प्रदान किये जाने के बाद, किसी अन्य निर्माता द्वारा इससे मिलते-जुलते उत्पादों को बाजार में लाने के लिए इनके नाम का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है। यह संकेत, ग्राहकों के लिए उत्पाद की गुणवत्ता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करता है।

भौगोलिक संकेत (GI) का पंजीकृत मालिक कौन होता है?

  • किन्ही व्यक्तियों या उत्पादकों का संघ, कानून के अंतर्गत अथवा इसके द्वारा निर्धारित संस्था अथवा प्राधिकरण, कोई भी भौगोलिक संकेत (GI) का पंजीकृत मालिक हो सकता है।
  • इनका नाम भौगोलिक संकेत रजिस्टर में, भौगोलिक संकेत के लिए आवेदन किए जाने वाले उत्पाद के वास्तविक स्वामी के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए।

भौगोलिक संकेत पंजीकरण की वैधता अवधि:

  • एक भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 साल की अवधि तक के लिए वैध होता है।
  • इसे समय-समय पर आगामी 10 वर्षों की अवधि के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।

भारत में, भौगोलिक संकेतक पंजीकरण को वस्तुओं का भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999) द्वारा प्रशासित किया जाता है। यह अधिनियम सितंबर 2003 को लागू किया गया था। भारत में सबसे पहला जीआई टैग, वर्ष 2004-05 में, ‘दार्जिलिंग चाय’ को दिया गया था।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भौगोलिक संकेत (GI) टैग क्या होता है?
  2. जीआई टैग किसके द्वारा प्रदान किया जाता है?
  3. भारत में जीआई उत्पाद और उनके भौगोलिक स्थान।
  4. अन्य बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)।

मेंस लिंक:

भौगोलिक संकेत (GI) टैग क्या होता है? इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021


(Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021)

संदर्भ:

संसद के बजट सत्र में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) पर विचार किये जाने की संभावना है। इसके तहत सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लगाने तथा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ऑफिशियल डिजिटल करेंसी जारी किए जाने का प्रावधान किया गया है।

इस कानून के उद्देश्य:

  1. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा हेतु सुविधाजनक ढांचा तैयार करना।
  2. भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज को प्रतिबंधित करना।

हालांकि विधेयक में, क्रिप्टोकरेंसी की अंतर्निहित टेक्नोलॉजी और इसके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवादों को अनुमति प्रदान की गयी है।

पृष्ठभूमि:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 अप्रैल, 2018 को क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। इस सर्कुलर के मुताबिक केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं पर क्रिप्टोकरंसीज से जुड़ी कोई भी सेवा प्रदान करने पर रोक लगा दी गई थी।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल मार्च 2020 में आरबीआई द्वारा क्रिप्टोकरंसीज पर लगाए गए प्रतिबंध को खारिज कर दिया था।

अदालत की टिप्पणियाँ:

  1. आरबीआई ने इसके द्वारा विनियमित किसी संस्था जैसे, राष्ट्रीयकृत बैंकों / अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों / सहकारी बैंकों / NBFCs आदि को आभासी मुद्राओं (Virtual Currencies) के कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से होने वाले किसी नुकसान या प्रतिकूल प्रभाव का विवरण पेश नहीं किया गया है।
  2. चूंकि, केंद्रीय बैंक द्वारा माना गया है कि, आभासी मुद्रायें (Virtual Currencies) देश में प्रतिबंधित नहीं हैं, इसलिए, आरबीआई द्वारा जारी परिपत्र (सर्कुलर) ‘असंगत’ है।
  3. इसके अलावा, अदालत ने पाया है, कि आरबीआई द्वारा परिपत्र जारी करने से पहले अन्य विकल्पों की उपलब्धता पर विचार नहीं किया गया है।
  4. इसके अलावा, अदालत ने दो मसौदा विधेयकों और कई समितियों के बावजूद आधिकारिक डिजिटल रुपया पेश करने में केंद्र सरकार की विफलता का उल्लेख किया।

‘क्रिप्टोकरेंसी’ क्या हैं?

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrencies) एक प्रक्रार की डिजिटल करेंसी होती है, जो क्रिप्टोग्राफी के नियमों के आधार पर संचालित और बनाई जाती है। क्रिप्टोग्राफी का अर्थ को कोडिंग की भाषा को सुलझाने की कला है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम होता है, जिसमे ‘किसी वित्तीय संस्था के बगैर एक पार्टी द्वारा दूसरी पार्टी को ऑनलाइन भुगतान किया जाता है ।

उदाहरण: बिटकॉइन, एथेरियम (Ethereum)आदि।

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 प्रीलिम्स लिंक:

  1. विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी
  2. विभिन्न देशों द्वारा शुरू की गई क्रिप्टोकरेंसी
  3. ब्लॉकचेन तकनीक क्या है?

मेंस लिंक:

क्रिप्टोकरेंसी क्या हैं? इनके विनियमन की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


राष्ट्रीय समुद्री कछुआ कार्य योजना

(National Marine Turtle Action Plan)

विशाल समुद्री जीवों और कछुओं के लिए एक संरक्षण प्रतिमान रखने की आवश्यकता को देखते हुए पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF & CC)  द्वारा मरीन मेगा फॉना स्ट्रैंडिंग गाइडलाइन्सऔर नेशनल मरीन टर्टल एक्शन प्लैनजारी किया गया है।

इन दस्तावेज़ों में संरक्षण के लिए अंतर-क्षेत्रीय कार्रवाई को बढ़ावा देने के तरीके और साधन बताए गए हैं।

मुंबई पुलिस का टॉप 25′ अभियान

  • मुंबई पुलिस ने आम लोगों के लिए खतरा पैदा करने में सक्षम हिस्ट्रीशीटरों पर निगरानी रखने हेतु ‘टॉप 25’ नामक एक अभियान शुरू किया है।
  • शहर के सभी 95 पुलिस स्टेशन में अपने अधिकार क्षेत्र में ‘टॉप 25’ आपराधिक तत्वों की एक सूची तैयार की जाएगी तथा इन हिस्ट्रीशीटरों से अच्छा आचरण करने के लिए एक बांड पर हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जिसका उल्लंघन करने पर इन्हें जुर्माना भरना होगा।

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