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सामान्य अध्ययन – 1
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
1. उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से न केवल औपनिवेशिक शक्ति एवं भारतीय राज्यों के मध्य संघर्ष प्रारम्भ हुआ था, बल्कि राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने के लिए भारतीय शक्तियों के बीच भी संघर्ष प्रारम्भ हुआ था। परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास: स्पेक्ट्रम प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
परीक्षण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में स्थापित राजनीतिक संरचना की प्रकृति का वर्णन करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के दौरान भारत में उपस्थित विभिन्न शक्तियों को दर्शाने के लिए आप भारत का एक सरल एवं सुस्पष्ट मानचित्र प्रस्तुत कर सकते हैं।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी एवं भारत की क्षेत्रीय शक्तियों के मध्य विभिन्न संघर्षों के बारे में विस्तार से चर्चा कीजिए।
समझाइए कि कैसे राजनीतिक वर्चस्व के लिए भारत में उपस्थित विभिन्न क्षेत्रीय शक्तियों के मध्य शक्ति- संघर्ष प्रारम्भ हुआ।
समझाइए कि कैसे ब्रिटिश ने अपने लाभ के लिए एक क्षेत्रीय शक्ति का दूसरे के खिलाफ उपयोग किया।
निष्कर्ष:
उपरोक्त के कारण उत्पन्न प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
2. आंग्ल-फ़्रांस संघर्ष का तृतीय एवं अंतिम दौर निर्णायक सिद्ध हुआ। अच्छे के लिए भारत में फ्रांसीसी राजनीतिक कारण समाप्त किए गए। भारत में फ्रांसीसियों की विफलता के कारणों का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास: स्पेक्ट्रम प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारत में फ्रांसीसी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए तृतीय कर्नाटक युद्ध के प्रभावों का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत में फ्रांस की विफलताओं के कारणों का विस्तार से विश्लेषण कीजिए।
भारत में फ्रांसीसियों को निर्णायक रूप से पराजित करने के बाद अंग्रेज भारत में एक साम्राज्य स्थापित करने में कैसे सक्षम हुए? समझाइए।
निष्कर्ष:
इसके महत्त्व को समझाते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 2
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
3. भारत एवं श्रीलंका के मध्य द्विपक्षीय संबंधों में कांटे के रूप में उपस्थित पाक की खाड़ी एक उच्च टोल एवं इसके तत्काल समाधान की मांग करती है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारत और श्रीलंका के मध्य पाक की खाड़ी संघर्ष के बारे में संक्षेप में बताते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
संघर्ष का संदर्भ, कारण एवं इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कीजिए।
इस मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए उन विभिन्न कदमों का उल्लेख कीजिए, जो इस मुद्दे को हल करने में सफल नहीं हुए हैं, जैसे- संयुक्त कार्य समूह (JWG) की स्थापना।
समस्या को शांतिपूर्वक एवं सौहार्दपूर्वक ढंग से हल करने के लिए आवश्यक कदमों का सुझाव दीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकलिए।
सामान्य अध्ययन – 3
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय।
4. छोटे किसानों को उनकी फसलों में विविधता लाने अथवा उनकी आय में सुधार करने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें उचित ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाना चाहिए। छोटे एवं सीमांत किसानों के मध्य रियायती ऋण के कम संप्रेषण के कारणों की जांच कीजिए। इस समस्या को सुधारने के लिए क्या आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए? (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
जांच कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए ऋण तक पहुंच की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
छोटे एवं सीमांत किसानों को ऋण की कम संप्रेषणता के कारणों के सन्दर्भ में प्रासंगिक आँकड़े प्रस्तुत कीजिए।
इसके अलावा, समझाइए कि राज्य द्वारा लगातार बजट में वृद्धि के बावजूद किसानों तक ऋण की पहुँच बहुत कम रहती है। इसके प्रभावों पर प्रकाश डालिए।
निम्न सम्प्रेषणता के कारणों का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
उपरोक्त समस्याओं के समाधान के लिए उठाये जाने योग्य उपयुक्त क़दमों पर चर्चा कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
5. यदि हम अपने प्रमुख बंदरगाहों को कार्गो-विशिष्ट बनाते हैं, वैश्विक मानकों के अनुसार आधारभूत संरचना का विकास करते हैं एवं उन्हें आंतरिक क्षेत्रों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्गों से जोड़ते हैं, तो वे स्वतः ही पोतांतरण हब बन जाएंगे। इस संबंध में सागरमाला पहल द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सागरमाला पहल के उद्देश्यों को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत के नौपरिवहन एवं बंदरगाह क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालिए।
सागरमाला पहल एवं इसके साथ आवश्यक अन्य प्रयासों की क्षमताओं के बारे में बताइये।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 4
विषय: मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।
6. हम एक ऐसे विश्व में निवास करते हैं, जो अपनी नवीन तकनीकों एवं विकास के साथ बहुत तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान विश्व के तेजी से बढ़ते रुझानों में से एक उपभोक्तावाद है। उपभोक्तावाद समाज को कैसे प्रभावित करता है? विश्लेषण कीजिए। (150 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
उपभोक्तावाद की उपयुक्त परिभाषा प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
उपभोक्तावाद कैसे बढ़ रहा है, इसके बारे में लिखिए एवं समकालीन समाज पर इसकी अभिव्यक्ति का उल्लेख कीजिए।
उपभोक्तावाद के कुछ सकारात्मक पहलुओं का उल्लेख कीजिए, जैसे – अधिक मांग, आर्थिक विकास और समृद्धि।
उपभोक्तावाद समाज को कैसे प्रभावित कर रहा है? विस्तार से समझाइए। उपभोक्तावाद के आर्थिक, पर्यावरणीय एवं नैतिक मुद्दों पर प्रकाश डालिए। उपर्युक्त को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
निष्कर्ष:
उन तरीकों का उल्लेख कीजिए, जिनके माध्यम से आप उपभोक्तावाद की अत्यधिक संलग्नता से बच सकते हैं। आप महात्मा गांधी के निम्नलिखित उद्धरण का उपयोग कर सकते हैं “इस ग्रह पर सभी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं लेकिन सभी के लालच के लिए नहीं”।
विषय: अभिवृत्तिः सारांश (कंटेन्ट), संरचना, वृत्ति; विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध; नैतिक और राजनीतिक अभिरुचि; सामाजिक प्रभाव और धारण।
7. मानवीय क्रियाकलापों की नैतिकता को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए। नैतिक कार्यों के समक्ष क्या बाधाएं हैं? (150 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
व्याख्या कीजिए- प्रश्न में पूछी गई जानकारी को सरल भाषा में व्यक्त कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
यह समझाते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए कि क्रियाकलापों की नैतिकता किसी विशेष मानव कार्य की उत्तमता अथवा दुष्कृष्टता का निर्धारण करना है।
विषय वस्तु:
इसके तीन प्रमुख कारकों- कार्य का उद्देश्य, परिस्थिति एवं परिणाम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
नैतिक कार्यों के समक्ष आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिए।
निष्कर्ष:
उपरोक्त बाधाओं को कैसे दूर किया जा सकता है, इसके बारे में बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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