HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
Quiz-summary
0 of 5 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
Information
Welcome to Insights IAS Static Quiz in HINDI. We have already outlined details of this New Initiative HERE.
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading...
You must sign in or sign up to start the quiz.
You have to finish following quiz, to start this quiz:
Results
0 of 5 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 points, (0)
Categories
- Not categorized 0%
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- Answered
- Review
-
Question 1 of 5
1. Question
कांग्रेस का कराची अधिवेशन, 1931 महत्वपूर्ण था क्योंकि
Correct
उत्तर: b)
गांधी-इरविन समझौते का समर्थन करने के लिए कराची में एक विशेष अधिवेशन आयोजित किया गया था। कराची अधिवेशन डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा तैयार दो प्रस्तावों के कारण प्रसिद्ध हुआ – एक मौलिक अधिकारों और दूसरा राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर आधारित था।साथ ही पूर्ण स्वराज का लक्ष्य दोहराया गया। यह पहली बार था जब कांग्रेस ने स्वराज का सही अर्थ घोषित किया।
Incorrect
उत्तर: b)
गांधी-इरविन समझौते का समर्थन करने के लिए कराची में एक विशेष अधिवेशन आयोजित किया गया था। कराची अधिवेशन डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा तैयार दो प्रस्तावों के कारण प्रसिद्ध हुआ – एक मौलिक अधिकारों और दूसरा राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर आधारित था।साथ ही पूर्ण स्वराज का लक्ष्य दोहराया गया। यह पहली बार था जब कांग्रेस ने स्वराज का सही अर्थ घोषित किया।
-
Question 2 of 5
2. Question
सविनय अवज्ञा आंदोलन (CDM) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- आंदोलन को आधिकारिक तौर पर इसके आरंभ से पूर्व कांग्रेस द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था।
- इस आंदोलन के बाद ही ब्रिटिश सरकार और भारतीय नेताओं के बीच सभी गोलमेज सम्मेलन हुए।
- हिंसा के कारण आंदोलन को वापस ले लिया गया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
महात्मा गांधी ने दिसंबर 1929 के कांग्रेस अधिवेशन में शुरू किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के आदेशों की पूर्ण अवज्ञा की गयी थी। इस आंदोलन के दौरान यह निर्णय लिया गया कि भारत पूरे देश में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाएगा। 26 जनवरी 1930 को, पूरे देश में बैठकें आयोजित की गईं और कांग्रेस का तिरंगा फहराया गया। ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को दबाने की कोशिश की और गोलीबारी का सहारा लिया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू के साथ हजारों लोग गिरफ्तार किए गए। लेकिन आंदोलन सम्पूर्ण देश के फैल गया। इसके बाद, ब्रिटिश द्वारा गोलमेज सम्मेलनों का आयोजन किया गया और गांधीजी लंदन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुए। लेकिन सम्मेलन के कोई सकारात्मक परिणाम न निकलने के कारण सविनय अवज्ञा आंदोलन को पुन शुरू कर दिया गया।
इस समय, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल (जो अब लोकसभा है) में निरंकुश विदेशी शासन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए बम फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 23 मार्च, 1931 को फांसी दे दी गयी।
Incorrect
उत्तर: b)
महात्मा गांधी ने दिसंबर 1929 के कांग्रेस अधिवेशन में शुरू किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के आदेशों की पूर्ण अवज्ञा की गयी थी। इस आंदोलन के दौरान यह निर्णय लिया गया कि भारत पूरे देश में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाएगा। 26 जनवरी 1930 को, पूरे देश में बैठकें आयोजित की गईं और कांग्रेस का तिरंगा फहराया गया। ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को दबाने की कोशिश की और गोलीबारी का सहारा लिया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू के साथ हजारों लोग गिरफ्तार किए गए। लेकिन आंदोलन सम्पूर्ण देश के फैल गया। इसके बाद, ब्रिटिश द्वारा गोलमेज सम्मेलनों का आयोजन किया गया और गांधीजी लंदन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुए। लेकिन सम्मेलन के कोई सकारात्मक परिणाम न निकलने के कारण सविनय अवज्ञा आंदोलन को पुन शुरू कर दिया गया।
इस समय, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल (जो अब लोकसभा है) में निरंकुश विदेशी शासन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए बम फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 23 मार्च, 1931 को फांसी दे दी गयी।
-
Question 3 of 5
3. Question
गांधी-इरविन समझौते के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- गांधी-इरविन समझौता लंदन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के बाद हस्ताक्षरित एक राजनीतिक समझौता था।
- इसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत में सविनय अवज्ञा (सत्याग्रह) की अवधि को समाप्त कर दिया जिसे गांधी और उनके अनुयायियों ने नमक यात्रा के साथ शुरू किया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
गांधी – इरविन समझौता लंदन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन से पूर्व 5 मार्च 1931 को महात्मा गांधी और भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा हस्ताक्षरित एक राजनीतिक समझौता था। इसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत में सविनय अवज्ञा (सत्याग्रह) की अवधि को समाप्त कर दिया जिसे गांधी और उनके अनुयायियों ने नमक यात्रा के साथ शुरू किया था।
Incorrect
उत्तर: b)
गांधी – इरविन समझौता लंदन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन से पूर्व 5 मार्च 1931 को महात्मा गांधी और भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा हस्ताक्षरित एक राजनीतिक समझौता था। इसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत में सविनय अवज्ञा (सत्याग्रह) की अवधि को समाप्त कर दिया जिसे गांधी और उनके अनुयायियों ने नमक यात्रा के साथ शुरू किया था।
-
Question 4 of 5
4. Question
गांधी-इरविन समझौते में शामिल थे
- व्यक्तिगत उपभोग और बिक्री के लिए तटीय गांवों में नमक बनाने का अधिकार।
- शांतिपूर्ण और गैर-आक्रामक तरीके से धरना देने का अधिकार।
- पुलिस की ज्यादतियों की जांच करने हेतु गांधीजी के सुझावों को स्वीकार करना
- सभी राजनैतिक कैदियों जो हिंसा के दोषी नहीं हैं उन्हें रिहा करना।
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: b)
गांधी-इरविन समझौता।
सरकार की ओर से इरविन निम्नलिखित पर सहमत हुए-
- सभी राजनैतिक कैदियों जो हिंसा के दोषी नहीं हैं उन्हें तत्काल रिहा करना;
- अभी तक एकत्र नहीं किए गए सभी जुर्माने से छूट;
- अभी तक तीसरे पक्ष को न बेची गई भूमि को वापस करना;
- उन सरकारी कर्मचारियों के साथ उदार व्यवहार करना जिन्होंने इस्तीफा दे दिया था; व्यक्तिगत उपभोग (बिक्री के लिए नहीं) के लिए तटीय गांवों में नमक बनाने का अधिकार देना;
- शांतिपूर्ण और गैर-आक्रामक तरीके से धरना देने का अधिकार; तथा
- आपातकालीन अध्यादेशों को वापस लेना।
हालाँकि, वायसराय ने गांधी की दो माँगों को अस्वीकार कर दिया-
(i) पुलिस की ज्यादतियों की सार्वजनिक जाँच, और
(ii) भगत सिंह और उनके साथियों के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदलना।
कांग्रेस की ओर से गांधी सहमत-
1 ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ स्थगति कर दिया गया जायेगा।
2. ‘द्वितीय गोलमेज सम्मेलन’ में कांग्रेस के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे।
Incorrect
उत्तर: b)
गांधी-इरविन समझौता।
सरकार की ओर से इरविन निम्नलिखित पर सहमत हुए-
- सभी राजनैतिक कैदियों जो हिंसा के दोषी नहीं हैं उन्हें तत्काल रिहा करना;
- अभी तक एकत्र नहीं किए गए सभी जुर्माने से छूट;
- अभी तक तीसरे पक्ष को न बेची गई भूमि को वापस करना;
- उन सरकारी कर्मचारियों के साथ उदार व्यवहार करना जिन्होंने इस्तीफा दे दिया था; व्यक्तिगत उपभोग (बिक्री के लिए नहीं) के लिए तटीय गांवों में नमक बनाने का अधिकार देना;
- शांतिपूर्ण और गैर-आक्रामक तरीके से धरना देने का अधिकार; तथा
- आपातकालीन अध्यादेशों को वापस लेना।
हालाँकि, वायसराय ने गांधी की दो माँगों को अस्वीकार कर दिया-
(i) पुलिस की ज्यादतियों की सार्वजनिक जाँच, और
(ii) भगत सिंह और उनके साथियों के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदलना।
कांग्रेस की ओर से गांधी सहमत-
1 ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ स्थगति कर दिया गया जायेगा।
2. ‘द्वितीय गोलमेज सम्मेलन’ में कांग्रेस के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे।
-
Question 5 of 5
5. Question
पूना समझौता था
- दलित वर्गों के लिए चुनावी सीटों पर आरक्षण प्रदान करना
- गांधीजी ने यरवदा जेल में अपना व्रत समाप्त कर दिया, जो कि दलित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल के विरोध में किया गया था
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: c)
पूना समझौता महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर के बीच 1930 में ब्रिटिश भारत सरकार की विधायिका में दलित वर्ग के लिए चुनावी सीटों के आरक्षण पर दलित वर्गों और उच्च जाति के हिंदू नेताओं की ओर से एक समझौता था। इसे 24 सितंबर 1932 को पूना की यरवदा सेंट्रल जेल में निर्मित किया गया था। इस पर दलित वर्गों की ओर से अम्बेडकर द्वारा और सवर्ण हिंदुओं की ओर से मदन मोहन मालवीय द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। गांधीजी ने यरवदा जेल में अपना व्रत समाप्त कर दिया, जो कि ब्रिटिश भारत में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रैमजे मैकडॉनल्ड्स द्वारा प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों के चुनाव में दलित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल प्रदान करने के विरोध में किया गया था।
Incorrect
उत्तर: c)
पूना समझौता महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर के बीच 1930 में ब्रिटिश भारत सरकार की विधायिका में दलित वर्ग के लिए चुनावी सीटों के आरक्षण पर दलित वर्गों और उच्च जाति के हिंदू नेताओं की ओर से एक समझौता था। इसे 24 सितंबर 1932 को पूना की यरवदा सेंट्रल जेल में निर्मित किया गया था। इस पर दलित वर्गों की ओर से अम्बेडकर द्वारा और सवर्ण हिंदुओं की ओर से मदन मोहन मालवीय द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। गांधीजी ने यरवदा जेल में अपना व्रत समाप्त कर दिया, जो कि ब्रिटिश भारत में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रैमजे मैकडॉनल्ड्स द्वारा प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों के चुनाव में दलित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल प्रदान करने के विरोध में किया गया था।