HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
भारत सरकार अधिनियम, 1919 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इस अधिनियम ने प्रमुख प्रांतों के लिए सरकार का द्वैध शासन की व्यवस्था की गयी।
- अधिनियम के तहत, ‘आरक्षित सूची‘ को वाइसराय के नियंत्रण में रखा गया।
- आरक्षित सूची में विदेशी मामले, संचार और रक्षा शामिल थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: d)
इस अधिनियम ने प्रमुख प्रांतों के लिए सरकार का द्वैध शासन (dyarchy) की व्यवस्था की गयी। ऐसे प्रत्येक प्रांत में, सरकार के कुछ क्षेत्रों का नियंत्रण, “हस्तांतरित सूची”, प्रांतीय परिषद के प्रति जवाबदेह मंत्रियों को प्रदान किया गया था। ‘हस्तांतरित सूची’ में कृषि, स्थानीय सरकार का पर्यवेक्षण, स्वास्थ्य और शिक्षा शामिल थे। प्रांतीय परिषदों का विस्तार किया गया।
इसी समय, सरकार के अन्य सभी क्षेत्र (‘आरक्षित सूची’) वायसराय के नियंत्रण में थे। ‘आरक्षित सूची’ में रक्षा (सैन्य), विदेशी मामले और संचार शामिल थे।
Incorrect
उत्तर: d)
इस अधिनियम ने प्रमुख प्रांतों के लिए सरकार का द्वैध शासन (dyarchy) की व्यवस्था की गयी। ऐसे प्रत्येक प्रांत में, सरकार के कुछ क्षेत्रों का नियंत्रण, “हस्तांतरित सूची”, प्रांतीय परिषद के प्रति जवाबदेह मंत्रियों को प्रदान किया गया था। ‘हस्तांतरित सूची’ में कृषि, स्थानीय सरकार का पर्यवेक्षण, स्वास्थ्य और शिक्षा शामिल थे। प्रांतीय परिषदों का विस्तार किया गया।
इसी समय, सरकार के अन्य सभी क्षेत्र (‘आरक्षित सूची’) वायसराय के नियंत्रण में थे। ‘आरक्षित सूची’ में रक्षा (सैन्य), विदेशी मामले और संचार शामिल थे।
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Question 2 of 5
2. Question
असहयोग आन्दोलन आरंभ करने के पीछे निम्नलिखित में से कौन-से कौनसे कारण थे?
- 1919 का “पंजाब का मुद्दा (Punjab wrongs)”
- खिलाफत का मुद्दा
- रौलट एक्ट के प्रति रोष
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उतर: d)
1919 में गांधीजी ने अंग्रेजों द्वारा पारित रौलट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह का आह्वान किया। इस अधिनियम ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाया और पुलिस शक्तियों को मजबूत किया।
- अप्रैल 1919 में देश में कई प्रदर्शन और उत्पीड़न हुए तथा सरकार ने उन्हें दबाने के लिए क्रूर उपायों का इस्तेमाल किया। बैसाखी के दिन अमृतसर में जनरल डायर द्वारा किया गया जलियांवाला बाग अत्याचार इस दमन का एक हिस्सा था।
- खिलाफत मुद्दा एक और ऐसा कारण था। 1920 में ब्रिटिशों ने तुर्की सुल्तान या खलीफा पर एक कठोर संधि लागू की। जलियांवाला जनसंहार के प्रति के बारे में लोगों में रोष था। इसके अलावा, भारतीय मुसलमान तत्कालीन तुर्क साम्राज्य में खलीफा का नियंत्रण बनाए रखना चाहते थे।
- खिलाफत आंदोलन के नेता मोहम्मद अली और शौकत अली ने पूर्ण असहयोग आंदोलन शुरू करने की वकालत की। गांधीजी ने उनके आह्वान का समर्थन किया और कांग्रेस से “पंजाब का मुद्दा” (जलियांवाला हत्याकांड), खिलाफत का मुद्दा और स्वराज की मांग के खिलाफ इस आंदोलन की शुरुआत की।
Incorrect
उतर: d)
1919 में गांधीजी ने अंग्रेजों द्वारा पारित रौलट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह का आह्वान किया। इस अधिनियम ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाया और पुलिस शक्तियों को मजबूत किया।
- अप्रैल 1919 में देश में कई प्रदर्शन और उत्पीड़न हुए तथा सरकार ने उन्हें दबाने के लिए क्रूर उपायों का इस्तेमाल किया। बैसाखी के दिन अमृतसर में जनरल डायर द्वारा किया गया जलियांवाला बाग अत्याचार इस दमन का एक हिस्सा था।
- खिलाफत मुद्दा एक और ऐसा कारण था। 1920 में ब्रिटिशों ने तुर्की सुल्तान या खलीफा पर एक कठोर संधि लागू की। जलियांवाला जनसंहार के प्रति के बारे में लोगों में रोष था। इसके अलावा, भारतीय मुसलमान तत्कालीन तुर्क साम्राज्य में खलीफा का नियंत्रण बनाए रखना चाहते थे।
- खिलाफत आंदोलन के नेता मोहम्मद अली और शौकत अली ने पूर्ण असहयोग आंदोलन शुरू करने की वकालत की। गांधीजी ने उनके आह्वान का समर्थन किया और कांग्रेस से “पंजाब का मुद्दा” (जलियांवाला हत्याकांड), खिलाफत का मुद्दा और स्वराज की मांग के खिलाफ इस आंदोलन की शुरुआत की।
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Question 3 of 5
3. Question
1919 में निम्नलिखित किस मुख्य उद्देश्य के साथ बॉम्बे में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया था
Correct
उत्तर: a)
प्रथम विश्व युद्ध तुर्की की हार के साथ समाप्त हुआ था। ये अफवाह फ़ैल गयी थी कि ओटोमन सम्राट (इस्लामिक विश्व (खलीफा) के आध्यात्मिक प्रमुख) पर एक कठोर शांति संधि लागू होने जा रही है।
खलीफा की अस्थायी शक्तियों का बचाव करने के लिए, मार्च 1919 में बॉम्बे में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया था।
मुहम्मद अली और शौकत अली भाइयों जैसे मुस्लिम नेताओं की एक युवा पीढ़ी ने इस मुद्दे पर एकजुट सामूहिक कार्रवाई करने हेतु महात्मा गांधी के साथ चर्चा शुरू की।
गांधीजी ने इसे एक एकीकृत राष्ट्रीय आंदोलन के तहत मुसलमानों को एकजुट करने के अवसर के रूप में देखा।
सितंबर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में, उन्होंने खिलाफत के साथ-साथ स्वराज के समर्थन हेतु असहयोग आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया।
Incorrect
उत्तर: a)
प्रथम विश्व युद्ध तुर्की की हार के साथ समाप्त हुआ था। ये अफवाह फ़ैल गयी थी कि ओटोमन सम्राट (इस्लामिक विश्व (खलीफा) के आध्यात्मिक प्रमुख) पर एक कठोर शांति संधि लागू होने जा रही है।
खलीफा की अस्थायी शक्तियों का बचाव करने के लिए, मार्च 1919 में बॉम्बे में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया था।
मुहम्मद अली और शौकत अली भाइयों जैसे मुस्लिम नेताओं की एक युवा पीढ़ी ने इस मुद्दे पर एकजुट सामूहिक कार्रवाई करने हेतु महात्मा गांधी के साथ चर्चा शुरू की।
गांधीजी ने इसे एक एकीकृत राष्ट्रीय आंदोलन के तहत मुसलमानों को एकजुट करने के अवसर के रूप में देखा।
सितंबर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में, उन्होंने खिलाफत के साथ-साथ स्वराज के समर्थन हेतु असहयोग आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया।
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Question 4 of 5
4. Question
कांग्रेस के 1920 के नागपुर अधिवेशन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- असहयोग के कार्यक्रम का समर्थन किया गया।
- भाषाई आधार पर प्रांतीय कांग्रेस समितियों का गठन किया गया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
1920 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में निम्नलिखित निर्णय लिए गए:
(i) असहयोग के कार्यक्रम का समर्थन किया गया।
(ii) कांग्रेस में महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गये थे: अब, संवैधानिक साधनों के माध्यम से स्वशासन की प्राप्ति को अपने लक्ष्य के रूप में निर्धारित करने के बजाय, कांग्रेस ने स्वराज की प्राप्ति शांतिपूर्ण और वैध तरीकों से करने का फैसला किया। इस प्रकार संविधानेतर जन संघर्ष आरंभ करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
(iii) कुछ महत्वपूर्ण संगठनात्मक परिवर्तन किए गए:
अब से कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए 15 सदस्यों की एक कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की स्थापना की गई थी; भाषाई आधार पर प्रांतीय कांग्रेस समितियों का गठन किया गया; वार्ड समितियों का गठन किया गया था; और प्रवेश शुल्क को घटाकर चार आना प्रतिवर्ष कर दिया गया।
Incorrect
उत्तर: d)
1920 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में निम्नलिखित निर्णय लिए गए:
(i) असहयोग के कार्यक्रम का समर्थन किया गया।
(ii) कांग्रेस में महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गये थे: अब, संवैधानिक साधनों के माध्यम से स्वशासन की प्राप्ति को अपने लक्ष्य के रूप में निर्धारित करने के बजाय, कांग्रेस ने स्वराज की प्राप्ति शांतिपूर्ण और वैध तरीकों से करने का फैसला किया। इस प्रकार संविधानेतर जन संघर्ष आरंभ करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
(iii) कुछ महत्वपूर्ण संगठनात्मक परिवर्तन किए गए:
अब से कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए 15 सदस्यों की एक कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की स्थापना की गई थी; भाषाई आधार पर प्रांतीय कांग्रेस समितियों का गठन किया गया; वार्ड समितियों का गठन किया गया था; और प्रवेश शुल्क को घटाकर चार आना प्रतिवर्ष कर दिया गया।
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Question 5 of 5
5. Question
संयुक्त प्रांत में हुई चौरी-चौरा घटना के बाद असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया गया?
- यह घटना गांधी के अहिंसा के आदर्श के खिलाफ थी।
- इस घटना की शुरुआत भारत के अतिवादी नेताओं ने की थी, जिसे गांधी असहयोग आंदोलन में शामिल नहीं करना चाहते थे
- संयुक्त प्रांत में असहयोग आंदोलन शुरू नहीं किया गया था और गांधी को डर था कि इसका समावेश आंदोलन को अस्थिर कर सकता है।
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: a)
चौरी चौरा की घटना फरवरी 1922 में ब्रिटिश भारत में संयुक्त राज्य (आधुनिक उतर प्रदेश) के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा स्थान पर घटित हुई, जब असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था और पुलिस ने उन पर गोलियां चला दी।
जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी। इस घटना में तीन नागरिकों और कई पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।
महात्मा गांधी, जो हिंसा के सख्त खिलाफ थे, ने फरवरी 1922 में इस घटना के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में असहयोग आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर रोक दिया।
Incorrect
उत्तर: a)
चौरी चौरा की घटना फरवरी 1922 में ब्रिटिश भारत में संयुक्त राज्य (आधुनिक उतर प्रदेश) के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा स्थान पर घटित हुई, जब असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था और पुलिस ने उन पर गोलियां चला दी।
जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी। इस घटना में तीन नागरिकों और कई पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।
महात्मा गांधी, जो हिंसा के सख्त खिलाफ थे, ने फरवरी 1922 में इस घटना के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में असहयोग आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर रोक दिया।