HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
ईस्ट इंडिया एसोसिएशन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना दादाभाई नौरोजी ने भारतीयों और सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारियों के साथ मिलकर लंदन में की थी।
- यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की परवर्ती संस्था थी।
- इसने ब्रिटिश जनता में भारत के बारे में सही छवि प्रस्तुत करने और ब्रिटिश प्रेस में भारतीय शिकायतों को उठाने की दिशा में कार्य किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: b)
ईस्ट इंडिया एसोसिएशन दादाभाई नौरोजी की पहल पर 1 अक्टूबर 1866 को लंदन में कुछ भारतीय छात्रों द्वारा स्थापित एक संगठन थी। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों में से एक था।
1 अक्टूबर, 1866 को, ईस्ट इंडिया एसोसिएशन को लंदन इंडियन सोसाइटी को प्रतिस्थापित कर स्थापित किया गया। ईस्ट इंडिया एसोसिएशन के कई उद्देश्य और गतिविधियां थीं जैसे:
सार्वजनिक हितों और भारतीयों के कल्याण की वकालत करना और उन्हें बढ़ावा देना।
इसने ब्रिटिश जनता में भारत के बारे में सही छवि प्रस्तुत करने और ब्रिटिश प्रेस में भारतीय शिकायतों को उठाने की दिशा में कार्य किया।
Incorrect
उत्तर: b)
ईस्ट इंडिया एसोसिएशन दादाभाई नौरोजी की पहल पर 1 अक्टूबर 1866 को लंदन में कुछ भारतीय छात्रों द्वारा स्थापित एक संगठन थी। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों में से एक था।
1 अक्टूबर, 1866 को, ईस्ट इंडिया एसोसिएशन को लंदन इंडियन सोसाइटी को प्रतिस्थापित कर स्थापित किया गया। ईस्ट इंडिया एसोसिएशन के कई उद्देश्य और गतिविधियां थीं जैसे:
सार्वजनिक हितों और भारतीयों के कल्याण की वकालत करना और उन्हें बढ़ावा देना।
इसने ब्रिटिश जनता में भारत के बारे में सही छवि प्रस्तुत करने और ब्रिटिश प्रेस में भारतीय शिकायतों को उठाने की दिशा में कार्य किया।
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Question 2 of 5
2. Question
निम्नलिखित में से किसने प्लेज आंदोलन (Pledge Movement) आयोजित किया?
Correct
उत्तर: c)
इंडियन सोशल कांफ्रेंस की स्थापना एम.जी. रानाडे और रघुनाथ राव ने की थी। यह वस्तुतः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सामाजिक सुधार प्रकोष्ठ था। इस कांफ्रेंस का आयोजन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सहायक सम्मेलन के रूप में एक ही स्थल पर हुआ, और इसने सामाजिक सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। इसने अंतर-जातीय विवाह की वकालत की और कुलीनवाद एवं बहुविवाह का विरोध किया। इसने बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए प्रसिद्ध “प्लेज आंदोलन (Pledge Movement)” शुरू किया।
Incorrect
उत्तर: c)
इंडियन सोशल कांफ्रेंस की स्थापना एम.जी. रानाडे और रघुनाथ राव ने की थी। यह वस्तुतः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सामाजिक सुधार प्रकोष्ठ था। इस कांफ्रेंस का आयोजन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सहायक सम्मेलन के रूप में एक ही स्थल पर हुआ, और इसने सामाजिक सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। इसने अंतर-जातीय विवाह की वकालत की और कुलीनवाद एवं बहुविवाह का विरोध किया। इसने बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए प्रसिद्ध “प्लेज आंदोलन (Pledge Movement)” शुरू किया।
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Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम सत्र की अध्यक्षता दादाभाई नौरोजी ने की थी।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक खुले सत्र को संबोधित करने वाली प्रथम महिला कदंबिनी गांगुली थीं, जो कलकत्ता विश्वविद्यालय की पहली महिला स्नातक भी थीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही हैं?
Correct
उत्तर: b)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28–31 दिसंबर 1885 को बंबई में आयोजित हुआ था। इसकी अध्यक्षता डब्ल्यू.सी. बनर्जी ने की थी।
कदंबिनी गांगुली भारत के साथ-साथ पूरे ब्रिटिश साम्राज्य की प्रथम महिला स्नातक थी। वह 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक खुले सत्र को संबोधित करने वाली प्रथम महिला भी थीं।
Incorrect
उत्तर: b)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28–31 दिसंबर 1885 को बंबई में आयोजित हुआ था। इसकी अध्यक्षता डब्ल्यू.सी. बनर्जी ने की थी।
कदंबिनी गांगुली भारत के साथ-साथ पूरे ब्रिटिश साम्राज्य की प्रथम महिला स्नातक थी। वह 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक खुले सत्र को संबोधित करने वाली प्रथम महिला भी थीं।
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Question 4 of 5
4. Question
श्रीधरनाथ बनर्जी द्वारा गठित भारतीय संघ का उद्देश्य था
Correct
उत्तर: c)
1876 में कलकत्ता में भारतीय संघ के गठन के साथ श्रीनाथनाथ बनर्जी द्वारा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की नींव रखी गई थी। इसका उद्देश्य शिक्षित मध्यम वर्ग के विचारों का प्रतिनिधित्व करना और भारतीय समुदाय को एकजुट कार्रवाई के लिए प्रेरित करना था।
Incorrect
उत्तर: c)
1876 में कलकत्ता में भारतीय संघ के गठन के साथ श्रीनाथनाथ बनर्जी द्वारा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की नींव रखी गई थी। इसका उद्देश्य शिक्षित मध्यम वर्ग के विचारों का प्रतिनिधित्व करना और भारतीय समुदाय को एकजुट कार्रवाई के लिए प्रेरित करना था।
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Question 5 of 5
5. Question
नरमपंथी कई मोर्चों पर सफल रहें थे। इसमें शामिल हैं:
- लोकतंत्र, नागरिक स्वतंत्रता और प्रतिनिधि संस्थानों के विचारों को लोकप्रिय बनाना
- भारतीय अर्थव्यवस्था के ब्रिटिश द्वारा शोषण की व्याख्या करना
- भारतियों के लिए विधान परिषदों का विस्तार करना
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: d)
नरमपंथी लोगों में व्यापक राष्ट्रीय जागृति पैदा करने में सक्षम रहे।
उन्होंने लोकतंत्र, नागरिक स्वतंत्रता और प्रतिनिधि संस्थानों के विचारों को लोकप्रिय बनाया।
उन्होंने बताया कि कैसे अंग्रेज भारतीयों का शोषण कर रहे थे। विशेष रूप से, दादाभाई नौरोजी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “पावर्टी ऐन्ड अनब्रिटिश रूल इन इन्डिया” में ड्रेन थ्योरी की व्याख्य की। उन्होंने दिखाया कि भारत के धन की निकासी (a) वेतन, (b) बचत, (c) पेंशन, (d) भारत में ब्रिटिश सैनिकों को भुगतान और (e) ब्रिटिश कंपनियों के मुनाफे के रूप में किस प्रकार इंग्लैंड को हो रही थी। वास्तव में, ब्रिटिश सरकार को इस मामले में जाँच करने के लिए वेल्बी आयोग नियुक्त करने के लिए बाध्य किया गया था। दादाभाई इसमें शामिल होने वाले प्रथम भारतीय थे।
रानाडे और गोखले जैसे कुछ नरमपंथी सामाजिक सुधारों के पक्षधर थे। उन्होंने बाल विवाह और विधवापन का विरोध किया।
1892 के भारतीय परिषद अधिनियम द्वारा विधायी परिषदों का विस्तार करवाने में नरमपंथी सफल रहे थे।
Incorrect
उत्तर: d)
नरमपंथी लोगों में व्यापक राष्ट्रीय जागृति पैदा करने में सक्षम रहे।
उन्होंने लोकतंत्र, नागरिक स्वतंत्रता और प्रतिनिधि संस्थानों के विचारों को लोकप्रिय बनाया।
उन्होंने बताया कि कैसे अंग्रेज भारतीयों का शोषण कर रहे थे। विशेष रूप से, दादाभाई नौरोजी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “पावर्टी ऐन्ड अनब्रिटिश रूल इन इन्डिया” में ड्रेन थ्योरी की व्याख्य की। उन्होंने दिखाया कि भारत के धन की निकासी (a) वेतन, (b) बचत, (c) पेंशन, (d) भारत में ब्रिटिश सैनिकों को भुगतान और (e) ब्रिटिश कंपनियों के मुनाफे के रूप में किस प्रकार इंग्लैंड को हो रही थी। वास्तव में, ब्रिटिश सरकार को इस मामले में जाँच करने के लिए वेल्बी आयोग नियुक्त करने के लिए बाध्य किया गया था। दादाभाई इसमें शामिल होने वाले प्रथम भारतीय थे।
रानाडे और गोखले जैसे कुछ नरमपंथी सामाजिक सुधारों के पक्षधर थे। उन्होंने बाल विवाह और विधवापन का विरोध किया।
1892 के भारतीय परिषद अधिनियम द्वारा विधायी परिषदों का विस्तार करवाने में नरमपंथी सफल रहे थे।