[इनसाइट्स सिक्योर STHIR – 2021] दैनिक सिविल सेवा मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन अभ्यास: 5 जनवरी 2021

 

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सामान्य अध्ययन – 1


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

1. एक अखिल भारतीय संगठन के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन उन्नीसवीं सदी में भारत में राजनीतिक जागृति की प्रक्रिया की परिणति थी। स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)

सन्दर्भ: आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास: स्पेक्ट्रम प्रकाशन

निर्देशक शब्द:

स्पष्ट कीजिये- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

1885 में कांग्रेस के गठन की ओर ले जाने वाली परिस्थितियों के बारे में संक्षेप में बताते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:

कांग्रेस के गठन से सम्बंधित विभिन्न सिद्धांतों के बारे में संक्षेप में बताइये- सुरक्षा वाल्व सिद्धांत और राष्ट्रवादी सिद्धांत।

भारतीयों में राजनीतिक चेतना के विकास के बारे में लिखिए। इसके लिए उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिए। राजनीतिक जागृति के परिणामस्वरूप सम्पूर्ण भारत में फैलने वाले विभिन्न स्थानीय संगठनों के बारे में भी बताइये। उनकी मांगों का भी उल्लेख कीजिए।

निष्कर्ष:

यह समझाते हुए निष्कर्ष निकालिए राजनीतिक चेतना के प्रसार के परिणामस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रूप में एक अखिल भारतीय संगठन का गठन हुआ।

  

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

 2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी चरण की प्रकृति के बारे में चर्चा कीजिए। क्या आपको लगता है कि अंग्रेजों की न्याय और निष्पक्षता में उनकी आस्था उनकी प्रमुख त्रुटि थी? (250 शब्द)

सन्दर्भ: आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास: स्पेक्ट्रम प्रकाशन

 निर्देशक शब्द:

चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी चरण, इसकी प्रकृति और इसके नेताओं के बारे में संक्षेप में चर्चा करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी चरण की प्रकृति का विस्तार से वर्णन कीजिए। उनके लक्ष्य एवं उद्देश्य, संवैधानिक प्रकृति, ब्रिटिश सत्ता में विश्वास, प्रेरणा, संचालन का तरीका, मुख्य रचना और महत्वपूर्ण परिणाम।

ब्रिटिश शासन के न्याय में नरमपंथियों के विश्वास के बारे में उल्लेख कीजिए। वे ब्रिटिश शासन के शोषक स्वभाव से परिचित थे लेकिन वे इसमें सुधार चाहते थे, निष्कासन नहीं।

निष्कर्ष:

एक संतुलित निर्णय प्रस्तुत कीजिए एवं उदारवादियों के प्रमुख योगदानों पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन – 2


 

विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

3. राज्यपाल को योग्य, गैर-पक्षपाती एवं राजनीति से ऊपर होना चाहिए। राज्यपाल के पद का राजनीतिकरण केंद्र-राज्य संबंधों के लिए अस्वास्थ्यकर है। विस्तार से समझाइए। (250 शब्द)

सन्दर्भ: The Hindu 

 निर्देशक शब्द:

 समझाइये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिये।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

यह समझाते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए कि अनुच्छेद 155 के तहत राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा उनके वारंट और मुहर के अधीन नियुक्त किया जाता है। राज्यपाल के पद को संघीय सरकारों के सुचारू संचालन में सहायता के लिए वरिष्ठ राजनेता के रूप में परिकल्पित किया गया है।

 विषय वस्तु:   

राज्यपाल के पद के बढ़ते राजनीतिकरण और केंद्र के ‘एजेंट के रूप में उनकी भूमिका’ के बारे में उल्लेख कीजिए। केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक के हालिया उदाहरणों का उल्लेख कीजिए।

उपर्युक्त के लिए कारणों, जैसे- स्थितिजन्य विवेक की व्याख्या और राज्यपाल का संवैधानिक विवेकाधिकार, कार्यकाल की सुरक्षा, हॉर्स ट्रेडिंग और गठबंधन की राजनीति, मुख्यमंत्री का चयन करने के मुद्दे, विधानमंडल में बहुमत साबित करने के लिए समय का निर्धारण, दिन -प्रतिदिन की जानकारी मांगना, किसी विधेयक पर स्वीकृति देने में जानबूझकर विलम्ब करना अथवा राष्ट्रपति के विचारार्थ विधेयक को सुरक्षित रखना, राज्य सरकार की विशिष्ट नीतियों पर नकारात्मक टिप्पणी करना और राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्यपालों की शक्ति आदि का उल्लेख कीजिए।

केंद्र-राज्य संबंधों पर इसके प्रभावों पर प्रकाश डालिए।

निष्कर्ष:

विभिन्न समितियों द्वारा सुझाए गए राज्यपाल की भूमिका के राजनीतिकरण को कम करने के लिए आगे की राह सुझाते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन – 3


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

 4. शहरी बेरोजगारी के मुद्दे के लिए सावधानीपूर्वक एवं संवेदनशील रूप से विनियमित गिग अर्थव्यवस्था रामबाण हो सकती है। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)

सन्दर्भ:   The Hindu 

निर्देशक शब्द:

 विश्लेषण कीजियेऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिये।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

गिग अर्थव्यवस्था और इसकी प्रकृति को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:  

भारत में गिग श्रमिकों से संबंधित कुछ तथ्यों और आंकड़ों का उल्लेख कीजिए।

समझाइए कि कैसे यह अर्थव्यवस्था बड़ी संख्या में सफेद कॉलर कर्मचारियों के हितों को आकर्षित कर रही है और इससे मिलने वाले लाभों पर भी प्रकाश डालिए।

गिग श्रमिकों के हितों की रक्षा एवं एक पूर्ण डिजिटल परिवर्तन के लिए नीतियों और नियमों  की आवश्यकता के लिए तर्क प्रस्तुत कीजिए।

निष्कर्ष:

आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

  

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

5. आर्थिक परिस्थितियाँ ऐसे सुधारों के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करने में जुटी हैं जो संकट के जोखिम को कम कर सकते हैं तथा भारत को इस संकट को एक अवसर में बदलने के लिए इसका उपयोग करने की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)

सन्दर्भ:  Live Mint

निर्देशक शब्द:

 टिप्पणी कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

इस संदर्भ को प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए कि व्यापार के वातावरण में सुधार, मजबूत पूंजी खाता संतुलन और आसन्न बड़े पैमाने पर टीकाकरण भारत की अर्थव्यवस्था में अच्छी ख़बर लाये हैं।

 विषय वस्तु:

समझाइये कि अर्थव्यवस्था पहले से ही विमौद्रीकरण, जीएसटी के प्रभाव से प्रभावित है और महामारी के कारण अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ गयी है। ऐसे में इस बिंदु पर अर्थव्यवस्था में सुधारों की आवश्यकता है।

राजकोषीय प्रभावशीलता, निजी क्षेत्र के पूंजीकरण, बैंकिंग क्षेत्र के पुनरोद्धार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर ध्यान केंद्रित करने, मौजूदा परियोजनाओं के लिए वित्तीय समापन को प्राप्त करने एवं रोजगार और मांग को प्रारम्भ करने आदि के लिए सुधारों का सुझाव दीजिए।

निष्कर्ष:

अधिकांश अवसरों के निर्माण के लिए विशेष रूप से बजट के साथ आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन – 4


 

विषय: नैतिक मार्गदर्शन के स्रोतों के रूप में विधि, नियम, विनियम तथा अंतरात्मा।

 6. कानून की भावना को बनाये रखने की तुलना में कानून के पत्र को बनाये रखना अधिक महत्वपूर्ण है। इस कथन के सन्दर्भ में अपनी राय सोदाहरण प्रस्तुत कीजिए। (150 शब्द)

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

समाज में कानून, सामाजिक मानदंड और निष्पक्षता के बीच संबंधों को समझने के लिए एक माध्यम के रूप में कानून के पत्र बनाम भावना को समझाते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

विषय वस्तु:

कानून के पत्र एवं कानून की भावना का वर्णन कीजिए।

उदाहरणों के साथ दोनों के सापेक्ष महत्व और उनके बीच संघर्ष का वर्णन कीजिए।

निष्कर्ष:

कानून की व्याख्या के एक संतुलित माध्यम एवं क्या महत्वपूर्ण है, इसका निर्धारण केस दर केस के आधार पर करने का सुझाव देते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

विषय: मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से प्राप्त शिक्षा।

 7. गांधीवादी ट्रस्टीशिप अर्थशास्त्र को आध्यात्मिक बनाने का एक प्रयास था, जो भौतिक समृद्धि पर मानवीय गरिमा को प्राथमिकता देता था। स्पष्ट कीजिए। (150 शब्द)

निर्देशक शब्द:

स्पष्ट कीजिये- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप दर्शन के मूल विचार को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:   

गांधीवादी समय से लेकर समकालीन समय तक के उदाहरणों के साथ ट्रस्टीशिप की अवधारणा की विस्तृत व्याख्या कीजिए। गांधी के आर्थिक विचार गरीबी, सामाजिक-आर्थिक अन्याय के खिलाफ शोषण और बिगड़ते नैतिक मानकों के खिलाफ उनके सामान्य धर्मयुद्ध का भाग थे।

वर्तमान समय में इस दर्शन की प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिए।

निष्कर्ष:

वर्तमान समय में ट्रस्टीशिप की आवश्यकता और महत्व पर बल देते हुए निष्कर्ष निकालिए।


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