INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 4 January 2021

 

विषय – सूची

 सामान्य अध्ययन-III

1. FSSAI द्वारा खाद्य पदार्थों में ट्रांसफ़ैट स्तर सीमा में कमी

2. युद्ध की तैयारियों में बढ़ोत्तरी हेतु चीन द्वारा रक्षा-कानून में संशोधन

3. अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO)

4. स्कॉटलैंड की आजादी हेतु जनमत संग्रह

 

सामान्य अध्ययन-III

1. सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशिल्ड बनाम भारत बायोटेक की कोवाक्सिन वैक्सीन

2. ‘वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-प्रतिरूपण निगरानी प्रणाली एवं सेवाएँ’ (ACROSS) योजना

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. मन्नथु पद्मनाभन

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

FSSAI द्वारा खाद्य पदार्थों में ट्रांसफ़ैट स्तर सीमा में कमी


संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेधाज्ञा एवं रोक) विनियम (Food Safety and Standards (Prohibition and Restriction on Sales) Regulations) में संशोधन करते हुए तेल और वसा में ट्रांस फैटी एसिड (TFA) की मात्रा वर्ष 2021 के लिए 3% और वर्ष 2022 में 2% तक निर्धारित की  गयी है। वर्तमान में, खाद्य पदार्थो में ट्रांस फैटी एसिड का अनुमेय स्तर 5% है।

प्रभाव:

संशोधित विनियमन रिफाइंड खाद्य तेलों, वनस्पति (आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत तेल), मार्जरीन (कृत्रिम मक्खन), बेकरी से संबंधित वस्तुओं तथा खाना पकाने में प्रयुक्त होने वाले अन्य माध्यमों जैसे कि वनस्पति वसा और मिश्रित वसा पर लागू होंगे।

संशोधित विनियमन की आवश्यकता:

ट्रांसफ़ेट्स का संबंध दिल के दौरा पड़ने संबंधी जोखिम में वृद्धि और हृदय रोग से होने वाली मौतों से होता है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैटी एसिड के सेवन से वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष लगभग 4 लाख मौतें होती हैं।
  • WHO द्वारा वर्ष 2023 तक ट्रांसफ़ेट्स के वैश्विक उन्मूलन का आह्वान किया गया है।

ट्रांस फैट क्या होते हैं?

  • ट्रांस फैटी एसिड (Trans fatty acids TFAs) या ट्रांस-वसा सबसे हानिकारक प्रकार के वसा होते हैं जो हमारे शरीर पर किसी भी अन्य आहार की तुलना में अधिक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
  • इस वसा को अधिकांशतः कृत्रिम रूप से निर्मित किया जाता है, हालंकि, कुछ मात्रा में यह प्राकृतिक रूप से भी निर्मित होती है। इस प्रकार, ये हमारे आहार में कृत्रिम ट्रांस फैटी एसिड / अथवा प्राकृतिक ट्रांस फैटी एसिड के रूप में उपस्थित हो सकती है।
  • शुद्ध घी/मक्खन की तरह दिखने वाले, कृत्रिम ट्रांस फैटी एसिड (TFAs) को हाइड्रोजन तथा तेल की अभिक्रिया कराने पर उत्पादित किया जाता है।
  • हमारे आहार में, कृत्रिम ट्रांस फैटी एसिड का प्रमुख स्रोत, आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल (partially hydrogenated vegetable oils- PHVO)/ वनस्पति / मार्जरीन होते हैं, जबकि, मांस तथा डेयरी उत्पादों में, कुछ मात्रा में यह प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. ट्रांस फैट क्या होते हैं?
  2. वे हानिकारक क्यों हैं?
  3. उनका उत्पादन कैसे और कहाँ किया जाता है?
  4. WHO और FSSAI द्वारा निर्धारित स्वीकार्य सीमा क्या है?
  5. REPLACE अभियान किससे संबंधित है?
  6. FSSAI के बारे में।

मेंस लिंक:

ट्रांस फैट क्या हैं? वे हानिकारक क्यों हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

युद्ध की तैयारियों में बढ़ोत्तरी हेतु चीन द्वारा रक्षा-कानून में संशोधन


संदर्भ:

हाल ही में, चीन द्वारा अपने ‘राष्ट्रीय रक्षा कानून’ में संशोधन किया गया है।

प्रमुख परिवर्तन:

  • संशोधनों के तहत, एक नई और विस्तृत परिभाषा के अनुसार राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हेतु संसाधन जुटाने के लिए केंद्रीय सैन्य आयोग (Central Military Commission- CMC) को और अधिक शक्तियाँ प्रदान की गयी हैं।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि, नए संशोधनों के तहत ‘विकास हित’ (Development Interests) वाक्यांश में चीन की आर्थिक गतिविधियों और ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसे उपक्रमों के तहत विदेश स्थित परिसंपत्तियों की सुरक्षा हेतु सैन्य-तैनाती को सम्मिलित किया गया है।
  • संशोधन के माध्यम से महत्वपूर्ण सुरक्षा क्षेत्रों के दायरे में स्थलीय, समुद्री और वायु सीमाओं के अलावा बाह्य अंतरिक्ष (Outer Space) और विद्युत चुंबकीय नेटवर्क (Electromagnetic Networks) को शामिल किया गया है।
  • चीन का कहना है, कि इस संशोधन के माध्यम से वह ‘वैश्विक सुरक्षा प्रशासन में भाग लेगा, बहुपक्षीय सुरक्षा वार्ता में सम्मिलित होगा और व्यापक रूप से स्वीकृत, निष्पक्ष और उचित अंतरराष्ट्रीय नियमों की स्थापना’ के लिए जोर देगा।

निहितार्थ:

नागरिक-सैन्य समेकन हेतु किये जा रहे प्रयासों के तहत रक्षा क़ानून में ये संशोधन किये गए हैं, इनका लक्ष्य वर्ष 2049 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के 100 साल पूरे होने तक पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना के समान ‘विश्व स्तरीय’ बनाना है।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO)


(International Organization of Securities Commissions)

संदर्भ:

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centres Authority – IFSCA) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (International Organization of Securities Commissions- IOSCO) का सहयोगी सदस्य बन गया है।

भारत में ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र’

  • देश में पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (International Financial Services Centre- IFSC) गांधीनगर में स्थित गुजरात अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय टेक-सिटी (Gujarat International Finance Tec-City: GIFT) में स्थापित किया गया है।
  • सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) को विनियमित करने हेतु 27 अप्रैल 2020 को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) स्थापना की गयी है। इसका मुख्यालय गांधीनगर, गुजरात में स्थित है।
  • दिसंबर 2019 में संसद द्वारा देश में स्थित सभी IFSCs पर की जाने वाली वित्तीय गतिविधियों को विनियमित करने हेतु एक एकीकृत प्राधिकरण स्थापित करने के लिए विधेयक पारित किया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO) के बारे में:

  • IOSCO, विश्व के प्रतिभूति नियामकों (Securities Regulators) को एक मंच पर लाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, और इसे प्रतिभूति क्षेत्र के लिए एक वैश्विक मानक निर्धारणकर्ता के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन, प्रतिभूति विनियमन हेतु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों के अनुपालन, विकास, कार्यान्वयन और बढ़ावा देता है।
  • यह जी-20 और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (Financial Stability BoardFSB) के साथ प्रतिभूति बाजारों को मजबूत बनाने के लिए मानकों का निर्धारण करने में मिलकर काम करता है।

IOSCO के सदस्य:

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO) की स्थापना वर्ष 1983 में की गयी थी। इसके सदस्यों में 115 से अधिक अधिकार क्षेत्र सम्मिलित हैं और यह विश्व की 95% से अधिक प्रतिभूति बाजारों को विनियमित करता है। उभरते हुए बाजार में 75% प्रतिभूति नियामक IOSCO के सामान्य सदस्य है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. IFSCs क्या होते हैं?
  1. क्या IFSC को SEZ में स्थापित किया जा सकता है?
  2. भारत का पहला IFSC
  3. IFSC द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं?
  4. IFSC की सीमाएं
  5. IOSCO के बारे में

मेंस लिंक:

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSC)  के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

स्कॉटलैंड की आजादी हेतु जनमत संग्रह


(Scottish independence referendum)

संदर्भ:

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने हाल ही में सुझाव दिया है, कि स्कॉटलैंड को आजादी के लिए कम से कम वर्ष 2050 तक एक और जनमत संग्रह नहीं करना चाहिए।  ब्रिटिश प्रधानमंत्री के बयान ने एक प्रचलित विचार, ‘ब्रेक्सिट ने एक नए जनमत कराए जाने संबंधी मामले सशक्त किया है’, को ख़ारिज कर दिया है।

स्कॉटलैंड के लिए अंतिम जनमत संग्रह

स्कॉटलैंड की स्वतंत्रता के लिए अंतिम जनमत संग्रह वर्ष 2014 में आयोजित किया गया था। जिसमे स्कॉटलैंड ने ब्रिटेन में शामिल रहने के पक्ष में मतदान किया था।

स्कॉटलैंड और इंग्लैंड का एकीकरण

16 जनवरी, 1707 को स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के बीच एकीकरण हेतु एक अधिनियम पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह अधिनियम 1 मई, 1707 को लागू हुआ और इसके साथ ही यूनाइटेड किंगडम ऑफ ब्रिटेन का निर्माण हुआ। इसके बाद से स्कॉटिश संसद को भंग कर दिया गया और वेस्टमिंस्टर, लंदन में समूचे यूनाइटेड किंगडम के लिए एक संसद गठित की गई।

स्कॉटलैंड और इंग्लैंड का एकीकरण होने संबंधी कारण

स्कॉटलैंड और इंग्लैंड का जटिल इतिहास है, लेकिन इनके इनके एकीकरण का संक्षिप्त जवाब यह है कि तत्कालीन स्कॉटलैंड को आर्थिक प्रोत्साहन की अत्याधिक आवश्यकता थी। पनामा में एक व्यापारिक उपनिवेश स्थापित करने के असफल प्रयास के बाद स्कॉटलैंड की वित्तीय स्थिति गड़बड़ा गई। व्यापारिक उपनिवेश स्थापित करने संबंधी योजना की असफलता इस बात का निर्णायक प्रमाण थी कि स्कॉटलैंड की भविष्य में होने वाली समृद्धि इंग्लैंड के साथ एकीकरण करने पर ही संभव है।

स्कॉटलैंड की आजादी संबंधी प्रमुख मामला क्या है?

  • स्कॉटलैंड की आजादी का समर्थन करने वालों का मानना ​​है कि स्कॉटलैंड, इंग्लैंड से अलग होने पर अधिक समृद्ध होगा।
  • स्वतंत्रता के समर्थक चाहते हैं कि, संसाधनों के नियंत्रण और धन के निवेश संबंधी निर्णय स्कॉटलैंड द्वारा किये जाएँ।
  • इनका कहना है, कि, परमाणु हथियारों में अरबों पाउंड का निवेश करने के बजाय, स्कॉटलैंड बाल-कल्याण अथवा प्रतिभाओं को देश में रोकने एवं युवाओं को पलायन से रोकने के लिए कार्यक्रमों जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

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स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशिल्ड बनाम भारत बायोटेक की कोवाक्सिन वैक्सीन


संदर्भ:

एक हालिया महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, भारतीय औषधि महानियंत्रक (Drug Controller General of India– DCGI) द्वारा भारत में कोविड-19 के खिलाफ प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग हेतु सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक द्वारा निर्मित टीकों को औपचारिक रूप से मंजूरी प्रदान कर दी गयी है।

पृष्ठभूमि:

कोविशिल्ड (Covishield) और कोवाक्सिन (Covaxin), दोनों ही टीकों द्वारा तीसरे चरण का महत्वपूर्ण परीक्षण पूरा नहीं किया गया है। तीसरे चरण के परीक्षण के दौरान देश भर में विभिन्न स्थानों पर स्वयंसेवकों पर टीका-परीक्षण किया जाता है।

एक विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के आधार पर दोनों वैक्सीन के लिए अनुमोदन दिया गया है। इस समिति द्वारा वैक्सीन को अनुमति देने के संबंध में दो दिनों तक विचार-विमर्श किया गया था।

कोविशिल्ड के बारे में:

  • कोविशिल्ड (Covishield) वैक्सीन, एस्ट्राज़ेनेका (Astrazeneca) के सहयोग से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गयी है।
  • पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, कोविशिल्ड के लिए विनिर्माण और परीक्षण भागीदार है।
  • इस वैक्‍सीन में, आम सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेवार वायरस के कमजोर संस्करण पर आधारित ‘नॉन-रेप्लिकेटिंग चिंपांजी वायरल वेक्‍टर’ (Non-Replicating chimpanzee viral vector) का उपयोग किया गया है।
  • यह वायरस चिंपैंजी में संक्रमण का कारण बनता है और इसमें SARS-CoV-2 वायरस स्पाइक प्रोटीन से संबंधित आनुवंशिकीय पदार्थ होते हैं।

कोवाक्सिन के बारे में:

  • कोवाक्सिन (Covaxin) वैक्सीन भारत बायोटेक द्वारा विकसित की गई है और यह कोविड-19 की रोकथाम हेतु भारत में निर्मित पहला स्वदेशी टीका है।
  • भारत बायोटेक द्वारा इस वैक्सीन को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ (National Institute of Virology- NIV) के सहयोग से विकसित किया गया है।
  • यह एक निष्क्रिय (Inactivated) वैक्सीन है, जिसे बीमारी के कारक जीवित सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय करने (मारने) से विकसित किया जाता है।
  • यह टीका रोगज़नक़ की प्रतिकृति निर्माणक क्षमता को नष्ट कर देता है, लेकिन इसे विषाणु को नष्ट नहीं करता है जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इसे पहचान कर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है।

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सुरक्षा संबंधी सवाल?

हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा टीकों को अनुमति दिए जाने का स्वागत किया है, किंतु कई लोगों ने वैक्सीन और संबंधित सुरक्षा के बारे में चिंताएं व्यक्त की हैं। सर्वेक्षण में पाया गया है कि काफी भारतीयों को टीकाकरण कराने की जल्दी नहीं हैं। विशेषज्ञों का यह भी मानना ​​है कि टीका परीक्षणों के बारे में ज्यादा जानकारी प्रकाशित की जानी चाहिए।

भारत में ‘आपातकालीन उपयोग अधिकार’ (EUA) हासिल करने की प्रक्रिया

  • विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि भारत के औषधि विनियामकों में ‘आपातकालीन उपयोग अधिकार’ (EUA) संबधी कोई प्रावधान नहीं है, और इसे हासिल करने की कोई स्पष्ट तथा सुसंगत प्रकिया नहीं है।
  • इसके बावजूद, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा इस महामारी के दौरान कोविड-19 के ईलाज हेतु रेमेडिसिविर (Remdesivir) और फेविपिरवीर (favipiravir) के लिए आपातकालीन या प्रतिबंधित आपातकालीन अनुमति दी गयी है।

केवल ‘आपातकालीन उपयोग अधिकार’ प्राप्त उत्पादों के उपयोग संबंधी जोखिम

अमेरिकी एफडीए (FDA) के अनुसार, ऐसे उत्पादों के इस्तेमाल से पहले, जनता को यह सूचित किया जाना चाहिए कि, उत्पाद को मात्र ‘आपातकालीन उपयोग अधिकार’ (EUA) दिया गया है तथा इसे पूर्ण अनुमोदन प्राप्त नहीं है।

कोविड-19 वैक्सीन के मामले में, उदाहरण के लिए, लोगों को वैक्सीन के ज्ञात और संभावित लाभों और जोखिमों, तथा किस हद तक इसके लाभ या जोखिम अज्ञात है, के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जनता को ‘वैक्सीन के लिए मना करने संबंधी अधिकार’ के बारे में भी बताया जाना चाहिए।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. एंटीजन बनाम एंटीबॉडी।
  2. वैक्सीन किस प्रकार कार्य करती है?
  3. टीकों के प्रकार
  4. डीजीसीआई के बारे में
  5. भारत में वैक्सीन अनुमोदन के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-प्रतिरूपण निगरानी प्रणाली एवं सेवाएँ’ (ACROSS) योजना


(Atmosphere & Climate Research-Modelling Observing Systems & Services (ACROSS) scheme)

संदर्भ:

हाल ही में, ‘वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-प्रतिरूपण निगरानी प्रणाली एवं सेवाएँ / ‘एटमोस्‍फेयर एंड क्‍लाइमेट रिसर्च–मॉडलिंग आबर्जविंग सिस्‍टम्‍स एंड सर्विसेज’ (Atmosphere & Climate Research-Modelling Observing Systems & Services- ACROSS) योजना की पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा समीक्षा की गई।

ACROSS योजना:

  • ‘वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-प्रतिरूपण निगरानी प्रणाली एवं सेवाएँ’ (ACROSS) योजना, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के वायुमंडलीय विज्ञान कार्यक्रमों से संबंधित है।
  • इसके तहत, मौसम और जलवायु सेवाओं के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि चक्रवात, तूफानी लहरों, ग्रीष्म-लहरों, झंझावात आदि का समाधान किया जाता है।
  • मौसम और जलवायु संबंधित इन सभी पहलुओं में से प्रत्येक को एक छाता योजना “ACROSS” के तहत नौ उप-योजनाओं के रूप में शामिल किया गया है और चार संस्‍थानों के माध्‍यम से एकीकृत तरीके से कार्यान्वित किया जाता है।

इस योजना के लाभ:

  • यह योजना उन्‍नत मौसम जलवायु और महासागर के बारे में पूर्वानुमान और सेवाएं उपलब्‍ध कराएगी। इस प्रकार इससे सार्वजनिक मौसम सेवा आपदा प्रबंधन आदि विभिन्‍न सेवाओं के अनुरूप लाभों का हस्‍तांतरण सुनिश्चित होगा।
  • बड़ी संख्‍या में वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मियों के साथ-साथ आवश्‍यक प्रशासनिक सहायता हेतु जरूरतों के कारण रोजगार का सृजन होगा।
  • समस्त उपभोक्‍ताओं के लिए मौसम आधारित सेवाओं का सभी जगहों पर जुड़ाव सुनिश्चित करने हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के कृषि विज्ञान केंद्र, विश्‍वविद्यालय और स्‍थानीय नगर पालिकाएं जैसी एजेंसियां बड़ी संख्‍या में इसमें शामिल होंगी। इस प्रकार अनेक लोगों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्‍ध होंगे।

स्रोत: पीआईबी

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


मन्नथु पद्मनाभन

(Mannathu Padmanabhan)

मन्नथु पद्मनाभन, केरल में जन्मे एक प्रसिद्ध भारतीय समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे।

  • वह 2 जनवरी, 1878 से – 25 फरवरी, 1970 तक जीवित रहे।
  • उन्होंने अस्पृश्यता विरोधी आंदोलनों में भाग लिया और मंदिरों में सभी जातियों के प्रवेश की वकालत की।
  • इन्होंने वायोकॉम सत्याग्रह में भी भाग लिया।
  • इन्हें नायर सर्विस सोसायटी (NSS) की स्थापना के लिए भी जाना जाता है।

चर्चा का कारण: श्री मन्नथु पद्मनाभन जयंती।


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