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सामान्य अध्ययन – 1
विषय: विश्व भर में प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया एवं भारतीय उप-महाद्वीप सहित)।
1. भारत में प्रमुख अधात्विक खनिजों के वितरण की व्याख्या कीजिए। खनन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने, उत्पादन बढ़ाने एवं उत्तरदायी एवं धारणीय खनन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: NCERT कक्षा – XII: भारत के लोग एवं अर्थव्यवस्था
निर्देशक शब्द:
व्याख्या कीजिये- प्रश्न में पूछी गई जानकारी को सरल भाषा में व्यक्त कीजिये।
आलोचनात्मकविश्लेषणकीजिये- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।
उत्तरकीसंरचना:
परिचय:
भारत में अधात्विक खनिजों और उनके महत्व के बारे में उल्लेख करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषयवस्तु:
एक स्वच्छ मानचित्र की सहायता से प्रमुख अधात्विक खनिजों जैसे अभ्रक, चूना पत्थर, डोलोमाइट, एस्बेस्टस, मैग्नेसाइट, जिप्सम एवं केनाइट आदि के वितरण पर प्रकाश डालिए।
नवीनतम राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 के बारे में उल्लेख कीजिए एवं इसका उद्देश्य जैसे- विकास को बढ़ावा देना; भारत के खनिज क्षेत्र में सुधार करना, जो निरंतर आर्थिक विकास को उत्प्रेरित कर सकता है; खनिज सुरक्षा और विकास को प्राप्त करना ताकि खनन क्षेत्र के सतत विकास के साथ विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी निवेश व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
नवीनतम राष्ट्रीय खनिज नीति में सात वर्षों में खनिज उत्पादन 200 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। यह सात वर्षों में खनिज क्षेत्र के व्यापार घाटे को 50 प्रतिशत तक कम करने की भी बात करती है। नीति की सकारात्मकता पर प्रकाश डालिए।
भारत के खनन क्षेत्र के समक्ष उपस्थित अनेक चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: विश्व के विभिन्न भागों (भारत सहित) में प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों के स्थानों के लिए उत्तरदायी कारक।
2. आर्थिक वृद्धि के चालक के रूप में संकुलन उद्योगों (agglomeration industries) को साहित्य में विश्लेषित किया गया है, क्योंकि ये उत्पादकता बढ़ाने में योगदान देते हैं। फर्मों के संकुलन के कारणों पर विस्तृत चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: NCERT कक्षा – XII: भारत के लोग एवं अर्थव्यवस्था
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
संकुलन उद्योगों (agglomeration industries) को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए। भारत में संकुलन उद्योगों (agglomeration industries) के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए, जैसे- सूरत का हीरा उद्योग, नामक्कल का परिवहन उद्योग आदि।
विषय वस्तु:
आर्थिक विकास के चालकों के रूप में संकुलन उद्योगों (agglomeration industries) पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
संकुलन उद्योगों (agglomeration industries) के लिए उत्तरदायी कारकों पर विस्तार से चर्चा कीजिए। भारत और विश्व भर के उदाहरणों के साथ उपरोक्त की पुष्टि कीजिए।
निष्कर्ष:
संकुलन उद्योगों (agglomeration industries) के समग्र महत्व, विशेष रूप से शहरीकरण में उनकी भूमिका को संक्षेप में समझाइए एवं निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 2
विषय: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं।
3. इन अपूर्व समयों के सन्दर्भ में लोकतंत्र की वास्तविक परीक्षा मुक्त, निष्पक्ष एवं सुरक्षित निर्वाचन में निहित है। विस्तार से समझाइए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
समझाइये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
इस सन्दर्भ को समझाते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए कि विश्व भर के नागरिकों ने महामारी के होते हुए भी यूएएसए, दक्षिण कोरिया और भारत आदि देशों में संपन्न चुनावों में मतदान किया।
विषय वस्तु:
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
चुनावों में मतदान निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए विश्व भर के देशों ने सुरक्षा उपायों और कुछ अद्वितीय उपायों को कैसे अपनाया? चर्चा कीजिए।
समझाइए कि कैसे महामारी के कारण चुनावों को स्थगित करना लोकतान्त्रिक रूप से प्रतिगामी होगा।
2021 में भारत और विश्व को स्वतंत्र, निष्पक्ष और सुरक्षित चुनाव कराने के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाने चाहिए, सुझाव दीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि वर्तमान स्थिति जारी रह सकती है एवं नवीन उत्परिवर्तित वायरस के आगमन से संभावित रूप से जोखिम बढ़ सकता है लेकिन पर्याप्त सावधानी और सुरक्षा उपायों के साथ लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए अभ्यास किये जाने चाहिए।
सामान्य अध्ययन – 3
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
4. सामाजिक वाणिज्य को परिभाषित कीजिए। भारत के वाणिज्यिक पारिस्थितिकी तंत्र में अवसरों एवं चुनौतियों के संबंध में इसकी संभावनाओं का आकलन कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Live Mint
निर्देशक शब्द:
आकलन कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के सर्वकालिक और तात्कालिक दोनों महत्त्व को स्पष्ट करते हुए उसकी सारगर्भित उपयोगिता बताइये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सामाजिक वाणिज्य को परिभाषित कीजिए एवं इसकी विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
विषय वस्तु:
सामाजिक वाणिज्य के कुछ उदाहरणों के साथ सामाजिक वाणिज्य की ओर बढ़ते रुझान पर प्रकाश डालिए।
भारत में सामाजिक वाणिज्य के लिए बढ़ते दायरे का उल्लेख कीजिए।
सामाजिक वाणिज्य में आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
चुनौतियों को कम करने और भारत में सामाजिक वाणिज्य की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
5. पूर्वप्रभावी करों के दीर्घकालीन अध्याय, जिससे निवेश गंतव्य के रूप में भारत की प्रतिष्ठा में क्षति पंहुची, को बंद करने का अवसर आ गया है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: : Business Standard , The Hindu
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारत में पूर्वप्रभावी करों और इनकी उत्पत्ति को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत में पूर्वप्रभावी कराधान की आवश्यकता को समझाइए। वोडाफोन एवं केयर्न्स मामले के बारे में चर्चा कीजिए।
पूर्वप्रभावी कराधान सहायक होने से अधिक हानिकारक कैसे सिद्ध हुआ है? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
पूर्वप्रभावी कर की समाप्ति से उत्पन्न होने वाले अवसरों पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
मध्यस्थों के फैसले का सम्मान करने की भारत की आवश्यकता को रेखांकित कीजिए और निष्कर्ष निकालिए कि भारत को अपील का सहारा न लेते हुए वास्तव में “विवाद से विश्वास” प्राप्त करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।
सामान्य अध्ययन – 4
विषय: नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में विधि, नियम, विनियम एवं विवेक।
6. जब नैतिकता किसी विधि के अनुरूप नहीं होती है, तो क्या लागू होना चाहिए- नैतिक सिद्धांत अथवा विधि? (150 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, अखंडता और योग्यता: लेक्सिकन प्रकाशन।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
नैतिकता एवं विधि के मध्य संबंधों का उल्लेख करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि विधि एवं नैतिकता के बीच संबंध की लोकप्रिय अवधारणा यह है कि विधि की उपस्थिति नैतिकता को बढ़ावा देने एवं उन परिस्थितियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से ही है, जो नैतिक जीवन को संभव बनाते हैं।
संघर्ष के कारणों के बारे में बताइये। संघर्ष का प्रमुख कारण यह है कि नैतिकता सदैव सही और गलत अथवा मानव स्वाभाव के अनुसार स्वीकार्य एवं अस्वीकार्य होने का एहसास कराती है। विधि आज्ञाकारिता को एक अनिवार्यता के रूप में सही या गलत की समझ से बाहर रखती है। उपर्युक्त को उदाहरणों के साथ समझाइए।
निष्कर्ष:
यह रेखांकित करते हुए निष्कर्ष निकालिए कि नैतिकता विधि के लिए नींव, पूर्व-स्थिति का निर्माण करती है।
विषय: केस स्टडी।
7. मुख्य परियोजना अधिकारी के रूप में आपको मालगुडी के आसपास के क्षेत्र में हाल ही में बाढ़ के कारण ध्वस्त हुए पुल के पुन: निर्माण के लिए एक आपातकालीन अनुदान दिया गया है। यद्यपि यह आपके लिए एक छोटी सी परियोजना है लेकिन यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मालगुडी के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के निकास एवं प्रवेश का एकमात्र रास्ता है।
पुल ढहने के बाद मालगुडी के लोग रोजगार, अस्पतालों और शैक्षिक संस्थानों आदि तक पहुंचने के लिए नदी पार करने के लिए मजबूर हैं, जो कि एक असुरक्षित माध्यम है।
आपके वरिष्ठ अधिकारियों से प्राप्त निर्देश के अनुसार परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के साथ-साथ उच्चतम स्तर की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करना है ताकि मौसम की विपरीत स्थितियों के बावजूद पुल लंबे समय तक मजबूत बना रहे।
चूंकि यह एक छोटा प्रोजेक्ट है, इसलिए आपको इसे केवल एक इंजीनियर को सौंपना होगा। आपके अधीन कार्यरत अधिकांश इंजीनियर अन्य प्रमुख परियोजनाओं में व्यस्त हैं और आपके पास केवल दो इंजीनियर हैं, जिन पर कार्य का अपेक्षाकृत कम बोझ है – श्री स्वामी एवं श्री राजम। दोनों के कार्य की गुणवत्ता समान है। श्री स्वामी को विभाग में ईमानदारी एवं न्याय-निष्ठा के लिए जाना जाता है, लेकिन उनकी दक्षता कम है। वे अतीत में कई बार समय- सीमा का उल्लंघन कर चुके हैं। दूसरी ओर, श्री राजम एक उच्च कुशल कर्मचारी हैं और समय पर उच्च गुणवत्ता वाले काम करने के लिए जाने जाते हैं लेकिन अतीत में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कुछ आरोप थे और अनेक लोगों ने ठेकेदारों के साथ उनकी सांठगांठ के खिलाफ शिकायत की है।
जल्द से जल्द पुल के निर्माण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आप इस परियोजना के लिए इंजीनियर के रूप में किसे नियुक्त करेंगे? (250 शब्द)
उत्तर की संरचना:
परिचय:
एक प्रभावी लेकिन बेईमान व्यक्ति अथवा एक ईमानदार लेकिन अप्रभावी व्यक्ति के बीच चयन करने का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
उपरोक्त मामला अध्ययन के प्रमुख हितधारकों एवं प्रमुख नैतिक दुविधाओं को प्रस्तुत कीजिए।
श्री राजम के मामले का विश्लेषण कीजिए, जो अत्यधिक उत्पादक हैं लेकिन उनकी ईमानदारी संदिग्ध है। मालगुडी पुल परियोजना के प्रभारी के रूप में श्री राजम को नियुक्त करने के अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक दोनों प्रकार के परिणामों पर प्रकाश डालिए।
फिर श्री स्वामी के मामले का विश्लेषण कीजिए, जो अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कुशल नहीं हैं और अतीत में कार्य की समय-सीमा का उल्लंघन भी कर चुके हैं।मालगुडी पुल परियोजना के प्रभारी के रूप में श्री स्वामी को नियुक्त करने के अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक दोनों प्रकार के परिणामों पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
नैतिक तार्किकता के साथ इसका पालन कीजिए और निष्कर्ष निकालिए कि नैतिकता के उच्च मानकों वाले व्यक्ति को चुनना हमेशा बेहतर होता है क्योंकि प्रशिक्षण और निगरानी से दक्षता बेहतर हो सकती है। दूसरी ओर ईमानदारी, इतनी आसानी से नहीं सिखायी जा सकती है।
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