विषय – सूची
सामान्य अध्ययन-I
1. खुदीराम बोस
सामान्य अध्ययन-II
1. सेंटिनल द्वीप पर किसी भी प्रकार के दोहन से आदिवासियों के असितत्व पर संकट
2. यूनाइटेड किंगडम की ‘अधिक संक्रामक’ कोविड-19 उपजाति में तीव्र प्रसरण क्षमता
3. भारत और अमेरिका द्वारा अधूरे कार्यों को पूरा करने पर विचार
सामान्य अध्ययन-III
1. कर्नाटक सरकार द्वारा पॉन्जी मामलों की स्थिति का संकलन करने हेतु क्षेत्रीय आयुक्त की नियुक्ति
2. भारत द्वारा ज्यादा राष्ट्रों को तटीय रडार नेटवर्क में लाने का प्रयास
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. तेलंगाना में बंदरों के लिए पहला बचाव और पुनर्वास केंद्र
2. हिमालयन ट्रिलियम
3. ONGC द्वारा बंगाल बेसिन में उत्पादन की शुरूआत
सामान्य अध्ययन- I
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।
खुदीराम बोस
(Khudiram Bose)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी खुदीराम बोस के पैतृक गांव का दौरा किया था।
खुदीराम बोस और उनसे संबंधित घटनाएं
- वर्ष 1889 में जन्मे, खुदीराम बोस को उनकी वीरता और निडरता के लिए बंगाल में अत्याधिक सम्मान दिया जाता है।
- हालांकि, सुभाष चंद्र बोस जैसे अन्य राष्ट्रव्यापी नेताओं के विपरीत, खुदीराम की विरासत काफी हद तक बंगाल तक ही सीमित रही है।
- वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के दौरान उन्होंने सक्रिय रूप से अंग्रेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।
- मात्र 15 वर्ष की आयु में खुदीराम बोस अनुशीलन समिति में शामिल हो गए। अनुशीलन समिति, 20 वीं सदी में बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली प्रारंभिक संस्था थी।
- वर्ष 1908 में उन्हें एक अन्य क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी के साथ मुजफ्फरपुर के जिला मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या का काम सौंपा गया। यह बोस के जीवन का निर्णायक क्षण था।
प्रीलिम्स लिंक:
- खुदीराम बोस कौन थे?
- प्रफुल्ल चाकी कौन थे?
- अनुशीलन समिति के बारे में।
- मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या क्यों की गई?
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सामान्य अध्ययन- II
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
सेंटिनल द्वीप पर किसी भी प्रकार के दोहन से आदिवासियों के असितत्व पर संकट
संदर्भ:
भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण (Anthropological Survey of India) के नीतिगत दस्तावेजों में इस द्वीप पर किसी भी वाणिज्यिक कार्यवाही से संकटग्रस्त समूह को खतरा होने की चेतावनी दी गयी है।
- ये नीतिगत दस्तावेज, अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाउ की द्वीप पर सेंटिनलिज आदिवासियों द्वारा कथित हत्या के लगभग दो साल बाद जारी किए गए हैं।
- सेंटिनलिज जनजाति, सेंटिनल द्वीप पर निवास करने वाली सर्वाधिक एकांतिक जनजातीय समूह है, जिसे ‘विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह’ (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTG) का दर्जा दिया गया है।
प्रमुख अवलोकन:
- वाणिज्यिक और सामरिक लाभ के उद्देश्य से अंडमान के उत्तरी सेंटिनल द्वीप में किसी प्रकार का दोहन यहाँ के निवासियों किए लिए मौत की घंटी साबित होगा।
- यहाँ के ‘निवासियों के द्वीप पर अधिकार अपरक्राम्य (Non-Negotiable)’ हैं।
- सेंटिनलिज जनजातियों पर एक जानकारी-कोष (Knowledge Bank) तैयार किया जाए।
- चूँकि, इस जनजाति समुदाय का ‘स्थानिक अध्ययन’ (on-the-spot study) संभव नहीं है, अतः मानवविज्ञानियों द्वारा ‘इनकी संस्कृति का दूर से अध्ययन’ का सुझाव दिया गया है।
‘सेंटिनलिज’ कौन हैं?
उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर सेंटिनलिज (Sentinelese) जनजाति की आबादी मात्र 50 से 100 तक है। यह समुदाय, पूरे देश में पाए जाने वाले 70 ‘विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों’ (PVTG) में सबसे अलग-थलग है और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाए जाने वाले पांच जनजातीय समूहों, ग्रेट अंडमानीज, ओंगे, जारवा और शोम्पेंस में से एक है।
सेंटिनलिज की सुरक्षा हेतु उठाए गए कदम:
- उत्तरी सेंटिनल द्वीप के सागर तट पर उच्चतम जल सीमा से 5 किमी तक के क्षेत्र को जनजाति अभ्यारण्य (Tribal Reserve) के रूप में अधिसूचित किया गया है।
- सरकार द्वारा इनकी जीवन शैली के तरीकों का सम्मान किया जाता है, और सेंटिनलिज जनजाति की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु ‘देखो किंतु छेड़ो मत’ (eyes-on and hands-off) प्रक्रिया को अपनाया गया है।
- उत्तरी सेंटिनल द्वीप के चारो और नौपरिसंचलन हेतु एक प्रोटोकॉल अधिसूचित किया गया है। द्वीप पर निगरानी रखने के लिए तटरक्षक बल के जहाज और हवाई जहाज तथा समुद्रीय पुलिस की नावें संक्षिप्त-भ्रमण करती रहते हैं।
इनके संरक्षण हेतु प्रावधान:
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (आदिवासी जनजातियों का संरक्षण) विनियमन, 1956
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989
- विदेशी (प्रतिबंधित क्षेत्र) आदेश, 1963 के तहत प्रतिबंध
- वीजा नियम शर्तें/ पासपोर्ट अधिनियम 1920,
- भारतीय वन अधिनियम, 1927 और
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
इन्हें ‘अतिसंवेदनशील’ क्यों माना जाता है?
- ऐसा कहा जाता है कि इस जनजाति द्वारा 60,000 से अधिक सालों कोई विकास नहीं किया गया है, और ये अभी तक भोजन के लिए मछली और नारियल पर निर्भर रहते हुए आदिम जीवन जीते हैं।
- चूंकि, इनका बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं कोई संपर्क नहीं है, अतः यह रोगाणु के प्रति ‘अतिसंवेदनशील’ (vulnerable) होते हैं। यहां तक कि, किसी पर्यटक द्वारा सामान्य फ्लू वायरस के फैलने से पूरी जनजाति तक नष्ट हो सकती है।
- वर्ष 1960 के दशक से, इस जनजाति तक पहुंचने के लिए काफी प्रयास किये गए हैं, लेकिन सभी प्रयास काफी हद तक विफल रहे हैं। यह जनजाति बार-बार आक्रामक रूप से स्पष्ट करती रहती है, कि इन्हें अलग-थलग रहने दिया जाए।
प्रीलिम्स लिंक:
- पीवीटीजी कौन हैं?
- सेंटिनलिज कौन हैं?
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पीवीटीजी समुदाय।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का अवलोकन।
मेंस लिंक:
‘विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों’ (PVTG) का संरक्षण और विकास किस प्रकार सुनिश्चित किया जा सकता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
यूनाइटेड किंगडम की ‘अधिक संक्रामक‘ कोविड-19 उपजाति में तीव्र प्रसरण क्षमता
संदर्भ:
हाल ही में, यूनाइटेड किंगडम में कोविड-19 की एक नई उपजाति की खोज की गई है जोकि देश में संक्रमण मामलों की संख्या में तीव्र वृद्धि का कारण हो सकती है।
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के पहले प्रकार की तुलना में, इस नई उपजाति की प्रसरण क्षमता काफी अधिक है।
विषाणु- उत्परिवर्तन के कारण
उत्परिवर्तन / म्यूटेशन (Mutation) का तात्पर्य यहाँ पर ‘अंतर’ से होता है: जीनोम की बनावट में परिवर्तन।
- वायरस में होने वाला उत्परिवर्तन (Mutation), इसके का एक स्वाभाविक भाग होता है।
- लाखों लोगों के संक्रमित हो जाने के पश्चात वायरस पर विकसित होने का दबाव बढ़ जाता है।
कोविड-19 की उत्परिवर्ती उपजाति
कोविड-19 की इस नई उत्परिवर्ती उपजाति का नाम VUI-202012/01 (पहला ‘वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन’, दिसंबर 2020) रखा गया है और इसे 17 परिवर्तनों या उत्परिवर्तनों (Mutations) के समूह द्वारा परिभाषित किया गया है।
13 दिसंबर तक मुख्यतः दक्षिणी और पूर्वी इंग्लैंड में संक्रमित मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है और इस नयी उपजाति के कुल 1,108 मामले दर्ज किये जा चुके हैं।
कोविड-19 ‘उत्परिवर्ती उपजाति’ कितनी हानिकारक है?
- इस नई ‘उत्परिवर्ती उपजाति’ के जीनोम में लगभग 17 परिवर्तन देखे गए हैं, जोकि काफी बड़ा परिवर्तन है। इन परिवर्तनों के कारण, इस वायरस की संक्रामकता में भी बदलाव हुआ है और इसकी संक्रामकता पहले प्रकार की तुलना में 70% अधिक है।
- काफी संभावना है कि ये नई उपजाति अभी तक इंग्लैंड में ही सीमित है क्योंकि यूरोप के अन्य हिस्सों में अभी इसके मामले नहीं देखे गए हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- कोविड-19 क्या है?
- उत्परिवर्तन क्या है?
- mRNA क्या है?
- RTPCR टेस्ट क्या है?
मेंस लिंक:
कोविद- 19 वायरस के उत्परिवर्तन से संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
भारत और अमेरिका द्वारा अधूरे कार्यों को पूरा करने पर विचार
संदर्भ:
अमेरिका में ट्रम्प कार्यकाल की समाप्ति हो रही है तथा भारत और अमेरिका के बीच, व्यापर समझौते, प्रतिबंध, परमाणु उर्जा आदि से संबंधित प्रक्रियाएं अधर में लटके हुई हैं।
अधूरी प्रक्रियाओं में शामिल हैं:
- रूस अथवा चीन से हथियार खरीदने पर ‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम‘ (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act– CAATSA) से कोई व्यापक उन्मुक्ति नहीं।
- भारत के ‘सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली‘ (Generalised System of Preferences-GSP) दर्जे को रद्द करने संबंधी निर्णय को उलटने में विफलता।
- आंध्र प्रदेश में छह रिएक्टर बनाने के संबंध में अमेरिका स्थित वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) के मध्य लगभग एक दशक पुराने समझौता-ज्ञापन (MoU) हेतु वाणिज्यिक अनुबंध को अंतिम रूप दिया जाना शेष है।
अब तक की उपलब्धियां:
- रक्षा साझेदारी, सैन्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले चार मूलभूत रक्षा संबंधी समझौतों- GSOMIA, LEMOA, COMCASA और BECA– पर हस्ताक्षर किए गए।
- भारतीय नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जारी गतिरोध के दौरान खुफिया जानकारी साझाकरण और त्वरित खरीद के लिए अमेरिका द्वारा भारत को सामरिक व्यापार अधिकार (Strategic Trade Authorisation: STA-1) प्रदान किये गए।
- ‘क्वाड’ समझौता का सशक्तीकरण।
‘सामान्यीकृत अधिमानी प्रणाली‘ (GSP) क्या है?
- यह संयुक्त राज्य अमेरिका का एक व्यापार कार्यक्रम है, जिसके तहत विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने हेतु 129 निर्दिष्ट लाभार्थी देशों और राज्य-क्षेत्रों के 4,800 उत्पादों को वरीयता देते हुए शुल्क मुक्त प्रवेश की अनुमति प्रदान की जाती है
- ‘सामान्यीकृत अधिमानी प्रणाली’ (GSP) की स्थापना 1 जनवरी, 1976 को व्यापार अधिनियम, 1974 (Trade Act of 1974) के द्वारा की गई थी।
- GSP दर्जा गैर- व्युत्क्रमिक (non-reciprocal) आधार पर प्रदान किया जाता है। फिर भी अमेरिका इसे बाजार तक पहुंच और टैरिफ में कमी के साथ जोड़ता है, जो कि जीएसपी के मूल सिद्धांतों के विपरीत है।
भारत के GSP व्यापार विशेषाधिकार कब समाप्त किये गए थे?
- जून 2019 में निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा भारत के ‘सामान्यीकृत अधिमानी प्रणाली’ व्यापार विशेषाधिकार (GSP व्यापार विशेषाधिकार) को समाप्त कर दिया गया था। भारत द्वारा इसकी बहाली के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
GSP के लाभ
- भारतीय निर्यातकों को अप्रत्यक्ष लाभ – निर्दिष्ट उत्पादों पर निम्न शुल्क दर अथवा शुल्क मुक्त प्रवेश से आयातक को होने वाले लाभ से भारतीय निर्यातकों को अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होता है।
- भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क में कमी अथवा छूट से आयातक के लिए ये उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाते है। क्योंकि अन्य देशों से सामान उत्पाद लेने पर आयातकों को अधिक कर चुकाना पड़ता है।
- इस टैरिफ वरीयता से नए निर्यातकों को बाजार में प्रवेश करने और स्थापित निर्यातकों को बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने और GSP प्रदाता देश में लाभांश सुधार करने में सहायता मिलती है।
प्रीलिम्स लिंक:
- जीएसपी के बारे में
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले देश
- भारत के GSP व्यापार विशेषाधिकार कब समाप्त किये गए थे?
- कार्यक्रम के तहत लाभ
- क्वाड क्या है?
- चार मूलभूत समझौते।
मेंस लिंक:
भारत के लिए ‘सामान्यीकृत अधिमानी प्रणाली’ (GSP) व्यापार विशेषाधिकार के क्या लाभ हैं? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।
कर्नाटक सरकार द्वारा पॉन्जी मामलों की स्थिति का संकलन करने हेतु क्षेत्रीय आयुक्त की नियुक्ति
संदर्भ:
वित्तीय कंपनियों द्वारा चलाई जा रही पॉन्जी योजनाओं (Ponzi schemes) में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने हेतु राज्य सरकार ने इन कंपनियों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की निगरानी और सभी मामलों की स्थिति को संकलित करने के लिए बेंगलुरु क्षेत्रीय आयुक्त की नियुक्ति की है। क्षेत्रीय आयुक्त राज्य में दायर किये गए मामलों का संकलन करके जिला प्रशासन के साथ समन्वय करेंगे।
पृष्ठभूमि:
कर्नाटक सरकार द्वारा यह आदेश आरबीआई द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत जारी किया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा राज्य में 118 वित्त कंपनियों को चिह्नित किया गया है और आरबीआई ने इनके खिलाफ निम्नलिखित प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने की मांग की है:
- कर्नाटक वित्तीय संस्थानों में जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2004 (The Karnataka Protection of Interest of Depositors in Financial Establishment Act, 2004)।
- अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 (Banning of Unregulated Deposit Scheme Act), 2019
आवश्यकता:
पॉन्जी स्कीम चलाने वाली वित्त कंपनियों द्वारा निवेशकों को पूरी तरह से धोखा दिया जा सकता है। यदि इन कंपनियों की चल और अचल संपत्तियां संलग्न नहीं होती हैं, तो इस बात की पूरी संभावना होती है कि इन कंपनियों द्वारा अपनी संपत्तियों को बेचने के बाद निवेशकों के हितों की रक्षा नहीं की जा सकती।
पॉन्ज़ी योजना:
- पॉन्ज़ी योजनाएं निवेशकों को लुभाने वाली धोखाधड़ी का एक रूप होती है, इन योजनाओं में नए निवेशकों से पैसा लेकर पुराने निवेशकों को लाभ दिया जाता है।
- ये योजनाएं, शिकार व्यक्तियों को यह विश्वास दिलाती है, कि उनके लिए प्राप्त होने वाला लाभ उत्पादों की बिक्री अथवा अन्य माध्यमों से आ रहा है, जबकि ये इस बात से बिल्कुल अनभिज्ञ होते हैं, कि इनके लाभ का स्रोत नए निवेशक हैं।
- इन योजनाओं का नामकरण चार्ल्स पॉन्ज़ी के नाम पर किया गया है, जो 1920 के दशक में इस तरकीब का उपयोग करने के लिए कुख्यात था।
‘अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम’, 2019 के महत्वपूर्ण प्रावधान:
- स्थायी प्रतिबंध अनुच्छेद: इसके तहत जमा स्वीकार करने वालों (Deposit Takers) को प्रचार करने, परिचालन करने, विज्ञापन जारी करने तथा किसी भी अनियमित जमा योजना में जमा स्वीकार करने को प्रतिबंधित किया गया है।
- तीन विभिन्न प्रकार के अपराध का वर्गीकरण, अर्थात अनियमित जमा योजनाओं को चलाना, विनियमित जमा योजनाओं में धोखाधड़ी और अनियमित जमा योजनाओं के संबंध में गलत तरीके से प्रलोभन।
- निवारक के रूप में कठोर सजा और भारी आर्थिक जुर्माना।
- इस प्रकार की योजनाओं में गैरकानूनी तरीके से जमाओं की वृद्धि करने पर जमा राशि के पुनर्भुगतान का प्रावधान।
- सक्षम प्राधिकारियों द्वारा संपत्तियों /परिसंपत्तियों की कुर्की और जमाकर्ताओं को वापस भुगतान करने हेतु राशि को जुटाना।
- देश में जमा स्वीकार करने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र करने और साझा करने के लिए एक ऑनलाइन केंद्रीय डेटाबेस का निर्माण।
प्रीलिम्स लिंक:
- पॉन्जी स्कीम क्या होती हैं?
- इन्हें किस प्रकार विनियमित किया जाता है?
- आरबीआई की भूमिका।
- ‘अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम’, 2019 के महत्वपूर्ण प्रावधान।
मेंस लिंक:
‘अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम’ की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध।
भारत द्वारा ज्यादा राष्ट्रों को तटीय रडार नेटवर्क में लाने का प्रयास
संदर्भ:
भारत द्वारा निम्नलिखित उपक्रमों के विस्तार की योजना बनाई जा रही है:
- खुले सागरों में खतरों की समयोचित निगरानी करने में सक्षम तटीय राडार श्रृंखला नेटवर्क का विस्तार।
- हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों में क्षमता निर्माण के लिए सहायता।
इस संबंध में भारत द्वारा पिछले और भविष्य में किये जाने वाले प्रयास:
- मॉरीशस, सेशेल्स और श्रीलंका को पहले ही देश के तटीय रडार श्रृंखला नेटवर्क में एकीकृत किया जा चुका है।
- मालदीव, म्यांमार और बांग्लादेश में तटीय राडार स्टेशन स्थापित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
भारत में सागरीय डेटा संलयन- संस्थागत और संरचनात्मक प्रयास:
- भारतीय नौसेना का सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (Information Management and Analysis Centre– IMAC) सागरीय डेटा संलयन के लिए नोडल एजेंसी है। गुरुग्राम में स्थित, IMAC की स्थापना 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद की गयी थी।
- खुले सागरों में यातायात से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान के भाग के रूप में, सरकार द्वारा नौसेना को 36 देशों और तीन बहुपक्षीय संगठनों के साथ ‘व्हाइट शिपिंग समझौते’ (white shipping agreements) करने के लिए अधिकृत किया गया है। अब तक 22 देशों और एक बहुपक्षीय संगठन के साथ समझौते संपन्न किए जा चुके हैं।
- समुद्री क्षेत्र में जागरूकता को बढ़ावा देने वाले ‘हिंद महासागर क्षेत्र’ हेतु सूचना संलयन केंद्र (Information Fusion Centre for Indian Ocean Region: IFC-IOR) में शीघ्र ही तीन अन्य अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारियों (International Liaison Officers– ILO) के शामिल होने की उम्मीद है। फ्रांस, जापान और अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारी (ILO) IFC-IOR में शामिल हो चुके हैं।
- तटीय राडार श्रृंखला नेटवर्क के पहले चरण में, देश के समुद्र तटों पर 46 तटीय राडार स्टेशन स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में जारी परियोजना के दूसरे चरण के तहत, तटरक्षक सेना द्वारा 38 स्थैतिक रडार स्टेशन और चार मोबाइल रडार स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं और पूरा होने के अंतिम चरण में हैं।
हिंद महासागर क्षेत्र हेतु सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR)
IFC-IOR को भारतीय नौसेना द्वारा दिसंबर 2018 को हरियाणा के गुरुग्राम में सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (IMAC) में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य हिन्द महासागर क्षेत्र में विभिन्न देशों के साथ समुद्री सुरक्षा के लिए कार्य करना है।
प्रीलिम्स लिंक:
- हिंद महासागर आयोग (IOC) क्या है?
- इसकी स्थापना कब और कैसे हुई?
- सदस्य और पर्यवेक्षक कौन हैं?
- फ्रांस इसमें किस प्रकार शामिल है?
- IFC- IOR क्या है?
- RMIFC क्या है?
- EMASOH की स्थापना किसने की?
- फारस की खाड़ी तथा होर्मुज़ जलडमरूमध्य की अवस्थिति
मेंस लिंक:
हिंद महासागर आयोग में पर्यवेक्षक की स्थिति भारत को अपने रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित करने में किस प्रकार सहायक होगी? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
तेलंगाना में बंदरों के लिए पहला बचाव और पुनर्वास केंद्र
- हाल ही में, तेलंगाना में निर्मल जिले के चिंचोली गाँव के पास गाँधी रमन्ना हरितवनम में बंदरों के लिए पहले बचाव और पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन किया गया है।
- यह देश में प्राइमेट्स के लिए दूसरी ऐसी सुविधा है। इस प्रकार का पहला केंद्र हिमाचल प्रदेश में स्थापित किया गया था।
- मानव बस्तियों में उधम मचाने वाले बंदरों को चरणबद्ध तरीके से पकड़ा जाएगा और उन्हें पुनर्वसन केंद्र में लाया जाएगा जहां जन्म नियंत्रण के लिए इनका ऑपरेशन किया जाएगा और पुनर्वसन अवधि पूरी होने के बाद जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।
हिमालयन ट्रिलियम
(Himalayan trillium)
- हाल ही में, हिमालय में पायी जाने वाली एक आम जड़ी बूटी, हिमालयन ट्रिलियम को आईसीयूएन (IUCN) द्वारा ‘संकटग्रस्त’ (endangered) घोषित किया गया है।
- यह जड़ी-बूटी मानवों के लिए विभिन्न रूपों में उपयोगी है, अतः इसका अत्याधिक दोहन किया जाता है।
- यह 2400 मीटर से 4000 मीटर की ऊँचाई पर हिमालय के समशीतोष्ण और उप-अल्पाइन क्षेत्र में उगती है।
- यह बूटी भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान में पायी जाती है।
ONGC द्वारा बंगाल बेसिन में उत्पादन की शुरूआत
- तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) लिमिटेड द्वारा हाल ही में, 24 परगना जिले में स्थित बंगाल बेसिन के असोकनगर –1 कुएं से कच्चे तेल का उत्पादन शुरू किया गया है।
- इसके साथ ही बंगाल बेसिन भारत का तेल एवं गैस का उत्पादन करने वाला आठवां बेसिन बन गया है। अन्य उत्पादक बेसिन, कृष्णा-गोदावरी (KG), मुंबई ऑफशोर, असम शेल्फ, राजस्थान, कावेरी, असम-अराकान फोल्ड बेल्ट और काम्बे हैं।
- भारत में 26 अवसादी बेसिन हैं, जो कुल 4 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत हैं। इनमें से 16 स्थलीय बेसिन हैं, 7 बेसिन स्थलीय और सागरीय क्षेत्रों, दोनों में अवस्थित हैं और तीन पूर्णतयः अपतटीय बेसिन हैं।