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सामान्य अध्ययन – 1
विषय: विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएं।
1. भारत में जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तार से वर्णन कीजिए। भारत में शीत ऋतु में बोई जाने वाली फसलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: भूगोल NCERT – कक्षा XI: भारत भौतिक पर्यावरण
निर्देशक शब्द:
वर्णन कीजिये- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
स्पष्ट कीजिये- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारतीय जलवायु की महत्वपूर्ण और सुपरिभाषित विशेषताओं जैसे तापमान, वर्षा एवं मौसम आदि का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
उत्तर के पहले भाग की मुख्य मांग के अनुसार उन कारकों का उल्लेख कीजिए, जो भारतीय जलवायु को प्रभावित करते हैं। कारक जैसे कि स्थान, समुद्र से दूरी, हिमालय का प्रभाव, मानसून, चक्रवात आदि का उल्लेख कीजिए। उपयुक्त उदाहरणों के साथ उपरोक्त को स्पष्ट कीजिए।
कुछ उदाहरणों के साथ सर्दियों में भारत में बोई जाने वाली फसलों (रबी) के बारे में चर्चा कीजिए। कृषि, खाद्य सुरक्षा, फसल विविधता, पोषण और किसानों की आय आदि में इसके महत्व को रेखांकित कीजिए।
निष्कर्ष:
भारत में सर्दियों की फसलों के समग्र महत्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएं।
2. भारत के मानसून में मौसमी भिन्नता पर एक लेख लिखिए। सशक्त मानसून, किसानों के लिए हमेशा अच्छी खबर नहीं होती है। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: भूगोल NCERT – कक्षा XI: भारत भौतिक पर्यावरण
निर्देशक शब्द:
लेख लिखिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ के आधार पर उसके सभी पहलुओं को शामिल करते हुए उत्तर लिखें।
आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारतीय मानसून और इसके महत्व को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
मानसून प्रणाली और मौसम के अनुसार भारतीय मानसून के उतार-चढ़ाव के कारणों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
विभिन्न माह एवं माह के अनुसार बदलते मानसून की प्रकृति के अनुसार उत्तर को विभाजित कीजिए। इसे और अधिक व्यवस्थित रूप से समझाने के लिए एक आरेख का उपयोग कीजिए। पश्चिमी विक्षोभ, सोमाली जेट स्ट्रीम, पूर्व की ओर से चलने वाली जेट स्ट्रीम आदि को शामिल कीजिए।
भारतीय भू-दृश्य के सन्दर्भ में मानसून की कमी और मानसून की अधिकता के प्रभावों पर चर्चा कीजिए। मानसून की अधिकता के कारण उत्पन्न घटनाओं जैसे- बाढ़, फसल क्षति, कीट प्रकोप और बीमारी बढ़ाना, कम उत्पादन आदि का उल्लेख कीजिए। इसके अलावा, अप्रत्यक्ष लागतों जैसे- आयात में वृद्धि और निर्यात में कमी को भी शामिल कीजिए।
निष्कर्ष:
अतिरिक्त और अधिशेष मानसूनी वर्षा से निपटने के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
3. भारत की महिलाओं के लिए आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता की राह पहले से ही कठिन थी। महामारी इस बुरी स्थिति को बदतर बना रही है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Live Mint
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
महामारी द्वारा उत्पन्न की गई कठोर वास्तविकताओं और विषमताओं का उल्लेख करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए। प्रासंगिक आँकड़े/ तथ्य भी उद्धृत कीजिए।
विषय वस्तु:
महामारी ने महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को कैसे प्रभावित किया है, समझाइए।
विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालिए, जैसे- नौकरी की क्षति, बचत की कमी, घरेलू श्रम का असमान विभाजन और कम श्रम दर आदि। प्रासंगिक तथ्यों और आंकड़ों का उपयोग कीजिए।
महिलाओं की सामाजिक स्वतंत्रता पर महामारी के प्रभावों पर प्रकाश डालिए। वित्त के लिए पुरुषों पर निर्भरता, विकल्पों में कमी एवं सांस्कृतिक रूप से पारिवारिक अपेक्षाओं में वृद्धि आदि का उल्लेख कीजिए।
उपरोक्त मुद्दों के समाधान के लिए कुछ संभावित उपायों का उल्लेख कीजिए, जैसे- SHG का प्रभावी उपयोग, महिला कार्यबल के कौशल में वृद्धि, खोई हुई नौकरियों को पुनः प्राप्त करना आदि।
निष्कर्ष:
आगे की राह का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 2
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
4. “संवैधानिक व्यवधान” (Constitutional Breakdown) शब्द का क्या अर्थ है? क्या न्यायालयों की स्वप्रेरणा से की गयी जांच, पूछताछ स्थितियों में ऐसी उपस्थित परिस्तिथियाँ हैं, जो “संवैधानिक व्यवधान” का निर्माण करती है और इसे न्यायालय के सन्दर्भ में न्यायिक अतिरेक बना सकती हैं? विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिये– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अनुच्छेद 356 के बारे में उल्लेख करते हुए एवं “संवैधानिक व्यवधान” को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
विस्तार से समझाइए कि “संवैधानिक प्रणाली में व्यवधान” की अभिव्यक्ति को संविधान में परिभाषित नहीं किया गया है एवं यह राजनीतिक कारणों से उत्पन्न हो सकता है जैसे कि त्रिशंकु विधानमंडल, विधानमंडल में सरकार द्वारा बहुमत खोना, सरकार बनाने में किसी भी राजनीतिक समूह की विफलता, चूक और गठबंधन टूटना या उग्रवाद आदि।
ए. पी. उच्च न्यायालय के हालिया निर्णय एवं उस पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने का विश्लेषण कीजिए। उच्च न्यायालय के सन्दर्भ में न्यायिक अतिरेक को समझाइए।
निष्कर्ष:
कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के समुचित पृथक्करण के लिए उपाय सुझाते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 3
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
5. भारत में औद्योगिक विवाद के प्रमुख कारण क्या हैं? भारत में एक नवीन श्रम कानून के पुंज के रूप में, जिसे एक व्यापार-अनुकूल व्यवस्था के रूप में बाजार में उतारा जा रहा है, उनके प्रावधानों के बारे में गलतफहमी या कर्मचारियों की शिकायतों के लिए अनुत्तरदायी प्रणाली केवल इस प्रकार की अशांति को और अधिक भड़का सकती है। जांच कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
जांच कीजिये- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
कर्नाटक के विस्ट्रन प्लांट में हाल ही में हुई हिंसा और प्रीमियम आपूर्तिकर्ताओं को हुए नुकसान के सन्दर्भ में चर्चा करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत में औद्योगिक विवादों के प्रमुख कारणों जैसे पारिश्रमिक एवं भत्ते की मांग, बोनस की मांग, कार्मिक और छंटनी की मांग, बेहतर कार्य स्थितियों की मांग, छुट्टी के समय काम करने की स्थिति में सुधार की मांग, काम के कम घंटे, बेहतर कामकाज की स्थिति जैसे बेहतर सुरक्षित उपाय, कैंटीन सुविधाएं आदि, व्यापार संगठनों को मान्यता देने में नियोक्ताओं की उदासीनता, राजनीतिक प्रकृति की हड़ताल और लॉक-आउट आदि के बारे में उल्लेख कीजिए। प्रमुख औद्योगिक विवादों के कुछ उदाहरणों का उल्लेख कीजिए, जैसे मारुति के मानेसर प्लांट में हिंसा आदि।
भारतीय अर्थव्यवस्था, व्यापार करने में सहजता, निवेश की भावना और रोजगार के अवसर आदि पर इस प्रकार के विवादों के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उद्योग पक्ष के साथ-साथ श्रमिक पक्ष दोनों के सन्दर्भ में उपरोक्त समस्याओं के समाधान की राह प्रस्तुत कीजिए। यह समझाइए कि नवीन श्रम कानून ऐसे विवादों को रोकने में कैसे मदद कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 4
विषय: अभिवृत्तिः सारांश (कंटेन्ट), संरचना, वृत्ति; विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध; नैतिक और राजनीतिक अभिरुचि; सामाजिक प्रभाव और धारण।
6. आप अपनी अभिवृत्ति में परिवर्तन करके अपने व्यवहार में परिवर्तन कर सकते हैं। स्पष्ट कीजिए। (150 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, अखंडता और योग्यता: लेक्सिकन प्रकाशन।
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिये- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सर्वप्रथम “अभिवृत्ति” एवं “व्यवहार” शब्दों को परिभाषित कीजिए। दोनों के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
विषय वस्तु:
प्रासंगिक उदाहरणों के साथ विस्तार से चर्चा कीजिए कि अभिवृत्ति में कैसे परिवर्तन लाया जा सकता है एवं इसके परिणामस्वरुप व्यवहार में कैसे परिवर्तन आता है।
समझाइए कि अभिवृत्ति एवं व्यवहार हमें कैसे प्रभावित करते हैं और सहानुभूति, करुणा, धैर्य एवं अखंडता से युक्त व्यवहार को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
अभिवृत्ति एवं व्यवहार में परिवर्तन हमारे जीवन को सकारात्मक रूप से कैसे प्रभावित कर सकता है, समझाते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शिता, सूचना का अधिकार।
7. एक लोकतंत्र में नागरिक, सरकार के शासक होते हैं और इस प्रकार सार्वजनिक रिकॉर्ड पर सभी जानकारी के स्वामी होते हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के कमजोर पड़ने के आलोक में विचार-विमर्श कीजिए। (150 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
विचार-विमर्श कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के सम्बन्ध में अपने ज्ञान और समझ के अनुसार एक सारगर्भित रूप में उत्तर प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सरकार के पास जो सूचना एवं डेटा है, उसके सन्दर्भ में नागरिकों के अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय वस्तु:
सार्वजनिक रिकॉर्ड में पारदर्शिता के महत्व एवं सरकार के मामलों को जानने का जनता का अधिकार आदि का उल्लेख कीजिए।
पारदर्शिता एवं सरकार के कामकाज के सन्दर्भ में गोपनीयता बनाए रखने के मध्य संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में किये गए हालिया संशोधनों पर प्रकाश डालिए एवं जल्दबाजी और बिना जांच-पड़ताल एवं अनुसन्धान के अभाव में अपनाए गए संशोधनों पर बहस ने सूचना का अधिकार कानून को कमजोर कर दिया है और सार्वजनिक कामकाज में पारदर्शिता में कमी आयी है। इसी समय, संशोधित अधिनियम ने नागरिकों के अधिकारों पर प्रहार किया है और इस प्रकार सरकार की शक्तियोँ में वृद्धि की है।
निष्कर्ष:
एक संतुलित आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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