विषय – सूची
सामान्य अध्ययन-I
1. हम्पी के रथ मंदिर को छूने पर प्रतिबंध
सामान्य अध्ययन-II
1. जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा रोशनी अधिनियम संबंधी आदेश की समीक्षा की मांग
2. CAA के खिलाफ 140 याचिकाओं पर सुनवाई में देरी
सामान्य अध्ययन-III
1. कृषि कानूनों में व्यापार क्षेत्र संबंधी संधारणा
2. अमेरिकी अधिकारियों के बीमार होने के पीछे माइक्रोवेव ऊर्जा
3. पेट्रोलियम बोर्ड की नई एकीकृत प्रशुल्क संरचना: प्रभाव एवं कार्यान्वयन में चुनौतियां
4. राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा हाथी कॉरिडोर पर कार्य योजना की मांग
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. हिमाचल प्रदेश द्वारा पांच उत्पादों के लिए जीआई टैग की मांग
2. महापरिनिर्वाण दिवस’
3. HL-2M टोकामक
सामान्य अध्ययन- I
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
हम्पी के रथ मंदिर को छूने पर प्रतिबंध
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India – ASI) ने हम्पी में विजय विट्ठल मंदिर के सामने प्रतिष्ठित पत्थर निर्मित रथ (chariot) को छूने अथवा उस पर चढ़ने और किसी भी तरह के नुकसान को रोकने हेतु एक चेन बैरिकेड लगा दिया है।
ये पत्थर निर्मित रथ, हम्पी में सर्वाधिक अधिक देखे जाने वाले स्मारकों में से एक हैं और इसे अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता है।
पत्थर निर्मित रथ के बारे में:
- मंदिर परिसर में स्थापित यह पत्थर निर्मित रथ, ‘गरुड़’ को समर्पित एक मंदिर है, हालांकि इसमें से गरुड़ की प्रतिमा अब मौजूद नहीं है।
- हम्पी का रथ भारत के तीन प्रसिद्ध रथों में से एक है, अन्य दो पत्थर निर्मित रथ कोणार्क, ओडिशा और महाबलीपुरम, तमिलनाडु में स्थापित हैं।
- कला इतिहासकारों के अनुसार- हम्पी के रथ मंदिर की सूक्ष्म कलाकारी, विजयनगर शासकों (14–17 शताब्दी ईसवी) के संरक्षण में मंदिर वास्तुकला उच्च कौशल को दर्शाती है।
हम्पी के बारे में:
हम्पी, विजयनगर साम्राज्य के अंतिम महान हिंदू साम्राज्य की अंतिम राजधानी थी। विजयनगर साम्राज्य का उत्थान 1336 ईस्वी में, कंपिली साम्राज्य के पतन के बाद हुआ।
- यह दक्षिण भारत के प्रसिद्ध हिंदू साम्राज्यों में से एक के रूप में विकसित हुआ, जिसने 200 वर्षों तक शासन किया।
- यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य का एक हिस्सा थी।
- हम्पी को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल दर्जा प्राप्त है।
- इसका नाम पंपा से लिया गया है जो कि तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है जिसके किनारे यह शहर बसा हुआ है।
- यह स्थल, बहु-धार्मिक और बहु-जातीय हुआ करते थे और इसमें हिंदू तथा जैन संरचनाएं एक-दूसरे के बगल में निर्मित थे।
वास्तुकला:
इसे यूनेस्को द्वारा दक्षिण भारत में अंतिम महान हिंदू राज्य के 1,600 से अधिक जीवित बचे अवशेषों में से ‘सादगीपूर्ण, भव्य स्थल’ (Austere, Grandiose Site) के रूप में वर्णित किया गया है।
- यहां की इमारतों में मुख्य रूप से, दक्षिण भारतीय हिंदू कला और वास्तुकला से लेकर एहोल-पत्तदकल शैलियों को भी शामिल किया गया था, लेकिन हम्पी निर्माणकर्ताओं ने लोटस महल, सार्वजनिक स्नानगृह और हाथियों के अस्तबल में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के तत्वों को भी शामिल किया था।
- 15 वीं शताब्दी का विरुपाक्ष मंदिर शहर के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है।
- विरुपाक्ष मंदिर के दक्षिण मे स्थित हेमकुंठ पहाड़ी पर जैन मंदिर और भगवान विष्णु का एक रूप नरसिम्हा की अखंड मूर्ति है।
- 16 वीं शताब्दी में निर्मित विट्टल मंदिर, अब एक विश्व धरोहर स्मारक है। मंदिर के स्तंभ इतने संतुलित हैं कि उनमें संगीत की गुणवत्ता का बोध होता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- हम्पी पर शासन करने वाले विभिन्न राजवंश
- एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के बारे में
- तुंगभद्रा नदी बेसिन
- विजयनगर साम्राज्य के दौरान मंदिरों की वास्तुकला
- भारत में महत्वपूर्ण विश्व विरासत स्थल
मेंस लिंक:
हम्पी की वास्तुकला के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा रोशनी अधिनियम संबंधी आदेश की समीक्षा की मांग
संदर्भ:
अपने पिछले रवैये से पलटते हुए, जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा 9 अक्टूबर को उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय में संशोधन की मांग की गयी है।
उच्च न्यायालय ने एक फैसले में केंद्र शासित प्रदेश (UT) में रोशनी अधिनियम, 2001 को अमान्य घोषित करते हुए, सरकारी भूमि पर कब्ज़ा करने वालों के स्वामित्व अधिकारों को रद्द करने का निर्देश दिया था।
आदेश की समीक्षा का कारण
- याचिका में तर्क दिया गया है कि इस आदेश से बड़ी संख्या में आम लोग अनायास ही पीड़ित होंगे।
- इन लोगों में छोटी जगहों पर रहने वाले भूमिहीन कृषक और अन्य व्यक्ति भी शामिल हैं।
- दुर्भाग्य से ये लोग, रद्द किये जा चुके अधिनियम के तहत सरकारी भूमि पर कब्ज़ा करने वाले धनी और समृद्ध लोगों में फंस गए हैं।
उपायों की आवश्यकता
- इन व्यक्तियों का, भूमिहीन कृषक अथवा निजी आवास के रूप में उपयोग करने वाले मकान मालिक; दो वर्गों में विभाजन किया जाना चाहिए।
- सीबीआई जांच को, सार्वजनिक भूमि का अतिक्रमण करने और अधिकार हासिल करने के इरादे से परिवर्तित की जाने वाली कानूनी और नीतिगत ढांचे की डिजाइन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
‘रोशिनी अधिनियम’ के बारे में:
इस अधिनियम को वर्ष 2001 में लागू किया गया था, इसका उद्देश्य अनधिकृत भूमि को नियमित करना था।
इस अधिनियम में, सरकार द्वारा निर्धारित की गयी कीमत चुकाए जाने के पश्चात, राज्य की भूमि पर तत्कालीन कब्जाधारकों के लिए स्वामित्व अधिकारों को हस्तांतरित करने का प्रावधान किया गया था।
- सरकार द्वारा, इस प्रकार प्राप्त होने वाले राजस्व को पनबिजली परियोजनाएं शुरू करने पर, व्यय करने का विचार किया गया था, इसीलिये इस अधिनियम का नाम ‘रोशनी’ रख दिया गया।
- इसके अलावा, संशोधनों के माध्यम से, सरकार द्वारा किसानों को अधिकृत कृषि भूमि पर मुफ्त में स्वामित्व अधिकार प्रदान किये गए, इसके लिए मात्र 100 रुपये प्रति कनाल, प्रलेखन शुल्क लिया गया।
इस अधिनियम को ‘रद्द’ किए जाने संबंधी कारण
- वर्ष 2009 में, राज्य सतर्कता संगठन द्वारा कई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, इन अधिकारियों पर, रोशनी अधिनियम के तहत मानदंडो को पूरा नहीं करने वाले कब्जाधारकों को गैरकानूनी तरीके से भूमि के स्वामित्व अधिकार प्रदान करने की आपराधिक साजिश करने के आरोप लगाए गए थे।
- वर्ष 2014 में, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2007 से वर्ष 2013 के बीच, अतिक्रमित भूमि के हस्तांतरण से 25,000 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया था, किंतु मात्र 76 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई थी। इस प्रकार इस क़ानून का उद्देश्य ही निष्फल हो गया।
- रिपोर्ट में, राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए, ‘स्थायी समिति’ द्वारा तय की गई कीमतों में मनमानी ढंग से कमी किये जाने संबंधी अनियमितताओं को दोषी ठहराया गया था।
प्रीलिम्स लिंक:
- रोशनी अधिनियम क्या है?
- अधिनियम की विशेषताएं
- अधिनियम में संशोधन
मेंस लिंक:
जम्मू-कश्मीर का ‘रोशनी अधिनियम’ क्या है? हाल ही में इसे क्यों समाप्त कर दिया गया? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
CAA के खिलाफ 140 याचिकाओं पर सुनवाई में देरी
संदर्भ:
नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act–CAA) को चुनौती देने वाली 140 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगभग एक साल से लंबित हैं। इससे समाज के सभी वर्गों और राजनीतिक दलों के याचिका-कर्ताओं में ‘गहरी निराशा’ उत्पन्न हो रही है।
पृष्ठभूमि:
- दिसंबर 2019 में, अदालत द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर रोक लगाने से इंकार कर दिया गया था। हालांकि, अदालत ने केंद्र सरकार से नागरिकता अधिनियम के वास्तविक कानूनी इरादों को प्रसारित करने हेतु संपूर्ण प्रयास करने को कहा था।
- जनवरी 2020 में, अदालत ने अधिनियम पर रोक लगाने संबंधी अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, कि “हर किसी के दिमाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) सर्वोपरि” है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम से संबंधित चिंताएं
नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act- CAA) के तहत, उत्पीड़न से बचने के लिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से पलायन कर भारत आने वाले, मुस्लिमों के अलावा, छह धार्मिक समुदायों के लोगों के लिए ‘देशीकरण के माध्यम से नागरिकता’ (Citizenship-by-Naturalisation) प्रकिया को तीव्र करने का प्रावधान किया गया है।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ दायर की गयी याचिकाओं में तर्क दिया गया है, कि यह अधिनियम धर्म के आधार पर चुनिंदा रूप से “अवैध प्रवासियों” को भारत में प्रवेश की अनुमति देता है, और यह संविधान के मूल ढांचे में निहित सिधांत, धर्मनिरपेक्षता, समानता और जीवन की गरिमा के अधिकार, के विरुद्ध है।
इन याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई किए जाने की आवश्यकता
- मामले पर सुनवाई में देरी होने से इसके निष्फल होने की आशंका है।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम-विरोधी प्रदर्शनों पर होने वाले सांप्रदायिक दंगों और हिंसा ने राष्ट्रीय राजधानी को हिलाकर रख दिया था।
- CAA क़ानून कई मायनों में अभूतपूर्व रहा है- इसमें संशोधन की प्रकृति, संविधान के मूल ढांचे की जड़ पर प्रहार करती है।
इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले शीघ्र सुनवाई किया जाना और सारे मामलों को विराम देना, सभी के हित में होगा।
सरकार द्वारा कानून का बचाव
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को एक ‘हितकारी’ क़ानून बताया गया है, जिसके तहत अवैध प्रवासियों का निष्कासन, निर्वासन अथवा प्रत्यार्पण नहीं किया जाएगा।
- गृह मंत्रालय के अनुसार, CAA भारत की धर्मनिरपेक्षता को क्षति पहुंचाए बिना केवल “निर्मुक्ति” (Amnesty) प्रदान करता है।
- यह क़ानून, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के “धर्मशासित राज्यों” में सताए गए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए भारतीय नागरिकता के स्थापित सिद्धांतों को शिथिल करता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- CAA के तहत शामिल किये गए धर्म
- कानून में उल्लखित देश
- कानून में भारत के प्रवासी नागरिक (OCI) कार्डधारकों से संबंधित प्रावधान
- भारतीय संविधान में नागरिकता से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- NRI, OCI और PIO के बीच अंतर
मेंस लिंक:
नागरिकता संशोधन अधिनियम क़ानून कई मायनों में अभूतपूर्व रहा है। टिप्पणी कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
कृषि कानूनों में व्यापार क्षेत्र संबंधी संधारणा
संदर्भ:
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 (Farmer’s Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020) में वैकल्पिक बाजारों अथवा “व्यापार क्षेत्रों” के विचार को वर्णित किया गया है।
- भारत में ‘वैकल्पिक बाजारों’ अथवा ‘व्यापार क्षेत्रों’ की अवधारणा नई नहीं है। इसका, वर्ष 2005-06 के दौरान महाराष्ट्र में संभवतः पहली बार और उन्नत रूप में प्रयोग किया गया था।
- इसके तहत सरकार द्वारा प्रत्यक्ष विपणन लाइसेंस (Direct Marketing License– DML) के माध्यम से निजी बाजारों और संग्रह केंद्रों (private markets and collection centers) की स्थापना हेतु मंजूरी दी गयी थी।
‘निजी बाजार’ तथा ‘संग्रह केंद्र’ क्या होते है?
‘निजी बाजार’ (private markets), निजी उद्यमियों द्वारा स्थापित थोक मंडियां होती है। जबकि संग्रह केंद्र, किसानों से सीधे खेत की सीमा पर खरीद करने वाले, बिगबास्केट (BigBasket) और रिलायंस फ्रेश (Reliance Fresh) जैसे संग्राहकों के लिए कार्य करते हैं।
महाराष्ट्र में लागू किये गए सुधार
कृषि-वस्तुओं के व्यापार की सुविधा के लिए निजी बाजारों की स्थापना की गयी है।
- राज्य सरकार के विपणन निदेशक द्वारा इन बाज़ारों की स्थापना हेतु लाइसेंस जारी किए जाते हैं।
- इन बाजारों को स्थापित करने के लिए, नीलामी हॉल, शेड, प्रतीक्षालय, मोटर योग्य सड़कें आदि आधारभूत संरचनाओं के साथ न्यूनतम पांच एकड़ भूमि होना आवश्यक है।
- इन बाजारों के लिए, भूमि-लागत के अतिरिक्त लगभग 4-5 करोड़ रुपये का प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता होती है।
बाद में, एक अधिक प्रबल हस्तक्षेप प्रत्यक्ष विपणन लाइसेंस (Direct Marketing License– DML) को लागू किया गया था, जिसके तहत बिग बास्केट, रिलायंस फ्रेश, एडीएम एग्रो इंडस्ट्रीज जैसे संग्राहकों को सीधे किसानों से खरीदने की अनुमति दी गयी।
निजी बाजारों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान
- लाइसेंस संबंधी एक अनुच्छेद में कहा गया है, कि लाइसेंस धारकों द्वारा सरकार द्वारा अधिसूचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर कोई भी व्यापार नहीं किया जाएगा।
- इस प्रावधान का उल्लंघन किये जाने पर, लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई से बचने के लिए, अधिकाँश प्रत्यक्ष विपणन लाइसेंस (DML) धारक व्यापारी, बाजार की कीमतों के सरकार द्वारा घोषित MSP से कम होने पर, खरीद को निलंबित कर देते हैं।
सुधारों का वास्तविक कार्यान्वयन
- इन सुधारों के लागू किये जाने के बाद से, मंडियों के कुल कारोबार का लगभग 22 प्रतिशत इन ‘व्यापार क्षेत्रों’ में परिवर्तित हो गया है।
- कृषि उपज विपणन समितियां (APMCs) द्वारा 48,000 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार किया जाता है, जबकि निजी बाजार (private market) लगभग 11,000-13,000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करते हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- CCEA की संरचना।
- CACP क्या है?
- MSP योजना में कितनी फसलें शामिल हैं?
- MSP की घोषणा कौन करता है?
- खरीफ और रबी फसलों के बीच अंतर
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
अमेरिकी अधिकारियों के बीमार होने के पीछे माइक्रोवेव ऊर्जा
संदर्भ:
अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा कराए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि क्यूबा और चीन में तैनात अमेरिकी राजनयिकों के बीमार होने के पीछे संभवता ‘माइक्रोवेव विकिरण’ का निर्देशित हमला है।
संबंधित प्रकरण
वर्ष 2017 की शुरुआत में, क्यूबा में अमेरिकी दूतावास के लगभग दो दर्जन अमेरिकी अधिकारियों तथा ग्वांगझोउ, चीन में अमेरिकी दूतावास के अमेरिकी और कनाडाई राजनयिकों और कर्मियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव दर्ज किया गया था।
अध्ययन के निष्कर्ष
अध्ययन में पाया गया कि, बीमारी के लक्षणों का सर्वाधिक संभावित कारण ‘निर्देशित, रेडियो फ्रीक्वेंसी एनर्जी का कंपन (pulsed radio frequency energy) प्रतीत होता है। इसके प्रयोग से सिर में गंभीर भारीपन, चक्कर आना और संज्ञानात्मक कठिनाइयां आदि होती है।
- इससे पहले उष्णकटिबंधीय बीमारी या मनोवैज्ञानिक मुद्दों जैसे अन्य मामलों को अधिकारियों की बीमारी का कारण माना जा रहा था, निष्कर्ष में यह पाया गया है कि, नयी व्याख्या इन बीमारियों के संभावित कारण का उचित स्पष्टीकरण करती है।
- हालांकि, अध्ययन में माइक्रोवेव ऊर्जा संबंधी स्रोत का नाम नहीं दिया गया है और किसी हमले का भी जिक्र नहीं किया गया है।
‘माइक्रोवेव्स’ क्या हैं?
- माइक्रोवेव्स / सूक्ष्म तरंगें (Microwaves), वे विद्युत चुम्बकीय विकिरण (Electromagnetic Radiations) होते है, जिनकी आवृत्ति 300 मेगाहर्ट्ज से 300 गीगाहर्ट्ज़ के मध्य तथा तरंग दैर्ध्य 1 मिमी से लेकर लगभग 30 सेमी तक होती है।
- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में माइक्रोवेव्स, अवरक्त विकिरण (Infrared Radiation) और रेडियो तरंगों (Radio Waves) के मध्य होते हैं।
सूक्ष्म तरंगों के गुण:
- धातु की सतह से माइक्रोवेव्स / सूक्ष्म तरंगें परावर्तित हो जाती हैं।
- कुछ निश्चित आवृत्ति की सूक्ष्म तरंगे, जल में अवशोषित हो जाती हैं।
- अपवर्तन, परावर्तन, व्यतिकरण और विवर्तन जैसे तरंग प्रभावों से सूक्ष्म तरंगों का संचरण प्रभावित होता है।
- सूक्ष्म तरंगे, शीशे और प्लास्टिक से होकर गुजर सकती हैं।
‘माइक्रोवेव हथियार’ क्या होते हैं?
‘माइक्रोवेव हथियारों’ (Microwave Weapons) को प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियारों (Direct Energy Weapons) का एक प्रकार माना जाता है, जिनके द्वारा किसी लक्ष्य पर ध्वनि, लेजर या माइक्रोवेव के रूप में अत्यधिक केंद्रित ऊर्जा से हमला किया जाता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम (electromagnetic spectrum) क्या होता है?
- माइक्रोवेव्स / सूक्ष्म तरंगें क्या होती हैं?
- गुण
- उपयोग
- प्रभाव
मेंस लिंक:
रासायनिक हथियार क्या होते हैं? विश्व में इन हथियारों का विनियमन किस प्रकार किया जाता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
पेट्रोलियम बोर्ड की नई एकीकृत प्रशुल्क संरचना: प्रभाव एवं कार्यान्वयन में चुनौतियां
संदर्भ:
हाल हे में, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (Petroleum and Natural Gas Regulatory Board– PNGRB) द्वारा 14 प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के लिए एक नई टैरिफ संरचना अधिसूचित की गयी है।
नए परिवर्तन
- नई एकीकृत प्रशुल्क संरचना के तहत, सिंगल पाइपलाइन नेटवर्क पर, किसी स्रोत से 300 किलोमीटर की दूरी तक, क्रेता को गैस परिवहन के लिए एक निश्चित टैरिफ (प्रशुल्क) तथा 300 किलोमीटर की दूरी से अधिक होने पर निर्धारित अलग टैरिफ का भुगतान करना होगा।
- PNGRB के अनुसार- यह स्रोत से अधिक दूरी पर स्थित क्रेताओं के लिए पर्याप्त रूप से सस्ता होगा। इनके लिए, अब तक इस्तेमाल की गई पाइपलाइनों की संख्या और गैस के स्रोत से दूरी के आधार पर प्रशुल्क चुकाना होता था।
- इसलिए, गेल (GAIL) नेटवर्क की कई पाइपलाइनों का उपयोग करने वाले क्रेताओं को इस परिवर्तन से काफी लाभ होगा।
गैस परिवहन कंपनियों पर प्रभाव
- चूंकि, टैरिफ में परिवर्तनों से देश के पश्चिमी तट से दूर स्थित उपयोगकर्ताओं के लिए प्राकृतिक गैस अधिक सस्ती हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप गैस परिवहन अवसंरचनाओं में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- PNGRB के अनुसार, गैस परिवहन टैरिफ को परिचालन लागत और निवेशित पूंजी पर मानकीय स्तर का ‘उचित लाभ’ प्रदान करने हेतु निर्धारित किया गया है।
नये प्रशुल्कों से हानियाँ
- प्राकृतिक गैस का लागत कारक के रूप में उपयोग करने वाली कई उर्वरक इकाइयां और बिजली संयंत्र देश के पश्चिमी तट पर LNG टर्मिनल्स के नजदीक स्थापित किये गए है। इनके लिए गैस की कीमतों में काफी वृद्धि हो सकती है।
- PNGRB का यह कदम, वर्ष 1952 में सरकार द्वारा शुरू की गई ‘भाड़ा-समकरण’ (freight equalisation) नीति के समान है। इस नीति के तहत खनिजों के स्रोतों से दूर स्थिति क्षेत्रों तक परिवहन के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती थी। इस नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था।
आगे की चुनौतियां:
- जिन उपभोक्ताओं द्वारा मौजूदा नियमों के तहत कम कीमतों पर गैस परिवहन के लिए अनुबंध किए जा चुके होंगे, उन के लिए, नए नियमों के तहत, गैस परिवहन की लागत में काफी महंगी हो जाएगी।
- नियमों में बदलाव होने से पाइपलाइन के लिए बोली-प्रक्रिया के विनियमन में उल्लंघन की संभावना हो सकती है।
- विनियमन को अधिसूचित करते समय, PNGRB के बोर्ड में किसी लीगल मेंबर की अनुपस्थिति एक कानूनी चुनौती पेश कर सकती है।
प्रीलिम्स लिंक:
- पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (PNGRB) के बारे में
- प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के लिए नई प्रशुल्क संरचना का अवलोकन
- प्राकृतिक गैस क्या होती है?
- उपयोग
मेंस लिंक:
भारत में प्राकृतिक गैस के भंडार क्षमता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा हाथी कॉरिडोर पर कार्य योजना की मांग
संदर्भ:
हाल ही में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT) ने ओडिशा सरकार को तीन महीने के भीतर, राज्य में हाथियों के लिए एक अधिवास से दूसरे अधिवास तक बाधा-मुक्त आवागमन हेतु चौदह चिह्नित हाथी गलियारों पर एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
संबंधित प्रकरण:
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा वर्ष 2017 में, अधिकारियों को, गलियारों के सीमांकन में तेजी लाने और एक निश्चित अवधि के भीतर औपचारिक अधिसूचना हेतु प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया था।
- सरकार ने NGT से गलियारों को सुदृढ़ करने हेतु कार्य योजना के बारे में सूचित करने के लिए समय मांगा था। हालांकि, सरकार,गलियारों संबंधी वास्तविक प्रगति पर कोई ठोस कार्रवाई करने में विफल रही।
इसलिए, एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) द्वारा गलियारों के सुदृढ़ीकरण पर ठोस कार्रवाई करने हेतु निर्देश जारी कराने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में याचिका दायर की गयी थी।
याचिकाकर्ता की मांगें:
- प्रस्तावित गलियारों में अतिक्रमण करने वालों तथा वन संरक्षण अधिनियम 1980 एवं भारतीय वन अधिनियम 1927 के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की मांग।
- सरकार से ढेंकानाल जिले में आरक्षित वन भूमि से अनधिकृत इमारतों को हटाए जाने और वनभूमि को अतिक्रमण से मुक्त किए जाने की मांग की गयी है। इस क्षेत्र में अक्सर मानव-हाथी संघर्ष संबंधी घटनाएँ होती रहती हैं।
‘हाथी कोरिडोर’ क्या होते हैं?
‘हाथी कोरिडोर’ / गलियारे, हाथियों के दो विस्तृत अधिवासों को परस्पर जुड़ने वाली संकरी भूमि-पट्टियाँ होती हैं। दुर्घटनाओं और अन्य कारणों से होने वाली पशु मृत्यु दर को कम करने ‘हाथी कोरिडोर’ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, आवागमन गलियारों को संरक्षित करने के लिए वनों का सीमांकन अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
‘हाथी कोरिडोर’ संरक्षण की आवश्यकता
- हाथियों की आबादी की आनुवंशिक रूप से वर्धनक्षमता में वृद्धि हेतु इनका आवागमन सुनिश्चित करना आवश्यक है। इससे जंगलों को पुनर्जीवित करने में भी मदद मिलती है, और इन जंगलो पर बाघ समेत अन्य प्रजातियां भी निर्भर होती है।
- लगभग 40% हाथी अभ्यारण्य असुरक्षित हैं, क्योंकि ये संरक्षित पार्कों और अभयारण्यों से बाहर अवस्थित हैं। इसके अलावा, आवागमन गलियारों को भी कोई विशिष्ट कानूनी संरक्षण प्राप्त नहीं है।
- खेतों में परिवर्तित हो चुके जंगल और अनियंत्रित पर्यटन, वन्य जीवों के मार्ग में बाधक हो रहे हैं। इससे वन्यजीवों को दूसरे वैकल्पिक रास्तों का चुनाव करने पर विवश होना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप हाथी-मानव संघर्ष में वृद्धि होती है।
- इकोटूरिज्म का शिथिल विनियमन भी इन महत्वपूर्ण अधिवासों को बुरी तरह से प्रभावित करता है।
अखिल भारतीय स्तर पर प्रयास:
- वर्ष 2017 में विश्व हाथी दिवस के अवसर पर, हाथियों की सुरक्षा हेतु एक राष्ट्रव्यापी अभियान, ‘गज यात्रा’ का आरंभ किया गया था।
- इस अभियान में हाथी रेंज के 12 राज्यों को शामिल करने की योजना है।
- इस अभियान का उद्देश्य अपने अदिवासों में मुक्त आवागमन को प्रोत्साहित करने हेतु ‘हाथी गलियारों’ के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
मानव-हाथी संघर्ष के प्रबंधन हेतु वन मंत्रालय के दिशा-निर्देश:
- हाथियों को उनके प्राकृतिक आवासों में रखने हेतु जल स्रोतों का निर्माण तथा जंगलों की आग को नियंत्रित करना।
- तमिलनाडु में हाथियों के लिए अभेद्द्य खाइयाँ (Elephant Proof trenches) ।
- कर्नाटक में लटकती बाड़ और छोटे-छोटे पत्थरों की दीवारें (Hanging fences and rubble walls)।
- उत्तर बंगाल में मिर्च के धुएं और असम में मधुमक्खियों अथवा मांसाहारी जीवों की आवाज़ का उपयोग।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: दक्षिण बंगाल में हाथियों की पहचान, और निगरानी तथा हाथियों की उपस्थिति संबंधी चेतावनी हेतु एसएमएस अलर्ट भेजना।
इस संबंध में निजी संगठनों के प्रयास:
- एशियाई हाथी गठबंधन (Asian Elephant Alliance), पाँच NGO की एक संयुक्त छाता पहल है। इसकी स्थापना, पिछले साल, भारत के 12 राज्यों में हाथियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले 101 मौजूदा गलियारों में से 96 को सुरक्षित करने के लिए की गयी थी।
- NGO हाथी परिवार, अंतर्राष्ट्रीय पशु कल्याण कोष, IUCN नीदरलैंड और विश्व भूमि ट्रस्ट द्वारा भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (WTI) के साथ मिलकर ‘हाथी कोरिडोर’ संरक्षण हेतु कार्य किया जा रहा है।
प्रीलिम्स लिंक:
- एशियाई हाथी की IUCN संरक्षण स्थिति
- भारत में हाथी गलियारे।
- हाथियों का प्रजनन काल
- भारत का विरासत पशु
- गज यात्रा के बारे में
- हाथी झुंड का नेतृत्व किसके द्वारा किया जाता है?
- भारत में हाथियों की सर्वाधिक आबादी वाला राज्य
मेंस लिंक:
पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मानव-हाथी संघर्ष के प्रबंधन के लिए सुझाए गए उपायों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
हिमाचल प्रदेश द्वारा पांच उत्पादों के लिए जीआई टैग की मांग
इनमें शामिल हैं- करसोग कुल्थ (Karsog Kulth), पांगी का थांगी (Thangi of Pangi), चंबा मेटल क्राफ्ट, चंबा चुख (Chamba Chukh)और भरमौर का राजमा (Rajmah of Bharmour)।
वर्तमान में हिमाचल में कितने पंजीकृत जीआई हैं?
हिमाचल को वर्तमान में आठ जीआई टैग प्राप्त हैं, जिसमें चार हस्तशिल्प (कुल्लू शाल, चंबा रूमाल, किन्नौरी शाल और कांगड़ा पेंटिंग), तीन कृषि उत्पाद (कांगड़ा चाय, बासमती और हिमाचली कुली ज़ेरा) और एक विनिर्मित उत्पाद (हिमाचली चुली तेल) सम्मिलित हैं।
‘महापरिनिर्वाण दिवस’
6 दिसंबर को डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की पुण्यतिथि की याद में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
‘महापरिनिर्वाण’ क्या है?
परिनिर्वाण, बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। यह संस्कृत शब्द (पाली के परिनिब्बाना का रूप) है, जिसका अर्थ है “मृत्यु के बाद निर्वाण”, जो मृत्यु के पश्चात निर्वाण प्राप्त करने की उपलब्धि को संदर्भित करता है।
बौद्ध ग्रंथ,’महापरिनिब्बान सुत्त’ के अनुसार, 80 वर्ष की आयु में भगवान बुद्ध की मृत्यु को मूल रूप में महापरिनिर्वाण माना जाता है।
बीआर अंबेडकर का इससे संबंध
- डॉ. अम्बेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को हुआ था, इसके कुछ दिन पूर्व ही अपनी अंतिम रचना, ‘द बुद्ध एंड हिज़ धम्म’ को पूरा किया था।
- भारत में अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए उनके कद और योगदान के कारण, उन्हें एक बौद्ध गुरु के रूप में माना जाता है।
- उनके अनुयायियों और समर्थकों का मानना है कि अंबेडकर भगवान बुद्ध की तरह ही प्रभावशाली, और महान थे। और इसी कारणवश अम्बेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में जाना जाता है।
HL-2M टोकामक
(HL-2M Tokamak)
संदर्भ:
हाल ही में, चीन ने पहली बार अपने “कृत्रिम सूर्य” परमाणु संलयन रिएक्टर (HL-2M Tokamak रिएक्टर) को सफलतापूर्वक संचालित किया है। यह चीन की परमाणु ऊर्जा अनुसंधान क्षमताओं में एक महान उपलब्धि है।
प्रमुख बिंदु:
- HL-2M टोकामक रिएक्टर चीन का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत परमाणु संलयन प्रायोगिक अनुसंधान उपकरण है।
- मिशन को एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामक (EAST) नाम दिया गया है।
- यह सिचुआन प्रांत में स्थित इस रिएक्टर को अक्सर “कृत्रिम सूर्य” (artificial sun) कहा जाता है जो प्रचंड गर्मी और बिजली पैदा करता है।
- यह तप्त प्लाज्मा को अवगलित करने हेतु एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करता है और इसका तापमान 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस से अधिक तक पहुँच सकता है- जो कि सूर्य की कोर से लगभग दस गुना अधिक गर्म है।