विषय – सूची
सामान्य अध्ययन-II
1. चीन की ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की योजना
2. इस्लामिक सहयोग देश (OIC)
3. वन हेल्थ ग्लोबल लीडर्स ग्रुप ऑन एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस
सामान्य अध्ययन-III
1. जापान का हायाबुसा-2 अंतरिक्ष यान
2. ड्राई स्वाब-डायरेक्ट आरटी-पीसीआर परीक्षण विधि
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. माउंट इली लेवोटोलोक
2. वैश्विक नवाचार और प्रौद्योगिकी गठबंधन (GITA)
सामान्य अध्ययन- II
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
चीन की ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की योजना
संदर्भ:
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control– LAC) पर भारत के साथ जारी सीमा विवाद के मध्य, चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक प्रमुख जल विद्युत परियोजना का निर्माण करने की योजना बना रहा है और इसके लिए अगले वर्ष से शुरू होने वाली 14 वीं पंचवर्षीय योजना एक प्रस्ताव को सम्मिलित किया जा चुका है।
भारत एवं बांग्लादेश की प्रतिक्रिया:
ब्रह्मपुत्र नदी, भारत और बांग्लादेश से होकर गुजरती है तथा ऐसे में बांध निर्माण के प्रस्ताव से इन देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि चीन ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि वह उनके हितों को भी ध्यान में रखेगा।
भारत की चिंताएं
- चीन की बांध निर्माण अतिसक्रिय गतिविधियाँ, भारत के लिए एक चिंता का विषय है क्योंकि, चीन के साथ भारत का कोई द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौता नहीं हैं।
- चीन का मानना है कि ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने से उसका अरुणाचल प्रदेश पर दावा मजबूत होगा।
- भारत का मानना है कि तिब्बती पठार में चीन की परियोजनाएँ भारत में नदी के प्रवाह को कम करने की धमकी है।
- बांध, नहरें, सिंचाई प्रणालियाँ, युद्ध के समय अथवा शांति काल में सह-तटवर्ती देश को खिन्नता का सन्देश देने हेतु, जल को एक राजनैतिक हथियार में बदल सकती हैं।
- नदी में प्रवाह बहुत अधिक होने पर हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करने से मना करने पर संकटमय हो जाता है।
- चीन, यारलंग जोंगबो (Yarlung Zangbo– ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम) की धारा, उत्तर की ओर मोड़ने पर भी विचार कर रहा है।
- ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह में परिवर्तन करने संबंधी विचार पर चीन सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं करता है, क्योंकि इससे भारत के उत्तरपूर्वी मैदानी इलाकों और बांग्लादेश में या तो बाढ़ से, या फिर पानी की कमी से तबाही हो सकती है।
ब्रह्मपुत्र नदी का भारत के लिए महत्व:
ब्रह्मपुत्र नदी, तिब्बत, भारत और बांग्लादेश से होकर 3,000 किमी तक प्रवाहित होती है।
- भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, सिक्किम, नागालैंड और पश्चिम बंगाल के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है।
- ब्रह्मपुत्र घाटी कई देशी स्थानीय समुदायों के जीवन-निर्वाह में सहायक है।
प्रीलिम्स लिंक:
- ब्रह्मपुत्र के प्रवाह मार्ग वाले देश
- ब्रह्मपुत्र पर निर्मित बांध
- ब्रह्मपुत्र को चीन में क्या कहा जाता है? इसकी सहायक नदियाँ कौन सी हैं?
- भारत और चीन के मध्य जल साझाकरण संबंधी समझौता
- ब्रह्मपुत्र के प्रवाह मार्ग वाला हिमालयी क्षेत्र
मेंस लिंक:
ब्रह्मपुत्र नदी की उपरी धारा पर चीन द्वारा की जाने वाली गतिविधियों से, निचली धारा के तटवर्ती देशों और आसपास की पारिस्थितिकी पर क्या प्रभाव पड़ता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC)
(Organisation of Islamic Cooperation)
संदर्भ:
भारत ने इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Conference-OIC) की कड़ी आलोचना करते हुए, इसके 47 वें काउंसिल ऑफ फॉरेन मिनिस्टर्स (Council of Foreign Ministers– CFM) सम्मलेन में जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में पारित किये गए अनुचित प्रस्तावों को खारिज कर दिया।
भारत ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश सहित भारत के नितांत आंतरिक मामलों में दखल देने ले लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की कोई अधिस्थिति (locus standi) नहीं है।
इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के बारे में:
- OIC, वर्ष 1969 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, वर्तमान में इसमें 57 सदस्य देश सम्मिलित हैं।
- यह संयुक्त राष्ट्र संघ के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है।
- इस संगठन का कहना है कि यह “मुस्लिम विश्व की सामूहिक आवाज” है।
- इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना और साथ ही दुनिया के मुस्लिम समुदायों के हितों की रक्षा और संरक्षण हेतु कार्य करना है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ और यूरोपीय संघ में OIC के स्थायी प्रतिनिधिमंडल हैं।
- इसका स्थायी सचिवालय सऊदी अरब के जेद्दा में है।
भारत के लिए OIC का महत्व:
हाल के दिनों में भारत और OIC के मध्य आर्थिक और ऊर्जा संबंधी परस्पर निर्भरता में वृद्धि विशेष रूप महत्वपूर्ण हो गई है।
प्रीलिम्स लिंक:
- OIC- उद्देश्य
- कार्य
- सदस्य
- सहायक संगठन
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
वन हेल्थ ग्लोबल लीडर्स ग्रुप ऑन एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस
(One Health Global Leaders Group on Antimicrobial Resistance)
संदर्भ:
हाल ही में, खाद्य और कृषि संगठन (FAO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organisation for Animal Health- OIE) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधक क्षमता हेतु एक वैश्विक स्वास्थ्य नेताओं के समूह (One Health Global Leaders Group on Antimicrobial Resistance) की शुरुआत की गयी है।
संरचना:
- इस 20-सदस्यीय समूह में विभिन्न देशों के राज्य प्रमुख, वर्तमान और पूर्व मंत्री, तथा निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के नेतृत्वकर्ता सम्मिलित हैं।
- समूह के सह-अध्यक्ष बारबाडोस के प्रधानमंत्री मिया मोट्टले (Mia Mottley) तथा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद हैं।
- खाद्य और कृषि संगठन (FAO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख इस समूह के पदेन सदस्य हैं।
इस समूह का उद्देश्य:
इस समूह का उद्देश्य, सूक्ष्मजीवीरोधी दवाइयों का संरक्षण करने तथा सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधक क्षमता (Antimicrobial Resistance- AMR) के विनाशकारी परिणामों से बचने हेतु वैश्विक ध्यानाकर्षण व कार्यवाहियों को उत्प्रेरित करना है।
समूह के कार्य:
- सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधक क्षमता के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया की निगरानी करना।
- सार्वजनिक सक्रियता को बनाए रखना।
- सूक्ष्मजीवीरोधी प्रतिरोधक क्षमता (AMR) संबंधी विज्ञान और साक्ष्यों के बारे में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को नियमित रिपोर्ट प्रदान करना।
- कृषि, स्वास्थ्य, विकास, खाद्य और चारा उत्पादन पर निवेश में AMR लेंस को शामिल करने की वकालत करना।
- संबधित विषय पर बहु-हितधारकों को जुड़ाव के लिए प्रोत्साहित करना।
प्रीलिम्स लिंक:
- एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता क्या है?
- एंटीबॉडी क्या हैं?
- भारत में दुग्ध उत्पादन एवं खपत
- गंभीर रूप से महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स (CIA) क्या होते हैं?
- शुरुआत किये गए नए समूह के बारे में
मेंस लिंक:
एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता, 21 वीं सदी की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। परीक्षण कीजिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
सामान्य अध्ययन- III
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
जापान का हायाबुसा–2 अंतरिक्ष यान
(Japan’s Hayabusa2 spacecraft)
संदर्भ:
जापान का हायाबुसा-2 अंतरिक्ष यान क्षुद्रग्रह के मृदा-नमूनों सहित पृथ्वी के निकट पहुँच चुका है। हायाबुसा-2 अंतरिक्ष यान ने क्षुद्रग्रह रायुगु (asteroid Ryugu) से एक साल पूर्व उड़ान भरी थी और यह संभवतः 6 दिसंबर को पृथ्वी पर पहुंचकर दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में दुर्लभ नमूनों से भरे कैप्सूल को गिराएगा।
क्षुद्रग्रह के मृदा-नमूने और डेटा से सौर मंडल की उत्पत्ति के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकती है।
हायाबुसा-2 परियोजना
यह क्षुद्रग्रह से पृथ्वी पर नमूने लेकर वापस आने का मिशन है, जिसे जापानी अंतरिक्ष एजेंसी (Japanese Aerospace Exploration Agency- JAXA) द्वारा संचालित किया जा रहा है।
- हायाबुसा-2 अन्तरिक्ष यान, 3 दिसंबर 2014 को प्रक्षेपित किया गया था और यह 27 जून 2018 को क्षुद्रग्रह रायुगु (asteroid Ryugu) की सतह पर उतरा।
- इस मिशन पर, रिमोट सेंसिंग, नमूना-संग्रहण के लिए कई विज्ञान अंतरिक्ष उपकरण, और चार छोटे आकार के रोवर्स भेजे गए थे। रोवर्स का काम, नमूनों के पर्यावरणीय और भूवैज्ञानिक संदर्भ के बारे मी जानकारी देने हेतु क्षुद्रग्रह की सतह का परीक्षण करना था।
हायाबुसा 2 मिशन का दोहरा वैज्ञानिक उद्देश्य:
- वृहदस्तरीय पैमाने पर रिमोट सेंसिंग अवलोकन (मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरों, निकटवर्ती अवरक्त स्पेक्ट्रोमीटर, थर्मल अवरक्त इमेजर, लेजर अल्टीमीटर आदि के माध्यम से) करके क्षुद्रग्रह का विवरण प्राप्त करना।
- सूक्ष्मस्तरीय पैमाने पर क्षुद्रग्रह से लाए गए नमूनों का विश्लेषण करना।
मिशन का महत्व
‘क्षुद्रग्रह रायुगु’ एक सी-टाइप क्षुद्रग्रह (C-type asteroid)– सौर प्रणाली के शुरुआती काल का एक अवशेष- है। वैज्ञानिकों का मानना है, कि सी-टाइप क्षुद्रग्रहों में कार्बनिक पदार्थ और जल के फसे हुए कण, दोनों उपस्थित होते है, और संभवतः ये ही कार्बनिक पदार्थों तथा जल को पृथ्वी पर लाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, जिससे पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के लिए आवश्यक पदार्थ मिले होंगे।
प्रीलिम्स लिंक:
- हायाबुसा मिशन के बारे में
- हायाबुसा 2 मिशन के उद्देश्य
- क्षुद्रग्रह रायुगु
मेंस लिंक:
हायाबुसा-2 मिशन के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडिया टुडे
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
ड्राई स्वाब डायरेक्ट आरटी-पीसीआर परीक्षण विधि
(Dry Swab-Direct RT-PCR method)
संदर्भ:
हाल ही में, ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद’ (ICMR) द्वारा कोरोना वायरस जांच प्रक्रिया को तेज करने हेतु, ड्राई स्वाब डायरेक्ट आरटी-पीसीआर परीक्षण विधि (Dry Swab-Direct RT-PCR method) को मंजूरी प्रदान की गयी है।
इस परीक्षण विधि को ‘वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र‘ (CSIR-CCMB) द्वारा विकसित किया गया है।
पहले, आइए हम समझते हैं कि पारंपरिक परीक्षण विधि किस प्रकार कार्य करती है?
- पारंपरिक परीक्षण विधि में, नाक/नासाग्रसनी संबंधी- Nasopharyngeal) या गले की नली/ मुख-ग्रसनी (oropharyngeal) स्वाब के नमूने एकत्र किए जाते हैं जिन्हें प्रायः वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम (VTM) नामक द्रव्य में रखा जाता है।
- रिसाव से बचने के लिये इन नमूनों को अच्छी तरह से पैक किया जाता है जिससे नमूना संग्रह और परीक्षण केंद्र पर अधिक समय लग जाता है।
ड्राई स्वाब-डायरेक्ट आरटी-पीसीआर विधि क्या है?
- यह मौजूदा मानक आरटी-पीसीआर विधि का एक सरल रूपांतरण है।
- इस विधि में नासिका स्वाब (Nasal Swab) को शुष्क अवस्था में संग्रहीत और परिवहन किया जाया है, जिससे नमूनों के रख-रखाव में सरलता होती है तथा इसके रिसाव एवं संक्रमण फैलने का खतरा भी कम होता है।
- ड्राई स्वाब विधि में RNA निष्कर्षण प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है और इसमें, ICMR द्वारा सुझाई गई किट का उपयोग करके डायरेक्ट RT-PCR के पश्चात नमूनों का केवल सरल प्रसंस्करण किया जाता है।
लाभ:
- लागत प्रभावी
- नई किट की आवश्यकता के बिना आसान तरीके से इस्तेमाल
- मौज़ूदा जनशक्ति को बिना कोई अतिरिक्त प्रशिक्षण दिये इसे प्रयुक्त किया जा सकता है
- देश में परीक्षण क्षमता में तीव्र वृद्धि करने में सक्षम
प्रीलिम्स लिंक:
- RNA और DNA में अंतर
- RT- PCR तथा एंटीबॉडी परीक्षणों में अंतर
- RNA वायरस क्या है?
- एंटीबॉडी क्या हैं?
- ड्राई स्वाब डायरेक्ट आरटी-पीसीआर परीक्षण विधि क्या है?
मेंस लिंक:
ड्राई स्वाब डायरेक्ट आरटी-पीसीआर परीक्षण विधि के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
माउंट इली लेवोटोलोक
(Mount Ili Lewotolok)
चर्चा का कारण: हाल ही में ज्वालामुखी विस्फोट हुआ है।
- अवस्थिति: यह पूर्वी इंडोनेशिया में स्थित एक ज्वालामुखी है।
- 5,423 मीटर (17,790 फुट) उंचाई वाला यह पर्वत, इंडोनेशिया में जावा द्वीप पर मेरापी (Merapi) और सुमात्रा द्वीप पर सिनाबंग (Sinabung) ज्वालामुखी सहित वर्तमान में तीन प्रस्फुटित ज्वालामुखियों में से एक है।
वैश्विक नवाचार और प्रौद्योगिकी गठबंधन (GITA)
(Global Innovation and Technology Alliance)
यह एक “नॉट-फॉर-प्रॉफिट” सेक्शन -8 पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) कंपनी है।
वैश्विक नवाचार और प्रौद्योगिकी गठबंधन (GITA), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (TDB) के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी है।
कार्य: GITA प्लेटफ़ॉर्म, प्रौद्योगिकी अंतराल मानचित्रण, विश्व भर में उपलब्ध प्रौद्योगिकियों का विशेषज्ञ मूल्यांकन, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उपयुक्त तकनीकी-रणनीतिक सहयोगी साझेदारी और प्रौद्योगिकी विकास / अधिग्रहण हेतु आसान धन उपलब्ध कराने, के माध्यम से नवीन प्रौद्योगिकी समाधानों के लिए औद्योगिक निवेश को प्रोत्साहित करता है।