विषय – सूची
सामान्य अध्ययन-II
1. लोकसभा अध्यक्ष
2. MPLADS को निलंबित करना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है: बॉम्बे उच्च न्यायालय
3. आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (ESMA)
सामान्य अध्ययन-III
1. मेगा फूड पार्क
2. संसदीय समिति की बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंध पर विवाद
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. MQ-9B सी-गार्जियन अनआर्म्ड ड्रोन्स
2. ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया संयुक्त नौसैनिक अभ्यास’ (AUSINDEX)
3. भूटान तथा जर्मनी के मध्य औपचारिक संबंधो की शुरुआत
4. संविधान दिवस (Constitution Day)
सामान्य अध्ययन- II
विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।
लोकसभा अध्यक्ष
(Speaker of the Lok Sabha)
संदर्भ:
हाल ही में, विजय कुमार सिन्हा को बिहार विधानसभा अध्यक्ष चुना गया है।
लोकसभा अध्यक्ष:
लोकसभा के अध्यक्ष या पीठासीन अधिकारी को स्पीकर कहा जाता है।
- लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव, लोक सभा के सभी निर्वाचित सदस्यों द्वारा साधारण बहुमत के द्वारा किया जाता है।
- लोकसभा के किसी भी सदस्य को ‘लोकसभा अध्यक्ष/स्पीकर’ के रूप में नामित किया जा सकता है, हालांकि, प्रायः सत्तारूढ़ दल अथवा बहुमत वाली पार्टी का उम्मीदवार ‘स्पीकर’ के पद पर नियुक्त होता है।
लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं शक्तियां:
- लोकसभा अध्यक्ष, मूल रूप से सदन का प्रमुख होता है और संसद की बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा इसकी कार्यवाई नियंत्रित करता है।
- संविधान में ‘लोकसभा अध्यक्ष’ की स्वतंत्रता व निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु, इसका वेतन ‘भारत की संचित निधि’ पर भारित किया गया है, और इस पर संसद में चर्चा नहीं की जा सकती है।
- किसी विधेयक पर बहस अथवा सामान्य चर्चा के दौरान संसद सदस्यों द्वारा केवल लोकसभा अध्यक्ष को संबोधित किया जाता है।
- संसद में दोनों सदनों (लोकसभा और राज्य सभा) की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
- भारत सरकार के वरीयता क्रम में लोकसभा अध्यक्ष छठे स्थान पर आता है।
- लोकसभा में सामान्य परिस्थितियों के दौरान लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किसी भी मामले पर अपना मत नहीं दिया जाता है। किंतु, सरकार और विपक्ष के मध्य मतों के बराबर होने की स्थिति में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मतदान किया जा सकता है।
- लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा सदन में होने वाली विभिन्न चर्चाओं के एजेंडे को तय किया जाता है।
- गणपूर्ति (Quorum) के अभाव में लोकसभा अध्यक्ष को सदन/ बैठक स्थगित करने अथवा निलंबित करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- लोकसभा अध्यक्ष यह निर्णय करता है, कि सदन में पेश किए गया विधेयक, ‘धन विधेयक’ है अथवा नहीं और इसके निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों और संकल्पों, जैसे अविश्वास प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव आदि के लिए अनुमति प्रदान करने हेतु लोकसभा अध्यक्ष अंतिम और एकमात्र प्राधिकरण होता है।
- विधायिका के भंग होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष द्वारा पद-त्याग नहीं किया जाता है। वह नवगठित विधायिका की पहली बैठक होने तथा नए अध्यक्ष का चुनाव किये जाने तक अपने पद पर बना रहता है।
लोकसभा अध्यक्ष का कार्यकाल स्वतः ही समाप्त हो जाता है यदि:
- वह सदन का सदस्य नहीं रहता है।
- यदि वह उपाध्यक्ष को अपना त्यागपत्र सौंपता है।
- यदि वह केंद्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करता है।
- यदि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है और इसे अदालत द्वारा घोषित किया जा चुका है।
- यदि वह दिवालिया घोषित किया जाता है।
- यदि वह भारत का नागरिक नहीं रहता है अथवा उसने स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता गृहण कर ली है।
- यदि उसे लोकसभा के सदस्यों द्वारा बहुमत से प्रस्ताव पारित करके अध्यक्ष पद से हटा दिया जाता है। इस मामले में वह मत बराबर होने की स्थिति में भी वह मतदान नहीं कर सकता है।
लोकसभा अध्यक्ष और समितियाँ:
- सदन की समितियाँ, लोकसभा अध्यक्ष के समग्र निर्देश के तहत कार्य करती हैं। इस प्रकार की सभी समितियों का गठन लोकसभा अध्यक्ष अथवा सदन के द्वारा किया जाता है
- लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा सभी संसदीय समितियों के अध्यक्ष नामित किए जाते हैं।
- समितियों के कामकाज में किसी भी प्रकार की कार्यात्मक समस्या होने पर लोकसभा अध्यक्ष द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये जाते है।
- व्यापार सलाहकार समिति, सामान्य प्रयोजन समिति और नियम समिति जैसी समितियाँ प्रत्यक्षतः लोकसभा अध्यक्ष के अधीन कार्य करती हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव।
- कार्य
- शक्तियां
- पद-त्याग
- पद-मुक्ति के लिए आधार
- लोकसभा अध्यक्ष और संबंधित समितियां
मेंस लिंक:
लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका एवं कार्यों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
MPLADS को निलंबित करना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है: बॉम्बे उच्च न्यायालय
संदर्भ:
बॉम्बे उच्च न्यायालय के हालिया फैसले:
- संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास (MPLAD) योजना को निलंबित करना और इसकी निधि का इस्तेमाल कोविड-19 से निपटने के लिए करना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है।
- साथ ही, यह (कोविड-19) एक आपदा है, इसलिए सरकार को आपदा प्रबंधन कानून (Disaster Management Act) का सहारा लेना पड़ा। इस कानून को लागू करना केंद्र सरकार का अधिकार है।’
संबंधित प्रकरण
इस वर्ष अप्रैल में, केंद्र सरकार ने संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (Members of Parliament Local Area Development Scheme- MPLADS)को निलंबित करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम का सहारा लिया था।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी।
‘संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (MPLADS)
(Members of Parliament Local Area Development Scheme)
- इस योजना की शुरुआत दिसंबर, 1993 में की गयी थी।
- इसका उद्देश्य संसद सदस्यों के लिए, स्थानीय जरूरतों के आधार पर सामुदायिक अवसंरचनाओं सहित मूलभूत सुविधाओं और स्थाई सामुदायिक परिसंपत्तियों का विनिर्माण करने के लिए विकासात्मक प्रकृति के कार्यों की सिफारिश करने हेतु एक तंत्र प्रदान करना था।
- MPLAD योजना, पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है।
- इसके तहत प्रत्येक संसदीय क्षेत्र को वार्षिक रूप से 5 करोड़ रुपए की MPLADS निधि प्रदान की जाती है।
विशेष बिंदु:
- सांसदों के लिए, वार्षिक रूप से दी जाने वाली MPLADS निधि का न्यूनतम 15 प्रतिशत अनुसूचित जाति की आबादी वाले क्षेत्रों में, तथा 5 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की आबादी वाले क्षेत्रों में कराए जाने वाले कार्यों पर व्यय करना अनिवार्य है।
- आदिवासी लोगों की भलाई के लिए कार्यरत, ट्रस्टों और सोसाइटीज को प्रोत्साहित करने हेतु, योजना दिशानिर्देशों में निर्धारित शर्तों के अधीन इनके द्वारा परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए 75 लाख रुपये की अधिकतम सीमा निर्धारित की गयी है।
निधि का वितरण
- इस योजना के तहत, सांसद निधि, सीधे जिला अधिकारियों को सहायता अनुदान (Grants- in-Aid) के रूप में जारी की जाती है।
- योजना के तहत जारी की गयी निधि गैर-व्यपगत (Non-Lapsable) होती है।
- यदि किसी विशेष वर्ष में निधि जारी नहीं जाती है तो इसे पात्रता के अनुसार, अगले वर्षो में कराए जाने वालों कार्यों में जोड़ दिया जाएगा।
इस योजना के तहत सांसदों की भूमिका अनुसंशा करने की होती है
- जिला प्राधिकरण के लिए, कार्यों संबंधी पात्रता की जांच करने, निधि स्वीकृत करने और कार्यान्वयन हेतु एजेंसियों का चयन करने, कार्यों को प्राथमिकता देने, समग्र निष्पादन का निरीक्षण करने और योजना की जमीनी स्तर पर निगरानी करने का अधिकार होता है
- जिला प्राधिकरण द्वारा, सम्बंधित जिले में कार्यान्वयित की जा रही कम से कम 10% परियोजनाओं का प्रति वर्ष निरीक्षण किया जाएगा।
कार्यों के लिए अनुसंशा:
- लोकसभा सदस्य अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में कराए जाने वाले कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं।
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य, संबंधित राज्य में कहीं भी कराए जाने वाले कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं।
- लोकसभा और राज्यसभा के नामित सदस्य, देश में कहीं भी कराए जाने वाले कार्यों का चयन व सिफारिश कर सकते हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- MPLADS संसद आदर्श ग्राम योजना से किस प्रकार सम्बद्ध है?
- नामित सांसद अपने कार्यों की सिफारिश किन क्षेत्रों में कर सकते हैं?
- क्या एससी और एसटी कल्याण पर कोई विशेष ध्यान केंद्रित है?
- अनुदान और ऋण के बीच अंतर?
- कार्यान्वयन करने वाली एजेंसीज
मेंस लिंक:
क्या MPLADS द्वारा सार्वजनिक सेवाओं को प्रदान किए जाने वाले प्रावधानों में मौजूदा अंतराल को पाटने में सहायता की गयी है? आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (ESMA)
(Essential Services Maintenance Act)
संदर्भ:
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (Essential Services Maintenance Act– ESMA) अर्थात एस्मा ऐक्ट की अवधि में विस्तार कर दिया गया है। इसके तहत अगले छह महीने तक सभी विभागों और निगमों हड़ताल पर प्रतिबंध रहेगा।
एस्मा ऐक्ट, 1968
आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (Essential Services Maintenance Act– ESMA) अर्थात एस्मा ऐक्ट भारत की संसद का एक अधिनियम है।
उद्देश्य: इस कानून को सामान्य जीवन को प्रभावित करने वाली कुछ आवश्यक सेवाओं के प्रतिपादन को सुनिश्चित करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
- इनमें सार्वजनिक परिवहन (बस सेवा), स्वास्थ्य सेवाएं (डॉक्टर और अस्पताल) जैसी सेवाएं शामिल की गयी हैं।
- ESMA के तहत पुलिस को, अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के लिए बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान की गयी है।
कार्यान्वयन:
आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (ESMA), भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में प्रविष्टि संख्या 33 के तहत संसद द्वारा बनाया गया कानून है।
हालांकि, यह एक बहुत शक्तिशाली कानून है, किंतु इसका क्रियान्वयन पूरी तरह से राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर करता है। भारत संघ में प्रत्येक राज्य में, केंद्रीय कानून के प्रावधानों में कुछ भिन्नता के साथ, राज्य आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम हैं। राज्यों के लिए यह स्वतंत्रता, इस केंद्रीय कानून में निहित है।
प्रीलिम्स लिंक:
- एस्मा ऐक्ट का क्रियान्वयन
- प्रमुख प्रावधान
- समवर्ती सूची में प्रमुख विषय
मेंस लिंक:
आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (ESMA) के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- प्रौद्योगिकी।
मेगा फूड पार्क
(Mega Food Park)
संदर्भ:
हाल ही में, पंजाब में मेगा फूड पार्क का उद्घाटन किया गया है।
‘मेगा फूड पार्क’ योजना:
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा, वर्ष 2008 में सम्पूर्ण देश में ‘मेगा फूड पार्क’ योजना का आरंभ किया गया था।
मेगा फूड पार्क स्कीम का उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं तथा खुदरा बिक्रेताओं को एक साथ लाते हुए कृषि उत्पादों को बाजार से जोड़ने के लिए एक तंत्र उपलब्ध कराना है।
महत्व: इन मेगा फूड पार्कों के अंतर्गत मुख्यतः कृषि-उत्पाद कीमतों में वृद्धि करने, खाद्य पदार्थों की बर्बादी रोकने, किसानों की आय में वृधि तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर उपलब्ध करने पर ज़ोर दिया जाता है।
वित्त पोषण: कुल परियोजना लागत में केवल 50% योगदान के साथ न्यूनतम 50 एकड़ भूमि में मेगा फ़ूड पार्क स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये का अधिकतम अनुदान दिया जाता है।
कार्यान्वयन:
मेगा फूड पार्क परियोजना का कार्यान्वयन एक ‘विशेष प्रयोजन उपाय’ (Special Purpose Vehicle– SPV) द्वारा किया जाता है, जो कि कंपनी अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत कॉरपोरेट निकाय होते है।
- राज्य सरकार, राज्य सरकार की संस्थाओं एवं सहकारिता परिषदों को मेगा फूड पार्क परियोजना के कार्यान्वयन हेतु अलग से SPV बनाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
- योजना दिशानिर्देशों की शर्तों को पूरा करने के अधीन SPV को निधियां जारी की जाती हैं ।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारत में कार्यात्मक मेगा फूड पार्क।
- पहला मेगा फूड पार्क।
- यह योजना किस मंत्रालय के तहत संचालित होती है।
- मिजोरम का पहला मेगा फूड पार्क।
- योजना के तहत अनुदान।
मेंस लिंक:
मेगा फूड पार्क योजना के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
संसदीय समिति की बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंध पर विवाद
संदर्भ:
जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा गंदेरबल (Ganderbal) और उधमपुर, दो जिलों को छोड़कर शेष राज्य में 3G-4G मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध बढ़ा दिया था।
हाल ही में, सूचना और प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति द्वारा इस मुद्दे पर चर्चा करने हेतु बैठक बुलाई गयी थी।
संबंधित प्रकरण
सूचना एवं प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति द्वारा ‘इंटरनेट पर पाबंदी’ की स्थिति पर सवाल पूछा गया था।
- अनुराधा भसीन मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार, इंटरनेट सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए निलंबित नहीं किया जा सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पश्चात, केंद्र सरकार ने दूरसंचार निलंबन नियम (Telecom Suspension Rules) 2017 में संशोधन करते हुए ‘नियम 2A’ को जोड़ा गया। जिसमें यह निर्दिष्ट किया गया है, कि इंटरनेट शटडाउन आदेश अधिकतम 15 दिनों तक जारी रह सकता है।
उच्चतम न्यायालय का निर्णय:
- न्यायालय ने कहा, कि दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 144 के तहत सभी प्रतिबंधात्मक आदेशों और जम्मू–कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की प्रशासन द्वारा समीक्षा की जाए।
- उच्चतम न्यायालय द्वारा, इंटरनेट को किस प्रकार निलंबित किया जा सकता है और इंटरनेट निलंबित होने के दौरान नागरिकों के अधिकार तथा कानूनी उपायों के बारे में एक रूपरेखा भी जारी की गयी।
न्यायालय द्वारा की गयी टिप्पणियाँ:
इंटरनेट प्रतिबंधों पर:
- इंटरनेट तक पहुँच का अधिकार (उचित प्रतिबंधों के अधीन) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सम्मिलित एक मौलिक अधिकार है।
- अनियन्त्रित शक्तियों का प्रयोग करते हुए मूल अधिकारों पर प्रतिबंध नहीं लगाये जा सकते है। “प्रासंगिक कारकों” पर विचार करने और कोई अन्य विकल्प नहीं होने की दशा में ही, मूल अधिकारों को मात्र अंतिम उपाय के रूप में प्रतिबंधित किया जा सकता है।
- अनिश्चित काल के लिए इंटरनेट सेवाओं का निलंबन दूरसंचार नियमों का भी उल्लंघन है।
इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने हेतु प्रक्रिया
2017 से पहले, इंटरनेट निलंबन आदेश दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 14 के तहत जारी किए जाते थे।
- वर्ष 2017 में, केंद्र सरकार द्वारा इंटरनेट निलंबन को नियंत्रित करने के लिए टेलीग्राफ अधिनियम के तहत दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सर्विस) नियमों को अधिसूचित किया गया।
- इन नियमों की शक्तियों का स्रोत भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5(2) है, जिसमे “भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित” में संदेशो के अवरोधन (Interception) का प्रावधान किया गया है।
- 2017 के नियमों के बावजूद, सरकार द्वारा प्रायः धारा 144 के तहत व्यापक शक्तियों का उपयोग किया जाता है।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
MQ-9B सी-गार्जियन अनआर्म्ड ड्रोन्स
(MQ-9B Sea Guardian unarmed drones)
हल ही में, अमेरिका से लीज पर लिए गए दो MQ-9B सी-गार्जियन अनआर्म्ड ड्रोन्स को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है।
- यह ड्रोन लगभग 40 घंटे से अधिक समय तक 40,000 फीट की अधिकतम ऊँचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है।
- इसमें 3600 समुद्रीय निगरानी रडार और एक वैकल्पिक मल्टीमोड समुद्रीय सतह खोज रडार सम्मिलित है।
पृष्ठभूमि:
हाल ही में जारी की गयी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (Defence Acquisition Procedure– DAP) 2020 में सैन्य प्लेटफार्मों को लीज पर लेने देने का विकल्प उपलब्ध कराया गया है।
‘भारत-ऑस्ट्रेलिया संयुक्त नौसैनिक अभ्यास’ (AUSINDEX)
- फ्रांस, भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास AUSINDEX में सम्मिलित होने के लिए उत्सुक है।
- AUSINDEX (ऑस्ट्रेलिया-भारत नौसैनिक अभ्यास), भारतीय नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के मध्य किया जाने वाला एक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास है।
भूटान तथा जर्मनी के मध्य औपचारिक संबंधो की शुरुआत
हाल ही में, भूटान द्वारा जर्मनी के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने की घोषणा की गयी है। इसके बाद राजधानी थिम्पू के यूरोपीय संघ तथा 53 देशों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध हो गए हैं।
यह पिछले सात वर्षों में भूटान द्वारा की गयी पहला राजनयिक अभियान है।
पृष्ठभूमि:
भूटान द्वारा पहली बार 1949 में, भारत के साथ एक मैत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत, सभी विदेश नीति के मुद्दों पर दोनों देशों में काफी निकटता रही है। भूटान, ऐतिहासिक रूप से, अन्य देशों के साथ संबंध स्थापित करने सावधान रहता है।
- भूटान में, वर्ष 2007 में पहला चुनाव आयोजित किया गया था, उस समय भूटान के मात्र 22 देशों के साथ औपचारिक संबंध थे, जिनमे जापान, ऑस्ट्रेलिया और कई नॉर्डिक देश सम्मिलित थे।
- अमेरिका और चीन के कई अनुरोधों के बावजूद, भूटान के द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी पाँच सदस्यों में से किसी के साथ भी संबंध स्थापित नहीं करने का निर्णय किया गया है।
- वर्ष 2008 में प्रधान मंत्री जिग्मे थिनले निर्वाचन के बाद से, भूटान सरकार ने अपने राजनयिक संबंधो में तेजी से वृद्धि की है। और, पांच सालों में 31 देशों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए है।
संविधान दिवस (Constitution Day)
26 नवंबर, 1949 को देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया गया था। इसी के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष संविधान दिवस (Constitution Day) मनाया जाता है। हालांकि संविधान को 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था।
26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय वर्ष 2015 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लिया गया था।