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सामान्य अध्ययन – 2
विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।
1. न्यायिक बर्बरता से आप क्या समझते हैं? लोकतांत्रिक बर्बरता तथा न्यायिक बर्बरता कैसे संबंधित हैं? परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Indian Express
निर्देशक शब्द:
परीक्षण कीजिये- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रश्न की पृष्ठभूमि को संक्षेप में बताते हुए प्रश्न का संदर्भ निर्धारित कीजिए।
विषय वस्तु:
न्यायिक बर्बरता को परिभाषित कीजिए।
इसके विभिन्न घटकों के बारे में विस्तार से चर्चा कीजिए।
लोकतांत्रिक बर्बरता की अवधारणा प्रस्तुत कीजिए। दोनों के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
उनके निहितार्थ पर चर्चा कीजिए।
निष्कर्ष:
इस प्रकार की बर्बरता से बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए, सुझाव देते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
2. अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकार का उल्लंघन होने पर उच्चतम न्यायालय में जाने के अधिकार की पुष्टि करता है। संविधान का यह प्रावधान इस अधिकार को कैसे परिभाषित करता है, और विगत वर्षों में उच्चतम न्यायालय ने इसकी व्याख्या कैसे की है? चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Indian Express
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अनुच्छेद 32 के प्रावधानों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए एवं प्रश्न के वर्तमान संदर्भ पर चर्चा कीजिए।
विषय वस्तु:
विस्तार से समझाइये कि अनुच्छेद 32 क्या है?
इससे सम्बंधित वर्तमान मुद्दे पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
इस अनुच्छेद के सन्दर्भ में उच्चतम न्यायालय के विचारों और टिप्पणियों को एक-एक करके प्रस्तुत कीजिए।
उच्चतम न्यायालय के विगत निर्णयों को भी प्रस्तुत कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह अंततः उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक न्यायाधीश के विवेक पर है कि यह निर्धारित किया जाए कि किसी मामले में हस्तक्षेप की मांग की गयी है, जिस पर पहले उच्च न्यायालय भी सुनवाई कर सकता था।
अनुच्छेद 32 के मामले पर न्यायपालिका द्वारा और अधिक स्पष्टता लाने की आवश्यकता है ताकि लोग अपने अधिकारों के उल्लंघन के लिए अंतिम उपाय के रूप में न्याय प्रणाली में अपना विश्वास बनाये रखें।
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
3. क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी से भारत में निवेश प्रवाह प्रभावित होने की उम्मीद है, कोविड के पश्चात् के विश्व में देश को अत्यधिक प्रतिस्पर्धी देशों के विरुद्ध अपनी क्षमता बनाए रखने के लिए परीक्षण करना होगा। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रश्न के संदर्भ पर संक्षेप में चर्चा कीजिए।
विषय वस्तु:
महामारी के पश्चात् की अर्थव्यवस्था के पहलुओं पर प्रकाश डालिए।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) की औपचारिक शुरूआत के साथ एशियाई क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल रही है। इसका विकास इन अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार और निवेश प्रवाह की भूमिका पर निर्भर करेगा, और यह फिर से वैश्विक विकास का केंद्र बिंदु होगा।
15 क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) सदस्य देशों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30% योगदान है।
विश्व के इस सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते में व्यापार और वाणिज्य के संपूर्ण सरगम को शामिल करने के प्रावधान शामिल हैं।
समझाइए कि भारत के सामने क्या चुनौतियाँ हैं।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि बदले हुए परिदृश्य के लिए भारत के दृष्टिकोण को अच्छी तरह से कैलिब्रेट किया जाना चाहिए।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
4. हस्तांतरणीय विकास अधिकार क्या हैं? देश में शहरी क्षेत्रों के विकास में उनके संभावित योगदानों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Financial Express
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
हस्तांतरणीय विकास अधिकार क्या हैं, इसे परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत में, यह उपकरण पहले मुंबई में और बाद में अहमदाबाद, बैंगलोर, पुणे, और अन्य क्षेत्रों में विभिन्न प्रयोजनों और प्रतिक्रियाओं के साथ उपयोग किया गया था। हैदराबाद ने इस उपकरण को उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके से अपनाया था।
समझाइए कि यह उपकरण क्या है और शहरी निवासियों के लिए इसका क्या अर्थ है।
चर्चा कीजिए कि यह एक विन-विन डील कैसे है, जहां संपत्ति के मालिकों को अपनी संपत्ति से समय पर और बाजार-आधारित रिटर्न मिलता है, और शहरी स्थानीय निकायों को सार्वजनिक भलाई के लिए भारी खर्च के बिना सुविधाएं प्रदान करने के लिए जगह मिलती है।
इसके महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: सा.अ.2- सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
सा.अ.3- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
5. “भारत की मौजूदा पेरिस प्रतिबद्धताओं को परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, कदम पीछे करना एवं अन्य देशों की प्रतिबद्धताओं के साथ उनकी तुलना करना उपयुक्त है”, क्या आप सहमत हैं? विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Indian Express
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिये– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रश्न के संदर्भ पर संक्षेप में चर्चा कीजिए।
विषय वस्तु:
क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर द्वारा किए गए एक स्वतंत्र वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर, जिसने विकसित और विकासशील देशों की जलवायु प्रतिबद्धताओं का आकलन किया है, भारत की मौजूदा पेरिस प्रतिबद्धताओं को परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, कदम पीछे करना एवं अन्य देशों की प्रतिबद्धताओं के साथ उनकी तुलना करना उपयुक्त है।
भारत केवल छह देशों में से एक है (33 में से जिनका मूल्यांकन किया गया था), और एकमात्र G-20 देश, जिसकी पेरिस में जलवायु प्रतिबद्धताएं तापन को 2°C से नीचे सीमित करने के लिए सुसंगत हैं।
इसके अलावा, ऐसा प्रतीत होता है कि भारत 2030 लक्ष्य वर्ष से पहले अपनी कार्बन तीव्रता में कमी और गैर-जीवाश्म-ईंधन विद्युत् विकास क्षमता प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।
अन्य देशों के साथ भारत के प्रयासों की तुलना कीजिए एवं सुझाव दीजिए कि क्या किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि अंतर्राष्ट्रीय वार्ता के स्तर पर, भारत को एक चर्चा और संवाद शुरू करना चाहिए, जो प्रतिबद्धताओं को लेकर प्रत्येक देश पर ध्यान केंद्रित करता है एवं वैश्विक तापन को 2°C तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य की ओर ले जाता है।
सामान्य अध्ययन – 4
विषय: भावनात्मक समझः अवधारणाएँ तथा प्रशासन और शासन व्यवस्था में उनके उपयोग और प्रयोग।
6. भावनात्मक बुद्धिमत्ता को परिभाषित कीजिए एवं इसके प्रमुख घटकों की व्याख्या कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
व्याख्या कीजिये- प्रश्न में पूछी गई जानकारी को सरल भाषा में व्यक्त कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भावनात्मक बुद्धिमत्ता को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भावनात्मक बुद्धिमत्ता के चार घटकों के बारे में विस्तार से बताइये; आत्म-जागरूकता, स्व-प्रबंधन, सामाजिक जागरूकता, सामाजिक कौशल प्रबंधन।
इन घटकों के महत्व को विस्तार से बताने के लिए उदाहरण दीजिए।
निष्कर्ष:
डैनियल गोलमैन द्वारा किए गए शोध के अनुसार, किसी कार्य का सफल होना 80% भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर एवं 20% बुद्धिलब्धि पर निर्भर करता है। प्रशासन में दिन-प्रतिदिन आने वाली कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए सिविल सेवकों के पास योग्यता और कौशल के साथ ही उच्च भावनात्मक बुद्धिमत्ता होनी चाहिए।
विषय: नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।
7. चर्चा कीजिए कि लोग अपने जीवन को सरल एवं सुरक्षित बनाने के लिए सतत प्रयास क्यों करते हैं? क्या यह प्रयास उन्हें स्वार्थी बनाता है और उन्हें गलत आचरण के लिए मजबूर करता है? अपनी राय प्रस्तुत कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तरकीसंरचना:
परिचय:
मानव स्वभाव को समझना मुश्किल है। हालांकि अनेक दार्शनिकों ने यह समझने और समझाने की कोशिश की है कि मानव कुछ खास तरीके से ही क्यों व्यवहार करता है।
विषयवस्तु:
लोग लगातार जीवन को सरल एवं सुरक्षित बनाने की सतत कोशिश क्यों करते हैं? समझाइए।
विभिन्न दार्शनिकों के विचारों का उल्लेख कीजिए; थॉमस हॉब्स के अनुसार मानव हमेशा अपने जीवन और अपने हितों को सुरक्षित करने की कोशिश करता है। यह मानव का पशु स्वभाव है। प्रत्येक जानवर आसपास के वातावरण के खतरों से अपने जीवन को सरल एवं सुरक्षित बनाने की कोशिश करता है। उसी तरह, इंसान भी खुद की हिफाज़त करने की कोशिश करता है। इन प्रयासों के अनुसरण में, वे स्वार्थी तरीके से या गलत आचरण कर सकते हैं।
अरस्तू ने मानव प्रकृति को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा। वह कहते हैं कि मानव राजनीतिक, सामाजिक और सौम्य जानवर है। यह मानवीय व्यवहार का व्यापक दृष्टिकोण है। सामान्य तौर पर, लोग नैतिक व्यवहार करते हैं। वे मानवीय मूल्यों जैसे विश्वास, प्रेम, करुणा, सम्मान आदि को कायम रखते हैं।
उदाहरण दीजिए एवं अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि यद्यपि लोग अपने जीवन को सुरक्षित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे नैतिक आचरण के माध्यम से इसे बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए, जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने का प्रयास हमेशा लोगों को स्वार्थी नहीं बनाता है या वे सदैव गलत आचरण को नहीं अपनाते हैं।
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