HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित में से किन्हें भारत में रामसर स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त है?
- हरिके झील
- वुलर झील
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
- चिलिका झील
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: c)
भारत के कुछ रामसर स्थलों में निम्नलिखित शामिल हैं
ओडिशा में चिलिका झील
राजस्थान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
पंजाब में हरिके झील
मणिपुर में लोकतक झील
जम्मू और कश्मीर में वुलर झील
Incorrect
उत्तर: c)
भारत के कुछ रामसर स्थलों में निम्नलिखित शामिल हैं
ओडिशा में चिलिका झील
राजस्थान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
पंजाब में हरिके झील
मणिपुर में लोकतक झील
जम्मू और कश्मीर में वुलर झील
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Question 2 of 5
2. Question
शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता के घटते क्रम में निम्नलिखित पारिस्थितिकी तंत्रों को व्यवस्थित कीजिए
- उष्णकटिबंधीय मानसूनी वन
- उष्णकटिबंधीय वर्षा वन
- समशीतोष्ण घास के मैदान
- वुडलैंड और श्रूबलैंड
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: b)
शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता, या NPP, सकल प्राथमिक उत्पादकता है जो चयापचय और रखरखाव के लिए ऊर्जा हानि की दर होती है। दूसरे शब्दों में, यह वह दर है जिस पर ऊर्जा को बायोमास के रूप में पौधों या अन्य प्राथमिक उत्पादकों द्वारा संग्रहित किया जाता है और उपभोक्ताओं को पारिस्थितिक तंत्र में उपलब्ध कराया जाता है।
शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों में भिन्न-भिन्न होती है और कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें सौर ऊर्जा, तापमान और नमी का स्तर, कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर, पोषक तत्वों की उपलब्धता और सामुदायिक सहभागिता शामिल हैं।
उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में मानसूनी वनों और घास के मैदानों की तुलना में अधिक वर्षा होती है। इसके अलावा, एक वैन क्षेत्र निश्चित रूप से घास के मैदान से अधिक उत्पादक होगा।
Incorrect
उत्तर: b)
शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता, या NPP, सकल प्राथमिक उत्पादकता है जो चयापचय और रखरखाव के लिए ऊर्जा हानि की दर होती है। दूसरे शब्दों में, यह वह दर है जिस पर ऊर्जा को बायोमास के रूप में पौधों या अन्य प्राथमिक उत्पादकों द्वारा संग्रहित किया जाता है और उपभोक्ताओं को पारिस्थितिक तंत्र में उपलब्ध कराया जाता है।
शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों में भिन्न-भिन्न होती है और कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें सौर ऊर्जा, तापमान और नमी का स्तर, कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर, पोषक तत्वों की उपलब्धता और सामुदायिक सहभागिता शामिल हैं।
उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में मानसूनी वनों और घास के मैदानों की तुलना में अधिक वर्षा होती है। इसके अलावा, एक वैन क्षेत्र निश्चित रूप से घास के मैदान से अधिक उत्पादक होगा।
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Question 3 of 5
3. Question
दशानुकूलन (Acclimatization) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- दशानुकूलन समय की एक छोटी अवधि में और जीव के जीवनकाल में होता है, जबकि अनुकूलन (adaptation) एक विकास है जो कई पीढ़ियों में घटित होता है।
- मानव जो अधिक ऊंचाई तक स्थायी रूप से प्रवास करते हैं, वे रक्त की ऑक्सीजन वहन क्षमता को बढ़ाने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करके स्वाभाविक रूप से अपने नए वातावरण में दशानुकूलन हो जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
दशानुकूलन (Acclimatization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति अपने पर्यावरण में बदलाव (जैसे कि ऊंचाई, तापमान, आर्द्रता, फोटोपरोइड, या pH में परिवर्तन) को समायोजित करता है, जिससे उसे पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाए रखने में समर्थ बनाता है। दशानुकूलन समय (घंटों से हफ्तों) और जीव के जीवनकाल (अनुकूलन की तुलना में, जो कि एक कई पीढ़ियों से लंबे समय तक चलने वाला विकास है) के भीतर होता है।
मानव जो अधिक ऊंचाई तक स्थायी रूप से प्रवास करते हैं, वे रक्त की ऑक्सीजन वहन क्षमता को बढ़ाने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करके स्वाभाविक रूप से अपने नए वातावरण में दशानुकूलन हो जाते हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
दशानुकूलन (Acclimatization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति अपने पर्यावरण में बदलाव (जैसे कि ऊंचाई, तापमान, आर्द्रता, फोटोपरोइड, या pH में परिवर्तन) को समायोजित करता है, जिससे उसे पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाए रखने में समर्थ बनाता है। दशानुकूलन समय (घंटों से हफ्तों) और जीव के जीवनकाल (अनुकूलन की तुलना में, जो कि एक कई पीढ़ियों से लंबे समय तक चलने वाला विकास है) के भीतर होता है।
मानव जो अधिक ऊंचाई तक स्थायी रूप से प्रवास करते हैं, वे रक्त की ऑक्सीजन वहन क्षमता को बढ़ाने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करके स्वाभाविक रूप से अपने नए वातावरण में दशानुकूलन हो जाते हैं।
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Question 4 of 5
4. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- जलीय वातावरण में, तलछट-विशेषताएं अक्सर बैंथिक जीवों के प्रकार को निर्धारित करती हैं जो वहां विकसित होते हैं।
- मनुष्य की तरह, पौधों में भी आंतरिक तापमान बनाए रखने के लिए तंत्र मौजूद होता है।
- अत्यंत सूक्ष्म जीव ध्रुवीय क्षेत्रों में बहुत कम पाए जाते हैं क्योंकि उनके लिए थर्मोरेगुलेशन प्रक्रिया की आवश्यकता अधिक होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: b)
अधिकांश स्तनधारियों द्वारा अपने शरीर के तापमान को विनियमित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तंत्र मनुष्यों के समान होता है। हम 37 डिग्री सेंटीग्रेड शरीर के तापमान को निरंतर बनाए रखते हैं। गर्मियों में, जब बाहर का
तापमान हमारे शरीर के तापमान से अधिक होता है, हमें पसीना निकलता है।
जिसके परिणामस्वरूप वाष्पीकरणीय शीतलन कि क्रिया होती है, जो शरीर के तापमान को कम करता है। सर्दियों में जब तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड से बहुत कम हो जाता है, तो हम कांपने लगते हैं। कंपकंपी, एक तरह का व्यायाम होता है जो गर्मी उत्पन्न करती है और शरीर के तापमान को बढ़ाती है। दूसरी ओर, पौधों में आंतरिक तापमान बनाए रखने के लिए ऐसे तंत्र नहीं होते हैं।
थर्मोरेग्यूलेशन एक ऐसा तंत्र है जो जीवित जीवों को एक निरंतर आंतरिक वातावरण बनाए रखने की अनुमति देता है। मानव शरीर में अधिकांश प्रक्रियाएं तापमान पर निर्भर करती हैं: चयापचय, प्रोटीन और हार्मोन का संश्लेषण, पाचन और संज्ञानात्मक कार्य। इसके अलावा, अधिक गर्मी या हाइपोथर्मिया से गंभीर बीमारी और मृत्यु भी हो सकती है। चूंकि छोटे जानवरों के पास उनकी मात्रा के सापेक्ष एक बड़ा सतह क्षेत्र होता है, अत: वे बाहर अधिक ठंड होने पर बहुत तेजी से शरीर की गर्मी खो देते हैं; फिर उन्हें चयापचय के माध्यम से शरीर की गर्मी उत्पन्न करने के लिए बहुत ऊर्जा खर्च करनी होती है। यह मुख्य कारण है कि ध्रुवीय क्षेत्रों में बहुत कम जानवर पाए जाते हैं।
Incorrect
उत्तर: b)
अधिकांश स्तनधारियों द्वारा अपने शरीर के तापमान को विनियमित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तंत्र मनुष्यों के समान होता है। हम 37 डिग्री सेंटीग्रेड शरीर के तापमान को निरंतर बनाए रखते हैं। गर्मियों में, जब बाहर का
तापमान हमारे शरीर के तापमान से अधिक होता है, हमें पसीना निकलता है।
जिसके परिणामस्वरूप वाष्पीकरणीय शीतलन कि क्रिया होती है, जो शरीर के तापमान को कम करता है। सर्दियों में जब तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड से बहुत कम हो जाता है, तो हम कांपने लगते हैं। कंपकंपी, एक तरह का व्यायाम होता है जो गर्मी उत्पन्न करती है और शरीर के तापमान को बढ़ाती है। दूसरी ओर, पौधों में आंतरिक तापमान बनाए रखने के लिए ऐसे तंत्र नहीं होते हैं।
थर्मोरेग्यूलेशन एक ऐसा तंत्र है जो जीवित जीवों को एक निरंतर आंतरिक वातावरण बनाए रखने की अनुमति देता है। मानव शरीर में अधिकांश प्रक्रियाएं तापमान पर निर्भर करती हैं: चयापचय, प्रोटीन और हार्मोन का संश्लेषण, पाचन और संज्ञानात्मक कार्य। इसके अलावा, अधिक गर्मी या हाइपोथर्मिया से गंभीर बीमारी और मृत्यु भी हो सकती है। चूंकि छोटे जानवरों के पास उनकी मात्रा के सापेक्ष एक बड़ा सतह क्षेत्र होता है, अत: वे बाहर अधिक ठंड होने पर बहुत तेजी से शरीर की गर्मी खो देते हैं; फिर उन्हें चयापचय के माध्यम से शरीर की गर्मी उत्पन्न करने के लिए बहुत ऊर्जा खर्च करनी होती है। यह मुख्य कारण है कि ध्रुवीय क्षेत्रों में बहुत कम जानवर पाए जाते हैं।
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Question 5 of 5
5. Question
वायुमंडलीय एरोसोल में पर्याप्त वृद्धि के कारण निम्नलिखित में से किसके प्रभावित होने की संभावना है
- वर्षा प्रतिरूप का प्रभावित होना
- समताप मंडलीय ओजोन के विनाश में अत्यधिक कमी
- ग्लोबल वार्मिंग का अत्यधिक बढ़ाना
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: a)
एरोसोल (Aerosols) वातावरण में निलंबित सूक्ष्म कण होते हैं। जब ये कण पर्याप्त रूप से बड़े होते हैं, तो हम उनकी उपस्थिति को देख सकते हैं क्योंकि वे सूर्य के प्रकाश का प्रकीर्णन और अवशोषित करते हैं। सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन से दृश्यता (धुंध) कम हो सकती है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालीमा दिखाई देने लगती है।
एयरोसोल्स पृथ्वी के ऊष्मा बजट और जलवायु के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रक्रिया करते हैं। प्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में, एरोसोल सीधे सूर्य के प्रकाश को अंतरिक्ष में वापस परावर्तित कर देते हैं। अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में, निचले वायुमंडल में एरोसोल मेघ कणों के आकार को संशोधित कर सकते हैं, जिससे मेघ से सूर्य के प्रकाश का प्रतिबिंबिन और अवशोषिण की प्रक्रिया प्रभावित होती है, परिणामस्वरूप पृथ्वी का ऊर्जा बजट प्रभावित होता है।
एरोसोल भी रासायनिक प्रतिक्रियाओं के रूप में कार्य कर सकता है (विषम रसायन विज्ञान)। इन प्रतिक्रियाओं में सबसे महत्वपूर्ण वे हैं जो समतापमंडलीय ओजोन के विनाश का कारण बनते हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान, एरोसोल ध्रुवीय समतापमंडलीय मेघों का निर्माण करते हैं। इन मेघ कणों की बड़ी सतह रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देती है। इन प्रतिक्रियाओं से प्रतिक्रियाशील क्लोरीन की बड़ी मात्रा का निर्माण होता है और अंततः, इसके कारण समतापमंडलीय ओजोन का विनाश होता है।
Incorrect
उत्तर: a)
एरोसोल (Aerosols) वातावरण में निलंबित सूक्ष्म कण होते हैं। जब ये कण पर्याप्त रूप से बड़े होते हैं, तो हम उनकी उपस्थिति को देख सकते हैं क्योंकि वे सूर्य के प्रकाश का प्रकीर्णन और अवशोषित करते हैं। सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन से दृश्यता (धुंध) कम हो सकती है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालीमा दिखाई देने लगती है।
एयरोसोल्स पृथ्वी के ऊष्मा बजट और जलवायु के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रक्रिया करते हैं। प्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में, एरोसोल सीधे सूर्य के प्रकाश को अंतरिक्ष में वापस परावर्तित कर देते हैं। अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में, निचले वायुमंडल में एरोसोल मेघ कणों के आकार को संशोधित कर सकते हैं, जिससे मेघ से सूर्य के प्रकाश का प्रतिबिंबिन और अवशोषिण की प्रक्रिया प्रभावित होती है, परिणामस्वरूप पृथ्वी का ऊर्जा बजट प्रभावित होता है।
एरोसोल भी रासायनिक प्रतिक्रियाओं के रूप में कार्य कर सकता है (विषम रसायन विज्ञान)। इन प्रतिक्रियाओं में सबसे महत्वपूर्ण वे हैं जो समतापमंडलीय ओजोन के विनाश का कारण बनते हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान, एरोसोल ध्रुवीय समतापमंडलीय मेघों का निर्माण करते हैं। इन मेघ कणों की बड़ी सतह रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देती है। इन प्रतिक्रियाओं से प्रतिक्रियाशील क्लोरीन की बड़ी मात्रा का निर्माण होता है और अंततः, इसके कारण समतापमंडलीय ओजोन का विनाश होता है।