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सामान्य अध्ययन – 1
विषय: भारतीय संस्कृति, जिसमें प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
1. संस्कृत साहित्य ने भारतीय साहित्य को विविधता एवं समृद्धि कैसे प्रदान की। चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: कला एवं संस्कृति: नितिन सिंघानिया
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
देश में संस्कृत साहित्य के विकास के सन्दर्भ में संक्षेप में चर्चा करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
संस्कृत साहित्य का संदर्भ द्वितीय सहस्राब्दी ईसा पूर्व से संस्कृत भाषा में रचित ग्रंथों से लिया जाता है। कई प्रमुख ग्रंथ भारतीय धर्मों, जैसे- हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म से सम्बद्ध हैं और इनकी रचना प्राचीन भारत में की गयी थी।
संस्कृत साहित्य ने किन माध्यमों/ तरीकों से भारतीय साहित्य को विविधता एवं समृद्धि प्रदान की? विस्तार से समझाइए।
निष्कर्ष:
इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 2
विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ।
2. “राजनेताओं का निर्वाचन होता है, चयन नहीं”, इस संदर्भ में भारत के विशेष आलोक में चर्चा कीजिए कि विश्व भर की अधिकांश निर्वाचन प्रणालियां दोषपूर्ण क्यों हैं। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Deccan Herald
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सर्वप्रथम यह दर्शाइए कि भारतीय निर्वाचन प्रणाली, निर्वाचन पर आधारित है, चयन पर नहीं।
विषय वस्तु:
सामान्य रूप से चुनावी प्रणालियों में शामिल मुद्दों को सूचीबद्ध कीजिए, विशिष्ट उदाहरणों के साथ समझाइए।
विश्व की कुछ प्रमुख निर्वाचन प्रणालियों एवं उनसे सम्बंधित मुद्दों पर भी प्रकाश डालिए।
उपर्युक्त का भारतीय संदर्भ प्रस्तुत कीजिए- निर्वाचित प्रतिनिधि, निर्वाचित होने के पश्चात् अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कभी नहीं जाते हैं, उन्हें उन लोगों की दुर्दशा को सुधारना चाहिए, जिन्होंने उन्हें वोट दिया था। भारत में, मतदाताओं का पर्याप्त अनुपात आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों से सम्बंधित है।
सुझाव दीजिए कि क्या करने की आवश्यकता है और हाल ही में इन घटनाओं को संबोधित करने के लिए की गयी पहलों को इंगित कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/ सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
3. “हिरासत में हिंसा” (Custodial Violence) से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में इसकी स्थिति को विस्तार से समझाइए। इसे रोकने में भारत के समक्ष क्या चुनौतियां हैं? चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
समझाइये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिये।
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सर्वप्रथम “हिरासत में हिंसा” (Custodial Violence) को परिभाषित कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत में हिरासत में हिंसा की स्थिति को दर्शाने वाले कुछ प्रमुख आँकड़े एवं तथ्य प्रस्तुत कीजिए।
उन पर अंकुश लगाने से सम्बंधित चुनौतियों को सूचीबद्ध कीजिए।
समझाइए कि हिरासत में हिंसा के मुद्दों से निपटने के लिए उपलब्ध सुरक्षा उपाय अपर्याप्त साबित हुए हैं।
निष्कर्ष:
इसके समाधान की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 3
विषय: भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।
4. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र एक नवीन भारत के निर्माण के मार्ग पर है, जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था, शहरी अर्थव्यवस्था के समान ही उज्ज्वल होगी। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: अध्याय 4: खाद्य प्रसंस्करण: कृषि व्यवसाय के संभावित चालक, कुरुक्षेत्र अगस्त 2020 अंक।
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के महत्व को समझाते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की आवश्यकता को दर्शाइए। इसकी क्षमताओं पर चर्चा कीजिए; भारत के ग्रामीण भागों में भी यह किस प्रकार से अधिक क्षमता रखता है, इसकी व्याख्या कीजिए।
इस दिशा में सरकार द्वारा किये गए प्रयासों की व्याख्या कीजिए।
निष्कर्ष:
यह निष्कर्ष निकालिए कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र एक नवीन भारत के निर्माण के मार्ग पर है, जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था, शहरी अर्थव्यवस्था के समान ही उज्ज्वल होगी।
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
5. भारत के समक्ष उपस्थित वर्तमान आर्थिक चुनौतियों पर एक लेख लिखिए। ऐसे परीक्षा के समय में आत्मनिर्भर भारत द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Indian Express
निर्देशक शब्द:
लेख लिखिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ के आधार पर उसके सभी पहलुओं को शामिल करते हुए उत्तर लिखें।
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थितियों और महामारी के कारण इसके समक्ष उत्पन्न संकट को दर्शाते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में इसकी क्षमता के कारण भारत के समक्ष उपस्थित विभिन्न अवसरों पर चर्चा कीजिए।
संदर्भित लेख से संकेत लीजिए एवं समझाइए। “आत्मनिर्भर भारत” की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे बढ़ने की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 4
विषय: सिविल सेवा के लिये अभिरुचि तथा बुनियादी मूल्य- सत्यनिष्ठा, भेदभाव रहित तथा गैर-तरफदारी, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमज़ोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा संवेदना।
6. सिविल सेवाओं की प्रभावी कार्य पद्धति के लिए अभिरुचि की प्रमुख विशेषताएं क्या होनी चाहिए? औचित्य के साथ स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिये- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सर्वप्रथम अभिरुचि को परिभाषित कीजिए।
विषय वस्तु:
अभिरुचि एवं अभिवृत्ति के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
अभिरूचि की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिए; व्यावसायिक दक्षता, सामाजिक दक्षता, नैतिक दक्षता, भावनात्मक दक्षता आदि के बारे में चर्चा कीजिए।
इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि सिविल सेवकों के लिए क्षमता; केवल ज्ञान और कौशल से संबंधित नहीं है, बल्कि मूल्यों और नैतिकता से भी सम्बंधित है, जिससे कि वे अपने मूल्यों के साथ कठिन परिस्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं।
विषय: नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।
7. आपके विचार में किस दर्शन को लोगों के लिए एक आदर्श नियम के रूप में कार्य करना चाहिए- नियमवाद अथवा प्रयोजनवाद? अपने विचारों का कारण भी बताइये। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
उत्तर की संरचना:
परिचय:
नियमवाद के अर्थ को स्पष्ट कीजिए एवं कांट के योगदान पर प्रकाश डालिए।
विषय वस्तु:
नियमवाद एक स्वर्णिम नियम के रूप में कार्य क्यों नहीं कर सकता है? समझाइए।
उदाहरण प्रस्तुत कीजिए एवं अपनी राय स्पष्ट कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि नियमवाद के सन्दर्भ में कांट का दर्शन उपयोगी है लेकिन कार्रवाई की नैतिकता का निर्धारण करते समय कार्रवाई के परिणाम, कार्रवाई के उद्देश्य को भी शामिल करने की आवश्यकता है।