HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
Quiz-summary
0 of 5 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
Information
Welcome to Insights IAS Static Quiz in HINDI. We have already outlined details of this New Initiative HERE.
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading...
You must sign in or sign up to start the quiz.
You have to finish following quiz, to start this quiz:
Results
0 of 5 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 points, (0)
Categories
- Not categorized 0%
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- Answered
- Review
-
Question 1 of 5
1. Question
चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Grey Ware: PGW) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- चित्रित धूसर मृदभांड (PGW) एक पाषाण युगीन संस्कृति है।
- यह काले और लाल मृदभांड की समकालीन और उत्तरवर्ती संस्कृति है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Grey Ware: PGW), गंगा के मैदान और घग्गर-हकरा घाटी की एक लौह युग की संस्कृति है, जो लगभग 1200 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व विद्यमान थी।
PGW की महीन, चिकनी सतह होती है। शायद इनका उपयोग विशेष अवसरों पर, महत्वपूर्ण लोगों के लिए, और विशिष्ट व्यंजनों को परोसने के लिए किया जाता था।
यह काले और लाल मृदभांड की समकालीन और उत्तरवर्ती संस्कृति है।
इसकी परवर्ती संस्कृति उत्तरी काली पाँलिश वाले मृदभांड (700-200 ईसा पूर्व) थी, महान महाजनपद राज्यों और मगध साम्राज्य के उदय से संबंधित थी।
Incorrect
उत्तर: b)
चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Grey Ware: PGW), गंगा के मैदान और घग्गर-हकरा घाटी की एक लौह युग की संस्कृति है, जो लगभग 1200 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व विद्यमान थी।
PGW की महीन, चिकनी सतह होती है। शायद इनका उपयोग विशेष अवसरों पर, महत्वपूर्ण लोगों के लिए, और विशिष्ट व्यंजनों को परोसने के लिए किया जाता था।
यह काले और लाल मृदभांड की समकालीन और उत्तरवर्ती संस्कृति है।
इसकी परवर्ती संस्कृति उत्तरी काली पाँलिश वाले मृदभांड (700-200 ईसा पूर्व) थी, महान महाजनपद राज्यों और मगध साम्राज्य के उदय से संबंधित थी।
-
Question 2 of 5
2. Question
जैन धर्म की शिक्षाओं के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- महावीर के अनुसार, निर्जीव वस्तुओं में भी आत्मा और चेतना की अलग-अलग मात्रा मौजूद होती हैं।
- जैन धर्म परम ज्ञान प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या और तप में विश्वास करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
महावीर के अनुसार, निर्जीव वस्तुओं में भी आत्मा और चेतना की अलग-अलग मात्रा मौजूद होती हैं। ये घायल होने पर दर्द महसूस करते हैं।
यहां तक कि कृषि कार्य को भी पापमय माना जाता था क्योंकि यह पृथ्वी, कृमि
और जानवरों को चोट पहुंचाता है।
इसी तरह वैराग्य और त्याग के सिद्धांत को भी उपवास, निर्वस्त्रता और आत्म-यातना के रूप में माना गया है।
Incorrect
उत्तर: d)
महावीर के अनुसार, निर्जीव वस्तुओं में भी आत्मा और चेतना की अलग-अलग मात्रा मौजूद होती हैं। ये घायल होने पर दर्द महसूस करते हैं।
यहां तक कि कृषि कार्य को भी पापमय माना जाता था क्योंकि यह पृथ्वी, कृमि
और जानवरों को चोट पहुंचाता है।
इसी तरह वैराग्य और त्याग के सिद्धांत को भी उपवास, निर्वस्त्रता और आत्म-यातना के रूप में माना गया है।
-
Question 3 of 5
3. Question
अंग्रेजों ने व्यपगत के सिद्धांत (डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स) के आधार पर निम्नलिखित में से किन राज्यों को हड़प लिया गया था?
- सतारा
- संबलपुर
- नागपुर
- झाँसी
- अवध
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: d)
गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856 तक) के अधीन अंतिम बार हड़प नीति को अपनाया गया था। उसने व्यपगत के सिद्धांत (डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स) को अपनाया। इस सिद्धांत के अनुसार यदि किसी भारतीय शासक की अपने पुरुष उत्तराधिकारी के बिना मृत्यु हो जाती है, तो उसका राज्य “व्यपगत” का लिया जायेगा, अर्थात् वह कंपनी क्षेत्र का हिस्सा बन जाएगा। इस सिद्धांत को लागू करने के बाद एक के बाद एक राज्य को हड़प लिया गया जैसे: सतारा (1848), संबलपुर (1850), उदयपुर (1852), नागपुर (1853) और झांसी (1854)। अंत में, 1856 में, कंपनी ने अवध पर भी अधिकार कर लिया। इस बार अंग्रेजों ने तर्क दिया की वे नवाब के “कुशासन” से लोगों को मुक्त करने के लिए ‘कर्तव्य से बंधे’ हुए है इसलिए वे अवध पर कब्ज़ा करने पर मजबूर हैं। अपने प्रिय नवाब को जिस तरह से गद्दी से हटाया गया, उसे देखकर लोगों में गुस्सा भड़क उठा और अवध के लोग भी 1857 के महान विद्रोह में शामिल हो गए।
Incorrect
उत्तर: d)
गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856 तक) के अधीन अंतिम बार हड़प नीति को अपनाया गया था। उसने व्यपगत के सिद्धांत (डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स) को अपनाया। इस सिद्धांत के अनुसार यदि किसी भारतीय शासक की अपने पुरुष उत्तराधिकारी के बिना मृत्यु हो जाती है, तो उसका राज्य “व्यपगत” का लिया जायेगा, अर्थात् वह कंपनी क्षेत्र का हिस्सा बन जाएगा। इस सिद्धांत को लागू करने के बाद एक के बाद एक राज्य को हड़प लिया गया जैसे: सतारा (1848), संबलपुर (1850), उदयपुर (1852), नागपुर (1853) और झांसी (1854)। अंत में, 1856 में, कंपनी ने अवध पर भी अधिकार कर लिया। इस बार अंग्रेजों ने तर्क दिया की वे नवाब के “कुशासन” से लोगों को मुक्त करने के लिए ‘कर्तव्य से बंधे’ हुए है इसलिए वे अवध पर कब्ज़ा करने पर मजबूर हैं। अपने प्रिय नवाब को जिस तरह से गद्दी से हटाया गया, उसे देखकर लोगों में गुस्सा भड़क उठा और अवध के लोग भी 1857 के महान विद्रोह में शामिल हो गए।
-
Question 4 of 5
4. Question
निम्नलिखित में से किस आंदोलन को “वन्दे मातरम आंदोलन” के नाम से भी जाना जाता है?
Correct
उत्तर: c)
‘वन्देमातरम आंदोलन‘ को स्वदेशी आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है। यह बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन था। वायसराय लॉर्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल प्रांत को दो में विभाजित कर दिया था। विभाजन के लागू होने पर बंगाल के लोगों ने 16 अक्टूबर को शोक दिवस के रूप में मनाया गया। बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखित गीत वंदेमातरम विभाजन विरोधी आंदोलन की बैठकों के लिए प्रार्थना गीत बन गया।
Incorrect
उत्तर: c)
‘वन्देमातरम आंदोलन‘ को स्वदेशी आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है। यह बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन था। वायसराय लॉर्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल प्रांत को दो में विभाजित कर दिया था। विभाजन के लागू होने पर बंगाल के लोगों ने 16 अक्टूबर को शोक दिवस के रूप में मनाया गया। बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखित गीत वंदेमातरम विभाजन विरोधी आंदोलन की बैठकों के लिए प्रार्थना गीत बन गया।
-
Question 5 of 5
5. Question
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ‘सर स्टेफोर्ड क्रिप्स’ मिशन की परिकल्पना की गई थी
Correct
उत्तर: d)
मिशन के मुख्य प्रस्ताव इस प्रकार थे।
- डोमिनियन स्टेटस के दर्जे वाले एक भारतीय संघ की स्थापना की जायेगी; यह संघ राष्ट्रमंडल के साथ अपने संबंधों के निर्धारण में स्वतंत्र होगा तथा संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों एवं संस्थाओं में अपनी भूमिका को खुद ही निर्धारित करेगा।
- युद्ध की समाप्ति के पश्चात् नए संविधान के निर्माण हेतु संविधान निर्मात्री परिषद का गठन किया जाएगा। इसके कुछ सदस्य प्रांतीय विधायिकाओं द्वारा निर्वाचित किए जाएंगे तथा कुछ रियासतों के राजाओं द्वारा मनोनीत किए जाएंगे।
- ब्रिटिश सरकार, संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा बनाए गए नए संविधान को अग्रलिखित शर्तों के अधीन स्वीकार करेगी- (i) संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा निर्मित संविधान जिन प्रांतों को स्वीकार नहीं होगा, वे भारतीय संघ से पृथक होने के अधिकारी होंगे। पृथक होने वाले प्रांतों को अपना पृथक संविधान बनाने का अधिकार होगा। देशी रियासतों को भी इसी प्रकार का अधिकार होगा और (ii) नवगठित संविधान निर्मात्री परिषद तथा ब्रिटिश सरकार सत्ता के हस्तांतरण तथा प्रजातीय व धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के मुद्दे को आपसी समझौते द्वारा समाधान करेंगे।
4. उक्त व्यवस्था होने तक भारत के सुरक्षा संबंधी दायित्वों का निर्वहन ब्रिटेन करेगा तथा वायसराय की समस्त शक्तियाँ पूर्ववत् बनी रहेंगी।
Incorrect
उत्तर: d)
मिशन के मुख्य प्रस्ताव इस प्रकार थे।
- डोमिनियन स्टेटस के दर्जे वाले एक भारतीय संघ की स्थापना की जायेगी; यह संघ राष्ट्रमंडल के साथ अपने संबंधों के निर्धारण में स्वतंत्र होगा तथा संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों एवं संस्थाओं में अपनी भूमिका को खुद ही निर्धारित करेगा।
- युद्ध की समाप्ति के पश्चात् नए संविधान के निर्माण हेतु संविधान निर्मात्री परिषद का गठन किया जाएगा। इसके कुछ सदस्य प्रांतीय विधायिकाओं द्वारा निर्वाचित किए जाएंगे तथा कुछ रियासतों के राजाओं द्वारा मनोनीत किए जाएंगे।
- ब्रिटिश सरकार, संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा बनाए गए नए संविधान को अग्रलिखित शर्तों के अधीन स्वीकार करेगी- (i) संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा निर्मित संविधान जिन प्रांतों को स्वीकार नहीं होगा, वे भारतीय संघ से पृथक होने के अधिकारी होंगे। पृथक होने वाले प्रांतों को अपना पृथक संविधान बनाने का अधिकार होगा। देशी रियासतों को भी इसी प्रकार का अधिकार होगा और (ii) नवगठित संविधान निर्मात्री परिषद तथा ब्रिटिश सरकार सत्ता के हस्तांतरण तथा प्रजातीय व धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के मुद्दे को आपसी समझौते द्वारा समाधान करेंगे।
4. उक्त व्यवस्था होने तक भारत के सुरक्षा संबंधी दायित्वों का निर्वहन ब्रिटेन करेगा तथा वायसराय की समस्त शक्तियाँ पूर्ववत् बनी रहेंगी।