विषय – सूची
सामान्य अध्ययन-II
1. मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अध्यादेश, 2020
2. बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में भारतीय किशोरों की स्थिति
सामान्य अध्ययन-III
1. आरबीआई के डेटा स्थानीकरण मानदंड
2. भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (STPI)
3. आकाशगंगा में पहली बार ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोट‘ (FRB) की जानकारी
4. हिमालयी वातावरण में भूरा कार्बन ‘टारबॉल्स’ की मौजूदगी
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. अवधानम
2. राष्ट्रीय मानसून मिशन
सामान्य अध्ययन- II
विषय: सरकार की नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दों के लिए हस्तक्षेप।
मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अध्यादेश, 2020
(Arbitration and Conciliation (Amendment) Ordinance)
संदर्भ:
हाल ही में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा ‘मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम’ 1996 में संशोधन करने के लिए ‘मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) अध्यादेश’ 2020 पर हस्ताक्षर कर दिए गए हैं।
‘मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) अध्यादेश’ 2020 के प्रमुख बिंदु:
इस अध्यादेश में, ‘धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार से किये जाने वाले मध्यस्थता समझौते अथवा अनुबंधों’ के मामले में संबंधित पक्षकारों को ‘मध्यस्थता निर्णय’ के प्रवर्तन पर बिना शर्त ‘रोक’ (Stay) आदेश दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
- इसके अलावा, अध्यादेश में मध्यस्थता अधिनियम की 8 वीं अनुसूची को निरसित कर दिया गया है। 8वीं अनुसूची में मध्यस्थों (Arbitrators) की आवश्यक अहर्ता के प्रमाणन संबंधी प्रावधान सम्मिलित थे।
- अध्यादेश के द्वारा, मध्यस्थता अधिनियम की धारा 36 में एक प्रावधान जोड़ा गया है जो 23 अक्टूबर, 2015 से पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा।
- इस संशोधन के अनुसार, यदि न्यायालय संतुष्ट होता है, कि संबंधित मामले में दिया गया ‘मध्यस्थता निर्णय’, प्रथमदृष्टया, ‘धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार से किये जाने वाले मध्यस्थता समझौते अथवा अनुबंधों’ पर आधारित है, तो अदालत अधिनियम की धारा 34 के तहत, प्रदान किये गए ‘मध्यस्थता निर्णय’ पर अपील लंबित रहने तक बिना शर्त रोक लगा देगी।
पृष्ठभूमि:
अभी तक किसी मध्यस्थता फैसले के खिलाफ कानून की धारा 36 के तहत अपील दायर किए जाने के बावजूद इसे लागू किया जा सकता था। हालांकि, अदालत उपयुक्त शर्तों के साथ इस पर स्थगन दे सकती थी।
प्रीलिम्स लिंक:
- मध्यस्थता (Arbitration) क्या होती है?
- मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अधिनियम में किये गए हालिया संशोधन
- अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के बारे में
- भारतीय मध्यस्थता परिषद के बारे में
- 1996 अधिनियम के तहत मध्यस्थों की नियुक्ति
मेंस लिंक:
मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अधिनियम के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में भारतीय किशोरों की स्थिति
संदर्भ:
हाल ही में, मेडिकल जर्नल ‘द लांसेट’ (The Lancet) में विभिन्न देशों के बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index- BMI) की समीक्षा प्रकाशित हुई थी।
लांसेट द्वारा किये गए अध्ययन में 200 देशों से प्राप्त पिछले 34 वर्षों के डेटा का विश्लेषण किया गया था।
बॉडी मास इंडेक्स (BMI) क्या होता है?
बॉडी मास इंडेक्स (BMI), किसी व्यक्ति की ऊंचाई और वजन का अनुपात होता है।
- BMI की गणना व्यक्ति के भार (किग्रा) को उसकी उंचाई (मीटर) के वर्ग से विभाजित करके की जाती है। अर्थात, बॉडी मास इंडेक्स (BMI)= वजन / (लंबाई)2
- सामान्यतः किसी स्वस्थ व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स, 20 से 25 के मध्य होता है।
रिपोर्ट के भारत संबंधी प्रमुख निष्कर्ष:
- अध्ययन में, भारत को बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के संदर्भ में 196 वां स्थान प्रदान किया गया है।
- भारत के 19 वर्षीय लड़के और लड़कियों का बॉडी मास इंडेक्स 20.1 है।
- तुलनात्मक रूप से, चीन को लड़कों और लडकियों के बॉडी मास इंडेक्स के संदर्भ में क्रमशः 88 वां तथा 119 वां स्थान दिया गया है, इसके लड़के और लड़कियों का बॉडी मास इंडेक्स क्रमशः 23 तथा 2 है।
- भारत को, 19 वर्षीय लड़के और लड़कियों के कम बॉडी मास इंडेक्स वाले देशों के समूह में नीचे से क्रमशः तीसरे और पांचवें स्थान पर रखा गया है।
भारत के लिए चिंता का विषय:
- चूंकि, व्यक्ति की ऊंचाई बॉडी मास इंडेक्स का घटक होती है, इसका स्वभाविक नतीजा यह है कि, भारतीय किशोर, विश्व में सबसे कम ऊंचाई वाले व्यक्तियों में आते हैं।
- भारत में सरकारी दावों के अनुसार, भारतीय किशोरों की कुपोषण अथवा नाटेपन में एक दशक पूर्व की स्थित से सुधार हुआ है। रिपोर्ट के ये निष्कर्ष इन दावों को गलत साबित करते है।
- अध्ययन में, भारतीय किशोरों की कम ऊंचाई के पीछे कुपोषण को संभावित कारण बताया गया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- BMI क्या होता है?
- रिपोर्ट में भारत का प्रदर्शन
- रिपोर्ट में भारत और उसके पड़ोसियों के प्रदर्शन का तुलनात्मक विश्लेषण
मेंस लिंक:
भारत में सरकारी दावों के अनुसार, भारतीय किशोरों की कुपोषण अथवा नाटेपन में एक दशक पूर्व की स्थित से सुधार हुआ है। चर्चा कीजिए।
स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया
सामान्य अध्ययन- III
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।
आरबीआई के डेटा स्थानीकरण मानदंड
(RBI Data Localisation Norms)
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India-NPCI) द्वारा फेसबुक के स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप को देश में चरणबद्ध तरीके से अपनी भुगतान सेवा शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी है।
प्रमुख बिंदु:
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने व्हाट्सएप को एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface-UPI) के माध्यम से भुगतान सेवाओं के परिचालन की अनुमति दी है।
- व्हाट्सएप उपयोगकर्ता अपने UPI सक्षम बैंक खातों को लिंक कर सकते हैं और मैसेजिंग ऐप के माध्यम से धन स्थानांतरित कर सकते हैं।
एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) क्या है?
- यह, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित एक तत्काल रियल-टाइम भुगतान प्रणाली है।
- इसे अप्रैल 2016 में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था।
- UPI को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित किया जाता है।
रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित डेटा स्थानीकरण मानदण्डो के अनुसार-
- चूंकि, भारत के बाहर भुगतान-लेनदेन के प्रसंस्करण पर कोई रोक नहीं है, अतः भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (Payment System Operators– PSOs) को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रसंस्करण के बाद डेटा केवल भारत में संग्रहीत किया जाए।
- यदि डेटा प्रसंस्करण का विदेश में किया जाता है, तो डेटा को विदेश में स्थित सिस्टम से मिटा कर, भुगतान प्रसंस्करण से आगामी 24 घंटे के भीतर भारत में वापस लाया जाना चाहिए। इस प्रसंस्करित डेटा को केवल भारत में संग्रहीत किया जाना चाहिए।
- आवश्यकता पड़ने पर, भारत में संग्रहीत डेटा को ग्राहक विवादों से निपटने के लिए एक्सेस किया जा सकता है।
- आवश्यक होने पर, भुगतान प्रणाली के डेटा को, आरबीआई की अनुमति से, विदेशी नियामक के साथ साझा किया जा सकता है।
- जिन बैंकों, विशेष रूप से विदेशी बैंकों, को विदेशों में बैंकिंग डेटा संग्रहीत करने की अनुमति दी गई थी, उन पर ये नियम लागू नहीं होंगे। हालांकि, घरेलू भुगतान लेनदेन के संबंध में, डेटा केवल भारत में संग्रहीत किया जाएगा।
देश में संग्रहीत डेटा के लिए आवश्यक शर्तें:
संग्रहीत डेटा में-
- भुगतान निपटान या भुगतान से संबंधित एंड-टू-एंड ट्रांजेक्शन विवरण और जानकारी साम्मिलित होनी चाहिए।
- ग्राहक का नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल, आधार नंबर, पैन नंबर जैसी जानकारी साम्मिलित होनी चाहिए।
- भुगतान संवेदनशील डेटा जैसे ग्राहक और लाभार्थी खाता विवरण; ओटीपी, पिन, पासवर्ड जैसे भुगतान क्रेडेंशियल आदि शामिल किये जाने चाहिए।
इस संबंध में दिशानिर्देशों की आवश्यकता:
भारत में भुगतान प्रणाली क्षेत्र में नवाचार, ई-कामर्स और फिनटेक आदि में तेजी से प्रगति हुई है। अतः ग्राहक, उपयोगकर्ताओं और सरकार के हितों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश और विनियमन आदि जारी किया जाना स्वभाविक है।
प्रीलिम्स लिंक:
- NPCI के बारे में
- UPI के बारे में
- UPI 0 में नवीन परिवर्तन क्या है?
- रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित डेटा स्थानीकरण मानदण्डो का अवलोकन
मेंस लिंक:
डेटा स्थानीकरण क्या है? इससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (STPI)
(Software Technology Parks of India)
संदर्भ:
भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (Software Technology Parks of India– STPI) द्वारा कई शहरों में कार्यालय और कनेक्टिविटी अवसंरचना ढांचा स्थापित करने हेतु 400 करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। इसके लिए STPI छोटी प्रौद्योगिकी फर्मों को ‘प्लग-एंड-प्ले’ सुविधा प्रदान कर रहा है।
भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (STPI) के बारे में:
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया, भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत स्वायत्तशासी सोसायटी है।
- इसकी स्थापना सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए की गई है।
- STPI को वर्ष 1991 में स्थापित किया गया था।
- STPI की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री होते हैं।
STPI के अन्य प्रमुख उद्देश्य:
- सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (STP) / इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (EHTP) योजना तथा समय-समय पर भारत सरकार द्वारा सौंपी गई इसी तरह की अन्य योजनाओं को तैयार व कार्यान्वित करके निर्यातकों को वैधानिक सेवाएँ प्रदान करना।
- IT/ITES क्षेत्र में उद्यमशीलता के लिए अनुकूल वातावरण बनाकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों को बढ़ावा देना।
- सूचना प्रौद्योगिकी और संबंधित उद्योगों को सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी योग्य सेवाओं में विभिन्न मूल्य वर्धित सेवाओं सहित आंकड़ा संचार सेवाएं प्रदान करना।
प्रीलिम्स और मेन्स लिंक:
भारतीय सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (STPI) – उद्देश्य और कार्य।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
आकाशगंगा में पहली बार ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोट‘ (FRB) की जानकारी
संदर्भ:
हाल ही में, खगोल वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा में पहली बार ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोट’ (fast radio bursts– FRB) के रूप में जानी जाने वाले ‘रेडियो तरंगों के अत्याधिक तीव्र स्पंदन’ (Intense pulses of radio waves) का पता किया है।
अब तक, अन्य आकाशगंगाओं में अक्सर इस प्रकार के ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोटों’ का पता चलता रहा है।
इस खोज का महत्व:
ये ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोट’ (FRB), पृथ्वी से निकटतम दूरी पर रिकॉर्ड गए अब तक के सबसे नज़दीकी सिग्नल थे। इसके अतिरिक्त, ये FRB सिग्नल, अब तक ज्ञात किसी भी अन्य मैग्नेटर रेडियो सिग्नल (Magnetar Radio Signal) की तुलना में 3,000 गुना चमकीले थे।
FRB की उत्पत्ति
नए अध्ययन ने पुष्टि की है, कि ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोट’ (FRB) की उत्पत्ति एक दुर्लभ प्रकार के न्यूट्रॉन से होती है, जिन्हें ‘मैग्नेटर‘ (Magnetar) कहा जाता है
‘मैग्नेटर‘ क्या हैं?
‘मैग्नेटर’ (Magnetar), न्यूट्रॉन तारों (Neutron Star) का एक प्रकार होते हैं।
‘मैग्नेटर’, ब्रह्माण्ड में सबसे शक्तिशाली चुम्बकीय तारे होते हैं। इनका चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में 5,000 ट्रिलियन गुना अधिक शक्तिशाली होता हैं।
इन नए ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोटों’ का स्रोत
- नवीनतम खोजे गए ‘तीव्र रेडियो प्रस्फोट’ / फ़ास्ट रेडियो बर्स्ट्स (FRB) संकेत, पृथ्वी से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित SGR 1935+2154 नामक एक ‘मैग्नेटर‘ से उत्पन्न हुए थे।
- ये ‘मैग्नेटर’ आकाशगंगा के केंद्र में वल्पेकुला (Vulpecula) तारामंडल में स्थित है।
प्रीलिम्स लिंक:
- रेडियो तरंगें क्या होती हैं?
- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम क्या होता है?
- ‘मैग्नेटर’ क्या हैं?
- न्यूट्रॉन तारा क्या है?
स्रोत: डाउन टू अर्थ
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
हिमालयी वातावरण में भूरा कार्बन ‘टारबॉल्स’ की मौजूदगी
संदर्भ:
एक हालिया अध्ययन के दौरान हिमालय-तिब्बत के पठार में टारबॉल्स (काले और भूरे रंग के कार्बन कण) की मौजूदगी देखी गयी है।
उच्च प्रदूषण के दिनों में टारबॉल (Tarballs) की प्रतिशत-मात्रा में वृद्धि हो जाती है, और इससे ग्लेशियर्स के पिघलने की गति और वैश्विक उष्मन में वृद्धि हो सकती है।
‘टारबॉल’ और इनका निर्माण
टारबॉल, छोटे आकार के, प्रकाश-अवशोषित करने वाले, कार्बन कण होते हैं जो बॉयोमास या जीवाश्म ईंधन के जलाए जाने से निर्मित होते हैं, तथा जमी हुई बर्फ पर बैठ जाते हैं।
- टारबॉल्स बेहद छोटे और खतरनाक कण होते हैं जो अपने साथ कॉर्बन, ऑक्सीजन और कम मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फर व पोटेशियम को भी लिए रहते हैं।
- इन कणों से ग्लेशियर्स के पिघलने की गति बढ़ सकती है।
- जीवाश्म ईंधन के जलने के दौरान उत्सर्जित होते होने वाले भूरे कार्बन से निर्मित होते हैं।
इनकी उत्पत्ति का स्रोत
टारबॉल्स की उत्पत्ति, गंगा के मैदानी भागों में बॉयोमास या जीवाश्म ईंधन के जलाए जाने से प्रकाश अवशोषित करने वाले यह कार्बन कणों से होती है।
संबंधित चिंताएं
टारबॉल्स, हवा के साथ लंबी दूरी तय कर सकते हैं और जलवायु प्रभाव के बड़े कारक हो सकते हैं साथ ही हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर्स के पिघलने का वाहक भी बन सकते हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- टारबॉल क्या हैं?
- ब्लैक कार्बन और ब्राउन कार्बन के बीच अंतर
- टारबॉल के स्रोत
- प्रभाव
मेंस लिंक:
हिमालय पर टारबॉल की बढ़ती हुई प्रतिशत-मात्रा से पड़ने वाले प्रभाव की जांच कीजिए।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
अवधानम
(Avadhanam)
- ‘अवधानम’ एक रोचक साहित्यिक गतिविधि है, जिसमें मुश्किल साहित्यिक पहेलियों को हल करना, कविताओं को सुधारना और ऐसे कई कार्यों को एक साथ करने की एक व्यक्ति की क्षमता की परीक्षा करना शामिल है।
- अवधानम’ एक संस्कृत साहित्यिक प्रक्रिया के रूप में उत्पन्न हुआ और आधुनिक समय में तेलुगु और कन्नड़ में कवियों द्वारा पुनर्जीवित किया जा रहा है।
चर्चा का कारण
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि एक साहित्यिक गतिविधि के तौर पर ‘अवधानम’ ने तेलुगू भाषा की गौरवशाली परंपरा में व्यापक योगदान दिया है।
राष्ट्रीय मानसून मिशन
इसे वर्ष 2012 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य लघु, मध्यम और लंबी दूरी के क्षेत्रों हेतु पूर्वानुमानों के लिए अत्याधुनिक, गतिशील मानसून भविष्यवाणी प्रणाली विकसित करना है।
- राष्ट्रीय मानसून मिशन के तत्वाधान में 12 किलोमीटर क्षेत्र के लिए छोटी और मध्यम श्रेणी की भविष्यवाणी हेतु एक ग्लोबल एनसेंबल पूर्वानुमान प्रणाली विकसित की गयी है।