विषय – सूची
सामान्य अध्ययन-II
1. संयुक्त संसदीय समिति (JPC)
2. शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) सर्वेक्षण
3. आरोग्य सेतु पर केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा पारित आदेश का आईटी मंत्रालय द्वारा अनुपालन
सामान्य अध्ययन-III
1. सरकार द्वारा इस वर्ष मात्र ‘हरित पटाखों’ की अनुमति
2. चंद्रमा पर पानी की खोज
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. GIFT सिटी विकसित करने हेतु यूनाइटेड किंगडम द्वारा साझेदारी
2. राष्ट्रीय कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन नीति प्रारूप (NPMPF)
सामान्य अध्ययन- II
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
संयुक्त संसदीय समिति (JPC)
(Joint Committee of Parliament)
संदर्भ:
डेटा संरक्षण विधेयक (Data Protection Bill) की समीक्षा के लिये गठित संसद की संयुक्त समिति (Joint Parliamentary Committee (JPC) द्वारा ‘ट्विटर इंक’ (Twitter Inc), अमेरिका स्थित मूल कंपनी, से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लद्दाख को चीन के हिस्से के रूप में दिखाने के संबंध में हलफनामे के रूप में स्पष्टीकरण माँगा गया है।
संबंधित प्रकरण
- मानचित्र का त्रुटिपूर्ण प्रदर्शन केवल भारत अथवा भारतीयों की संवेदनशीलता का मामला नहीं है, यह भारत की संप्रभुता और अखंडता का मामला है और इसका सम्मान नहीं करना एक आपराधिक कृत्य है।
- भारतीय मानचित्र को अनुचित और गलत तरीके से दिखाना राजद्रोह का अपराध है जिसके लिए सात जेल की सजा का प्रावधान है।
संयुक्त संसदीय समिति के बारे में:
संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee – JPC) का गठन संसद के समक्ष प्रस्तुत किसी विशेष विधेयक की जाँच करने अथवा किसी सरकारी कार्यवाही में हुई वित्तीय अनियमितताओं की जाँच के उद्देश्य से किया जाता है।
- संयुक्त संसदीय समिति (JPC) एक तदर्थ समिति (Ad–hoc committee) होती है।
- इसका गठन एक निश्चित समयावधि के लिए किया जाता है और इसका उद्देश्य किसी विशिष्ट मामले का समाधान करना होता है।
संयुक्त संसदीय समिति की संरचना
- संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के गठन करने हेतु संसद के एक सदन में प्रस्ताव पारित किया जाता है जिसका दूसरे सदन द्वारा अनुमोदन किया जाता है।
- समिति के सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में निर्णय संसद के द्वारा किया जाता है
- समिति के सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं होती है। प्रायः समिति में लोकसभा सदस्यों की संख्या राज्यसभा सदस्यों की संख्या से दोगुनी होती है।
शक्तियां और कार्य
- संयुक्त संसदीय समिति को मौखिक या लिखित रूप में साक्ष्य इकट्ठा करने तथा संबंधित मामले में दस्तावेज़ों की मांग करने का अधिकार होता है।
- जनहित के मामलों को छोड़कर समिति की कार्यवाही और निष्कर्ष को गोपनीय रखा जाता है।
- सरकार, राज्य की सुरक्षा या देश के हित के लिये आवश्यक प्रतीत होने पर किसी दस्तावेज़ को वापस लेने का निर्णय ले सकती है
- समिति, जांच से संबंधित व्यक्तियों को पूछतांछ करने हेतु अपने समक्ष उपस्थित होने के लिए बुला सकती है।
- हालाँकि साक्ष्य के लिये बुलाये जाने पर किसी विवाद की स्थिति में में अध्यक्ष के निर्णय अंतिम होता है।
- संसद को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद JPC भंग हो जाती है।
प्रीलिम्स लिंक:
- संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के बारे में
- संरचना
- शक्तियां
- कार्य
- अब तक गठित की गयी संयुक्त संसदीय समितियां
मेंस लिंक:
संयुक्त संसदीय समितियों के महत्व और कार्यों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) सर्वेक्षण
(Annual State of Education Report (ASER) survey)
संदर्भ:
हाल ही में, सितंबर माह में किए गए शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (Annual State of Education Report– ASER) सर्वेक्षण के परिणाम जारी किये गए हैं।
यह सर्वेक्षण, भारत के ग्रामीण छात्रों की ‘प्रौद्योगिकी के विभिन्न स्तरों तक पहुँच, स्कूल और परिवार के संसाधनों में भिन्नता के परिणामस्वरूप होने वाले शिक्षा में डिजिटल विभाजन के कारण पढाई में होने वाले नुकसान का अनुमान प्रस्तुत करता है।
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) के बारे में:
- असर (Annual Status of Education Report-ASER) ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों द्वारा पढ़ सकने और गणित के प्रश्नों को हल करने की क्षमता पर आधारित, ग्रामीण शिक्षा और अध्ययन परिणामों का एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है।
- यह सर्वेक्षण शिक्षा क्षेत्र की शीर्षस्थ गैर-लाभकारी संस्था ‘प्रथम‘ द्वारा पिछले 15 वर्षों से प्रतिवर्ष कराया जाता है। इस वर्ष, सर्वेक्षण फोन कॉल के माध्यम से आयोजित किया गया था।
प्रमुख निष्कर्ष- कोविड-19 महामारी का प्रभाव
- सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 20% ग्रामीण बच्चों के पास घर पर कोई पाठ्यपुस्तकें नहीं है। आंध्र प्रदेश में, 35% से कम बच्चों के पास पाठ्यपुस्तकें थीं। पश्चिम बंगाल, नागालैंड और असम में 98% से अधिक बच्चों के पास पाठ्यपुस्तकें थीं।
- सर्वेक्षण सप्ताह के दौरान, लगभग प्रति तीन में से एक ग्रामीण बच्चे द्वारा पढाई संबंधी कोई कार्य नहीं किया गया था।
- सर्वेक्षण सप्ताह में, लगभग तीन में से दो बच्चों के पास उनके विद्यालय द्वारा दी गई कोई भी पढाई संबंधित सामग्री या कार्य नहीं था, और प्रति दस छात्रों में से केवल एक को लाइव ऑनलाइन कक्षा की सुविधा उपलब्ध थी।
- स्मार्टफोन की सुविधा प्राप्त बच्चों में से एक तिहाई बच्चों को पढाई संबंधित सामग्री नहीं मिली थी।
- 6-10 वर्ष की आयु के 5.3% ग्रामीण बच्चों ने इस वर्ष अभी तक स्कूल में दाखिला नहीं लिया था।
- 15-16 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के मध्य 2018 की तुलना में नामांकन स्तर थोड़ा अधिक था।
- सरकारी स्कूलों में नामांकन अपेक्षाकृत अधिक रहा, जबकि निजी स्कूलों में, सभी आयु-वर्गों के छात्रों की, नामांकन में गिरावट देखी गयी।
- लगभग 62% स्कूली बच्चों वाले ग्रामीण परिवारों के पास स्मार्टफोन थे। लॉकडाउन के बाद लगभग 11% परिवारों द्वारा एक नया फोन खरीदा गया, जिसमें से 80% स्मार्टफोन थे।
प्रीलिम्स लिंक:
- शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) क्या है?
- ASER सर्वेक्षण किसके द्वारा आयोजित किया जाता है?
मेंस लिंक:
कोविड-19 महामारी ने ग्रामीण शिक्षा को किस प्रकार प्रभावित किया है? नवीनतम ASER सर्वेक्षण रिपोर्ट के आलोक में चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।
आरोग्य सेतु पर केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा पारित आदेश का आईटी मंत्रालय द्वारा अनुपालन
(IT Ministry working to comply with CIC orders on Aarogya Setu)
संदर्भ:
हाल ही में, आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से आरोग्य सेतु एप्लीकेशन (Aarogya Setu application) से संबंधित जानकारी माँगी गयी थी।
आरोग्य सेतु क्या है?
आरोग्य सेतु (Aarogya Setu), एक एंड्राइड (Android) और आईओएस (IOS) प्लेटफ़ॉर्म आधारित ऐप है, जो कोरोनावायरस वायरस ट्रैकिंग ऐप के रूप में उपयोगकर्ताओं द्वारा प्रदान किए गए डेटा का उपयोग करती है।
संबंधित प्रकरण
कुछ समय पूर्व, एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से आरोग्य सेतु एप्लीकेशन (Aarogya Setu application) से संबंधित जानकारी मांगी गयी थी। जिसके जबाब में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (IT Ministry) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre- NIC) ने कहा था कि, उनके पास आरोग्य सेतु एप्लीकेशन के ‘निर्माण’ से संबंधित कोई जानकारी नहीं है।
- इस जबाब पर केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) द्वारा आईटी मंत्रालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की फटकार लगाई गयी।
- केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने सरकार के इस जवाब को ‘अतर्कसंगत’ करार दिया है। आयोग ने NIC को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि उस पर ‘प्रथमदृष्टया सूचना को बाधित करने और अस्पष्ट जवाब देने के लिए’ सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाए।
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के बारे में
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) की स्थापना वर्ष 2005 में केंद्र सरकार द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत की गई थी।
- केंद्रीय सूचना आयोग का अध्यक्ष ‘मुख्य सूचना आयुक्त’ (Chief Information Commissioner) होता है।
- CIC सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा प्रदान की गयी जानकारी से असंतुष्ट व्यक्तियों द्वारा की गयी अपील की सुनवाई करता है, और आरटीआई अधिनियम से संबंधित प्रमुख मुद्दों का समाधान करता है।
- केंद्रीय सूचना आयोग, केंद्र सरकार के समक्ष आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन संबंधी एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- आरोग्य सेतु ऐप के बारे में
- केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के बारे में
- संरचना
- कार्य
- शक्तियां
- मुख्य सूचना आयुक्त तथा सूचना आयुक्त में अंतर
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
सरकार द्वारा इस वर्ष मात्र ‘हरित पटाखों’ की अनुमति
(Govt. Green-lights ‘green’ firecrackers this year)
संदर्भ:
दिल्ली सरकार द्वारा तीन नवम्बर से पटाखे विरोधी अभियान (Anti-Firecracker Campaign) शुरू करने का फैसला किया गया है।
अब, राष्ट्रीय राजधानी में सिर्फ ‘हरित’ पटाखे (Green Firecrackers) ही बनाए, बेचे और इस्तेमाल किये जा सकेंगे।
पृष्ठभूमि
दिल्ली में वर्ष 2018 के दौरान आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया गया था तथा वर्ष 2019 में केवल हरित’ पटाखों के लिए अनुमति दी गई थी। लेकिन, निर्माताओं को ‘हरित पटाखों’ के निर्माण संबंधी अनुमति काफी देर से प्राप्त हुई, जिससे वे समय पर इनकी उपलब्धता नहीं करा सके थे।
‘हरित पटाखे’ क्या होते हैं?
‘हरित पटाखों (Green Firecrackers) का रासायनिक सूत्र इस प्रकार का होता है, कि इन्हें जलाने पर जल-अणु उत्पन्न होतें हैं और यह हानिकारक उत्सर्जन स्तर को काफी हद तक कम करते है। पटाखों से उत्पन्न जल-अणु, धूल-कणों का अवशोषण भी करते है।
ये कम उत्सर्जन और कम आवाज वाले पटाखे होते हैं।
‘हरित पटाखों के लाभ
- ‘हरित पटाखों के प्रयोग से नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों तथा ‘पर्टिकुलेट मैटर्स’ में 30- 35 प्रतिशत तक की कमी होती है।
- इनकी निर्माण लागत, सामान्य पटाखों से 25-30 प्रतिशत तक कम होगी और इसके लिए निर्माताओं को अपने कारखानों में कोई बदलाव नहीं करना होगा।
पटाखों में विभिन्न रंगों के कारक
लाल: स्ट्रोंटियम लवण (नाइट्रेट, कार्बोनेट और स्ट्रोंटियम के सल्फेट्स)
नारंगी: कैल्शियम लवण (कार्बोनेट, क्लोराइड और कैल्शियम के सल्फेट्स)
पीला: सोडियम लवण (नाइट्रेट और सोडियम के ऑक्सालेट)
हरा: बेरियम लवण (नाइट्रेट्स, कार्बोनेट, क्लोराइड और बेरियम के क्लोरेट्स)
नीला: तांबा लवण (कार्बोनेट और तांबे के आक्साइड)
बैंगनी: तांबे और स्ट्रोंटियम यौगिकों का संयोजन
सफेद: मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम और टाइटेनियम जैसी धातुओं का दहन
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘हरित पटाखे’ क्या होते हैं?
- इनके निर्माण में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख तत्व
- पटाखों में विभिन्न रंगों के कारक
मेंस लिंक:
‘हरित पटाखे’ क्या होते हैं? इनके महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
चंद्रमा पर पानी की खोज
(Water on the Moon)
संदर्भ:
हाल ही में, चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित क्लेवियस क्रेटर (Clavius Crater) में जल के अणुओं की खोज की गयी है।
- चंद्रमा की सूर्य से प्रकाशित सतह पर पहली बार जल की उपस्थिति का पता चला है, और इससे ज्ञात होता है, कि पानी केवल चंद्रमा की अंधेरी सतह तक सीमित नहीं है।
- नासा की स्ट्रैटोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (Stratospheric Observatory for Infrared Astronomy– SOFIA) द्वारा इसकी पुष्टि की गई है।
इस खोज का महत्व
चन्द्रमा पर संभावित जीवन के एक ‘चिह्न’ होने के अलावा, पानी, गहन अंतरिक्ष में एक अनमोल संसाधन है।
- चंद्रमा पर उतरने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जीवित रहने हेतु पानी की उपस्थिति आवश्यक है, इसके अलावा रॉकेट ईंधन के निर्माण जैसे उद्देश्यों के लिए भी पानी आवश्यक है।
- यदि अंतरिक्ष अन्वेषणकर्ता चंद्रमा के संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं, तो इन्हें पृथ्वी से कम मात्रा में पानी ले जाने की आवश्यकता होगी।
चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति के संभावित कारण
- इसका एक कारण, अल्प मात्रा में जल-युक्त अंतरिक्षीय चट्टानों की चंद्रमा पर बमबारी हो सकती है।
- वैकल्पिक रूप से, सूर्य से प्रवाहित होने वाली सौर हवाओं के माध्यम से चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन पहुँच सकता है। हाइड्रोजन द्वारा सतह पर मृदा में उपस्थित खनिजों के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रॉक्सिल (Hydroxyl) का निमार्ण हो सकता है, जोकि बाद में जल में परिवर्तित हो गया होगा।
सोफिया (SOFIA) के बारे में:
सोफिया, 45,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले बोइंग 747SP जेटलाइनर का एक संशोधित रूप है।
- यह नासा और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर की संयुक्त परियोजना है।
- SOFIA पर एक विशेष अवरक्त (Infrared) कैमरा लगाया गया है जो जल-अणुओं की विशेष तरंगदैर्ध्यों की छवियाँ कैद करता है।
- SOFIA का मिशन अंधेरे और दूर की वस्तुओं को देखना है। दूसरी ओर, चंद्रमा इतना करीब और चमकीला है कि यह SOFIA के गाइड कैमरा के पूरे दृश्य-क्षेत्र को आच्छादित कर देता है।
चंद्रयान-1 और पानी की खोज
- इससे पहले, इसरो के चंद्रयान-1 मिशन द्वारा पहले ही चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी के प्रमाण दिए गए थे।
- वर्ष 2009 में, चंद्रयान-1 पर लगे हुए मून मिनरलोजी मैपर (Moon Mineralogy Mapper– M3) उपकरण द्वारा चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों में पानी के अणुओं का पता लगाया था।
आगे की राह
SOFIA के द्वारा सूर्य से प्रकाशित अन्य स्थानों में पानी की तलाश की जाएगी, जिससे चंद्रमा पर पानी की उत्पत्ति, भंडारण और संचरण के बारे में पता लग सकेगा।
इस बीच, नासा का वालटिलस इंवेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर (Volatiles Investigating Polar Exploration Rover– VIPER) चंद्रमा का पहला जल संसाधन मानचित्र बनाने के लिए एक मिशन को अंजाम देगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- चंद्रमा पर महत्वपूर्ण क्रेटर
- नासा के VIPER के बारे में
- चंद्रयान 1
- SOFIA क्या है?
मेंस लिंक:
चन्द्रमा पर संभावित जीवन के एक ‘चिह्न’ होने के अलावा, पानी, गहन अंतरिक्ष में एक अनमोल संसाधन है। चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
GIFT सिटी विकसित करने हेतु यूनाइटेड किंगडम द्वारा साझेदारी
- यूनाइटेड किंगडम द्वारा भारत के उभरते हुए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र गिफ्ट सिटी (International Financial Services Centre GIFT City) को विकसित करने के लिए एक रणनीतिक समझौता किया गया है।
- ब्रिटेन, समझौते के तहत, यूनाइटेड किंगडम के फ्यूचर कैपिटल इन्वेस्टमेंट को भारत में लाने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) समूह द्वारा प्रबंधित एक नयी कोष निधि (Fund of Funds) भी स्थापित करने पर भी सहमत हुआ है।
- गिफ्ट (गुजरात अन्तराष्ट्रीय वित्त टेक- सिटी) [GIFT (Gujarat International Finance Tec-City)], गांधीनगर स्थित भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है।
राष्ट्रीय कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन नीति प्रारूप (NPMPF)
(National Program and Project Management Policy Framework)
नीति आयोग और भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India– QCI) द्वारा राष्ट्रीय कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन नीति प्रारूप (NPMPF) की शुरुआत की गयी है।
इस प्रारूप का उद्देश्य भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को निष्पादित करने के तरीकों में महत्वपूर्ण सुधार लाना है।
इस प्रारूप की कार्य योजना:
- बुनियादी विकास के लिए एक कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाना।
- कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन के कार्य को संस्थागत बनाना और प्रोत्साहन देना एवं ऐसे पेशेवरों का एक कार्यबल बनाना,
- पेशेवरों की संस्थागत क्षमता और क्षमता में वृद्धि।