INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 26 October

 

विषय – सूची:

 सामान्य अध्ययन-I

1. सिंधु घाटी सभ्यता में डेयरी उत्पादन के साक्ष्य

2. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत के प्रदर्शन का विश्लेषण

3. अमेरिकी सहयोगियों द्वारा इजरायल-सूडान समझौते का स्वागत

4. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन

 

सामान्य अध्ययन-III

1. सामान्य तापमान पर पहला सुपरकंडक्टर

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. केरल में किराए पर बाइक की सुविधा

2. हिमालयन भूरा भालू

3. किसान सूर्योदय योजना

4. गिरनार पर्वत

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

सिंधु घाटी सभ्यता में डेयरी उत्पादन के साक्ष्य


संदर्भ:

हाल ही में, 2500 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता में डेयरी उत्पादन प्रचलित होने संबंधी साक्ष्यों की पहली बार वैज्ञानिक रूप से पुष्टि हुई है और यह अब तक, डेयरी उत्पादन के प्राचीनतम ज्ञात प्रमाण है।

  • गुजरात स्थित एक ग्रामीण बस्ती कोटड़ा भादली के पुरातात्विक स्थल पर पाए जाने वाले मिट्टी के बर्तनों में अवशेषों के आणविक रासायनिक विश्लेषण करने पर इन परिणामों का पाता चला है।
  • अध्ययन किए गए 59 नमूनों में से 22 में डेयरी वसा (dairy lipids) की उपस्थिति देखी गई।

नवीनतम अध्ययन से प्राप्त प्रमुख निष्कर्ष:

  • निष्कर्षों के आधार पर पता चला है कि भारत में डेयरी उत्पादन करीब 3000 साल ईसा पूर्व में शुरू हुआ, जो कि सिंधु घाटी सभ्यता को जीवित रखने के पीछे एक कारक हो सकता है।
  • स्टेबल आइसोटोप एनालिसिस (Stable Isotope Analysis) प्रक्रिया के माध्यम से शोधकर्ता डेयरी उत्पादन में इस्तेमाल किए जाने वाले पशुओं की पहचान करने में भी सक्षम थे, और इनके निष्कर्षो के अनुसार यह पशु बकरियों और भेड़ों के बजाय गाय और भैंस की तरह होते थे।
  • डेयरी उत्पादन का औद्योगिक स्तर: हड़प्पावासी डेयरी-पदार्थों को केवल अपनी घरेलू जरूरतों के लिए उपयोग नहीं करते थे। पशुओं के बड़े झुंडों संबंधी साक्ष्यों से पता चलता है, कि विभिन्न बस्तियों के बीच विनियम व करने के उद्देश्य से दूध का निजी आवश्यकता से अधिक उत्पादन किया जाता था। इससे सिंधु घाटी सभ्यता में डेयरी उत्पादन, औद्योगिक स्तर पर विकसित होने की संभावना प्रतीत होती है।

निष्कर्षों का महत्व

  • अब तक हड़प्पा सभ्यता के बारे में चर्चा होने पर हमेशा महानगरीय शहरों और बड़े शहरों का उल्लेख किया जाता रहा है। किंतु, एक समानांतर अर्थव्यवस्था – कृषि-चारवाही अथवा ग्रामीण अर्थव्यवस्था, अभी तक ज्ञात नहीं थी।
  • हम, सिन्धु घाटी सभ्यता के विशिष्ट शहरी नियोजन, व्यापारिक प्रणालियों, आभूषण-निर्माण कौशल के बारे में जानते है। लेकिन हमें, हड़प्पा काल के दौरान, आम लोगों की जीवनशैली और उनके द्वारा इस समाज में किये जाने वाले योगदान के बारे में कोई अंदाजा नहीं है।

अध्ययन में प्रयुक्त पद्धति: कार्बन समस्थानिक अध्ययन

प्राचीन मिट्टी के बर्तनों के अवशेषों का अध्ययन करने के लिए आणविक विश्लेषण तकनीकों (Molecular analysis techniques) का उपयोग किया गया था।

  1. मिट्टी के बर्तन छिद्रयुक्त (porous) होते हैं। अतः जैसे ही इन बर्तनों में कोई तरल खाद्य पदार्थ रखा जाता है, ये उसे अवशोषित कर लेते हैं।
  2. इन बर्तनों में वसा और प्रोटीन जैसे खाद्य अणु परिरक्षित हो जाते हैं।
  3. कार्बन-16 (C16) और कार्बन-18 (C18) विश्लेषण जैसी तकनीकों का उपयोग करके वसा के स्रोत की पहचान की जा सकती है।

ध्यान दें:

वर्ष 2020 में सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के 100 साल पूरे हुए हैं।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में
  2. महत्वपूर्ण स्थल
  3. व्यापार मार्ग
  4. बंदरगाह नगर
  5. खुदाई और महत्वपूर्ण निष्कर्ष
  6. नगर योजना
  7. पशु पालन के साक्ष्य

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स्रोत: द हिंदू

 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत के प्रदर्शन का विश्लेषण


ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) क्या है?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) एक सहकर्मी-समीक्षित प्रकाशन (Peer-Reviewed Publication) है, जिसे प्रतिवर्ष वेल्ट हंगर हिल्फे (Welt Hunger Hilfe) तथा कंसर्न वर्ल्डवाइड (Concern Worldwide) द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है।

यह वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूखसंबंधी आंकड़ो को तैयार करता है।

GHI रैंकिंग तैयार करने हेतु चार संकेतकों के आधार पर गणना की जाती है:

  1. अल्पपोषण (UNDERNOURISHMENT): अल्प-पोषित आबादी का हिस्सा जो अपर्याप्त कैलोरी सेवन को दर्शाता है।
  2. बाल-निर्बलता (CHILD WASTING): पांच वर्ष से कम उम्र के वे बच्चे, जिनका वज़न उनकी लंबाई के अनुपात में कम होता है, तीव्र कुपोषण को दर्शाता है।
  3. बच्चों में नाटापन (CHILD STUNTING): पांच वर्ष से कम उम्र के वे बच्चे आते हैं जिनकी लंबाई आयु के अनुपात में कम होती है। यह दीर्घकालिक कुपोषण को दर्शाता है।
  4. बाल मृत्यु दर (CHILD MORTALITY): पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर। यह आंशिक रूप से, अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण के घातक मिश्रण को प्रतिबिंबित करती है।

GHI मापक

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) में 0 से 100 अंको के मापक पर देशों की रंकिग की जाती है, जिसमे ‘0सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (भूख-मुक्त) तथा ‘100 सबसे ख़राब प्रदर्शन को दर्शाता है।
  • 10 अंक से कम स्कोर ‘भूख के निम्न स्तर’ को दर्शाता है; 20 से 34.9 तक का स्कोर ‘भूख के गंभीर स्तर’ का संकेतक होता है; 35 से 49.9 तक का स्कोर ‘भूख के खतरनाक स्तर’ तथा 50 या उससे अधिक का स्कोर ‘भूख के अत्यंत चिंताजनक स्तर’ को बताता है।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI)- 2020 रिपोर्ट: प्रमुख निष्कर्ष

विश्व में लगभग 690 मिलियन लोग कुपोषण से ग्रसित हैं; 144 मिलियन बच्चे नाटेपन (Stunting) से पीड़ित हैं, यह दीर्घकालिक कुपोषण का संकेत है। 47 मिलियन बच्चे ‘दुर्बलता’ (Wasting) से ग्रसित हैं, यह भी तीव्र कुपोषण की ओर संकेत करता है।

GHI में भारत और पड़ोसी देशों की स्थिति:

  1. भारत, 107 देशों के सूचकांक में 94 वें स्थान पर है, तथा बांग्लादेश (75) और पाकिस्तान (88) जैसे अपने पड़ोसी देशों से पीछे है।
  2. रिपोर्ट में भारत को 27.2 अंक प्राप्त हुए हैं और इसे ‘गंभीर श्रेणी’ में रखा गया है। दो दशक पूर्व भारत का स्कोर 38.9 था और ‘खतरनाक श्रेणी’ में रखा गया था, उस समय की तुलना में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है।
  3. ब्रिक्स समूह के अन्य सदस्य देशों की तुलना में भारत का प्रदर्शन बहुत ही ख़राब है। चीन और ब्राजील ने शीर्ष पांच देशों में स्थान प्राप्त किया है। दक्षिण अफ्रीका 5 अंको के साथ 60 वें स्थान पर रहा है, जो भूख के मध्यम स्तर का संकेत देता है।
  4. भारत 107 देशों में से 94 वें स्थान पर है और सूडान के साथ रैंक साझा करता है।
  5. भारत में, पांच वर्ष से कम उम्र के उन बच्चों, जिनका वज़न उनकी लंबाई के अनुपात में कम होता है, की संख्या विश्व में सर्वाधिक है, जो तीव्र कुपोषण को दर्शाती है, और यह स्थिति भारत को अफ्रीका के सबसे गरीब देशों के समकक्ष रखती है। कुछ संकेतक में पिछले पांच वर्षों में वास्तविक गिरावट दिखाते हैं।

विभिन्न मापदंडों में भारत का प्रदर्शन:

  1. समग्र रूप से अल्पपोषण (Overall undernourishment): भारत की 14% आबादी को पर्याप्त कैलोरी नहीं मिलती है। हालांकि इसे वर्ष 2005-07 की तुलना में सुधार कहा जा सकता है, जब 20% आबादी को पर्याप्त कैलोरी नहीं मिलती थी।
  2. बाल मृत्यु दर (Child Mortality Rate) वर्ष 2000 में 9.2% से कम होकर 2020 में 3.7% हो गयी है।
  3. बच्चों में नाटापन (Child Stunting): भारत में बच्चों में नाटापन दर 37.4% है। हालांकि यह वर्ष 2000 के 54.2% की दर से बहुत बेहतर है, और यह अभी भी विश्व में सबसे खराब स्थिति में है।
  4. बाल-निर्बलता (Child Wasting): देश में बाल-निर्बलता (Child Wasting) दर 17.3% है, तथा यह विश्व में सर्वाधिक है।

भारत में बच्चों में नाटापन तथा बाल-निर्बलता के उच्च स्तर के प्रमुख कारण

  • मातृ स्वास्थ्य की ख़राब स्थिति (Poor maternal health): दक्षिण एशियाई बच्चों के जीवन के पहले छह महीनों के भीतर ही ‘दुर्बलता’ संबधी लक्षणों का उच्च स्तर दिखने लगता है। यह मातृ स्वास्थ्य की खराब स्थिति को दर्शाता है।
  • माताओं की गर्भधारण करते समय आयु बहुत कम होती है तथा वे छोटी और दुर्बल होती हैं, इसके अलावा माताएं स्वयं कुपोषण का शिकार होती हैं।
  • स्वच्छता का निम्न स्तर भी बच्चे की दुर्बलता और उसके नाटेपन का एक अन्य प्रमुख कारण है।

विभिन्न भारतीय राज्यों के मध्य तुलना

  • झारखंड में लगभग प्रत्येक तीन में से एक बच्चा तीव्र कुपोषण का शिकार है, तथा यहाँ बाल-निर्बलता (Child Wasting) की दर 29% है।
  • तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे अन्य बड़े राज्यों में भी प्रत्येक पांच में से एक बच्चा ‘दुर्बलता’ का शिकार है।
  • आमतौर पर विकास सूचकांकों पर खराब प्रदर्शन करने वाले बिहार, राजस्थान और ओडिशा जैसे राज्यों में बाल-निर्बलता दर 13-14% है, जो कि राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।
  • उत्तराखंड और पंजाब सहित कई उत्तर-पूर्वी राज्यों में, बाल-निर्बलता का स्तर 10% से कम है।
  • बच्चों के नाटापन (Child Stunting) के संदर्भ में बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब है, यहाँ 42% बच्चों का कद उनकी आयु की तुलना में बहुत कम हैं। गुजरात सहित बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी बच्चों के नाटापन की दर 40% से कम है।
  • मापक के दूसरे छोर पर, जम्मू और कश्मीर में केवल 15% बच्चे नाटेपन के शिकार हैं, तथा तमिलनाडु और केरल में इनकी संख्या 20% के आसपास हैं।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) के बारे में
  2. GHI किसके द्वारा जारी किया जाता है?
  3. GHI में अंक निर्धारण
  4. देशों की रैंकिंग
  5. भारत का प्रदर्शन: 2020 बनाम 2019
  6. भारत तथा पड़ोसी देशों की GHI में स्थिति

मेंस लिंक:

नवीनतम ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत के प्रदर्शन पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

अमेरिकी सहयोगियों द्वारा इजरायल-सूडान समझौते का स्वागत


संदर्भ:

दशकों से चली आ रही दुश्मनी को खत्म करने के लिए सूडान और इजरायल द्वारा अमेरिकी मध्यस्थता में एक समझौते के तहत संबंधों को सामान्य बनाने पर सहमति जताई गई है।

  • इजरायल-सूडान समझौते इस घोषणा के बाद सूडान पिछले दो महीनों में यहूदी राज्य के साथ राजनयिक संबंध बनाने वाला तीसरा अरब देश बन गया है। सूडान, वर्ष 1948 में इजरायल के स्थापना के बाद से ही, तकनीकी रूप से इजराइल के साथ युद्धरत था।
  • इससे पहले, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने इजरायल के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

फिलिस्तीन की प्रतिक्रिया:

फिलिस्तीनी नेताओं ने इस समझौते की कड़ी निंदा की।

इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष:

इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष की शुरुआत उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में, मुख्य रूप से जमीन पर कब्जे संबंधी संघर्ष के रूप में हुई थी।

  • वर्ष 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के बाद, पवित्र भूमि को तीन भागों में विभाजित किया गया: इजरायल राज्य, वेस्ट बैंक (जॉर्डन नदी का पश्चिमी तट), और गाजा पट्टी।
  • वर्ष 1993 के ओस्लो समझौते द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा की गयी तथा समाधान के रूप में दो राज्यों के गठन की रूपरेखा तैयार की गयी।
  • इस समझौते के तहत वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी के कुछ हिस्सों को सीमित स्वशासन देते हुए इन क्षेत्रों पर फिलिस्तीनी अधिकार को मान्यता प्रदान की गयी थी।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. प्रस्तावित पश्चिम एशिया शांति योजना का अवलोकन?
  2. सिक्स डे वॉर क्या है?
  3. मानवाधिकार उच्चायुक्त
  4. ‘मध्य पूर्व चतुष्टय’ (Middle East Quartet)

मानचित्र पर निम्नलिखित स्थानों को खोजिए:

  1. गोलन हाइट्स
  2. वेस्ट बैंक
  3. यरूशलेम
  4. मृत सागर

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स्रोत: द हिंदू

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)


(International Labour Organization)

संदर्भ:

भारत ने 35 वर्षों बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour OrganizationILO) के शासी निकाय (Governing Body) की अध्यक्षता की है।

श्रम और रोजगार सचिव श्री अपूर्व चंद्रा को अक्टूबर 2020 से जून 2021 तक की अवधि के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन- ILO के शासी निकाय के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।

ILO का शासी निकाय

  • शासी निकाय (Governing Body), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का शीर्ष कार्यकारी निकाय है जो नीतियों, कार्यक्रमों, एजेंडे, बजट का निर्धारण करता है और महानिदेशक का चुनाव का कार्य भी करता है।
  • इसकी जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में प्रतिवर्ष तीन बैठकें होती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के बारे में:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के बाद ‘लीग ऑफ़ नेशन’ की एक एजेंसी के रूप में की गयी थी।

  • इसे वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा स्थापित किया गया था।
  • वर्ष 1946 में ILO, संयुक्त राष्ट्र (United NationsUN) की पहली विशिष्ट एजेंसी बन गया।
  • वर्ष 1969 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय एजेंसी है जो सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाती है।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की प्रमुख रिपोर्ट्स

  1. विश्व रोज़गार और सामाजिक दृष्टिकोण (World Employment and Social Outlook)
  2. वैश्विक मजदूरी रिपोर्ट (Global Wage Report)

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के बारे में
  2. शासी निकाय
  3. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की प्रमुख रिपोर्ट
  4. 8 मूल अभिसमय
  5. वर्साय की संधि के बारे में

स्रोत: पीआईबी

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

सामान्य तापमान पर पहला सुपरकंडक्टर


(First room-temperature superconductor)

संदर्भ:

लगभग एक सदी की प्रतीक्षा के बाद, वैज्ञानिकों ने पहले सामान्य तापमान पर पहले अतिचालक (First room-temperature superconductor) की खोज करने की सूचना दी है।

यह खोज किस प्रकार की गयी?

अतिचालक (सुपरकंडक्टर) को हाइड्रोजन, कार्बन और सल्फर के मिश्रण से तैयार किया गया है। हाइड्रोजन, कार्बन और सल्फर के मिश्रण को दो डायमंड्स के बीच रखकर इतना दबाव डाला गया कि वह एक सुपरकंडक्टर में परिवर्तित हो गया। पदार्थ में लगभग 14.5 डिग्री सेल्सियस और लगभग 39 मिलियन पीएसआई के दबाव पर सुपरकंडक्टिविटी उत्पन्न हुई।

  • पृथ्वी के वायुमंडलीय दाब से लगभग 6 मिलियन गुना दाब तथा 15 ° C से कम तापमान पर, विद्युत प्रतिरोध समाप्त हो जाता है।
  • हालांकि, नए पदार्थ की अतिचालकता (Superconducting) सुपरपावर केवल अत्यधिक उच्च दबाव होने पर सक्रिय होती है, जिससे फिलहाल इसकी व्यावहारिक उपयोगिता काफी सीमित है।

इस खोज का महत्व

  • अब तक खोजे गए सभी सुपरकंडक्टर्स को ठंडा करना होता था। उनमें से कई सुपरकंडक्टर्स को प्रयोग में लाने ले लिए बहुत निम्न तापमान पर लाना पड़ता था, जिससे अधिकांश सुपरकंडक्टर अनुप्रयोगों के लिए अव्यावहारिक हो गए।
  • किंतु, हाल ही में खोजा गया सुपरकंडक्टर सामान्य तापमान (Room Temperature) पर काम करने में सक्षम है- लगभग 15 डिग्री सेल्सियस तापमान के नीचे पदार्थ में अतिचालकता आ जाती है।

सुपरकंडक्टर्स क्या हैं?

  • अतिचालक (Superconductor) वह पदार्थ होता है जो विद्युत प्रवाह में कोई भी प्रतिरोध (Resistance) नहीं दिखाता है। सुपरकंडक्टर्स बिना प्रतिरोध के विद्युत प्रवाह संचारित करते हैं, जिससे बिना ऊर्जा की हानि के विद्युत धारा प्रवाहित हो सकती है।
  • सर्वप्रथम सुपरकंडक्टिविटी की खोज वर्ष जब 1911 में की गई थी। उस समय अतिचालकता केवल परम शून्य (−273.15° C) के करीब तापमान पर पायी गयी थी।

सुपरकंडक्टर के संभावित अनुप्रयोग:

  • यदि सामान्य तापमान वाले सुपरकंडक्टर का उपयोग वायुमंडलीय दबाव में किया जाता है, तो यह विद्युत ग्रिड में प्रतिरोध के फलस्वरूप नष्ट होने वाली ऊर्जा की बड़ी मात्रा को बचा सकता है।
  • यह MRI मशीनों से लेकर क्वांटम कंप्यूटर और चुंबक-चालित ट्रेनों के लिए प्रयुक्त की जाने वाली वर्तमान तकनीकों में सुधार कर सकता है। वैज्ञानिकों की परिकल्पना के अनुसार- मानवता एक ‘सुपरकंडक्टिंग समाज’ के रूप में परिवर्तित हो सकती है।

स्रोत: द हिंदू

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


केरल में किराए पर बाइक की सुविधा

  • ‘किराए पर बाइक’ सुविधा को भारतीय रेलवे द्वारा शुरू किया गया है।
  • इस सुविधा को सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक संपर्क स्थापित करने और रेल यात्रियों को निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने के लिए तिरुवनंतपुरम रेलवे डिवीजन के तहत 15 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर लागू किया किया जाएगा।

हिमालयन भूरा भालू

(Himalayan brown bears)

  • इसे हिमालयी लाल भालू (Himalayan red bear), इसाबेलिन भालू (Isabelline bear) या दज़ु-तेह (Dzu-Teh) के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह हिमालयी उच्च क्षेत्रों में पाया जाने वाला सबसे बड़ा मांसाहारी प्राणी है।
  • यह हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और जम्मू और कश्मीर सहित 23 संरक्षित क्षेत्रों में पाया जाता है।

IUCN स्थिति:

  • एक प्रजाति के रूप में भूरे भालू को IUCN द्वारा संकटमुक्त (Least Concern के रूप में वर्गीकृत किया गया है। किंतु यह उप-प्रजाति अत्यधिक संकटग्रस्त है और इसकी आबादी तेजी से घट रही है।
  • यह प्रजाति हिमालय क्षेत्रों में संकटग्रस्त (Endangered) है और हिंदू-कुश क्षेत्र में घोर-संकटग्रस्त (Critically Endangered) है।

चर्चा का कारण

  • हिमालयन भूरे भालू पर हाल ही में किए गए एक अध्ययन में जलवायु परिवर्तन के कारण इस प्रजाति के उपयुक्त निवास स्थान और जैविक गलियारों में महत्वपूर्ण कमी की भविष्यवाणी की गई है।
  • जिससे वैज्ञानिकों द्वारा इस प्रजाति के संरक्षण के लिए पश्चिमी हिमालय में संरक्षित-क्षेत्र नेटवर्क के अनुकूल स्थानिक योजना का सुझाव दिया गया है।

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किसान सूर्योदय योजना

(Kisan Suryodaya Yojana)

  • हाल ही में, पीएम मोदी द्वारा किसान सूर्योदय योजना का आरंभ गुजरात में किया गया है।
  • इसका उद्देश्य राज्य में किसानों को सिंचाई और खेती के लिए दिन के समय बिजली उपलब्ध कराना है।

गिरनार पर्वत

गुजरात में जूनागढ़ के निकट गिरनार पर्वत है। गिरनार का प्राचीन नाम ‘गिरिनगर’ था।

  • एशियाई सिंहों के लिए विख्यात गिर वन राष्ट्रीय उद्यान इसी पर्वत के जंगल क्षेत्र में स्थित है।
  • गिरनार मुख्यत: जैन मतावलं‍बियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहां मल्लिनाथ और नेमिनाथ के मंदिर बने हुए हैं।
  • भगवान दत्तात्रेय ने गिरनार पर्वत के शिखर पर तपस्या की थी।
  • साथ ही इस क्षेत्र में 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने निर्वाण प्राप्त किया था।
  • यहीं पर सम्राट अशोक का एक स्तंभ भी है। महाभारत में अनुसार रेवतक पर्वत की क्रोड़ में बसा हुआ प्राचीन तीर्थ स्थल है।

चर्चा का कारण

  • हाल ही में, प्रधानमंत्री द्वारा गिरनार पर्वत पर रोपवे का शुभारंभ किया गया।
  • गिरनार रोपवे की वजह से 3 किलोमीटर की दूरी केवल 7.5 मिनट में कवर हो जाएगी।
  • इस रोपवे परियोजना को एशिया के सबसे लंबे मंदिर रोपवे के रूप में देखा जा रहा है।
  • इस रोपवे को 130 करोड़ रूपये के निवेश सहित उषा ब्रेको लिमिटेड (Usha Breco Limited) द्वारा विकसित किया गया है।

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