विषय – सूची:
सामान्य अध्ययन-I
1. आजाद हिंद सरकार
सामान्य अध्ययन-II
1. राज्य निर्वाचन आयोग (SEC)
2. जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (DDC)
सामान्य अध्ययन-III
1. उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना
2. भारत की पहली सी-प्लेन परियोजना
3. ओसीरिस-रेक्स एवं क्षुद्रग्रह बेन्नू
4. राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM)
5. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. आईएनएस कवरत्ती
2. कोविराप (COVIRAP)
3. ‘इंफोडेमिक’ क्या है?
सामान्य अध्ययन- I
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।
आज़ाद हिंद सरकार
(Azad Hind Government)
संदर्भ:
21 अक्टूबर, 2020 को आजाद हिंद सरकार के गठन की 77 वीं वर्षगांठ।
आज़ाद हिंद सरकार के बारे में:
वर्ष 1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जापानी कब्जे वाले सिंगापुर में आज़ाद हिंद की अस्थायी सरकार के गठन की घोषणा की थी।
- आर्जी हुकुमत-ए-आज़ाद हिंद के (Arzi Hukumat-e-Azad Hind) रूप में जानी जाने वाले इस सरकार का धुरी राष्ट्रों; इम्पीरियल जापान, नाजी जर्मनी, इटालियन सोशल रिपब्लिक और उनके सहयोगियों द्वारा शक्तियों द्वारा समर्थन किया गया था।
- जापानी कब्जे वाले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भी अनंतिम सरकार का गठन किया गया था। 1945 में इस द्वीप को अंग्रेजों ने फिर कब्ज़ा कर लिया।
आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना का उद्देश्य
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का मानना था, कि सशस्त्र संघर्ष, भारत के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है।
आज़ाद हिंद सरकार की घोषणा से मलाया (वर्तमान मलेशिया) और बर्मा (म्यांमार) में बसने वाले हजारों भारतीय प्रवासियों तथा पूर्व कैदियों ने उत्साहित होकर स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिया।
प्रमुख विशेषताऐं
- आजाद हिंद सरकार की अपनी मुद्रा, न्यायालय, तथा नागरिक संहिता थे।
- इसकी अस्थायी राजधानी पोर्ट ब्लेयर थी, तथा निर्वासन काल में इसकी राजधानी रंगून और सिंगापुर थी।
अस्थायी सरकार के तहत:
- सुभाष चंद्र बोस राष्ट्र के प्रमुख, प्रधान मंत्री और युद्ध और विदेशी मामलों के मंत्री थे।
- कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने आजाद हिन्द फ़ौज के महिला संगठन का नेतृत्व किया।
- एस ए अय्यर ने प्रकाशन और प्रचार विंग की कमान संभाली थी।
- रास बिहारी बोस को सर्वोच्च सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।
अस्थायी सरकार का अंत
सुभाष चंद्र बोस की म्रत्यु को आज़ाद हिंद आंदोलन के अंत के रूप में देखा गया था। धुरी शक्तियों की पराजय के पश्चात वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध भी समाप्त हो गया।
प्रीलिम्स लिंक:
- आजाद हिंद सरकार की स्थापना कब हुई थी?
- इसका गठन कहाँ हुआ था?
- इसके उद्देश्य
- विभिन्न नेताओं के कार्य प्रभार
मेंस लिंक:
आज़ाद हिंद सरकार एवं इसके उद्देश्यों पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- II
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
राज्य निर्वाचन आयोग (SEC)
(State Election Commission)
संदर्भ:
राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission– SEC) द्वारा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर, चुनाव कराने हेतु सरकार से बजट उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गयी है।
राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) द्वारा सरकार से आम चुनाव कराने में सहायता करने के लिए भी प्रार्थना की गयी है।
राज्य निर्वाचन आयोग के बारे में:
भारत के संविधान में राज्य निर्वाचन आयोग का उल्लेख किया गया है, जिसमें अनुच्छेद 243K, तथा 243ZA के अंतर्गत राज्य निर्वाचन आयुक्त, पंचायतों और नगर पालिकाओं हेतु सभी चुनावों का संचालन, निर्वाचन संबंधी दिशा-निर्देश, तथा मतदाता सूची तैयार करने संबंधी प्रावधान किये गए है।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (C3) के अनुसार, राज्यपाल, राज्य निर्वाचन आयुक्त (SEC) द्वारा अनुरोध किए जाने पर राज्य निर्वाचन आयोग के लिए अन्य कर्मचारियों को उपलब्ध कराता है।
भारतीय निर्वाचन आयोग तथा राज्य निर्वाचन आयोग की शक्तियां
राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) के गठन से संबंधित अनुच्छेद 243K के प्रावधान, भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) से संबंधित अनुच्छेद 324 के समान हैं। दूसरे शब्दों में, राज्य निर्वाचन आयोग को भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के समान दर्जा प्राप्त होता है।
किशन सिंह तोमर बनाम अहमदाबाद शहर नगर निगम मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था, कि राज्य सरकारें, जिस प्रकार संसदीय निर्वाचन तथा विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के निर्देशों का पालन करती हैं, उसी तरह, राज्य सरकारों को पंचायत और नगरपालिका चुनावों के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) के आदेशों का पालन करना चाहिए।
चुनाव-प्रक्रिया में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमा
चुनावी प्रक्रिया आरंभ होने के पश्चात, न्यायालय द्वारा स्थानीय निकायों और स्व-प्रशासित संस्थानों के निर्वाचन-संचालन में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
संविधान के अनुच्छेद 243-O में राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) द्वारा शुरू किये गए निर्वाचन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप को प्रतिबंधित किया गया है।
इसी प्रकार, अनुच्छेद 329 के तहत चुनाव आयोग द्वारा शुरू किये गए निर्वाचन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
- चुनाव समाप्त होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग के निर्णयों या आचरण पर चुनाव याचिका के माध्यम से सवाल उठाए जा सकते हैं।
- राज्य निर्वाचन आयोग को प्राप्त शक्तियाँ चुनाव आयोग की शक्तियों के समान हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- अनुच्छेद 243 अनुच्छेद 324
- चुनाव आयोग के फैसलों के खिलाफ अपील
- संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव तथा स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया
- भारतीय निर्वाचन आयोग तथा राज्य चुनाव आयोग की शक्तियों के बीच अंतर
मेंस लिंक:
क्या भारत में राज्य चुनाव आयोग, भारतीय निर्वाचन आयोग की भांति स्वतंत्र हैं? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।
जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (DDC)
(District Development Councils)
संदर्भ:
17 अक्टूबर को केंद्र द्वारा जिला विकास परिषदों (District Development Councils– DDC) के गठन करने करने हेतु ‘जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम’, 1989 में संशोधन किया गया है।
‘जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम’ में संशोधन करने हेतु गृह मंत्रालय द्वारा एक कानून लाया गया था।
‘जिला विकास परिषद’ के कार्य
जिला विकास परिषदें (District Development Councils- DDC) जम्मू-कश्मीर के सभी जिलों में मौजूदा ‘जिला योजना और विकास बोर्डों’ को प्रतिस्थापित करेंगी।
- ये परिषदें, जिले में योजनाओं को तैयार करेंगी तथा पूंजीगत व्यय को अनुमोदित करेंगी।
- जिला विकास परिषद ( DDC) का कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा।
- जिला विकास परिषद की प्रति तिमाही हिसाब से एक वर्ष में कम से कम चार ‘आम बैठकें’ आयोजित की जाएंगी।
जिला विकास परिषद की संरचना
- प्रत्येक जिला विकास परिषद (DDC) में, जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 14 निर्वाचित सदस्य होंगे। इनके अतिरिक्त, जिले से संबंधित विधान सभा सदस्य, तथा जिले के सभी खंड विकास परिषदों के अध्यक्ष परिषद् के सदस्य होंगे।
- चुनावी प्रक्रिया में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
- जिले के अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त (Additional DC) जिला विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे।
DDC के सदस्यों का निर्वाचन
केंद्र शासित प्रदेश में, जिला विकास परिषद (DDC) के सदस्य मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाएंगे।
प्रीलिम्स लिंक:
- DDC के बारे में
- संरचना
- कार्य
- इन परिषदों की अध्यक्षता कौन करेगा
मेंस लिंक:
जिला विकास परिषद DDC) की भूमिका और कार्यों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सामान्य अध्ययन- III
विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।
उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना
(Production-Linked Incentive (PLI) scheme)
संदर्भ:
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा 7-8 अन्य क्षेत्रों के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना (Production-Linked Incentive (PLI) scheme) के विस्तार पर विचार किया जा रहा है।
उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना के बारे में
भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए, हाल ही में, सरकार द्वारा मोबाइल फोन, फार्मा उत्पादों और चिकित्सा उपकरण क्षेत्रों के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (Production Linked Incentive- PLI) योजना की घोषणा की गयी थी।
- 1 अप्रैल को, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति के भाग के रूप में PLI योजना कोअधिसूचित किया गया था।
- इसके तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण में व्यापक निवेश को आकर्षित करने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किये जाते है।
योजना की प्रमुख विशेषताएं:
- इस योजना के तहत भारत में निर्मित और लक्षित क्षेत्रों में शामिल वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष) पर पात्र कंपनियों को 5 वर्ष की अवधि के लिये 4-6 प्रतिशत तक की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। प्रोत्साहन राशि की गणना के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 को आधार वर्ष माना जायेगा।
- इस योजना के तहत आवेदन करने लिए शुरुआत में 4 महीने का समय दिया गया है, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है।
- इस योजना का कार्यान्वयन एक नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा, यह नोडल एजेंसी एक परियोजना प्रबंधन एजेंसी (Project Management Agency– PMA) के रूप में कार्य करेगी तथा समय-समय पर MeitY द्वारा सौंपे गए सचिवीय, प्रबंधकीय और कार्यान्वयन सहायता प्रदान करने संबधी कार्य करेगी।
योजना के तहत पात्रता
- योजना के अनुसार, 15,000 रुपये अथवा उससे अधिक मूल्य के मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को इस प्रकार के भारत में निर्मित सभी मोबाइल फोन की बिक्री पर 6 प्रतिशत तक की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।
- इसी श्रेणी में, भारतीय नागरिकों के स्वामित्व में मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को अगले चार वर्षों में 200 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।
निवेश का प्रकार
- सभी भारतीय इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण कंपनियां अथवा भारत में पंजीकृत इकाईयां योजना के अंतर्गत आवेदन की पात्र होंगी।
- ये कंपनियां प्रोत्साहन राशि के लिए किसी नई इकाई का निर्माण कर सकती अथवा भारत में विभिन्न स्थानों पर कार्यरत अपनी मौजूदा इकाइयों के लिए प्रोत्साहन राशि की मांग कर सकती हैं।
- हालांकि, किसी परियोजना के लिए भूमि और इमारतों पर कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को प्रोत्साहन राशि के लिए गणना करते समय निवेश के रूप में नहीं माना जायेगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति के तहत प्रमुख प्रस्ताव।
- ‘उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना- इसकी घोषणा कब की गई थी?
- इस योजना के तहत प्रोत्साहन राशि है?
- किस तरह के निवेश पर विचार किया जाएगा?
- योजना की अवधि
- इसे कौन कार्यान्वित करेगा?
मेंस लिंक:
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए ‘उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना क्या है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
भारत की पहली सी–प्लेन परियोजना
(India’s first seaplane project)
भारत में पहली सी-प्लेन सेवा, सरदार वल्लभभाई पटेल की वर्षगांठ 31 अक्टूबर से गुजरात में शुरू हो रही है।
राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर शुरू हो रही सी प्लेन सेवा अहमदाबाद रिवर फ्रंट से केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक चलेगी।
- यह अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट को केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से जोड़ेगी।
- यह सेवा स्पाइसजेट एयरलाइंस द्वारा संचालित की जाएगी।
सी-प्लेन परियोजनाओं का महत्व एवं संभावनाएं
- देश में बिखरे हुए छोटे और बड़े जल-निकायों की संख्या को देखते हुए, भारत में सी-प्लेन सेवाओं के परिचालन हेतु आदर्श स्थितियां उपलब्ध है।
- एक पारंपरिक विमान के विपरीत, एक सी-प्लेन किसी जल-निकाय और स्थलीय भू-भाग दोनों पर उतर सकता है, जिससे व्यापार और पर्यटन क्षेत्रों में अधिक अवसरों का विस्तार हो सकेगा।
- इस तरह की परियोजनाएं देश में लंबे, जोखिम भरे और पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों के लिए तीव्र और परेशानी-मुक्त यात्रा का विकल्प प्रदान करती हैं।
पर्यावरण संबंधी चिंताएँ:
पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment– EIA) अधिसूचना, 2006 तथा इसमें किये गए संशोधनों की अनुसूची में ‘जलीय हवाई-अड्डा’ (water aerodrome) किसी परियोजना / गतिविधि के रूप में सूचीबद्ध नहीं है।
- हालाँकि, विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (Expert Appraisal Committee) की राय के अनुसार- पर्यावरण पर ‘जलीय हवाई-अड्डा’ परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित गतिविधियों का प्रभाव सामान्य हवाई अड्डे द्वारा पड़ने वाले प्रभाव के समान हो सकता है।
- यह परियोजना ‘शूलपाणेश्वर वन्य-जीव अभ्यारण्य’ (Shoolpaneshwar Wildlife Sanctuary) को प्रभावित कर सकती है।
- अभयारण्य प्रस्तावित परियोजना स्थल से मात्र 1 किमी की अनुमानित हवाई दूरी पर स्थित है।
परियोजना का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव
परिचालन के दौरान, सी-प्लेन द्वारा उड़ान भरने (take-off) तथा उतरने (landing) के समय जल-निकाय में तीव्र हलचल उत्पन्न होगी।
- इसके परिणामस्वरूप, अन्य प्रक्रियाएं, जैसे पानी में ऑक्सीजन का मिश्रण आदि सुचारू ढंग से तेजी से होंगी।
- इससे सी-प्लेन परिचालन अड्डे के समीप, जल-निकाय में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि और कार्बन की मात्रा में कमी होगी तथा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सी-प्लेन सेवाओं का विनियमन
- अंतर्देशीय जलमार्गों (Inland Waterways) पर परिचालित होने वाली सी-प्लेन सेवाओं का प्रबंधन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India– IWAI) द्वारा किया जाएगा।
- तटीय क्षेत्रों में परिचालित होने वाली सी-प्लेन सेवाओं का प्रबंधन सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (Sagarmala Development Company Limited– SDCL) करेगी।
- IWAI और SDCL जहाजरानी मंत्रालय, उड़ान-संचालकों, तथा पर्यटन मंत्रालय के साथ-साथ ‘नागर विमानन महानिदेशालय’ (Directorate General of Civil Aviation- DGCA) के साथ समन्वय करेंगे।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
ओसीरिस-रेक्स एवं क्षुद्रग्रह बेन्नू
(OSIRIS-REx and asteroid Bennu)
संदर्भ:
20 अक्टूबर को, नासा के ओसीरिस-रेक्स (OSIRIS-REx) अंतरिक्ष यान द्वारा क्षुद्रग्रह बेन्नू (asteroid Bennu) की सतह को अल्प-समय के लिए स्पर्श किया गया था। इसका उद्देश्य क्षुद्रग्रह की सतह से धूल और कंकड़ के नमूने एकत्र करना त्तथा वर्ष 2023 में इन्हें पृथ्वी पर लाना था।
OSIRIS-REx मिशन
ओसीरिस-रेक्स का पूरा नाम, ओरिजिन, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन, सिक्योरिटी-रेगोलिथ एक्सप्लोरर (Origins, Spectral Interpretation, Resource Identification, Security-Regolith Explorer– OSIRIS-Rex) है।
- यह किसी प्राचीन क्षुद्रग्रह से नमूना एकत्र करने तथा इन्हें पृथ्वी पर वापस लाने के उद्देश्य से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का पहला मिशन है।
- ओसीरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान वर्ष 2016 में लांच किया गया था तथा ये वर्ष 2018 में अपने लक्ष्य तक पहुँच गया था।
- मिशन की वापसी वर्ष 2021 में की जाएगी, तथा इसे पृथ्वी पर वापस पहुंचने में दो साल का समय लगेगा।
क्षुद्रग्रह बेन्नू (Asteroid Bennu)
इस क्षुद्रग्रह की खोज नासा द्वारा वित्त पोषित लिंकन नियर-अर्थ एस्टेरॉयड रिसर्च टीम (Lincoln Near-Earth Asteroid Research team) के सदस्यों द्वारा वर्ष 1999 में की गयी थी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षुद्रग्रह की उत्पत्ति सौर मंडल के गठन के प्रारम्भिक 10 मिलियन वर्षों के दौरान हुई था, अर्थात इस क्षुद्रग्रह की आयु लगभग 4.5 बिलियन वर्ष है।
- बेन्नू की आयु को देखते हुए इस पर वे पदार्थ पाए जाने की संभावना है, जिनके अणुओं की, पृथ्वी पर पहली बार जीवन के शुरुआत के समय मौजूद अणुओं से समानता हो सकती है। पृथ्वी पर जीवन के शुरुआत में जीवों का स्वरूप कार्बन परमाणु श्रंखलाओं पर आधारित था।
- क्षुद्रग्रह पर कार्बन की उच्च मात्रा के कारण, यह अपनी ओर आने वाले प्रकाश का मात्र चार प्रतिशत परावर्तित करता है। परावर्तित प्रकाश की यह मात्रा शुक्र जैसे ग्रह की तुलना में काफी कम है, शुक्र ग्रह अपनी ओर आने वाले लगभग 65 प्रतिशत प्रकाश को परावर्तित करता है। पृथ्वी लगभग 30 प्रतिशत प्रकाश परावर्तित करती है।
- क्षुद्रग्रह बेन्नू को ‘नियर अर्थ ऑब्जेक्ट’ (Near Earth Object– NEO) के रूप में वर्गीकृत किया गया है तथा यह अगली शताब्दी में वर्ष 2175 और 2199 के मध्य पृथ्वी की साथ से टकरा सकता है।
नमूना एकत्र करने हेतु निर्धारित स्थल
नासा ने नमूना एकत्र करने हेतु क्षुद्रग्रह बेन्नू के उत्तरी गोलार्ध में ऊंचाई पर स्थित एक क्रेटर (crater) पर एक स्थान ‘नाइटिंगेल’ (Nightingale) को निर्धारित किया है।
क्षुद्रग्रहों के अध्ययन का कारण
- चूंकि क्षुद्रग्रहों की उत्पत्ति सौरमंडल के अन्य पिंडों के साथ हुई थी अतः ग्रहों और सूर्य की उत्पत्ति और इतिहास के बारे में जानने के लिए क्षुद्रग्रहों के अध्ययन किया जाता है।
- वैज्ञानिक इनके अध्ययन से पृथ्वी के लिए संभावित खतरनाक हो सकने वाले क्षुद्रग्रहों का भी पता लगाते है।
प्रीलिम्स लिंक:
- OSIRIS- REx का उद्देश्य
- पृथ्वी के निकटवर्ती क्षुद्रग्रह
- क्षुद्रग्रह बेन्नू के बारे में।
मेंस लिंक:
OSIRIS- REx के उद्देश्यों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM)
(National Supercomputing Mission)
संदर्भ:
भारत अपनी सुपरकंप्यूटर सुविधाओं में तेजी से विस्तार कर रहा है और वह देश में स्वयं के सुपरकंप्यूटरों के विनिर्माण के लिए क्षमता विकसित कर रहा है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन क्या है?
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (National Supercomputing Mission– NSM) इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है।
- इसे उन्नत कम्प्यूटिंग विकास केंद्र (Centre for Development of Advanced Computing: C-DAC), पुणे और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु द्वारा कार्यान्वित किया गया है।
मिशन का लक्ष्य
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन का उद्देश्य 70 से अधिक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सुविधाओं से लैस एक विशाल सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड की स्थापना करना तथा देश के राष्ट्रीय शैक्षणिक और R&D संस्थानों को सशक्त बनाना है।
- इन सुपर कंप्यूटरों को राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (National Knowledge – NKN) पर राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड से जोड़ा जाएगा।
- इस मिशन में इन अनुप्रयोगों के विकास संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिए उच्च पेशेवर उच्च प्रदर्शन कम्प्यूटिंग (High Performance Computing- HPC) की जानकारी रखने वाले कार्यबल का विकास सम्मिलित किया गया है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन की उपलब्धियां
- स्वदेशी तौर पर असेंबल किए गए पहले सुपर कंप्यूटर ‘परम शिवाय’ को आईआईटी (बीएचयू) में स्थापित किया गया है।
- उसके बाद ‘परम शक्ति’ को आईआईटी खड़गपुर में और ‘परम ब्रह्म’ को आईआईएसईआर पुणे में स्थापित किया गया था। ये सुपर कंप्यूटर, वेदर एंड क्लाइमेट, कम्प्यूटेशनल फ्लूड डायनामिक्स, बायोइनफॉरमैटिक्स और मटेरियल साइंस जैसे डोमेन से एप्लिकेशन से लैस हैं।
प्रीलिम्स के लिए तथ्य:
भारत ने एक स्वदेशी सर्वर ‘रुद्र’ (Rudra) विकसित किया है जो सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों की उच्च प्रदर्शन कम्प्यूटिंग (HPC) संबंधी सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। यह पहला अवसर है जब C-DAC द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ देश में कोई सर्वर सिस्टम बनाया गया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारत और विश्व में सुपर कंप्यूटर
- ये तीव्रता से किस प्रकार गणना करते हैं?
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) के बारे में
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत लक्ष्य
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020
(State of Global Air)
संदर्भ:
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (State of Global Air), को हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट (HEI) तथा इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से विशेषज्ञ सहयोग भी लिया जाता है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
भारत में, वर्ष 2019 के दौरान, बाहरी और घरेलू वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक संपर्क के कारण होने वाली बीमारियों, जैसे कि- आघात (stroke), दिल का दौरा, मधुमेह, फेफड़ों के कैंसर, पुरानी फेफड़ों की बीमारियों से तथा इसके कारण नवजात शिशुओं समेत 1.67 मिलियन से अधिक मौतें हुई थी।
- कुल मिलाकर, भारत में सभी स्वास्थ्य कारणों से होने वाली मौतों के लिए वायु प्रदूषण अब सबसे बड़ा कारक है।
- नवजात शिशुओं की ज्यादातर मौतें जन्म के समय कम वजन और समय-पूर्व जन्म से उत्पन्न जटिलताओं से संबंधित थीं।
- भारत में विश्व का सर्वाधिक प्रति व्यक्ति प्रदूषण संपर्क जोखिम (83.2 μg/क्यूबिक मीटर) पाया जाता है। इसके बाद नेपाल में 83.1 μg/क्यूबिक मीटर तथा नाइजर में 80.1 μg/क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति प्रदूषण संपर्क जोखिम पाया जाता है।
भारत के लिए चुनौतियां
- सरकार का दावा है कि पिछले तीन वर्षों से भारत में औसत प्रदूषण स्तर घट रहा है।
- किंतु इसमें बहुत ही मामूली रूप से कमी आयी है, विशेष रूप से सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में सर्दियों के दौरान वायु प्रूदषण की मात्रा में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है।
- मार्च के अंत में लागू किये गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रदूषण में गिरावट दर्ज की गयी थी, किंतु लॉकडाउन खोलने के एक महीने के भीतर ही प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ रहा है और कई शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुँच गया है।
- वायु प्रदूषण और दिल तथा फेफड़ों की बीमारी को जोड़ने संबधी स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध हैं। नए साक्ष्यों के अनुसार- दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में पैदा हुए शिशुओं के लिए वायु प्रदूषण से उच्च स्तर का खतरा है।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
आईएनएस कवरत्ती
(INS Kavaratti)
- यह एक स्वदेश निर्मित पनडुब्बी रोधी प्रणाली (anti-submarine warfare – ASW) से लैस पोत है, जिसे भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा।
- इस पोत के निर्माण में 90 फीसदी देसी उपकरण लगे हैं और इसके सुपरस्ट्रक्चर के लिए कार्बन कंपोजिट का उपयोग किया गया है।
- आईएनएस कवरत्ती को प्रोजेक्ट 28 (कमोर्टा क्लास) के तहत निर्मित किया गया है।
- प्रोजेक्ट 28 ‘को 2003 में मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना के तहत अन्य तीन युद्धपोत आईएनएस कामोर्ता (2014), आईएनएस कदमत (2016) और आईएनएस किल्टन (2017) हैं।
कोविराप (COVIRAP)
- कोविड -19 का पता लगाने के लिए ‘कोविराप’ एक नैदानिक मशीन है।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), खड़गपुर के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गयी है।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोविड -19 का पता लगाने में ‘कोविराप’ की क्षमता का सफलतापूर्वक सत्यापन किया है।
- इस नई मशीन में कोविड -19 परीक्षण प्रक्रिया एक घंटे के भीतर पूरी हो जाती है।
‘इंफोडेमिक’ क्या है?
‘इंफोडेमिक’ (Infodemic) का तात्पर्य बहुत अधिक जानकारी रखने से है, जिसमें गलत या भ्रामक जानकारी, विशेष रूप से सोशल मीडिया पर पायी जाने वाली जानकारी सम्मिलित होती है।
चिंताएं: यह भ्रम, जोखिम-उठाने और सरकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रक्रियाओं के प्रति अविश्वास पैदा कर सकता है।