विषय – सूची:
सामान्य अध्ययन-II
1. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का पत्र न्यायपालिका को विवश करने का प्रयास है: अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ
2. राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT)
सामान्य अध्ययन-III
1. IFSCA द्वारा रेगुलेटरी सैंडबॉक्स हेतु एक फ्रेमवर्क लागू
2. “घर तक फाइबर” योजना
3. प्रतिवर्ष अक्टूबर माह के दौरान वायु प्रदूषण में वृद्धि के कारण
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. ग्रैंड आईसीटी चैलेंज
2. देश का पहला मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क
3. हींग (Asafoetida)
4. चर्चित स्थल: फिजी
5. असम-मिजोरम सीमा विवाद
6. मालाबार नौसेना अभ्यास 2020
7. पर्ल रिवर एस्चूएरी
सामान्य अध्ययन- II
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का पत्र न्यायपालिका को विवश करने का प्रयास है: अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ
(Jagan’s letter attempts to coerce judiciary, says judges body)
संदर्भ:
अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ द्वारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एन वी रमन्ना के खिलाफ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के पत्र की भर्त्सना करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया है। न्यायधीशों के संघ ने इसे मुख्यमंत्री द्वारा ‘न्यायपालिका पर लांछन लगाने और विवश करने हेतु जानबूझकर किया गया प्रयास’ बताया है।
एसोसिएशन ने कहा है कि ‘पत्र की भाषा, लहजा और समय से दुर्भावपूर्ण इरादों का पता चलता है और किसी छिपे हुए एजेंडे की तरह प्रतीत होता है।
विवाद का विषय
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की शिकायत, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना द्वारा राज्य की अदालतों में न्यायिक नियुक्तियों को प्रभावित करने के संबंध में है।
- शिकायत में आंध्र प्रदेश की वर्तमान राज्य सरकार के प्रति उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों के शत्रुतापूर्ण रवैये और राज्य सरकार के फैसलों और आदेशों को सोद्देश्य और निराधार तरीकों से रद्द करने का भी आरोप लगाया गया है।
- यह आरोप, न्यायाधीशों पर कदाचार, भ्रष्टाचार और राजनीतिक पूर्वाग्रह के आरोपों के तुल्य है।
इस विवाद का महत्व
हालांकि, अतीत में भी कुछ न्यायाधीशों के खिलाफ इस तरह के आरोप लगाए गए हैं, किंतु, वर्तमान स्थिति अपने आप में अभूतपूर्व है क्योंकि ये आरोप एक संवैधानिक निकाय, एक राज्य के मुख्यमंत्री के द्वारा लगाए गए हैं। यह न्यायपालिका और एक मुख्यमंत्री के बीच एक खुला संघर्ष है।
न्यायाधीशों के विरुद्ध कदाचार संबधी आरोप
न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायत किये जाने पर दो विकल्प होते हैं:
- महाभियोग (Impeachment)
- आंतरिक प्रक्रिया (In-House Procedure)
(नोट: महाभियोग प्रक्रिया के विवरण हेतु, लक्ष्मीकांत की पाठ्य पुस्तक से संबंधित अध्याय को देखें।)
‘आंतरिक प्रक्रिया’ क्या होती है?
वर्ष 1997 से, न्यायाधीशों द्वारा आरोपों की छानबीन हेतु एक आंतरिक प्रक्रिया (In-House Procedure) प्रक्रिया’ अपनाई गयी है।
इसके अंतर्गत:
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत प्राप्त होने पर, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा शिकायत की प्रामाणिकता की जांच की जाती है, तथा इसके मिथ्या होने अथवा गंभीर कदाचार और अनुचित व्यवहार से संबंधित होने संबंधी निर्णय लिए जाता है।
- शिकायत के गंभीर होने पर CJI संबंधित न्यायाधीश से प्रतिक्रिया की मांग करते हैं, यदि CJI न्यायाधीश द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया से संतुष्ट होते हैं तो वे इस मामले को बंद कर सकते है।
यदि CJI को आरोपों की गहन जाँच की आवश्यकता प्रतीत होती है, तब:
- CJI एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करता है जिसमें केवल न्यायपालिका के सदस्य होते हैं।
- इस तीन-सदस्यीय समिति की संरचना, आरोपी न्यायाधीश की स्थिति पर निर्भर करती है।
- इस समिति द्वारा की जाने वाली जाँच एक ‘तथ्य-खोजी मिशन’ (fact-finding mission) प्रकृति की होती है तथा यह गवाहों से पूंछतांछ की जाने वाली औपचारिक न्यायिक जाँच नहीं होती है।
- समिति, दो प्रकार की सिफारिशें दे सकती है: एक, कदाचार के आरोप गंभीर है, तथा आरोपी को पद से हटाये जाने की आवश्यकता है। तथा दूसरी, पद से हटाये जाने योग्य गंभीर आरोप नहीं है।
समिति की सिफारिशों पर कार्रवाई
- यदि समिति, न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों को वास्तविक मानती है, तो संबंधित न्यायाधीश से इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए आग्रह किया जाएगा।
- यदि आरोपी न्यायाधीश पद छोड़ने को तैयार नहीं होता है, तो संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से आरोपी न्यायाधीश से न्यायिक कार्य वापस लेने के लिए कहा जाएगा।
- कार्यकारिणी अर्थात राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को स्थिति से अवगत कराया जाएगा और उनसे महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की अपेक्षा की जाएगी।
- यदि कदाचार का आरोप न्यायाधीश को पद हटाने योग्य नहीं होता है, तो न्यायाधीश को तदनुसार सलाह दी जाएगी।
सार्वजनिक रूप से पत्र जारी करने संबधी चिंताएं
- पत्र के सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किये जाने से शीर्ष अदालत और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की गरिमा, स्वतंत्रता और महिमा प्रभावित हो सकती है।
- इस तरीके को, मुद्दे को सनसनीखेज बनाकर लोगों की नजरों में न्यायपालिका की छवि खराब करने तथा न्यायिक प्रशासन में हस्तक्षेप करना भी माना जा सकता है।
- इस प्रकार के मामलों से न्यायपालिका और विधि के शासन के प्रति लोगों का विश्वास दांव पर लग जाता है।
इस संदर्भ में संवैधानिक प्रावधान
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 121 और अनुच्छेद 211 में संसद और राज्य विधानसभाओं में किसी भी न्यायाधीश के आचरण पर चर्चा स्पष्ट रूप से निषिद्ध की गयी है।
- इसके अतिरिक्त, रविचंद्रन अय्यर बनाम न्यायमूर्ति ए.एम. भट्टाचार्जी (1995) मामले में कहा गया है कि न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों को गोपनीय रखा जाना चाहिए।
प्रीलिम्स लिंक:
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति
- पद-मुक्ति
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने हेतु संवैधानिक प्रावधान।
- अनुच्छेद 121 और 211- अवलोकन
- आंतरिक प्रक्रिया क्या होती है?
मेंस लिंक:
आंतरिक प्रक्रिया प्रक्रिया क्या है? इसके अंतर्गत कार्यवाही किस प्रकार की जाती है है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT)
(National Company Law Appellate Tribunal)
संदर्भ:
हाल ही में, राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal -NCLAT) द्वारा सीमेंस गमेसा रिन्यूएबल पावर प्राइवेट (Siemens Gamesa Renewable Power Pvt. Ltd) के खिलाफ समझौता-बकाया राशि का कथित भुगतान न करने संबंधी याचिका खारिज कर दी गयी है।
NCLAT के बारे में:
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal-NCLAT) का गठन ‘कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत किया गया है।
NCLAT के कार्य
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय है जो कंपनियों से संबंधित विवादों का निर्णय करता है।
यह निम्नलिखित निकायों तथा कानूनों द्वारा पारित आदेशों व निर्णयों के खिलाफ सुनवाई करता है:
- दिवाला और दिवालियेपन संहिता (IBC), 2016 की धारा 61 के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal- NCLT) द्वारा दिए गए आदेश
- IBC की धारा 211 तथा भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड के द्वारा धारा 202 के तहत दिए गए आदेश
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के निर्णय।
संरचना:
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के अध्यक्ष और न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद की जाएगी।
न्यायाधिकरण के सदस्यों और तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएगी। चयन समिति में निम्नलिखित सम्मिलित होंगे:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके नामित व्यक्ति- अध्यक्ष
- सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के एक मुख्य न्यायाधीश- सदस्य
- कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में सचिव — सदस्य
- कानून और न्याय मंत्रालय में सचिव-सदस्य
- वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग में सचिव- सदस्य
पात्रता
- अध्यक्ष – सर्वोच्च न्यायालय का वर्तमान/ पूर्व न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय का वर्तमान/पूर्व मुख्य न्यायाधीश होना होना चाहिए।
- न्यायिक सदस्य – किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होना चाहिए अथवा पांच वर्ष या उससे अधिक अवधि तक किसी न्यायाधिकरण का न्यायिक सदस्य के रूप में कार्य-अनुभव होना चाहिए।
- तकनीकी सदस्य– निर्दिष्ट क्षेत्रों में, विशेष योग्यता, अखंडता और विशिष्ट ज्ञान और 25 वर्ष या उससे अधिक अवधि अनुभव रखने वाले व्यक्ति होना चाहिए।
कार्यकाल
न्याधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों की पदावधि पांच वर्ष होती है है और उन्हें अतिरिक्त पांच वर्षों के लिए फिर से नियुक्त किया जा सकता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- NCLAT और NCLT के बारे में।
- कार्य
- अपील
- संरचना
- पात्रता
- कार्यकाल
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।
IFSCA द्वारा रेगुलेटरी सैंडबॉक्स हेतु एक फ्रेमवर्क लागू
(IFSCA introduces Framework for Regulatory Sandbox)
संदर्भ;
हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centres Authority- IFSCA) द्वारा ‘रेगुलेटरी सैंडबॉक्स’ (Regulatory Sandbox) की एक रूपरेखा पेश की गयी है।
‘रेगुलेटरी सैंडबॉक्स’ क्या होता है?
‘रेगुलेटरी सैंडबॉक्स’ (Regulatory Sandbox) एक सुरक्षित हार्बर (Harbour) होता है, जहाँ पर विभिन्न व्यवसाय, शिथिल विनियामक परिस्थितियों में अपने नवीन उत्पादों का परीक्षण कर सकते हैं।
यहाँ आमतौर पर, भाग लेने वाली कंपनियां, सीमित समय के लिए, सीमित संख्या में ग्राहकों के लिए एक नियंत्रित वातावरण में नए उत्पाद जारी करती हैं।
IFSCA द्वारा जारी नए फ्रेमवर्क के तहत:
- रेगुलेटरी सैंडबॉक्स’ GIFT सिटी में स्थित IFSC के अंतर्गत कार्य करेगा।
- सैंडबॉक्स की इस रुपरेखा के तहत पूंजी बाजार में बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवा के क्षेत्र में कार्यरत इकाइयों को सीमित समय सीमा के लिए वास्तविक ग्राहकों के सीमित समूह के साथ एक गतिशील वातावरण में नवीन फिनटेक समाधानों (innovative FinTech solutions)के प्रयोग करने की कुछ सुविधाएं एवं छूट प्रदान की जायेंगी।
- इन सुविधाओं को निवेशकों की सुरक्षा और उनके जोखिमों को कम करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ और अधिक सशक्त किया जायेगा।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) के बारे में:
- अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centres Authority- IFSCA) वर्ष 2020 में स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- यह आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय के अधीन काम करता है।
- इसका मुख्यालय गांधीनगर, गुजरात में स्थित है।
भूमिकाएँ और कार्य:
- इसका मुख्य कार्य भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों में स्थित / निष्पादित वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों को विकसित और विनियमित करना है।
- प्राधिकरण को, देश में स्थित ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों’ (IFSC) में निष्पादित होने वाली वित्तीय सेवाओं, वित्तीय उत्पादों और वित्तीय संस्थानों के संबंध में RBI, SEBI, IRDAI और PFRDA की शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) में- एक अध्यक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) और पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) द्वारा नामित सदस्य, केंद्र सरकार द्वारा नामित दो सदस्य और दो अन्य पूर्णकालिक या अंशकालिक सदस्य होंगे।
सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष को होगा तथा उन्हें दोबारा भी नियुक्त किया जा सकता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- IFSCs क्या होते हैं?
- क्या IFSC को SEZ में स्थापित किया जा सकता है?
- भारत का पहला IFSC
- IFSC द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं?
- ‘रेगुलेटरी सैंडबॉक्स’ क्या होता है?
मेंस लिंक:
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSC) के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
‘घर तक फाइबर’ योजना
(Ghar Tak Fibre Scheme)
संदर्भ:
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, ‘घर तक फाइबर’ योजना (Ghar Tak Fibre Scheme) की शुरुआत बिहार में काफी धीमी है। ज्ञातव्य हो, कि बिहार पहला राज्य है जहाँ अपने सभी 45,945 गाँवों को 31 मार्च, 2021 तक इंटरनेट से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
वर्तमान स्थिति:
- 31 मार्च तक सभी गांवों को इन्टरनेट से जोड़ने के लिए, राज्य को खाईयां खोदने, केबल बिछाने, और प्रतिदिन औसतन 257 गांवों या मासिक रूप से औसतन 7,500 से अधिक गांवों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के जरूरत होगी।
- हालाँकि, इस योजना के उद्घाटन के लगभग एक महीने बाद, 14 अक्टूबर तक, प्रति दिन 181 गांवों की दर से केवल 4,347 गांवों में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछायी गई है।
योजना के बारे में:
‘घर तक फाइबर’ योजना को इसी वर्ष सितंबर में आरंभ किया गया था।
- इसका उद्देश्य सभी गांवों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ना है।
- लक्ष्य: इस योजना के तहत, बिहार के प्रत्येक गाँव में कम से कम पाँच ‘फाइबर-टू-होम’ (fibre-to-the-home– FTTH) कनेक्शन प्रदान किये जाने हैं। तथा प्रत्येक गाँव में कम से कम एक वाईफाई हॉटस्पॉट भी लगाया जाएगा।
- कार्यान्वयन: इस परियोजना को दूरसंचार विभाग (DoT), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) द्वारा संयुक्त रूप से निष्पादित किया जाएगा।
प्रीलिम्स और मेन्स लिंक:
- योजना की प्रमुख विशेषताएं और महत्व।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
प्रतिवर्ष अक्टूबर माह के दौरान वायु प्रदूषण में वृद्धि के कारण
संदर्भ:
दिल्ली और पूरे सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में वायु प्रदूषण एक जटिल प्रक्रिया है जो कई प्रकार के कारकों पर निर्भर है। किंतु, हर साल अक्टूबर माह के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कमी होने लगती है।
इसके लिए उत्तरदायी कारक
मानसून की वापसी (Withdrawal of Monsoons)
- मानसून के दौरान, हवा के प्रवाह की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर (easterly) होती है। मानसून की वापसी के बाद हवा के प्रवाह की दिशा में परिवर्तन हो जाता है और यह उत्तर-पश्चिम (north westerly) से बहने लगती है।
- ग्रीष्मकाल के दौरान भी, हवा का बहाव उत्तर-पश्चिम की ओर से होता है तथा राजस्थान और कभी-कभी पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धुल भरे तूफान भी आते हैं।
तापमान में कमी (Dip in Temperatures)
- तापमान में गिरावट होने पर, उत्क्रमण ऊंचाई (Inversion Height) – वह परत, जिसके आगे प्रदूषक वायुमंडल की ऊपरी परत में नहीं फ़ैल सकते हैं – कम हो जाती है। इस प्रकार की स्थिति होने पर वायु में प्रदूषकों की सांद्रता बढ़ जाती है।
हवाओं की तीव्र गति (High-Speed Winds)
- हवाओं की तीव्र गति, प्रदूषकों को फैलाने में बहुत प्रभावी होती हैं, लेकिन सर्दियां के गर्मियों की अपेक्षा हवा की गति कम हो जाती है।
खेतों में अपशिष्ट दहन (Farm Fires)
- दिल्ली के वायु प्रदूषण पर एक 2015 में आईआईटी-कानपुर द्वारा किये गए स्रोत- संविभाजन अध्ययन (source-apportionment study) के निष्कर्षो के अनुसार- सर्दियों के दौरान दिल्ली में 17-26% पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter-PM) का कारण ‘खेतों में अपशिष्टों के जलाये जाना’ होता है।
धूल प्रदूषण (Dust Pollution)
- शुष्क एवं ठंडे मौसम के दौरान पूरे क्षेत्र में धूल का प्रकोप रहता है। धूल की यह व्यापकता अक्टूबर और जून के मध्य बारिश के दिनों में नहीं दिखती है। धूल प्रदूषण, वायुमंडल में PM 10 के 56% और 5 के 59% भार का योगदान देता है, जिसमे सर्वाधिक योगदान सड़कों द्वारा किया जाता है।
वाहन प्रदूषण (Vehicular Pollution)
- यह सर्दियों में प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। आईआईटी कानपुर के अध्ययन के अनुसार, सर्दियों में 5 का 20% वाहन प्रदूषण से आता है।
वायु गुणवत्ता में सुधार हेतु उपाय
- सार्वजनिक परिवहन में सुधार
- सड़क पर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या को सीमित करना
- कम प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन को लागू करना
- कड़े उत्सर्जन नियम
- ताप विद्युत संयंत्रों और उद्योगों में दक्षता सुधार
- डीजल जनरेटर से सौर ऊर्जा में परिवर्तन
- स्वच्छ अक्षय ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि
- इलेक्ट्रिक वाहन
- सड़कों से धूल हटाना
- निर्माण गतिविधियों का नियमन
- बायोमास दहन बंद करना, आदि।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
ग्रैंड आईसीटी चैलेंज
(Grand ICT Challenge)
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सहयोग से आईसीटी ग्रैंड चैलेंज (Grand ICT Challenge) का आरंभ किया गया है।
- उद्देश्य: ‘स्मार्ट जल आपूर्ति मापन और निगरानी प्रणाली’ विकसित करने हेतु ग्रामीण स्तर पर तैनात किए जाने के लिए नवीन, आधुनिक और किफ़ायती उपाय तैयार करना।
- यह मिशन, केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण के स्थान पर सेवा वितरण करने पर केंद्रित है।
- सर्वश्रेष्ठ उपाय पेश करने पर 50 लाख रु. का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रत्येक रनर अप के लिए 20 लाख रु. का पुरस्कार प्राप्त होगा।
देश का पहला मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क
- देश के पहले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना ‘असम’ राज्य में की जायेगी।
- इस पार्क से लोगों को हवाई, सड़क, रेल और जलमार्ग से सम्पर्क की सीधी सुविधा मिलेगी।
- इस पार्क का विकास, भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत किया जाएगा।
हींग
(Asafoetida)
- भारत के अधिकाँश क्षेत्रों में ‘हींग’ (Asafoetida) रसोई में पाई जाने वाली प्रमुख सामग्रियों में से है।
- भारत में हींग की खेती नहीं की जाती है।
- भारत इस तीखे स्वाद वाली इस औषधीय बूटी का प्रतिवर्ष 600 करोड़ रुपये का आयात करता है।
- यह एक बारहमासी पौधा है। यह पौधा अपने पोषक तत्वों को अपनी गहरी मांसल जड़ों के अंदर संग्रहीत करता है।
- हींग, मुख्यतः ईरान और अफगानिस्तान में उत्पादित की जाती है, और ये देश हींग के प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता है।
- हींग का पौधा शुष्क और ठंडे रेगिस्तानी स्थितियों में पनपता है।
चर्चा का कारण
सी.एस.आई.आर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर (CSIR-Institute of Himalayan Bioresource, Palampur- IHBT) के वैज्ञानिक, भारतीय हिमालय क्षेत्र में हींग उगाने के मिशन पर कार्य कर रहे हैं। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के कुँवरिंग गाँव में पहली बार हींग का पौधारोपण किया गया है।
चर्चित स्थल: फिजी
- यह न्यूजीलैंड के उत्तर-पूर्व में 1,100 समुद्री मील की दूरी पर दक्षिण प्रशांत महासागर में ओशिनिया के एक भाग मेलनेशिया (Melanesia) में स्थित एक द्वीप देश है।
- फिजी, 330 से अधिक द्वीपों का एक द्वीपसमूह है।
असम-मिजोरम सीमा विवाद
असम-मिजोरम सीमा विवाद की उत्पत्ति वर्ष 1875 की अधिसूचना से उपजा है, जिसके द्वारा लुशाई हिल्स (Lushai Hills) को कछार के मैदानी इलाकों से पृथक कर दिया गया था, और इसके पश्चात वर्ष 1933 में एक अन्य अधिसूचना के द्वारा लुशाई हिल्स और मणिपुर के मध्य सीमांकन किये जाने से भी इस विवाद को बल मिला है।
अवस्थिति
मिजोरम की सीमाएँ असम की बराक घाटी से लगती है; तथा दोनों राज्य बांग्लादेश के साथ सीमा बनाते हैं।
मालाबार नौसेना अभ्यास 2020
मालाबार नौसैन्य अभ्यास श्रृंखला वर्ष 1992 में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के द्विपक्षीय संयुक्त नौसैनिक अभ्यास से शुरू हुई थी।
- जापान, वर्ष 2015 में इस नौसेना अभ्यास में शामिल हुआ था।
- ऑस्ट्रेलिया अगले महीने होने वाले भारत, जापान और यू.एस. के साथ मालाबार नौसेना अभ्यास 2020 में शामिल होगा।
- ऑस्ट्रेलिया, तीन साल से मालाबार नौसेना अभ्यास में शामिल होने का अनुरोध कर रहा था।
पर्ल रिवर एस्चूएरी
(Pearl River estuary)
पर्ल नदी के मुहाने (estuary) में हांगकांग, मकाऊ सहित चीन के शेन्ज़ेन, ग्वांगझोउ और डोंगगू शहर भी सम्मिलित हैं।
चर्चा का कारण
पर्ल नदी के मुहाना, विश्व के सर्वाधिक गहन औद्योगिक क्षेत्रों में से एक है। हाल ही में, चीनी पिंक डॉल्फ़िन द्वारा पर्ल नदी के मुहाने पर वापसी देखी गयी है।