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INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 14 October

 

विषय – सूची:

 सामान्य अध्ययन-II

1. निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को प्रतीक चिह्नों का आवंटन

2. केंद्र सरकार द्वारा 20 राज्यों को अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति

3. ‘आदिवासियों के लिए प्रोद्योगिकी’ पहल

 

सामान्य अध्ययन-III

1. इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN)

2. गुजरात अशांत क्षेत्र अधिनियम

3. फ्लाई ऐश

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. सभी FCRA खातों के लिए SBI शाखा

2. चर्चित स्थल: चुशूल (Chushul)

3. अर्थशॉट प्राइज (Earthshot Prize)

4. ‘मर्डर हॉर्नेट्स’ और ‘फरी पुस कैटरपिलर’

5. एक्वापोनिक्स (Aquaponics)

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को प्रतीक चिह्नों का आवंटन


चर्चा का कारण

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मतदाताओं को मतपत्रों पर ‘चकला-बेलन, डोली, चूड़ियाँ, शिमला मिर्च’ जैसे विविध चुनाव चिह्न देखने को मिल सकते हैं।

चुनाव चिन्हों की आवश्यकता

चुनावों के दौरान प्रतीक चिह्न विभिन्न गैर-मान्यता प्राप्त दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों को एक दूसरे से अलग दर्शाने में सहायक होते हैं और मतदाताओं को उनकी पसंद के दल अथवा उम्मीदवार की पहचान करने में मदद करते हैं।

चुनाव चिह्नों के प्रकार

चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) (संशोधन) आदेश, 2017 के अनुसार, राजनीतिक दलों के प्रतीक चिह्न निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:

  1. आरक्षित (Reserved): देश भर में आठ राष्ट्रीय दलों और 64 राज्य दलों को ‘आरक्षित’ प्रतीक चिह्न प्रदान किये गए हैं।
  2. स्वतंत्र (Free): निर्वाचन आयोग के पास लगभग 200 ‘स्वतंत्र’ प्रतीक चिह्नों का एक कोष है, जिन्हें चुनावों से पहले अचानक नजर आने वाले हजारों गैर-मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों को आवंटित किया जाता है।

राजनीतिक दलों को प्रतीक चिन्हों का आवंटन

निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार- किसी राजनीतिक दल को चुनाव चिह्न का आवंटन करने हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  • नामांकन पत्र दाखिल करने के समय राजनीतिक दल / उम्मीदवार को निर्वाचन आयोग की प्रतीक चिह्नों की सूची में से तीन प्रतीक चिह्न प्रदान किये जाते हैं।
  • उनमें से, राजनीतिक दल / उम्मीदवार को ‘पहले आओ-पहले पाओ’ आधार पर एक चुनाव चिह्न आवंटित किया जाता है।
  • किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के विभाजित होने पर, पार्टी को आवंटित प्रतीक/चुनाव चिह्न पर निर्वाचन आयोग द्वारा निर्णय लिया जाता है।

निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ:

चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और प्रतीक चिह्न आवंटित करने का अधिकार दिया गया है।

  • आदेश के अनुच्छेद 15 के तहत, निर्वाचन आयोग, प्रतिद्वंद्वी समूहों अथवा किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के गुटों द्वारा पार्टी के नाम तथा प्रतीक चिह्न संबंधी दावों के मामलों पर निर्णय ले सकता है।
  • निर्वाचन आयोग, राजनीतिक दलों के किसी विवाद अथवा विलय पर निर्णय लेने हेतु एकमात्र प्राधिकरण भी है। सर्वोच्च न्यायालय ने सादिक अली तथा अन्य बनाम भारत निर्वाचन आयोग (ECI) मामले (1971) में इसकी वैधता को बरकरार रखा।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने हेतु प्रक्रिया।
  2. राज्य दल और राष्ट्रीय दल क्या हैं?
  3. मान्यता प्राप्त दलों को प्राप्त लाभ।
  4. पार्टी प्रतीक चिह्न किसे कहते हैं? प्रकार क्या हैं?
  5. राजनीतिक दलों के विलय से जुड़े मुद्दों पर निर्णय कौन करता है?

मेंस लिंक:

राजनीतिक दलों को प्रतीक चिन्हों का आवंटन किस प्रकार किया जाता हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

केंद्र सरकार द्वारा 20 राज्यों को अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति


(Centre allows additional borrowing by 20 States)

संदर्भ:

हाल ही में, वित्त मंत्रालय द्वारा 20 राज्यों को खुले बाजार ऋण के माध्यम से 68,825 करोड़ रूपये की राशि जुटाने हेतु अनुमति दी गयी है।

पृष्ठभूमि

  • वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के अनुसार, 20 राज्यों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए केंद्र द्वारा पेश किए गए पहले ऋण विकल्प अपनाने संबंधी अपनी स्वीकृति से अवगत कराया था।
  • इसके तहत, राज्य बाजार से 1 लाख करोड़ रूपये की राशि का ऋण ले सकते हैं, जिसके मूलधन और ब्याज का भुगतान जीएसटी उपकर संग्रह से किया जायेगा। जीएसटी उपकर संग्रह की अवधि को वर्ष 2022 से आगे भी बढ़ाया जाएगा।

राज्यों को ऋण लेने हेतु केंद्र से अनुमति की आवश्यकता

संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के अनुसार, राज्यों पर केंद्र सरकार का पिछला बकाया होने के मामले में, राज्यों को ऋण लेने हेतु केंद्र की सहमति प्राप्त करना आवश्यक होता है।

  • अनुच्छेद 293 (4) के तहत राज्यों को केंद्र द्वारा कुछ शर्तों के अधीन भी ऋण लेने हेतु सहमति दी जा सकती है।
  • व्यवहार में, केंद्र इस शक्ति का प्रयोग वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार कर रहा है।

वर्तमान में, प्रत्येक राज्य, केंद्र का ऋणी है और इस प्रकार, सभी राज्यों को ऋण लेने के लिए केंद्र की सहमति लेना आवश्यक है।

क्या केंद्र को इस प्रावधान के तहत शर्तें लागू करने हेतु निर्बाध शक्ति प्राप्त है?

  • इस विषय पर उपर्युक्त प्रावधान ही कोई दिशा-निर्देश नहीं देता है, और अनुकरण करने हेतु केंद्र द्वारा निर्बाध रूप से शर्ते लागू करने संबंधी पूर्व में भी को उदहारण नहीं है।
  • दिलचस्प बात यह है कि इस प्रश्न को 15 वें वित्त आयोग की संदर्भ-शर्तों में सम्मिलित किया गया था, किंतु वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में इसे संबोधित नहीं किया गया था।

केंद्र द्वारा राज्यों के लिए शर्तें कब लगायी जा सकती है?

केंद्र द्वारा राज्यों के लिए शर्तें, ऋण लेने हेतु सहमति देते समय लगायी जा सकती हैं, तथा यह सहमति राज्यों के केंद्र सरकार के प्रति ऋणी होने पर ही दी जा सकती है।

इन प्रतिबंधों की आवश्यकता

  • केंद्र को इस शक्ति प्रदान करने का एक संभावित उद्देश्य किसी ऋण लेने वाले राज्य की क्षमताओं को देखते हुए अपने हितों की रक्षा करना था।
  • एक अन्य व्यापक उद्देश्य ‘समष्टि आर्थिक स्थिरता’ सुनिश्चित करने का भी प्रतीत होता है, क्योंकि राज्य की ऋणग्रस्तता पूरे देश के वित्तीय स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अनुच्छेद 293 किससे संबंधित है?
  2. क्या राज्यों को बाजार से ऋण लेने हेतु अनुमति की आवश्यकता होती है?
  3. वित्त आयोग- संरचना
  4. वित्त आयोग के कार्य

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

‘आदिवासियों के लिए प्रोद्योगिकी’ पहल


(Tech For Tribals launched)

हाल ही में ट्राइफेड (TRIFED), आईआईटी कानपुर और छत्तीसगढ़ लघु वन उपज फेडरेशन द्वारा संयुक्त रूप से ‘आदिवासियों के लिए तकनीकी’ पहल की शुरुआत की गयी है।

‘आदिवासियों के लिए प्रोद्योगिकी’ पहल क्या है?

यह उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम (ESDP) कार्यक्रम के अंतर्गत ‘लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) के सहयोग से TRIFED द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान और कौशल का दोहन करना तथा वन धन विकास केंद्रों की स्थापना करके बाजार पर आधारित उद्यम मॉडल के माध्यम से उनकी आय को बढ़ाने के लिए ब्रांडिंग, पैकेजिंग और विपणन कौशल को बेहतर करना है।

वन धन केंद्र’ क्या हैं?

  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत TRIFED द्वारा 28 राज्यों में वन उपज इकट्ठा करने वाले 6 लाख आदिवासीयों को मिलकर 1,200 वन धन विकास केंद्रों (VDVK)” की स्थापना की गयी है।
  • एक विशिष्ट VDVK में 15 स्वयं सहायता समूह सम्मिलित होते है, और प्रत्येक स्वयं सहायता समूह में 20 आदिवासी भागीदार होते हैं।

‘वन धन विकास केंद्र’ पहल के बारे में:

  • इस पहल का उद्देश्य जनजातीय संग्रहकर्ताओं एवं और कारीगरों के लघु वन उपज (MFP) केंद्रित आजीविका के विकास को बढ़ावा देना है।
  • यह जमीनी स्तर पर MFP के अलावा प्राथमिक स्तर मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देकर आदिवासी समुदाय को प्रोत्साहित करती है।
  • महत्व: इस पहल के माध्यम से, गैर-इमारती लकड़ी के उत्पादन मूल्य श्रृंखला में आदिवासियों की हिस्सेदारी वर्तमान 20% से बढ़कर लगभग 60% तक होने की उम्मीद है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. वन धन केंद्र- उद्देश्य, संरचना और कार्य
  2. ट्राइफेड- कार्य
  3. MFP के रूप में किन वस्तुओं को वर्गीकृत किया गया है?
  4. राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (Institutes of National Importance- INI) – मान्यता और लाभ

मेंस लिंक:

प्रधान मंत्री वनधन योजना (PMVDY) पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: पीआईबी

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN)


(Electronic Vaccine Intelligence Network)

संदर्भ:

भारत में, कोविड-19 वैक्सीन की डिलीवरी हेतु के लिए इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (Electronic Vaccine Intelligence Network eVIN) को फिर से तैयार किया जा रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN) के बारे में:

eVIN, देश भर में टीकाकरण आपूर्ति श्रृंखला प्रणालियों को सशक्त करने हेतु एक नवीन तकनीकी समाधान है।

  • इसका कार्यान्वयन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM) के तहत किया जा रहा है।
  • इसका लक्ष्य देश के सभी कोल्ड चेन पॉइंट्स पर वैक्सीन के भंडार तथा बाज़ार में उपलब्धता एवं भंडारण तापमान पर रियल टाइम जानकारी प्रदान करना है।

इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क के लाभ

  • इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN) द्वारा एक बड़ा डेटा आर्किटेक्चर बनाने में मदद मिली है, जो डेटा-आधारित निर्णय लेने और खपत आधारित योजना बनाने को प्रोत्साहित करने वाले कार्रवाई करने योग्य विश्लेषण सृजित करता है।
  • यह टीकों के इष्टतम भंडारण को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे लागत में बचत होती है। इससे, भारत के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों में टीकों की हर समय उपलब्धता 99% तक बढ़ गई है।
  • eVIN के माध्यम से टीकों के स्टॉक में कमी होने की संभावना को 80% तक घटाया गया है और स्टॉक को फिर से भरने का समय भी औसतन आधे से अधिक कम हो गया है।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

गुजरात अशांत क्षेत्र अधिनियम


(Gujarat Disturbed Areas Act)

चर्चा का कारण

हाल ही में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा पिछले साल गुजरात विधानसभा द्वारा पारित संशोधित अशांत क्षेत्र अधिनियम (amended Disturbed Areas) के लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी गयी है।

पृष्ठभूमि

इस विधेयक को पिछले वर्ष ‘गुजरात अशांत क्षेत्रों में अचल संपत्तियों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध और परिसर से बेदखली से किरायेदारों के संरक्षण के लिये प्रावधान अधिनियम’, 1991, जिसे आमतौर पर ‘अशांत क्षेत्र अधिनियम’ के रूप में जाना जाता है, को संशोधित करने के उद्देश्य से लाया गया था।

सरकार ने लोगों की शिकायतों के मद्देनजर विधेयक में कुछ कड़े प्रावधानों को सम्मिलित किया था, क्योंकि मौजूदा अधिनियम, कुछ अधिसूचित अशांत क्षेत्रों में संपत्तियों की अवैध बिक्री या हस्तांतरण पर नियंत्रण लगाने में असमर्थ था।

अशांत क्षेत्र अधिनियम क्या है?

अशांत क्षेत्र अधिनियम (Disturbed Areas Act) के तहत, एक जिला कलेक्टर किसी शहर या कस्बे के किसी विशेष क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ के रूप में अधिसूचित कर सकता है। यह अधिसूचना आम तौर पर क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों के इतिहास के आधार पर की जाती है।

  • इस अधिसूचना के बाद, अशांत क्षेत्र में अचल संपत्ति का हस्तांतरण, परिसंपत्ति के क्रेता व विक्रेता द्वारा दिए गए आवेदन पर जिला कलेक्टर द्वारा स्पष्ट रूप से अनुमति दिए जाने के पश्चात ही हो सकता है।
  • अधिनियम में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार- किसी अशांत क्षेत्र में अचल संपत्ति की बिक्री की अनुमति के लिये विक्रेता को शपथ पत्र संलग्न करना होता है कि वह स्वेच्छा से अपनी संपत्ति बेच रहा है तथा उसे इसके लिये उसे उचित मूल्य प्राप्त हुआ है।

अधिनियम में किये गए संशोधन

  1. संशोधित कानून अशांत क्षेत्र में संभावित ध्रुवीकरण पर नियंत्रण करेगा तथा और किसी प्रकार के ‘जनसांख्यिकीय असंतुलन’ उत्पन्न करने वाले प्रयासों पर रोक लगाएगा।
  2. अधिनियम के तहत, किसी अधिसूचित अशांत क्षेत्र में जिला कलेक्टर की पूर्वानुमति के बिना एक धार्मिक समुदाय के सदस्यों द्वारा दूसरे समुदाय के लोगों को अचल संपत्ति की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है।
  3. गैरकानूनी तरीकों से अशांत क्षेत्रों में संपत्ति हासिल करने से लोगों को रोकने के लिए, अधिनियम में तीन से पांच साल के कारावास के साथ-साथ 1 लाख रुपये या 10 प्रतिशत संपत्ति के मूल्य, जो भी अधिक हो, कारावास का प्रावधान किया गया है।
  4. अधिनियम के तहत, ‘हस्तांतरण’ शब्द में बिक्री, उपहार, विनिमय, पट्टे या संपत्ति के कब्जे के रूप में पावर ऑफ अटॉर्नी, को सम्मिलित किया गया है।
  5. यह अधिनियम, राज्य सरकार को अशांत क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय संरचना पर नजर रखने हेतु ‘निगरानी और सलाहकार समिति’ गठित करने का अधिकार प्रदान करता है।
  6. सरकार, किसी भी क्षेत्र को अशांत घोषित करने से पहले विचार करने हेतु राज्य सरकार की सहायता के लिए एक विशेष जांच दल (special investigation teamSIT) का गठन कर सकती है।

जिला कलेक्टर की भूमिका

  • अधिनियम में संशोधन के उपरांत, जिला कलेक्टर अचल संपत्तियों के हस्तांतरण होने पर, किसी ‘ध्रुवीकरण की संभावना’, ‘जनसांख्यिकीय संतुलन में गड़बड़ी’ या किसी ‘एक समुदाय के व्यक्तियों के अनुचित समूहन की संभावना’ आदि की जांच कर सकता है।
  • कलेक्टर इन आधारों पर मूल्यांकन करने के बाद किसी संपत्ति हस्तांतरण के आवेदन को अस्वीकार कर सकता है। असंतुष्ट व्यक्ति, कलेक्टर के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार के पास अपील दायर कर सकता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
  2. राष्ट्रपति के निर्णय हेतु विधेयकों को आरक्षित करने संबंधी राज्यपाल की शक्ति
  3. अनुच्छेद 175 तथा अनुच्छेद 200

amendments

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

फ्लाई ऐश (Fly Ash)


संदर्भ:

ऊर्जा मंत्रालय के अधीन एनटीपीसी लिमिटेड द्वारा विद्युत् उत्पादन के दौरान उत्सर्जित होने वाले उप-उत्पाद का शत-प्रतिशत उपयोग हासिल करने हेतु ‘फ्लाई ऐश’ की आपूर्ति करने के लिए सीमेंट निर्माताओं के साथ सहयोग आरम्भ किया गया है।

‘फ्लाई ऐश’ क्या होती है?

इसे आमतौर ‘चिमनी की राख’ अथवा ‘चूर्णित इंर्धन राख’ (Pulverised Fuel Ash) के रूप में जाना जाता है। यह कोयला दहन से निर्मित एक उत्पाद होती है।

फ्लाई ऐश का गठन

यह कोयला-चालित भट्टियों (Boilers) से निकलने वाले महीन कणों से निर्मित होती है।

  • भट्टियों में जलाये जाने वाले कोयले के स्रोत तथा उसकी संरचना के आधार पर, फ्लाई ऐश के घटक काफी भिन्न होते हैं, किंतु सभी प्रकार की फ्लाई ऐश में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2), एल्यूमीनियम ऑक्साइड (Al2O3) और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
  • फ्लाई ऐश के सूक्ष्म घटकों में, आर्सेनिक, बेरिलियम, बोरोन, कैडमियम, क्रोमियम, हेक्सावलेंट क्रोमियम, कोबाल्ट, सीसा, मैंगनीज, पारा, मोलिब्डेनम, सेलेनियम, स्ट्रोंटियम, थैलियम, और वैनेडियम आदि पाए जाते है। इसमें बिना जले हुए कार्बन के कण भी पाए जाते है।

स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी खतरे

  • विषाक्त भारी धातुओं की उपस्थति: फ्लाई ऐश में पायी जाने वाली, निकल, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, लेड, आदि सभी भारी धातुएं प्रकृति में विषाक्त होती हैं। इनके सूक्ष्म व विषाक्त कण श्वसन नालिका में जमा हो जाते हैं तथा धीरे-धीरे विषाक्तीकरण का कारण बनते रहते हैं।
  • विकिरण: परमाणु संयंत्रो तथा कोयला-चालित ताप संयत्रों से समान मात्रा में उत्पन्न विद्युत् करने पर, परमाणु अपशिष्ट की तुलना में फ्लाई ऐश द्वारा सौ गुना अधिक विकिरण होता है।
  • जल प्रदूषण: फ्लाई ऐश नालिकाओं के टूटने और इसके फलस्वरूप राख के बिखरने की घटनाएं भारत में अक्सर होती रहती हैं, जो भारी मात्रा में जल निकायों को प्रदूषित करती हैं।
  • पर्यावरण पर प्रभाव: आस-पास के कोयला आधारित विद्युत् संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाले राख अपशिष्ट से मैंग्रोव का विनाश, फसल की पैदावार में भारी कमी, और कच्छ के रण में भूजल के प्रदूषण को अच्छी तरह से दर्ज किया गया है।

फ्लाई ऐश का उपयोग

  1. कंक्रीट उत्पादन, रेत तथा पोर्टलैंड सीमेंट हेतु एक वैकल्पिक सामग्री के रूप में।
  2. फ्लाई-ऐश कणों के सामान्य मिश्रण को कंक्रीट मिश्रण में परिवर्तित किया जा सकता है।
  3. तटबंध निर्माण और अन्य संरचनात्मक भराव।
  4. सीमेंट धातुमल उत्पादन – (चिकनी मिट्टी के स्थान पर वैकल्पिक सामग्री के रूप में)।
  5. नरम मिट्टी का स्थिरीकरण।
  6. सड़क निर्माण।
  7. ईंट निमार्ण सामग्री के रूप में।
  8. कृषि उपयोग: मृदा सुधार, उर्वरक, मिट्टी स्थिरीकरण।
  9. नदियों पर जमी बर्फ पिघलाने हेतु।
  10. सड़कों और पार्किंग स्थलों पर बर्फ जमाव नियंत्रण हेतु।

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. फ्लाई ऐश क्या है?
  2. स्रोत
  3. प्रदूषक
  4. संभावित अनुप्रयोग

मेंस लिंक:

फ्लाई ऐश क्या होती है? मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

स्रोत: पीआईबी

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


सभी FCRA खातों के लिए SBI शाखा

(Single SBI branch for all FCRA accounts: Govt)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेशी अनुदान स्वीकार करने वाले सभी गैर सरकारी संगठनों से 31 मार्च, 2021 तक भारतीय स्टेट बैंक की नई दिल्ली शाखा में एक निर्दिष्ट FCRA खाता खोलने के लिए को कहा है।

विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contribution (Regulation) Act- FCRA) के तहत पंजीकृत गैर सरकारी संगठन (NGO) 1 अप्रैल 2021 के पश्चात किसी अन्य बैंक खाते में कोई विदेशी अनुदान दान स्वीकार नहीं कर सकेंगे।

वर्तमान में, देश में FCRA के तहत 22,434 गैर सरकारी संगठन (NGO) तथा एसोसिएशन कार्यरत हैं।

पृष्ठभूमि: सितंबर में, संसद द्वारा ‘विदेशी अनुदान (विनियमन) अधिनियम, 2020 में संशोधन किया गया था, जिसमे एक नए प्रावधान के तहत सभी गैर-सरकारी संगठनों और एसोसिएशन के लिए एसबीआई की नई दिल्ली शाखा में निर्धारित बैंक खाते में विदेशी धन प्राप्त करना अनिवार्य किया गया है।

चर्चित स्थल: चुशूल (Chushul)

  • यह भारत में लद्दाख के लेह जिले में स्थित एक गाँव है।
  • यह दरबुक (Durbuk) तहसील में स्थित है, जिसे ’चुशुल घाटी’ के रूप में जाना जाता है।
  • चुशूल घाटी 4,360 मीटर की ऊंचाई पर रेज़ांग ला और पांगोंग त्सो झील के पास स्थित है।
  • चुशुल, भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच नियमित परामर्श और वार्ता के लिए बैठक हेतु आधिकारिक तौर पर तय किये गए पांच बिंदुओं में से एक है।

वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान यही वह स्थान था जहाँ से चीन ने अपना मुख्य आक्रमण शुरू किया था। भारतीय सेना ने चुशूल घाटी के दक्षिण-पूर्वी छोर के पहाड़ी दर्रे रेज़ांग ला से वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा था।

Chushul

 अर्थशॉट प्राइज (Earthshot Prize)

अर्थशॉट पुरूस्कार को ‘प्रिंस विलियम’ तथा ‘द रॉयल फाउंडेशन’ द्वारा आरंभ किया गया है।

यह पर्यावरण और जलवायु संकट के समाधान के लिए 50 मिलियन पाउंड (65 मिलियन अमेरिकी डॉलर) वित्त पोषण प्रदान करता है।

उद्देश्य

  • आगामी दशक में पृथ्वी ग्रह के स्वास्थ्य सुधार हेतु समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहन देना।
  • वैश्विक स्तर पर जीवन स्तर में सुधार करने और प्रत्येक स्तर पर नए तरीकों, नई तकनीकों, प्रणालियों और नीतियों के माध्यम से पर्यावरणीय समाधान खोजना।

यह पुरस्कार पांच अर्थशॉट्स’ (Earthshot) चुनौतियों पर केंद्रित है:

  1. प्रकृति की रक्षा एवं पुनर्स्थापना।
  2. स्वच्छ वायु।
  3. महासागरों को पुनर्जीवित करना।
  4. अपशिष्ट मुक्त दुनिया का निर्माण।
  5. जलवायु को ठीक करना।

यह पुरस्कार अर्थशॉट्स समाधान में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों, वैज्ञानिकों, कार्यकर्त्ताओं, अर्थशास्त्रियों, सामुदायिक परियोजनाओं, नेताओं, सरकारों, बैंकों, व्यवसायों, शहरों एवं देशों को प्रदान किया जा सकता है। पुरस्कार राशि का उपयोग परियोजनाओं को मदद करने के लिए किया जाएगा।

मर्डर हॉर्नेट्सऔर ‘फरी पुस कैटरपिलर

फरी पुस कैटरपिलर(Furry puss caterpillar)

  • इस कीड़े का नामकरण ‘कम शातिर घरेलू बिल्ली’ के नाम पर किया गया है।
  • यह अपने लार्वा काल में अनिवार्य रूप से एक दक्षिणी फलालैन कीट है।
  • कायान्तरण के पश्चात इस कीट से कोई खतरा नहीं होता है।
  • कैटरपिलर को संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी तरह का सबसे जहरीला कीट माना जाता है।

मर्डर हॉर्नेट (Murder hornet)

  • मक्खियों की एक विशाल प्रजाति अमेरिकी तटों तक पहुंच गई है और वहां की मूल आबादी को खतरा पैदा कर रही है।
  • वेस्पा मंदारिया नाम की इस मक्खी को मर्डर हॉर्नेट के नाम से भी जाना जाता है, यह प्रजाति दक्षिण पूर्व एशिया, चीन और ताइवान की मूल निवासी है।
  • ये विशालकाय मधुमक्खियां आमतौर पर मनुष्यों या पालतू जानवरों पर हमला नहीं करती हैं। मगर, एक बार खतरा लगने पर वे मनुष्यों को भी डंक मार सकती हैं। और उनके कई डंक लोगों की जान तक ले सकते हैं।

चर्चा का कारण

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका में इन दोनों कीटों की आबादी में वृद्धि दर्ज की गयी है।

एक्वापोनिक्स (Aquaponics)

  • एक्वापोनिक्स एक उभरती हुई तकनीक है जिसमें मछलियों के साथ-साथ पौधों को भी एकीकृत विधि से उगाया जाता है।
  • मछली अपशिष्ट वृद्धिशील पौधों के लिए उर्वरक प्रदान करता है। पौधे पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं और पानी को फ़िल्टर करते हैं। इस फ़िल्टर किए गए पानी का उपयोग मछली टैंक को फिर से भरने के लिए किया जाता है। यह एक पर्यावरण-अनुकूल तकनीक है।

aquaponics


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