विषय- सूची
सामान्य अध्ययन-II
1. बोडोलैंड चुनावों की मिली असम मंत्रिमंडल की स्वीकृति
2. स्टार प्रचारक कौन होता है?
3. न्यायालय की अवमानना
4. सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है: सर्वोच्च न्यायालय
5. नदी बोर्ड
6. गरीबी एवं साझा समृद्धि रिपोर्ट
7. नवीन H-1B पर प्रतिबंध
सामान्य अध्ययन-III
1. रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार
2. गूगल भारत में एंटी-ट्रस्ट (Anti Trust) मामले का सामना करेगा
3. प्राकृतिक गैस विपणन सुधार
4. वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. अबोर्टेलफुसा नामदफाएंसिस (Abortelphusa Namdaphaensis)
2. RBI के डिप्टी गवर्नर
3. भारत एवं जापान ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं 5G से सम्बंधित समझौते को अंतिम रूप दिया
4. गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन
सामान्य अध्ययन- II
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
बोडोलैंड चुनावों की मिली असम मंत्रिमंडल की स्वीकृति:
सन्दर्भ:
असम मंत्रिमंडल ने दिसंबर में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के चुनाव का समय निर्धारित करने के लिए राज्य चुनाव आयोग से अनुरोध करने का निर्णय लिया है।
पृष्ठभूमि:
परिषद् की 40 सीटों पर चुनाव 4 अप्रैल को होने थे लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिए गए थे।
27 अप्रैल को भंग होने के पश्चात् से ही परिषद, राज्यपाल शासन के अधीन है।
आधारभूत ज्ञान:
स्वायत्तशासी जिला परिषद क्या है?
छठवीं अनुसूची के अनुसार, चार राज्य– असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में जनजातीय क्षेत्र स्थित हैं, जो तकनीकी रूप से अनुसूचित क्षेत्रों से भिन्न होते हैं।
हालांकि ये क्षेत्र राज्य के कार्यकारी प्राधिकार के दायरे में आते हैं, लेकिन कुछ विधायी एवं न्यायिक शक्तियों के प्रयोग के लिए जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों के निर्माण का प्रावधान किया गया है।
- प्रत्येक जिला एक स्वायत्त जिला है और राज्यपाल अधिसूचना द्वारा उक्त जनजातीय क्षेत्रों की सीमाओं को संशोधित / विभाजित कर सकते हैं।
राज्यपाल, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा:
(a) किसी भी क्षेत्र को शामिल कर सकते हैं।
(b) किसी क्षेत्र को अपवर्जित कर सकते हैं।
(c) एक नवीन स्वायत्त जिला बना सकते हैं।
(d) किसी भी स्वायत्त जिले के क्षेत्र में वृद्धि कर सकते हैं।
(e) किसी भी स्वायत्त जिले के क्षेत्र में कमी कर सकते हैं।
(f) किसी भी स्वायत्त जिले के नाम में परिवर्तन कर सकते हैं।
(g) किसी भी स्वायत्त जिले की सीमाओं को परिभाषित कर सकते हैं।
जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों का गठन:
(1) प्रत्येक स्वायत्त जिले के लिए एक जिला परिषद होगी, जिसमें तीस से अधिक सदस्य नहीं होंगे, जिनमें से चार से अनधिक सदस्यों को राज्यपाल द्वारा नामित किया जाएगा एवं शेष सदस्यों को वयस्क मताधिकार के आधार पर निर्वाचित किया जाएगा।
(2) स्वायत्त क्षेत्र के रूप में गठित प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक पृथक क्षेत्रीय परिषद होगी।
(3) प्रत्येक जिला परिषद और प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद क्रमशः (जिले का नाम) जिला परिषद और (क्षेत्र का नाम) क्षेत्रीय परिषद के नाम से जाना जाने वाला एक निकाय होगा, जिसका क्रमिक उत्तराधिकार होगा और एक सामान्य मुहर होगी एवं उक्त नाम से उस पर मुकदमा चलाया जा सकेगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- एक स्वायत्तशासी जिला परिषद क्या है?
- उनका गठन कौन करता है?
- उनकी शक्तियाँ और भूमिकाएँ?
- क्षेत्रीय परिषद क्या होती है?
- इन परिषदों की संरचना?
- भारतीय संविधान की 6 वीं अनुसूची में कितने राज्य शामिल हैं।
मेंस लिंक:
स्वायत्तशासी जिला परिषदें क्या हैं? उनका गठन क्यों किया गया है? चर्चा कीजिए।
स्त्रोत: द हिन्दू
विषय: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं।
स्टार प्रचारक कौन होता है?
सन्दर्भ:
निर्वाचन आयोग ने महामारी के दौरान चुनावों के लिए स्टार प्रचारकों के मानदंडों को संशोधित किया है।
प्रस्तावित परिवर्तन:
- किसी मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल के लिए स्टार प्रचारकों की अधिकतम संख्या 40 से घटाकर 30 कर दी गयी है।
- गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों के लिए स्टार प्रचारकों की संख्या 20 से घटाकर 15 कर दी गई है।
- इसके अतिरिक्त, उन्हें अब चुनाव प्रचार करने से 48 घंटे पहले जिला चुनाव अधिकारी की अनुमति लेना आवश्यकता होगा।
स्टार प्रचारक कौन हैं?
उन्हें ऐसे व्यक्तियों के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जिन्हें राजनीतिक दलों द्वारा नामित निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार करने के लिए नामांकित किया जाता है। ये व्यक्ति लगभग सभी मामलों में, दल के भीतर प्रमुख और लोकप्रिय चेहरे होते हैं। हालाँकि भारत के निर्वाचन आयोग अथवा कानून के अनुसार इनकी कोई विशेष परिभाषा नहीं है।
लाभ:
ऐसे प्रचारकों द्वारा चुनाव प्रचार पर किए गए खर्च को एक उम्मीदवार के चुनाव खर्च में नहीं जोड़ा जाता है। हालाँकि, यह केवल तभी लागू होता है जब कोई स्टार प्रचारक अपने द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली राजनीतिक पार्टी के लिए एक सामान्य अभियान तक ही स्वयं को सीमित करता है।
क्या होगा यदि एक स्टार प्रचारक एक उम्मीदवार के लिए विशेष रूप से प्रचार करता है?
यदि कोई उम्मीदवार या उसका चुनाव एजेंट किसी स्टार प्रचारक के साथ किसी रैली में मंच साझा करता है, तो उस रैली का सम्पूर्ण खर्च, स्टार प्रचारक के यात्रा व्यय के अलावा, उम्मीदवार के खर्चों में जोड़ा जाता है।
- यदि उम्मीदवार स्टार प्रचारक की रैली में उपस्थित न हो, लेकिन उसकी तस्वीरों के साथ पोस्टर हैं अथवा उसका नाम प्रदर्शित किया जा रहा है, तो सम्पूर्ण खर्च उम्मीदवार के खाते में जोड़ा जाएगा।
- यह तब भी लागू होता है, जब स्टार प्रचारक किसी आयोजन के दौरान उम्मीदवार के नाम का उल्लेख करता है। जब एक से अधिक उम्मीदवार मंच साझा करते हैं, या उनकी तस्वीरों के साथ पोस्टर होते हैं, तो इस प्रकार की रैली / बैठक के खर्च ऐसे सभी उम्मीदवारों के मध्य समान रूप से विभाजित कर दिए जाते हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- स्टार प्रचारक कौन होता है?
- उन्हें कैसे पहचाना जाता है?
- चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित उनकी संख्या सीमा
- लाभ।
स्त्रोत: द हिन्दू
विषय: सरकार के विभिन्न अंगों के मध्य शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निस्तारण तंत्र एवं संस्थायें।
न्यायालय की अवमानना:
सन्दर्भ:
गुजरात उच्च न्यायालय ने आपराधिक अवमानना मामले में वकील को दोषी माना।
अवमानना का क्या अर्थ है?
यद्यपि अवमानना कानून का मूल विचार उन लोगों को दंडित करना है, जो न्यायालय के आदेशों का सम्मान नहीं करते हैं, लेकिन भारतीय संदर्भ में अवमानना का उपयोग न्यायालय की गरिमा को कम करने वाले एवं न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने वाले भाषण को दंडित करने के लिए भी किया जाता है।
न्यायालय की अवमानना दो प्रकार से हो सकती है:
- दीवानी, जो कि न्यायालय के आदेश या निर्णय की जानबूझकर अवज्ञा करना अथवा न्यायालय को दिए गए किसी कर्तव्य का जानबूझकर उल्लंघन करना है।
- आपराधिक, जो लिखा या बोला गया कोई शब्द अथवा कोई कार्य है, जो न्यायालय की निंदा करता हो अथवा इसके अधिकार या पूर्वाग्रहों को कम करता हो अथवा न्यायिक कार्यवाही के नियत समय में हस्तक्षेप करता हो अथवा न्यायिक प्रशासन में हस्तक्षेप / बाधा डालता हो।
प्रासंगिक प्रावधान:
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 129 और 215 क्रमशः उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय को यह अधिकार देते हैं कि वे लोगों को उनकी अवमानना के लिए दंडित करें।
- 1971 के न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा 10 उच्च न्यायालय की शक्ति प्रदान करती है कि वह अपने अधीनस्थ न्यायालयों को अवमानना के लिए दंडित करे।
- संविधान में लोक व्यवस्था एवं मानहानि जैसे तत्वों के साथ-साथ न्यायालय की अवमानना को भी अनुच्छेद 19 के तहत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक युक्तियुक्त प्रतिबंध के रूप में शामिल किया गया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- अवमानना के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की शक्तियां।
- इस संबंध में संवैधानिक प्रावधान।
- न्यायालयों की अवमानना (संशोधन) अधिनियम, 2006 द्वारा किये गये परिवर्तन।
- दीवानी बनाम आपराधिक अवमानना।
- अनुच्छेद 19 के तहत अधिकार।
- 1971 के न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा 10 किससे संबंधित है?
मेंस लिंक:
भारत में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवमानना के मामलों को कैसे नियंत्रित किया जाता है? चर्चा कीजिए।
स्त्रोत: द हिन्दू
विषय: सरकार के विभिन्न अंगों के मध्य शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निस्तारण तंत्र एवं संस्थायें।
सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है: सर्वोच्च न्यायालय
मामला क्या था?
कोरोनोवायरस महामारी के मद्देनजर लोगों के एकत्रित होने एवं आवाजाही पर अंकुश लगाने के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग में दिए जा रहे धरने को 23 मार्च को समाप्त करवा दिया गए था। यह विरोध प्रदर्शन 100 दिनों से अधिक समय से चल रहा था।
- यहां तक कि शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने और जमीनी स्थिति पर वापस रिपोर्ट करने के लिए वार्ताकारों को भी नियुक्त किया था।
अब सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
- फैसले में एक कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने के अधिकार को बरकरार रखा गया लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि सार्वजनिक रास्तों और सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा नहीं किया जा सकता है, और वह भी अनिश्चित काल तक।
- इस प्रकार के सड़क अवरोधों को रोकना प्रशासन का कर्तव्य है।
- मतभेद और लोकतंत्र साथ-साथ चलते हैं लेकिन निर्धारित क्षेत्र में ही विरोध प्रदर्शन किया जाना चाहिए।
मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध:
मौलिक अधिकार विलग नहीं हैं। ये अधिकार संप्रभुता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में लगाए गए युक्तियुक्त प्रतिबंधों के अधीन हैं।
आधारभूत ज्ञान:
शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार:
शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार की गारंटी भारत के संविधान द्वारा प्रदान की गयी है।
अनुच्छेद 19(1) (a) और 19 (1) (b) सभी नागरिकों को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार एवं शांतिपूर्वक और बिना हथियार के एकत्रित होने का अधिकार देते हैं।
हालाँकि उपर्युक्त दोनों अधिकारों पर अनुच्छेद 19 (2) और 19 (3) के अंतर्गत क्रमशः “युक्तियुक्त प्रतिबंध” लगाए गए हैं।
- इनमें भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता या न्यायालय की अवमानना या मानहानि के संबंध में अपराध उद्दीपन शामिल हैं।
राज्य की शक्तियाँ:
आंदोलन, विरोध प्रदर्शन, और गैरकानूनी रूप से सभाओं को नियंत्रित करने के लिए पुलिस के समक्ष उपलब्ध कानूनी प्रावधान और मार्ग, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973; भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 और पुलिस अधिनियम, 1861 द्वारा प्रदान किए गए हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- अनुच्छेद 19 के तहत अधिकार।
- युक्तियुक्त प्रतिबंध क्या हैं?
- शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन का अधिकार।
मेंस लिंक:
मतभेद और लोकतंत्र साथ-साथ चलते हैं लेकिन निर्धारित क्षेत्र में ही विरोध प्रदर्शन किया जाना चाहिए। चर्चा कीजिए।
स्त्रोत: द हिन्दू
विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियां, कार्य और जिम्मेदारियां।
नदी बोर्ड:
सन्दर्भ:
केंद्र ने हाल ही में कहा कि वह कृष्णा और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड (KRMB और GRMB) के अधिकार क्षेत्र का निर्धारण करेगा।
- केंद्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को शामिल करने वाली शीर्ष परिषद की बैठक के दौरान इसकी घोषणा की गई।
बैठक का आयोजन मुख्य रूप से दोनों राज्यों के बीच सिंचाई परियोजनाओं को निष्पादित करने और कृष्णा और गोदावरी नदियों के पानी को साझा करने के कारण उत्पन्न संघर्ष को हल करने के लिए किया गया था।
पृष्ठभूमि:
शीर्ष परिषद का गठन आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम (APRA), 2014 के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार द्वारा किया गया है।
- यह गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड की कार्यप्रणाली की देखरेख करता है।
- इसमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल हैं।
बैठक के परिणाम:
- दोनों राज्य शीर्ष परिषद द्वारा मूल्याङ्कन एवं अनुमोदन के लिए नवीन सिंचाई परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत करेंगे।
- शीर्ष परिषद कृष्णा और गोदावरी के जल में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के भाग को निर्धारित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने की दिशा में कार्य करेगी। केंद्र से यह आशा की जाती है कि वह जल बंटवारे के मुद्दे को कृष्णा गोदावरी ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत करेगा।
- कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड का मुख्यालय आंध्र प्रदेश में स्थित होगा।
- तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर मामले को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की, ताकि केंद्र जल बंटवारे के मुद्दे को कृष्णा गोदावरी ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत करे।
आधारभूत ज्ञान:
अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद:
संविधान के अनुच्छेद 262 में अंतर-राज्य जल विवादों का अधिनिर्णयन करने का प्रावधान है।
- इसके तहत, संसद किसी भी अंतर-राज्यीय नदी और नदी घाटी के जल के उपयोग, वितरण और नियंत्रण के संबंध में किसी भी विवाद या शिकायत का अधिनिर्णयन करने के लिए कानून का निर्माण कर सकती है।
- संसद यह भी प्रावधान बना सकती है कि इस प्रकार के किसी भी विवाद या शिकायत के संबंध में न तो सर्वोच्च न्यायालय और न ही कोई अन्य न्यायालय अपने क्षेत्राधिकार का प्रयोग करेगा।
संसद ने दो कानूनों का निर्माण किया है:
- नदी बोर्ड अधिनियम (1956) ।
- अंतर-राज्यीय जल विवाद अधिनियम (1956) ।
नदी बोर्ड अधिनियम:
यह अंतर-राज्यीय नदी और नदी घाटियों के विनियमन और विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा नदी बोर्डों की स्थापना का प्रावधान करता है।
उन्हें सलाह देने के लिए संबंधित राज्य सरकारों के अनुरोध पर एक नदी बोर्ड की स्थापना की जाती है।
- अंतर-राज्यीय जल विवाद अधिनियम:
यह केंद्र सरकार को एक अंतर-राज्यीय नदी या नदी घाटी के जल के संबंध में दो या दो से अधिक राज्यों के बीच विवाद के अधिनिर्णयन के लिए एक तदर्थ न्यायाधिकरण स्थापित करने का अधिकार देता है।
- न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम होता है और विवाद करने वाले पक्षों पर बाध्यकारी होता है।
- किसी भी जल विवाद के संबंध में न तो उच्चतम न्यायालय और न ही किसी अन्य न्यायालय के पास अधिकार क्षेत्र है, जिसे इस अधिनियम के तहत ऐसे अधिकरण को सौंपा जा सकता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- कृष्णा की सहायक नदियाँ।
- गोदावरी की सहायक नदियाँ।
- पूर्व एवं पश्चिम दिशा में बहने वाली भारत की नदियाँ।
- अंतरराज्यीय नदी जल विवाद- प्रमुख प्रावधान।
- कृष्णा और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड- गठन, कार्य और आदेश।
स्त्रोत: द हिन्दू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र / सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
गरीबी एवं साझा समृद्धि रिपोर्ट:
सन्दर्भ:
यह विश्व बैंक की द्विवार्षिक रिपोर्ट है।
- यह वैश्विक गरीबी और साझा समृद्धि के रुझानों पर नवीनतम और सबसे सटीक अनुमान के साथ एक वैश्विक दृश्य प्रदान करती है।
नवीनतम रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
परिदृश्य:
- COVID-19 के कारण हुए व्यवधान के कारण वैश्विक चरम गरीबी में 20 वर्षों में पहली बार वृद्धि होने की आशा है।
- यह संघर्ष और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में वृद्धि करेगा, जो पहले से ही गरीबी में कमी को धीमा कर रहे थे।
- महामारी 88 मिलियन से 115 मिलियन लोगों को अत्यधिक गरीबी अथवा प्रति दिन 1.50 डॉलर से कम पर जीवन व्यतीत करने पर मजबूर कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्तियों की कुल संख्या 150 मिलियन तक पहुंच जाएगी।
- 2020 में विश्व का लगभग 9.1% से 9.4% तक भाग अत्यधिक गरीबी से प्रभावित होगा।
सबसे खराब प्रभावित क्षेत्र:
- नव निर्धन व्यक्तियों में से अधिकांश व्यक्ति ऐसे देशों से होंगे जिनकी गरीबी दर पहले से ही उच्च है जबकि मध्यम आय वाले देशों (MIC) में से अनेक देश गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे।
- बैंक के अनुमानों के अनुसार उप- सहारा अफ्रीका एवं दक्षिण एशिया बुरी तरह से प्रभावित होंगे।
अब क्या करने की आवश्यकता है?
विकास की प्रगति और गरीबी में कमी करके इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए देशों को निम्नलिखित उपाय अपनाने की आवश्यकता होगी:
- कोविड के पश्चात् नवीन व्यवसायों और क्षेत्रों में जाने के लिए पूंजी, श्रम, कौशल और नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए एक पृथक अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जाए।
स्त्रोत: द हिन्दू
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, भारतीय प्रवासी।
नवीन H-1B पर प्रतिबंध:
संदर्भ:
संयुक्त राज्य अमेरिका ने नए नियम जारी किए हैं, जो अमेरिकी कंपनियों को H-1B गैर-आप्रवासी वीजा धारण करने वाले लोगों को रोजगार देने में कठिनाई उत्पन्न करेगा।
अंतरिम अंतिम नियम परिवर्तित करते हैं:
- विशेष व्यवसाय, नियोक्ता और कर्मचारी-नियोक्ता संबंध की परिभाषा।
- तीसरे पक्ष के कार्य स्थल पर एक श्रमिक के वीज़ा की वैधता एक वर्ष तक सीमित।
- इन वीजा के लिए प्रवर्तन और जांच में वृद्धि।
भारत के लिए चिंता:
नए नियम भारतीय सेवाओं और स्टाफ फर्मों को प्रभावित करेंगे जो प्रायः तीसरे पक्ष के स्थानों पर चलने वाली परियोजनाओं में श्रमिकों को नियोजित करते हैं।
- भारतीय नागरिकों को पिछले कुछ वर्षों में जारी किए गए H-1B वीजा का 70% से अधिक प्राप्त हुआ है, यहां तक कि शीर्ष 10 वीज़ा प्राप्तकर्ताओं में भारतीय टेक कंपनियों की भागीदारी अमेरिकी टेक कंपनियों जैसे ऐप्पल, गूगल और अमेज़न के पक्ष में लगातार गिर रही है।
अमेरिका को इन परिवर्तनों के सन्दर्भ में चिंतित क्यों होना चाहिए?
ये परिवर्तन प्रतिभा तक पहुंच को सीमित कर देंगे और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएंगे।
वे अमेरिकी नौकरियों एवं अमेरिकी हितों को खतरे में डालेंगे और COVID-19 संकट के समाधान में अनुसंधान एवं विकास को धीमा करेंगे।
पृष्ठभूमि:
H-1B, H-2B, L और अन्य कार्य वीजा क्या हैं?
आईटी और अन्य संबंधित डोमेन में अत्यधिक कुशल कम-लागत वाले कर्मचारियों का रिक्तस्थान भरने के अमेरिकी प्रशासन प्रत्येक वर्ष एक निश्चित संख्या में वीजा जारी करता है, जो अमेरिका से बाहर की कंपनियों को क्लाइंट स्थलों पर कर्मचारियों की अनुमति देता है।
- H-1B: व्यक्ति विशिष्ट व्यवसाय वाला होना चाहिए: एक विशेष व्यवसाय में काम करना। इसके समकक्ष उच्च शिक्षा डिग्री की आवश्यकता होती है।
- L1 वीजा कंपनियों को अत्यधिक कुशल श्रमिकों को सात साल तक की अवधि के लिए अमेरिका में स्थानांतरित करने की अनुमति देता है।
- H-2B वीजा खाद्य और कृषि श्रमिकों को अमेरिका में रोजगार ढूंढने की अनुमति देता है।
- J-1 वीजा: यह कार्य-अध्ययन के ग्रीष्मकालीन कार्यक्रमों में छात्रों के लिए है।
प्रीलिम्स लिंक:
- H-1B, F-1 और M 1 वीजा के मध्य अंतर।
- एक NRI और एक OCI कार्डधारक के मध्य अंतर।
- OCI और PIO का विलय कब किया गया था?
- नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 किस- किस को नागरिकता प्रदान करता है?
- भारत में नागरिकता से संबंधित संवैधानिक प्रावधान।
मेंस लिंक:
अमेरिका में भारतीय छात्रों के लिए अमेरिकी वीजा नियमों में हाल के बदलावों के प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
स्त्रोत: द हिन्दू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: सूचना एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जागरूकता एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दे।
रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार:
सन्दर्भ:
रसायन विज्ञान के क्षेत्र में इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार क्रिस्पर- कैस 9 ‘जेनेटिक सीज़र्स’ की खोज के लिए दिया गया।
- इमैनुएल शार्पेजी एवं अमेरिकी जेनिफर डाउडना ने जीव, पौधों एवं सूक्ष्मजीवों के डीएनए को सटीकता से संपादित करने के लिए क्रिस्पर- कैस 9 उपकरण विकसित किया था। इसकारण उन्हें संयुक्त रूप से यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
- नोबेल पुरस्कार के इतिहास में संभवतः यह पहला ऐसा मौका है, जब दो महिलाओं को व्यक्तिगत रूप से विजेता घोषित किया गया है।
क्रिस्पर (CRISPR- क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट)
यह कैसे काम करता है?
यह आनुवंशिक अनुक्रम में रोग/ समस्या के कारण वाले विशिष्ट क्षेत्र का पता लगाता है, उसे काटता है और एक नए और सही अनुक्रम से उसे प्रतिस्थापित करता है, जिससे रोग/ समस्या समाप्त हो जाती है।
विवरण:
- एक RNA अणु को DNA सूत्र में विशेष समस्याग्रस्त अनुक्रम का पता लगाने के लिए क्रमादेशित किया जाता है, और एक विशेष प्रोटीन जिसे Cas9 (जेनेटिक सीज़र्स) कहा जाता है, का उपयोग समस्याग्रस्त अनुक्रम को तोड़ने और हटाने के लिए किया जाता है।
- एक टूटे हुए DNA सूत्र में स्वयं को ठीक करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। लेकिन स्वयं-मरम्मत तंत्र एक समस्याग्रस्त अनुक्रम के पुनर्विकास को प्रोत्साहित कर सकता है। वैज्ञानिक इस स्वयं- मरम्मत प्रक्रिया के दौरान हस्तक्षेप करते हुए मूल अनुक्रम को प्रतिस्थापित करने के लिए जेनेटिक कोड के वांछित अनुक्रम की आपूर्ति करते हैं।
- यह किसी लंबे जिपर के मध्य भाग में एक भाग को काटने और उस भाग को एक नए खंड के साथ बदलने जैसा ही होता है।
इस तकनीक का क्या महत्व है?
- यह सरल तकनीक है: इसकी सरलता की तुलना प्रायः किसी भी वर्ड प्रोसेसर के “कट-कॉपी-पेस्ट” तंत्र से की जाती है। (अथवा यह संभवतः “फाइंड-रिप्लेस” तंत्र के समान होता है)
- संभावित अनुप्रयोग: इसके उपयोग से संभावित रूप से मानव और अन्य सभी जीव रूपों को परिवर्तित किया जा सकता है। यह संभावित रूप से आनुवंशिक और अन्य, रोगों को समाप्त कर सकता है, कृषि उत्पादन को बढ़ा सकता है, विकृति को ठीक कर सकता है, और यहां तक कि “डिजाइनर शिशुओं” के विकास की अधिक विवादास्पद संभावनाओं को खोल सकता है और उनमें सौंदर्य पूर्णता ला सकता है।
- दक्षता: क्योंकि सम्पूर्ण प्रक्रिया प्रोग्राम करने योग्य होती है, इसमें एक उल्लेखनीय दक्षता पायी जाती है, और यह पहले से ही लगभग चमत्कारी परिणाम उत्पन्न कर चुका हैं। रोग पैदा करने वाले जीवों के आनुवंशिक अनुक्रमों को परिवर्तित करके उन्हें अप्रभावी बनाया जा सकता है।
- कृषि के लिए: पौधों को कीट प्रतिरोधी अथवा सूखे या तापमान के प्रति उनकी सहनशीलता में सुधार करने के लिए उनके जीनों को संपादित किया जा सकता है।
इससे सम्बंधित नैतिक चिंताएं:
2018 डिजाइनर शिशु: नवंबर 2018 में, एक चीनी शोधकर्ता ने दावा किया कि उसने एक मानव भ्रूण के जीन को परिवर्तित किया, जिसके परिणामस्वरूप जुड़वां बच्चियों का जन्म हुआ।क्रिस्पर जैसे नए जीन-संपादन टूल का उपयोग करके ‘डिजाइनर शिशुओं’ के विकास का यह प्रथम प्रलेखित मामला था और इसने नैतिक चिंताओं को जन्म दिया।
- चीनी जुड़वाँ बच्चों के मामले में जीन को यह सुनिश्चित करने के लिए संपादित किया गया था कि वे एचआईवी (एड्स रोग के विषाणु) से संक्रमित न हों।
फिर चिंता क्या थी?
विशेष आनुवांशिक गुणों वाले शिशुओं के विकास की नैतिकता से सम्बंधित चिंताएँ उजागर की गयी थीं।
- इस मामले में समस्या, एचआईवी वायरस के संभावित संक्रमण के लिए पहले से ही अन्य वैकल्पिक समाधान और उपचार उपलब्ध थे। इस मामले के विवादास्पद होने का प्रमुख कारण यह था कि जीन-संपादन संभवतः बिना किसी नियामक अनुमति या निगरानी के किया गया था।
- इसके अतिरिक्त, क्रिस्पर तकनीक 100 प्रतिशत परिशुद्ध नहीं थी, और यह संभव है कि किसी अन्य जीन को भी गलती से परिवर्तित किया जा सकता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- जीन क्या हैं?
- जीन को कैसे संपादित किया जाता है?
- क्रिस्पर (CRISPR) तकनीक क्या है?
- CRISPR के अनुप्रयोग
- डिजाइनर शिशु क्या है?
- डीएनए और आरएनए के मध्य अंतर।
मेंस लिंक:
CRISPR तकनीक से सम्बंधित नैतिक चिंताओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिन्दू
विषय: सूचना एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जागरूकता एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दे।
गूगल भारत में एंटी–ट्रस्ट (Anti Trust) मामले का सामना करेगा:
सन्दर्भ:
गूगल भारत में एक नए एंटी-ट्रस्ट मामले का सामना कर रहा है। यह आरोप लगाया गया है कि उसने स्मार्ट टेलीविजन बाजार में अपने एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम की स्थिति का दुरुपयोग किया है।
- यह मामला भारत में गूगल की चौथी प्रमुख एंटी-ट्रस्ट चुनौती है।
- इसके अलावा, गूगल U.S में एंटी-ट्रस्ट चुनौतियों और चीन में एक संभावित एंटी-ट्रस्ट जांच का भी सामना कर रहा है।
एंटी-ट्रस्ट कानून क्या हैं?
- इसे प्रतिस्पर्धा कानून के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- उपभोक्ताओं को लुटेरी व्यावसायिक प्रथाओं से बचाने के लिए इन्हें विकसित किया गया है।
- ये कानून सुनिश्चित करते हैं कि एक खुले बाजार की अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए।
- ये कानून एकाधिकार तथा उत्पादन की अवनति एवं अधिकता की प्रतिस्पर्धा में व्यवधान के विरुद्ध रक्षा करते हैं।
भारत का एंटी-ट्रस्ट विनियमन ढांचा:
प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 भारत का एंटी-ट्रस्ट कानून है। इसने 1969 के “एकाधिकार एवं अवरोधक व्यापार व्यवहार अधिनियम” को प्रतिस्थापित किया था।
- यह अधिनियम निषिद्ध करता है: प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौते; उद्यमों द्वारा प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग; और भारत के अंदर प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने अथवा उसकी संभावना वाले संयोजनों (विलय और अधिग्रहण) को नियंत्रित करता है।
- इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत, केंद्र सरकार ने 2003 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की स्थापना की है, जो मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के प्रहरी के रूप में कार्य करता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के बारे में।
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत स्थापित विभिन्न संस्थान।
स्रोत: द हिन्दू
विषय: अवसंरचना- ऊर्जा।
प्राकृतिक गैस विपणन सुधार:
सन्दर्भ:
मंत्रिमंडल ने प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक सुधारों को मंजूरी दे दी है।
सुधार:
- सरकार देश में प्राकृतिक गैस की कीमत में पारदर्शिता लाने के लिए मानकीकृत ई-बिडिंग (e-Bididng) प्रारम्भ करेगी।
- संबद्ध कंपनियों को खुली, पारदर्शी और इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग प्रक्रिया के मद्देनजर बिडिंग प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति होगी। इससे गैस के विपणन में अधिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।
- उन ब्लॉक के क्षेत्र विकास योजना (FDP) को विपणन की स्वतंत्रता दी जाएगी, जिनमें उत्पादन साझाकरण अनुबंध (Production Sharing Contracts) पहले से ही मूल्य स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।
आधारभूत ज्ञान:
प्राकृतिक गैस के बारे में:
प्राकृतिक गैस उपलब्ध जीवाश्म ईंधन में सर्वाधिक स्वच्छ जीवाश्म ईंधन है।
- यह एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला हाइड्रोकार्बन गैस मिश्रण है, जिसमें मुख्य रूप से मीथेन पायी जाती है, लेकिन सामान्यतः इसमें अन्य उच्च एल्केनों की परिवर्तित मात्रा और कभी- कभी कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन सल्फाइड या हीलियम की कम मात्रा को भी मिश्रित किया जाता है।
- वायुमंडल में छोड़े जाने पर यह स्वयं एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है और ऑक्सीकरण के दौरान यह कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण करती है।
उपयोग:
- इसका उपयोग उर्वरक, प्लास्टिक और अन्य व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण कार्बनिक रसायनों के निर्माण में कच्चे माल के रूप में एवं विद्युत् उत्पादन के लिए ईंधन के रूप में, औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों में ऊष्मा के उद्देश्य की पूर्ती के लिए भी किया जाता है।
- प्राकृतिक गैस का उपयोग घरों में खाना पकाने और वाहनों के लिए परिवहन ईंधन के रूप में भी किया जाता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- प्राकृतिक गैस- उत्पादन और उपलब्धता
- प्रमुख घटक
- प्राकृतिक गैस के दहन से उत्सर्जित होने वाले प्रदूषक
मेंस लिंक:
प्राकृतिक गैस की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: संरक्षण से संबंधित मुद्दे।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI):
सन्दर्भ:
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु गुणवत्ता सूचकांक पर दिल्ली की वायु गुणवत्ता ’खराब’ ज़ोन में प्रवेश कर गई है- 28 जून के पश्चात् पहली बार।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक क्या है?
आम आदमी द्वारा अपने आसपास के क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता के बारे में जानने के लिए “एक संख्या- एक रंग-एक विवरण” की रूपरेखा के साथ इसे 2014 में प्रारम्भ किया गया था।
- वायु की गुणवत्ता का मापन आठ प्रदूषकों पर आधारित है: पार्टिकुलेट मैटर (PM10), पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), ओजोन (O3), अमोनिया (NH3), और लेड (Pb)।
- AQI में वायु गुणवत्ता की छह श्रेणियां हैं। ये हैं: अच्छा, संतोषजनक, मध्यम प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर।
- इसे IIT कानपुर और एक विशेषज्ञ समूह, जिसमें चिकित्सा और वायु गुणवत्ता वाले पेशेवर शामिल हैं, की सहायता से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विकसित किया गया है।
स्रोत: द हिन्दू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
अबोर्टेलफुसा नामदफाएंसिस (Abortelphusa Namdaphaensis):
- यह एक मीठे जल की नवीन केकड़ा प्रजाति है, जो हाल ही में नामदफा टाइगर रिजर्व में एक छोटी सी धारा के किनारे पायी गयी है।
- वंश (अबोर्टेलफुसा) का नाम अबोर की पहाड़ियों के नाम पर रखा गया है एवं इसकी प्रजाति (नामदफाएंसिस) का नाम नामदफा के नाम पर रखा गया है।
- नामदफा अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है और माना जाता है कि यह एक ऐसा दुर्लभ क्षेत्र है, जो चार बड़ी बिल्लियों: बाघ, हिम तेंदुए, बादल वाले तेंदुए (क्लाउड लेपर्ड) और तेंदुए का घर है।
RBI के डिप्टी गवर्नर:
केंद्र सरकार ने RBI के वरिष्ठतम कार्यकारी निदेशक एम. राजेश्वर राव को डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है।
- मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।
RBI में कितने डिप्टी गवर्नर हैं?
RBI अधिनियम के अनुसार, केंद्रीय बैंक में चार डिप्टी गवर्नर होंगे- दो रैंक के भीतर से, एक वाणिज्यिक बैंकर और दूसरा अर्थशास्त्री होगा, जो मौद्रिक नीति विभाग का प्रमुख होगा।
- डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति तीन वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए की जाती है और यह पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होता है।
भारत एवं जापान ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं 5G से सम्बंधित समझौते को अंतिम रूप दिया:
भारत और जापान ने साइबर सुरक्षा से सम्बंधित एक समझौते को अंतिम रूप देने का स्वागत किया है।
- समझौते में क्षमता निर्माण, अनुसंधान एवं विकास, महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना के क्षेत्र में सुरक्षा एवं लचीलता, 5G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा दिया गया है।
गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन:
- यह भारत में पश्चिम बंगाल राज्य के दार्जिलिंग और कालिम्पोंग क्षेत्रों के लिए एक स्वायत्तशासी जिला परिषद है।
- इसे 2011 में पश्चिम बंगाल सरकार, केंद्र सरकार एवं गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के मध्य त्रिपक्षीय समझौते के परिणामस्वरूप गठित किया गया था।
- गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन का गठन दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल को प्रतिस्थापित करने के लिए किया गया था, जिसकी स्थापना 1988 में की गयी थी और इसने 23 वर्षों तक दार्जिलिंग के पहाड़ी क्षेत्रों का प्रशासन किया था।
- गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में वर्तमान में तीन पहाड़ी उपविभाग: दार्जिलिंग, कर्सियांग, मिरिक; सिलीगुड़ी उपखंड के दार्जिलिंग जिले के कुछ क्षेत्र एवं संपूर्ण कालिम्पोंग जिला शामिल हैं।