विषय- सूची
सामान्य अध्ययन-I
1. भगत सिंह
2. एनएसओ समय-उपयोग सर्वेक्षण
सामान्य अध्ययन-II
1. द्वितीय राष्ट्रीय सीरो-सर्वेक्षण
2. महाराष्ट्र ने वन अधिकार अधिनियम को संशोधित किया
3. मातृत्व, नवजात और बाल स्वास्थ्य सहभागिता
सामान्य अध्ययन-III
1. नमामि गंगे कार्यक्रम
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद (GCTC)
2. गंगा अवलोकन
3. श्रीलंका ने लगाया पशु वध पर प्रतिबंध
4. भारत-डेनमार्क हरित सामरिक साझेदारी के लिए संबंधों को बेहतर बनाने पर सहमत
5. मुंबई ने किया अपनी जैव विविधता का मानचित्रण
6. एमनेस्टी इंटरनेशन
सामान्य अध्ययन- I
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।
भगत सिंह
सन्दर्भ:
28 सितंबर, 2020 को भगत सिंह की 113 वीं जयंती मनाई गई।
भगत सिंह के बारे में:
सितंबर, 1907 में जन्म हुआ।
गांधीजी का प्रभाव: प्रारम्भ में, उन्होंने महात्मा गांधी और असहयोग आंदोलन का समर्थन किया। हालाँकि, जब गांधी ने चौरी चौरा घटना के पश्चात् आंदोलन वापस ले लिया, तो भगत सिंह ने क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की ओर रुख किया।
उनसे सम्बंधित संगठन:
- 1924 में कानपुर में वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बने, जिसे एक वर्ष पूर्व ही सचिंद्रनाथ सान्याल द्वारा प्रारम्भ किया गया था।
- 1925 में भगत सिंह लाहौर लौट आए और अगले ही वर्ष उन्होंने और उनके सहयोगियों ने नौजवान भारत सभा नामक एक उग्रवादी युवा संगठन प्रारम्भ किया।
- 1928 में वे सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद और अन्य के साथ हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) से जुड़े।
- भगत सिंह और सुखदेव ने छात्रों के बीच खुले, कानूनी कार्यों के लिए लाहौर छात्र संघ का भी गठन किया।
क्रांतिकारी गतिविधियां, जिनमें वे शामिल थे:
- लाहौर षडयंत्र केस।
- 1929 केंद्रीय विधानसभा बम केस।
भगत सिंह को फांसी:
भगत सिंह को राजगुरु, सुखदेव और अन्य के साथ सांडर्स हत्या मामले में गिरफ्तार किया गया था। तीनों को 24 मार्च 1931 को फांसी देने का आदेश दिया गया था लेकिन एक दिन पहले ही लाहौर जेल में उन्हें फांसी दे दी गयी थी।
- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के सम्मान में 23 मार्च को ‘शहीद दिवस’ अथवा ‘सर्वोदय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
राजनैतिक विचारधारा:
उनकी आज़ादी केवल अंग्रेजों को खदेड़ने तक ही सीमित नहीं थी; इसके स्थान पर उन्होंने गरीबी से आज़ादी, अस्पृश्यता से आज़ादी, सांप्रदायिक संघर्ष से आज़ादी और प्रत्येक प्रकार के भेदभाव और शोषण से आज़ादी प्राप्त करने की आकांक्षा की थी।
प्रीलिम्स लिंक:
निम्नलिखित के बारे में:
- हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन
- हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
- नौजवान भारत सभा
- काकोरी षड्यंत्र केस
- लाहौर षडयंत्र केस
मेंस लिंक:
एक क्रांतिकारी और एक समाजवादी, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह का योगदान बहुत बड़ा है। चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ, भारत की विविधता।
एनएसओ समय–उपयोग सर्वेक्षण
सन्दर्भ:
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक इकाई है, ने जनवरी से दिसंबर 2019 के दौरान भारत में प्रथम समय उपयोग सर्वेक्षण (TUS) आयोजित किया।
सर्वेक्षण के बारे में:
- सर्वेक्षण का प्राथमिक उद्देश्य वैतनिक एवं अवैतनिक गतिविधियों में पुरुषों और महिलाओं की भागीदारी का मापन करना है।
- यह घर के सदस्यों द्वारा अवैतनिक देखभाल गतिविधियों, स्वयंसेवी कार्य, अवैतनिक घरेलू सेवा उत्पादन गतिविधियों में बिताए गए समय की जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- यह घर के सदस्यों द्वारा सीखने, सामाजिककरण, फुर्सत के समय की गतिविधियों, आत्म-देखभाल गतिविधियों आदि पर व्यतीत किए गए समय की जानकारी भी प्रदान करता है।
औसतन व्यतीत किया गया समय:
- औसत भारतीय महिला इन पर 243 मिनट खर्च करती है (चार घंटे से थोड़ा अधिक), जो औसत पुरुष (25 मिनट) की तुलना में लगभग दस गुना है।
- एक औसत भारतीय महिला अपना 19.5% समय या तो अवैतनिक घरेलू कार्य या अवैतनिक देखभाल करने वाली सेवाओं में व्यतीत करती है।
- इन गतिविधियों पर पुरुष 24 घंटे की अवधि का सिर्फ 2.5% व्यतीत करते हैं। गतिविधियों के प्रत्येक दूसरे समूह में- रोजगार और सीखने से लेकर सामाजिककरण, फुर्सत में बिताया गया समय, और सोने और खाने जैसी आत्म-देखभाल गतिविधियों में पुरुष, महिलाओं की तुलना में अपने दैनिक समय का अधिक भाग व्यतीत करते हैं।
- महिलाओं की उम्र एवं उनके द्वारा घरेलू कार्यों में बिताये गए समय की मात्रा के मध्य एक प्रतिलोम संबंध दिखाई देता है, लेकिन पुरुषों की उम्र और इन गतिविधियों पर पुरुषों द्वारा व्यतीत किए गए समय के मध्य एक समानुपाती संबंध देखने को मिलता है।
- 60 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं द्वारा घरेलू कार्यों में व्यतीत किये गए समय में भारी कमी देखने को मिलती है, वहीं पुरुष 60 वर्ष की आयु पूरी कर लेने के पश्चात् घरेलू कार्यों में अधिक समय व्यतीत करते हैं।
अन्य प्रमुख निष्कर्ष:
- नियोजित जनसंख्या का कुल प्रतिशत: 2019 में छह वर्ष या उससे अधिक आयु के 38.2 प्रतिशत व्यक्ति, देश में रोजगार और संबंधित गतिविधियों में संलग्न थे।
- पुरुषों और महिलाओं का अनुपात: 57.3 प्रतिशत पुरुष रोजगार और संबंधित गतिविधियों में संलग्न थे, जबकि देश में महिलाओं के लिए यह अनुपात 18.4 प्रतिशत था।
- ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ: ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और संबंधित गतिविधियों में संलग्न महिलाओं का अनुपात 19.2 प्रतिशत था, जो कि शहरों में संलग्न महिलाओं (16.7 प्रतिशत) की तुलना में अधिक था।
- लाभकारी रोजगार: लाभकारी रोजगार या संबंधित गतिविधियों में संलग्न छह वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों का अनुपात शहरों में 59.8 प्रतिशत जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 56.1 प्रतिशत था।
- अवैतनिक घरेलू सेवाएं: सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों का 53.2 प्रतिशत भाग घरेलू सदस्यों के लिए अवैतनिक घरेलू सेवाओं में संलग्न था। इस श्रेणी में महिलाओं का अनुपात 81.2 प्रतिशत था, जो कि पुरुषों (26.1 प्रतिशत) की तुलना में अत्यधिक था। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए यह आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है।
- देश में स्वयं के अंतिम उपयोग के लिए वस्तु के उत्पादन में संलग्न व्यक्तियों का अनुपात 17.1 प्रतिशत था। इस प्रकार के पुरुषों का अनुपात 14.3 प्रतिशत था, जबकि महिलाओं के लिए यह अनुपात 20 प्रतिशत था।
प्रीलिम्स लिंक:
- NSO के बारे में
- राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के बारे में
- एनएसओ समय-उपयोग सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष
मेंस लिंक:
एनएसओ के सर्वेक्षण के अनुसार, महिलाओं की उम्र एवं उनके द्वारा घरेलू कार्यों में बिताये गए समय की मात्रा के मध्य एक प्रतिलोम संबंध दिखाई देता है, लेकिन पुरुषों की उम्र और इन गतिविधियों पर पुरुषों द्वारा व्यतीत किए गए समय के मध्य एक समानुपाती संबंध देखने को मिलता है, क्यों? चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- II
विषय: स्वास्थ्य से सम्बंधित मुद्दे
द्वितीय राष्ट्रीय सीरो–सर्वेक्षण
सन्दर्भ:
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा द्वितीय राष्ट्रीय सीरो–सर्वेक्षण के परिणाम जारी किए गए हैं।
सीरो–सर्वेक्षण क्या है?
इस प्रकार के सर्वेक्षण में रक्त के नमूनों में IgG नामक एक विशिष्ट वर्ग के एंटीबॉडी की जाँच की जाती है, जो संक्रमण के पश्चात् दो सप्ताह के अंदर–अंदर ही दिखाई देता है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एंटीबॉडी हमारे शरीर में कितने समय तक उपस्थित रहती हैं, अतः उनकी उपस्थिति वायरस के केवल अतीत के जोखिम को दर्शाती है वर्तमान के जोखिम को नहीं।
नवीनतम सर्वेक्षण के निष्कर्ष:
अगस्त के उत्तरार्ध तक भारत की लगभग 7% वयस्क जनसंख्या नोबल कोरोनोवायरस के संपर्क में आ सकती है। यह परिषद् द्वारा 21 राज्यों के 70 जिलों में किए गए प्रथम सीरो-सर्वेक्षण द्वारा निर्धारित मई की शुरुआत तक संक्रमितों की संभावित संख्या में लगभग 10 गुना वृद्धि को दर्शाता है।
प्रथम सर्वेक्षण के दौरान, यह सामने आया कि COVID-19 पॉजिटिव केस की पुष्टि के लिए संक्रमणों की संख्या 82-130 थी। यह संख्या अब 26-32 हो गई है।
यह सामने आया कि प्रत्येक COVID-19 पॉजिटिव केस की पुष्टि के लिए 82-130 संक्रमण थे। यह संख्या अब 26-32 हो गई है। हालांकि, यह संख्या यह भी दर्शाती है कि देश में अभी भी जनसंख्या का एक बड़ा भाग वायरस के संपर्क नहीं आया है और इसलिए, भारत किसी भी चरम या हर्ड इम्युनिटी स्तर से अत्यंत दूर है।
वायरस के देश व्यापी प्रसार की दर संयुक्त राज्य अमेरिका के समान ही थी, जो कि लगभग 9.3% थी। ब्राजील और स्पेन में यह दर क्रमशः 2.8% और 4.6% थी।
प्रीलिम्स लिंक:
- RT PCR क्या है?
- एलिसा आधारित परीक्षण क्या है?
- एंटीजन और एंटीबॉडी क्या हैं?
- IgG और IgM एंटीबॉडी के मध्य अंतर
- ICMR क्या है?
मेंस लिंक:
व्यक्तियों में SARS- COV2 की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसर्बेंट एसेज़ (ELISAs) आधारित परीक्षण कैसे किया जाता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
महाराष्ट्र ने वन अधिकार अधिनियम को संशोधित किया
सन्दर्भ:
महाराष्ट्र के राज्यपाल ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 को संशोधित करते हुए एक अधिसूचना जारी की है।
- संविधान की अनुसूची 5 के अनुच्छेद 5 के उप अनुच्छेद (1) के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए राज्यपाल द्वारा अधिसूचना जारी की गई है।
क्या–क्या संशोधन किया गया है?
यह परिवर्तन आदिवासी और अन्य पारंपरिक वन निवासी परिवारों को वन क्षेत्रों के समीप ही घर बनाने की अनुमति प्रदान करता है।
महत्व:
- इस निर्णय से राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन-निवासी परिवारों को एक बड़ी राहत मिलने की संभावना है।
- इस पहल का उद्देश्य वन-निवासी परिवारों को अपने मूल गाँवों से बाहर प्रवास करने से रोकना है और उनके पड़ोस की वन भूमि में ग्राम क्षेत्रों का विस्तार करके उन्हें आवास क्षेत्र उपलब्ध कराना है।
5 वीं अनुसूची क्या है?
संविधान की पांचवीं अनुसूची, अनुसूचित क्षेत्रों के साथ–साथ असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के अतिरिक्त किसी भी अन्य राज्य में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है।
पांचवीं अनुसूची से सम्बंधित क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान:
- अनुसूचित क्षेत्रों वाले प्रत्येक राज्य का राज्यपाल वार्षिक रूप से, या जब भी राष्ट्रपति को आवश्यक लगे, उस राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
- केंद्र सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबन्ध में राज्यों को निर्देश दे सकती है।
- पांचवीं अनुसूची के पैरा 4 में अनुसूचित क्षेत्रों वाले किसी भी राज्य में एक जनजाति सलाहकार परिषद (TAC) की स्थापना का प्रावधान है।
- संरचना: बीस से अनधिक सदस्य, जिनमें से तीन-चौथाई राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधि होंगे। यदि राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधियों की संख्या ऐसे प्रतिनिधियों द्वारा भरी जाने वाली जनजाति सलाहकार परिषद की सीटों की संख्या से कम है, तो शेष सीटें उन जनजातियों के अन्य सदस्यों द्वारा भरी जाएंगी।
- कार्य: जनजाति सलाहकार परिषद, राज्य में अनुसूचित जनजाति की उन्नति एवं कल्याण से संबंधित ऐसे मामलों पर सलाह देगा, जिन्हें राज्यपाल द्वारा संदर्भित किया गया है।
निम्नलिखित को निर्धारित या विनियमित करने के लिए राज्यपाल नियम बना सकता है:
- परिषद के सदस्यों की संख्या, उनकी नियुक्ति का तरीका और परिषद के अध्यक्ष एवं अधिकारियों और सेवकों की नियुक्ति, परिषद् की बैठकों का संचालन और उसकी प्रक्रिया।
- राज्यपाल, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा, यह निर्देश दे सकते हैं कि संसद अथवा राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कोई विशेष अधिनियम, ऐसे अपवादों और संशोधनों के अधीन, राज्य के किसी अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग पर लागू होगा अथवा नहीं होगा।
- राज्यपाल राज्य के किसी भी अनुसूचित क्षेत्र की शांति और सुशासन के लिए नियम बना सकता है। इस प्रकार के नियम ऐसे क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के द्वारा अथवा उनके मध्य भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित कर सकते हैं; ऐसे क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए भूमि के आवंटन को विनियमित कर सकते हैं।
- ऐसे नियम बनाते समय राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से, संसद या राज्य विधानमंडल के किसी भी कानून को समाप्त अथवा संशोधित कर सकता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारतीय संविधान की 5 वीं और 6 वीं अनुसूची के मध्य अंतर
- 5 वीं अनुसूची के तहत राज्यपाल की शक्तियां
- 5 वीं अनुसूची के तहत क्षेत्रों को कौन शामिल या बाहर कर सकता है?
- अनुसूचित क्षेत्र क्या हैं?
- वन अधिकार अधिनियम- प्रमुख प्रावधान।
- जनजाति सलाहकार परिषद – रचना और कार्य।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
मातृत्व, नवजात और बाल स्वास्थ्य सहभागिता (PMNCH)
(Partnership for Maternal, Newborn and Child Health)
सन्दर्भ:
भारतीय स्वास्थ्य मंत्री ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मातृत्व, नवजात और बाल स्वास्थ्य सहभागिता मंच की बैठक में भाग लिया।
इस आयोजन की सह–मेजबानी व्हाइट रिबन एलायंस (WRA) और एवरी वुमन एवरी चाइल्ड (EWEC) द्वारा की गई थी।
- इस वर्ष की थीम “कोविड महामारी से प्रजनन, मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में कड़ी मेहनत से अर्जित लाभ को बचाने का प्रयास” थी।
मातृत्व, नवजात और बाल स्वास्थ्य सहभागिता (पीएमएनसीएच सहभागिता) के बारे में:
इसे 2005 में प्रारम्भ किया गया था। पीएमएनसीएच 77 देशों के 1000 से अधिक संगठनों का एक गठबंधन है, जिनमें यौन, प्रजनन, मातृत्व, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य समुदायों के साथ–साथ स्वास्थ्य प्रभावित क्षेत्रों से सम्बंधित संगठन भी शामिल हैं।
- नवीन सहभागिता के विज़न और लक्ष्यों को “दिल्ली घोषणा” में रेखांकित किया गया था। यह एक ऐतिहासिक विवरण था, जिसे 7-9 अप्रैल 2005 में नई दिल्ली, भारत में आयोजित “लाइव्स इन द बैलेंस: द पार्टनरशिप मीटिंग फॉर मैटरनल, न्यूबॉर्न एंड चाइल्ड हेल्थ” के प्रतिभागियों द्वारा विकसित किया गया था।
नियंत्रण:
इस सहभागिता को एक बोर्ड द्वारा नियंत्रित किया जाता है एवं इसका प्रशासन जिनेवा, स्विट्जरलैंड में विश्व स्वास्थ्य संगठन में स्थापित एक सचिवालय द्वारा किया जाता है।
भूमिकाएँ और कार्य:
- यह सहभागिता, संगठनों के द्वारा उद्देश्यों, रणनीतियों और संसाधनों को संरेखित करने एवं मातृत्व, नवजात, बाल तथा किशोर स्वास्थ्य में सुधार के लिए हस्तक्षेप करने पर सहमति बनाने के लिए एक मंच प्रदान करती है।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- III
विषय: संरक्षण से संबंधित मुद्दे
नमामि गंगे कार्यक्रम
सन्दर्भ:
प्रधानमंत्री मोदी ने नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तराखंड में 6 मेगा परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
- वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हरिद्वार, ऋषिकेश, मुनि–की–रेती और बद्रीनाथ में छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट या STPs का उद्घाटन किया गया।
नमामि गंगे कार्यक्रम के बारे में:
यह एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम‘ के रूप में मंजूरी दी गई थी।
- इसका लक्ष्य राष्ट्रीय नदी गंगा से प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन एवं उसके संरक्षण और कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करना है।
- यह जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है।
क्रियान्वयन:
यह कार्यक्रम “राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन” (NMCG) एवं इसके राज्य समकक्ष संगठनों अर्थात, राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह (SPMGs) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, राष्ट्रीय गंगा परिषद की क्रियान्वयन इकाई है। राष्ट्रीय गंगा परिषद को 2016 में स्थापित किया गया था, जिसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NRGBA) का स्थान लिया था।
राष्ट्रीय गंगा परिषद (NGC) का निर्माण अक्टूबर 2016 में गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकार के आदेश, 2016 के अंतर्गत किया गया था। भारत के प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं।
वित्तपोषण:
इसमें केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित एक 20,000 करोड़ रूपये का गैर–समाप्त योग्य कोष का निर्माण किया गया है एवं इसमें लगभग 288 परियोजनाएं शामिल हैं।
नमामि गंगे कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ:
- सीवरेज उपचार अवसंरचना
- नदी की सतह की सफाई
- वनीकरण
- औद्योगिक प्रवाह की निगरानी
- नदी के किनारों का विकास
- जैव विविधता
- जन जागरूकता
- गंगा ग्राम
प्रीलिम्स लिंक
- राष्ट्रीय गंगा परिषद् की संरचना
- राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के बारे में
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन क्या है?
- नमामि गंगे कार्यक्रम के घटक
- विश्व बैंक समूह
स्रोत: पीआईबी
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद (GCTC)
(Global Counter Terrorism Council)
यह एक पंजीकृत गैर–लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक है। इसका उद्देश्य मानवता के लिए खतरे के रूप में आतंकवाद, मानव सुरक्षा आदि के सन्दर्भ में राष्ट्रीय हित एवं वैश्विक अंतश्चेतना के मुद्दों पर जागरूकता का प्रसार करना है।
- इसके सदस्यों में विभिन्न संकायों और पृष्ठभूमि के व्यक्ति जैसे वरिष्ठ नौकरशाह, शिक्षाविद, सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक सेवाओं के अधिकारी, प्रतिष्ठित राजनयिक, प्रमुख शोधकर्ता, मीडिया विश्लेषक, सांसद, पेशेवर, कॉर्पोरेट प्रमुख, मानव अधिकार समूह आदि शामिल हैं।
- वे वैश्विक आतंकवाद के मूल कारणों पर विचार करने और समाज और सरकार द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं के प्रभावी समाधान प्रस्तुत करने के उद्देश्य से समर्थन और नियमित रूप से योगदान देते हैं।
समाचारों में क्यों?
हाल ही में वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा सम्मेलन 2020 आयोजित किया गया था।
गंगा अवलोकन
- यह हरिद्वार में चंडी घाट पर स्थित नदी पर बना प्रथम संग्रहालय है।
- हाल ही में इसका उद्घाटन किया गया था।
- इसका उद्देश्य नदी से सम्बंधित संस्कृति, जैव विविधता और कायाकल्प गतिविधियों को प्रदर्शित करना है।
श्रीलंका ने लगाया पशु वध पर प्रतिबंध
श्रीलंका सरकार ने पशु वध पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, इसने मांसाहार का सेवन करने वाले लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए पशुमांस आयात करने का फैसला किया है।
पृष्ठभूमि:
2012 की जनगणना के अनुसार, श्रीलंका में 20 मिलियन से अधिक जनसंख्या में से 70.10% बौद्ध, 12.58% हिंदू, 9.66% मुस्लिम, 7.62% ईसाई और 0.03% अन्य शामिल हैं।
भारत–डेनमार्क हरित सामरिक साझेदारी के लिए संबंधों को बेहतर बनाने पर सहमत
- भारत और डेनमार्क ने हाल ही में अपने संबंधों को एक “हरित सामरिक साझेदारी” के लिए बेहतर बनाया है।
हरित सामरिक साझेदारी एक पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य पेरिस समझौते और संयुक्त राष्ट्र धारणीय विकास लक्ष्यों के महत्वाकांक्षी क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ राजनीतिक सहयोग को बेहतर बनाना, आर्थिक संबंधों और हरित विकास का विस्तार करना, रोजगार सृजित करना एवं वैश्विक चुनौतियों के समाधान और अवसरों में सहयोग को सशक्त बनाना है।
मुंबई ने किया अपनी जैव विविधता का मानचित्रण
मुंबई में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों को देखने हेतु मुंबई के नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए यह अपने प्रकार का प्रथम प्रयास किया गया है, जिसमें शहर के वन्यजीव आकर्षण के केंद्र, मैंग्रोव वन, शहरी हरित स्थानों और शहर में देखी जा सकने वाली 90 से अधिक प्रजातियों को दर्शाने के लिए शहर की जैव विविधता का मानचित्रण किया गया है।
- ग्रीन ह्यूमर के उपनाम से लोकप्रिय रोहन चक्रवर्ती द्वारा इस मानचित्र का निर्माण किया गया है।
- यह मानचित्र मुंबई निवासियों के लिए एक अनुस्मारक के रूप में काम करेगा जिससे कि वे मुंबई की जैव विविधता की रक्षा के लिए कदम उठायें, जो कि असतत विकास के कारण खतरे में है।
- यह मुंबई के मैजिक मंत्रालय द्वारा प्रारम्भ किये गए एक अभियान “बायोडायवर्सिटी बाई द बे” (Biodiversity by the Bay) का एक भाग है।
एमनेस्टी इंटरनेशन
खबरों में क्यों?
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल के बैंक खातों पर रोक लगाने के पश्चात् एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारतीय संचालन को रोक दिया है।
- एमनेस्टी इंडिया के खिलाफ सरकारी मामला मुख्यतः दो जांचों से सम्बंधित है, एक में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत विसंगतियों का आरोप लगाया गया था, एवं दूसरे मामले में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के तहत उल्लंघन का आरोप लगाते हुए CBI द्वारा केस दर्ज किया गया था।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के बारे में
एमनेस्टी इंटरनेशनल एक गैर-सरकारी संगठन है जो मानव अधिकारों पर केंद्रित है।
- संगठन का घोषित उद्देश्य “मानव अधिकारों के दुरुपयोग को रोकने और समाप्त करने के लिए अनुसंधान करना और कार्रवाई करना, और उन लोगों के लिए न्याय की मांग करना, जिनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।”
- संगठन को इसके “यातना के खिलाफ अभियान” के लिए 1977 में नोबेल शांति पुरस्कार एवं 1978 में मानवाधिकार के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के क्षेत्र में, इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स पश्चात् एमनेस्टी का दूसरा सबसे लंबा इतिहास है एवं इसे व्यापक प्रसिद्धि प्राप्त है।