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सामान्य अध्ययन – 1
विषय: सामाजिक सशक्तिकरण।
1. भारत में जाति व्यवस्था की विस्तार से चर्चा कीजिए। वर्तमान समय में जाति आधारित पहचान को सशक्त करने वाले विभिन्न कारणों की भी पहचान कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: bbc.com
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
देश में जाति व्यवस्था की पृष्ठभूमि और इसके उद्भव के सन्दर्भ में संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत में जाति प्रथा के प्रचलन / उद्भव को स्पष्ट करने वाले कुछ सिद्धांतों की व्याख्या कीजिए।
इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
जाति व्यवस्था के कार्यों और इसकी विकृतियों पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए। समझाइये कि आज के समय में किस प्रकार से जाति की पहचान को और मजबूती मिली है।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि इस प्रकार की जातिगत पहचानों के माध्यम से मतभेद और अंतराल के निर्माण के स्थान पर मानवता को एक बड़े धर्म के रूप में स्वीकार करने और उस पर विश्वास करने की आवश्यकता है।
विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव।
2. पृथ्वी के आंतरिक भाग की संरचना को समझने के लिए एक अप्रत्यक्ष स्रोत के रूप में भूकंप तरंगों का उपयोग क्यों किया जाता है? समझाइए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: कक्षा XI NCERT – विश्व भौतिक भूगोल के मूल तत्व
निर्देशक शब्द:
समझाइये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
पृथ्वी की सतह, उसके वर्तमान आकार और उसके भविष्य के विकास को समझने के लिए पृथ्वी की आंतरिक संरचना (क्रस्ट, मेंटल, कोर) और उससे निकलने वाले विभिन्न बलों (ऊष्मा, भूकंपीय तरंगों) को समझना आवश्यक है।
विषय वस्तु:
पृथ्वी की आंतरिक संरचना को समझने के विभिन्न माध्यमों पर चर्चा कीजिए।
विस्तार से समझाइए कि पृथ्वी के आंतरिक भागों को समझने में भूकंप प्रमुख भूमिका कैसे निभाते हैं।
निष्कर्ष:
इसके महत्व एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 2
विषय: स.अ.2– सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
स.अ.3– संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
3. खाद्य हानि और अपशिष्ट न्यूनीकरण महत्वपूर्ण क्यों है? हाल ही में मनाये गए अंतर्राष्ट्रीय खाद्य हानि और अपशिष्ट न्यूनीकरण जागरूकता दिवस की पृष्ठभूमि में समझाइए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: www.fao.org
निर्देशक शब्द:
समझाइये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रमुख आंकड़ों की सहायता से विश्व भर में उत्पन्न होने वाले खाद्य अपशिष्ट और हानि के बारे में संक्षेप में समझाइए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि भोजन हानि एवं अपशिष्ट न्यूनीकरण महत्वपूर्ण क्यों है।
विश्व भर में खाद्य हानि और अपशिष्ट न्यूनीकरण की आवश्यक है क्योंकि 2014 के बाद से भूख से प्रभावित लोगों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है और प्रत्येक दिन टनों खाद्य पदार्थ नष्ट या बर्बाद हो जाता है।
वैश्विक स्तर पर उत्पादित खाद्य पदार्थ के लगभग 14 प्रतिशत भाग की क्षति फसल उत्पादन एवं खुदरा बाजार तक पहुँचने के मार्ग के बीच में ही हो जाती है। खुदरा और उपभोग स्तर पर भी महत्वपूर्ण मात्रा में क्षति होती है।
निष्कर्ष:
इसके महत्व के साथ निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 3
विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।
4. “दलहन क्रांति की कहानी भारतीय किसानों द्वारा हासिल उपलब्धियों के सन्दर्भ में एक और अध्याय है।” इस संदर्भ में भारतीय कृषि से सम्बंधित दलहन क्रांति एवं इससे प्राप्त सीख पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Financial Express
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
देश में दलहन उत्पादन से संबंधित प्रमुख आँकड़े प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइये कि भारत बड़ी मात्रा में दालों का आयात करता था। दालों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद स्कीमों के कारण घरेलू उत्पादन में वृद्धि हुई है, जो आत्मनिर्भरता की राह पर ले जा रही है।
इस परिवर्तन और आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने के लिए क्या प्रयास किये गए, समझाइए।
संदर्भित लेख की सहायता से उपर्युक्त को समझाइए।
निष्कर्ष:
कृषि के अन्य क्षेत्रों में भी इसी प्रकार की आत्मनिर्भरता को दोहराने की आवश्यकता का सुझाव देते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
5. देश में भूजल नि:शेषीकरण की स्थिति पर चर्चा कीजिए एवं संबंधित समस्याओं का उल्लेख कीजिए। हाल ही में अधिसूचित किए गए भूजल निकासी मानदंडों की तर्ज पर उपाय भी सुझाइये। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Live Mint
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारत विश्व में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है, जो प्रति वर्ष लगभग 250 घन किलोमीटर जल निष्कर्षण करता है। यह राशि अमेरिका की तुलना में दोगुने से अधिक है।
विषय वस्तु:
सर्वप्रथम भूजल नि:शेषीकरण की स्थिति पर चर्चा कीजिए।
भारत के मानचित्र की सहायता से देश में भूजल निःशेषीकरण का एक स्थानिक परिदृश्य प्रदान किया जा सकता है।
इस समस्या का समाधान करने के उपाय सुझायें। हाल ही में प्रस्तावित भूजल निकासी मानदंडों पर भी प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 4
विषय: अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नैतिक मुद्दे।
6. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में देखे जाने वाले किन्हीं भी चार नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नैतिक चिंताओं के कारणों और संभावना की व्याख्या करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
इस प्रकार के उत्तर को उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।
आतंकवाद और राज्य द्वारा प्रायोजित आतंकवादी और उग्रवादी, जलवायु परिवर्तन, व्यापार, विकास और गरीबी, निःशस्त्रीकरण, संगठित अपराध और मानव तस्करी, टैक्स हेवन, मानव अधिकार, नरसंहार, नस्लीय भेदभाव, ग्लोबल कॉमन्स का मुद्दा, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को मजबूत करना / कमजोर करना आदि ये सभी नैतिक मुद्दे हो सकते हैं।
किन्हीं भी चार को चुनें और विस्तार से व्याख्या कीजिए।
निष्कर्ष:
इस प्रकार के नैतिक मुद्दों को हल करने और दूर करने के उपायों को बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।
7. क्या समाज नशीले पदार्थों के उपयोग, हेलमेट अथवा सीटबेल्ट नहीं पहनने जैसे तथाकथित पीड़ितरहित अपराधों को नियंत्रित करने में न्यायसंगत है? एक नैतिक दृष्टिकोण से अपनी राय दीजिए और उसकी पुष्टि कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रश्न के सन्दर्भ पर चर्चा कीजिए।
विषय वस्तु:
समकालीन समाज में नैतिक मुद्दे लाजिमी हैं। नैतिक मुद्दों में सार्वजनिक नीति या व्यक्तिगत व्यवहार में नैतिक रूप से सही या गलत के प्रश्न शामिल होते हैं। अन्य लोगों को प्रभावित करने वाले कार्य या नीतियां सदैव एक नैतिक आयाम धारण किये होती हैं। इस सन्दर्भ में कुछ लोग नैतिक मुद्दों को उन कार्यों तक सीमित कर देते हैं, जो दूसरों (सामाजिक नैतिकता) को सहायता अथवा क्षति पहुंचा सकते हैं जबकि अन्य लोग व्यक्तिगत और आत्म-संबंध आचरण (व्यक्तिगत नैतिकता) के आधार पर व्यवहार करते हैं।
अपने अनुसार दृष्टिकोण और समाधान पर चर्चा कीजिए और समाधान के लिए उपाय भी सुझाइये।
निष्कर्ष:
एक निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण के साथ निष्कर्ष निकालिए।