INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 19 September

 

विषय – सूची:

सामान्य अध्ययन-II

1. डिजिटल विभाजन को पाटने हेतु दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश

2. समर्थ योजना

3. सिंधु जल संधि

 

सामान्य अध्ययन-III

1. ब्लू फ्लैग कार्यक्रम

2. तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा (BEAMS) कार्यक्रम

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. स्लॉथ बीयर और नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क

2. वैभव शिखर सम्मेलन

3. विश्व बांस दिवस

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

डिजिटल विभाजन को पाटने हेतु दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश


(Delhi HC order to Bridge Digital divide)

संदर्भ:

हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों और सरकारी स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और अन्य वंचित समूहों (Disadvantaged Groups- DG) के छात्रों को पर्याप्त गैजेट और इंटरनेट पैकेज प्रदान करने का निर्देश दिया गया है, ताकि उनकी COVID19 लॉकडाउन के कारण स्कूली ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच संभव हो सकें।

चर्चा का विषय:

अदालत द्वारा यह आदेश उन चिंताओं के मद्देनजर पारित किया है, जिसमे कहा गया था कि, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र COVID19 महामारी के दौरान संसाधनों की कमी और लैपटॉप अथवा मोबाइल फोन की अनुपलब्धता के कारण अपनी ऑनलाइन पढाई जारी रखने में सक्षम नहीं है।

इन उपायों की आवश्यकता: उच्च न्यायालय की टिप्पणी

भेदभाव को दूर करने के लिए: सभी छात्रों के पास इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। कक्षाओं में होने भेदभाव, सभी के लिए प्राप्त होने वाले सामान अवसरों को असंतुलित करता है, और यह भेदभाव बढाने के साथ-साथ एक खड़ा अंतर, डिजिटल विभाजन अथवा डिजिटल अंतराल या डिजिटल विभेद उत्पन्न करता है, इसके अतिरिक्त, कक्षाओं में इस प्रकार से विभाजन ‘शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE), 2009 तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है

वित्तीय अवरोधक: इस प्रकार की शिक्षण प्रणाली आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और अन्य वंचित समूहों (DG) के छात्रों के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध नहीं कराकर उनकी प्रारंभिक शिक्षा को आगे बढ़ाने में अवरोध उत्पन्न करती है।

आगे की राह

अदालत ने स्पष्ट किया है, कि इस डिजिटल डिवाइड या डिजिटल गैप या डिजिटल विभेद’ को खत्म करने में अथवा इसका समाधान करने में, यदि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कोई अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ता है, तो स्कूल इसके लिए RTE अधिनियम, 2009 की धारा 12(2) के तहत राज्य से प्रतिपूर्ति या अदायगी का दावा कर सकते हैं।

शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के बारे में:

RTE अधिनियम का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है।

  • इसके तहत, शिक्षा को एक मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) के रूप में लागू किया गया है।
  • यह अधिनियम में समाज के वंचित वर्गों के लिए सभी निजी स्कूलों में 25% आरक्षण अनिवार्य किया गया है।
  • इसमें, अब तक स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चे के लिए एक उपयुक्त आयु वर्ग की कक्षाओं में भर्ती करने का प्रावधान किया गया है।
  • इसमें, वित्तीय और अन्य जिम्मेदारियों को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा करने का प्रावधान किया गया है।
  • इसमें, दशकीय जनगणना, स्थानीय प्राधिकरण, राज्य विधानसभाओं और संसद के चुनावों तथा आपदा राहत कार्यों के अतिरिक्त शिक्षकों की गैर-शैक्षणिक कार्यों के लिए तैनाती का निषेध किया गया है।
  • शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) अर्थात, छात्रों को 8वीं कक्षा तक फेल होने के बाद भी अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाना, एक अहम हिस्सा था, जिसे निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (संशोधन) विधेयक [Right of Children to Free and Compulsory Education (Amendment) Bill] के तहत हटा दिया गया है।

अधिनियम में निम्नलिखित से संबंधित मानदंडों को निर्धारित किया गया है:

  • विद्यार्थी शिक्षक अनुपात
  • भवन और आधारभूत संरचना
  • स्कूल-कार्य दिवस
  • शिक्षक-कार्य के घंटे

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अनुच्छेद 21 के तहत अधिकार।
  2. अनुच्छेद 14 और 20 का अवलोकन।
  3. RTE अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं।
  4. RTE अधिनियम में संशोधन।

मेंस लिंक:

शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका।

समर्थ योजना (Samarth Scheme)

संदर्भ:

केंद्रीय कपड़ा मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, समर्थ योजना के तहत 18 राज्य सरकारों को पारंपरिक और संगठित क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए 3.6 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य प्रदान किया गया है।

समर्थ योजना के बारे में:

  • इस योजना को, ‘वस्त्र उद्योग में क्षमता निर्माण योजना (Scheme for Capacity Building in Textile SectorSCBTS) के रूप में भी जाना जाता है।
  • इसे वस्त्र मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • इसका उद्देश्य, मांग आधारित, रोजगार उन्मुख राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (National Skills Qualifications FrameworkNSQF) अनुपालन कौशल कार्यक्रम प्रदान करना है।

Samarth_Scheme

 लक्ष्य:

इस योजना का लक्ष्य, संगठित क्षेत्र में कताई और बुनाई को छोड़कर, 10 लाख लोगों (पारंपरिक क्षेत्र में 9 लाख और गैर पारंपरिक क्षेत्र में 1 लाख) को प्रशिक्षित करना है।

योजना की प्रमुख विशेषताऐं:

  • प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (Training of Trainers- ToT)
  • आधार सक्षम बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम (AEBAS)
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग
  • हेल्पलाइन नंबरों सहित कॉल सेंटर

कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियां

  • वस्त्र उद्योग
  • वस्त्र उद्योग के साथ रोजगार अनुबंध तथा प्रशिक्षण अवसंरचना रखने वाली राज्य सरकारे/ कपड़ा मंत्रालय के संगठन। / संस्थान
  • प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थान / NGO / सोसायटी / ट्रस्ट / संगठन / कंपनी / स्टार्ट अप / वस्त्र उद्योग के साथ रोजगार अनुबंध रखने वाले टेक्सटाइल सेक्टर में सक्रिय उद्यमी।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. किस मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है?
  2. योजना के उद्देश्य और लक्ष्य
  3. विशेषताएं
  4. लागू किये जाने का वर्ष
  5. कपड़ा क्षेत्र की अन्य योजनाएं

मेंस लिंक:

समर्थ योजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: भारत एवं उसके पड़ोसी- संबंध।

सिंधु जल संधि (IWT)


(Indus Water Treaty)

संदर्भ:

19 सितंबर 2020 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौते (Indus Water TreatyIWT) को 60 वर्ष पूरे हुए हैं।

सिंधु जल संधि के बारे में:

यह एक जल-वितरण समझौता है, जिस पर वर्ष 1960 में, विश्व बैंक की मध्यस्था से भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तथा पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किये थे।

सिंधु जल समझौते के तहत नियंत्रण

  • सिंधु जल समझौते के अनुसार, तीन पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलज- के पानी पर भारत को पूरा नियंत्रण प्रदान किया गया।
  • पाकिस्तान,पश्चिमी नदियों- सिंधु, चिनाब और झेलम को नियंत्रित करता है।

अन्य उद्देश्यों हेतु पानी

  • समझौते के तहत, भारत को पश्चिमी नदियों के 20% पानी का उपयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन और परिवहन उद्देश्यों के लिए करने की अनुमति है।
  • इसमें, पश्चिमी नदियों पर भारत को 6 मिलियन एकड़ फीट (Million Acre-Feet- MAF) की ‘अनुमत भंडारण क्षमता” (Permissible Storage Capacity) दी गयी है।

संधि की प्रमुख विशेषताएं:

  • संधि के अनुसार, पाकिस्तान और भारत के जल आयुक्तों को वर्ष में दो बार मिलने तथा परियोजना स्थलों और नदी पर किये जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों के तकनीकी पहलुओं के बारे में सूचित करना आवश्यक है।
  • समझौते के तहत दोनों पक्ष, जल प्रवाह तथा उपयोग किए जा रहे पानी की मात्रा का विवरण साझा करते हैं।
  • इस समझौते में दोनों देशों के मध्य नदियों के उपयोग के संबंध में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक प्रणाली स्थापित की गयी है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ।
  2. सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर कब किए गए थे?
  3. समझौते को किसने भंग किया?
  4. समझौते की मुख्य विशेषताएं?
  5. स्थायी सिंधु आयोग के कार्य।
  6. इससे संबंधित चर्चित पनबिजली परियोजनाएं।

 मेंस लिंक:

सिंधु जल समझौते के महत्व पर चर्चा कीजिए।

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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

ब्लू फ्लैग कार्यक्रम


(Blue flag programme)

संदर्भ:

अंतरराष्ट्रीय सागर तट स्वच्छता दिवस (वर्ष 1986 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है) की पूर्व संध्या पर पहली बार भारत के आठ सागर तटों की प्रतिष्ठित “अंतरराष्ट्रीय ईको लेबल ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र” के लिए अनुशंसित किया गया है।

अंतरराष्ट्रीय सागर तट स्वच्छता दिवस (International Coastal Clean-Up Day) को प्रति वर्ष सितंबर के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है। यह समुद्रों के स्वास्थ्य के लिए वाशिंगटन स्थित संस्था ओशन कंजर्वेंसी (Ocean Conservancy) की एक पहल है।

अनुशंसित आठ सागर तट हैं –

गुजरात का शिवराजपुर तट, दमण एवं दीव का घोघला तट, कर्नाटक का कासरगोड बीच और पदुबिरदी बीच, केरल का कप्पड बीच, आंध्र प्रदेश का रुषिकोंडा बीच, ओडिशा का गोल्डन बीच और अंडमान निकोबार का राधानगर बीच।

ब्लू फ्लैग कार्यक्रम के बारे में:

समुद्र तटों तथा मरीना (marinas) के लिए ब्लू फ्लैग कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन, फाउंडेशन फॉर एनवायरमेंटल एजुकेशन (The Foundation for Environmental EducationFEE) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम का आरम्भ फ्रांस में वर्ष 1985 में किया गया था तथा वर्ष 1987 से यूरोप में लागू किया गया। वर्ष 2001 से इस कार्यक्रम में दक्षिण अफ्रीका सम्मिलित हुआ, यह इसमें भाग लेने वाला यूरोप के बाहर का पहला देश है।

ब्लू फ्लैग’ परिभाषा

‘ब्लू फ्लैग’ समुद्र तट, एक ईको-टूरिज़्म मॉडल है जो पर्यटकों को नहाने के लिये स्वच्छ जल, सुविधाओं, सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के साथ क्षेत्र के सतत् विकास को बढ़ावा देने वाले समुद्र तटों को चिह्नित करता है।

प्रमुख तथ्य:

  • दक्षिण और दक्षिणपूर्वी एशिया में जापान और दक्षिण कोरिया एकमात्र देश हैं जिनके समुद्र तटों को ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन दिया गया है।
  • ‘ब्लू फ्लैग’ प्राप्त सर्वाधिक समुद्र तटों (566) के साथ स्पेन शीर्ष स्थान पर है; इसके पश्चात क्रमशः ग्रीस (515) और फ्रांस (395) का स्थान है।

ब्लू फ्लैग’ हेतु मानदंड

ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण हेतु लगभग 33 मानदंडो को पूरा करना आवश्यक होता है, जिनमे पानी की गुणवत्ता के कुछ मानक मानकों को पूरा करना, अपशिष्ट निपटान की सुविधा होना, विकलांग अनुकूलित होना, प्राथमिक चिकित्सा उपकरण और मुख्य क्षेत्रों में पालतू जानवरों का प्रवेश नहीं होना आदि सम्मिलित हैं।

भारत में ब्लू फ्लैग’ प्रमाणीकरण हेतु चिन्हित किये गए समुद्र तट:

  • ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणीकरण हेतु 13 प्रमुख सागर तटों की पहचान की गई है।
  • ओडिशा के कोणार्क तट पर चंद्रभागा सागर तट ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन प्रक्रिया को पूरा करने वाला पहला शहर है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण के बारे में
  2. कार्यक्रम किसके द्वारा शुरू किया गया है?
  3. भारत और एशिया का ब्लू फ्लैग टैग पाने वाला का पहला सागर तट
  4. सर्वाधिक ब्लू फ्लैग सागर तटों वाला देश

मेंस लिंक:

ब्लू फ्लैग कार्यक्रम पर एक टिप्पणी लिखिए।

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स्रोत: पीआईबी

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

 तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा (BEAMS) कार्यक्रम


(Beach Environment and Aesthetics Management Services’ (BEAMS) program)

संदर्भ:

भारत ने एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (Integrated Coastal Zone Management- ICZM) परियोजना के तहत अपना स्वयं का इको-लेबल BEAMS (तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा-Beach Environment and Aesthetics Management Services) शुरू किया है।

BEAMS को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय (MoEFCC) के तहत सोसाइटी ऑफ इंटीग्रेटेड कोस्टल मैनेजमेंट (SICOM) द्वारा तैयार किया गया है।

उद्देश्य

  • तटवर्ती क्षेत्र के जल को प्रदूषित होने से बचाना,
  • तटों पर समस्त सुविधाओं का सतत विकास,
  • तटीय पर्यावरणीय व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण
  • स्थानीय प्रशासन और अन्य भागीदारों को बीच की स्वच्छता और वहां आने वालों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का तटीय पर्यावरण और नियमों के अनुसार पालन सुनिश्चित करने को प्रेरित करना।

एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (ICZM) प्रोजेक्ट क्या है?

ICZM का उद्देश्य तटीय समुदायों की आजीविका में सुधार करना और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण करना है।

  • यह एक विश्व बैंक से सहायता प्राप्त परियोजना है।
  • इसके परियोजना के संदर्भ में ‘सतत् ​​तटीय प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय केंद्र’ (National Centre for Sustainable Coastal Management- NCSCM) ,चेन्नई, वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी प्रदान करेगा।
  • वर्ष 1992 में रियो डी जनेरियो के पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान ICZM की अवधारणा का उद्भव हुआ था।

स्रोत: पीआईबी

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


स्लॉथ बीयर और नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क

चर्चा का कारण

हाल ही में ‘नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क’ (Nandankanan Zoological Park) में लगातार दो स्लॉथ बीयर (Sloth Bear) की मृत्यु हुई है।

स्लॉथ बीयर की IUCN स्थिति:  सुभेद्य (Vulnerable)।

नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क के बारे में:

ओडिशा के भुवनेश्वर में चंडक-दंपारा वन्यजीव अभयारण्य के निकट अवस्थित है।

विशिष्टता:

  • यह भारत का एकमात्र प्राणि उद्यान है, जो वाज़ा (World Association of Zoos and Aquarium – WAZA) का संस्थागत सदस्य बना है।
  • यह सफेद बाघों का वास स्थल है।
  • वर्ष 1980 में विश्व में पहली बार नंदानकानन जूलॉजिकल पार्क में घडियालों का संरक्षित प्रजनन कराया गया।
  • कंजिया झील – राष्ट्रीय महत्व का एक आर्द्रभूमि (2006)
  • भारतीय पैंगोलिन और लॉन्ग-बिल्ड गिद्धों (long-billed vulture) के लिए संरक्षण प्रजनन केंद्र।
  • घड़ियाल और दरियाई घोड़े के आवास हेतु सबसे बड़ा जलाशय।
  • 2012 में लुप्तप्राय भारतीय रटेल का संरक्षित प्रजनन।
  • वर्ष 2014 में मेलेनिस्टिक टाइगर की ब्रीडिंग वाला दुनिया का पहला चिड़ियाघर।

वैभव शिखर सम्मेलन

(VAIBHAV Summit)

वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (VAIBHAV) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन 2 अक्टूबर 2020 – महात्मा गांधी की जयंती पर किया जाएगा।

  • यह प्रवासी और निवासी भारतीय वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों का एक वैश्विक शिखर सम्मेलन है।
  • यह S&T और Academic Organizations of India, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) विभाग की एक पहल है ताकि विचार प्रक्रिया, प्रथाओं और अनुसन्धान व विकास संस्कृति पर विचार-विमर्श किया जा सके।

उद्देश्य

इस पहल का उद्देश्य उभरती और चल रही चुनौतियों को हल करने के लिए वैश्विक भारतीय शोधकर्ता की विशेषज्ञता और ज्ञान का उपयोग करने के लिए व्यापक रोडमैप प्रस्तुत करना है।

  • यह भारत में शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों के साथ सहयोग और सहयोग उपकरणों को प्रतिबिंबित करेगा।
  • यह वैश्विक पहुँच के माध्यम से देश में ज्ञान और नवाचार का एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के प्रयास करना है।

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विश्व बांस दिवस

(World Bamboo Day)

इसे प्रतिवर्ष 18 सितंबर को मनाया जाता है।

  • वर्ष 2009 में बैंकाक में आयोजित 8वीं विश्व बांस कांग्रेस (World Bamboo Congress) में विश्व बांस संगठन (World Bamboo Organization) द्वारा 18 सितंबर को आधिकारिक रूप से विश्व बांस दिवस मनाए जाने की घोषणा की गयी थी।
  • वर्ष 2020 के लिए थीम: ‘BAMBOO Now’.
  • 1992 में जापान में अंतर्राष्ट्रीय बांस कांग्रेस में विश्व बांस संगठन की स्थापना की गई थी।
  • वर्ष 2017 में बांस को वृक्षों की श्रेणी से हटाने के लिए भारतीय वन अधिनियम 1927 में संशोधन किया गया था।

bamboo


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