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INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 15 September

विषय – सूची:

 सामान्य अध्ययन-I

1. सुब्रमण्य भरथियार

 

सामान्य अध्ययन-II

1. मेकेदातु परियोजना

2. अनुदान हेतु अनुपूरक मांगें क्या होती हैं?

3. मध्यस्थता द्वारा अंतरराष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’

 

सामान्य अध्ययन-III

1. ‘इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स’ एवं मस्तिष्क एटलस

2. शत्रु संपत्ति

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. शून्यकाल (Zero Hour)

2. Nioghalvfjerdsfjorden ग्लेशियर

3. फॉस्फीन गैस (Phosphine)

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

सुब्रमण्य भरथियार


(Subramaniya Bharathiyar)

  • चिन्नास्वामी सुब्रमण्य भरथियार का जन्म 11 दिसंबर 1882 को तमिलनाडु में तिरुनेलवेली जिले के एट्टयपुरम् गाँव में हुआ था।
  • ये तमिलनाडु के एक महान कवि, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे।
  • इन्हें सुब्रमण्य भारती तथा महाकवि भरथियार के नाम से जाना जाता है।
  • राष्ट्रवाद और भारत की स्वतंत्रता पर उनके लिखे गीतों ने तमिलनाडु में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने हेतु लोगों को प्रेरित्त करने में योगदान दिया।
  • साहित्यिक कृतियाँ: ‘कण्णऩ् पाट्टु’, ‘निलावुम वन्मिनुम कत्रुम, (Nilavum Vanminum Katrum) ‘पांचाली सपथम’ ‘कुयिल् पाट्टु’।
  • उन्होंने सन 1908 में ‘सुदेश गीतंगल’ नामक क्रांतिकारी रचना का प्रकाशन किया।
  • वर्ष 1949 में वे प्रथम कवि बन गए, जिनकी कृतियों का राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीयकरण किया गया।

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समाज सुधारक के रूप में भारती:

वह जाति व्यवस्था के विरोधी थे। उन्होंने घोषित किया कि केवल दो जातियाँ ही विद्यमान हैं – पुरुष और महिलाएं और इससे ज्यादा कुछ नहीं. उन्होंने स्वयं अपने जनेऊ को तोड़ फेकी थी।

उन्होंने महिलाओं को नीचा दिखाने वाले शास्त्रों की निंदा की। वह मानव मात्र की समानता में विश्वास रखते थे। उन्होंने उन उपदेशकों की आलोचना की जो गीता और वेदों की शिक्षा देते समय अपनी व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों का घालमेल कर देते थे।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भारथियार का जन्म कहाँ हुआ था?
  2. महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ।
  3. सामाजिक सुधारों में उनका योगदान।

मेंस लिंक:

कौन थे सुब्रमण्य भरथियार? जाति व्यवस्था पर उनके विचारों पर चर्चा करें।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

मेकेदातु परियोजना


(Mekedatu Project)

संदर्भ:

कर्नाटक सरकार द्वारा पीने के लिए जल भंडारण हेतु प्रस्तावित मेकेदातु संतोलन जलाशय (Mekedatu balancing reservoir) के निर्माण हेतु मंज़ूरी देने के लिये केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा।

परियोजना की वर्तमान स्थिति:

  • कर्नाटक राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 में 9,000 करोड़ रुपए की मेकेदातु परियोजना परियोजना को अनुमोदित किया गया था।
  • इस विस्तृत परियोजना के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय से अनुमोदन प्राप्त हो चुका है किंतु इसे केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से अभी मंज़ूरी नहीं मिली है।
  • तमिलनाडु सरकार द्वारा इस परियोजना के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गयी है।

मेकेदातु विवाद के बारे में:

  • मेकेदातु, कर्नाटक के रामनगर जिला के कनकपुरा ताल्लुक में कावेरी नदी के समीप स्थित है।
  • कर्नाटक, बंगलुरु में पानी की समस्या को पूरा करने हेतु मेकेदातु में कावेरी नदी पर एक जलाशय का निर्माण करना चाहता है।

तमिलनाडु का पक्ष

तमिलनाडु ने यह कहते हुए आपत्ति जताई है, कि कर्नाटक द्वारा परियोजना के लिए पूर्व अनुमति नहीं ली गयी थी।

  • इसका तर्क है, कि इस परियोजना से तमिलनाडु में कावेरी नदी के जल का प्रवाह प्रभावित होगा।
  • तमिलनाडु का यह भी कहना है कि यह जलाशय उच्चतम न्यायालय और कावेरी प्राधिकरण के निर्णयों का उल्लंघन करता है।
  • उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद पर कहा था, कि जून से जनवरी की अवधि के दौरान तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ने हेतु कर्नाटक के कावेरी बेसिन में मौजूदा भंडारण को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

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प्रीलिम्स के लिए तथ्य-

कावेरी नदी:

कावेरी नदी का उद्गम दक्षिण-पश्चिमी कर्नाटक राज्य में पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी पर्वत से होता है। इसे दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है।

यह नदी बेसिन, तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विस्तृत हैं: तमिलनाडु, 43,868 वर्ग किलोमीटर, कर्नाटक, 34,273 वर्ग किलोमीटर, केरल, 2,866 वर्ग किलोमीटर और पुदुचेरी।

प्रमुख सहायक नदियाँ: हेमावती, लक्ष्मीतीर्थ, काबिनी, अमरावती, नोयल और भवानी नदियाँ।

कावेरी नदी पर जलप्रपात: कावेरी नदी पर तमिलनाडु में होगेनक्कल जलप्रपात तथा कर्नाटक राज्य में भारचुक्की और बालमुरी जलप्रपात अवस्थित है।

बांध: तमिलनाडु में सिंचाई और जल विद्युत प्रयोजन हेतु मेट्टूर बांध का निर्माण किया गया था।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. कावेरी की सहायक नदियाँ।
  2. बेसिन में अवस्थित राज्य।
  3. नदी पर स्थित महत्वपूर्ण जलप्रपात तथा बांध।
  4. मेकेदातु कहाँ है?
  5. प्रोजेक्ट किससे संबंधित है?
  6. इस परियोजना के लाभार्थी।

मेंस लिंक:

मेकेदातु परियोजना पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

अनुदान हेतु अनुपूरक मांगें क्या होती हैं?


(What are Supplementary Demands for Grants?)

बजट सत्र के दौरान संसद द्वारा स्वीकृत राशि से अधिक सरकारी व्यय होने पर अनुदान हेतु अनुपूरक मांग की आवश्यकता होती है।

संवैधानिक प्रावधान:

भारत के संविधान में अनुपूरक (Supplementary), अतिरिक्त (additional) अथवा अधिक अनुदान (excess grants) और प्रत्ययानुदान (votes of credit) और अपवादानुदान (exceptional grants) का उल्लेख में किया गया है।

अनुच्छेद 115: अनुपूरक, अधिक तथा अतिरिक्त अनुदान।

अनुच्छेद 116: लेखानुदान (Votes on account)  प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान।

चर्चा का कारण

हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 20,000 करोड़ रुपये सहित 2.35 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय हेतु संसद की मंजूरी की मांग की गयी है। ये अनुदान के लिए अनुपूरक मांगें हैं।

अपनाई जाने वाली प्रक्रिया:

जब सरकार के पास आवश्यक व्यय हेतु संसद द्वारा अधिकृत अनुदान कम पड़ जाता है, तो संसद के समक्ष अतिरिक्त अनुदान के लिए एक आकलन प्रस्तुत किया जाता है।

  • संसद द्वारा ये अनुदान वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले पारित किए जाते हैं।
  • जब वास्तविक व्यय संसद द्वारा स्वीकृत अनुदान से अधिक हो जाता है, तो वित्त मंत्रालय द्वारा अतिरिक्त अनुदान की मांग पेश की जाती है।
  • भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा अधिक व्यय संबंधी जानकारी को संसद के संज्ञान में लाया जाता है।
  • लोक लेखा समिति द्वारा इन अधिक व्यय संबंधी जानकारियों की जांच करती है तथा संसद के लिए सिफारिशें देती है।
  • अतिरिक्त व्यय हेतु अनुदान मांग, वास्तविक व्यय होने के बाद की जाती है तथा संसद में चालू वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद पेश की जाती है।

अन्य अनुदान:

अतिरिक्त अनुदान (Additional Grant): यह तब प्रदान की जाती है, जब उस वर्ष हेतु बजट में किसी नयी सेवा के संबंध में व्यय परिकल्पित न किया गया हो और चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अतिरिक्त व्यय की आवश्यकता उत्पन्न हो गयी हो।

अधिक अनुदान (Excess Grant): इस प्रकार के अनुदान की मांग तब रखी जाती है, जब उस वर्ष के बजट में उस सेवा के लिए निर्धारित राशि से ज्यादा राशि व्यय हो जाती है। वित्त वर्ष के उपरांत इस पर लोक सभा में मतदान होता है। इस परकार की मांग को लोक सभा में पेश करने से पहले संसदीय लोक लेखा समिति से मंजूरी मिलना अनिवार्य होता है।

अपवादानुदान (Exceptional Grants): इसे विशेष प्रयोजन के लिए मंजूर किया जाता है तथा यह वर्तमान वित्तीय वर्ष या सेवा से सम्ब्बंधित नहीं होती है।

सांकेतिक अनुदान (Token Grant): यह अनुदान तब जारी की जाती है जब पहले से प्रस्तावित किसी सेवा के अतिरिक्त नयी सेवा के लिए धन की आवश्यकता होती है। इसके लिए लोकसभा में प्रस्ताव रखा जाता है तथा उस पर मतदान होता है, फिर धन की व्यवस्था की जाती है। यह किसी अतिरिक्त व्यय से संबंधित नहीं होती है।

प्रीलिम्स लिंक:

निम्नलिखित क्या हैं?

  • अतिरिक्त अनुदान।
  • अधिक अनुदान।
  • अपवादानुदान।
  • सांकेतिक अनुदान।
  1. अनुदान मागों हेतु प्रक्रिया।
  2. संबंधित संवैधानिक प्रावधान ।
  3. CAG और PAC के बारे में।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

‘मध्यस्थता द्वारा अंतरराष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’


(United Nations Convention on International Settlement Agreements Resulting from Mediation)

चर्चा का कारण

कॉर्पोरेट विवादों को प्रभावी ढंग से निपटाने हेतु ‘यूनाइटेड नेशंस कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल सेटलमेंट एग्रीमेंट रिज़ल्टिंग फ्रॉम मेडिएशन’/ मध्यस्थता द्वारा अंतरराष्ट्रीय निपटान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ 12 सितंबर 2020 से प्रभावी हो गया है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • 20 दिसंबर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय को अपनाया गया था, तथा इस अभिसमय पर सिंगापुर में 7 अगस्त 2019 तक हस्ताक्षर करने की अनुमति दी गयी थी
  • इसे ‘सिंगापुर मध्यस्थता अभिसमय’ (Singapore Convention on Mediation) के रूप में जाना जाता है और यह सिंगापुर के नाम पर होने वाली पहली संयुक्त राष्ट्र संधि है।

अभिसमय की प्रमुख विशेषताएं:

  • प्रयोज्यता (Applicability): यह अभिसमय, मध्यस्थता के परिणामस्वरूप होने वाले अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक समाधान समझौतों पर लागू होगा।
  • गैर-प्रयोज्यता (Non- applicability): यह संधि न्यायायिक अथवा पंचायती (arbitral) कार्यवाहियों द्वारा संपन्न होने वाले तथा न्यायायिक अथवा पंचायती फैसलों के द्वारा प्रभावी होने वाले अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों पर लागू नहीं होगी।
  • यह संधि, किसी पक्षकार (उपभोक्ता) के निजी, पारिवारिक अथवा घरेलू उद्देश्यों हेतु समाधान समझौतों, और साथ ही पारिवारिक विरासत अथवा रोजगार क़ानून संबंधी समाधान समझौतों पर लागू नहीं होगी।
  • अनुबंधित पक्ष के न्यायालयों से, विवाद के अभिसमय के दायरे में आने पर अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौते को लागू करने अथवा पक्षकार को यह साबित करने के लिए, कि मामले को संधि में निर्धारित शर्तो और नियमों के अनुसार पहले ही सुलझा लिया गया है, समाधान समझौते को लागू करने की अनुमति देने की अपेक्षा की जाती है।

हस्ताक्षरकर्ता:

  • इस अभिसमय पर भारत, चीन, और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अब तक 53 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं।
  • भारत द्वारा जुलाई 2019 में इस अभिसमय पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी गयी थी।

भारत के लिए लाभ:

  • इस अभिसमय पर हस्ताक्षर करने से निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और विदेशी निवेशकों में वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution-ADR) पर अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रिया के पालन में भारत की प्रतिबद्धता को लेकर विश्वास पैदा होगा।
  • चूंकि, अभिसमय मध्यस्थता परिणामों को लागू करने के लिए प्रभावी तंत्र प्रदान करता है, अतः भारत और विश्व भर के व्यवसायों के लिये अब मध्यस्थता के माध्यम से पार-देशीय विवादों को हल करने में अधिक निश्चितता प्राप्त होगी।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

‘इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स’ एवं मस्तिष्क एटलस


(NIMHANS develops new Indian Brain Templates, brain atlas)

चर्चा का कारण

हाल ही में, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान’ (National Institute of Mental Health and Neuro-Sciences- NIMHANS) के न्यूरोसाइंटिस्टों की एक टीम द्वारा पाँच वर्ष तक के बच्चों के लिये बचपन से प्रौढ़ावस्था (छह वर्ष से 60 वर्ष) कवर करते हुए ‘इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स’ (Indian Brain Templates- IBT) और मस्तिष्क एटलस के पाँच सेट विकसित करने हेतु भारतीय मरीज़ों के 500 से अधिक ब्रेन स्कैन का अध्ययन किया गया है।

महत्व:

वर्तमान में, ‘मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंडेक्स’ (Montreal Neurological Index-MNI) टेम्पलेट का उपयोग किया जा रहा है।

  • यह काकेशियन मस्तिष्क (Caucasian Brains) पर आधारित है तथा इसे उत्तरी अमेरिका के एक शहरी आबादी के छोटे से हिस्से से औसतन 152 स्वस्थ मस्तिष्क स्कैन द्वारा निर्मित किया गया था।
  • किंतु, काकेशियन मस्तिष्क, एशियाई मस्तिष्क से भिन्न होते हैं।
  • भारत के पास अब भारतीय मस्तिष्क को मापने के लिए अपना मापक होगा।

‘इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स’ एवं मस्तिष्क एटलस के लाभ:

  • ये टेम्प्लेट एवं एटलस, स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर एवं विक्षिप्तता (Dementia) जैसे न्यूरोलॉजिकल विकारों वाले रोगियों का अधिक सटीक संदर्भ मानचित्र प्रदान करेंगे।
  • ये, मानव मस्तिष्क एवं मनोवैज्ञानिक कार्यों के समूह अध्ययन में संबंधित जानकारी को और अधिक उपयोगी बनाने में सहायक होंगे, जिससे ‘अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर’ (Attention Deficit Hyperactivity Disorder- ADHD), ऑटिज्म, किसी विशेष पदार्थ पर निर्भरता, सिज़ोफ्रेनिया जैसी मनोरोगों के बारे में समझने में आसानी होगी।
  • ये नई आबादी के, तथा आयु-विशिष्ट ‘इंडियन ब्रेन टेम्प्लेट्स’, मस्तिष्क के विकास और आयु वृद्धि को अधिक विश्वसनीय तरीके से समझने तथा निगाह रखने में सक्षम बनायेंगे।

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. NIMHANS के बारे में।
  2. ब्रेन टेम्प्लेट क्या हैं?
  3. भारत के लिए मस्तिष्क एटलस किसके द्वारा विकसित की गयी?
  4. मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंडेक्स (MNI) टेम्पलेट क्या है? ये किस प्रकार निर्मित किये गए थे?

मेंस लिंक:

मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंडेक्स (MNI) टेम्पलेट क्या है? इसका उपयोग कहां किया जाता है?

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।

शत्रु संपत्ति


(Enemy properties)

चर्चा का कारण

हाल ही में, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्यों ने सरकार से 1 लाख करोड़ से अधिक मूल्य की शत्रु संपत्तियों को बेचने पर विचार करने को कहा है, जिससे विकास को गति प्रदान करने हेतु आवश्यक राशि की प्राप्ति होगी।

शत्रु संपत्तियां क्या होती हैं?

ये वह संपत्तियां होती है, जिनके स्वामियों ने विभाजन के समय अथवा 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के पश्चात देश छोड़ कर पाकिस्तान तथा चीन की नागरिकता ले ली।

  • भारत में पाकिस्तानी नागरिकों द्वारा 9000 से अधिक तथा चीनी नागरिकों द्वारा 126 छोडी गयी शत्रु संपत्तियाँ हैं।
  • पाकिस्तानी नागरिकों द्वारा छोड़ी कुल संपत्तियों में सर्वाधिक 4991 शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 2,735 तथा दिल्ली में 487 शत्रु संपत्तियां हैं।
  • चीनी नागरिकों द्वारा छोड़ी गई संपत्तियों में सर्वाधिक मेघालय (57) में तथा पश्चिम बंगाल (29) में तथा असम में सात शत्रु संपत्तियां स्थित हैं।

शत्रु संपत्तियों की देखरेख कौन करता है?

  • भारत के रक्षा अधिनियम (Defence of India Act), 1962 के तहत बनाए गए नियमों के तहत, भारत सरकार ने पाकिस्तानी राष्ट्रीयता लेने वालों की संपत्तियों और कंपनियों को अपने कब्जे में ले लिया। ‘भारत में शत्रु संपत्तियों के अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन)’ के रूप में केंद्र सरकार को अधिकार दिए गए है।
  • वर्ष 1962 के चीन-भारतीय युद्ध के बाद देश छोड़ कर चीन जाने वालों की संपत्ति के लिए भी समान प्रावधान किये गए हैं।
  • 10 जनवरी, 1966 के ताशकंद घोषणा में एक अनुच्छेद को सम्मिलित किया गया था, जिसके अनुसार, भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद दोनों ओर से कब्ज़े में ली गई संपत्ति और उसकी वापसी पर चर्चा की जाएगी।
  • हालाँकि, पाकिस्तान सरकार ने वर्ष 1971 में ही अपने देश में ऐसी सभी संपत्तियों का निपटारा कर दिया था।

भारत द्वारा शत्रु संपत्ति के निपटारे हेतु उठाये गए कदम:

भारत सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति से निपटने हेतु ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम’, 1968 अधिनियमित किया गया था। जिसके अनुसार, ‘भारत में शत्रु संपत्तियों के अभिरक्षक (कस्टोडियन)’ के रूप में केंद्र सरकार के अधिकारों को जारी रखा गया था। अधिनियम के तहत, कुछ चल संपत्तियों को भी शत्रु संपत्तियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

शत्रु संपत्ति (संशोधन और सत्यापन) अधिनियम, 2017

इस अधिनियम के माध्यम से शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 और सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत व्यवसायियों का निष्कासन) अधिनियम, 1971 में संशोधन किया गया।

इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं:

इसके तहत शत्रु विषय और शत्रु फर्म शब्द की परिभाषा का विस्तार किया गया: जिसमे,

  1. किसी विधिक उत्तराधिकारी और शत्रु के उत्तराधिकारी, चाहे भारत का नागरिक हो अथवा किसी अन्य देश का नागरिक जो भारत का शत्रु देश नहीं है, और
  2. किसी शत्रु फर्म की उत्‍तरवर्ती फर्म, उसके सदस्यों या भागीदारों की राष्ट्रीयता पर विचार किये बिना, शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म के रूप में सम्मिलित किया गया है।

शत्रु संपत्ति पर कस्टोडियन का अधिकार:

यदि कोई शत्रु संपत्ति अभिरक्षक (कस्टोडियन) के अधिकार में है, तो यह शत्रु, शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म का विचार किये बिना उसके अंतर्गत ही रहेगी। यदि विधिक उत्तराधिकारी, व्यवसाय के समापन या राष्ट्रीयता के परिवर्तन के कारण अथवा मृत्यु आदि जैसे कारणों की वज़ह से शत्रु संपत्ति के रूप में इसे स्थगित भी कर दिया जाता है, तो भी यह कस्टोडियन के अधिकार में ही निहित रहेगी।

 शत्रु संपत्तियों के निपटारे की शक्ति:

कस्टोडियन शत्रु संपत्तियों का निपटान कर सकता है।

केंद्र सरकार के पूर्व अनुमोदन के साथ, कस्टोडियन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उसके अंतर्गतआने वाली शत्रु संपत्तियों का निपटान कर सकता है, और सरकार इस उद्देश्य के लिए कस्टोडियन को निर्देश जारी कर सकती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. शत्रु संपत्ति क्या हैं?
  2. भारत में किस राज्य में शत्रु संपत्ति की संख्या सबसे अधिक है?
  3. उनकी देखरेख किसके द्वारा की जाती है?
  4. शत्रु संपत्तियों को बेचने का अधिकार किसके अधीन हैं?
  5. शत्रु संपत्ति (संशोधन और सत्यापन) अधिनियम, 2017 द्वारा किए गए परिवर्तन।

मेंस लिंक:

शत्रु संपत्ति क्या हैं? इसका वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


शून्यकाल (Zero Hour)

शून्यकाल, एक भारतीय संसद द्वारा विकसित की गयी नई पद्धति है। संसदीय नियम पुस्तिका में इसका उल्लेख नहीं है।

  • इसके तहत सांसद बिना किसी पूर्व सूचना के मामले उठा सकते हैं।
  • यह प्रश्नकाल के तुरंत बाद शुरू होता है और दिन के एजेंडा (सदन के नियमित कारोबार) शुरू होने तक चलता है।

Nioghalvfjerdsfjorden ग्लेशियर

  • यह पूर्वोत्तर ग्रीनलैंड में स्थित है।
  • यह आर्कटिक का सबसे बड़ा हिम खंड (ice shelf) है।

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चर्चा का कारण

ग्रीनलैंड में स्थित हिमखंड का एक बड़ा हिस्सा उत्तरी-पूर्वी आर्कटिक में टूट गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन का साक्ष्य है।

फॉस्फीन गैस (Phosphine)

फॉस्फीन यह रंगहीन, ज्वलनशील एवं विषैली गैस है, जो कॉर्बनिक पदार्थों के टूटने से भी यह गैस थोड़ी मात्रा में पैदा होती है।

  • इस गैस को माइक्रोबैक्टीरिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में उत्सर्जित करते हैं। पृथ्वी पर, यह गैस जीवित जीवों से जुड़ी है।
  • इसे केवल जीवित जीवों, मानव या सूक्ष्म जीव, द्वारा निर्मित किया जा सकता है।
  • इसे प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एक रासायनिक हथियार के रूप में उपयोग किया गया था।

चर्चा का कारण

हाल ही में, शुक्र ग्रह पर इस गैस की उपस्थिति देखी गई। यह शुक्र पर जीवन पाए जाने के संकेत देती है।

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