विषय – सूची:
सामान्य अध्ययन-I
1. गोविंद बल्लभ पंत
सामान्य अध्ययन-II
1. लोकसभा उपाध्यक्ष
2. राजनीति का अपराधीकरण
3. जानवरों को ‘कानूनी व्यक्ति’ का दर्जा देने की मांग
4. ग्राम पंचायत विकास योजनाएं (GPDP) क्या हैं?
सामान्य अध्ययन-III
1. प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
2. राष्ट्रीय गोकुल मिशन
3. अत्मानिर्भर भारत ARISE- अटल न्यू इंडिया चैलेंजेज
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. दक्षिण भारत की पहली किसान रेल
2. राफेल विमान
3. ‘शिक्षा पर्व’ पहल
4. जिज्ञासा कार्यक्रम
5. WHO दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र
6. शिक्षा पर राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (NSO) की नवीनतम रिपोर्ट:
सामान्य अध्ययन- I
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
गोविंद बल्लभ पंत
संदर्भ:
10 सितंबर को गोविंद बल्लभ पंत की 133 वीं जयंती मनाई गई।
गोविंद बल्लभ पंत के बारे में:
- पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को अल्मोड़ा, उत्तराखंड में हुआ था।
- उन्होंने काशीपुर में प्रेम सभा नामक एक संगठन की स्थापना की जिसने कई दिशाओं में सुधार कार्य शुरू किए।
- उन्होंने ब्रिटिश सरकार के लिए करों का भुगतान नहीं करने के कारण एक स्कूल को बंद होने से बचाया।
उनके द्वारा धारण किये गए पद:
स्वतंत्रता पूर्व:
- उन्हें, दिसंबर 1921 में, आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत की विधान सभा के लिए चुना गया, जिसे बाद में उन्होंने उत्तर प्रदेश का नाम दिया।
- उन्हें नैनीताल से स्वराज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था।
- भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत वर्ष 1937 में हुए प्रांतीय चुनावों में पंत को संयुक्त प्रांत का प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्होंने वर्ष 1939 तक इस पद पर कार्य किया, इसके पश्चात अंग्रेजों द्वारा भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल करने के विरोध में उन्होंने कांग्रेस के सभी मंत्रियों सहित इस्तीफा दे दिया।
- वर्ष 1946 में हुए चुनावों में, पंत को एक बार फिर से संयुक्त प्रांत का प्रमुख नियुक्त किया गया।
स्वतंत्रता के पश्चात:
- वे उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने।
- उन्होंने वर्ष 1955 से 1961 तक भारत के गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। यह उनके कार्यकाल के दौरान राज्यों को भाषाई आधार पर पुनर्गठित किया गया था।
प्रमुख योगदान:
उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जमींदारी व्यवस्था उन्मूलन तथा वन संरक्षण जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया।
- उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए अत्यधिक लगान से किसानों को बचाने के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किये।
- उन्होंने देश में कई कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया और कुली-बेगार कानून का विरोध किया, जिसमे मजदूरों को ब्रिटिश अधिकारियों के भारी सामान को बिना किसी भुगतान के ढोना पड़ता था।
- गांधी के नक्शेकदम पर चलते हुए, पंत ने संयुक्त प्रांत में व्यापक स्तर पर नमक आंदोलन का आयोजन किया। इसके लिए मई 1930 में, उन्हें देहरादून जेल में गिरफ्तार किया गया।
- उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ भी विरोध किया।
- पंत, अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल के विरुद्ध थे, उनका कहना था कि यह कदम समुदायों को विभाजित करने वाला है।
पुरस्कार एवं सम्मान:
वर्ष 1957 में, पंत को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
प्रीलिम्स लिंक:
- स्वतंत्रता से पहले जीबी पंत द्वारा धारित पद
- स्वतंत्रता के बाद पंत द्वारा धारित पद
- पुरस्कार और सम्मान
- प्रेम सभा संगठन- उद्देश्य
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
- पृथक निर्वाचक मंडल पर उनके विचार
मेंस लिंक:
जीबी पंत और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- II
विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।
लोकसभा उपाध्यक्ष
(Deputy Speaker of Lok Sabha)
संदर्भ:
हाल ही में, कांग्रेस ने लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद के लिए अपने अभियान को फिर से शुरू किया है। ज्ञात हो कि, लोकसभा में पिछले 15 महीनों से उपाध्यक्ष का पद रिक्त है। इसके स्थान पर, सांसदों का एक पैनल लोकसभा अध्यक्ष के कार्य निर्वहन में सहायता कर रहा है।
लोकसभा उपाध्यक्ष के बारे में:
संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों के निर्वाचन का प्रावधान किया गया है।
- लोकसभा उपाध्यक्ष का संवैधानिक पद वास्तविक प्राधिकरण की अपेक्षा संसदीय लोकतंत्र का प्रतीकात्मक पद होता है।
- किसी व्यक्ति के उपाध्यक्ष के रूप में चुने जाने पर निष्पक्ष रहना होता है, हालांकि उसे अपनी मूल राजनीतिक पार्टी से इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं होती है।
भूमिका एवं कार्य:
लोकसभा अध्यक्ष के, बीमारी के कारण अवकाश अथवा मृत्यु हो जाने पर या किसी कारण से अनुपस्थित होने पर, उपाध्यक्ष, पीठासीन अध्यक्ष के रूप में कार्यों का निर्वहन करता है।
निर्वाचन:
- प्रायः, आम चुनावों के बाद लोकसभा की पहली बैठक में लोकसभा के सदस्यों के मध्य से उपसभापति का चुनाव किया जाता है।
- संसद में बनी हुई परस्पर सहमति के अनुसार, उपाध्यक्ष का पद विपक्षी दल के किसी नेता को दिया जाता है।
कार्यकाल एवं पदत्याग:
लोकसभा अध्यक्ष की भांति, उपाध्यक्ष भी सदन के जीवनपर्यंत पद धारित करता है। हालंकि, वह निम्नलिखित तीन स्थितियों द्वारा अपना पद त्याग सकता है:
- उसके सदन के सदस्य न रहने पर;
- अध्यक्ष को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित त्यागपत्र द्वारा;
- लोकसभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा पद से हटाये जाने पर। किंतु, इस प्रस्ताव को पारित करने से पूर्व उसे 14 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य होता है।
इंस्टा फैक्ट्स:
अध्यक्ष की अनुपस्थिति में लोकसभा कार्यवाही की अध्यक्षता करने के लिए 10 सदस्यों का एक संविधान-द्वारा अधिदेशित एक पैनल होता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- उपाध्यक्ष के पद से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- भूमिका और कार्य
- नियुक्ति और निर्वाचन
- क्या निर्वाचित होने के बाद उन्हें अपनी पार्टी से इस्तीफा देने की आवश्यकता है?
- कार्यकाल और पदत्याग
मेंस लिंक:
लोकसभा के उपाध्यक्ष का संवैधानिक कार्यालय कुछ वास्तविक प्राधिकरणों की तुलना में संसदीय लोकतंत्र का अधिक प्रतीकात्मक है। चर्चा करें।
स्रोत: द हिंदू
विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।
राजनीति का अपराधीकरण
(Criminalisation of politics)
संदर्भ:
हाल ही में, शीर्ष अदालत संसद और विधानसभाओं में चुने जन प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों का तेजी से निपटारा करने के मुद्दे पर विचार करने को दायर याचिका पर सुनवाई करने के दौरान एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट मांगी गयी।
मामले में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने सभी हाईकोर्ट से मिली जानकारी को इकट्ठा कर अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी है।
मुख्य निष्कर्ष:
देश भर में सासदों तथा विधायकों के खिलाफ कुल 4,442 मामले लंबित हैं। जिनमें से 2556 मामलों में मौजूदा सांसद व विधायक आरोपी हैं।
- राजनेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले, इनके निपटान के लिए विशेष रूप से गठित विशेष अदालतों में मामले लंबित हैं।
- जनप्रतिनिधियों के खिलाफ, भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, मानहानि और धोखाधड़ी जैसे मामले सम्मिलित हैं।
- इनमे से अधिकाँश मामले IPC की धारा-188 के उल्लंघन से संबंधित है, जिसमें लोक सेवकों द्वारा पारित आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा तथा बाधा डालने संबंधी मामले आते है।
- 413 मामले ऐसे अपराधों से संबंधित हैं जिनमें उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इनमें से 174 मामलों में पीठासीन निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं।
- इनमे से अधिकाँश मामले, पेश होने के स्तर पर ही लंबित हैं तथा अदालतों द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट (NBW) को भी निष्पादित नहीं किया गया है।
- सर्वाधिक मामले, उत्तर प्रदेश में लंबित हैं।
इस विषय पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम
- वर्तमान में, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People- RPA) 1951 के तहत, किसी आपराधिक मामले में सजा-याफ्ता होने के पश्चात चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के अंतर्गत, किसी भी आपराधिक मामले में दो अथवा दो से अधिक वर्षो के सजायाफ्ता व्यक्ति को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया है। परन्तु, जिन व्यक्तियों का मामला अदालत में विचारधीन है, वे चुनाव में भाग ले सकते हैं।
राजनीति में अपराधीकरण के मुख्य कारण:
- भ्रष्टाचार
- वोट बैंक
- शासन में कमियां
आगे की राह
- राजनीतिक दलों को स्वयं ही दागी व्यक्तियों को टिकट देने से मना कर देना चाहिए।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करके, उन व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर देना चाहिए जिनके खिलाफ जघन्य प्रकृति के मामले लंबित हैं।
- फास्ट-ट्रैक अदालतों को दागी नीति-निर्माताओं से संबंधित मामलों को शीघ्रता से निपटाना चाहिए।
- चुनाव अभियानों के वित्तपोषण में अधिक पारदर्शिता लाई जाए।
- भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) को में राजनीतिक दलों के वित्तीय खातों के ऑडिट की शक्ति प्रदान की जानी चाहिए।
प्रीलिम्स लिंक:
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8
- उच्चत्तम न्यायालय दिशानिर्देश।
- ECI – रचना और कार्य।
- CEC- नियुक्ति।
- उम्मीदवारों के चुनाव से संबंधित मामलों पर निर्वाचन आयोग की शक्तियां।
मेंस लिंक:
राजनीति के अपराधीकरण से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा कीजिए और इन चिंताओं को दूर करने के लिए उच्चत्तम न्यायालय ने क्या कदम उठाये हैं?
स्रोत: द हिंदू
विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।
जानवरों को ‘कानूनी व्यक्ति’ का दर्जा देने की मांग
संदर्भ:
हाल ही में, पशु-पक्षियों को ‘कानूनी व्यक्ति’ का दर्जा देने की मांग करने वाली याचिका पर उच्चत्तम न्यायालय द्वारा जांच करने पर सहमति जताई गयी है।
याचिका में की गयी मांग
- पीपल्स चैरीऑटियार ऑर्गेनाइजेशन की नाम की संस्था की तरफ से दाखिल याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट पशु, पक्षियों और जलीय जीवों को व्यक्ति जैसा दर्जा दे।
- याचिका में जानवरों को एक ‘कानूनी व्यक्ति’ (legal personality) का दर्जा देने की मांग की गयी है। अर्थात, न्यायिक निर्देशानुसार, जानवरों पर कानून की अदालतों में मुकदमा चलाया जा सकता है, तथा वे भी किसी पर मुकदमा दायर कर सकते हैं।
- यह मामला मुख्य रूप से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की उच्चत्तम न्यायालय द्वारा की गयी व्याख्या से उपजा है, जिसमे कहा गया है, कि ‘जीवन’ शब्द में ‘जानवरों सहित जीवन के सभी स्वरूप सम्मिलित होते हैं।
मांग का कारण
- देश में जानवरों पर क्रूरता संबंधी हाल में हुई कथित घटनाओं का उल्लेख करते हुए, याचिका में कहा गया है कि ऐसी घटनाओं से काफी लोग क्षुब्ध हुए है तथा इससे जानवरों को दुर्व्यवहार और क्रूरता से बचाने के लिए मौजूदा कानूनों की पर्याप्तता पर प्रश्नचिह्न लगा है।
- याचिका में कहा गया है कि, जानवरों के अधिकार केवल कागज पर मौजूद हैं तथा उनका कार्यान्वयन और प्रवर्तन ढंग से नहीं किया जा रहा है।
- याचिकाकर्ता ने अदालत को यह भी सूचित किया है कि इससे पहले उत्तराखंड और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में इसी तरह का आदेश दे चुके हैं।
आगे क्या?
न्यायालय द्वारा केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा गया है।
‘कानूनी इकाई’ (legal entity) क्या होती है?
‘कानूनी इकाई’ का तात्पर्य उस इकाई से होता है, जो किसी निर्दिष्ट व्यक्ति के माध्यम से एक प्राकृतिक व्यक्ति की तरह कार्य करता है, एवं उसके कृत्यों को कानून के दायरे में मापा जाता है।
पूर्ववर्ती उदाहरण:
- वर्ष 2018 में, न्यायमूर्ति शर्मा की अध्यक्षता में गठित पीठ द्वारा हरियाणा में जानवरों को ‘कानूनी व्यक्ति अथवा इकाई’ का दर्जा दिया गया।
- वर्ष 2017 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में, न्यायमूर्ति शर्मा की सदस्यता वाली एक पीठ द्वारा गंगा और यमुना नदियों को ‘जीवित इकाई’ के रूप में घोषित किया गया था। इस फैसले पर बाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गयी थी।
- वर्ष 2018 में, उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पक्षियों और जलीय जानवरों सहित पूरे जीव-जगत को एक कानूनी इकाई के रूप में घोषित किया गया।
- जून 2019 में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि हरियाणा में सभी जानवरों, पक्षियों और जलीय जीवन को कानूनी व्यक्तियों या संस्थाओं का दर्जा दिया जाएगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- कानूनी इकाई क्या है?
- कानूनी इकाईयों को प्राप्त अधिकार
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21
- किस उच्च न्यायालय ने पक्षियों और जलीय जानवरों सहित पूरे जीव-जगत को कानूनी इकाई घोषित किया है?
मेंस लिंक:
पक्षियों और जलीय जानवरों सहित पूरे जीव-जगत को कानूनी इकाई घोषित करने के क्या निहितार्थ हैं? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका।
ग्राम पंचायत विकास योजनाएं (GPDP) तथा VPRP
चर्चा का कारण
वर्तमान कोविड-19 स्थिति के साथ, DAY-NRLM द्वारा कुदुंभश्री (राष्ट्रीय संसाधन संगठन), राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (NIRDPR), हैदराबाद तथा पंचायती राज मंत्रालय की साझीदारी में ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (Village Poverty Reduction Plans– VPRP) पर देश भर में सभी राज्य मिशनों को प्रशिक्षित करने के लिए एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गयी है।
ग्राम पंचायत विकास योजनाएं (GPDP) क्या हैं?
नागरिक योजना अभियान (People’s Plan Campaign– PPC) के तहत देश भर में प्रत्येक वर्ष 2 अक्तूबर से 31 दिसंबर तक ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (Gram Panchayat Development Plans– GPDP) का संचालन किया जाता है।
- देश भर में स्थानीय निकायों से परिप्रेक्ष्य विशिष्ट, आवश्यकता आधारित ग्राम पंचायत विकास योजनाएं (GPDP) तैयार करने की अपेक्षा की जाती है।
- ग्राम पंचायत विकास योजनाएं नागरिकों एवं उनके निर्वाचित जनप्रतिनिधियों दोनों को ही विकेंद्रित प्रक्रियाओं में एक साथ लाती है।
ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) क्या हैं?
नागरिक योजना अभियान (PPC) दिशानिर्देशों एवं पंचायती राज मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी परामर्शी ने स्वयं सहायता समूहों एवं दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के तहत उनके संघों को वार्षिक GPDP नियोजन प्रक्रिया में भाग लेने एवं ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (Village Poverty Reduction Plans– VPRP) तैयार करने के लिए अधिदेशित किया है।
- VPRP स्वयं सहायता समूह (SHG) नेटवर्क एवं उनके संघों द्वारा उनकी मांगों एवं स्थानीय क्षेत्र विकास के लिए एक व्यापक मांग योजना है।
- VPRP को प्रत्येक वर्ष अक्तूबर से दिसंबर तक ग्राम सभा बैठकों में प्रस्तुत किया जाता है।
ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) के घटक
VPRP के तहत मांगों को पांच प्रमुख घटकों में वर्गीकृत किया जाता है:
- सामाजिक समावेशन – NRLM के तहत SHG में निर्बल लोगों/परिवारों के समावेशन के लिए योजना।
- हकदारी: MGNREGS, SBM, NSAP, PMAY, उज्जवला, राशन कार्ड आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए मांग
- आजीविकाएं: कृषि, पशुपालन के विकास, उत्पादन एवं सेवा उद्यमों तथा प्लेसमेंट आदि के लिए कुशलता प्रशिक्षण के जरिये आजीविका बढोतरी के लिए विशिष्ट मांग।
- सार्वजनिक वस्तुएं एवं सेवाएं: विद्यमान अवसंरचना के पुनरोत्थान एवं बेहतर सेवा प्रदायगी के लिए आवश्यक मूलभूत अवसंरचना के लिए मांग।
- संसाधन विकास – भूमि, जल, वन एवं स्थानीय रूप से उपलब्ध अन्य संसाधनों जैसे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा एवं विकास के लिए मांग।
- सामाजिक विकास – जीपीडीपी के निम्न लागत लागत रहित घटक के तहत गांवों के विशिष्ट सामाजिक विकास पर ध्यान देने के लिए योजनाएं तैयार की गईं है।
इंस्टा फैक्ट्स:
संविधान के अनुच्छेद 243G का प्रयोजन आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए स्थानीय नियोजन और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 29 विषयों के संबंध में राज्य सरकारों को शक्ति और अधिकार हस्तांतरित करने के लिए ग्राम पंचायतों (Gram Panchayats– GPs) को सशक्त बनाना है।
प्रीलिम्स लिंक:
- संविधान के अनुच्छेद 243G किससे संबंधित है?
- भारतीय संविधान की 11 वीं अनुसूची
- नागरिक योजना अभियान (PPC) क्या है?
- ग्राम पंचायत विकास योजनाएं (GPDP) क्या हैं? उन्हें कौन तैयार करता है?
- ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) क्या है?
मेंस लिंक:
ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (VPRP) के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- III
विषय: पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY)
(Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana)
योजना की प्रमुख विशेषताएं:
- प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) मत्स्य क्षेत्र पर केन्द्रित और सतत विकास योजना है।
- इस योजना को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पांच साल की अवधि के दौरान सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जायेगा एवं इस पर अनुमानित रूप से 20,050 करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा।
- PMMSY के अंतर्गत 20,050 करोड़ रुपये का निवेश मत्स्य क्षेत्र में होने वाला सबसे ज्यादा निवेश है।
- यह योजना समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में लाभार्थी उन्मुख गतिविधियों पर केंद्रित है।
- इस योजना में ‘क्लस्टर अथवा क्षेत्र आधारित दृष्टिकोण‘ अपनाते हुए मत्स्य समूहों और क्षेत्रों का निमार्ण किया जायेगा।
योजना का उद्देश्य और लक्ष्य:
- वर्ष 2024-25 तक अतिरिक्त 70 लाख टन मछली उत्पादन वृद्धि।
- वर्ष 2024-25 तक मत्स्य निर्यात आय को बढ़ाकर 1,00,000 करोड़ रुपये करना।
- मछुआरों और मछली किसानों की दोगुनी आय करना।
- पैदावार के बाद नुकसान 20-25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना।
- मत्स्य पालन क्षेत्र और सहायक गतिविधियों में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना ।
योजना की विशिष्टता:
नीली क्रांति योजना (Blue Revolution Scheme) की उपलब्धियों को समेकित करने के उद्देश्य से, PMMSY के जरिए कई नए उपायों की परिकल्पना की गई है जिसमें मछली पकड़ने के जहाजों का बीमा, मछली पकड़ने के जहाजों/नावों के उन्नयन के लिए सहायता, बायो-टॉयलेट्स, लवण/क्षारीय क्षेत्रों में जलीय कृषि, सागर मित्र, न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर, मत्स्य पालन और जलीय कृषि स्टार्ट-अप्स, इन्क्यूबेटर्स, इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क, इंटीग्रेटेड कोस्टल फिशिंग विलेज डेवलपमेंट, बायोफ्लोक एंड केज कल्चर, ई-ट्रेडिंग/विपणन, मत्स्य प्रबंधन योजना आदि सम्मिलित है।
PMMSY योजना के शुभारंभ पर घोषित अन्य पहलें:
- सीतामढ़ी में फिश ब्रूड बैंक (Fish Brood Bank) की स्थापना।
- किशनगंज में जलीय रोग रेफरल प्रयोगशाला (Aquatic Disease Referral Laboratory) की स्थापना।
- मधेपुरा में फिश फीड मिल की एक इकाई और पटना में ‘फिश ऑन व्हील्स‘ की दो नयी इकाइयों का आरंभ।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार में व्यापक मछली उत्पादन प्रौद्योगिकी केंद्र का आरंभ।
प्रीलिम्स लिंक:
- योजना की अवधि
- योजना के तहत लक्ष्य
- नीली क्रांति योजना क्या है?
- जलीय रोग रेफरल प्रयोगशाला कहाँ स्थापित की गई है?
मेंस लिंक:
प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
चर्चा का कारण
हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत निम्नलिखित सुविधा केन्द्रों के उद्घाटन किये गए:
- पूर्णिया, बिहार में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त वीर्य केंद्र (Semen Station)।
- पटना स्थित पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में स्थापित आईवीएफ लैब।
- बिहार के बेगूसराय जिले में बरौनी मिल्क यूनियन द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत कृत्रिम गर्भाधान में लिंग पृथक्कृत वीर्य के उपयोग का भी शुभारंभ।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन क्या है:
सरकार द्वारा ‘दुधारू पशुओं के स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए वर्ष 2014 में ‘राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम’ (National Programme for Bovine Breeding and Dairy Development– NPBBDD) के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ का आरंभ किया गया था।
मिशन के प्रमुख उद्देश्य:
- दुधारू पशुओं के स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण।
- स्वदेशी पशु के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम. इससे पशुओं में अनुवांशिक सुधार और पशुओं की संख्या में वृद्धि संभव होगी।
- दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने की कोशिश।
- साहीवाल, राठी, देउनी, थारपारकर, रेड सिन्धी और अन्य कुलीन स्वदेशी नस्लों के जरिए बाकी नस्लों को उन्नत बनाना।
- प्राकृतिक सेवा के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का वितरण।
योजना का कार्यान्वयन
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन राज्यों के पशुधन विकास बोर्ड जैसे संस्थानों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
- राज्य गौसेवा आयोग को ‘राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (State Implementing Agency– SIA) के तहत ‘पशुधन विकास बोर्ड’ के प्रस्ताव को प्रायोजित करने और इन प्रायोजित प्रस्तावों की निगरानी का आदेश दिया गया है।
- स्वदेशी पशु विभाग में सर्वश्रेष्ठ जर्मप्लाज्म सहित महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली एजेंसियों, जैसे CCBF, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि या पशुपालन विश्वविद्यालय, कॉलेज, एनजीओ, सहकारी समितियां और गौशालाएं इसमें प्रतिभागी एजेंसियां हैं।
गोकुल ग्राम क्या हैं?
गोकुल ग्राम देशी पशु केंद्र और अधिनियम स्वदेशी नस्लों के विकास के लिए केंद्र के रूप में काम कर रहे है।
- इस योजना के लिए फंड एकीकृत स्वदेशी पशु केंद्र, गोकुल ग्राम की स्थापना के लिए दिया जाता है।
- गोकुल ग्राम मूल प्रजनन इलाकों और शहरी आवास के लिए मवेशियों के पास महानगरों में स्थापित किये जाते है।
गोकुल ग्राम की भूमिका एवं दायित्व:
- गायों के प्रजनन क्षेत्र में किसानों को उच्च आनुवंशिक प्रजनन स्टॉक की आपूर्ति के लिए एक भरोसेमंद स्रोत है। गोकुल ग्राम किसानों के लिए प्रशिक्षण केंद्र में आधुनिक सुविधाएं देता है।
- 1000 जानवरों की क्षमता वाले इन गोकुल ग्रामों में दुग्ध उत्पादक और अनुत्पादक पशुओं का अनुपात 60:40 होता है।
- गोकुल ग्राम, पशुओं के पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए घर में चारा उत्पादित करने के लिए बनाये गए हैं।
- गोकुल ग्राम वास्तव में एक आर्थिक संस्थान की तर्ज पर विकसित किया गया है, जिसमें निम्नलिखित वस्तुओं की बिक्री के जरिए आर्थिक संसाधन पैदा किया जा रहे है: दूध जैविक खाद केंचुआ–खाद मूत्र डिस्टिलेट घरेलू खपत के लिए बायो गैस से बिजली का उत्पादन पशु उत्पादों की बिक्री आदि।
- महानगरीय गोकुल ग्राम में शहरी मवेशियों के आनुवंशिक उन्नयन पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- गोकुल ग्राम क्या हैं?
- क्या वे महानगरों में स्थापित हो सकते हैं?
- गोकुल ग्राम द्वारा दुधारू और अनुत्पादक पशुओं का अनुपात
- ‘राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम’ (NPBBD) के राष्ट्रीय कार्यक्रम के बारे में
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन कब शुरू किया गया था?
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय गोकुल मिशन पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
अत्मानिर्भर भारत ARISE- अटल न्यू इंडिया चैलेंजेज
संदर्भ:
हाल ही में, अटल इनोवेशन मिशन (AIM), नीति आयोग द्वारा आत्मनिर्भर भारत ARISE -अटल न्यू इंडिया चैलेंजेज की शुरुआत की गयी है।
उद्देश्य:
भारतीय MSME और स्टार्टअप्स में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए।
कार्यान्वयन
यह कार्यक्रम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एवं चार मंत्रालयों– रक्षा मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय- और संबंधित उद्योगों द्वारा संचालित किया जाएगा जिससे अलग-अलग क्षेत्रों की समस्याओं का इनोवेटिव समाधान खोजा जा सकेगा।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएं:
यह कार्यक्रम प्रस्तावित प्रौद्योगिकी समाधान और / या प्रोडक्ट के त्वरित विकास के लिए 50 लाख रुपये तक की धनराशि से सहायता कर योग्य अनुसंधान आधारित नवाचारों की सहायता करेगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- कार्यक्रम का उद्देश्य
- किसके द्वारा आरंभ किया गया है?
- कार्यान्वयन?
- वित्तीय सहायता
स्रोत: पीआईबी
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
दक्षिण भारत की पहली किसान रेल
दक्षिण भारत की पहली “किसान रेल” को आंध्र प्रदेश से नई दिल्ली के लिए रवाना किया गया।
प्रमुख तथ्य:
- यह रेल गाड़ी आंध्रप्रदेश के अनंतपुर से चलकर नई दिल्ली के आर्दश नगर तक आएगी।
- किसान रेल कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगी और कृषि उपज को दूर के स्थानों तक पहुँचाने में मदद करेगी।
- इससे पूर्व 7 अगस्त को, महाराष्ट्र में देवलाली और बिहार के दानापुर के बीच पहली किसान रेल शुरू की गयी थी।
राफेल विमान
भारतीय वायु सेना 10 सितंबर 2020 को अंबाला वायुसैनिक अड्डे में विधिवत रूप से राफेल विमानों को अपने बेड़े में शामिल करेगी। ये विमान वायु सेना के 17 वें स्क्वाड्रन, “गोल्डन एरो” का हिस्सा होंगे।
पांच राफेल विमानों का पहला जत्था 27 जुलाई को फ्रांस से अंबाला के वायुसैनिक अड्डे पर पहुंचा था।
प्रमुख तथ्य:
- यह फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित ट्विन-इंजन मल्टी-रोल फाइटर जेट है। इसे फ्रांसीसी वायु सेना और फ्रांसीसी नौसेना के लिए विकसित किया गया है।
- भारत ने 36 राफेल फाइटर जेट की खरीद के लिये फ़्रांस सरकार के साथ एक समझौते पर 23 सितंबर, 2016 को हस्ताक्षर किये थे।
- फ्रांस, मिस्र और कतर के बाद राफेल विमान रखने वाला भारत चौथा देश है।
‘शिक्षा पर्व’ पहल
- शिक्षा मंत्रालय, शिक्षक पर्व के अंतर्गत 21वीं सदी में समावेशी और न्यायसंगत स्कूली शिक्षा पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित करेगा।
- शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति 2020 को आगे बढ़ाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर, 2020 तक शिक्षक पर्व मनाया जा रहा है।
जिज्ञासा कार्यक्रम
- यह एक छात्र-वैज्ञानिक संपर्क कार्यक्रम है।
- यह कार्यक्रम, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) के सहयोग से कार्यान्वित किया जाएगा।
- इस योजना का उद्देश्य स्कूली छात्रों और वैज्ञानिकों को परस्पर जोड़ा जायेगा ताकि छात्र द्वारा कक्षा में प्राप्त की गयी शिक्षा को अनुसंधान प्रयोगशाला आधारित शिक्षण के साथ संबद्ध किया जा सके।
WHO दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र
WHO दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र सम्मलेन के 73वें सत्र की मेजबानी थाईलैंड सरकार (बैंकॉक) द्वारा की जा रही है। इसके पूर्व सत्र को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।
- दक्षिण पूर्व एशिया छह WHO क्षेत्रों में से एक है।
- इस क्षेत्र में 11 सदस्य देश हैं – बांग्लादेश, भूटान, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, भारत, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, तिमोर-लेस्ते।
शिक्षा पर राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (NSO) की नवीनतम रिपोर्ट:
NSO की रिपोर्ट के निष्कर्ष जून 2017 से जुलाई 2018 के बीच आयोजित नेशनल सैंपल सर्वे के 75 वें दौर पर आधारित हैं। इसमें शिक्षा से संबंधित व्यय पर परिवारों का सर्वेक्षण किया गया था।
प्रमुख निष्कर्ष:
- भारत में प्रति पांच छात्रों में से एक छात्र अपनी स्कूली शिक्षा को निजी कोचिंग के साथ पूरी करता है, जिसमें माध्यमिक स्कूल स्तर पर तथा कक्षा 9 और 10 में लगभग प्रति तीन छात्रों में एक छात्र द्वारा निजी कोचिंग ली जाती है।
- अनुसूचित जनजाति समुदायों के मात्र 13.7% ग्रामीण लड़के और लड़कियां निजी कोचिंग लेते है, जिनके तुलना में उच्च जाति के शहरी छात्रों में 52% से अधिक निजी कोचिंग लेते हैं।
- माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा की कुल लागत का लगभग 20% निजी कोचिंग की फीस में व्यय होता है।
- पूर्वी भारत के कुछ राज्य देश के बाकी हिस्सों की तुलना में निजी कोचिंग पर अधिक व्यय करते हैं।