विषय – सूची:
सामान्य अध्ययन-I
1. ‘मोपला विद्रोही’ स्वतंत्रता सेनानी नहीं: रिपोर्ट
सामान्य अध्ययन-II
1. राज्यों की व्यापार सुधार कार्य योजना (BRAP) रैंकिंग
2. शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
3. G20 समूह
सामान्य अध्ययन-III
1. स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP)
2. राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन
3. ब्रह्मपुत्र नदी घाटी पर निम्न ओजोन स्तर
4. विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA)
5. चंद्रयान-1 द्वारा भेजे गए चित्रों में चंद्रमा पर जंग लगने के संकेत
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. राष्ट्रीय पोषण माह
2. ‘नीले आसमान के लिए प्रथम अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस’
सामान्य अध्ययन- I
विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।
‘मोपला विद्रोही’ स्वतंत्रता सेनानी नहीं: रिपोर्ट
(‘Moplah rioters’ not freedom fighters: Report)
विषय-वस्तु
‘केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय’ द्वारा ‘भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद’ (Indian Council of Historical Research- ICHR) के सहयोग से वर्ष 2019 में प्रकाशित ‘शहीदों की डिक्शनरी’ (Dictionary of Martyrs) प्रकाशित की गयी थी, जिसमे ‘मोपला नरसंहार’ के मुख्य वास्तुकार वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी और अली मुसलियार को शहीद का दर्जा दिया गया था।
हालांकि, ICHR द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट में 387 मोपला विद्रोहियों (नेता अली मुसलियार और वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी सहित) के नाम शहीदों की सूची में से हटाने की मांग की गयी है।
कारण:
समिति की रिपोर्ट में वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी को ‘कुख्यात मोपला दंगाई नेता’ तथा ‘कट्टर अपराधी’ बताया गया है।
- रिपोर्ट के अनुसार- कुंजामहम्मद हाजी ने वर्ष 1921 में हुए मोपला विद्रोह के दौरान असंख्य निर्दोष हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की हत्या की और उनके शवों को एक कुएं में फेंक दिया, जिसे स्थानीय रूप से थोवूर किनार (Thoovoor Kinar) के नाम से जाना जाता है ।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, लगभग सभी मोपला आन्दोलन सांप्रदायिक थे तथा वे हिन्दू समाज के विरुद्ध नफरत और असहिष्णुतापूर्ण थे।
- अतः इनके नाम शहीदों की सूची से हटाए जाने चाहिए।
मोपला विद्रोह क्या था?
- वर्ष 1921 का मोपला विद्रोह, 19वीं सदी में तथा 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में मालाबार (उत्तरी केरल) में अंग्रेजों और हिंदू जमींदारों के खिलाफ, मोपलाओं (मालाबार के मुसलमानों) द्वारा किये गए विद्रोहों की श्रंखला की परिणति थी।
- वर्ष 2021 में इस विद्रोह के 100 वर्ष पूरे हो जायेंगे।
विद्रोह के कारण और परिणाम:
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और सामंती व्यवस्था के खिलाफ आरंभ हुआ विद्रोह अंत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा के रूप में बदल गया।
- मलाबार के निवासियों के बीच असहयोग आंदोलन तथा खिलाफत आंदोलन के संयुक्त संदेश को फैलाने के लिए, अगस्त 1920 में, गांधीजी तथा भारत में खिलाफत आंदोलन के नेता शौकत अली ने एक साथ कालीकट का दौरा किया।
- गांधीजी के आह्वान पर, मालाबार में ख़िलाफ़त समिति का गठन किया गया तथा अपने धार्मिक नेता ‘पोंनानी वाले महादुम तंगल’ (Mahadum Tangal of Ponnani) के नेतृत्व में मोपलाओं ने असहयोग आंदोलन में सहयोग करने की शपथ ली।
- अधिकांश बटाईदारों की समस्याएं, काश्तकारी की सुरक्षा, अत्याधिक लगान, नवीकरण शुल्क (Renewal Fees) तथा जमींदारों द्वारा अन्यायपूर्ण वसूली से संबंधित थीं।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा इस आंदोलन का कठोरतापूर्वक दमन किया गया तथा इस विद्रोह को कुचलने के लिए गोरखा रेजिमेंटों को लाया गया और मार्शल लॉ लागू कर दिया गया।
मालगाड़ी त्रासदी (Wagon Tragedy):
ब्रिटिश दमन के दौरान कुछ मोपिला कैदियों को मालगाड़ी से जेल ले जाया रहा था, इसमें से एक डिब्बे में बंद लगभग 60 कैदियों की दम घुट जाने से मौत हो गयी।
प्रीलिम्स लिंक:
- हाजी कौन था?
- 1921 का मालाबार विद्रोह क्या था?
- हाजी ने किस प्रकार स्वतंत्र राज्य स्थापित किया?
- खिलाफत आंदोलन क्या है?
- खिलाफत आंदोलन के परिणाम
मेंस लिंक:
वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी कौन थे? वर्ष 1921 में उन्होंने मालाबार क्षेत्र में किस प्रकार अंग्रेजों का सामना किया ? विद्रोह के परिणामों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
राज्यों की व्यापार सुधार कार्य योजना (BRAP) रैंकिंग
(Business Reform Action Plan ranking of states)
संदर्भ:
हाल ही में, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा राज्यों की व्यापार सुधार कार्य योजना (Business Reform Action Plan- BRAP) रैंकिंग का चौथा संस्करण की घोषणा की गयी।
- व्यापार सुधार कार्य योजना के आधार पर राज्यों की रैंकिंग तय करने का काम 2015 में शुरू किया गया था।
- वर्तमान रैंकिंग में एक ‘बड़े परिवर्तन’ के रूप में, सरकार द्वारा, राज्य के प्रदर्शन को ‘विशेष रूप से’ उपयोगकर्ता के फीडबैक से जोड़ने का निर्णय लिया गया है।
राज्य सुधार कार्य योजना 2019 के तहत शीर्ष दस राज्यों की सूची इस प्रकार है:
- आंध्र प्रदेश
- उत्तर प्रदेश
- तेलंगाना
- मध्य प्रदेश
- झारखंड
- छत्तीसगढ़
- हिमाचल प्रदेश
- राजस्थान
- पश्चिम बंगाल
- गुजरात
BRAP क्या है?
व्यापार सुधार कार्य योजना (BRAP) 2018-19 में करोबार की स्थितियां बेहतर बनाने के लिए 180 मुख्य मानक तय किए गए हैं जिनमें 12 व्यावसायिक विनियामक क्षेत्र जैसे कि सूचना तक पहुंच, एकल खिड़की प्रणाली, श्रम और पर्यावरण आदि शामिल हैं।
BRAP कार्यान्वयन के आधार पर राज्यों की रैंकिंग का कारण
कारोबारी सुगमता मामले में प्रदर्शन के आधार पर राज्यों की रैंकिग तय करते समय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और बड़े स्तर पर निवेश आकर्षित करने का उद्देश्य हासिल करने का प्रयास किया गया है।
महत्व और इस रैंकिंग की आवश्यकता:
यह रैंकिंग राज्यों में निवेश को आकर्षित करने, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और प्रत्येक राज्य में कारोबारी सुगमता को बढ़ाने में मदद करेगी।
स्रोत: पीआईबी
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
(Shanghai Cooperation Organisation)
चर्चा का कारण
हाल ही में, रूस में ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (Shanghai Cooperation Organisation– SCO) के रक्षा मंत्रियों तथा विदेश मंत्रियों की बैठकें आयोजित की गयीं है।
शंघाई सहयोग संगठन के बारे में:
SCO एक स्थायी अंतर सरकारी संगठन है।
- SCO के गठन की घोषणा 15 जून 2001 को शंघाई (चीन) में कजाकिस्तान गणराज्य, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, किर्गिस्तान गणराज्य, रूसी संघ, ताजिकिस्तान गणराज्य और उजबेकिस्तान गणराज्य द्वारा की गयी थी।
- SCO का पूर्ववर्ती संगठन ‘शंघाई-5’ था, जिसमे ‘कज़ाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान’ पांच सदस्य थे।
- जून 2002 में, SCO राष्ट्राध्यक्षों के सम्मलेन के दौरान, सेंट पीट्सबर्ग में, शंघाई सहयोग संगठन चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए, तथा यह 19 सितंबर 2003 को लागू हुआ।
- SCO की आधिकारिक भाषाएं रूसी और चीनी हैं।
SCO के प्रमुख लक्ष्य:
सदस्य देशों के मध्य परस्पर विश्वास तथा सद्भाव को मज़बूत करना; राजनैतिक, व्यापार एवं अर्थव्यवस्था, अनुसंधान व प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण, इत्यादि में क्षेत्रों में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना; क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखना तथा सुनिश्चिता प्रदान करने हेतु संयुक्त प्रयास करना; तथा एक लोकतांत्रिक, निष्पक्ष एवं तर्कसंगत नव-अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना।
SCO के तहत प्रमुख निकाय:
- राष्ट्राध्यक्षों की परिषद (Heads of State Council– HSC): यह SCO का सर्वोच्च निर्णयकारी निकाय है। इसकी प्रतिवर्ष एक बार बैठक होती है तथा इसके द्वारा संगठन के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय व दिशा-निर्देश जारी किये जाते है।
- SCO शासन प्रमुखों की परिषद (Heads of Government Council– HGC): इसकी प्रतिवर्ष होने वाली बैठक में, संगठन के बहुपक्षीय सहयोग रणनीति और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विमर्श तथा आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर वार्ता कर निर्णय लिए जाते है तथा संगठन के बजट को मंज़ूरी दी जाती है।
- दो स्थायी निकाय – बीजिंग स्थित SCO सचिवालय और ताशकंद स्थित क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (Regional Anti-Terrorist Structure – RATS) कार्यकारी समिति।
- SCO के महासचिव तथा SCO RATS कार्यकारी समिति के निदेशक को, राष्ट्राध्यक्षों की परिषद (HSC) द्वारा तीन साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता है।
वर्तमान में:
- SCO में आठ सदस्य देश सम्मिलित हैं: कज़ाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान।
- शंघाई सहयोग संगठन के चार पर्यवेक्षक देश: अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया।
- SCO के छह वार्ता साझेदार देश: अज़रबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका।
प्रीलिम्स लिंक:
- शंघाई 5 क्या है?
- SCO चार्टर कब हस्ताक्षरित किया गया और कब लागू हुआ?
- SCO संस्थापक सदस्य।
- भारत समूह में कब शामिल हुआ?
- SCO के पर्यवेक्षक और वार्ता सहयोगी।
- SCO के तहत स्थायी निकाय।
- SCO की आधिकारिक भाषाएं।
मेंस लिंक:
शंघाई सहयोग संगठन के उद्देश्यों और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
G20 समूह
चर्चा का कारण
हाल ही में, G20 सदस्य देशों के शिक्षा मंत्रियों द्वारा वर्चुअल रूप से आयोजित बैठक में तीन चिन्हित क्षेत्रों में, ‘शिक्षा निरंतरता, आरंभिक बाल्यावस्था शिक्षा एवं शिक्षा में अंतरराष्ट्रीयकरण’ के क्षेत्रों में एक साथ मिल कर काम करने का संकल्प लिया गया।
सऊदी अरब 2020 में जी 20 लीडर्स समिट की मेजबानी कर रहा है।
G20 समूह के बारे में:
- G20, विश्व की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। इस समूह इस समूह का विश्व की 85 प्रतिशत जीडीपी पर नियंत्रण है, तथा यह विश्व की दो-तिहाई जनसख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
- G20 शिखर सम्मेलन को औपचारिक रूप से ‘वित्तीय बाजार तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था शिखर सम्मेलन’ के रूप में जाना जाता है।
G20 की उत्पत्ति:
- वर्ष 1997-98 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद, यह स्वीकार किया गया था कि उभरती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली पर चर्चा के लिए भागीदारी को आवश्यकता है।
- वर्ष 1999 में, G7 के वित्त मंत्रियों द्वारा G20 वित्त मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंक गवर्नरों की एक बैठक के लिए सहमत व्यक्त की गयी।
अध्यक्षता (Presidency)
G20 समूह का स्थायी स्टाफ नहीं होता है और न ही इसका कोई मुख्यालय है। G20 समूह की अध्यक्षता क्रमिक रूप से सदस्य देशों द्वारा की जाती है।
- अध्यक्ष देश, अगले शिखर सम्मेलन के आयोजन तथा आगामी वर्ष में होने वाली छोटी बैठकें के आयोजन के लिए जिम्मेवार होता है।
- G20 समूह की बैठक में गैर-सदस्य देशों को मेहमान के रूप में आमंत्रित किया जा सकता हैं।
- पूर्वी एशिया में वित्तीय संकट ने समूचे विश्व के कई देशों को प्रभावित करने के बाद G20 की पहली बैठक दिसंबर, 1999 में बर्लिन में हुई थी।
G20 के पूर्ण सदस्य:
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ।
‘G20 +’ क्या है?
G20 विकासशील राष्ट्र, जिन्हें G21 / G23 / G20 + भी कहा जाता है, 20 अगस्त, 2003 को स्थापित किया गया विकासशील देशों का एक समूह है। यह G20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से भिन्न है।
- G20 + की उत्पत्ति, सितंबर 2003 में मैक्सिको के कैनकुन शहर में आयोजित विश्व व्यापार संगठन के पांचवे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में हुई थी।
- इसकी स्थापना का आधार 6 जून 2003 को भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्रियों द्वारा हस्ताक्षरित ब्रासीलिया घोषणा है।
- ‘G20 +’ विश्व की 60% आबादी, 26% कृषि निर्यात और 70% किसानों का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- G20 बनाम G20 + बनाम G7 बनाम G8
- G20 के उद्देश्य तथा इसके उप-समूह
- सदस्य देशों के भौगोलिक स्थिति का अवलोकन
- ब्रासीलिया घोषणा, 2003 का अवलोकन
- वर्ष 2020 में G20 शिखर सम्मलेन की मेजबानी कौन कर रहा है?
मेंस लिंक:
क्या आपको लगता है कि हाल ही में जी 20 शिखर सम्मेलन मात्र वार्ता हेतु मंच बन कर रह गए हैं? आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP)
(Start-Up Village Entrepreneurship Programme)
चर्चा का कारण
हाल के वर्षों में SVEP ने प्रभावशाली प्रगति की है और अगस्त 2020 के अनुसार 23 राज्यों के 153 ब्लॉकों में व्यवसाय सहायता सेवाओं और पूंजी प्रेरित करने के बारे में सहायता प्रदान की है।
गस्त 2020 के अनुसार ‘सामुदायिक संसाधन व्यक्ति-उद्यम संवर्धन’ (Community Resource Person-Enterprise Promotion: CRP-EP) के लगभग 2000 प्रशिक्षित कैडर ग्रामीण उद्यमियों को सेवाएं प्रदान कर रहा है।
‘स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम’ क्या है?
स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP), दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM), ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2016 से एक उप-योजना के रूप में लागू किया गया है।
कार्यक्रम का उद्देश्य: इसका उद्देश्य ग्रामीणों को गरीबी से बाहर निकालना,उनकी उद्यम स्थापना में मदद करना और उद्यमों के स्थिर होने तक सहायता उपलब्ध कराना है।
- भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (Entrepreneurship Development Institute of India– EDII), अहमदाबाद SVEP का तकनीकी सहयोगी है।
- SVEP व्यक्तिगत और समूह उद्यमों दोनों को बढ़ावा देता है। यह मुख्य रूप से विनिर्माण, व्यवसाय और सेवा क्षेत्रों में उद्यमों की स्थापना और प्रोत्साहन देता है।
सामुदायिक संसाधन व्यक्ति-उद्यम संवर्धन’ (CRP-EP)
- SVEP का उद्देश्य एक समुदाय संसाधन व्यक्तियों – उद्यम संवर्धन (CRP-EP) को विकसित करना है, जो स्थानीय है और ग्रामीण उद्यमोंकी स्थापना करने में ग्रामीण उद्यमियों की मदद करता है।
- CRP-EPs प्रमाणित होते हैं और उद्यमियों को व्यावसायिक सहायता सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- SVEP के बारे में
- यह किसके अधीन एक उप योजना है?
- किस मंत्रालय द्वारा लागू किया जा रहा है?
- कार्यक्रम का उद्देश्य
- क्या यह समूह उद्यमों को कवर करता है?
- CRP-EP के बारे में
- दीनदयाल अंत्योदय योजना -राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) – लक्ष्य।
मेंस लिंक:
दीनदयाल अंत्योदय योजना -राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) की प्रमुख विशेषताओं और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (NBM)
(National Biopharma Mission)
चर्चा का कारण
हाल ही में, वायरल टीकों की नैदानिक इम्युनोजेनेसिटी का मूल्याँकन करने के लिए नेशनल इम्युनोजेनेसिटी एंड बायोलॉजिक्स इवैल्यूएशन सेंटर (National Immunogenicity & Biologics Evaluation Center– NIBEC) का उद्घाटन किया गया है।
NIBEC को भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय द्वारा अपनी घटक इकाई इंटरएक्टिव रिसर्च स्कूल फॉर हेल्थ अफेयर्स (IRSHA) और बीआईआरएसी-डीबीटी (BIRAC-DBT) भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के माध्यम से संयुक्त रूप से स्थापित किया गया है।
जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) क्या है?
- भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology – DBT), द्वारा स्थापित जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (Biotechnology Industry Research Assistance Council- BIRAC) एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
- यह राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक उत्पाद विकास आवश्यकताओं को पूरा करते हुए, रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार को संचालित करने के लिए उभरते हुए बायोटेक्नोलॉजी एंटरप्राइज को सशक्त बनाने हेतु एक इंटरफ़ेस उद्यम है।
राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के बारे में:
राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (National Biopharma Mission – NBM) भारत की जनसंख्या के स्वास्थ्य मानकों में सुधार के उद्देश्य से देश में किफायती उत्पादों को वितरित करने के लिए समर्पित है।
- यह देश में बायोफर्मासिटिकल विकास में तेजी लाने के लिए एक उद्योग-शैक्षणिक सहयोग मिशन है।
- इसे वर्ष 2017 में कुल 1500 करोड़ रुपये की लागत से आरंभ किया गया था तथा यह विश्व बैंक के ऋण द्वारा 50% सह-वित्त पोषित है।
- इसे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- इस मिशन के तहत, सरकार ने जैवप्रौद्योगिकी क्षेत्र में उद्यमिता और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु इनोवेट इन इंडिया (i3) कार्यक्रम शुरू किया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन- उद्देश्य और घटक
- इनोवेट इन इंडिया (i3) प्रोग्राम क्या है?
- BIRAC के बारे में।
- DNA और RNA टीकों के बीच अंतर
- नेशनल इम्युनोजेनेसिटी एंड बायोलॉजिक्स इवैल्यूएशन सेंटर (NIBEC) के बारे में।
मेंस लिंक:
NBM की विशेषताओं और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
ब्रह्मपुत्र नदी घाटी पर निम्न ओजोन स्तर
(Low ozone over Brahmaputra River Valley)
संदर्भ:
हाल ही में, शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के दौरान यह पाया है कि भारत के पूर्वोत्तर भाग के ब्रह्मपुत्र नदी घाटी (BRV) क्षेत्र में सतह निकट ओजोन की सांद्रता भारत के अन्य स्थानों की तुलना में कम है।
क्षोभमंडलीय अथवा भूमि-स्तरीय ओजोन क्या है?
यह नाइट्रोजन (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (volatile organic compounds– VOC) के ऑक्साइड के बीच रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा निर्मित होती है। इसमें आमतौर पर, कारों, विद्युत संयंत्रों, औद्योगिक बॉयलरों, रिफाइनरियों, रासायनिक संयंत्रों और अन्य स्रोतों से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में उत्सर्जित प्रदूषक रासायनिक प्रतिक्रिया करने पर वृद्धि होती है तथा जिससे मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
ब्रह्मपुत्र घाटी में निम्न ओजोन का कारण
यह क्षेत्र आस-पास के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग जैसे स्थानीय स्रोतों से अच्छी तरह से प्रभावित है। दिन के उजाले के दौरान, यह क्षेत्र ओजोन सांद्रता पर कार्बनिक प्रजातियों के कम प्रभाव का संकेत देता है या फिर एक फोटो-स्टेशनरी स्थिति में या उसके करीब रहता है।
भूमि-स्तरीय ओजोन के संदर्भ में चिंताएं
- जमीनी स्तर पर ओजोन एक हानिकारक वायु प्रदूषक होती है, क्योंकि इसका प्रभाव लोगों और पर्यावरण पर पड़ता है, और यह ‘धूम्र-कोहरा’ का मुख्य घटक है।
- जमीनी स्तर से कुछ उपर उठती हुई ओजोन के संपर्क में आने से कृषि फसलें तथा वृक्ष, विशेषकर धीमी गति से पकने वाली फसलें तथा लम्बी आयु वाले वृक्ष, प्रभावित होते हैं।
- भूमि-स्तरीय ओजोन के संपर्क में आने से स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे श्वसन प्रणाली तथा विशेष रूप से फेफड़ों से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
इंस्टा फैक्ट्स:
ओजोन का निर्माण प्राकृतिक रूप से समताप मंडल में, अत्यधिक ऊर्जा युक्त सौर विकिरण के ऑक्सीजन के अणुओं पर हमला करके उसे दो ऑक्सीजन परमाणुओं में विखंडित करने के दौरान निर्मित होती है। इस प्रक्रिया को ‘प्रकाश-अपघटन’ (Photolysis) कहा जाता है। इस प्रकार, जब एक मुक्त परमाणु दूसरे O2 से टकराता है, तो ओजोन (O3) का निर्माण होता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- ओजोन क्या है?
- क्षोभमंडलीय तथा समताप मंडलीय ओजोन में अंतर
- भूमि-स्तरीय ओजोन का निर्माण कैसे होता है?
- धूम्र-कोहरा के निर्माण में ओजोन की भूमिका।
- VOCक्या हैं?
मेंस लिंक:
भूमि-स्तरीय ओजोन के संपर्क में आने से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।
विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA)
चर्चा का कारण
हाल ही में, सरकार द्वारा विभिन्न कारणों से चार ईसाई समूहों के लिए ‘विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम’ (FCRA) अनुमति को निलंबित कर दिया गया है।
FCRA अनुमति क्या है?
- किसी भी संगठन को विदेशी अनुदान प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय से FCRA अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
- भारत में स्वयंसेवी संगठनों के लिए विदेशी अनुदान को FCRA अधिनियम के तहत विनियमित किया जाता है तथा इसे गृह मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA), 2010:
- अधिनियम के तहत, इन संगठनों को प्रत्येक पांच वर्ष में FCRA से पुनःपंजीकृत कराना आवश्यक होता है। अर्थात, FCRA, 2010 के तहत दिया गया प्रमाण-पत्र पाँच साल तक के लिये वैध होता है।
- संशोधित FCRA नियमों के अनुसार, FCRA के तहत पंजीकृत अथवा अनुमति प्राप्त सभी गैर-सरकारी संगठनों को अब अपनी वेबसाइट अथवा FCRA वेबसाइट पर प्रति तीन महीने में प्राप्त होने वाले तथा उपयोग किए गए विदेशी अनुदान का विवरण अपलोड करना होगा।
- गैर-सरकारी संगठनों को अब हार्ड कॉपी संस्करण के साथ-साथ अपने वार्षिक रिटर्न ऑनलाइन दाखिल करना आवश्यक होगा।
विदेशी अनुदान ग्रहण करने हेतु कौन पात्र नहीं है?
- चुनावी उम्मीदवार
- किसी भी विधायिका (सांसद और विधायक) के सदस्य
- राजनीतिक दल या पदाधिकारी
- राजनीतिक प्रकृति का संगठन
- पंजीकृत समाचार पत्र के संवाददाता, स्तंभकार, कार्टूनिस्ट, संपादक, मालिक, प्रिंटर या प्रकाशक।
- न्यायाधीश, सरकारी कर्मचारी, तथा सरकार के स्वामित्व वाले किसी भी निगम अथवा किसी अन्य निकाय के कर्मचारी।
- किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ऑडियो न्यूज, ऑडियो विजुअल न्यूज या करंट अफेयर्स प्रोग्राम के उत्पादन या प्रसारण में संलग्न एसोसिएशन अथवा कंपनी।
- केंद्र सरकार द्वारा विशेष रूप से निषिद्ध कोई अन्य व्यक्ति अथवा संगठन।
अनुदान प्राप्त करने हेतु पंजीकरण के लिए पात्रता मानदंड
- संगठन को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत अथवा भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 या कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत होना चाहिए।
- संस्था, कम से कम 3 साल से कार्यरत हो।
- संस्था द्वारा समाज की भलाई हेतु अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय गतिविधियाँ के गयी हों।
- संस्था द्वारा समाजसेवी गतिविधियों पर पिछले तीन वर्षों में कम से कम दस लाख रु. की राशि खर्च की गयी हो।
प्रीलिम्स लिंक:
- FCRA कब लागू किया गया था?
- इस क़ानून का कार्यान्वयन किसके द्वारा किया जाता है?
- अधिनियम के अनुसार विदेशी अनुदान की परिभाषा।
- अधिनियम के अनुसार विदेशी योगदान कौन स्वीकार नहीं कर सकता है।
- अनुदान प्राप्त करने हेतु पंजीकरण के लिए पात्रता मानदंड क्या है?
मेंस लिंक:
हाल के दिनों में FCRA विवादास्पद क्यों रहा है, चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
चंद्रयान-1 द्वारा भेजे गए चित्रों में चंद्रमा पर जंग लगने के संकेत
(Moon may be rusting, shows ISRO’s Chandrayaan 1 images)
संदर्भ:
हम जानते हैं, कि पृथ्वी और मंगल पर जंग (rust) लग सकती है, किंतु अब वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर भी जंग लगने का पता चला है। इसरो के चंद्रमा पर प्रथम मिशन, चंद्रयान-1 ऑर्बिटर द्वारा कुछ चित्र भेजे गए हैं, जो प्रदर्शित करते हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग सा लगता दिख रहा है।
आश्चर्य का कारण
जंग (Rust), जिसे लोहे के ऑक्साइड के रूप में भी जाना जाता है, एक लाल रंग का यौगिक होता है। यह लोहे के जल और ऑक्सीजन के संपर्क पर निर्मित होती है। चूंकि, चंद्रमा की सतह पर जल और ऑक्सीजन की उपस्थिति अभी तक ज्ञात नहीं है। इसलिए, यह आश्चर्य का कारण है।
संभावित कारण तथा इस घटना में पृथ्वी के वायुमंडल की भूमिका
लोहे के लिए जंग लगी हुई लालिमा युक्त धातु में परिवर्तित होने के लिए एक ‘ऑक्सीकारक’ (Oxidizer) की आवश्यकता होती है। आक्सीजन अणु के समान ऑक्सीकारक, लोहे जैसी धातु से इलेक्ट्रानों को अलग करते हैं।
- किंतु, चंद्रमा पर वातावरण नहीं पाया जाता है, अतः यहाँ पर रसायनिक अभिक्रिया हेतु ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। लेकिन, चंद्रमा की सतह पर पृथ्वी के वायुमंडल से प्राप्त की गयी ऑक्सीजन की कुछ मात्र के संकेत प्राप्त हुए हैं।
- यह भूमंडलीय ऑक्सीजन, चंद्रमा पर, ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र के विस्तार, जिसे ‘चुंबकीय-पुच्छ’ (Magnetotail) कहा जाता है, के साथ पहुँचती है।
- प्रत्येक पूर्णिमा पर, चुंबकीय-पुच्छ’ / मैग्नेटोटेल, चंद्रमा पर टकराने वाली 99% सौर हवाओं को अवरुद्ध कर देता है। इस दौरान यह चंद्रमा की सतह पर अस्थायी रूप से आवरण का निर्माण करता है, जिससे जंग लगने के लिए समय मिल जाता है।
जंग लगने के लिए आवश्यक जल
चंद्रमा पर सामन्यतः जल नहीं पाया जाता है। हालांकि, चंद्रमा के दूसरी ओर स्थित ‘लूनर क्रेटरों’ में जमे हुए जल के अंश प्राप्त हुए है, किंतु ये क्रेटर, लौह अयस्क ‘हेमटाईट’ पाए जाने वाले स्थलों से काफी दूर हैं।
- यद्यपि, शोधकर्ताओं का मानना है, कि चंद्रमा पर तीव्रगति वाले धूल कणों की बमबारी से, सतही परत में कैद जल-कण मुक्त हो जाते हैं, परिणामस्वरूप, ये जल-अणु सतह पर उपस्थित लौह अयस्क के साथ अभिक्रिया कर ‘जंग’ का निर्माण करते हैं।
- इन धूल कणों में भी जल-अणुओं की उपस्थिति ओ सकती है, और इनके प्रभाव से ऊष्मा उत्पन्न होने पर ऑक्सीकरण दर में वृद्धि हो सकती है।
- बमबारी करने वाले तेज गति वाले धूल कण, पानी के अणुओं को चंद्रमा की सतह परत में बंद कर सकते हैं, जिससे पानी लोहे के साथ मिल सकता है। ये धूल कण शायद पानी के अणुओं को भी ले जा रहे हैं, और उनके प्रभाव से गर्मी पैदा हो सकती है जो ऑक्सीकरण दर को बढ़ा सकती है।
पृष्ठभूमि:
- चंद्रयान -1 को वर्ष 2008 में प्रक्षेपित किया गया था, यह भारत का पहला चंद्र-प्रोब है।
- अगस्त 2009 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-1 के साथ संपर्क टूट गया।
- बाद में, नासा के वैज्ञानिकों द्वारा एक नई सतह-आधारित रडार तकनीक का उपयोग करके चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को खोजा गया, जिसे खोया हुआ मान लिया गया था।
चंद्रयान-1 की प्रमुख खोजें:
- इसने चंद्रमा पर जल की उपस्थिति की पुष्टि की।
- पुरातन चंद्र लावा प्रवाह द्वारा निर्मित चंद्र गुफाओं के साक्ष्य।
- चंद्रमा की सतह पर अतीत में हुई विवर्तनिक गतिविधियां।
प्रीलिम्स लिंक:
- चंद्रयान-2, चंद्रयान-1 से किस प्रकार भिन्न है?
- विभिन्न देशों के चंद्र मिशन?
- चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग से जुड़े मिशन
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का उद्देश्य
- चंद्रयान-3 के बारे में
- चंद्रमा की सतह पर पाए जाने वाले खनिज
मेंस लिंक:
चंद्रयान 2 मिशन पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
राष्ट्रीय पोषण माह
तीसरा राष्ट्रीय पोषण माह इस वर्ष सितंबर के महीने में मनाया जा रहा है।
- इसकी शुरुआत 2018 में हुई थी। महिला और बाल विकास मंत्रालय इस अभियान को चलाने वाली नोडल एजेंसी है।
- इसका उद्धेश्य जन भागिदारी को प्रोत्साहित करते हुए छोटे बच्चों और महिलाओं के बीच कुपोषण की समस्या को दूर करने और सभी के लिए स्वास्थ्य और पोषण सुनिश्चित करने के लिए एक जन आंदोलन चलाना है।
‘नीले आसमान के लिए प्रथम अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस’
(First ever International Day of Clean Air For Blue Skies)
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर, 2019 को वर्ष 2020 से हर साल 07 सितंबर को ‘नीले आसमान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस’ मनाने का संकल्प लिया था।
- जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन (CCAC) ने UNEP और कोरिया गणराज्य के साथ मिलकर इस दिवस को संयुक्त राष्ट्र महासभा से घोषित कराने हेतु प्रयास किये।
- इस दिवस का उद्देश्य, व्यक्तिगत, समुदायिक, कॉर्पोरेट और सरकार, सभी स्तरों पर जन जागरूकता को बढ़ाना है, कि स्वच्छ हवा स्वास्थ्य, उत्पादकता, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है।