HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
दक्षिणी गोलार्ध पर साइबेरिया के समान ठंडी और कठोर जलवायु का अनुभव क्यों नहीं होता है?
- दक्षिणी गोलार्ध में उच्च अक्षांशों पर सापेक्षिक रूप से स्थल भाग की अनुपस्थिति
- जलवायु पर समुद्र का अत्यधिक प्रभाव होने से सर्दियों की कठोरता में कमी हो जाती है
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
- दक्षिणी गोलार्ध में उच्च अक्षांशों पर सापेक्षिक रूप से स्थल भाग की अनुपस्थिति के कारण साइबेरियाई जलवायु स्पष्ट रूप से अनुपस्थित होती है।
- जलवायु पर समुद्र का अत्यधिक प्रभाव होने से सर्दियों की कठोरता में कमी हो जाती है और शंकुधारी वन केवल दक्षिणी चिली, न्यूजीलैंड, तस्मानिया और दक्षिणी-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
- दक्षिणी गोलार्ध में उच्च अक्षांशों पर सापेक्षिक रूप से स्थल भाग की अनुपस्थिति के कारण साइबेरियाई जलवायु स्पष्ट रूप से अनुपस्थित होती है।
- जलवायु पर समुद्र का अत्यधिक प्रभाव होने से सर्दियों की कठोरता में कमी हो जाती है और शंकुधारी वन केवल दक्षिणी चिली, न्यूजीलैंड, तस्मानिया और दक्षिणी-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।
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Question 2 of 5
2. Question
हिमालय के कई क्षेत्रों में खनिज निष्कर्षण करना व्यावसायिक रूप से अव्यवहारिक है क्योंकि –
- हिमालय की जटिल चट्टान संरचना
- ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियाँ
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
- इतने बड़े भौगोलिक प्रसार के बावजूद, हिमालय क्षेत्र में खनिज संसाधनों की कमी है। ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियाँ निश्चित रूप से खनिजों की खोज को कठिन और महंगा बनाती हैं।
- इसके अलावा, हिमालय में, भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं ने चट्टानीय परतों का व्यापक रूप से विस्थापन किया है। इसने चट्टानों की संरचना को अस्तव्यस्त किया है और इसे जटिल बना दिया है, जिससे हिमालय में खनिज संसाधनों की कमी हो गई है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में समृद्ध भंडार विद्यमान हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
- इतने बड़े भौगोलिक प्रसार के बावजूद, हिमालय क्षेत्र में खनिज संसाधनों की कमी है। ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियाँ निश्चित रूप से खनिजों की खोज को कठिन और महंगा बनाती हैं।
- इसके अलावा, हिमालय में, भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं ने चट्टानीय परतों का व्यापक रूप से विस्थापन किया है। इसने चट्टानों की संरचना को अस्तव्यस्त किया है और इसे जटिल बना दिया है, जिससे हिमालय में खनिज संसाधनों की कमी हो गई है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में समृद्ध भंडार विद्यमान हैं।
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Question 3 of 5
3. Question
किसी नदी की युवावस्था की विशेषताएं आमतौर पर कौनसी होती हैं
- जल विभाजक अत्यधिक विस्तृत होते हैं जिसमें दलदल और पंक भूमि होती है
- जहां कठोर चट्टानें पाई जाती हैं वहां क्षिप्रिकाओं और जलप्रपातों का निर्माण हो जाता है
- नदियाँ स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होती हैं जिससे प्राकृतिक तटबंधों और गोखुर झीलों का निर्माण होता हैं
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
एक नदी मार्ग का विकास या परिपक्वता कई चरणों में होता है। प्रत्येक चरण इसकी प्रमुख विशेषताओं को प्रभावित करता है। प्रवाहित जल व्यवस्था में विकसित होने वाले परिदृश्य के प्रत्येक चरण की विशेषताओं को निम्नानुसार संक्षेपित किया जा सकता है:
युवावस्था (Youth stage)
इस अवस्था में नदियों की संख्या बहुत कम होती है ये उथले V-आकार के घाटी; संकरे बाढ़ मैदान मुख्य नहीं के साथ-साथ पाए जाते हैं।
जहां कठोर चट्टानें पाई जाती हैं वहां क्षिप्रिकाओं और जलप्रपातों का निर्माण हो जाता है।
प्रौढावस्था (Mature stage)
इस अवस्था में नदियों में जल की मात्रा अधिक होती हैं;
गहरी V-आकार की घाटियाँ
विस्तृत बाढ़ के मैदान जिनमें विसर्पों का निर्माण हो जाता है;
जल विभाजक स्पष्ट होते हैं और क्षिप्रिकाएंऔर जलप्रपात विलुप्त हो जाते हैं
वृद्धावस्था (Old Stage)
छोटी सहायक नदियाँ कम होती होती हैं और ढाल मंद होता हैं
विभाजक विस्तृत और समतल होते हैं जिसमें झीलें पाई जाती हैं;
नदियाँ स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होती हैं जिससे प्राकृतिक तटबंधों और गोखुर झीलों का निर्माण होता हैं;
अधिकांश भूदृश्य समुद्रतल के बराबर या थोड़े ऊँचे होते हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
एक नदी मार्ग का विकास या परिपक्वता कई चरणों में होता है। प्रत्येक चरण इसकी प्रमुख विशेषताओं को प्रभावित करता है। प्रवाहित जल व्यवस्था में विकसित होने वाले परिदृश्य के प्रत्येक चरण की विशेषताओं को निम्नानुसार संक्षेपित किया जा सकता है:
युवावस्था (Youth stage)
इस अवस्था में नदियों की संख्या बहुत कम होती है ये उथले V-आकार के घाटी; संकरे बाढ़ मैदान मुख्य नहीं के साथ-साथ पाए जाते हैं।
जहां कठोर चट्टानें पाई जाती हैं वहां क्षिप्रिकाओं और जलप्रपातों का निर्माण हो जाता है।
प्रौढावस्था (Mature stage)
इस अवस्था में नदियों में जल की मात्रा अधिक होती हैं;
गहरी V-आकार की घाटियाँ
विस्तृत बाढ़ के मैदान जिनमें विसर्पों का निर्माण हो जाता है;
जल विभाजक स्पष्ट होते हैं और क्षिप्रिकाएंऔर जलप्रपात विलुप्त हो जाते हैं
वृद्धावस्था (Old Stage)
छोटी सहायक नदियाँ कम होती होती हैं और ढाल मंद होता हैं
विभाजक विस्तृत और समतल होते हैं जिसमें झीलें पाई जाती हैं;
नदियाँ स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होती हैं जिससे प्राकृतिक तटबंधों और गोखुर झीलों का निर्माण होता हैं;
अधिकांश भूदृश्य समुद्रतल के बराबर या थोड़े ऊँचे होते हैं।
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Question 4 of 5
4. Question
विषुवतीय प्रतिधारा वृहत सतही प्रवाह है जो पूर्व की ओर अटलांटिक, हिन्द और प्रशांत महासागरों में जल को प्रवाहित करती है। इसके प्रवाह में योगदान करने वाले कारकों में कौन-सा/से शामिल है/हैं:
- कोरिओलिस बल की उपस्थिति
- उष्णकटिबंधीय सतही पवन प्रवाह के कारण भूमध्य रेखा के पास जल का जमाव होता है
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: c)
- यह भूमध्य रेखा के निकट प्रवाहित होती हैं और यह दो पश्चिम-की ओर प्रवाहित होने वाली धाराओं यथा उत्तरी विषुवतीय और दक्षिण विषुवतीय धारा के बीच प्रवाहित होती हैं। विषुवतीय प्रतिधारा एक विशिष्ट धारा है, जो सतही हवाओं के विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है। उष्ण कटिबंध में अन्य प्रमुख सतही धाराएँ प्रचलित हवाओं के समान ही प्रवाहित होती हैं।
- इस प्रकार विषुवतीय प्रति-धाराएं उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में एक अलग सतह पवन पैटर्न द्वारा संचालित होती हैं। सशक्त व्यापारिक पवनों के प्रवाह के कारण अधिकांश उष्णकटिबंधीय अटलांटिक और प्रशांत महासागरों में सतही जल पश्चिम की ओर प्रवाहित होता है। हालांकि, भूमध्य रेखा के उत्तर में कई सौ मील की दूरी पर तुलनात्मक रूप से पवनें बहुत कमजोर होती हैं। दक्षिण की ओर प्रवाहित तीव्र पवनें, जहां पवनें कमजोर होती हैं वहां जल को एकत्रित कर देती हैं।
- इसके परिणामस्वरूप, समुद्र की सतह 6 इंच तक ऊंची हो सकती है। पृथ्वी के घूर्णन के प्रभाव के कारण अतिरिक्त जल पूर्व की ओर प्रवाहित होता है, जिससे विषुवतीय प्रति-धाराओं में वृद्धि होती है।
Incorrect
उत्तर: c)
- यह भूमध्य रेखा के निकट प्रवाहित होती हैं और यह दो पश्चिम-की ओर प्रवाहित होने वाली धाराओं यथा उत्तरी विषुवतीय और दक्षिण विषुवतीय धारा के बीच प्रवाहित होती हैं। विषुवतीय प्रतिधारा एक विशिष्ट धारा है, जो सतही हवाओं के विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है। उष्ण कटिबंध में अन्य प्रमुख सतही धाराएँ प्रचलित हवाओं के समान ही प्रवाहित होती हैं।
- इस प्रकार विषुवतीय प्रति-धाराएं उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में एक अलग सतह पवन पैटर्न द्वारा संचालित होती हैं। सशक्त व्यापारिक पवनों के प्रवाह के कारण अधिकांश उष्णकटिबंधीय अटलांटिक और प्रशांत महासागरों में सतही जल पश्चिम की ओर प्रवाहित होता है। हालांकि, भूमध्य रेखा के उत्तर में कई सौ मील की दूरी पर तुलनात्मक रूप से पवनें बहुत कमजोर होती हैं। दक्षिण की ओर प्रवाहित तीव्र पवनें, जहां पवनें कमजोर होती हैं वहां जल को एकत्रित कर देती हैं।
- इसके परिणामस्वरूप, समुद्र की सतह 6 इंच तक ऊंची हो सकती है। पृथ्वी के घूर्णन के प्रभाव के कारण अतिरिक्त जल पूर्व की ओर प्रवाहित होता है, जिससे विषुवतीय प्रति-धाराओं में वृद्धि होती है।
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Question 5 of 5
5. Question
चक्रवात के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- चक्रवात के केंद्र में अति निम्न दाब वाला क्षेत्र होने के कारण यह अनवरत बना रहता है।
- बहुत कम चक्रवात अरब सागर में उत्पन्न होते हैं, लेकिन ये बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवातों की तुलना में अपेक्षाकृत सशक्त होते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा सही है / हैं?
Correct
उत्तर: a)
- चक्रवात के केंद्र में अति निम्न दाब वाला क्षेत्र होने के कारण यह अनवरत बना रहता है। निकटवर्ती क्षेत्रों से पवनें इन निम्न-दाब वाले क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होने के लिए बाध्य हो जाती हैं।
- हालांकि चक्रवात सामान्य रूप से जून में आते हैं, उनमें से बहुत कम ही अरब सागर में उत्पन्न होते हैं। उनमें से अधिकांश बंगाल की खाड़ी में निर्मित होते हैं। पिछले 120 वर्षों में (आंकड़ों के अनुसार), भारत के आसपास निर्मित होने वाले सभी चक्रवाती तूफानों का लगभग 14%, और गंभीर चक्रवातों का 23%, अरब सागर में निर्मित हुए हैं। बंगाल की खाड़ी में निर्मित होने वालों की तुलना में अरब सागर के चक्रवात अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
- चक्रवात के केंद्र में अति निम्न दाब वाला क्षेत्र होने के कारण यह अनवरत बना रहता है। निकटवर्ती क्षेत्रों से पवनें इन निम्न-दाब वाले क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होने के लिए बाध्य हो जाती हैं।
- हालांकि चक्रवात सामान्य रूप से जून में आते हैं, उनमें से बहुत कम ही अरब सागर में उत्पन्न होते हैं। उनमें से अधिकांश बंगाल की खाड़ी में निर्मित होते हैं। पिछले 120 वर्षों में (आंकड़ों के अनुसार), भारत के आसपास निर्मित होने वाले सभी चक्रवाती तूफानों का लगभग 14%, और गंभीर चक्रवातों का 23%, अरब सागर में निर्मित हुए हैं। बंगाल की खाड़ी में निर्मित होने वालों की तुलना में अरब सागर के चक्रवात अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं।









