[इनसाइट्स सिक्योर – 2020] दैनिक सिविल सेवा मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन अभ्यास: 31 अगस्त 2020

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सामान्य अध्ययन – 1


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

1. “भारत ने सदैव धार्मिक दर्शन में उत्कृष्टता प्राप्त की है, लेकिन ये दर्शन न केवल आध्यात्मिक मामलों से सम्बंधित हैं, बल्कि सामाजिक समस्याओं को भी सम्बोधित करते हैं।” दिए गए कथन को ध्यान में रखते हुए, समकालीन समाज में बौद्ध धर्म के योगदान का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द)

 सन्दर्भ: मध्यकालीन भारत: कक्षा 11 (NCERT)

 निर्देशक शब्द: 

मूल्यांकन कीजिये- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है की वह कथन अथवा विषय के महत्व को रेखांकित करते हुए उसकी समग्र उपयोगिता बताये।

 उत्तर की संरचना: 

परिचय:

प्रश्न के संदर्भ को संक्षेप में समझाइये।

 विषय वस्तु:

भारत में विभिन्न धर्मों और उनके दर्शन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

बौद्ध दर्शन पर प्रकाश डालिए एवं समकालीन विश्व में बौद्ध धर्म के योगदान का विस्तार से वर्णन कीजिए।

निष्कर्ष:

इसके महत्व को बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन – 2


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

2. भारतीय संविधान के “धर्मनिरपेक्षता” के दृष्टिकोण से फ्रांस क्या सीख सकता है? समझाइये। (250 शब्द)

 सन्दर्भ: 2019 स. लो. से. आ. सिविल सेवा परीक्षा: सा. अ.- 2

निर्देशक शब्द: 

समझाइये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिये।

 उत्तर की संरचना: 

परिचय:

भारतीय संविधान में उल्लेखित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर संक्षेप में चर्चा करते हुए इसके उद्भव को भी स्पष्ट कीजिए।

 विषय वस्तु:

भारत एवं फ्रांस के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए, जिन्हें फ्रांस, भारत से सीख सकता है।

 निष्कर्ष:

धर्मनिरपेक्षता का सामान्य अर्थों में महत्त्व स्पष्ट करते हुए निष्कर्ष निकालिये।

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय। गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय।

3. महामारी के दौरान कुपोषण का बोझ न बढे, यह सुनिश्चित करने के लिए समुदाय- स्तरीय संस्थानों द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)

 सन्दर्भ: Indian Express 

 निर्देशक शब्द: 

चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।

उत्तर की संरचना: 

परिचय:

देश में कुपोषण के बोझ की निराशाजनक स्थिति को दर्शाने वाले महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रदर्शित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:

इस निराशाजनक स्थिति के कारणों को बताते हुए समझाइये कि महामारी ने इसे कैसे प्रभावित किया है।

संदर्भित लेख की सहायता से समझाइये कि इस स्थिति में सुधार के लिए समुदाय स्तरीय संस्थाएं क्या भूमिका निभा सकती हैं।

सम्बंधित चुनौतियों का भी उल्लेख कीजिए।

 निष्कर्ष:

निष्कर्ष निकालिए कि यदि केंद्र और राज्य-स्तर पर सभी हितधारक त्वरित गति से एक साथ काम करते हैं, तो ही भारत अपने पोषण संकेतकों में लगातार सुधार करने और अंततः कुपोषण को समाप्त करने की आशा कर सकता है।

 


सामान्य अध्ययन – 3


 

विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।

4. जैविक नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? जैविक खेती में कीट नियंत्रण की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं? बदलती आवश्यकताओं एवं जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में कीट प्रबंधन में जैव कीटनाशकों की उपयुक्तता का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)

सन्दर्भ: tribuneindia.com

निर्देशक शब्द:

समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।

उत्तर की संरचना: 

परिचय:

जैविक नियंत्रण को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:

जैविक खेती में कीट नियंत्रण की विभिन्न विधियों का सविस्तार वर्णन कीजिए।

जैविक नियंत्रण के उपयोग के लाभ एवं हानि दोनों पर चर्चा कीजिए।

इस दिशा में सरकार द्वारा किये गए प्रयासों पर भी चर्चा कीजिये।

 निष्कर्ष:

आगे की राह बताते हुए भारतीय कृषि की प्रगति के लिए इस प्रकार की संकल्पनाओं की आवश्यकता पर बल देते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

विषय: सा.अ.2- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

सा.अ.3– आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।

5. आपूर्ति श्रृंखला लचीलता से आप क्या समझते हैं? जापान द्वारा प्रस्तावित नवीन आपूर्ति श्रृंखला लचीलता पहल (SCRI) और भारत पर इसके पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा कीजिए। (250 शब्द)

सन्दर्भ: The HIndu

 निर्देशक शब्द: 

चर्चा कीजिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।

 उत्तर की संरचना: 

परिचय:

आपूर्ति श्रृंखला लचीलता को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:

जापान द्वारा प्रस्तावित इस नवीन पहल की पृष्ठभूमि को संक्षेप में समझाइये।

आपूर्ति श्रृंखला लचीलता पहल की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।

जापान द्वारा इस पहल में भारत को शामिल किये जाने के कारणों को बताते हुए भारत पर पड़ने वाले प्रभावों को विस्तार से समझाइये।

 निष्कर्ष:

आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिये।

 


सामान्य अध्ययन – 4


 

विषय: उद्धरण आधारित प्रश्न।

6. “बुरा करने वाले वे लोग जो पकड़े नहीं जाते हैं, पकड़े जाने वालों की तुलना में अधिक कष्ट झेलते हैं” (बोथियस) उद्धरण के अर्थ को स्पष्ट कीजिए। और आपको क्यों लगता है कि यह अभी भी प्रासंगिक है? (250 शब्द)

 निर्देशक शब्द:

स्पष्ट कीजिये- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

उद्धरण के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:

अपने स्वयं के अर्थों में उद्धरण की महत्ता को स्पष्ट कीजिए।

वर्तमान समय में इसकी क्या प्रासंगिकता है, विस्तार से समझाइये।

उपयुक्त उदाहरणों के साथ अपने उत्तर की पुष्टि भी कीजिए।

 निष्कर्ष:

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में इसके महत्व को स्पष्ट करते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

विषय: नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।

7. सांस्कृतिक सापेक्षवाद “शुभ” को कैसे परिभाषित करता है? नैतिक मान्यताओं तक पहुंचने के लिए यह कौन सी विधि का अनुसरण करता है? समझाइये (250 शब्द)

 सन्दर्भ: faculty.uca.edu

 निर्देशक शब्द: 

समझाइये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिये।

 उत्तर की संरचना: 

परिचय:

सांस्कृतिक सापेक्षवाद से आपका क्या तात्पर्य है, समझाइए।

 विषय वस्तु:

सांस्कृतिक सापेक्षवाद के दृष्टिकोण से शुभ की परिभाषा को स्पष्ट कीजिए।

 नैतिक मान्यताओं के सन्दर्भ में इसके द्वारा अपनाए जाने वाले मार्ग का वर्णन कीजिए।

निष्कर्ष:

इसके महत्व पर बल देते हुए निष्कर्ष निकालिए।


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