विषय – सूची:
सामान्य अध्ययन-III
1. महात्मा अय्यंकाली
सामान्य अध्ययन-III
1. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में प्रशासन हेतु नियम
2. आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यूजीसी परीक्षा दिशानिर्देशों का अध्यारोहण
3. खिलौनों पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के निलंबन की मांग
4. तुर्की द्वारा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में ड्रिलिंग
5. अफ्रीका वाइल्ड पोलियो मुक्त घोषित
सामान्य अध्ययन-III
1. ‘चुनौती’ – नेक्सट जनरेशन स्टार्ट-अप चैलेंज प्रतियोगिता
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. बार्न उल्लू (सफेद उल्लू)
2. एसोसिएशन ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसीज़ ऑफ स्टेट्स (AREAS)
सामान्य अध्ययन-I
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
महात्मा अय्यंकाली (Mahatma Ayyankali)
संदर्भ:
28 अगस्त को प्रधानमंत्री द्वारा महात्मा अय्यंकाली की 157 वीं जयंती पर याद किया गया।
महात्मा अय्यंकाली कौन हैं?
महात्मा अय्यंकाली का जन्म 28 अगस्त, 1863 को त्रावणकोर रियासत के एक छोटे से गाँव में हुआ था। जो अब आधुनिक केरल के दक्षिण में स्थित है।
- बचपन में उनके साथ हुए जातिगत भेदभाव ने अय्यंकाली को जाति-विरोधी आंदोलन के नेता के रूप में परिवर्तित कर दिया तथा उन्होंने सार्वजनिक स्थानों तथा स्कूलों में प्रवेश सहित बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
- महात्मा गांधी ने अय्यंकाली को ‘पुलाया राजा‘ की उपाधि दी। इंदिरा गांधी ने उन्हें ‘भारत का महानतम पुत्र‘ कह कर सम्मानित किया।
दलित उत्थान में उनका योगदान
- वर्ष 1893 में अय्यंकाली ने सार्वजनिक सड़कों पर अछूतों के चलने पर ‘उच्च-जातियों’ द्वारा लगाये गए ‘प्रतिबंधो’ को चुनौती देते हुए बैलगाड़ी की सवारी की।
- उन्होंने बलरामपुरम में ‘अछूतों’ के अधिकारों पर दावा करने के लिए एक रैली का नेतृत्व किया। अय्यंकाली की इस पैदल यात्रा को ‘आजादी के लिए यात्रा’ और तथा इसके परिणामस्वरूप हुए उपद्रवों को ‘चालियार दंगों‘ के रूप में जाना जाता है।
- अय्यंकाली के प्रयासों से समाज में कई बदलाव हुए तथा वर्तमान में ‘दलित’ कहे जाने वाले लोगों की सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ।
- अय्यंकाली पुलयार अधिकारों के लिए एक घोषित प्रदर्शनकर्ता बन गए। अय्यंकाली के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण, वर्ष 1907 में सरकारी स्कूलों में छात्रों को प्रवेश देने के लिए एक फरमान जारी किया गया।
- एझावा जाति के एक समाज सुधारक, ‘श्री नारायण गुरु’ द्वारा प्रेरित होकर, अय्यंकाली ने साधु जन परिपालन संघम की शुरुआत की। इस संस्था ने बाद में अपने स्कूल शुरू करने के लिए धन एकत्र किया।
प्रीलिम्स लिंक:
- अय्यंकाली को ‘पुलाया राजा’ की उपाधि किसने दी?
- चालियार दंगे किससे संबंधित हैं?
- श्री नारायण गुरु और उनके प्रमुख योगदान के बारे में।
- साधु जन परिपालन संघम की शुरुआत किसने की?
मेंस लिंक:
दलित समुदाय के कल्याण के लिए महात्मा अय्यंकाली द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन-II
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में प्रशासन हेतु नियम
(Rules for administration in the Union Territory of Jammu and Kashmir)
संदर्भ:
हाल ही में, गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में प्रशासन के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया गया है। इन नियमों में उपराज्यपाल (Lieutenant Governor– LG) तथा मंत्रिपरिषद के कार्यों को निर्दिष्ट किया गया है।
नए नियमों का अवलोकन
उपराज्यपाल की भूमिका एवं शक्तियाँ:
- पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवाएं और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) पर केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल का सीधा नियंत्रण रहेगा अर्थात मुख्यमंत्री अथवा मंत्रिपरिषद का उनके कामकाज में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
- ऐसे प्रस्ताव या मामले, जिनसे केंद्र शासित प्रदेश की शांति और व्यवस्था प्रभावित हो सकती है, अथवा ये किसी अल्पसंख्यक समुदाय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के हित को प्रभावित करते हैं, मुख्यमंत्री को सूचना देते हुए अनिवार्यतः मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे।
- उपराज्यपाल तथा किसी मंत्री के बीच मतभेद होने की स्थिति में तथा महीने के बाद भी किसी समझौते पर नहीं पर ‘उपराज्यपाल के फैसले को मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृत’ माना जाएगा।
राष्ट्रपति की भूमिका
- किसी भी मामले में उपराज्यपाल तथा परिषद के बीच मतभेद होने पर, उपराज्यपाल द्वारा संबंधित मामले को राष्ट्रपति के निर्णय के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जायेगा तथा वह राष्ट्रपति के निर्णयानुसार अनुसार कार्य करेगा।
- ऐसी स्थिति में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है। तथा, मंत्रिपरिषद द्वारा की गई कार्रवाई, भारत के राष्ट्रपति द्वारा संबधित मामलों पर निर्णय लेने तक, निलंबित रहेगी।
मुख्यमंत्री तथा मंत्रिपरिषद की भूमिका:
- मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद, गैर-अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के सेवा मामलों, नए कर लगाने संबधी प्रस्ताव, भूमि राजस्व, सरकारी संपत्ति की बिक्री, अनुदान अथवा पट्टे, विभागों और कार्यालयों के पुनर्गठन तथा कानूनों के मसौदा संबंधी निर्णय लेगी।
- कोई भी मामला जो केंद्र शासित प्रदेश की सरकार तथा किसी अन्य राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार के साथ विवाद उत्पन्न कर सकता है, उसे अति शीघ्र संबंधित सचिव के द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल तथा मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जाएगा।
केंद्र सरकार की भूमिका
उपराज्यपाल द्वारा निम्नलिखित प्रस्तावों के संबंध में केंद्र सरकार को पूर्व सूचित किया जायेगा:
- किसी अन्य राज्य, भारत के सर्वोच्च न्यायालय अथवा किसी अन्य उच्च न्यायालय के साथ केंद्र के संबंधों को प्रभावित करने वाले;
- मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति संबधी प्रस्ताव;
- केंद्रशासित प्रदेश की शांति और व्यवस्था को भंग अथवा प्रभावित करने की संभावना वाले मामले; तथा
- किसी अल्पसंख्यक समुदाय, अनुसूचित जाति या पिछड़े वर्गों के हितों को प्रभावित करने की संभावना वाले मामले।
पृष्ठभूमि:
6 अगस्त, 2019 को, संसद के द्वारा जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को निरसित कर दिया गया तथा राज्य को जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख, दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया।
- जम्मू-कश्मीर में जून 2018 से कोई मुख्यमंत्री नहीं है।
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेशों में परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अगले वर्ष नए चुनाव कराये जायेंगे।
नए नियमों के निहितार्थ:
पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर में, जब इसे विशेष दर्जा प्राप्त था, मुख्यमंत्री निर्णय लेने की प्रक्रिया में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था।
नए नियमों के तहत, मुख्यमंत्री को एक अलंकारिक पद बना दिया गया है। उसके पास जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक कांस्टेबल को स्थानांतरित करने की शक्ति भी नहीं होगी।
प्रीलिम्स लिंक:
- हाल ही में अधिसूचित नियमों के अनुसार उपराज्यपाल की शक्तियां।
- मंत्रिपरिषद की शक्तियाँ।
- उपराज्यपाल और एक मंत्री के बीच मतभेद होने पर क्या होता है?
- जम्मू-कश्मीर के सीएम और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति कौन करेगा?
मेंस लिंक:
नए नियमों के तहत, मुख्यमंत्री को एक अलंकारिक पद बना दिया गया है। चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यूजीसी परीक्षा दिशानिर्देशों का अध्यारोहण
(Power of states under the Disaster Management Act to override UGC exam guidelines)
संदर्भ:
हाल ही में, उच्चत्तम न्यायालय ने कहा है कि, COVID-19 महामारी के दौरान मानव जीवन की रक्षा के लिए राज्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) परीक्षा दिशानिर्देशों के अध्यारोहण की शक्ति प्राप्त है।
विवाद का विषय:
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 6 जुलाई को आरसी कुहाड़ की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर दिशानिर्देश जारी किए थे।
- इसके अनुसार परीक्षा के तीन तरीकों का सुझाव दिए गए – कलम और कागज, ऑनलाइन तथा मिश्रित (भौतिक तथा ऑनलाइन दोनों)।
- परीक्षा देने में असमर्थ छात्रों को एक “विशेष मौका” भी दिया गया था।
इसके पश्चात, यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार परीक्षा आयोजित करने के निर्देश के खिलाफ अदालत में याचिकाएं दायर की गई।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि संशोधित दिशा-निर्देश दो आधारों पर अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हैं –
- देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग स्थिति होने के बाबजूद भी पूरे देश में परीक्षाओं की समाप्ति की एक तारीख तय की गयी है,
- तथा, अंतिम वर्ष और प्रथम वर्ष के छात्रों के बीच भेदभाव किया गया।
न्यायालय का निर्णय:
- विश्वविद्यालयों तथा अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों को अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का संचालन करना होगा तथा आंतरिक मूल्यांकन या अन्य मानदंडों के आधार पर छात्रों को प्रोन्नत नहीं कर सकते हैं।
- हालांकि, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, जिन्होंने कोविड प्रकोप को देखते हुए परीक्षा स्थगित कर दी है, वे 30 सितंबर की समयसीमा को आगे बढ़ाने लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission– UGC) से संपर्क कर सकते हैं।
आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्यों की शक्तियां:
- आपदा की स्थिति में, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत सभी अधिकारियों की प्राथमिकता में आपदा से तत्काल निपटना तथा मानव जीवन को बचाना सम्मिलित है।
- इसलिए, आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत, राज्य यूजीसी द्वारा 6 जुलाई को जारी किये गए संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष तथा अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं के पूरे करने के निर्देश को प्रत्यादेशित (Countermand) कर सकते हैं।
- हालांकि, आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों के तहत राज्य, परीक्षा लिए बिना आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर छात्रों को प्रोन्नत नहीं कर सकते हैं।
क्या ये दिशानिर्देश अंतिम वर्ष के छात्रों के साथ भेदभाव करते हैं?
- नयायालय के अनुसार, 6 जुलाई के दिशानिर्देश, जूनियर्स को उनके आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रोन्नत करके तथा अंतिम वर्ष के छात्रों को परीक्षा देने के लिए विवश करके उनके साथ भेदभाव नहीं करते हैं।
- अंतिम वर्ष की परीक्षा एक छात्र के लिए अपनी उत्कृष्टतम प्रतिभा दिखाने का अवसर होती है। यह शैक्षणिक तथा रोजगार दोनों में उनके भविष्य के जीवनवृत्ति को तय करती है।
आगे की राह:
अदालत ने निर्देश दिया है, कि भविष्य में, यदि कोई राज्य 30 सितंबर तक परीक्षा आयोजित कराने में सक्षम नहीं है तथा वह परीक्षा स्थगित करना चाहता है, तो वह राज्य यूजीसी से इस संदर्भ में अनुरोध कर सकता है। यूजीसी अनुरोध पर विचार करके जल्द से जल्द फैसला करेगी।
महामारी में आपदा प्रबंधन अधिनियम की प्रासंगिकता:
अधिनियम के तहत, गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए विस्तृत दिशानिर्देशों के आधार पर, राज्य और जिला प्राधिकरण अपने नियम बना सकते हैं।
- आपदा प्रबंधन अधिनियम का वैधानिक आधार, संविधान की समवर्ती सूची “सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक बीमा” की प्रविष्टि संख्या 23 है।
- समवर्ती सूची की प्रविष्टि संख्या 29, का उपयोग “किसी राज्य से दूसरे राज्य में संक्रामक रोगों अथवा संक्रमित व्यक्तियों, जानवरों अथवा पौधों को प्रभावित करने वाले कीटों की रोकथाम” विशिष्ट कानून बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के बारे में:
आपदा प्रबंधन अधिनियम का उद्देश्य आपदाओं का प्रबंधन करना है, जिसके तहत शमन रणनीति तैयार करना, क्षमता-निर्माण आदि को सम्मिलित किया गया है।
यह अधिनियम देश में जनवरी 2006 से प्रभावी हुआ है।
- यह अधिनियम “आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन तथा इससे संबंधित मामलों से निपटने हेतु प्रावधान करता है।”
- इस अधिनियम में ‘भारत के प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के गठन’ का प्रावधान किया गया है।
- यह अधिनियम, केंद्र सरकार को राष्ट्रीय प्राधिकरण की सहायता के लिए एक राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (NEC) का गठन करने के लिए निर्देशित्त करता है।
- इसमें सभी राज्य सरकारों के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के गठन को अनिवार्य किया गया है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम सरकारों को किस प्रकार सशक्त करता है?
- इसं क़ानून में, NDMA के अध्यक्ष, प्रधान मंत्री को, महामारी से निपटने हेतु निर्णय लेने के लिए प्राधिकृत किया गया है।
- राज्यों के मुख्यमंत्री, महामारी से निपटने के लिए इस कानून के तहत विशेष शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।
- इस कानून के तहत प्रधान मंत्री तथा मुख्यमंत्री को सामान शक्तियां प्राप्त है। केवल दिल्ली में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उपराज्यपाल को शक्तियों प्रदान की गयी हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- आपदा प्रबंधन अधिनियम क्या है?
- इस अधिनियम के तहत स्थापित निकाय
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की संरचना
- आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्यों और केंद्र की शक्तियां
- अधिसूचित आपदा क्या है?
- NDRF के कार्य
मेंस लिंक:
क्या आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, देश के मुख्य आपदा प्रबंधन कानून के अनुकूल नहीं है? वर्तमान स्थिति में एक महामारी कानून की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
खिलौनों पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के निलंबन की मांग
(Toy traders want quality control order suspended)
संदर्भ:
फरवरी माह में केंद्र सरकार द्वारा खिलौना उद्योग के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Quality Control Order– QCO) जारी किये गए थे। हाल ही में, खिलौना व्यापारियों ने इस आदेश को कम से कम वर्ष तक निलंबित करने की मांग की है।
विषय की पृष्ठभूमि
खिलौना व्यापारियों का कहना है, वर्तमान स्थिति में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के लागू रहने से खिलौना उद्योग ठप्प हो सकता है।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) की स्कीम -1 की जटिलता तथा इस आदेश के अनुपालन हेतु 1 सितंबर, 2020 की समय सीमा रेखा के कारण खिलौना उद्योग पर वर्तमान स्थिति में ‘विनाशकारी प्रभाव’ पड़ेगा। अतः, इस आदेश को स्थगित करने की आवश्यकता है।
समय की मांग:
सरकार को घरेलू तथा विदेशी निर्माताओं के लिए, वर्ष 2017 से लागू नियमों के आधार पर, एक विस्तृत नीति तैयार करने हेतु खिलौना उद्योग के सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से वार्ता करनी चाहिए।
खिलौना (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश का विहंगावलोकन
- यह आदेश 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा खेलने हेतु खिलौने तथा / सामग्री, अथवा केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य उत्पादों के विनियमन से संबंधित है।
- इस आदेश को उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है।
आदेश में खिलौना सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण प्रावधान:
- खिलौनों को नवीनतम भारतीय मानक सूची के अनुरूप होने की आवश्यकता।
- भारतीय मानक ब्यूरो (अनुरूपता मूल्यांकन) विनियम, 2018 की योजना- I के अनुसार खिलौने पर भारतीय मानक चिह्न अर्थात आईएस मार्क का प्रयोग अनिवार्य होगा।
- यह नियम सभी आयातित तथा घरेलू खिलौना उत्पादों पर लागू होगा।
- भारतीय मानक ब्यूरो के लिए प्रमाणन तथा प्रवर्तन प्राधिकरण का दायित्व।
योजना- I का विहंगावलोकन:
- इस योजना के तहत, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा कारखानों तथा उत्पादों को आईएसआई मार्क प्रदान किया जाता है।
- बीआईएस का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिन उत्पादों को अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचाया गया है, वे उनके उपयोग के लिए सुरक्षित हैं तथा निर्धारित सभी गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों के अनुरूप हैं।
- भारत में, आईएसआई मार्क (ISI mark) बेहतर गुणवत्ता और सुरक्षा का पर्याय होता है।
सुरक्षा की आवश्यकता:
बच्चों के लिए खिलौने व अन्य सामग्री खरीदते समय माता-पिता के लिए ‘सुरक्षा तथा गुणवत्ता’ प्रमुख चिंता होती है।
- उद्योगों तथा सरकार के द्वारा समाज में सुरक्षा मानकों को लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाना चाहिए।
- भारतीय गुणवत्ता परिषद् द्वारा किए गए हालिया सर्वेक्षण से पता चलता है कि 67% आयातित खिलौने बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारतीय गुणवत्ता परिषद् के बारे में।
- खिलौने (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश किसके द्वारा जारी किया गया है?
- आदेश की प्रयोज्यता।
- भारतीय मानक ब्यूरो के बारे में।
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
तुर्की द्वारा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में ड्रिलिंग
संदर्भ:
हाल ही में, यूरोपीय संघ द्वारा तुर्की से भूमध्यसागरीय जल में ड्रिलिंग गतिविधियों को रोकने का आग्रह किया गया है, तथा यूरोपीय संघ के अधिकारियों को ऊर्जा अन्वेषण से संबंधित कुछ तुर्की अधिकारियों को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा गया है।
विवाद का विषय
हाल के कुछ हफ्तों से, पूर्वी भूमध्यसागरीय जल क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है। इसका कारण, प्रथमदृष्ट्या ऊर्जा संसाधनों पर एक सामान्य प्रतिस्पर्धा प्रतीत होता है।
- तुर्की इस क्षेत्र में आक्रामक रूप से गैस अन्वेषण में लगा हुआ है, तथा इसके अनुसंधान पोत की सुरक्षा में तुर्की नौसेना के युद्धपोतों तैनात है।
- इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी ग्रीक जहाजों तथा नाटो (NATO) समूह के देश, फ्रांस के साथ तुर्की की मुठभेड़ हो चुकी है। फ्रांस ने प्रतिस्पर्धा में ग्रीस का पक्ष लिया है।
- इस क्षेत्र में उत्पन्न हुए तनाव से एक और परिवर्तन उजागर हुआ हैं – अमेरिकी वर्चस्व में कमी।
इस तनाव के कारण:
तुर्की तथा ग्रीस के मध्य तनाव बढ़ता जा रहा है, इसका कारण तुर्की द्वारा भूमध्यसागर में स्थित द्वीपीय देश ‘साइप्रस’ के नजदीक की जा रही ‘ड्रिलिंग गतिविधियाँ’ है।
- ‘साइप्रस’, ग्रीस की भांति यूरोपीय संघ का सदस्य है।
- तुर्की, साइप्रस के विभाजित द्वीप को एक राज्य के रूप में मान्यता नहीं देता है तथा साइप्रस के अनन्य आर्थिक क्षेत्र के 44 प्रतिशत पर अपने अधिकार का दावा करता है।
- वर्ष 1974 में साइप्रस के ग्रीस में सम्मिलित होने के समर्थकों द्वारा तख्तापलट को रोकने हेतु तुर्की द्वारा आक्रमण किया गया तथा साइप्रस जातीय आधार पर विभाजित हो गया था।
भूमध्यसागर के बारे में:
भूमध्यसागर, यूरोप के दक्षिण, अफ्रीका के उत्तर और एशिया के पश्चिम में विस्तृत एक विशाल समुद्र है।
- भूमध्य सागर पश्चिम में जिब्राल्टर जलडमरूमध्य द्वारा अटलांटिक महासागर को जोड़ता है।
- यह पूर्व में डरडेंलीज़ (Dardanelles) तथा बोस्फोरस जलडमरूमध्य के माध्यम से क्रमशः मार्मारा सागर तथा काला सागर को जोड़ता है।
- दक्षिण पूर्व में 163 किमी लंबी कृत्रिम स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है।
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
अफ्रीका वाइल्ड पोलियो मुक्त घोषित
(Africa declared free of wild polio)
हाल ही में, अफ्रीका महाद्वीप को वाइल्ड पोलियो बीमारी से पूरी तरह से मुक्त घोषित कर दिया गया है। इसकी घोषणा एक स्वतंत्र एजेंसी अफ्रीका रीजनल सर्टिफिकेशन कमीशन द्वारा की गयी है।
अफ्रीका में अब केवल वैक्सीन-व्युत्पन्न (vaccine-derived) पोलियो वायरस बचा है।
किसी देश को वाइल्ड पोलियो मुक्त कब प्रमाणित किया जाता है?
- किसी देश में लगातार तीन वर्षों तक वायरस के साक्ष्य नहीं मिलने पर, देश को वाइल्ड पोलियो मुक्त प्रमाणित कर दिया जाता है।
- नाइजीरिया वाइल्ड पोलियो से मुक्त घोषित किया जाने वाला अंतिम अफ्रीकी देश है।
वाइल्ड पोलियो अभी भी किन देशों में मौजूद है?
वाइल्ड पोलियो अभी भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद है।
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियो वायरस क्या है?
- वैक्सीन-व्युत्पन्न (vaccine-derived), क्षीण हो चुके पोलियो वायरस का एक अंश होता है जिसे शुरू में मुंह से दी जाने वाली पोलियो वैक्सीन (oral polio vaccine (OPV)में सम्मिलित किया जाता है, तथा यह समय के साथ परिवर्तित होकर वाइल्ड पोलियो अथवा स्वाभाविक रूप से होने वाले वायरस की तरह व्यवहार करता है।
- इसका अर्थ है, कि यह उन लोगों में अधिक आसानी से फैल सकता है जिन्हें पोलियो के विरुद्ध टीका नहीं दिया गया है तथा यह किसी संक्रमित व्यक्ति के छींक, मल अथवा श्वसन के संपर्क में आने से फ़ैल सकता है। इन वायरस से लकवा आदि अन्य बीमारी भी हो सकती है।
यह किस प्रकार संचरित होता है?
- मुंह से दी जाने वाली पोलियो वैक्सीन (OPV) में एक क्षीण वैक्सीन-वायरस होता है, जो शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है।
- जब किसी बच्चे को ओपीवी से प्रतिरक्षित किया जाता है, तो क्षीण वैक्सीन-वायरस सीमित अवधि के लिए आंत में प्रतिकृतियों का निर्माण करता है, जिससे एंटीबॉडी का निर्माण होकर प्रतिरक्षा विकसित होती है।
- इसी दौरान, वैक्सीन-वायरस भी उत्सर्जित होता है। अपर्याप्त स्वच्छता के क्षेत्रों में, यह उत्सर्जित वैक्सीन-वायरस, पूर्णतया समाप्त होने से पूर्व तत्कालिक रूप से समुदाय में फैल सकता है।
प्रीलिम्स लिंक:
- कौन सा अफ्रीकी देश वाइल्ड पोलियो से मुक्त घोषित किया जाने वाला अंतिम अफ्रीकी देश बन गया?
- वे देश जहां अभी भी वाइल्ड पोलियो मौजूद है।
- एक क्षीण (कमजोर) वैक्सीन-वायरस क्या है?
- किसी देश को वाइल्ड पोलियो मुक्त कब प्रमाणित किया जाता है?
- अफ्रीका क्षेत्रीय प्रमाणन आयोग की संरचना और कार्य
मेंस लिंक:
वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियो वायरस (VDPV) तथा इससे संबंधित चिंताओं पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन-III
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
‘चुनौती’ – नेक्सट जनरेशन स्टार्ट-अप चैलेंज प्रतियोगिता
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘चुनौती’ – नेक्सट जनरेशन स्टार्टअप चलैंज प्रतियोगिता का शुभारम्भ किया गया है।
अभिप्राय और उद्देष्य:
- भारत के टियर-2 शहरों पर विशेष ध्यान देने के साथ स्टार्टअप्स और सॉफ्टवेयर उत्पादों को और बढ़ावा देना।
- चिन्हित क्षेत्रों में काम कर रहे लगभग 300 स्टार्टअप्स की पहचान करना और उन्हें 25 लाख रुपये तक की प्रारंभिक राशि (सीड फंड) तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना।
इस चुनौती प्रतियोगिता के तहत निम्नलिखित कार्य क्षेत्रों में स्टार्टअप को आमंत्रित किया जायेगा:
- आम जनता के लिए एडु-टेक, एग्री-टेक और फिन-टेक सॉल्यूशंस
- आपूर्ति श्रृंखला, लॉजिस्टिक्स और परिवहन प्रबंधन
- बुनियादी ढांचा और दूरस्थ निगरानी
- चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल, नैदानिक, रोकथाम तथा मनोचिकित्सकीय देखभाल
- नौकरियां और कौशल, भाषाई उपकरण और प्रौद्योगिकियां
चयनित स्टार्टअप के लिए लाभ:
- चुने गए स्टार्टअप को देश भर में फैले सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्कों के माध्यम से सरकार की ओर से विभिन्न सहायता प्रदान की जायेंगी।
- उन्हें ऊष्मायन सुविधाएं (इनक्यूबेशन फैसिलिटी), मेंटरशिप, सुरक्षा परीक्षण सुविधाएं, वेंचर कैपिटलिस्ट फंडिंग तक पहुंच, उद्योग से जुड़ने के साथ-साथ कानूनी सलाह, मानव संसाधन, आईपीआर और पेटेंट मामलों में सलाह दी जाएगी।
- 25 लाख रुपये तक की प्रारंभिक राशि (सीड फंड) के अलावा, स्टार्टअप को अग्रणी क्लाउड सेवा प्रदाताओं से क्लाउड क्रेडिट भी प्रदान किया जाएगा।
- प्रत्येक इंटर्न (प्री-इनक्यूबेशन के तहत) को 6 महीने की अवधि तक के लिए 10,000 रुपये/- प्रति माह दिए जाएंगे।
स्रोत: पीआईबी
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
बार्न उल्लू (सफेद उल्लू)
(Tyto alba)
- बार्न उल्लू (Barn Owls) का वैज्ञानिक नाम ‘टायटो अल्बा’ (Tyto alba) है, तथा इसे सफ़ेद उल्लू के नाम से भी जाना जाता है।
- बार्न उल्लू, विश्व में अंटार्कटिका के अलावा प्रत्येक महाद्वीप में पायी जाने वाली स्थलीय पक्षी प्रजाति है।
- इन उल्लुओं का आकार मध्यम होता है, तथा अन्य उल्लुओं की तुलना में इनके पंख तथा पैर लम्बे तथा पूंछ छोटी होती है।
- बार्न उल्लू दिखने में काफी ज्यादा सुंदर होता है। इसका मुंह दिल के आकार का होता है, जबकि रंग मटमैला और हल्का भूरा होता है।
- यह रात में शिकार करता है। जबकि दिन में आराम करना पसंद है। इसकी लंबाई 39 सेमी तक होती है। जबकि उड़ाने के वक्त यह 95 सेमी तक होता है।
- IUCN स्थिति: संकटमुक्त (Least Concern )
चर्चा का कारण
हाल ही में लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा कवरत्ती द्वीप में रोदेंट्स (चूहों) के जैविक नियंत्रण के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बार्न उल्लुओं का प्रयोग शुरू किया गया है।
एसोसिएशन ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसीज़ ऑफ स्टेट्स (AREAS)
संदर्भ:
AREAS का छठा स्थापना दिवस।
AREAS के बारे में:
- AREAS का गठन केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के द्वारा अक्षय ऊर्जा के लिए विभिन्न राज्य नोडल एजेंसियों (SNA) के बीच बेहतर समन्वय, वार्ता तथा अनुभव साझा करने के लिए किया गया था।
- AREAS के संरक्षक केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री तथा इसके पदेन अध्यक्ष MNRE के सचिव होते हैं।