INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 27 August

विषय – सूची:

 सामान्य अध्ययन-I

1. हरिकेन

 

सामान्य अध्ययन-II

1. भारत के महान्यायवादी

2. सशस्त्र बल न्यायाधिकरण

3. यूनाइटेड किंगडम की ‘ईट आउट टू हेल्प आउट’ योजना

 

सामान्य अध्ययन-III

1. केंद्रीय बैंक की आकस्मिकता निधि

2. निर्यात तत्परता सूचकांक 2020

3. राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान- एशिया के लिए परिवहन पहल

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. पम्पा नदी (Pampa River)

2. पुलिक्कली (Pulikkali)

3. हिजबुल्लाह (Hezbollah)

4. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 7 नए सर्कलों की घोषणा

 


सामान्य अध्ययन-I


 

विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ आदि।

हरिकेन


(Hurricanes)

चर्चा का कारण

हाल ही में, अमेरिका में आए हरिकेन लॉरा से दक्षिण-पश्चिमी लुइसिआना में भारी भूस्खलन हुआ है, इसे राज्य में अब तक का सबसे शक्तिशाली तूफान माना जा रहा है।

हरिकेन क्या होते हैं?

  1. हरिकेन, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का एक प्रकार होते हैं तथा यह उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में सबसे अधिक शक्तिशाली एवं विनाशकारी तूफान होते हैं। इनमे हवा की गति 119 किलोमीटर प्रति घंटे (74 मील प्रति घंटे) या उससे अधिक होती है।
  2. ये उष्ण महासागरीय जल में उत्पन्न होते हैं।

हरिकेन के भाग

  • आंख (Eye): तूफान के केंद्र में एक शांत क्षेत्र होता है, इसे तूफ़ान की ‘आंख’ कहते हैं। इस क्षेत्र में हल्की हवाएँ बहती हैं। आसमान में हलके बादल छाए रहते हैं तथा कभी-कभी आसमान बिल्कुल साफ होता है।
  • आँख की परिधि (Eye wall): तूफ़ान की आँख के चारो ओर एक झंझावातों की मेखला होती है। ये तूफ़ान ‘आँख के चारो ओर वृताकार पथ में घूमते है। आँख की परिधि में तेज हवाओं के साथ मूसलाधार वर्षा होती है।
  • वर्षा कटिबंध (Rain bands): हरिकेन की आँख की परिधि से बाहर की ओर दूर तक वर्षा कटिबंधो तथा बादलों का विस्तार होता है। इनके द्वारा गरज के साथ भारी वर्षा होती है तथा कभी-कभी टोरनाडो भी निर्मित हो जाते हैं।

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तूफ़ान का हरिकेन में रूपांतरण किस प्रकार होता है?

उष्णकटिबंधीय महासागरों में कुछ स्थानों पर महासागरीय सतह के गर्म होने पर वर्षा-युक्त बादलों का निर्माण होता होता है। हरिकेन की उत्पत्ति इन स्थानों पर होने वाले उष्णकटिबंधीय विक्षोभ (tropical disturbance) से आरंभ होती है।

  1. उष्णकटिबंधीय विक्षोभ कभी-कभी उष्णकटिबंधीय निम्नदाब (tropical depression) में परिवर्तित हो जाते हैं। इस क्षेत्र में तूफानी झंझावत निर्मित हो जाते है, इनमे वायु की गति 62 किमी / घंटा तक पहुँच जाती है।
  2. इन झंझावातों में हवाओं की गति 62 किमी/घंटा से अधिक होने पर उष्णकटिबंधीय निम्नदाब, उष्णकटिबंधीय तूफ़ान (tropical storm) में परिवर्तित हो जाते हैं।
  3. उष्णकटिबंधीय तूफ़ान में हवाओं की गति 119 किमी / घंटा (74 मील प्रति घंटा) से अधिक होने पर यह हरिकेन (Hurricane) बन जाता है।

हरिकेन की उत्पत्ति की दशाएं

  • उष्ण महासागरीय जल, किसी उष्णकटिबंधीय तूफ़ान को हरिकेन में बदलने हेतु आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। सामान्यतः हरिकेन के निर्माण के लिए महासागरीय सतह का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस (79 डिग्री फ़ारेनहाइट) या उससे अधिक होना आवश्यक है।
  • स्थिर हवाएं: हरिकेन के निर्माण के लिए हवाओं के ऊपर उठने पर उनकी गति तथा दिशा में अधिक परिवर्तन नहीं होना चाहिए। ऊंचाई के साथ हवाओं की गति तथा दिशा में परिवर्तन होने से तूफ़ान कई भागों में विभक्त होकर समाप्त हो सकता है।

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. हरिकेन की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार कारक
  2. विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रवात / हरिकेन का नामकरण
  3. भारत के पूर्वी तट में अधिक चक्रवात आने का कारण
  4. कोरिओलिस बल क्या है?
  5. संघनन की गुप्त ऊष्मा क्या है?

मेंस लिंक:

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार कारकों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

भारत के महान्यायवादी


(Attorney General of India )

संदर्भ:

हाल ही में, भारत के महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार के सलाह दी है कि, कोरोनोवायरस महामारी के दौरान लगाये गए लॉकडाउन के कारण राज्यों के लिए होने वाले ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (Goods and Services Tax GST) के नुकसान की पूरी भरपाई करनी चाहिए।

केंद्र सरकार द्वारा इस मामले पर अटॉर्नी जनरल से सलाह मांगी गयी थी।

भारत के महान्यायवादी- तथ्य:

भारत के महान्यायवादी केंद्र सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते है, और भारत के उच्चत्तम न्यायलय में इसके प्रधान अधिवक्ता होते हैं।

  • वह संघीय कार्यकारिणी का एक भाग होते है।

नियुक्ति और पात्रता:

महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 76 (1) के तहत की जाती है तथा वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारित करता है।

  • वह उच्चत्तम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए योग्य व्यक्ति होना चाहिए।
  • वह एक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • उसे भारत के किसी राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पांच वर्ष कार्य करने का अनुभव हो अथवा किसी उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में 10 साल पूरे किए हों।
  • राष्ट्रपति के मतानुसार वह न्यायायिक मामलों का विशेषज्ञ व्यक्ति हो।

कार्य एवं शक्तियां:

भारत सरकार के मुख्य क़ानून अधिकारी के रूप में महान्यायवादी के निम्नलिखित कर्तव्य हैं:

  • वह भारत सरकार को विधि संबंधी निर्दिष्ट कानूनी मामलों में सलाह प्रदान करता है। वह राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए अन्य विधिक कर्तव्यों का पालन भी करता है।
  • महान्यायवादी को भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार है। इसके अतिरिक्त संसद के दोनों सदनों में बोलने अथवा कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, उसे संसद की कार्यवाही में मतदान का अधिकार नहीं है।
  • महान्यायवादी, उच्चत्तम न्यायालय में सभी मामलों (मुकदमों, अपीलों और अन्य कार्यवाही सहित) भारत सरकार की ओर से पेश होता है।
  • वह संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति द्वारा संदर्भित मामलों में सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।
  • अटॉर्नी जनरल भारत सरकार के खिलाफ कोई सलाह अथवा विश्लेषण नहीं कर सकते।
  • बिना भारत सकरार की अनुमति के वह किसी आपराधिक मामले में किसी अभियुक्त का बचाव नहीं कर सकता तथा सरकार की अनुमति के बगैर किसी परिषद या कंपनी के निदेशक का पद ग्रहण नहीं कर सकता है।
  • महान्यायवादी को दो महाधिवक्ता (सॉलिसिटर जनरल) तथा चार अपर महाधिवक्ताओं द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. संविधान का अनुच्छेद 143
  2. महान्यायवादी और महाधिवक्ता की नियुक्ति कौन करता है?
  3. संसद की कार्यवाही में भाग लेने के लिए महान्यायवादी का अधिकार?
  4. महान्यायवादी के रूप में किसे नियुक्त किया जा सकता है?
  5. संविधान का अनुच्छेद 76 (1)
  6. संघीय की कार्यकारिणी में कौन सम्मिलित होता है?

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण


(Armed Forces Tribunal AFT)

संदर्भ:

हाल ही में, सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की मुख्य न्यायपीठ द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से क्षेत्रीय न्यायपीठों से संबंधित मामलों के सुनवाई की शुरूआत की गयी है।

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के बारे में:

  • यह भारत में एक सैन्य न्यायाधिकरण है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 2009 में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम, 2007 के तहत की गई थी।
  • सशस्त्र बल न्यायाधिकरण अधिनियम को 169वें विधि आयोग की रिपोर्ट तथा उच्चत्तम न्यायालय के विभिन्न निर्देशों के आधार पर पारित किया गया था।

कार्य एवं शक्तियां:

यह सेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957 और वायु सेना अधिनियम 1950 के अध्यधीन व्यक्तियों के बारे में कमीशन, नियुक्तियों, अभ्यावेशनों (enrolments) और सेवा शर्तों के संबंध में विवादों और शिकायतों का अधिनिर्णयन या सुनवाई करता है।

संरचना:

न्यायाधिकरण की प्रत्येक खंडपीठ में एक न्यायिक सदस्य तथा अन्य प्रशासनिक सदस्य होते हैं।

  • न्यायिक सदस्य उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है।
  • प्रशासनिक सदस्य के रूप में मेजर जनरल/समकक्ष या इससे ऊपर रैंक के सेवानिवृत सैन्य बल अधिकारी शामिल होते हैं। जज एडवोकेट जनरल (Judge Advocate GeneralJAG), सेना का विधिक व न्यायिक प्रमुख, को भी प्रशासनिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण का अध्यक्ष

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) के अध्यक्ष पद पर सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त किया जाता है।

अपवाद:

  • असम राइफल्स तथा तटरक्षक बल (Coast Guard) सहित अन्य अर्धसैनिक बल, सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र से बाहर होते हैं।
  • सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) को भारतीय दंड संहिता, और दंड प्रक्रिया संहिता के संदर्भ में एक दाण्डिक न्यायालय माना जाता है।
  • सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के फैसले के विरुद्ध अपील केवल उच्चतम न्यायालय में की जा सकती है। उच्च न्यायालयों को ऐसी अपीलों पर सुनवाई करने की अनुमति नहीं है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) की संरचना
  2. अर्धसैनिक बलों के संदर्भ में AFT की शक्तियां
  3. सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के अध्यक्ष- पात्रता और नियुक्ति
  4. AFT का क्षेत्राधिकार

मेंस लिंक:

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की शक्तियों और कार्यों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

यूनाइटेड किंगडम की ‘ईट आउट टू हेल्प आउट’ योजना


(UK’s ‘Eat Out to Help Out’ schemeEOHO Scheme)

EOHO योजना, COVID-19 लॉकडाउन के बाद आतिथ्य व्यवसायों (Hospitality Businesses) को कारोबार शुरू करने के लिए यूनाइटेड किंगडम सरकार द्वारा शुरू किया गया एक आर्थिक सुधार उपाय है।

इस योजना का उद्देश्य रेस्टोरेंट उद्योग को घाटे से उबारना तथा नौकरियों का सृजन करना है।

योजना की कार्यप्रणाली

  1. EOHO योजना के अंतर्गत, सरकार अगस्त महीने में प्रति सप्ताह सोमवार से बुधवार तक, रेस्तरां में भोजन (केवल खाद्य और गैर-मादक पेय) पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी देगी।
  2. इस छूट की अधिकतम सीमा 10 ब्रिटिश पौंड प्रति व्यक्ति होगी, तथा यह योजना रेस्टोरेंट से खाना पैक करा के ले जाने तथा किसी पार्टी कैटरिंग पर लागू नहीं होती है।
  3. ग्राहकों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए खर्च की कोई न्यूनतम सीमा निर्धारित नहीं है तथा न ही कोई संख्या सीमा तय की गयी है, इस योजना का उद्देश्य ग्राहकों को रेस्टोरेंट्स में भोजन करने को प्रोत्साहित करना है।
  4. EOHO योजना की कुल लागत 500 मिलियन ब्रिटिश पौंड होगी।

इस योजना की आवश्यकता

पूरे विश्व में, रेस्टोरेंट सेवा क्षेत्र महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

  • ब्रिटेन में, रेस्टोरेंट सेवा से संबंधित दो सबसे प्रमुख चिंताएं हैं; पहली, ग्राहक कोरोनावायरस के डर से रेस्टोरेंट में आने से बच रहे है तथा दूसरे, अधिकाँश लोग बाहर खाने पर खर्च करने हेतु अतिरिक्त आय की कमी का सामना कर रहे हैं।
  • यह योजना उपभोक्ताओं के लिए बाहर खाने को अधिक किफायती बनाती है और रेस्टोरेंट्स में मांग को बहाल करने में सहायता करती है।
  • उपभोक्ता मांग को बहाल करना ब्रिटेन की आर्थिक बहाली के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

योजना की आलोचना

इस योजना को काफी जल्दी शुरू किया जा रहा है, क्योंकि अभी तक स्पष्ट नहीं है, कि समस्या का कारण लोगों द्वारा बाहर खाने की अनिच्छा के कारण मांग में कमी है, अथवा ‘सामजिक दूरी’ के कारण, रेस्तरां द्वारा पर्याप्त लोगों को भोजन करा पाने में असमर्थ होने के कारण आपूर्ति में कमी है।

इस योजना में उच्च आय वाले व्यक्तियों सहित सभी को लाभान्वित किया गया है। उच्च आय वाले परिवार रेस्तरां में भोजन के लिए स्वतः ही आते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

केंद्रीय बैंक की आकस्मिकता निधि


संदर्भ:

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 73,615 करोड़ रुपये की एक बड़ी राशि केंद्रीय बैंक की आकस्मिकता निधि (Contingency FundCF) में स्थानांतरित की गयी है।

इससे आरबीआई की आकस्मिक निधि (CF) 264,034 करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गयी है।

केंद्र सरकार आरबीआई से किन प्रावधानों के तहत धन राशि प्राप्त करती है?

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 47 के तहत सरकार RBI के अधिशेष वित्त (Surplus Fund) का उपयोग कर सकती है।
  2. इस वर्ष आरबीआई द्वारा केंद्र सरकार द्वारा धन राशि का स्थानांतरण आरबीआई बोर्ड द्वारा पिछले वर्ष अपनाए गए आर्थिक पूंजी ढांचे (economic capital frameworkECF) के अनुसार किया गया था।

आकस्मिकता निधि क्या है?

आकस्मिकता निधि (Contingency Fund-CF) एक विशिष्ट प्रावधान है जिसके तहत अप्रत्याशित और अनपेक्षित आकस्मिकताओं को पूरा किया जाता है।

  • इसमें प्रतिभूतियों की कीमतों में मूल्यह्रास, मौद्रिक / विनिमय दर नीति संचालन से उत्पन्न जोखिम, प्रणालीगत जोखिम तथा रिज़र्व बैंक पर भारित विशेष जिम्मेदारियों के कारण उत्पन्न जोखिम को सम्मिलित किया जाता है।
  • यह राशि भारतीय रिज़र्व बैंक के भीतर ही प्रतिधारित होती है।

भारतीय रिज़र्व बैंक के जोखिम प्रावधान संबधी खाते:

केंद्रीय बैंक के प्रमुख जोखिम प्रावधान संबधी खाते हैं-

  • आकस्मिकता निधि,
  • मुद्रा एवं स्वर्ण पुनर्मूल्यन लेखा (Currency and Gold Revaluation Account- CGRA),
  • निवेश पुनर्मूल्यन लेखा-विदेशी प्रतिभूतियां (Investment Revaluation Account Foreign Securities: IRA-FS) ,

मुद्रा एवं स्वर्ण पुनर्मूल्यन लेखा (CGRA) क्या है?

  1. रिज़र्व बैंक, मुद्रा एवं स्वर्ण पुनर्मूल्यन लेखा (Currency and Gold Revaluation Account- CGRA) के द्वारा मुद्रा जोखिम, ब्याज दर जोखिम तथा सोने की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव पर निगरानी की जाती है।
  2. विदेशी मौद्रिक परिसंपत्तियों (foreign currency assets- FCA) तथा सोने के मूल्यांकन से होने वाले अप्राप्त पूंजी अभिलाभ अथवा हानि को आय खाते में नहीं रखा जाता है, बल्कि इसके बदले CGRA में में सम्मिलित कर दिया जाता है।
  3. मुद्रा एवं स्वर्ण पुनर्मूल्यन लेखा (CGRA), विनिमय दर / सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव के खिलाफ एक बफर प्रदान करता है।

IRA-FS तथा IRA-RS क्या हैं?

  1. विदेशी दिनांकित प्रतिभूतियों के पुनर्मूल्यांकन पर अप्राप्त पूंजी अभिलाभ या हानि को निवेश पुनर्मूल्यन लेखा-विदेशी प्रतिभूतियां (Investment Revaluation Account Foreign Securities: IRA-FS) में दर्ज किया जाता है।
  2. इसी तरह, पुनर्मूल्यांकन पर अप्राप्त पूंजी अभिलाभ या हानि को निवेश पुनर्मूल्यन लेखा-रुपया प्रतिभूतियां (Investment Revaluation Account-Rupee Securities: IRA-RS) में में दर्ज किया जाता है।

प्रीलिम्स लिंक:

निम्नलिखित के बारे में बताइए:

  1. IRA-FS और IRA-RS खाते
  2. CGRA खाता
  3. केंद्रीय बैंक की आकस्मिकता निधि (CF)
  4. आरबीआई अधिनियम की धारा 47

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

  

विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।

निर्यात तत्परता सूचकांक 2020


(Export Preparedness Index- EPI)

संदर्भ:

नीति आयोग ने प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान (Institute of Competitiveness) की साझीदारी में आज निर्यात तत्परता सूचकांक (Export Preparedness Index- EPI) 2020 पर रिपोर्ट जारी की।

निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI), भारतीय राज्यों की निर्यात तैयारियों व उनके प्रदर्शन की जांच करने वाली रिपोर्ट है।

राज्यों की रैंकिंग

  1. सूचकांक में राज्यों की रैंकिंग चार प्रमुख मापदंडों पर की गयी है – नीति, व्यवसाय परितंत्र, निर्यात परितंत्र, निर्यात निष्पादन।
  2. सूचकांक के तहत 11 उप-मापदंडों को भी ध्यान में रखा गया है – निर्यात संवर्धन नीति, संस्थागत संरचना, व्यवसाय वातावरण, अवसंरचना, परिवहन संपर्क, वित्त की सुविधा, निर्यात अवसंरचना, व्यापार सहायता, अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना, निर्यात विविधीकरण और विकास अनुकूलन।

रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएं:

  1. सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले तीन राज्य: गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु।
  2. स्थलरुद्ध राज्यों में, राजस्थान का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा है जिसके बाद तेलंगाना और हरियाणा का स्थान है।
  3. हिमालयी राज्यों में, उत्तराखंड शीर्ष स्थान पर है जिसके बाद त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश का स्थान है।
  4. केंद्र शासित प्रदेशो में दिन्नी ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है जिसके बाद गोवा और चंडीगढ़ हैं।
  5. नीतिगत मापदंडों पर, महाराष्ट्र सूचकांक में सबसे ऊपर है, इसके बाद गुजरात और झारखंड का स्थान है।
  6. व्यवसाय वातावरण में, गुजरात, दिल्ली और तमिलनाडु क्रमशः शीर्ष स्थानों पर है।
  7. निर्यात अवसंरचना मानक पर, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान क्रमशः सूचकांक में सबसे ऊपर है।
  8. निर्यात प्रदर्शन मापदंड पर, मिजोरम शीर्ष स्थान पर है, इसके बाद गुजरात और महाराष्ट्र का स्थान है।
  9. वर्तमान में, भारत का 70 प्रतिशत निर्यात, पांच राज्यों, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना द्वारा किया जाता है।

भारत में निर्यात संवर्धन को तीन बुनियादी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

  1. निर्यात अवसंरचनाओं में विभिन्न क्षेत्रों के मध्य तथा अंतःक्षेत्रीय विषमताएं,
  2. राज्यों के मध्य निम्न व्यापार सहायता तथा विकास अनुकूलन,
  3. जटिल एवं विशिष्ट निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निम्न अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना।

इन चुनौतियों का समाधान

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रमुख कार्यनीतियों पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है:

  1. निर्यात अवसंरचना का एक संयुक्त विकास,
  2. उद्योग-शैक्षिणक क्षेत्र संपर्क का सुदृढ़ीकरण,
  3. आर्थिक कूटनीति के लिए राज्य स्तरीय भागीदारी,
  4. स्थानीय उत्पादों के लिए डिजाइनों तथा मानकों का नवीनीकरण,
  5. केंद्र से इन उत्पादों के लिए समुचित सहायता।

आगे की राह

दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए निर्यात का तीव्र विकास एक महत्वपूर्ण घटक है। एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र, किसी देश को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में महत्वपूर्ण योगदान देने तथा वैश्विक स्तर पर एकीकृत उत्पादन नेटवर्क के लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI) कौन जारी करता है?
  2. विभिन्न श्रेणियों के तहत विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन।
  3. राज्यों की रैंकिंग किस प्रकार की गयी है?

मेंस लिंक:

निर्यात तत्परता सूचकांक (EPI) 2020 के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान- एशिया के लिए परिवहन पहल


[Nationally Determined Contributions (NDC)–Transport Initiative for Asia (TIA)]

संदर्भ:

हाल ही में नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान- एशिया के लिए परिवहन पहल [Nationally Determined Contributions (NDC)–Transport Initiative for Asia (TIA): NDC TIA] के भारत घटक का आरंभ किया गया है।

NDC- TIA के बारे में:

  1. यह जर्मनी के पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (International Climate InitiativeIKI), प्रकृति संरक्षण और परमाणु सुरक्षा (Nature Conservation and Nuclear Safety) द्वारा समर्थित एक संयुक्त कार्यक्रम है।
  2. इसका उद्देश्य भारत, वियतनाम और चीन में परिवहन को कार्बनमुक्त करने हेतु एक व्यापक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।
  3. इसे सात अन्य संगठनों के समूह द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  4. भारत सरकार की ओर से इस कार्यक्रम को नीति आयोग द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।

कार्यान्वयन:

  • NDC-TIA कार्यक्रम की अवधि 4 वर्ष है।
  • यह कार्यक्रम भारत तथा अन्य साझेदार देश परिवहन क्षेत्र में हितधारकों के समन्वय से दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति को सुगम बनायेगा।
  • यह कार्यक्रम सदस्य देशों को राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (NDCs) लक्ष्य को प्राप्त करने तथा परिवहन क्षेत्र में उनकी महत्वाकांक्षा को वर्ष 2025 तक पूरा करने में योगदान करेगा।

इस पहल की आवश्यकता:

  • भारत का परिवहन क्षेत्र काफी विशाल और विविध है तथा यह अरबों लोगों की जरूरतों को पूरा करता है।
  • भारत में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है, जो परिवहन के सभी साधनों में सर्वाधिक ग्रीनहाउस गैसों (GHG) का उत्सर्जन करता है।
  • बढ़ते शहरीकरण के साथ, वाहनों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है।
  • यह अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक वाहनों की कुल संख्या दोगुनी हो जाएगी।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ग्रीन हाउस गैसें क्या हैं?
  2. NDC-TIA कार्यक्रम के बारे में।
  3. कार्यक्रम का कार्यान्वयन
  4. उद्देश्य

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (NDC)-एशिया के लिए परिवहन (TIA) पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: पीआईबी

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


पम्पा नदी (Pampa River)

  • पम्पा नदी केरल में पेरियार और भरतपुझा के बाद तीसरी सबसे लंबी नदी है।
  • पम्पा नदी को ‘पंबा नदी’, दक्षिण भगीरथीतथा बारिस नदी (River Baris) के नाम से भी जाना जाता है।
  • भगवान अयप्पा को समर्पित सबरीमाला मंदिर पम्पा नदी के तट पर स्थित है।

पुलिक्कली (Pulikkali)

  • पुलिक्कली केरल राज्य की एक मनोरंजक लोक कला का एक स्वरूप है।
  • इसे मुख्य रूप से केरल में मनाये जाने वाले ओणम के अवसर पर लोगों का मनोरंजन करने के लिए प्रशिक्षित कलाकारों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
  • पुलिक्कली का शाब्दिक अर्थ बाघों का खेलहै।
  • पुलिककली की उत्पत्ति 200 साल से अधिक पुरानी है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस लोक कला को कोचीन के तत्कालीन महाराजा महाराजा राम वर्मा शक्त्न थमपुरन (Maharaja Rama Varma Sakthan Thampuran) द्वारा शुरू किया गया था।

हिजबुल्लाह (Hezbollah)

  • हिज़्बुल्लाह, लेबनान में स्थित एक शिया इस्लामवादी राजनीतिक पार्टी है।
  • इस संगठन की स्थापना, 1980 के दशक में लेबनानी शिया समूहों को एकजुट करने के लिए ईरानी प्रयासों के द्वारा की गई थी। ईरान-इजरायल टकराव में, हिजबुल्लाह ईरान के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में कार्य करता है।

चर्चा का कारण

  • हाल ही में इजराइल द्वारा लेबनान सीमा पर स्थिति हिजबुल्लाह की चौकियों पर हवाई हमले किए गए है।
  • इज़राइल और लेबनान में अभी भी तकनीकी रूप से युद्ध जारी हैं, तथा संयुक्त राष्ट्र के UNIFIL बल को युद्ध विराम की निगरानी का काम सौंपा गया है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 7 नए सर्कलों की घोषणा

हाल ही में संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 7 नए सर्कलों की घोषणा की गयी है।

  • नए सर्कल मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और गुजरात में बनाए गए हैं।
  • त्रिची, रायगंज, राजकोट, जबलपुर, झांसी और मेरठ को नए सर्किल के रूप में घोषित किया गया है। कर्नाटक में हम्पी शहर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्‍त स्थान है इसलिए हम्पी मिनी सर्कल को पूर्ण विकसित सर्कल में बदल दिया गया है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना वर्ष 1861 में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा की गयी थी, वह इसके पहले महानिदेशक थे।

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