विषय – सूची:
सामान्य अध्ययन-II
1. निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति
2. श्रीलंका में संविधान के 19वें संशोधन का निरस्तीकरण
3. अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना
4. प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
सामान्य अध्ययन-III
1. पार्टिसिपेटरी नोट्स क्या होते हैं?
2. थुंबीमहोत्सवम 2020
3. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. करिए म्यूजियम (Kariye Museum)
2. हरि पथ ऐप (Hari Path app)
3. राष्ट्रीय कैडेट कोर विस्तार
सामान्य अध्ययन-II
विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।
निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति
संदर्भ:
हाल ही में, संविधान के अनुच्छेद 324 के खंड (2) के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा राजीव कुमार (सेवानिवृत्त आईएएस) को चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया है।
भारत निर्वाचन आयोग के बारे में:
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिए संचालन, निर्देशन व नियंत्रण तथा निर्वाचन हेतु मतदाता सूची तैयार कराने के लिए निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है।
भारत निर्वाचन आयोग की संरचना
संविधान में चुनाव आयोग की संरचना के संबंध में निम्नलिखित उपबंध किये गए हैं:
- निर्वाचन आयोग मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य आयुक्तों से मिलकर बना होता है
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जायेगी
- जब कोई अन्य निर्वाचन आयुक्त इस प्रकार नियुक्त किया जाता है तो मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।
- राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग की सहायता के लिए आवश्यक समझने पर, निर्वाचन आयोग की सलाह से प्रादेशिक आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है।
- निर्वाचन आयुक्तों और प्रादेशिक आयुक्तों की सेवा शर्तें तथा पदावधि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जायेंगी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त
यद्यपि मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष होते हैं,फिर भी उनकी शक्तियाँ अन्य निर्वाचन आयुक्तों के सामान होती हैं। आयोग के सभी मामले सदस्यों के मध्य बहुमत के द्वारा तय किए जाते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों को वेतन, भत्ते व अन्य अनुलाभ एक-सामान प्राप्त होते हैं।
पदावधि
मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल छह वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तक होता है। वे राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं।
निष्कासन
- वे किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं या उन्हें कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व भी हटाया जा सकता है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति से व उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकता है, जिन पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है।
स्रोत: पीआईबी
विषय: भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।
श्रीलंका में संविधान के 19वें संशोधन का निरस्तीकरण
संदर्भ:
हाल ही में, श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा नव निर्वाचित संसद में अपने पहले संबोधन के दौरान, संविधान में 19वें संशोधन को निरस्त करने तथा एक नए संविधान की दिशा में काम करने के इरादे की घोषणा की गयी।
क्यों? इस संशोधन में राष्ट्रपति को प्राप्त अधिकारों को कम करके संसद को ज्यादा शक्तिशाली बनाया गया था।
राजपक्षे गुट का मानना है कि श्रीलंकाई संविधान के 19वें संशोधन के अनुच्छेदों को मुख्यतः इनके नेताओं की सत्ता में वापसी को रोकने के लिए सम्मिलित किया गया है।
19वें संवैधानिक संशोधन का अवलोकन:
इसे वर्ष 2015 में लागू किया गया था। इस कानून का उद्देश्य कार्यकारी राष्ट्रपति को वर्ष 1978 से प्राप्त कई शक्तियों को कम करना था।
संसोधन में सम्मिलित मुख्य प्रावधान:
- राष्ट्रपति और संसद के कार्यकाल को छह साल से घटा कर पांच साल करना।
- किसी व्यक्ति के राष्ट्रपति पद पर अधिकतम दो-कार्यकालों तक की नियुक्ति सीमा को पुनः लागू करना।
- राष्ट्रपति द्वारा केवल चार साल तथा छह माह के बाद ही संसद को भंग किया जा सकता है।
- संवैधानिक परिषद की बहाली तथा स्वतंत्र आयोगों की स्थापना।
- राष्ट्रपति कैबिनेट का प्रमुख बना रहेगा तथा वह प्रधान मंत्री की सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति कर सकता है।
19वे संशोधन को लागू करने के कारण
श्रीलंकाई संविधान में 18वें संशोधन द्वारा राष्ट्रपति को काफी शक्तिशाली बना दिया गया था, 19वे संशोधन को लागू करने का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति पद की शक्तियों को कमजोर करना था।
18वें संशोधन के द्वारा निम्नलिखित मुख्य चार परिवर्तन किये गए थे:
- किसी एक व्यक्ति के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचन हेतु निर्धारित सीमा समाप्त कर दी गयी;
- दस सदस्यीय संवैधानिक परिषद के स्थान पर पांच सदस्यीय संसदीय परिषद की स्थापना की गयी;
- स्वतंत्र आयोगों को राष्ट्रपति के अधीन लाया गया; तथा,
- इसके अंतर्गत राष्ट्रपति को तीन महीनों में एक बार संसद में उपस्थित होने के लिए आवश्यक किया गया तथा संसद में मतदान के अतिरिक्त, संसद-सदस्यों को प्राप्त सभी विशेषाधिकार, प्रतिरक्षा तथा शक्तियां प्रदान की गयी।
19वें संशोधन द्वारा उपरोक्त निर्णयों में से कई को उलट दिया गया तथा 17वें संशोधन की धाराओं को पुनः बहाल कर दिया गया था।
स्रोत: द हिंदू
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना
(Atal Bimit Vyakti Kalyan Yojna)
चर्चा का कारण
हाल ही में, कमर्चारी राज्य बीमा निगम (Employee’s State Insurance Corporation- ESIC) की अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के तहत पात्रता मानदंड में छूट एवं बेरोजगारी लाभ के भुगतान में वृद्धि की गयी है।
योजना के बारे में:
अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना, वर्ष 2018 में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) द्वारा शुरू की गयी थी।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य उन लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जिनकी रोज़गार के बदलते स्वरूप के कारण किसी भी वजह से नौकरी चली गयी है अथवा बेरोजगार हो गए हैं।
योजना के अंतर्गत किये गए नवीनतम परिवर्तन
राहत का लाभ उठाने के लिए पात्रता मानदंड में निम्नलिखित छूटें प्रदान की गयी है:
- अधिकतम 90 दिनों की बेरोजगारी होने पर राहत भुगतान को औसत मजदूरी देय के 25 प्रतिशत के स्थान पर अब 50 प्रतिशत कर दिया गया है।
- राहत लाभ, 90 दिनों की बेरोजगारी के बाद देय होने के स्थान पर अब 30 दिनों की बेरोजगारी के बाद भुगतान हेतु देय हो जाएगा।
- बीमित व्यक्ति सीधे ESIC शाखा कार्यालय में अपना दावा जमा करा सकता है।
- बीमित व्यक्ति को उसकी बेरोजगारी से पूर्व कम से कम दो वर्ष की अवधि तक बीमा योग्य रोजगार में होना चाहिए तथा बेरोजगारी से ठीक पहले कुल योगदान अवधि में कम से कम 78 दिनों तक योगदान होना आवश्यक है।
स्रोत: पीआईबी
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
चर्चा का कारण
सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) परियोजनाओं के कार्यान्वयन में रिकॉर्ड 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है।
प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के बारे में:
- प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जिसे सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम मंत्रालय (MoMSME) द्वारा प्रशासित किया जाता है।
- इसे वर्ष 2008-09 में शुरू किया गया था। यह एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना है, जो सूक्ष्म-उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देती है।
- इसके अंतर्गत MSME मंत्रालय के माध्यम से सरकार द्वारा विनिर्माण क्षेत्र में 25 लाख रूपए तक के ऋण तथा सेवा क्षेत्र में 10 लाख रूपए तक के ऋण पर 35% तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है।
कार्यान्वयन
राष्ट्रीय स्तर पर: प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) योजना को राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वित करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) नोडल एजेंसी है।
राज्य स्तर पर – PMEGP को राज्य स्तर पर, राज्य खादी और ग्रामोद्योग आयोग निदेशालय, राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (KVIB), जिला उद्योग केंद्र (DIC) तथा बैंकों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
पात्रता:
- इस योजना के अंतर्गत, 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह, पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत संस्थाएँ, उत्पादन सहकारी समितियाँ और धर्मार्थ ट्रस्ट लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं।
- भारत सरकार अथवा राज्य सरकार की किसी अन्य योजना के तहत सरकारी सब्सिडी का लाभ ले चुकी इकाइयाँ तथा वर्तमान में कार्यशील इकाईयां इस योजना के तहत पात्र नहीं हैं।
- केवल नई स्थापित परियोजनाओं को प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत स्वीकृति के लिए पात्र माना जाता है।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन-III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
पार्टिसिपेटरी नोट्स क्या होते हैं?
[Participatory Notes (P-Notes)]
संदर्भ:
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के आंकड़ो के अनुसार,- घरेलू पूंजी बाजार में पी-नोट्स (सहभागी नोट/ पार्टिसिपेटरी नोट्स/ P-notes/ PNs) के माध्यम से लगातार वृद्धि जारी है। जुलाई माह के अंत तक निवेश 63,288 करोड़ रूपए पर पहुँच गया। यह लगातार चौथा महीना है जब पी-नोट्स के जरिये निवेश में वृद्धि हुई है।
जुलाई माह तक पी-नोट्स के माध्यम से किए गए कुल निवेश राशि में से, 52,356 करोड़ रुपये इक्विटी में, 10,429 करोड़ रुपये ऋण, संकर प्रतिभूतियों (Hybrid Securities) में 250 करोड़ रुपये तथा डेरिवेटिव्स (Derivatives) में 190 करोड़ रुपये का निवेश किया गया।
पार्टिसिपेटरी नोट्स क्या होते हैं?
पार्टिसिपेटरी नोट्स अथवा पी-नोट्स (PNs) पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) द्वारा, विदेशी निवेशकों, हेज फंड और विदेशी संस्थानों को जारी किए गए वित्तीय उपकरण होते हैं, जो सेबी में पंजीकृत हुए बिना भारतीय भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश करना चाहते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु
- पी-नोट्स, इक्विटी शेयर सहित ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ODIs) अथवा अंतर्निहित परिसंपत्तियों के रूप में ऋण प्रतिभूतियां होते हैं।
- ये निवेशकों को तरलता (liquidity) प्रदान करते हैं तथा इनके स्वामित्व को पृष्ठांकन (Endorsement) और डिलिवरी के माध्यम से स्थान्तरित किया जा सकता है।
- हालांकि, सभी विदेशी संस्थागत निवेशक ( Foreign Institutional Investors- FIIs) को प्रत्येक तिमाही में सेबी के लिए इस प्रकार के सभी निवेशों की रिपोर्ट करनी होती है, परन्तु उनके लिए वास्तविक निवेशकों की पहचान का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
सरकार तथा विनियामक के लिए चिंता का कारण
- पी-नोट्स संबंधी चिंता का मुख्य कारण इनकी अपारदर्शी प्रकृति है, जिससे ये निवेशक भारतीय नियामकों की पहुंच से बाहर हो सकते हैं।
- इसके अलावा, यह माना जाता है, कि पी-नोट्स का उपयोग चालाक व धनी भारतीय व्यवसायियों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग में किया जा रहा है। ये लोग पी-नोट्स का उपयोग काले धन को वापस लाने तथा अपने स्टॉक की कीमतों में हेराफेरी करने में करते है।
स्रोत: द हिंदू
शामिल विषय: संरक्षण और जैव विविधता से संबंधित मुद्दे।
थुंबीमहोत्सवम 2020
(Thumbimahotsavam 2020)
संदर्भ:
यह केरल में पहली बार आयोजित किया जाने वाला राज्य ड्रैगनफ्लाई फेस्टिवल (Dragonfly Festival) है।
इसे वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया की राज्य इकाई द्वारा ‘सोसाइटी फॉर ओडोनेट स्टडीज़’ (SOS) तथा थुंबिपुरनम (Thumbipuranam) के साथ संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।
उत्सव का आधिकारिक शुभंकर: ‘पंटालु‘ (Pantalu) ।
राष्ट्रीय ड्रैगनफ्लाई उत्सव
- यह राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) तथा IUCN के सहयोग से WWF इंडिया, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और इंडियन ड्रैगनफ्लाई सोसाइटी द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय ड्रैगनफ्लाई उत्सव का हिस्सा है।
- ड्रैगनफ्लाई फेस्टिवल का आरंभ वर्ष 2018 में किया गया था।
- इसका उद्देश्य ड्रैगनफ्लाई तथा इस प्रजाति के अन्य सदस्यों द्वारा हमारे पर्यावरण में निभाई जाने वाली भूमिका के बारे में बताना तथा अन्य जानकारी प्रदान करना है।
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के बारे में:
यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है।
स्थापना: वर्ष 1961
मुख्यालय – ग्लैंड (Gland) (स्विट्जरलैंड)।
उद्देश्य: वन्य संरक्षण एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले मानव प्रभाव की रोकथाम।
रिपोर्ट और कार्यक्रम:
- लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (Living Planet Report)- इसे वर्ष 1998 से प्रति दो वर्ष में WWF द्वारा प्रकाशित किया जाता है। यह रिपोर्ट लिविंग प्लैनेट इंडेक्स तथा इकोलॉजिकल फुटप्रिंट कैलकुलेशन (Ecological Footprint Calculation) के आधार पर तैयार की जाती है।
- अर्थ ऑवर (Earth hour)
- डेट-फॉर-नेचर कार्यक्रम (Debt-for-nature swaps): इसके अंतर्गत विकासशील देश के विदेशी ऋणभार का एक अंश इस शर्त पर माफ़ कर दिया जाता है कि वह पर्यावरण संरक्षण हेतु स्थानीय स्तर पर निवेश करेगा।
- ‘मरीन स्टीवार्डशिप काउंसिल’ (Marine Stewardship council- MSC): यह एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संगठन है जो स्थायी रूप से मछली पकड़ने हेतु मानक निर्धारित करता है।
- हेल्दी ग्रोन पोटैटो (Healthy Grown Potato): यह WWF का एक इको-ब्रांड है, जो उपभोक्ता के लिए उच्च गुणवत्ता वाले , संवहनीय तरीकों से विकसित, और अच्छी तरह से पैक किये गए आलू उपलब्ध कराता है।
स्रोत: द हिंदू
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
(State Pollution Control Boards)
संदर्भ:
उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को पिछले 10 वर्षों से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य सचिव के रूप में नौकरशाहों की नियुक्ति करने पर नोटिस जारी किया गया है।
चर्चा का विषय:
हाल ही में एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा ओडिशा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी थी, जिसमे निम्नलिखित बिंदुओ पर न्यायालय का ध्यान आकर्षित कराया गया था:
- जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 4, तथा वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) 1981 की धारा 4 के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्णकालिक सदस्य सचिव की नियुक्ति तथा पूर्णकालिक अथवा अंशकालिक अध्यक्ष को नामित करने का प्रावधान है।
- किंतु, पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (OSPCB) में पदों को बिना किसी चयन प्रक्रिया का पालन किए क्रमशः IAS तथा IFS के कैडर के अधिकारियों से भरा जाता है।
- कई अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं। चूंकि इन पदों पर नियुक्ति के लिए वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग या प्रबंधन योग्यता और अनुभव की आवश्यकता होती है, इस देखते हुए ‘राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण’ (NGT), नई दिल्ली में भी एक मामला दायर किया गया था। NGT ने वर्ष 2016 के एक आदेश में भी इसी तरह की राय व्यक्त की।
- सितंबर 2017 में, उच्चत्तम न्यायालय द्वारा राज्य सरकारों को छह महीने की समयावधि में इन पदों पर नियुक्ति हेतु योग्यता और अनुभव के बारे में नीति तैयार करने का निर्देश दिया गया था।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बारे में:
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन ‘जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत किया जाता है।
- वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 में राज्य स्तर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) को वायु गुणवत्ता में सुधार नियंत्रण एवं वायु प्रदूषण के उन्मूलन से संबंधित किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देने का प्रावधान किया गया है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संरचना
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा नामित किया जाता है।
कार्य एवं दायित्व
उपरोक्त अधिनियमों के अलावा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम,1986 के तहत बनाए गए निम्नलिखित नियम और अधिसूचनाओं को भी लागू किया जाता है:
- हानिकारक अपशिष्ट (प्रबंधन और पारगमन गतिविधि) नियम, 2016
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006
- जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000
- निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम, 1991
- फ्लाई ऐश अधिसूचना, 1999 और 2008
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
करिए म्यूजियम (Kariye Museum)
यह तुर्की में स्थित है।
चर्चा का कारण
- हाल ही में, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन द्वारा एतिहासक चोरा चर्च (Chora church) को एक मस्जिद में बदलने का आदेश जारी किया गया है।
- चौथी सदी के इस प्राचीन चर्च को ऑटोमन साम्राज्य के दौर में मस्जिद में बदल दिया गया था।
- वर्ष 1945 में तत्कालीन तुर्की सरकार द्वारा इसे म्यूजियम (करिए म्यूजियम) के रूप में घोषित कर दिया गया था।
- करिए (चोरा) संग्रहालय को मस्जिद में बदलने का निर्णय यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने के एक महीने के बाद किया गया है।
हरि पथ ऐप (Hari Path app)
- यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा हाल ही में लॉन्च किया गया एक मोबाइल ऐप है।
- यह राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण की निगरानी करेगा।
राष्ट्रीय कैडेट कोर विस्तार
संदर्भ: हाल ही में, रक्षा मंत्री द्वारा सभी सीमावर्ती और तटीय जिलों में युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक प्रमुख विस्तार योजना के तहत राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु:
- 173 सीमावर्ती और तटीय जिलों से कुल एक लाख कैडेटों को NCC में शामिल किया जायेगा। एक तिहाई कैडेट महिला कैडेट होंगी।
- सीमावर्ती एवं तटीय जिलों में से 1,000 से अधिक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की पहचान की गई है जिनमे NCC लागू की जायेगी।
- सेना सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित NCC यूनिट्स को प्रशिक्षण एवं प्रशासनिक सहायता उपलब्ध करायेगी, नौसेना तटीय क्षेत्रों में NCC यूनिट्स को सहायता प्रदान करेगी तथा इसी प्रकार वायु सेना एयर फोर्स स्टेशनों के निकट स्थित NCC यूनिट्स को सहायता उपलब्ध करायेगी।
महत्व:
यह सीमावर्ती एवं तटीय क्षेत्रों के युवाओं को न केवल सैन्य प्रशिक्षण तथा जीवन के अनुशासित तरीके का व्यवहारिक ज्ञान उपलब्ध करायेगा, बल्कि उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए भी प्रेरित करेगा।









