HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित में से कौन-से कारक चट्टानों की अपक्षय को बढ़ा/ तीव्र कर सकते हैं
- जल का रिसाव
- वायु प्रदूषण
- तुषार की क्रिया
- तापीय तनाव
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: d)
- चट्टान की दरारों में जल का रिसाव होता रहता है। यदि तापमान अत्यधिक कम हो जाता है, तो यह जल जम जाता है। जब जल जम जाता है, तो इसमें विस्तार होता है।
- बर्फ तब एक पच्चर (wedge) के रूप में कार्य करती है। यह धीरे-धीरे दरारों को चौड़ा करती है और चट्टान को विखंडित कर देती है। जब बर्फ पिघलती है, तो चट्टानों के विखंडन से प्राप्त सूक्ष्म टुकड़े अपरदन का कार्य करते हैं।
- अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन मानवीय गतिविधियां इसे तीव्र कर सकती हैं।
- उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार के वायु प्रदूषण से अपक्षय की दर बढ़ जाती है। कोयला, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम के दहन से वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे रसायनों का उत्सर्जन होता है। जब ये रसायन सूर्यताप और नमी के साथ संगठित हो जाते हैं, तो वे एसिड में बदल जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप अम्ल वर्षा होती हैं।
- अम्ल वर्षा तेजी से चूना पत्थर, संगमरमर, और अन्य प्रकार के पत्थरों का अपक्षय करती है। अम्ल वर्षा का प्रभाव अक्सर समाधि पर लगे पत्थरों पर अधिक देखा जा सकता है, जिससे उन पर अंकित नाम और अन्य अभिलेखों को पढ़ना असंभव हो जाता है।
- तापमान के परिवर्तन के कारण चट्टान के विस्तार और संकुचन से तापीय तनाव अपक्षय की क्रिया होती है।
- उदाहरण के लिए, सूर्यतप या अग्नि से चट्टानों के गर्म होने से उनके घटक खनिजों में विस्तार हो जात है।
- जैसा कि कुछ खनिजों में दूसरों की तुलना में अधिक विस्तार होता है, तापमान परिवर्तन में अंतर से तनाव उत्पन्न होता है जो अंततः चट्टानों के विखंडन का कारण बनता है।
Incorrect
उत्तर: d)
- चट्टान की दरारों में जल का रिसाव होता रहता है। यदि तापमान अत्यधिक कम हो जाता है, तो यह जल जम जाता है। जब जल जम जाता है, तो इसमें विस्तार होता है।
- बर्फ तब एक पच्चर (wedge) के रूप में कार्य करती है। यह धीरे-धीरे दरारों को चौड़ा करती है और चट्टान को विखंडित कर देती है। जब बर्फ पिघलती है, तो चट्टानों के विखंडन से प्राप्त सूक्ष्म टुकड़े अपरदन का कार्य करते हैं।
- अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन मानवीय गतिविधियां इसे तीव्र कर सकती हैं।
- उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार के वायु प्रदूषण से अपक्षय की दर बढ़ जाती है। कोयला, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम के दहन से वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे रसायनों का उत्सर्जन होता है। जब ये रसायन सूर्यताप और नमी के साथ संगठित हो जाते हैं, तो वे एसिड में बदल जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप अम्ल वर्षा होती हैं।
- अम्ल वर्षा तेजी से चूना पत्थर, संगमरमर, और अन्य प्रकार के पत्थरों का अपक्षय करती है। अम्ल वर्षा का प्रभाव अक्सर समाधि पर लगे पत्थरों पर अधिक देखा जा सकता है, जिससे उन पर अंकित नाम और अन्य अभिलेखों को पढ़ना असंभव हो जाता है।
- तापमान के परिवर्तन के कारण चट्टान के विस्तार और संकुचन से तापीय तनाव अपक्षय की क्रिया होती है।
- उदाहरण के लिए, सूर्यतप या अग्नि से चट्टानों के गर्म होने से उनके घटक खनिजों में विस्तार हो जात है।
- जैसा कि कुछ खनिजों में दूसरों की तुलना में अधिक विस्तार होता है, तापमान परिवर्तन में अंतर से तनाव उत्पन्न होता है जो अंततः चट्टानों के विखंडन का कारण बनता है।
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Question 2 of 5
2. Question
निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में आपको मौसम की प्रवृति में अत्यधिक परिवर्तनशीलता की संभावना दृष्टिगत हो सकती है?
Correct
उत्तर: b)
- जलवायु पर समुद्र का मॉडरेशन प्रभाव की अनुपस्थिति के कारण, विशाल महाद्वीपों के आंतरिक क्षेत्रों में अत्यधिक तापमान पाया जाता है। इस प्रभाव को महाद्वीपीयता कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि केवल स्थल खंड से घिरा होने के कारण समुद्रों का निम्न मॉडरेशन प्रभाव होता है।
- तटीय क्षेत्रों पर स्थलीय और समुद्री समीर प्रवाहित होती है जो जलवायु को संतुलित रखती है।
- ऐसा ही विशाल जल निकायों के निकट स्थित मैदानों के सन्दर्भ में भी कहा जा सकता है।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तापमान और वर्षा में अधिक भिन्नता नहीं देखी जाती है।
Incorrect
उत्तर: b)
- जलवायु पर समुद्र का मॉडरेशन प्रभाव की अनुपस्थिति के कारण, विशाल महाद्वीपों के आंतरिक क्षेत्रों में अत्यधिक तापमान पाया जाता है। इस प्रभाव को महाद्वीपीयता कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि केवल स्थल खंड से घिरा होने के कारण समुद्रों का निम्न मॉडरेशन प्रभाव होता है।
- तटीय क्षेत्रों पर स्थलीय और समुद्री समीर प्रवाहित होती है जो जलवायु को संतुलित रखती है।
- ऐसा ही विशाल जल निकायों के निकट स्थित मैदानों के सन्दर्भ में भी कहा जा सकता है।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तापमान और वर्षा में अधिक भिन्नता नहीं देखी जाती है।
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Question 3 of 5
3. Question
काली मृदा के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह अत्यधिक छिद्रयुक्त होती है
- यह मालवा पठार पर पाई जा सकता है
- यह पोटाश में समृद्ध होती है, लेकिन कैल्शियम कार्बोनेट की मात्रा अति निम्न होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
- काली मृदा को रेगुर मृदा के रूप में भी जाना जाता है।
- काली मृदा कपास उगाने के लिए आदर्श होती है और इसे काली कपास मृदा के रूप में भी जाना जाता है।
- काली मृदा अति सूक्ष्म कणों अर्थात क्ले से निर्मित होती है। यह नमी धारण करने की अपनी क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं।
- इसमें गर्म मौसम के दौरान गहरी दरारें विकसित हो जाती हैं, जो मृदा के उचित वातन (aeration) में मदद करती हैं।
- यह कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, पोटाश और चूने जैसे पोषक तत्वों में समृद्ध होती हैं। इस मृदा में आमतौर पर फॉस्फोरिक की मात्रा अति निम्न होती है।
- यह माना जाता है कि मूल रॉक सामग्री के साथ-साथ जलवायु परिस्थिति, काली मृदा के गठन के लिए महत्वपूर्ण कारक हैं।
- इस प्रकार की मृदा उत्तर-पश्चिमी दक्कन के पठार पर विस्तृत डेक्कन ट्रैप (बेसाल्ट) क्षेत्र की विशिष्टता है और यह लावा प्रवाह से निर्मित है।
- यह महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठारों पर विस्तृत है और गोदावरी एवं कृष्णा घाटियों के साथ दक्षिण-पूर्व दिशा में विस्तारित है।
Incorrect
उत्तर: a)
- काली मृदा को रेगुर मृदा के रूप में भी जाना जाता है।
- काली मृदा कपास उगाने के लिए आदर्श होती है और इसे काली कपास मृदा के रूप में भी जाना जाता है।
- काली मृदा अति सूक्ष्म कणों अर्थात क्ले से निर्मित होती है। यह नमी धारण करने की अपनी क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं।
- इसमें गर्म मौसम के दौरान गहरी दरारें विकसित हो जाती हैं, जो मृदा के उचित वातन (aeration) में मदद करती हैं।
- यह कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, पोटाश और चूने जैसे पोषक तत्वों में समृद्ध होती हैं। इस मृदा में आमतौर पर फॉस्फोरिक की मात्रा अति निम्न होती है।
- यह माना जाता है कि मूल रॉक सामग्री के साथ-साथ जलवायु परिस्थिति, काली मृदा के गठन के लिए महत्वपूर्ण कारक हैं।
- इस प्रकार की मृदा उत्तर-पश्चिमी दक्कन के पठार पर विस्तृत डेक्कन ट्रैप (बेसाल्ट) क्षेत्र की विशिष्टता है और यह लावा प्रवाह से निर्मित है।
- यह महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठारों पर विस्तृत है और गोदावरी एवं कृष्णा घाटियों के साथ दक्षिण-पूर्व दिशा में विस्तारित है।
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Question 4 of 5
4. Question
निम्नलिखित में से कौन-सी एशियाई नदी पूर्व की ओर प्रवाहित होती है और पूर्वी चीन सागर में गिरती है?
Correct
उत्तर: a)
Incorrect
उत्तर: a)
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Question 5 of 5
5. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- बड़े बंदरगाहों के निर्माण के लिए डेल्टाओं की तुलना में ज्वारनदमुख अधिक अनुकूल होते हैं।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में चूनापत्थर वनस्पति (Limestone vegetation) प्रतिवर्ष होने वाली भारी वर्षा के कारण अत्यधिक समृद्ध होती है।
- रिया तट, फियोर्ड तट, ज्वारनदमुख तट और डालमटियन तट उन्मज्जित तट के उदाहरण हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: a)
उन्मज्जित तट (Coastlines of Emergence)
- ये या तो भूमि के उत्थान या समुद्र तल में कमी होने के कारण निर्मित होते हैं। बार्स, स्पिट्स, लैगून, लवणीय दलदल, समुद्र तट, समुद्री क्लिफ और मेहराब इसकी विशिष्ट विशेषताएं हैं।
- भारत का पूर्वी तट, विशेषकर इसका दक्षिण-पूर्वी भाग (तमिलनाडु तट), उन्मज्जित तट प्रतीत होता है।
- दूसरी ओर, भारत का पश्चिमी तट, उन्मज्जन और निमज्जन दोनों का उदाहरण है। तट का उत्तरी भाग भ्रंश के परिणामस्वरूप जलमग्न हो गया है और दक्षिणी भाग (केरल तट) उन्मज्जन तट का एक उदाहरण है।
निमज्जित तट (Coastlines of Submergence)
- निमज्जित तट का निर्माण या तो भूमि के अवतलन द्वारा या समुद्र के स्तर में वृद्धि से होता है।
- रिया तटों, फियोर्ड तटों, डालमटियन तटों और निम्न भूमि इसकी विशिष्ट विशेषताएं हैं।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में चूनापत्थर वनस्पति (Limestone vegetation) प्रतिवर्ष होने वाली भारी वर्षा के कारण अत्यधिक समृद्ध होती है।
Incorrect
उत्तर: a)
उन्मज्जित तट (Coastlines of Emergence)
- ये या तो भूमि के उत्थान या समुद्र तल में कमी होने के कारण निर्मित होते हैं। बार्स, स्पिट्स, लैगून, लवणीय दलदल, समुद्र तट, समुद्री क्लिफ और मेहराब इसकी विशिष्ट विशेषताएं हैं।
- भारत का पूर्वी तट, विशेषकर इसका दक्षिण-पूर्वी भाग (तमिलनाडु तट), उन्मज्जित तट प्रतीत होता है।
- दूसरी ओर, भारत का पश्चिमी तट, उन्मज्जन और निमज्जन दोनों का उदाहरण है। तट का उत्तरी भाग भ्रंश के परिणामस्वरूप जलमग्न हो गया है और दक्षिणी भाग (केरल तट) उन्मज्जन तट का एक उदाहरण है।
निमज्जित तट (Coastlines of Submergence)
- निमज्जित तट का निर्माण या तो भूमि के अवतलन द्वारा या समुद्र के स्तर में वृद्धि से होता है।
- रिया तटों, फियोर्ड तटों, डालमटियन तटों और निम्न भूमि इसकी विशिष्ट विशेषताएं हैं।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में चूनापत्थर वनस्पति (Limestone vegetation) प्रतिवर्ष होने वाली भारी वर्षा के कारण अत्यधिक समृद्ध होती है।