HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
कोर मुद्रास्फीति (Core Inflation) निम्नलिखित में से किन वस्तुओं के मूल्य वृद्धि का संकेतक नहीं है?
- उपभोक्ता वस्तुओं का
- हाइड्रोकार्बन ईंधन का
- खाद्य उत्पादों का
- आईटी उत्पादों का
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: c)
- कोर मुद्रास्फीति (Core Inflation) को अंतर्निहित मुद्रास्फीति के रूप में भी जाना जाता है। यह मुद्रास्फीति की एक माप है जिसमें अस्थिर मूल्य संचलन, विशेष रूप से खाद्य और ऊर्जा वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है। दूसरे शब्दों में, कोर मुद्रास्फीति कुछ और नहीं बल्कि हेडलाइन मुद्रास्फीति – मुद्रास्फीति होती है जिसमें खाद्य और ऊर्जा वस्तुओं का योगदान होता है।
Incorrect
उत्तर: c)
- कोर मुद्रास्फीति (Core Inflation) को अंतर्निहित मुद्रास्फीति के रूप में भी जाना जाता है। यह मुद्रास्फीति की एक माप है जिसमें अस्थिर मूल्य संचलन, विशेष रूप से खाद्य और ऊर्जा वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है। दूसरे शब्दों में, कोर मुद्रास्फीति कुछ और नहीं बल्कि हेडलाइन मुद्रास्फीति – मुद्रास्फीति होती है जिसमें खाद्य और ऊर्जा वस्तुओं का योगदान होता है।
-
Question 2 of 5
2. Question
लॉफ़र वक्र (Laffer curve) निम्नलिखित में से किनके मध्य के संबंध को दर्शाता है
Correct
उत्तर: d)
- अर्थशास्त्र में, आपूर्ति-पक्ष से सम्बंधित अर्थशास्त्री आर्थर लफ़र द्वारा विकसित लॉफ़र वक्र (Laffer curve), कराधान की दरों और इसके परिणामस्वरूप सरकार के कर राजस्व के स्तर के बीच सैद्धांतिक संबंध को दर्शाता है। लाफ़र वक्र के अनुसार किसी कर राजस्व को 0% और 100% की चरम कर दरों तक नहीं बढ़ाया जा सकता है, और यह 0% और 100% के बीच की कर की दर है जो सरकार के कर राजस्व को अधिकतम करती है।
- वक्र का आकार कर योग्य आय लोच का एक कार्य है – अर्थात, कराधान की दर में परिवर्तन के प्रतिउत्तर में कर योग्य आय में परिवर्तन होता है।
- लॉफ़र वक्र को आमतौर पर एक ग्राफ के रूप में दर्शाया जाता है जो शून्य राजस्व के साथ 0% कर से शुरू होता है, कराधान की एक मध्यवर्ती दर पर राजस्व की अधिकतम दर तक बढ़ता है, और पुनः 100% कर की दर से शून्य राजस्व तक गिर जाता है।
Incorrect
उत्तर: d)
- अर्थशास्त्र में, आपूर्ति-पक्ष से सम्बंधित अर्थशास्त्री आर्थर लफ़र द्वारा विकसित लॉफ़र वक्र (Laffer curve), कराधान की दरों और इसके परिणामस्वरूप सरकार के कर राजस्व के स्तर के बीच सैद्धांतिक संबंध को दर्शाता है। लाफ़र वक्र के अनुसार किसी कर राजस्व को 0% और 100% की चरम कर दरों तक नहीं बढ़ाया जा सकता है, और यह 0% और 100% के बीच की कर की दर है जो सरकार के कर राजस्व को अधिकतम करती है।
- वक्र का आकार कर योग्य आय लोच का एक कार्य है – अर्थात, कराधान की दर में परिवर्तन के प्रतिउत्तर में कर योग्य आय में परिवर्तन होता है।
- लॉफ़र वक्र को आमतौर पर एक ग्राफ के रूप में दर्शाया जाता है जो शून्य राजस्व के साथ 0% कर से शुरू होता है, कराधान की एक मध्यवर्ती दर पर राजस्व की अधिकतम दर तक बढ़ता है, और पुनः 100% कर की दर से शून्य राजस्व तक गिर जाता है।
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Question 3 of 5
3. Question
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation: IFC) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का एक अंग है जो निवेश, परामर्शी और परिसंपत्ति-प्रबंधन सेवाएं प्रदान करता है।
- यह विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करता है।
- IFC संधारणीय कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: c)
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation: IFC) एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है जो विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए निवेश, परामर्शी और परिसंपत्ति-प्रबंधन सेवाएं प्रदान करता है। IFC विश्व बैंक समूह का सदस्य है और इसका मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन, D.C. में स्थित है।
- इसे 1956 में, विश्व बैंक समूह के निजी क्षेत्र अंग के रूप में स्थापित किया गया था, ताकि निर्धनता कम करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए लाभ और वाणिज्यिक परियोजनाओं में निवेश करके आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जा सके।
- 2009 से, IFC ने विकास लक्ष्यों के एक समुच्चय पर ध्यान केंद्रित किया है। इसका लक्ष्य संधारणीय कृषि के अवसरों को बढ़ाना, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में सुधार करना, माइक्रोफाइनेंस और व्यापार ग्राहकों के लिए वित्त पोषण तक पहुंच बढ़ाना, अवसंरचना का उन्नयन करना, छोटे व्यवसायों को राजस्व बढ़ाने और जलवायु स्वास्थ्य में निवेश करने में मदद करना है।
Incorrect
उत्तर: c)
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation: IFC) एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है जो विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए निवेश, परामर्शी और परिसंपत्ति-प्रबंधन सेवाएं प्रदान करता है। IFC विश्व बैंक समूह का सदस्य है और इसका मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन, D.C. में स्थित है।
- इसे 1956 में, विश्व बैंक समूह के निजी क्षेत्र अंग के रूप में स्थापित किया गया था, ताकि निर्धनता कम करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए लाभ और वाणिज्यिक परियोजनाओं में निवेश करके आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जा सके।
- 2009 से, IFC ने विकास लक्ष्यों के एक समुच्चय पर ध्यान केंद्रित किया है। इसका लक्ष्य संधारणीय कृषि के अवसरों को बढ़ाना, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में सुधार करना, माइक्रोफाइनेंस और व्यापार ग्राहकों के लिए वित्त पोषण तक पहुंच बढ़ाना, अवसंरचना का उन्नयन करना, छोटे व्यवसायों को राजस्व बढ़ाने और जलवायु स्वास्थ्य में निवेश करने में मदद करना है।
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Question 4 of 5
4. Question
ट्रेजरी बिल्स (T-Bills) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इन्हें प्राप्तियों और व्यय के मध्य के अल्पकालिक असंतुलन को पूरा करने के लिए जारी किया जाता है।
- इन्हें सरकार के साथ-साथ ब्लूचिप कंपनियों द्वारा भी जारी किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
- ट्रेजरी बिल (Treasury bills) या टी-बिल (T-bills), मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट होते हैं। ये भारत सरकार द्वारा जारी किए गए शॉर्ट टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं और वर्तमान में इन्हें तीन अवधियों अर्थात् 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के लिए जारी किया जाता है। ट्रेजरी बिल शून्य कूपन प्रतिभूतियां हैं और इनसे ब्याज की प्राप्ति नहीं होती है। इसके बजाय, इन्हें बट्टे पर जारी किया जाता है और परिपक्वता पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है। उदाहरण के लिए, 100 रूपए (अंकित मूल्य) का 91 दिन का ट्रेजरी बिल 98.20 रूपए, अर्थात 1.80 के बट्टे पर जारी किया जाता है और इन्हें 100 रूपए के अंकित मूल्य पर भुनाया जाएगा।
Incorrect
उत्तर: a)
- ट्रेजरी बिल (Treasury bills) या टी-बिल (T-bills), मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट होते हैं। ये भारत सरकार द्वारा जारी किए गए शॉर्ट टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं और वर्तमान में इन्हें तीन अवधियों अर्थात् 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के लिए जारी किया जाता है। ट्रेजरी बिल शून्य कूपन प्रतिभूतियां हैं और इनसे ब्याज की प्राप्ति नहीं होती है। इसके बजाय, इन्हें बट्टे पर जारी किया जाता है और परिपक्वता पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है। उदाहरण के लिए, 100 रूपए (अंकित मूल्य) का 91 दिन का ट्रेजरी बिल 98.20 रूपए, अर्थात 1.80 के बट्टे पर जारी किया जाता है और इन्हें 100 रूपए के अंकित मूल्य पर भुनाया जाएगा।
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Question 5 of 5
5. Question
मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौते के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
- मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौता (Monetary Policy Framework Agreement) अधिकतम संतोषजनक मुद्रास्फीति दर पर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच एक समझौता है जिसे RBI को मूल्य स्थिरता प्राप्त करने हेतु लक्षित करना चाहिए।
- भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार ने 20 फरवरी 2015 को मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण और मूल्य स्थिरता प्राप्त करना RBI का उत्तरदायित्व बनाता है। इसके बाद, सरकार ने संसद में 2016-17 के केंद्रीय बजट को प्रस्तुत करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 में संशोधन को प्रस्तावित किया गया ताकि मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौते को सांविधिक समर्थन प्रदान किया जा सके और मौद्रिक नीति समिति (MPC) को स्थापित किया जा सके।
Incorrect
उत्तर: a)
- मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौता (Monetary Policy Framework Agreement) अधिकतम संतोषजनक मुद्रास्फीति दर पर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच एक समझौता है जिसे RBI को मूल्य स्थिरता प्राप्त करने हेतु लक्षित करना चाहिए।
- भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार ने 20 फरवरी 2015 को मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण और मूल्य स्थिरता प्राप्त करना RBI का उत्तरदायित्व बनाता है। इसके बाद, सरकार ने संसद में 2016-17 के केंद्रीय बजट को प्रस्तुत करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 में संशोधन को प्रस्तावित किया गया ताकि मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौते को सांविधिक समर्थन प्रदान किया जा सके और मौद्रिक नीति समिति (MPC) को स्थापित किया जा सके।