INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 13 August

विषय – सूची:

सामान्य अध्ययन-II

1. प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि)

 

सामान्य अध्ययन-III

1. कृषि मेघ

2. बिजनेस रिस्पांसिबिलिटी रिपोर्टिंग

3. COVID-19 परीक्षण हेतु CSIR की ‘मेगा लैब’

4. ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ कार्यक्रम (OSOWOG)

5. वाघों की संख्या में वृद्धि किस प्रकार की जा सकती है?

6. मानव-हाथी संघर्ष प्रबंधन हेतु वन मंत्रालय द्वारा मार्गदर्शन

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. महाराष्ट्र में स्पीड बोट एम्बुलेंस सेवा

2. चर्चित स्थल: पापुम रिजर्व फॉरेस्ट

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि)


संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि’ (PM Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) योजना के तहत 02 जुलाई से ऋण देने की प्रक्रिया के शुरू होने के 41 दिनों के भीतर ही मंजूर किए गए ऋणों की संख्या और इस योजना के तहत प्राप्त आवेदनों की संख्या क्रमश:1 लाख और 5 लाख को पार कर चुकी है।

क्रियान्वयन एजेंसी

पिछले माह, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म निर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना को लागू करने के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में सिडबी (SIDBI) को सम्मिलित करने हेतु ‘आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय’ और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (Small Industries Development Bank of India- SIDBI) के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

सिडबी (SIDBI), ‘सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट’ (Credit Guarantee Fund Trust for Micro and Small Enterprises- CGTMSE) के माध्यम से ऋण प्रदाता संस्थानों को क्रेडिट गारंटी का प्रबंधन भी करेगा।

योजना का विवरण:

  1. यह 50 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स को 10,000 रु. तक का सस्ता ऋण प्रदान करने हेतु एक विशेष माइक्रो-क्रेडिट सुविधा योजना है। इसके अंतर्गत 24 मार्च को या उससे पहले कारोबार करने वाले रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण प्रदान किया जायेगा
  2. यह योजना मार्च 2022 तक वैध है।
  3. भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) इस योजना के कार्यान्वयन हेतु तकनीकी भागीदार है।
  4. सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) के माध्यम से ऋण प्रदाता संस्थानों को क्रेडिट गारंटी का प्रबंधन करेगा।

योजना के अंतर्गत ऋण

  • इस योजना के तहतस्ट्रीट वेंडर्स 10 हजार रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण ले सकते हैं जिसे एक वर्ष की अवधि में मासिक किश्तों में चुकाने होंगे।
  • समय पर / जल्दी ऋण चुकाने पर 7 प्रतिशत की सालाना ब्याज सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में त्रिमासिक आधार पर जमा कर दी जाएगी।
  • ऋण के शीघ्र पुनर्भुगतान पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।

पात्रता

इस योजना के अंतर्गत शहरी / ग्रामीण क्षेत्रों के आस-पास सड़क पर माल बेचने वाले विक्रेताओं,सड़क किनारे ठेले या रेहड़ी-पटरी पर दुकान चलाने वाले, फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून, पान की दुकान तथा वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने वालों को ऋण प्रदान किया जायेगा।

योजना की आवश्यकता

  • लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूरों तथा सड़क किनारे ठेले या रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वालों का जीवन तथा उनकी आजीविका विशेष रूप से प्रभावित हुई है।
  • स्ट्रीट वेंडर आमतौर पर अनौपचारिक स्रोतों से काफी अधिक ब्याज दरों पर ऋण लेकर छोटी पूंजी लगाकर काम करते हैं। इसके अतिरिक्त, इनके सामने लॉकडाउन के दौरान अपनी बचत तथा लागत पूंजी के समाप्त हो जाने से पुनः रोजगार शुरू करने का संकट है।
  • इसीलिये, स्ट्रीट वेंडर्स को फिर से व्यापार शुरू करने में मदद करने हेतु औपचारिक बैंकिंग स्रोतों के माध्यम से कार्यशील पूंजी के लिए तत्काल सस्ता ऋण प्रदान किये जाने की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. योजना की वैधता
  2. कौन लागू करता है?
  3. योजना के तहत पात्रता?
  4. ब्याज की दर?
  5. SIDBI क्या है?

मेंस लिंक:

पीएम स्वनिधि (PM SVANIDHI) योजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।

कृषि मेघ


(Krishi Megh)

संदर्भ:

हाल ही में, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री द्वारा कृषि मेघ (राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा व्यवस्था- क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज) का आरंभ किया गया।

कृषि मेघ क्या है?

यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) का डेटा रिकवरी सेंटर है।

विवरण

  • कृषि मेघ की स्थापना राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (National Agricultural Higher Education ProjectNAHEP) के तहत की गई है।
  • यह डेटा रिकवरी सेंटर, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (National Academy of Agricultural Research Management- NAARM), हैदराबाद में स्थापित किया गया है।

कृषि मेघ का महत्व और लाभ

  • कृषि मेघ का निर्माण भारत में कृषि के क्षेत्र में जोखिम कम करने, गुणवत्ता बढ़ाने, ई-प्रशासन की उपलब्धता और पहुंच, शोध, विस्तार एवं शिक्षा के लिए किया गया है।
  • इन नए केन्द्र में छवि विश्लेषण के माध्यम से बीमारी और विनाशकारी कीट की पहचान, फलों की परिपक्वता और उनके पकने का पता लगाने, पशुओं आदि में बीमारी की पहचान आदि से जुड़े डीप लर्निंग बेस्ड एप्लीकेशंस के विकास और उपयोग के लिए नवीनतम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence)/ डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स मौजूद हैं।
  • यह किसानों, शोधकर्ताओं, छात्रों और नीति निर्माताओं को कृषि और अनुसंधान के बारे में अद्यतन और नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराता है।

राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना

  • राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (National Agricultural Higher Education Project- NAHEP) को भारत सरकार तथा विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित किया गया है।
  • परियोजना का समग्र उद्देश्य कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप अधिक प्रासंगिक और उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करना है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (NAHEP) का वित्त पोषण और उद्देश्य।
  2. कृषि मेघ क्या है?
  3. डेटा सेंटर कहाँ स्थापित किया गया है?
  4. ICAR- गठन, कार्यों और महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में।

मेंस लिंक:

कृषि मेघ की विशेषताओं और महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।

बिजनेस रिस्पांसिबिलिटी रिपोर्टिंग


(Business Responsibility Reporting)

संदर्भ:

हाल ही में, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs- MCA) द्वारा ‘कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग’ (बिजनेस रिस्पांसिबिलिटी रिपोर्टिंग – BRR) पर समिति की रिपोर्ट’ जारी की गयी है।

समिति की प्रमुख सिफारिशें

  • समिति ने गैर-वित्तीय मापदंडों पर रिपोर्टिंग के उद्देश्‍य और दायरे को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए ‘कंपनी जवाबदेही एवं निरंतरता रिपोर्ट (Business Responsibility and Sustainability ReportBRSR)’ नामक एक नई रिपोर्टिंग रूपरेखा की सिफारिश की है।
  • समिति ने यह भी सिफारिश की कि BRR को MCA 21 पोर्टल के साथ एकीकृत कर दिया जाए।
  • BRSR फाइलिंग के माध्यम से प्राप्‍त होने वाली जानकारियों का उपयोग कंपनियों के लिए एक‘कंपनी जवाबदेही-निरंतरता सूचकांक’ (Business Responsibility-Sustainability Index) विकसित करने में किया जाना चाहिए।
  • शीर्ष 1000 कंपनियों के लिए BRR पेश करना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए।
  • कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कुल कारोबार अथवा चुकता पूंजी की निर्दिष्ट सीमा से ऊपर कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग (BRR) आवश्यक किया जा सकता है।

BRR क्या है?

  • यह किसी सूचीबद्ध कंपनी द्वारा अपने सभी हितधारकों के लिए ‘उत्तरदायी कारोबार संचालन’ प्रक्रियायें अपनाने का प्रकाशन है।
  • कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग (Business Responsibility Reporting- BRR) विनिर्माण, सेवाओं आदि सहित सभी प्रकार की कंपनियों के लिए लागू होती है।

भारत में कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग का विकास

  1. कंपनी जवाबदेही की अवधारणा को मुख्य धारा में लाने की दिशा में पहले कदम के रूप में ‘कॉरपोरेट सामाजिक दायित्‍व पर स्वैच्छिक दिशा-निर्देश’ वर्ष 2009 में जारी किए गए थे।
  2. वर्ष 2011 में भारत द्वारा व्यापार और मानव अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों की अभिपुष्टि की गयी थी;
  3. कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) द्वारा ‘कंपनियों की सामाजिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक जवाबदेही पर राष्ट्रीय स्वैच्छिक दिशा-निर्देश (National Voluntary Guidelines- NVG), 2011’ के रूप में इन दिशा-निर्देशों में संशोधन किए गए।
  4. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने वर्ष 2012 में अपने ‘सूचीबद्धता नियमनों’ के जरिए बाजार पूंजीकरण की दृष्टि से शीर्ष 100 सूचीबद्ध निकायों के लिए पर्यावरणीय, सामाजिक एवं प्रशासन संबंधी नजरिए से ‘कंपनी जवाबदेही रिपोर्ट (BRR)’ पेश करना अनिवार्य कर दिया।
  5. SEBI ने वित्त वर्ष 2015-16 में शीर्ष 500 कंपनियों के लिए और दिसंबर, 2019 में शीर्ष 1000 कंपनियों के लिए BRR पेश करना अनिवार्य कर दिया गया।
  6. मार्च 2019 में ‘NVG’ को अपडेट किया गया तथा उत्तरदायी कारोबार संचालन पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश (National Guidelines on Responsible Business Conduct- NGRBC) के रूप में जारी किया गया है।

कंपनी जवाबदेही रिपोर्टिंग की आवश्यकता

  • इस समय-कल में जब उद्यमों को सामाजिक व्यवस्था के महत्वपूर्ण घटक के रूप में देखा जा रहा है, अतः ये न केवल राजस्व और लाभप्रदता के दृष्टिकोण से अपने शेयरधारकों के लिए बल्कि समाज के प्रति भी उत्तरदायी होते हैं।
  • इस तथ्य पर विचार करना महत्वपूर्ण है कि जब ये कंपनियां जनता से धन प्राप्त करती है, तो इसमें सार्वजनिक हित के तत्व भी समाहित होते हैं, इसलिए कंपनियां नियमित रूप से ‘उत्तरदायी कारोबार संचालन’ विवरण के प्रकाशन के लिए जिम्मेदार भी हैं।

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. BRR का अर्थ।
  2. भारत में इसका विकास
  3. इस संबंध में सेबी के दिशानिर्देश
  4. MCA 21 पोर्टल क्या है?

मेंस लिंक:

भारत में BRR के महत्व और विकास पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।विज्ञान और प्रौद्योगिकी- रोजमर्रा के जीवन में विकास और उनके अनुप्रयोग और प्रभाव विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई तकनीक विकसित करना।

COVID-19 परीक्षण हेतु CSIR की ‘मेगा लैब’


(CSIR moots ‘mega labs’ to boost COVID-19 testing)

संदर्भ:

कोरोनावायरस (COVID-19)  संक्रमण मामलों के लिए परीक्षण की सटीकता में सुधार तथा परीक्षणों के तेजी लाने के लिए, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial ResearchCSIR)  द्वारा मेगा प्रयोगशालायें’ (mega labs) विकसित की जा रही है।

इन प्रयोगशालाओं में, ‘नयी पीढी की अनुक्रमण मशीनों’ (Next Generation Sequencing machines– NGS) का उपयोग किया जायेगा। इन मशीनों से SARS-CoV-2 नोवल कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए एक बार में 1,500-3,000 विषाणु जीनोम का अनुक्रमण किया जा सकेगा।

मेगा प्रयोगशालाओं का महत्व और लाभ

  • कई मामलों में पारंपरिक RT-PCR (reverse transcription polymerase chain reaction) परीक्षण से वायरस संक्रमण की सही पहचान नहीं हो पाती है, ये नयी जीनोम अनुक्रमण मशीनें (NGS) काफ़ी हद तक वायरस की संभावित उपस्थिति का सटीक पता लगाने में सक्षम हैं।
  • RT-PCR टेस्ट में SARS-CoV-2 वायरस का पता लगाने के लिए वायरस के कुछ विशिष्ट अंशो की खोज की जाती है, जबकि जीनोम विधि में वायरस जीनोम के एक बड़े हिस्से की जांच की जाती है और इस संक्रमण के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त होती है।
  • जीनोम विधि में वायरस के विकास के इतिहास का भी पता लगाया जा सकता है जिससे वायरस के रूपांतरण को अधिक सटीकता से ट्रैक कर सकता है।

जीनोम अनुक्रमण क्या है?

जीनोमिक अनुक्रमण (Genome Sequencing) एक ऐसी तकनीक होती है जो हमें DNA या RNA के भीतर पाए जाने वाले आनुवंशिक विवरण को पढ़ने और व्याख्या करने में सक्षम बनाती है। इसके तहत डीएनए अणु के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जीनोम अनुक्रमण क्या है?
  2. यह कैसे काम करता है?
  3. RNA vs DNA
  4. RT- PCR टेस्ट की कार्यविधि

मेंस लिंक:

जीनोम अनुक्रमण क्या है? यह COVID 19 के प्रसार को रोकने में किस प्रकार मदद करता है?

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ कार्यक्रम (OSOWOG)


(One Sun, One World, One Grid -OSOWOG initiative)

संदर्भ:

हाल ही में ‘केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ (MNRE) द्वारा अपने ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ (One Sun One World One Grid- OSOWOG) कार्यक्रम के लिये इच्छुक कंपनियों मांगे गए प्रस्तावों पर अगली सूचना तक रोक लगा दी है।

OSOWOG पहल के बारे में

वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, भारत द्वारा वैश्विक सहयोग को सुगम बनाने हेतु एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ (OSOWOG) पहल का प्रस्ताव किया गया था।

इसका उद्देश्य विभिन्न देशों में स्थित नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को परस्पर संबद्ध कर एक वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।

OSOWOG पहल का विवरण

मूल संस्था: केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE)

उद्देश्य: पश्चिम एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के 140 से अधिक देशों के मध्य सौर संसाधनों को साझा करने हेतु वैश्विक सहमति का निर्माण करना।

परिकल्पना: ‘सूर्य अभी अस्त नहीं होता है’ तथा यह वैश्विक रूप से किसी निश्चित समय में किसी भौगोलिक स्थान पर नियत रहता है।

ग्रिड (Grid): परियोजना के बाद के चरण में ग्रिड को अफ्रीकी ऊर्जा पूल के साथ भी जोड़ा जाएगा।

इस पहले को विश्व बैंक के तकनीकी सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यान्वित किया जायेगा।

OSOWOG पहल के अंतर्गत संभावनाएं तथा लाभ

  • भारत वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 40% ऊर्जा उत्पादित करने में सक्षम हो जायेगा तथा भारत ने एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ (OSOWOG) का मंत्र देते हुए सौर ऊर्जा आपूर्ति को परस्पर संबद्ध करने के लिए सभी देशों का आह्वान किया है।
  • प्रस्तावित एकीकरण सभी भाग लेने वाली संस्थाओं के लिए परियोजना लागतों को कम करेगा और उच्च दक्षता तथा परिसम्पत्तियों के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देगा।
  • इस योजना के लिए केवल वृद्धिशील निवेश की आवश्यकता होगी, इस योजना में मौजूदा ग्रिड के कार्यशील होने के कारण नई समानांतर ग्रिड अवसंरचना की आवश्यकता नहीं होगी।
  • यह योजना सभी सहभागी संस्थाओं के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ कौशल, प्रौद्योगिकी और वित्त के उपयोग करने में मदद करेगी।
  • इस योजना के परिणामस्वरूप होने वाले आर्थिक लाभ से गरीबी उन्मूलन, जल, स्वच्छता, भोजन और अन्य सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
  • यह पहल भारत में स्थित राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्रों को क्षेत्रीय और वैश्विक प्रबंधन केंद्रों के रूप में विकसित करने में सहायता करेगी।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

वाघों की संख्या में वृद्धि किस प्रकार की जा सकती है?


(How the tiger can regain its stripes?)

संदर्भ:

भारत में वाघों की संख्या में वृद्धि करने के लिए दो वैधानिक प्रावधान किये गए हैं:

  1. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972
  2. वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980

यह दोनों अधिनियम प्रोजेक्ट टाइगर को मजबूती तथा वैधानिक आधार प्रदान करते है।

भारत में वाघों की संख्या में वृद्धि के कारण

वाघों की संख्या में वृद्धि के पीछे राजनीतिक नेतृत्व तथा जमीनी स्तर पर किये गए प्रयास है, तथा इसके लिए निम्नलिखित सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा-

  • अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि
  • रोज़गार तथा सरकारी राजस्व के लिए जंगलों के दोहन पर अत्यधिक निर्भरता
  • अत्यंत गरीबी तथा प्रोटीन युक्त भोजन के लिए वन्यजीवों के शिकार पर निर्भरता

राजनैतिक तथा स्थानीय स्तर पर इन चुनौतियों का समाधान किया गया जिससे वाघों की संख्या में वृद्धि संभव हो सकी, किंतु यह वृद्धि अभी कुछ वाघ अभ्यारण्यों तक ही सीमित है।

किये गए परिवर्तन तथा वर्तमान चुनौतियां

वर्ष 2000 के आरंभ से वाघ संरक्षण के संदर्भ में परिवर्तन होना शुरू हो गया था।

  • बाघ संरक्षण के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता का अभाव था।
  • वन विभाग में क्रमिक रूप से परिवर्तन किया गया, तथा इसे बहु-कार्यक (Multitasking) भारतीय प्रशासनिक सेवा की तरह तैयार किया गया।
  • वाघ संरक्षण हेतु नए मॉडल बनाने के लिए ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी-वर्ल्ड बैंक से अनावश्यक और बड़े पैमाने पर कर्ज भी लिया गया था।
  • वन-वासियों तथा जंगलों के आसपास रहने वाले अन्य लोगों के लिए कृषि कार्यों हेतु जंगली भूमि का इस्तेमाल करने के लिए राजनीतिक आन्दोलन किये गए थे- इन्ही जन आंदोलनों के कारण ‘वन अधिकार अधिनियम’ 2006 (Forest Rights Act of 2006) लागू किया गया।
  • सरिस्का अभ्यारण्य में बाघों के विलुप्त होने का कारण 2005 में एक सार्वजनिक आक्रोश व्याप्त हो गया था, जिसके कारण प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा टाइगर टास्क फोर्स (TTF) की नियुक्ति की गई। इसमें एक बाघ प्रबंधन मॉडल बनाया गया, जिसने बाघों की बजाय वन-नौकरशाही को अधिक लाभान्वित किया।

बाघ संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रयास

  • पूरे विश्व में ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ वाघ संरक्षण के लिए समर्पित एकमात्र अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।
  • इसे वाघ संरक्षण हेतु वैश्विक अभियान शुरू करने के लिए वाघ-क्षेत्रों वाले देशों द्वारा गठित किया गया है।
  • इसका उद्देश्य विश्व के तेरह वाघ-क्षेत्रों वाले देशों में पाए जाने वाले बाघों की शेष पांच उप-प्रजातियों को संरक्षित करना है।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority- NTCA) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय है।
  • NTCA को वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के पश्चात स्थापित किया गया था।
  • इसे, वर्ष 2006 में संशोधित, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत गठित किया गया था।
  • भारत में वर्ष 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरुआत की गयी, जो वर्तमान में 50 से अधिक संरक्षित क्षेत्रों में, देश के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 2.2% के बराबर क्षेत्रफल, में सफलतापूर्वक जारी है।

समय की मांग

  • वन नौकरशाही की भूमिका एक बार फिर से वन्यजीव कानून प्रवर्तन तक सीमित होनी चाहिए।
  • वन्यजीव संरक्षण हेतु जारी अन्य केंद्रीय योजनाओं के साथ प्रोजेक्ट टाइगर को संबद्ध करना एक उचित कदम होगा।
  • वाघ संबंधी अनुसंधान, निगरानी, ​​प्रकृति शिक्षा, पर्यटन तथा मानव-वाघ संघर्ष शमन आदि क्षेत्रों में वाघ संरक्षण डोमेन पर सरकार का एकाधिकार समाप्त किया जाना चाहिए।
  • निजी उद्यमों, स्थानीय समुदायों, गैर सरकारी संगठनों और वैज्ञानिक संस्थानों को सम्मिलित करके, समाज में उपस्थित प्रतिभा और ऊर्जा को इन विविध क्षेत्रों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और जैवमंडल क्षेत्रों के बीच अंतर।
  2. M-STREIPES किससे संबंधित है?
  3. GTIC क्या है?
  4. प्रोजेक्ट टाइगर कब लॉन्च किया गया था?
  5. NTCA – रचना और कार्य।
  6. हाल ही में ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 का चौथा चक्र गिनीज रिकॉर्ड बुक में क्यों दर्ज हुआ?
  7. सबसे ज्यादा बाघों वाला राज्य।
  8. उच्चतम बाघ घनत्व वाला राज्य।

मेंस लिंक:

बाघ एजेंडे की केंद्रीयता हमारे पर्यावरण की संवहनीयता के लिए एक पारिस्थितिक आवश्यकता है। इस संदर्भ में, बाघों के संरक्षण के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना कीजिए?

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

मानव-हाथी संघर्ष प्रबंधन हेतु वन मंत्रालय द्वारा मार्गदर्शन


(Forest Ministry releases guide to managing human-elephant conflict)

संदर्भ:

हाल ही में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा भारत में मानव–हाथी टकराव से निपटने के सर्वोत्तम उपायों का संकलन जारी किया गया है।

संकलन के प्रमुख बिंदु:

  • जंगली आग पर नियंत्रण तथा जल स्रोतों का निर्माण करके हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास में केंद्रित रखना।
  • तमिलनाडु में एलिफेंट प्रूफ ट्रेंच का निर्माण करना।
  • कर्नाटक में लटकती हुई बाड़ और मलबे की दीवारें बनायी जायेंगी।
  • उत्तरी बंगाल में मिर्च के धुएं का उपयोग तथा असम में मधुमक्खियों या मांसाहारी जानवरों की आवाज़ का उपयोग किया जायेगा।
  • कर्नाटक में संरक्षण प्रयासों के तहत एक हाथी गलियारा पहल के लिए इदरयाहल्ली-डोड्डासंपिगे (Edayarahalli-Doddasampige) में 25.37 एकड़ निजी भूमि खरीदी गई है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: विशिष्ट पहचान, दक्षिण बंगाल में हाथियों की निगरानी और हाथी उपस्थिति चेतावनी के लिए एसएमएस अलर्ट भेजना।

प्रबंधन रणनीति की आवश्यकता

प्रतिवर्ष हाथियों के साथ मुठभेड़ों में 500 से अधिक मनुष्यों की मौत हो जाती है, और लाखों रुपयों की फसलों और संपत्ति को भी नुकसान होता है। इस संघर्ष में जवाबी कार्रवाई में कई हाथी भी मारे जाते है।

इंस्टा फैक्ट्स:

  1. एशियाई हाथियों को संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में ‘लुप्तप्राय’ (Endangered) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  2. वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS) पर 13वें COP (Conference of Parties) के फरवरी 2020 में गांधी नगर, गुजरात में संपन्न हुए सम्मेलन में प्रवासी प्रजातियों के अभिसमय की परिशिष्ट- I में सूचीबद्ध किया गया है।
  3. हाथी भारत का प्राकृतिक धरोहर पशु है।
  4. प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा 2017 की गणना के अनुसार भारत में जंगली एशियाई हाथियों की संख्या सबसे अधिक है। इसके अनुसार हाथियों की अनुमानित संख्या 29,964 है। यह आंकड़ा इस प्रजाति की वैश्विक आबादी का लगभग 60% है।

स्रोत: द हिंदू

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


महाराष्ट्र में स्पीड बोट एम्बुलेंस सेवा


हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया और रायगढ़ जिले के मंडवा जेटी के बीच एक स्पीड बोट एम्बुलेंस सेवा को मंजूरी प्रदान की गयी है।

विश्व हाथी दिवस 2020

  • प्रतिवर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है।
  • पहला विश्व हाथी दिवस 12 अगस्त 2012 को मनाया गया था।
  • विश्व हाथी दिवस की परिकल्पना, वर्ष 2011 में ‘एलीफैंट रिइंट्रोडक्शन फाउंडेशन’ (Elephant Reintroduction Foundation) और कनाडाई फिल्म निर्माता पेट्रीसिया सिम्स एवं माइकल क्लार्क द्वारा की गई थी।

चर्चित स्थल: पापुम रिजर्व फॉरेस्ट


  • पापुम रिज़र्व फॉरेस्ट (Papum Reserve Forest) अरुणाचल प्रदेश में स्थित एक महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (Important Bird and Biodiversity AreasIBAs) है।
  • यह पूर्व में ईटानगर वन्यजीव अभयारण्य तथा पश्चिम में पक्के वन्यजीव अभयारण्य के मध्य स्थित है। यह दोनों अभ्यारण्य भी महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (IBA) घोषित है।
  • यह संरक्षित वन क्षेत्र पूर्वी हिमालय स्थानिक पक्षी क्षेत्र (Eastern Himalayas Endemic Bird Area) का हिस्सा है।

चर्चा का कारण

  • उपग्रह डेटा पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में वनों की कटाई की उच्च दर के कारण हॉर्नबिल पक्षी का वास स्थान संकट में पड़ चुका हैं।
  • पापुम रिज़र्व फॉरेस्ट बड़ी, रंगीन और फल खाने वाली हॉर्नबिल की तीन प्रजातियों- ग्रेट, पुष्पांजलि और ओरिएंटल चितकबरा (Great, Wreathed and Oriental Pied) का निवास स्थान है।

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