HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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1. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत में, बैंक के राष्ट्रीयकरण की शुरुआत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में हुई थी।
- लीड बैंक योजना (LBS) के पीछे मूल विचार लक्षित और केंद्रित बैंकिंग के लिए एक ’क्षेत्र-आधारित दृष्टिकोण’ अपनाना था।
- 1991 की नरसिम्हम समिति ने सिफारिश की थी कि बैंकों को प्राथमिक लक्ष्य के रूप में लाभप्रदता के साथ संचालन के वाणिज्यिक तरीकों को अपनाने हेतु स्वतंत्र होना चाहिए।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correctउत्तर: c)
- बैंक के राष्ट्रीयकरण की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 प्रमुख बैंकों के राष्ट्रीयकरण के साथ की थी, जो उस समय देश में 85 प्रतिशत बैंक जमाओं के लिए उत्तरदायी थे। तत्पश्चात 1980 में छह और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। राष्ट्रीयकरण का मुख्य उद्देश्य ऐसे समय में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को प्रोत्साहित करना था जब बड़े व्यवसायों का क्रेडिट प्रोफाइल में प्रभुत्व था।
- लीड बैंक योजना (LBS), 1969 में शुरू की गई थी। इसके तहत प्रत्येक जिले को एक बैंक को सौंपा गया था, जहां इसने एकीकृत बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने में “प्रोत्साहन-प्रदाता” के रूप में कार्य किया था।
1991 के बाद परिवर्तन:
- 1991 की नरसिम्हम समिति ने सिफारिश की कि मौद्रिक नीति को पुनर्वितरणवादी (recommended) लक्ष्यों से छुटकारा दिया जाना चाहिए। इसके बजाय, बैंकों को प्राथमिक लक्ष्य के रूप में लाभप्रदता के साथ, संचालन के वाणिज्यिक तरीकों को अपनाने हेतु स्वतंत्र होना चाहिए।
- भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी इच्छानुसार शाखाओं को खोलने और बंद करने की अनुमति दी।
- प्राथमिकता वाले क्षेत्र से सम्बंधित दिशानिर्देशों को परिवर्तित कर दिया गया था; बैंकों को उन गतिविधियों को उधार देने की अनुमति दी गई थी जो कृषि या कृषि-व्यवसाय से संबंधित बड़े कॉर्पोरेट (फिर भी कृषि ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया) से सम्बंधित थी।
- प्राथमिकता वाले क्षेत्र के अग्रिमों पर ब्याज दर के नियमों को समाप्त कर दिया गया था।
Incorrectउत्तर: c)
- बैंक के राष्ट्रीयकरण की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 प्रमुख बैंकों के राष्ट्रीयकरण के साथ की थी, जो उस समय देश में 85 प्रतिशत बैंक जमाओं के लिए उत्तरदायी थे। तत्पश्चात 1980 में छह और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। राष्ट्रीयकरण का मुख्य उद्देश्य ऐसे समय में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को प्रोत्साहित करना था जब बड़े व्यवसायों का क्रेडिट प्रोफाइल में प्रभुत्व था।
- लीड बैंक योजना (LBS), 1969 में शुरू की गई थी। इसके तहत प्रत्येक जिले को एक बैंक को सौंपा गया था, जहां इसने एकीकृत बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने में “प्रोत्साहन-प्रदाता” के रूप में कार्य किया था।
1991 के बाद परिवर्तन:
- 1991 की नरसिम्हम समिति ने सिफारिश की कि मौद्रिक नीति को पुनर्वितरणवादी (recommended) लक्ष्यों से छुटकारा दिया जाना चाहिए। इसके बजाय, बैंकों को प्राथमिक लक्ष्य के रूप में लाभप्रदता के साथ, संचालन के वाणिज्यिक तरीकों को अपनाने हेतु स्वतंत्र होना चाहिए।
- भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी इच्छानुसार शाखाओं को खोलने और बंद करने की अनुमति दी।
- प्राथमिकता वाले क्षेत्र से सम्बंधित दिशानिर्देशों को परिवर्तित कर दिया गया था; बैंकों को उन गतिविधियों को उधार देने की अनुमति दी गई थी जो कृषि या कृषि-व्यवसाय से संबंधित बड़े कॉर्पोरेट (फिर भी कृषि ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया) से सम्बंधित थी।
- प्राथमिकता वाले क्षेत्र के अग्रिमों पर ब्याज दर के नियमों को समाप्त कर दिया गया था।
- Question 2 of 5
2. Question
नकद आरक्षित अनुपात (Cash reserve ratio: CRR) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- बैंक के कुल लाभ की तुलना में कैश रिज़र्व के प्रतिशत को बनाए रखने की आवश्यकता को नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है।
- बैंकों को उस धन पर कोई ब्याज नहीं मिलता है जिसे CRR आवश्यकताओं के तहत RBI के पास रखा जाता है।
- CRR मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में सहायता करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correctउत्तर: b)
- नकद आरक्षित अनुपात (Cash reserve ratio: CRR) जमा की एक न्यूनतम राशि है जिसे वाणिज्यिक बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास भंडार के रूप में रखना होता है।
- बैंक के कुल लाभ की तुलना में कैश रिज़र्व के प्रतिशत को बनाए रखने की आवश्यकता को नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है।
- कैश रिज़र्व या तो बैंक के पास या RBI के पास रखा जाता है। बैंकों को उस पर कोई ब्याज नहीं मिलता है जिसे CRR आवश्यकताओं के तहत RBI के पास रखा जाता है।
- CRR मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद करता है। अर्थव्यवस्था में उच्च मुद्रास्फीति के समय, RBI CRR को बढ़ाता है, जिससे बैंकों को अधिक धन रखने की आवश्यकता होती है और परिणामस्वरूप उनके पास आगे उधार देने के लिए धन की कमी हो जाती है।
Incorrectउत्तर: b)
- नकद आरक्षित अनुपात (Cash reserve ratio: CRR) जमा की एक न्यूनतम राशि है जिसे वाणिज्यिक बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास भंडार के रूप में रखना होता है।
- बैंक के कुल लाभ की तुलना में कैश रिज़र्व के प्रतिशत को बनाए रखने की आवश्यकता को नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है।
- कैश रिज़र्व या तो बैंक के पास या RBI के पास रखा जाता है। बैंकों को उस पर कोई ब्याज नहीं मिलता है जिसे CRR आवश्यकताओं के तहत RBI के पास रखा जाता है।
- CRR मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद करता है। अर्थव्यवस्था में उच्च मुद्रास्फीति के समय, RBI CRR को बढ़ाता है, जिससे बैंकों को अधिक धन रखने की आवश्यकता होती है और परिणामस्वरूप उनके पास आगे उधार देने के लिए धन की कमी हो जाती है।
- Question 3 of 5
3. Question
बाजार निर्धारित विनिमय दरों के पीछे निम्नलिखित कारकों में से कौन-से कारकों को उत्तरदायी माना जाता हैं?
- निवल विदेशी मुद्रा अंतर्वाह
- अर्थव्यवस्था की विकास दर
- वैश्विक आपूर्ति पर अर्थव्यवस्था की जिंस (Commodity) पर निर्भरता
- विदेशी मुद्रा भंडार
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correctउत्तर: d)
बाजार विभिन्न कारकों के आधार पर विनिमय दर निर्धारित करते हैं जैसे:
- निवल विदेशी मुद्रा अंतर्वाह
- वैश्विक आपूर्ति पर अर्थव्यवस्था की जिंस (Commodity) पर निर्भरता
- विदेशी मुद्रा भंडार
- अर्थव्यवस्था की विकास दर
यदि ये कारक अनुकूल हैं, तो मुद्रा मजबूत होती है।
Incorrectउत्तर: d)
बाजार विभिन्न कारकों के आधार पर विनिमय दर निर्धारित करते हैं जैसे:
- निवल विदेशी मुद्रा अंतर्वाह
- वैश्विक आपूर्ति पर अर्थव्यवस्था की जिंस (Commodity) पर निर्भरता
- विदेशी मुद्रा भंडार
- अर्थव्यवस्था की विकास दर
यदि ये कारक अनुकूल हैं, तो मुद्रा मजबूत होती है।
- Question 4 of 5
4. Question
‘GDP अपस्फीतिकारक’ के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- GDP अपस्फीतिकारक एक वर्ष में एक अर्थव्यवस्था में सभी नए, घरेलू उत्पादन, अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों के स्तर का मापक है।
- CPI के विपरीत, GDP अपस्फीतिकारक वस्तु और सेवाओं की एक निश्चित बास्केट पर आधारित नहीं है।
- जबGDP अपस्फीतिकारक नकारात्मक होता है, तो इसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्थामें आवश्यक रूप से मुद्रास्फीति की स्थिति है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही है/हैं?
Correctउत्तर: c)
- अर्थशास्त्र में, जीडीपी अपस्फीतिकारक (GDP deflator) एक वर्ष में एक अर्थव्यवस्था में सभी नए, घरेलू स्तर पर उत्पादित, अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के स्तर का एक मापक है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index: CPI) की तरह, GDP अपस्फीतिकारक एक विशिष्ट आधार वर्ष के संदर्भ में मूल्य मुद्रास्फीति / अपस्फीति का एक मापक है।
- जीडीपी अपस्फीतिकारक CPI सूचकांक की तुलना में अधिक व्यापक मुद्रास्फीति का मापक है क्योंकि यह वस्तुओं की एक निश्चित बास्केट पर आधारित नहीं होता है।
- जब जीडीपी अपस्फीतिकारक नकारात्मक होता है, तो नाममात्र जीडीपी वास्तविक जीडीपी से कम होता है। इसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था में अपस्फीति (deflation) की स्थिति है।
Incorrectउत्तर: c)
- अर्थशास्त्र में, जीडीपी अपस्फीतिकारक (GDP deflator) एक वर्ष में एक अर्थव्यवस्था में सभी नए, घरेलू स्तर पर उत्पादित, अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों के स्तर का एक मापक है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index: CPI) की तरह, GDP अपस्फीतिकारक एक विशिष्ट आधार वर्ष के संदर्भ में मूल्य मुद्रास्फीति / अपस्फीति का एक मापक है।
- जीडीपी अपस्फीतिकारक CPI सूचकांक की तुलना में अधिक व्यापक मुद्रास्फीति का मापक है क्योंकि यह वस्तुओं की एक निश्चित बास्केट पर आधारित नहीं होता है।
- जब जीडीपी अपस्फीतिकारक नकारात्मक होता है, तो नाममात्र जीडीपी वास्तविक जीडीपी से कम होता है। इसका अर्थ है कि अर्थव्यवस्था में अपस्फीति (deflation) की स्थिति है।
- Question 5 of 5
5. Question
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (Primary co-operative credit societies: PACS) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां, RBI से लाइसेंस के बिना बैंकिंग व्यवसाय का संचालन कर सकती हैं।
- इन संस्थाओं को अपने सदस्यों या आम जनता से कोई जमाएँ स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
Correctउत्तर: b)
- प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (Primary co-operative credit societies: PACS) भारत में एक बुनियादी इकाई और सबसे छोटी सहकारी साख संस्था है। यह जमीनी स्तर (ग्राम पंचायत और ग्राम स्तर) पर कार्य करती हैं।
- इस तरह की सहकारी समितियों को न तो बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (जो कि सहकारी समितियों के लिए लागू है) के तहत कोई लाइसेंस जारी किया गया है और न ही वे बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए अधिकृत हैं। वास्तव में, हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने सहकारी समितियों या PACS में धन जमा करने के खिलाफ आम जनता के लिए एक निर्देश जारी किए हैं।
- इन संस्थाओं को केवल अपने सदस्यों से जमा राशि प्राप्त करने की अनुमति है।
- डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन का बीमा कवर इन संस्थाओं की जमाओं के लिए उपलब्ध नहीं होगा। इसलिए, लोगों को RBI ने सलाह दी गई है कि वे इस तरह की संस्थाओं प्रति सावधानी रखें।
Incorrectउत्तर: b)
- प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (Primary co-operative credit societies: PACS) भारत में एक बुनियादी इकाई और सबसे छोटी सहकारी साख संस्था है। यह जमीनी स्तर (ग्राम पंचायत और ग्राम स्तर) पर कार्य करती हैं।
- इस तरह की सहकारी समितियों को न तो बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (जो कि सहकारी समितियों के लिए लागू है) के तहत कोई लाइसेंस जारी किया गया है और न ही वे बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए अधिकृत हैं। वास्तव में, हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने सहकारी समितियों या PACS में धन जमा करने के खिलाफ आम जनता के लिए एक निर्देश जारी किए हैं।
- इन संस्थाओं को केवल अपने सदस्यों से जमा राशि प्राप्त करने की अनुमति है।
- डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन का बीमा कवर इन संस्थाओं की जमाओं के लिए उपलब्ध नहीं होगा। इसलिए, लोगों को RBI ने सलाह दी गई है कि वे इस तरह की संस्थाओं प्रति सावधानी रखें।