HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियमों में से निम्नलिखित किसके द्वारा स्वतंत्रता से पूर्व भारत में सिविल सेवकों के चयन और भर्ती की खुली प्रतिस्पर्धा प्रणाली की शुरूआत की तथा साथ ही गवर्नर-जनरल के विधायी कार्यों को पृथक किया गया?
Correct
उत्तर: a)
1853 अधिनियम की विशेषताएं
- पहली बार, गवर्नर- जनरल काउंसिल के विधायी और कार्यकारी कार्यों को पृथक किया गया। इसने छह नए सदस्यों (legislative councillors) को परिषद में शामिल करने का प्रावधान किया। दूसरे शब्दों में, इसने गवर्नर-जनरल की पृथक विधान परिषद की स्थापना की जिसे भारतीय (केंद्रीय) विधान परिषद के रूप में जाना जाता है। परिषद की इस विधायी शाखा ने ब्रिटिश संसद के समान प्रक्रियाओं को अपनाते हुए एक लघु-संसद के रूप में कार्य किया। इस प्रकार, पहली बार कानून-निर्माण को सरकार के एक विशेष कार्य के रूप में माना गया था, जिसके लिए विशेष मशीनरी और विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता थी।
- इसने सिविल सेवकों के चयन और भर्ती की एक खुली प्रतिस्पर्धा प्रणाली शुरू की। इस प्रकार नागरिक सेवा को भारतीयों के लिए भी खोल दिया गया। तदनुसार, 1854 में मैकाले समिति (भारतीय सिविल सेवा समिति) नियुक्त की गई थी। (इससे पूर्व 1833 के चार्टर अधिनियम ने सिविल सेवकों के चयन के लिए खुली प्रतियोगिता की एक प्रणाली शुरू करने का प्रयास किया था, और कहा था कि भारतीयों को कंपनी के अधीन कोई पद, कार्यालय और रोजगार प्राप्त करने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, इस प्रावधान को बाद में निदेशक मंडल के विरोध के कारण अस्वीकार का दिया गया था।)
- इसने कंपनी के शासन का विस्तार किया और ब्रिटिश ताज के विश्वास पर भारतीय क्षेत्रों के कब्जे को बनाए रखने की अनुमति दी। लेकिन पिछले चार्टर्स के विपरीत, यह किसी विशेष अवधि को निर्दिष्ट नहीं करता था। यह एक स्पष्ट संकेत था कि कंपनी का नियम किसी भी समय संसद द्वारा समाप्त किया जा सकता है।
- इसने पहली बार भारतीय (केंद्रीय) विधान परिषद् में सर्वप्रथम क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को प्रतिपादित किया गया| गवर्नर जनरल की परिषद् में छह नए विधान परिषद् के सदस्यों में से चार को मद्रास, बॉम्बे, बंगाल और आगरा की स्थानीय (प्रांतीय) सरकारों द्वारा नियुक्त किया गया|
Incorrect
उत्तर: a)
1853 अधिनियम की विशेषताएं
- पहली बार, गवर्नर- जनरल काउंसिल के विधायी और कार्यकारी कार्यों को पृथक किया गया। इसने छह नए सदस्यों (legislative councillors) को परिषद में शामिल करने का प्रावधान किया। दूसरे शब्दों में, इसने गवर्नर-जनरल की पृथक विधान परिषद की स्थापना की जिसे भारतीय (केंद्रीय) विधान परिषद के रूप में जाना जाता है। परिषद की इस विधायी शाखा ने ब्रिटिश संसद के समान प्रक्रियाओं को अपनाते हुए एक लघु-संसद के रूप में कार्य किया। इस प्रकार, पहली बार कानून-निर्माण को सरकार के एक विशेष कार्य के रूप में माना गया था, जिसके लिए विशेष मशीनरी और विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता थी।
- इसने सिविल सेवकों के चयन और भर्ती की एक खुली प्रतिस्पर्धा प्रणाली शुरू की। इस प्रकार नागरिक सेवा को भारतीयों के लिए भी खोल दिया गया। तदनुसार, 1854 में मैकाले समिति (भारतीय सिविल सेवा समिति) नियुक्त की गई थी। (इससे पूर्व 1833 के चार्टर अधिनियम ने सिविल सेवकों के चयन के लिए खुली प्रतियोगिता की एक प्रणाली शुरू करने का प्रयास किया था, और कहा था कि भारतीयों को कंपनी के अधीन कोई पद, कार्यालय और रोजगार प्राप्त करने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, इस प्रावधान को बाद में निदेशक मंडल के विरोध के कारण अस्वीकार का दिया गया था।)
- इसने कंपनी के शासन का विस्तार किया और ब्रिटिश ताज के विश्वास पर भारतीय क्षेत्रों के कब्जे को बनाए रखने की अनुमति दी। लेकिन पिछले चार्टर्स के विपरीत, यह किसी विशेष अवधि को निर्दिष्ट नहीं करता था। यह एक स्पष्ट संकेत था कि कंपनी का नियम किसी भी समय संसद द्वारा समाप्त किया जा सकता है।
- इसने पहली बार भारतीय (केंद्रीय) विधान परिषद् में सर्वप्रथम क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को प्रतिपादित किया गया| गवर्नर जनरल की परिषद् में छह नए विधान परिषद् के सदस्यों में से चार को मद्रास, बॉम्बे, बंगाल और आगरा की स्थानीय (प्रांतीय) सरकारों द्वारा नियुक्त किया गया|
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Question 2 of 5
2. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- संविधानवाद इस सिद्धांत को दर्शाता है कि सरकार अपने प्राधिकारों को मौलिक विधिक निकाय से प्राप्त करती है और इसके द्वारा ही सीमित होती है।
- भारतीय संविधान में मूल अधिकार संविधानवाद के दर्शन को लागू करने में सहायता करते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
हल: c)
- “संविधानवाद (Constitutionalism)” विचार, दृष्टिकोण और व्यवहार पैटर्न का एक समुच्चय है जो उस सिद्धांत को विस्तृत करता है कि सरकार अपने प्राधिकारों को मौलिक कानूनों से प्राप्त करती है।
- निदेशक तत्वों के साथ-साथ मूल अधिकारों में संविधान का दर्शन समाहित है और यह संविधान की आत्मा है।
Incorrect
हल: c)
- “संविधानवाद (Constitutionalism)” विचार, दृष्टिकोण और व्यवहार पैटर्न का एक समुच्चय है जो उस सिद्धांत को विस्तृत करता है कि सरकार अपने प्राधिकारों को मौलिक कानूनों से प्राप्त करती है।
- निदेशक तत्वों के साथ-साथ मूल अधिकारों में संविधान का दर्शन समाहित है और यह संविधान की आत्मा है।
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Question 3 of 5
3. Question
संसद में ‘प्रश्नकाल’ के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- प्रत्येक संसदीय बैठक का पहला घंटा प्रश्नकाल के लिए निर्धारित किया गया है जिसमें केवल मंत्रियों से प्रश्न पूछे जाते हैं और शून्यकाल में गैर-सरकारी सदस्यों से प्रश्न पूछे जाते हैं।
- तारांकित प्रश्न के लिए मौखिक उत्तर देने की आवश्यकता होती है और उन पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- प्रश्नों के माध्यम से किसी आयोग की नियुक्ति, न्यायालयी जांच अथवा कोई विधान का निर्माण भी किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
- प्रत्येक संसदीय बैठक का पहला घंटा प्रश्नकाल के लिए रखा गया है। इस समय के दौरान, सदस्य प्रश्न पूछते हैं और मंत्री आमतौर पर उत्तर देते हैं। प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं, अर्थात्, तारांकित (starred), अतारांकित (unstarred) और अल्प सूचना (short notice) प्रश्न।
- तारांकित प्रश्न (पहचान के लिए उस पर तारांक बना होता है) के लिए मौखिक उत्तर देने की आवश्यकता होती है और उस पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- मंत्रियों के अलावा, गैर-सरकारी सदस्यों से भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इस प्रकार, गैर सरकारी सदस्य हेतु प्रश्न स्वयं सदस्य से ही पूछा जाता है और यह उस स्थिति में पूछा जाता है जब इसका विषय सभा के कार्य से संबंधित किसी विधेयक, संकल्प या ऐसे अन्य मामले से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदायी हो।
- प्रश्नों से मंत्रालय अपनी नीति और प्रशासन के बारे में लोकप्रियता का अनुमान लगा लेते हैं। प्रश्नों से मंत्रियों के ध्यान में ऐसी कई गलतियां सामने आ जाती हैं जिनपर शायद ध्यान नहीं जाता। कई बार जब उठाया गया मामला इतना गंभीर हो कि वह लोगों के दिमाग को आंदोलित कर दे और वह व्यापक लोक महत्व का हो तो प्रश्नों के माध्यम से किसी आयोग की नियुक्ति, न्यायालयी जांच अथवा कोई विधान का निर्मण भी किया जा सकता है।
Incorrect
उत्तर: c)
- प्रत्येक संसदीय बैठक का पहला घंटा प्रश्नकाल के लिए रखा गया है। इस समय के दौरान, सदस्य प्रश्न पूछते हैं और मंत्री आमतौर पर उत्तर देते हैं। प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं, अर्थात्, तारांकित (starred), अतारांकित (unstarred) और अल्प सूचना (short notice) प्रश्न।
- तारांकित प्रश्न (पहचान के लिए उस पर तारांक बना होता है) के लिए मौखिक उत्तर देने की आवश्यकता होती है और उस पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- मंत्रियों के अलावा, गैर-सरकारी सदस्यों से भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इस प्रकार, गैर सरकारी सदस्य हेतु प्रश्न स्वयं सदस्य से ही पूछा जाता है और यह उस स्थिति में पूछा जाता है जब इसका विषय सभा के कार्य से संबंधित किसी विधेयक, संकल्प या ऐसे अन्य मामले से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदायी हो।
- प्रश्नों से मंत्रालय अपनी नीति और प्रशासन के बारे में लोकप्रियता का अनुमान लगा लेते हैं। प्रश्नों से मंत्रियों के ध्यान में ऐसी कई गलतियां सामने आ जाती हैं जिनपर शायद ध्यान नहीं जाता। कई बार जब उठाया गया मामला इतना गंभीर हो कि वह लोगों के दिमाग को आंदोलित कर दे और वह व्यापक लोक महत्व का हो तो प्रश्नों के माध्यम से किसी आयोग की नियुक्ति, न्यायालयी जांच अथवा कोई विधान का निर्मण भी किया जा सकता है।
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Question 4 of 5
4. Question
प्रो-टेम्प (अस्थायी) अध्यक्ष के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- उसे लोकसभा द्वारा सदन के सदस्यों में से चुना जाता है।
- वह तब तक लोकसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है जब तक कि नए निर्वाचित अध्यक्ष संसदीय प्रक्रियाओं से परिचित नहीं हो जाते।
- प्रो-टेम्प अध्यक्ष को अध्यक्ष की सभी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
- संविधान द्वारा यह निर्धारित किया गया है, कि अंतिम लोकसभा का अध्यक्ष नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पूर्व अपना पद त्याग कर देता है। इसलिए, राष्ट्रपति लोकसभा के एक सदस्य को प्रो टेम्प अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करता है। आमतौर पर, वरिष्ठतम सदस्य को इसके लिए चुना जाता है।
- प्रो-टेम्प अध्यक्ष को अध्यक्ष की सभी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। वह नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है। उसका मुख्य कर्तव्य नए सदस्यों को शपथ दिलाना होता है। वह सदन को नए अध्यक्ष का चुनाव करने में सक्षम बनता है।
- जब नए अध्यक्ष को सदन द्वारा चुना जाता है, तो प्रो टेम अध्यक्ष का पद समाप्त हो जाता है। इसलिए, यह पद एक अस्थायी पद है, जो कुछ दिनों के लिए ही विद्यमान रहता है।
Incorrect
उत्तर: a)
- संविधान द्वारा यह निर्धारित किया गया है, कि अंतिम लोकसभा का अध्यक्ष नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पूर्व अपना पद त्याग कर देता है। इसलिए, राष्ट्रपति लोकसभा के एक सदस्य को प्रो टेम्प अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करता है। आमतौर पर, वरिष्ठतम सदस्य को इसके लिए चुना जाता है।
- प्रो-टेम्प अध्यक्ष को अध्यक्ष की सभी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। वह नवनिर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है। उसका मुख्य कर्तव्य नए सदस्यों को शपथ दिलाना होता है। वह सदन को नए अध्यक्ष का चुनाव करने में सक्षम बनता है।
- जब नए अध्यक्ष को सदन द्वारा चुना जाता है, तो प्रो टेम अध्यक्ष का पद समाप्त हो जाता है। इसलिए, यह पद एक अस्थायी पद है, जो कुछ दिनों के लिए ही विद्यमान रहता है।
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Question 5 of 5
5. Question
निम्नलिखित किस संसदीय समिति में राज्यसभा का कोई भी सदस्य शामिल नहीं होता है?
Correct
उत्तर: d)
- विशेषाधिकार समिति (Committee of Privileges): इस समिति के कार्य की प्रकृति अर्ध-न्यायिक है। यह सदन और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच करती है और उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है। इसमें लोकसभा के 15 सदस्य और राज्य सभा के 10 सदस्य शामिल होते हैं।
- महिला सशक्तिकरण समिति (Committee on Empowerment of Women): यह समिति 1997 में गठित की गई थी और इसमें 30 सदस्य (लोकसभा से 20 और राज्यसभा से 10) होते हैं।
- यह राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्टों पर विचार करती है और केंद्र सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थिति, गरिमा और समानता के लिए उठाए गए उपायों की जांच करती है।
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee): इस समिति में राज्य सभा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होता है। इसके सदस्यों को एकल संक्रमणीय मत के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से लोकसभा द्वारा प्रतिवर्ष अपने स्वयं के सदस्यों में से चुना जाता है।
Incorrect
उत्तर: d)
- विशेषाधिकार समिति (Committee of Privileges): इस समिति के कार्य की प्रकृति अर्ध-न्यायिक है। यह सदन और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच करती है और उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है। इसमें लोकसभा के 15 सदस्य और राज्य सभा के 10 सदस्य शामिल होते हैं।
- महिला सशक्तिकरण समिति (Committee on Empowerment of Women): यह समिति 1997 में गठित की गई थी और इसमें 30 सदस्य (लोकसभा से 20 और राज्यसभा से 10) होते हैं।
- यह राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्टों पर विचार करती है और केंद्र सरकार द्वारा सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थिति, गरिमा और समानता के लिए उठाए गए उपायों की जांच करती है।
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee): इस समिति में राज्य सभा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं होता है। इसके सदस्यों को एकल संक्रमणीय मत के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से लोकसभा द्वारा प्रतिवर्ष अपने स्वयं के सदस्यों में से चुना जाता है।