HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित में से किस उपनिषद में पहली बार भगवान कृष्ण के बचपन का वर्णन किया गया है?
Correct
उत्तर: d)
छांदोग्य उपनिषद में पहली बार भगवान कृष्ण के बचपन का वर्णन किया गया है।
Incorrect
उत्तर: d)
छांदोग्य उपनिषद में पहली बार भगवान कृष्ण के बचपन का वर्णन किया गया है।
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Question 2 of 5
2. Question
अशोक के ‘धम्म (Dhamma)’ के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसमें ‘कल्याणकारी राज्य‘ का आदर्श निहित था।
- इसने अपराधियों की सजा और उनके कारावास पर रोक लगा दी थी।
- इसने सभी धार्मिक संप्रदायों के बीच सहिष्णुता की वकालत की।
- पशु बलि का प्रचलन था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही नहीं हैं?
Correct
उतर: b)
- धम्मयात्राओं (tours) की प्रणाली के माध्यम से सामाजिक कल्याण और लोगों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने की दिशा में प्रशासन का कुशल संगठन अशोक के ‘धम्म’ की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी।
- अशोक द्वारा धम्म महामंत्रों को अनुचित कारावास के खिलाफ कदम उठाने के लिए कहा गया था। अशोक के शिलालेखों में सजा के परिहार का भी उल्लेख मिलता है। लेकिन, उन्होंने गैर-सजा की वकालत नहीं की।
अन्य विशेषताएं:
- पिता और माता की सेवा, अहिंसा का पालन, सत्य का पालन, शिक्षकों के प्रति श्रद्धा और लोगों के साथ अच्छा व्यवाहर करना।
- पशु बलि और उत्सव समारोहों पर प्रतिबंध और महंगे एवं अर्थहीन समारोहों तथा अनुष्ठानों से परहेज करना।
- स्वामी द्वारा नौकरों और सरकारी अधिकारियों द्वारा कैदियों के साथ मानवीय व्यवाहर करना।
- जानवरों पर दया एवं अहिंसा करना और ब्राह्मणों के साथ शिष्टाचारपूर्वक व्यवाहर करना।
Incorrect
उतर: b)
- धम्मयात्राओं (tours) की प्रणाली के माध्यम से सामाजिक कल्याण और लोगों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने की दिशा में प्रशासन का कुशल संगठन अशोक के ‘धम्म’ की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी।
- अशोक द्वारा धम्म महामंत्रों को अनुचित कारावास के खिलाफ कदम उठाने के लिए कहा गया था। अशोक के शिलालेखों में सजा के परिहार का भी उल्लेख मिलता है। लेकिन, उन्होंने गैर-सजा की वकालत नहीं की।
अन्य विशेषताएं:
- पिता और माता की सेवा, अहिंसा का पालन, सत्य का पालन, शिक्षकों के प्रति श्रद्धा और लोगों के साथ अच्छा व्यवाहर करना।
- पशु बलि और उत्सव समारोहों पर प्रतिबंध और महंगे एवं अर्थहीन समारोहों तथा अनुष्ठानों से परहेज करना।
- स्वामी द्वारा नौकरों और सरकारी अधिकारियों द्वारा कैदियों के साथ मानवीय व्यवाहर करना।
- जानवरों पर दया एवं अहिंसा करना और ब्राह्मणों के साथ शिष्टाचारपूर्वक व्यवाहर करना।
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Question 3 of 5
3. Question
इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?
Correct
उत्तर: d)
यह समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिसेन द्वारा रचित है।
Incorrect
उत्तर: d)
यह समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिसेन द्वारा रचित है।
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Question 4 of 5
4. Question
अकबर ने अपने एक घनिष्ठ मित्र और दरबारी कवि, अबुल फजल को तीन खंडों में ‘अकबरनामा‘ ग्रन्थ की रचना करने का आदेश दिया था। यह ग्रन्थ निम्नलिखित किससे संबंधित है:
- अकबर के पूर्वजों से
- भारतीय उपमहाद्वीप में प्रशासनिक प्रणाली के विकास से
- भारत के भूगोल से
- अकबर के शासनकाल की घटनाओं से
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए।
Correct
उत्तर: a)
- पहला खंड अकबर के पूर्वजों और दूसरा खंड अकबर के शासनकाल की घटनाओं से संबंधित है। तीसरा खंड आइना-ए-अकबरी है। यह अकबर के प्रशासन, परिवार, सेना, राजस्व और उसके साम्राज्य के भूगोल से संबंधित है।
- यह भारत में रहने वाले लोगों की परंपराओं और संस्कृति के बारे में समृद्ध विवरण भी प्रदान करता है। आइना-ए-अकबरी के बारे में सबसे रोचक पहलू फसलों, पैदावार, मूल्य, मजदूरी और राजस्व जैसी विविध चीजों के बारे में इसकी समृद्ध सांख्यिकीय जानकारी है।
Incorrect
उत्तर: a)
- पहला खंड अकबर के पूर्वजों और दूसरा खंड अकबर के शासनकाल की घटनाओं से संबंधित है। तीसरा खंड आइना-ए-अकबरी है। यह अकबर के प्रशासन, परिवार, सेना, राजस्व और उसके साम्राज्य के भूगोल से संबंधित है।
- यह भारत में रहने वाले लोगों की परंपराओं और संस्कृति के बारे में समृद्ध विवरण भी प्रदान करता है। आइना-ए-अकबरी के बारे में सबसे रोचक पहलू फसलों, पैदावार, मूल्य, मजदूरी और राजस्व जैसी विविध चीजों के बारे में इसकी समृद्ध सांख्यिकीय जानकारी है।
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Question 5 of 5
5. Question
क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- डोमिनियन स्टेटस के साथ एक भारतीय संघ की स्थापना करना।
- भारत के सुरक्षा संबंधी दायित्वों का निर्वहन ब्रिटेन करेगा।
- इसने मुसलमानों को आत्म-निर्धारण का अधिकार और पाकिस्तान के निर्माण की अनुमति दी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
क्रिप्स मिशन के मुख्य प्रस्ताव इस प्रकार थे।
- डोमिनियन स्टेटस के दर्जे के साथ एक भारतीय संघ की स्थापना की जायेगी; यह संघ राष्ट्रमंडल के साथ अपने संबंधों के निर्धारण में स्वतंत्र होगा तथा संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों एवं संस्थाओं में अपनी भूमिका को खुद ही निर्धारित करेगा।
- युद्ध की समाप्ति के पश्चात् नये संविधान निर्माण हेतु संविधान निर्मात्री परिषद का गठन किया जायेगा। इसके कुछ सदस्य प्रांतीय विधायिकाओं द्वारा निर्वाचित किये जायेंगे तथा कुछ (रियासतों का प्रतिनिधित्व करने के लिये) राजाओं द्वारा मनोनीत किये जायेंगे।
- ब्रिटिश सरकार, संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा बनाये गये नये संविधान को अग्रलिखित शतों के अधीन स्वीकार करेगा-
(i) संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा निर्मित संविधान जिन प्रांतों को स्वीकार नहीं होगा वे भारतीय संघ से पृथक होने के अधिकारी होंगें। पृथक होने वाले प्रान्तों को अपना पृथक संविधान बनाने का अधिकार होगा। देशी रियासतों को भी इसी प्रकार का अधिकार होगा; तथा
(ii) नवगठित संविधान निमत्रिी परिषद तथा ब्रिटिश सरकार सत्ता के हस्तांतरण तथा प्रजातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के मुद्दे को आपसी समझौते द्वारा हल करेंगे।
- उक्त व्यवस्था होने तक भारत के सुरक्षा संबंधी दायित्वों का निर्वहन ब्रिटेन करेगा; देश की सुरक्षा का नियंत्रण एवं निर्देशन करेगा; तथा गवर्नर-जनरल की समस्त शक्तियां पूर्ववत् बनी रहेंगी।
कांग्रेस की आपत्ति:
- भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा दिये जाने की व्यवस्था।
- देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के लिये निर्वाचन के स्थान पर मनोनयन की व्यवस्था।
- प्रांतों को भारतीय संघ से पृथक होने तथा पृथक संविधान बनाने की व्यवस्था, जो कि राष्ट्रीय एकता के सिद्धांत के विरुद्ध था।
- सत्ता के त्वरित हस्तांतरण की योजना का अभाव तथा प्रतिरक्षा के मुद्दे पर वास्तविक भागीदारी की व्यवस्था का न होना; गवर्नर जनरल की सर्वोच्चता पूर्ववत थी; तथा गवर्नर-जनरल को केवल संवैधानिक प्रमुख बनाने की मांग को स्वीकार न किया जाना।
मुस्लिम लीग की आपत्ति:
- एकल भारतीय संघ की व्यवस्था का होना उसे स्वीकार्य नहीं था।
- संविधान निर्मात्री परिषद के गठन का जो आधार सुनिश्चित किया था वह उसे स्वीकार्य नहीं था तथा प्रांतों के संघ से पृथक होने तथा अपना पृथक संविधान बनाने की जो विधि निर्धारित की गयी थी, उससे भी लीग असहमत थी।
- प्रस्तावों में मुसलमानों के आत्म-निर्धारण के सिद्धांत तथा पृथक पाकिस्तान की मांग को नहीं स्वीकार किया गया था।
Incorrect
उत्तर: a)
क्रिप्स मिशन के मुख्य प्रस्ताव इस प्रकार थे।
- डोमिनियन स्टेटस के दर्जे के साथ एक भारतीय संघ की स्थापना की जायेगी; यह संघ राष्ट्रमंडल के साथ अपने संबंधों के निर्धारण में स्वतंत्र होगा तथा संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों एवं संस्थाओं में अपनी भूमिका को खुद ही निर्धारित करेगा।
- युद्ध की समाप्ति के पश्चात् नये संविधान निर्माण हेतु संविधान निर्मात्री परिषद का गठन किया जायेगा। इसके कुछ सदस्य प्रांतीय विधायिकाओं द्वारा निर्वाचित किये जायेंगे तथा कुछ (रियासतों का प्रतिनिधित्व करने के लिये) राजाओं द्वारा मनोनीत किये जायेंगे।
- ब्रिटिश सरकार, संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा बनाये गये नये संविधान को अग्रलिखित शतों के अधीन स्वीकार करेगा-
(i) संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा निर्मित संविधान जिन प्रांतों को स्वीकार नहीं होगा वे भारतीय संघ से पृथक होने के अधिकारी होंगें। पृथक होने वाले प्रान्तों को अपना पृथक संविधान बनाने का अधिकार होगा। देशी रियासतों को भी इसी प्रकार का अधिकार होगा; तथा
(ii) नवगठित संविधान निमत्रिी परिषद तथा ब्रिटिश सरकार सत्ता के हस्तांतरण तथा प्रजातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के मुद्दे को आपसी समझौते द्वारा हल करेंगे।
- उक्त व्यवस्था होने तक भारत के सुरक्षा संबंधी दायित्वों का निर्वहन ब्रिटेन करेगा; देश की सुरक्षा का नियंत्रण एवं निर्देशन करेगा; तथा गवर्नर-जनरल की समस्त शक्तियां पूर्ववत् बनी रहेंगी।
कांग्रेस की आपत्ति:
- भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा दिये जाने की व्यवस्था।
- देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के लिये निर्वाचन के स्थान पर मनोनयन की व्यवस्था।
- प्रांतों को भारतीय संघ से पृथक होने तथा पृथक संविधान बनाने की व्यवस्था, जो कि राष्ट्रीय एकता के सिद्धांत के विरुद्ध था।
- सत्ता के त्वरित हस्तांतरण की योजना का अभाव तथा प्रतिरक्षा के मुद्दे पर वास्तविक भागीदारी की व्यवस्था का न होना; गवर्नर जनरल की सर्वोच्चता पूर्ववत थी; तथा गवर्नर-जनरल को केवल संवैधानिक प्रमुख बनाने की मांग को स्वीकार न किया जाना।
मुस्लिम लीग की आपत्ति:
- एकल भारतीय संघ की व्यवस्था का होना उसे स्वीकार्य नहीं था।
- संविधान निर्मात्री परिषद के गठन का जो आधार सुनिश्चित किया था वह उसे स्वीकार्य नहीं था तथा प्रांतों के संघ से पृथक होने तथा अपना पृथक संविधान बनाने की जो विधि निर्धारित की गयी थी, उससे भी लीग असहमत थी।
- प्रस्तावों में मुसलमानों के आत्म-निर्धारण के सिद्धांत तथा पृथक पाकिस्तान की मांग को नहीं स्वीकार किया गया था।