HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- प्रबन्ध – आलवारों द्वारा रचित
- द्रविड़ वेद – नयनारों द्वारा रचित
- अष्टाध्यायी – कपिला द्वारा रचित व्याकरण पर संस्कृत ग्रंथ
उपर्युक्त में से कौन-सा/से सही सुम्मेलित है/हैं?
Correct
उतर: b)
- वैष्णव कवि-संतों को आलवार के रूप में जाना जाता है (विष्णु-भक्ति के समर्थक लोगों को दर्शाता एक तमिल शब्द), इन्होने विष्णु के लिए एकल भक्ति (एकात्मिका भक्ति) का प्रचार किया और उनके गायनों को सामूहिक रूप से प्रबन्ध के रूप में जाना जाता था।
- तमिल में नयनार (शिव-भक्त) के रूप में जाने जाने वाले 63 संतों में से कई की गतिविधियों के माध्यम से दक्षिण में शैव धर्म शुरू हुआ। तमिल में उनके आकर्षक भावनात्मक गायनों को तेवारम स्तोत्र कहा जाता था, जिसे द्रविड़ वेद के रूप में भी जाना जाता है और स्थानीय शिव मंदिरों में इनका गायन किया जाता जाता है।
- अष्टाध्यायी – भारतीय व्याकरण पाणिनी द्वारा छठी से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में रचित व्याकरण पर संस्कृत ग्रंथ है।
Incorrect
उतर: b)
- वैष्णव कवि-संतों को आलवार के रूप में जाना जाता है (विष्णु-भक्ति के समर्थक लोगों को दर्शाता एक तमिल शब्द), इन्होने विष्णु के लिए एकल भक्ति (एकात्मिका भक्ति) का प्रचार किया और उनके गायनों को सामूहिक रूप से प्रबन्ध के रूप में जाना जाता था।
- तमिल में नयनार (शिव-भक्त) के रूप में जाने जाने वाले 63 संतों में से कई की गतिविधियों के माध्यम से दक्षिण में शैव धर्म शुरू हुआ। तमिल में उनके आकर्षक भावनात्मक गायनों को तेवारम स्तोत्र कहा जाता था, जिसे द्रविड़ वेद के रूप में भी जाना जाता है और स्थानीय शिव मंदिरों में इनका गायन किया जाता जाता है।
- अष्टाध्यायी – भारतीय व्याकरण पाणिनी द्वारा छठी से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में रचित व्याकरण पर संस्कृत ग्रंथ है।
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Question 2 of 5
2. Question
भारत में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इंडो-इस्लामिक संरचनाएं भारतीय वास्तुकला और आलंकारिक रूपों की संवेदनशीलता से अत्यधिक प्रभावित थीं।
- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला ने वास्तुकला में विशालता और भव्यता को प्रस्तुत किया।
- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला में मानव और जानवरों की आकृतियों का अधिक उपयोग किया गया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: a)
- इंडो-इस्लामिक संरचनाएं प्रचलित भारतीय वास्तुकला और आलंकारिक
- रूपों की संवेदनशीलता से अत्यधिक प्रभावित थीं।
- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला में मानव और जानवरों की आकृतियों का उपयोग नहीं किया गया।
- जहाँ हिंदू वास्तुकला बहुत अत्यधिक संकुलित हो गई थी, वहीं इंडो-इस्लामिक वास्तुकला ने इसमें विशालता, भव्यता और विस्तार का परिचय दिया।
Incorrect
उत्तर: a)
- इंडो-इस्लामिक संरचनाएं प्रचलित भारतीय वास्तुकला और आलंकारिक
- रूपों की संवेदनशीलता से अत्यधिक प्रभावित थीं।
- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला में मानव और जानवरों की आकृतियों का उपयोग नहीं किया गया।
- जहाँ हिंदू वास्तुकला बहुत अत्यधिक संकुलित हो गई थी, वहीं इंडो-इस्लामिक वास्तुकला ने इसमें विशालता, भव्यता और विस्तार का परिचय दिया।
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Question 3 of 5
3. Question
लपिस लाजुली (Lapis lazuli) एक नीले रंग का अर्द्ध मूल्यवान पत्थर है जिसे कभी-कभी सोने में जड़ा जाता था। मध्ययुगीन भारत में, इसका गहनों और आधिकारिक मुहरों में उपयोग किया गया था। इस पत्थर को मुख्यतः कहाँ से प्राप्त किया जाता था?
Correct
उत्तर: b)
- प्राचीन विश्व में मुख्य स्रोत उत्तरी अफगानिस्तान के बदाकशान पहाड़ थे, जहां से इसका व्यापक रूप से कारोबार किया गया था।
- लपिस लाजुली का उपयोग आभूषणों, मुहरों आदि में किया जाता था। आज पूर्वोत्तर अफगानिस्तान और पाकिस्तान की खदानें अभी भी लपिस लाजुली का प्रमुख स्रोत हैं।
- रूस में झील बैकाल के पश्चिम में स्थित खानों और चिली में एंडीज पर्वत से भी महत्वपूर्ण मात्रा में इसका उत्पादन किया जाता है।
- इटली, मंगोलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में छोटी मात्रा में खनन किया जाता है। इसका उपयोग पुनर्जागरण और बैरोक के कुछ सबसे महत्वपूर्ण कलाकारों द्वारा किया गया था, जिसमें माशियाको, पेरुगिनो, टिटियन और वर्मीयर शामिल थे।
Incorrect
उत्तर: b)
- प्राचीन विश्व में मुख्य स्रोत उत्तरी अफगानिस्तान के बदाकशान पहाड़ थे, जहां से इसका व्यापक रूप से कारोबार किया गया था।
- लपिस लाजुली का उपयोग आभूषणों, मुहरों आदि में किया जाता था। आज पूर्वोत्तर अफगानिस्तान और पाकिस्तान की खदानें अभी भी लपिस लाजुली का प्रमुख स्रोत हैं।
- रूस में झील बैकाल के पश्चिम में स्थित खानों और चिली में एंडीज पर्वत से भी महत्वपूर्ण मात्रा में इसका उत्पादन किया जाता है।
- इटली, मंगोलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में छोटी मात्रा में खनन किया जाता है। इसका उपयोग पुनर्जागरण और बैरोक के कुछ सबसे महत्वपूर्ण कलाकारों द्वारा किया गया था, जिसमें माशियाको, पेरुगिनो, टिटियन और वर्मीयर शामिल थे।
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Question 4 of 5
4. Question
सराय (Sarai), मध्यकालीन भारत की एक प्रमुख विशेषता थी, जो है:
Correct
उत्तर: c)
सराय (Sarai): धर्मशाला (traveller’s lodge)।
मध्ययुगीन भारत की एक बेहद दिलचस्प विशेषता सराय थी जो शहरों के चारो और स्थित होती थी और भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल स्थान पर स्थित थी। सराय को बड़े पैमाने पर एक साधारण वर्ग या आयताकार समतल पर निर्मित किया गया था और इसका उद्देश्य भारतीय और विदेशी यात्रियों, तीर्थयात्रियों, व्यापारियों आदि को अस्थायी आवास प्रदान करना था। वास्तव में, सराय वे सार्वजनिक क्षेत्र थे जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों निवास करते थे। इसने लोगों के स्तर पर और समय के सांस्कृतिक रीतिरिवाजों में क्रॉस-कल्चरल इंटरैक्शन, प्रभाव और समन्वयवादी प्रवृत्तियों को जन्म दिया।
Incorrect
उत्तर: c)
सराय (Sarai): धर्मशाला (traveller’s lodge)।
मध्ययुगीन भारत की एक बेहद दिलचस्प विशेषता सराय थी जो शहरों के चारो और स्थित होती थी और भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल स्थान पर स्थित थी। सराय को बड़े पैमाने पर एक साधारण वर्ग या आयताकार समतल पर निर्मित किया गया था और इसका उद्देश्य भारतीय और विदेशी यात्रियों, तीर्थयात्रियों, व्यापारियों आदि को अस्थायी आवास प्रदान करना था। वास्तव में, सराय वे सार्वजनिक क्षेत्र थे जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों निवास करते थे। इसने लोगों के स्तर पर और समय के सांस्कृतिक रीतिरिवाजों में क्रॉस-कल्चरल इंटरैक्शन, प्रभाव और समन्वयवादी प्रवृत्तियों को जन्म दिया।
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Question 5 of 5
5. Question
पद्मनाभस्वामी मंदिर के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- पद्मनाभस्वामी मंदिर तमिलनाडु में स्थित एक हिंदू मंदिर है।
- मंदिर चेरा शैली और वास्तुकला की द्रविड़ शैली के जटिल संयोजन में निर्मित है।
- पद्मनाभस्वामी मंदिर में मुख्य रूप से शेषनाग पर शयन मुद्रा में भगवान विष्णु विराजमान हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: c)
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित एक हिंदू मंदिर है। मंदिर को चेर शैली और वास्तुकला की द्रविड़ शैली के जटिल संयोजन में निर्मित किया गया है, जिसमें ऊँची दीवारें और 16वीं सदी का गोपुरम निर्मित है। प्रमुख देवता पद्मनाभस्वामी (विष्णु) “अनंत शयन” मुद्रा में, शेषनाग पर विराजमान हैं। पद्मनाभस्वामी त्रावणकोर के शाही परिवार के रक्षक देवता हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित एक हिंदू मंदिर है। मंदिर को चेर शैली और वास्तुकला की द्रविड़ शैली के जटिल संयोजन में निर्मित किया गया है, जिसमें ऊँची दीवारें और 16वीं सदी का गोपुरम निर्मित है। प्रमुख देवता पद्मनाभस्वामी (विष्णु) “अनंत शयन” मुद्रा में, शेषनाग पर विराजमान हैं। पद्मनाभस्वामी त्रावणकोर के शाही परिवार के रक्षक देवता हैं।