HINDI - INSIGHTS CURRENT EVENTS QUIZ 2020
Quiz-summary
0 of 5 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
Information
Welcome to Current Affairs Quiz in HINDI Medium. Hope you are happy with our Hindi Current Affairs. The following Quiz is based on the Hindu, PIB and other news sources. It is a current events based quiz. Solving these questions will help retain both concepts and facts relevant to UPSC IAS civil services exam – 2020-2021
To view Solutions, follow these instructions:
-
Click on – ‘Start Quiz’ button
-
Solve Questions
-
Click on ‘Quiz Summary’ button
-
Click on ‘Finish Quiz’ button
-
Now click on ‘View Questions’ button – here you will see solutions and links.
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading...
You must sign in or sign up to start the quiz.
You have to finish following quiz, to start this quiz:
Results
0 of 5 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 points, (0)
Average score |
|
Your score |
|
Categories
- Not categorized 0%
Pos. | Name | Entered on | Points | Result |
---|---|---|---|---|
Table is loading | ||||
No data available | ||||
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- Answered
- Review
-
Question 1 of 5
1. Question
1 pointsकभी-कभी समाचारों में चर्चित ‘प्रोजेक्ट कुइपर (Project Kuiper)’ है
Correct
उत्तर: b)
- सुनील मित्तल की भारती एंटरप्राइजेज ने सॉफ्टबैंक समर्थित सैटेलाइट फर्म वनवेब के लिए बोली लगाई।
- वनवेब द्वारा निम्न भू-कक्षा (Low Earth Orbit: LEO) के उपग्रहों का निर्माण किया जाता है जो उच्च गति संचार प्रदान करता हैं। इसे स्पेसएक्स स्टारलिंक प्रोजेक्ट और प्रोजेक्ट कुइपर से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
- प्रोजेक्ट कुइपर निम्न भू-कक्षा में अनेक उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए एक दीर्घकालिक पहल है जो विश्व भर के असेवित क्षेत्रों और असेवित समुदायों को लो-लेटेंसी वाला उच्च गति युक्त ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
Incorrect
उत्तर: b)
- सुनील मित्तल की भारती एंटरप्राइजेज ने सॉफ्टबैंक समर्थित सैटेलाइट फर्म वनवेब के लिए बोली लगाई।
- वनवेब द्वारा निम्न भू-कक्षा (Low Earth Orbit: LEO) के उपग्रहों का निर्माण किया जाता है जो उच्च गति संचार प्रदान करता हैं। इसे स्पेसएक्स स्टारलिंक प्रोजेक्ट और प्रोजेक्ट कुइपर से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
- प्रोजेक्ट कुइपर निम्न भू-कक्षा में अनेक उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए एक दीर्घकालिक पहल है जो विश्व भर के असेवित क्षेत्रों और असेवित समुदायों को लो-लेटेंसी वाला उच्च गति युक्त ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
-
Question 2 of 5
2. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन-से बंदरगाह भारत के पश्चिमी तट पर स्थित हैं।
- वाडिनार बंदरगाह
- मुंद्रा बंदरगाह
- धामरा बंदरगाह
- काकीनाडा बंदरगाह
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: c)
- मुंद्रा बंदरगाह भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है, जो कच्छ की खाड़ी के उत्तरी किनारे पर मुंद्रा के पास, कच्छ (गुजरात) में अवस्थित है। मुंद्रा बंदरगाह भारत में सभी परिचालन बंदरगाहों में प्रतिवर्ष 338 MMT कार्गो की क्षमता है। यह कार्गों की मात्रा को संभालने के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा वाणिज्यिक बंदरगाह है।
- वाडिनार गुजरात राज्य के देवभूमि द्वारका जिले में स्थित एक लघु तटीय शहर है।
- धामरा बंदरगाह, भद्रक जिले (ओडिशा) में एक बंदरगाह है जो बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है।
- काकीनाडा पोर्ट भारत के पूर्वी तट पर काकीनाडा में स्थित है।
Incorrect
उत्तर: c)
- मुंद्रा बंदरगाह भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है, जो कच्छ की खाड़ी के उत्तरी किनारे पर मुंद्रा के पास, कच्छ (गुजरात) में अवस्थित है। मुंद्रा बंदरगाह भारत में सभी परिचालन बंदरगाहों में प्रतिवर्ष 338 MMT कार्गो की क्षमता है। यह कार्गों की मात्रा को संभालने के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा वाणिज्यिक बंदरगाह है।
- वाडिनार गुजरात राज्य के देवभूमि द्वारका जिले में स्थित एक लघु तटीय शहर है।
- धामरा बंदरगाह, भद्रक जिले (ओडिशा) में एक बंदरगाह है जो बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है।
- काकीनाडा पोर्ट भारत के पूर्वी तट पर काकीनाडा में स्थित है।
-
Question 3 of 5
3. Question
1 points‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centers Authority: IFSCA)’ के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण’ प्रतिभूति, जमा, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों जैसे वित्तीय उत्पादों को विनियमित करेगा, जिन्हें पूर्व में किसी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSCs) में किसी उपयुक्त नियामक द्वारा अनुमोदित किया गया हो।
- इसका मुख्यालय गुजरात में स्थापित किया जायेगा।
- इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की जाएगी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: a)
- मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (The Appointments Committee of the Cabinet) ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centers Authority: IFSCA) के अध्यक्ष के रूप में एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, इनजेती श्रीनिवास की नियुक्ति को मंजूरी दी है।
- उन्हें तीन वर्ष की अवधि के लिए IFSCA के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।
- अध्यक्ष के अलावा, IFSCA में RBI, IRDAI, SEBI और PFRDA से नामित एक सदस्य शामिल होगा। प्राधिकरण में केंद्र सरकार के दो सदस्य और पूर्णकालिक या अंशकालिक सदस्य भी शामिल होंगे।
- वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) की स्थापना की थी। अधिसूचना के अनुसार, निकाय का मुख्यालय गुजरात के गांधीनगर में स्थापित किया जायेगा।
- इसके साथ, सरकार ने देश में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) में सभी वित्तीय सेवाओं को विनियमित करने के लिए एक एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना की है।
- वर्तमान में, IFSC में बैंकिंग, पूंजी बाजार और बीमा क्षेत्रों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) जैसे कई नियामकों द्वारा विनियमित किया जाता है।
- प्राधिकरण का मुख्य कार्य वित्तीय उत्पादों जैसे प्रतिभूतियों, जमा या बीमा, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के अनुबंधों को विनियमित करना होगा, जिन्हें पूर्व में IFSC में किसी उपयुक्त नियामक द्वारा अनुमोदित किया गया हो।
Incorrect
उत्तर: a)
- मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (The Appointments Committee of the Cabinet) ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centers Authority: IFSCA) के अध्यक्ष के रूप में एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, इनजेती श्रीनिवास की नियुक्ति को मंजूरी दी है।
- उन्हें तीन वर्ष की अवधि के लिए IFSCA के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।
- अध्यक्ष के अलावा, IFSCA में RBI, IRDAI, SEBI और PFRDA से नामित एक सदस्य शामिल होगा। प्राधिकरण में केंद्र सरकार के दो सदस्य और पूर्णकालिक या अंशकालिक सदस्य भी शामिल होंगे।
- वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) की स्थापना की थी। अधिसूचना के अनुसार, निकाय का मुख्यालय गुजरात के गांधीनगर में स्थापित किया जायेगा।
- इसके साथ, सरकार ने देश में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) में सभी वित्तीय सेवाओं को विनियमित करने के लिए एक एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना की है।
- वर्तमान में, IFSC में बैंकिंग, पूंजी बाजार और बीमा क्षेत्रों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) जैसे कई नियामकों द्वारा विनियमित किया जाता है।
- प्राधिकरण का मुख्य कार्य वित्तीय उत्पादों जैसे प्रतिभूतियों, जमा या बीमा, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के अनुबंधों को विनियमित करना होगा, जिन्हें पूर्व में IFSC में किसी उपयुक्त नियामक द्वारा अनुमोदित किया गया हो।
-
Question 4 of 5
4. Question
1 pointsहाल ही में एक दुर्लभ आर्किड प्रजाति ‘यूलोफिया ओबटुसा (Eulophia obtusa)’ जिसे ग्राउंड ऑर्किड के रूप में भी जाना जाता है, भारत में 100 से भी अधिक वर्षों के बाद निम्नलिखित में से किस राज्य में पुन: खोजा गया है:
Correct
उत्तर: d)
- उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में नियमित निरीक्षण के दौरान वन अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा एक दुर्लभ ऑर्किड प्रजाति यूलोफिया ओबटुसा (Eulophia obtusa) को पुन: खोजा गया है, जिसे भारत में ग्राउंड ऑर्किड (ground orchid) के रूप में भी जाना जाता है।
- भारत में, इस प्रजाति को IUCN की रेड लिस्ट में “गंभीर रूप से लुप्तप्राय” (critically endangered)” के रूप में सूचीबद्ध किया गया गया है। इस प्रजाति को अंतिम बार 1902 में पीलीभीत में देखा गया था। इस प्रजाति को मूल रूप से 19वीं शताब्दी में उत्तराखंड में खोजा गया था। इसे गंगा के मैदान से वनस्पति विज्ञानियों द्वारा एकत्र किया गया था, लेकिन पिछले 100 वर्षों में इसे नहीं देखा गया है। 2008 में, बांग्लादेश में पहली बार इस पौधों की प्रजातियों को देखा गया था।
Incorrect
उत्तर: d)
- उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में नियमित निरीक्षण के दौरान वन अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों द्वारा एक दुर्लभ ऑर्किड प्रजाति यूलोफिया ओबटुसा (Eulophia obtusa) को पुन: खोजा गया है, जिसे भारत में ग्राउंड ऑर्किड (ground orchid) के रूप में भी जाना जाता है।
- भारत में, इस प्रजाति को IUCN की रेड लिस्ट में “गंभीर रूप से लुप्तप्राय” (critically endangered)” के रूप में सूचीबद्ध किया गया गया है। इस प्रजाति को अंतिम बार 1902 में पीलीभीत में देखा गया था। इस प्रजाति को मूल रूप से 19वीं शताब्दी में उत्तराखंड में खोजा गया था। इसे गंगा के मैदान से वनस्पति विज्ञानियों द्वारा एकत्र किया गया था, लेकिन पिछले 100 वर्षों में इसे नहीं देखा गया है। 2008 में, बांग्लादेश में पहली बार इस पौधों की प्रजातियों को देखा गया था।
-
Question 5 of 5
5. Question
1 points‘जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services: IPBES)’ के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ‘जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान नीति मंच (IPBES)’, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से सम्बन्धित मुद्दों पर विज्ञान और नीति के बीच इंटरफेस में सुधार के लिए स्थापित एक स्वतंत्र अंतर सरकारी निकाय है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme: UNEP) IPBES को सचिवालय सेवाएं प्रदान करता है।
- भारत IPBES का सदस्य है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: d)
- “जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services: IPBES)” एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है, जिसे जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग, दीर्घकालिक मानव कल्याण और सतत विकास के लिए जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए विज्ञान-नीति इंटरफ़ेस को मजबूत करने के लिए राज्यों द्वारा स्थापित किया गया है।
- इसकी स्थापना पनामा सिटी में 21 अप्रैल 2012 को 94 राष्ट्रों की सरकारों द्वारा की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र का निकाय नहीं है। हालांकि, IPBES के अनुरोध पर और 2013 में UNEP गवर्निंग काउंसिल के प्राधिकरण के साथ, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) IPBES को सचिवालय सेवाएं प्रदान करता है।
- IPBES में वर्तमान में 134 से अधिक सदस्य राष्ट्र हैं। बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठन, संगठन, सम्मेलन और नागरिक समाज समूह भी पर्यवेक्षकों के रूप में IPBES की औपचारिक प्रक्रिया में भाग लेते हैं, जिसमें कई हजार व्यक्तिगत हितधारक भी शामिल होते हैं, जिनमें वैज्ञानिक विशेषज्ञों से लेकर शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों, स्थानीय समुदायों तथा निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों का योगदान भी होता है।
- IPBES के कार्य को मुख्य रूप से चार पूरक क्षेत्रों (complementary areas) में विभाजित किया जा सकता है:
- मूल्यांकन (Assessments): विशिष्ट विषयों (जैसे “परागणकों, परागण और खाद्य उत्पादन”) पर; पद्धति संबंधी मुद्दे (जैसे “परिदृश्य और मॉडलिंग); और क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर (जैसे “जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का वैश्विक मूल्यांकन”)।
- नीतिगत समर्थन (Policy Support): नीतिगत-प्रासंगिक उपकरण और कार्यप्रणाली की पहचान करना, उनके उपयोग को सुविधाजनक बनाना और उनके आगे के विकास को उत्प्रेरित करना।
- क्षमता और ज्ञान को बढ़ावा (Building Capacity & Knowledge): सदस्य राष्ट्रों, विशेषज्ञों और हितधारकों की क्षमता, ज्ञान और डेटा संबंधी आवश्यकताओं की पहचान करना और उन्हें पूरा करना।
- संचार और आउटरीच (Communications & Outreach): हमारे कार्य की व्यापक पहुंच और प्रभाव को सुनिश्चित करना।
Incorrect
उत्तर: d)
- “जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services: IPBES)” एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है, जिसे जैव विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग, दीर्घकालिक मानव कल्याण और सतत विकास के लिए जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए विज्ञान-नीति इंटरफ़ेस को मजबूत करने के लिए राज्यों द्वारा स्थापित किया गया है।
- इसकी स्थापना पनामा सिटी में 21 अप्रैल 2012 को 94 राष्ट्रों की सरकारों द्वारा की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र का निकाय नहीं है। हालांकि, IPBES के अनुरोध पर और 2013 में UNEP गवर्निंग काउंसिल के प्राधिकरण के साथ, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) IPBES को सचिवालय सेवाएं प्रदान करता है।
- IPBES में वर्तमान में 134 से अधिक सदस्य राष्ट्र हैं। बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठन, संगठन, सम्मेलन और नागरिक समाज समूह भी पर्यवेक्षकों के रूप में IPBES की औपचारिक प्रक्रिया में भाग लेते हैं, जिसमें कई हजार व्यक्तिगत हितधारक भी शामिल होते हैं, जिनमें वैज्ञानिक विशेषज्ञों से लेकर शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों, स्थानीय समुदायों तथा निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों का योगदान भी होता है।
- IPBES के कार्य को मुख्य रूप से चार पूरक क्षेत्रों (complementary areas) में विभाजित किया जा सकता है:
- मूल्यांकन (Assessments): विशिष्ट विषयों (जैसे “परागणकों, परागण और खाद्य उत्पादन”) पर; पद्धति संबंधी मुद्दे (जैसे “परिदृश्य और मॉडलिंग); और क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर (जैसे “जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का वैश्विक मूल्यांकन”)।
- नीतिगत समर्थन (Policy Support): नीतिगत-प्रासंगिक उपकरण और कार्यप्रणाली की पहचान करना, उनके उपयोग को सुविधाजनक बनाना और उनके आगे के विकास को उत्प्रेरित करना।
- क्षमता और ज्ञान को बढ़ावा (Building Capacity & Knowledge): सदस्य राष्ट्रों, विशेषज्ञों और हितधारकों की क्षमता, ज्ञान और डेटा संबंधी आवश्यकताओं की पहचान करना और उन्हें पूरा करना।
- संचार और आउटरीच (Communications & Outreach): हमारे कार्य की व्यापक पहुंच और प्रभाव को सुनिश्चित करना।