HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
संविधान का अनुच्छेद 110 धन विधेयक की परिभाषा से संबंधित है। इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए, कोई विधेयक धन विधेयक समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों से संबंधित उपबंध शामिल हैं?
- किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा किसी कर का उत्सादन करना
- भारत की संचित निधि से धन का विनियोग करना
- संघ सरकार द्वारा धन उधार लेने संबंधी विनियमन
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: b)
संविधान का अनुच्छेद 110 धन विधेयकों की परिभाषा से संबंधित है। इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए, कोई विधेयक धन विधेयक समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों से संबंधित उपबंध शामिल हैं:
- किसी कर का अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन;
- भारत सरकार द्वारा धन उधार लेने का या कोई प्रत्याभूति देने का विनियमन अथवा भारत सरकार द्वारा अपने पर ली गई या ली जाने वाली किन्हीं वित्तीय बाध्यताओं से संबंधित विधि का संशोधन;
- भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी किसी विधि में धन जमा करना या उसमें से धन निकालना;
- भारत की संचित निधि में से धन का विनियोग;
- किसी व्यय को भारत की संचित निधि पर भारित व्यय घोषित करना या ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की संपरीक्षा; या
- भारत की संचित निधि या भारत के लोक लेखे मद्धे धन प्राप्त करना अथवा ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की संपरीक्षा; या
- ऊपर विनिर्दिष्ट किसी विषय का आनुषंगिक कोई विषय।
हालाँकि, कोई विधेयक केवल इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि वह जुर्मानों या अन्य धनीय शास्तियों के अधिरोपण का अथवा अनुज्ञप्तियों के लिए फीसों की या की गई सेवाओं के लिए फीसों की मांग का या उनके संदाय का उपबंध करता है अथवा इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि वह किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन का उपबंध करता है।
Incorrect
उत्तर: b)
संविधान का अनुच्छेद 110 धन विधेयकों की परिभाषा से संबंधित है। इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए, कोई विधेयक धन विधेयक समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों से संबंधित उपबंध शामिल हैं:
- किसी कर का अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन;
- भारत सरकार द्वारा धन उधार लेने का या कोई प्रत्याभूति देने का विनियमन अथवा भारत सरकार द्वारा अपने पर ली गई या ली जाने वाली किन्हीं वित्तीय बाध्यताओं से संबंधित विधि का संशोधन;
- भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी किसी विधि में धन जमा करना या उसमें से धन निकालना;
- भारत की संचित निधि में से धन का विनियोग;
- किसी व्यय को भारत की संचित निधि पर भारित व्यय घोषित करना या ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की संपरीक्षा; या
- भारत की संचित निधि या भारत के लोक लेखे मद्धे धन प्राप्त करना अथवा ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की संपरीक्षा; या
- ऊपर विनिर्दिष्ट किसी विषय का आनुषंगिक कोई विषय।
हालाँकि, कोई विधेयक केवल इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि वह जुर्मानों या अन्य धनीय शास्तियों के अधिरोपण का अथवा अनुज्ञप्तियों के लिए फीसों की या की गई सेवाओं के लिए फीसों की मांग का या उनके संदाय का उपबंध करता है अथवा इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि वह किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन का उपबंध करता है।
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Question 2 of 5
2. Question
लोकसभा अध्यक्ष को हटाया जा सकता है:
- लोकसभा के कुल सदस्य के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा
- लोकसभा द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई जांच द्वारा
- राष्ट्रपति के आदेश द्वारा
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: a)
अध्यक्ष को निम्नलिखित तीन मामलों में से किसी मामले में पहले ही अपना पद त्यागना करना होगा:
- यदि वह लोकसभा का सदस्य नहीं रहता है;
- यदि वह उपाध्यक्ष को संबोधित अपने पत्र द्वारा इस्तीफा दे देता है; तथा
- यदि उसे लोकसभा के सभी सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटा दिया जाता है। इस तरह के प्रस्ताव को केवल 14 दिनों की अग्रिम सूचना देने के बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
जब अध्यक्ष को हटाने संबंधी प्रस्ताव सदन में विचाराधीन होता है, तो वह सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकता है, हालांकि वह उपस्थित हो सकता है। वह ऐसे समय में सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं और पहली बार में मतदान कर सकता है, हालांकि, वह वोटों की समानता की स्थिति में मत नहीं दे सकता है।
यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जब भी लोकसभा विघटित होती है, तो अध्यक्ष अपना पद रिक्त नहीं करता है और वह नई लोकसभा की बैठक तक पद पर बना रहता है।
Incorrect
उत्तर: a)
अध्यक्ष को निम्नलिखित तीन मामलों में से किसी मामले में पहले ही अपना पद त्यागना करना होगा:
- यदि वह लोकसभा का सदस्य नहीं रहता है;
- यदि वह उपाध्यक्ष को संबोधित अपने पत्र द्वारा इस्तीफा दे देता है; तथा
- यदि उसे लोकसभा के सभी सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटा दिया जाता है। इस तरह के प्रस्ताव को केवल 14 दिनों की अग्रिम सूचना देने के बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
जब अध्यक्ष को हटाने संबंधी प्रस्ताव सदन में विचाराधीन होता है, तो वह सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकता है, हालांकि वह उपस्थित हो सकता है। वह ऐसे समय में सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं और पहली बार में मतदान कर सकता है, हालांकि, वह वोटों की समानता की स्थिति में मत नहीं दे सकता है।
यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जब भी लोकसभा विघटित होती है, तो अध्यक्ष अपना पद रिक्त नहीं करता है और वह नई लोकसभा की बैठक तक पद पर बना रहता है।
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Question 3 of 5
3. Question
अध्यक्ष पद के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है।
- चुनाव के समय उसे सदन का सदस्य होने की आवश्यकता नहीं है।
- उसका चुनाव लोकसभा और राज्यसभा दोनों के द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
अध्यक्ष अपने पद पर तब तक बना रहता है जब तक उसे सदन का विश्वास प्राप्त है। उसे केवल लोकसभा द्वारा पारित संकल्प द्वारा हटाया जा सकता है।
सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा अध्यक्ष को अपने सदस्यों में से चुना जाता है। इस प्रकार, अध्यक्ष के चुनाव के लिए कोई विशिष्ट निर्हरता निर्धारित नहीं है। संविधान में केवल यह कहा गया है कि अध्यक्ष को सदन का सदस्य होना चाहिए।
उनके चुनाव में राज्यसभा की कोई भूमिका नहीं होती है। लेकिन, लोकसभा और राज्यसभा दोनों राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी अर्थात् उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन में भूमिका निभाते हैं।
Incorrect
उत्तर: d)
अध्यक्ष अपने पद पर तब तक बना रहता है जब तक उसे सदन का विश्वास प्राप्त है। उसे केवल लोकसभा द्वारा पारित संकल्प द्वारा हटाया जा सकता है।
सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा अध्यक्ष को अपने सदस्यों में से चुना जाता है। इस प्रकार, अध्यक्ष के चुनाव के लिए कोई विशिष्ट निर्हरता निर्धारित नहीं है। संविधान में केवल यह कहा गया है कि अध्यक्ष को सदन का सदस्य होना चाहिए।
उनके चुनाव में राज्यसभा की कोई भूमिका नहीं होती है। लेकिन, लोकसभा और राज्यसभा दोनों राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी अर्थात् उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन में भूमिका निभाते हैं।
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Question 4 of 5
4. Question
भारत में “राजनीतिक दलों” की प्रणाली के अस्तित्व को संविधान की निम्नलिखित अनुसूची में से कौन-सी स्पष्ट रूप से संवैधानिक मान्यता प्रदान करती है?
Correct
उत्तर: b)
संविधान की दसवीं अनुसूची (जो दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है) की रूपरेखा राजनीतिक दल परिवर्तन के दोषों तथा दुष्प्रभावों, जो कि पद के प्रलोभन अथवा भौतिक लाभ या इसी प्रकार के अन्य समान प्रलोभनों से प्रेरित होती है, पर रोक लगाने के लिए की गई थी।
चूंकि दलबदल विरोधी प्रावधानों में स्पष्ट रूप से राजनीतिक दलों (और सदस्यों को इसकी सदस्यता छोड़ने पर अयोग्य घोषित किया गया है) के अस्तित्व का उल्लेख है, अत: दसवीं अनुसूची राजनीतिक दलों की प्रणाली को मान्यता प्रदान करती है।
Incorrect
उत्तर: b)
संविधान की दसवीं अनुसूची (जो दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है) की रूपरेखा राजनीतिक दल परिवर्तन के दोषों तथा दुष्प्रभावों, जो कि पद के प्रलोभन अथवा भौतिक लाभ या इसी प्रकार के अन्य समान प्रलोभनों से प्रेरित होती है, पर रोक लगाने के लिए की गई थी।
चूंकि दलबदल विरोधी प्रावधानों में स्पष्ट रूप से राजनीतिक दलों (और सदस्यों को इसकी सदस्यता छोड़ने पर अयोग्य घोषित किया गया है) के अस्तित्व का उल्लेख है, अत: दसवीं अनुसूची राजनीतिक दलों की प्रणाली को मान्यता प्रदान करती है।
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Question 5 of 5
5. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- कोई विधेयक लोकसभा में पारित और राज्सयभा में विचाराधीन है, तो वह व्यपगत हो जाता है।
- कोई विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है, लेकिन राज्यसभा में विचाराधीन है, तो वह व्यपगत नहीं होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
- लोकसभा में विचाराधीन एक विधेयक व्यपगत हो जाता है (चाहे उसे लोकसभा में पेश किया गया हो या राज्यसभा द्वारा उसे प्रेषित किया गया हो)।
- एक विधेयक लोकसभा द्वारा पारित, लेकिन राज्यसभा में विचाराधीन होने पर, व्यपगत हो जाता है।
- ऐसा विधेयक जो दोनों सदनों में असहमति के कारण पारित नहीं हुआ हो और राष्ट्रपति ने लोकसभा के विघटन से पूर्व दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई हो, व्यपगत नहीं होता है।
- ऐसा विधेयक जो राज्यसभा में विचाराधीन हो, लेकिन लोकसभा द्वारा पारित नहीं किया गया हो, व्यपगत नहीं होता है।
- ऐसा विधेयक जो दोनों सदनों द्वारा पारित हो और राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए विचाराधीन हो, व्यपगत नहीं होता है।
- ऐसा विधेयक जो दोनों सदनों द्वारा पारित हो, लेकिन राष्ट्रपति द्वारा सदनों को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया गया हो, व्यपगत नहीं होता है।
Incorrect
उत्तर: a)
- लोकसभा में विचाराधीन एक विधेयक व्यपगत हो जाता है (चाहे उसे लोकसभा में पेश किया गया हो या राज्यसभा द्वारा उसे प्रेषित किया गया हो)।
- एक विधेयक लोकसभा द्वारा पारित, लेकिन राज्यसभा में विचाराधीन होने पर, व्यपगत हो जाता है।
- ऐसा विधेयक जो दोनों सदनों में असहमति के कारण पारित नहीं हुआ हो और राष्ट्रपति ने लोकसभा के विघटन से पूर्व दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई हो, व्यपगत नहीं होता है।
- ऐसा विधेयक जो राज्यसभा में विचाराधीन हो, लेकिन लोकसभा द्वारा पारित नहीं किया गया हो, व्यपगत नहीं होता है।
- ऐसा विधेयक जो दोनों सदनों द्वारा पारित हो और राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए विचाराधीन हो, व्यपगत नहीं होता है।
- ऐसा विधेयक जो दोनों सदनों द्वारा पारित हो, लेकिन राष्ट्रपति द्वारा सदनों को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया गया हो, व्यपगत नहीं होता है।