HINDI - INSIGHTS CURRENT EVENTS QUIZ 2020
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Welcome to Current Affairs Quiz in HINDI Medium. Hope you are happy with our Hindi Current Affairs. The following Quiz is based on the Hindu, PIB and other news sources. It is a current events based quiz. Solving these questions will help retain both concepts and facts relevant to UPSC IAS civil services exam – 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
1 pointsगोल्डन लंगूर के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ये केवल असम और भूटान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।
- यह भारत की सर्वाधिक संकटग्रस्त (endangered) प्राइमेट प्रजातियों में से एक है।
- यह तीन नदियों यथा – दक्षिण में ब्रह्मपुत्र, पूर्व में मानस और पश्चिम में संकोश से घिरे हुए क्षेत्र में निवास करता है।
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?
Correct
उत्तर: d)
- गी गोल्डन लंगूर (Trachypithecus geei), इसे सामान्यतया गोल्डन लंगूर के नाम से भी जाना जाता है। यह पश्चिमी असम के एक छोटे से क्षेत्र में और भूटान के ब्लैक माउंटेन की तलहटी में पाया जाने वाला विश्व का एक प्राचीन वानर है। यह भारत की सर्वाधिक संकटग्रस्त (endangered) प्राइमेट प्रजातियों में से एक है।
- गोल्डन लंगूर भारत-भूटान की सीमा पर विस्तृत अर्द्ध सदाबहार और मिश्रित पर्णपाती वनों में पाया जाने वाला एक स्थानिक जीव है।
- असम में तीन नदियों यथा – दक्षिण में ब्रह्मपुत्र, पूर्व में मानस और पश्चिम में संकोश नदी से घिरे हुए क्षेत्र में गोल्डन लंगूर पाया जाता है। ये भूटान के समुद्र तल से 2400 मीटर तक की ऊँचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।
- वृक्षों की कटाई के कारण जंगलों में रिक्त स्थान का निर्माण होने तथा बिजली की तारों आदि जैसी बाधाओं के कारण गोल्डन लंगूर के समक्ष अन्तः प्रजनन (inbreeding) का संकट उत्पन्न हो गया है।
Incorrect
उत्तर: d)
- गी गोल्डन लंगूर (Trachypithecus geei), इसे सामान्यतया गोल्डन लंगूर के नाम से भी जाना जाता है। यह पश्चिमी असम के एक छोटे से क्षेत्र में और भूटान के ब्लैक माउंटेन की तलहटी में पाया जाने वाला विश्व का एक प्राचीन वानर है। यह भारत की सर्वाधिक संकटग्रस्त (endangered) प्राइमेट प्रजातियों में से एक है।
- गोल्डन लंगूर भारत-भूटान की सीमा पर विस्तृत अर्द्ध सदाबहार और मिश्रित पर्णपाती वनों में पाया जाने वाला एक स्थानिक जीव है।
- असम में तीन नदियों यथा – दक्षिण में ब्रह्मपुत्र, पूर्व में मानस और पश्चिम में संकोश नदी से घिरे हुए क्षेत्र में गोल्डन लंगूर पाया जाता है। ये भूटान के समुद्र तल से 2400 मीटर तक की ऊँचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।
- वृक्षों की कटाई के कारण जंगलों में रिक्त स्थान का निर्माण होने तथा बिजली की तारों आदि जैसी बाधाओं के कारण गोल्डन लंगूर के समक्ष अन्तः प्रजनन (inbreeding) का संकट उत्पन्न हो गया है।
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Question 2 of 5
2. Question
1 pointsकोयला गैसीकरण (coal gasification) और इसके लाभ के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- कोयला गैसीकरण कोयले को सिनगैस में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है, जो हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण होती है।
- कोयला गैसीकरण प्रक्रिया में निम्न श्रेणी के कोयले का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
- यह आयातित तरल प्राकृतिक गैस पर निर्भरता को कम करता है।
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?
Correct
उत्तर: b)
- कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) कोयले को संश्लेषण गैस (Synthesis Gas) या सिनगैस में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है। सिनगैस (Syngas) हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का मिश्रण होती है। सिनगैस का उपयोग बिजली के उत्पादन और उर्वरक जैसे रासायनिक उत्पाद के निर्माण सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।
- इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसीज एनर्जी टेक्नोलॉजी सिस्टम्स एनालिसिस प्रोग्राम (ETSAP) के अनुसार भविष्य में कोयला गैसीकरण प्रक्रिया की अत्यधिक संभावनाएँ मौजूद है क्योंकि कोयला विश्व भर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध जीवाश्म ईंधन है। इसमें निम्न श्रेणी के कोयले का भी उपयोग किया जा सकता है।
- रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में यूरिया का उत्पादन प्राकृतिक गैस के उपयोग से किया जाता है, जिसमें घरेलू प्राकृतिक गैस और आयातित द्रवित प्राकृतिक गैस (LNG) दोनों शामिल हैं। उर्वरक बनाने के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध कोयले के उपयोग से LNG के आयात को कम करने में मदद मिलेगी।
Incorrect
उत्तर: b)
- कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) कोयले को संश्लेषण गैस (Synthesis Gas) या सिनगैस में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है। सिनगैस (Syngas) हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का मिश्रण होती है। सिनगैस का उपयोग बिजली के उत्पादन और उर्वरक जैसे रासायनिक उत्पाद के निर्माण सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।
- इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसीज एनर्जी टेक्नोलॉजी सिस्टम्स एनालिसिस प्रोग्राम (ETSAP) के अनुसार भविष्य में कोयला गैसीकरण प्रक्रिया की अत्यधिक संभावनाएँ मौजूद है क्योंकि कोयला विश्व भर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध जीवाश्म ईंधन है। इसमें निम्न श्रेणी के कोयले का भी उपयोग किया जा सकता है।
- रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में यूरिया का उत्पादन प्राकृतिक गैस के उपयोग से किया जाता है, जिसमें घरेलू प्राकृतिक गैस और आयातित द्रवित प्राकृतिक गैस (LNG) दोनों शामिल हैं। उर्वरक बनाने के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध कोयले के उपयोग से LNG के आयात को कम करने में मदद मिलेगी।
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Question 3 of 5
3. Question
1 pointsकोयला आयात के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत ने 2015 की तुलना में 2019 में कोयले के आयात में कमी की है।
- कोकिंग कोल की तुलना में थर्मल कोयले का आयात अधिक होता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
- 2019 में भारत में थर्मल कोयले का आयात 12.6% बढ़कर लगभग 200 मिलियन टन हो गया।
- कोयला भारत द्वारा आयात किए गए शीर्ष पांच वस्तुओं में से एक है। ज्ञातव्य है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता, आयातक और ईंधन का उत्पादक देश है।
- तापीय कोयले का आयात (मुख्य रूप से विद्युत उत्पादन हेतु), 2019 में 12.6% से 197.84 मिलियन टन तक पहुंच गया था। हालांकि, कोकिंग कोयले के आयात (मुख्य रूप से स्टील के निर्माण हेतु) में दो वर्ष की वृद्धि के बाद मामूली गिरावट देखी गई है।
- भारत ने 2019 में 51.33 मिलियन टन कोकिंग कोयले का आयात किया था, जो 2018 के 51.63 मिलियन टन से कम था।
- सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-दिसंबर की अवधि में भारत के थर्मल कोयले के आयात में इंडोनेशिया का लगभग 60%, जबकि दक्षिण अफ्रीका में 22% और रूस एवं ऑस्ट्रेलिया प्रत्येक से 5% की हिस्सेदारी थी।
- व्यापारियों ने इसका कारण बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा कम उत्पादन के कारण कोयले के आयात में अत्यधिक वृद्धि हुई है। ज्ञातव्य है कि नवंबर तक इसका उत्पादन लगातार पांच महीनों तक गिरता रहा, इसका कारण पिछले 25 वर्षों में हुई सबसे अधिक वार्षिक वर्षा और श्रमिकों एवं स्थानीय लोगों द्वारा हड़ताल सहित विभिन्न रुकावटें उत्पन्न करना रहा है।
Incorrect
उत्तर: b)
- 2019 में भारत में थर्मल कोयले का आयात 12.6% बढ़कर लगभग 200 मिलियन टन हो गया।
- कोयला भारत द्वारा आयात किए गए शीर्ष पांच वस्तुओं में से एक है। ज्ञातव्य है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता, आयातक और ईंधन का उत्पादक देश है।
- तापीय कोयले का आयात (मुख्य रूप से विद्युत उत्पादन हेतु), 2019 में 12.6% से 197.84 मिलियन टन तक पहुंच गया था। हालांकि, कोकिंग कोयले के आयात (मुख्य रूप से स्टील के निर्माण हेतु) में दो वर्ष की वृद्धि के बाद मामूली गिरावट देखी गई है।
- भारत ने 2019 में 51.33 मिलियन टन कोकिंग कोयले का आयात किया था, जो 2018 के 51.63 मिलियन टन से कम था।
- सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-दिसंबर की अवधि में भारत के थर्मल कोयले के आयात में इंडोनेशिया का लगभग 60%, जबकि दक्षिण अफ्रीका में 22% और रूस एवं ऑस्ट्रेलिया प्रत्येक से 5% की हिस्सेदारी थी।
- व्यापारियों ने इसका कारण बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा कम उत्पादन के कारण कोयले के आयात में अत्यधिक वृद्धि हुई है। ज्ञातव्य है कि नवंबर तक इसका उत्पादन लगातार पांच महीनों तक गिरता रहा, इसका कारण पिछले 25 वर्षों में हुई सबसे अधिक वार्षिक वर्षा और श्रमिकों एवं स्थानीय लोगों द्वारा हड़ताल सहित विभिन्न रुकावटें उत्पन्न करना रहा है।
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Question 4 of 5
4. Question
1 pointsहाल ही में समाचारों में चर्चित “देहिंग पटकाई एलीफेंट रिज़र्व” निम्नलिखित में से किस राज्य मे स्थित है?
Correct
उत्तर: c)
- हाल ही में, असम के ‘देहिंग पटकाई एलीफेंट रिजर्व (Dehing Patkai elephant reserve)’ के अंदर सरकार द्वारा संचालित कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की एक इकाई, ‘नॉर्थ-ईस्टर्न कोलफील्ड्स (NECF)’ के कोयला खनन के प्रस्ताव को 24 अप्रैल 2020 को नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) द्वारा मंजूरी दी गई।
- हाथियों के पर्यावास के महत्त्व को देखते हुए देहिंग पटकाई वन्यजीव अभयारण्य और देहिंग पटकाई वर्षा वनों के एक हिस्से को ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ के तहत देहिंग पटकाई एलीफेंट रिजर्व घोषित किया गया था।
Incorrect
उत्तर: c)
- हाल ही में, असम के ‘देहिंग पटकाई एलीफेंट रिजर्व (Dehing Patkai elephant reserve)’ के अंदर सरकार द्वारा संचालित कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की एक इकाई, ‘नॉर्थ-ईस्टर्न कोलफील्ड्स (NECF)’ के कोयला खनन के प्रस्ताव को 24 अप्रैल 2020 को नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) द्वारा मंजूरी दी गई।
- हाथियों के पर्यावास के महत्त्व को देखते हुए देहिंग पटकाई वन्यजीव अभयारण्य और देहिंग पटकाई वर्षा वनों के एक हिस्से को ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ के तहत देहिंग पटकाई एलीफेंट रिजर्व घोषित किया गया था।
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Question 5 of 5
5. Question
1 pointsदावानल (Forests fires) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- हिमालय की सबसे नवीन पर्वत श्रृंखलाएं दावानल के प्रति अतिसंवेदनशील हैं।
- पश्चिमी हिमालय की तुलना में पूर्वी हिमालय के वन दावानल के प्रति अधिक प्रवण हैं।
- फायर-लाइन हरियाली या शुष्क वनीय सामग्री विहीन एक पट्टी होती है जो दावानल को फैलने से रोकती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
- जंगलों को सर्वाधिक खतरा दावानल (Forests fires) से होता है। दावानल की घटना उतनी ही पुरानी है जितने कि स्वयं जंगल। दावानल न केवल वन संपदा के लिए बल्कि संपूर्ण वनस्पतिजात और प्राणीजात के लिए भी खतरा उत्पन्न करती है। यह किसी पर्यावरण क्षेत्र की जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
- गर्मियों के दौरान, जब महीनों तक वर्षा नहीं होती है तो जंगल में सूखे पत्तों और टहनियों की बहुतायत हो जाती है, जिसके कारण जंगल में छोटी सी चिंगारी से भी आग उत्पन्न हो सकती है।
- हिमालय की सबसे नवीन पर्वत श्रृंखलाएं, विश्व में दावानल के प्रति अतिसंवेदनशील हैं। पूर्वी हिमालय की तुलना में पश्चिमी के वन, दावानल के प्रति अतिसंवेदनशील हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूर्वी हिमालय के वन उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होते हैं। हिमालय के कई क्षेत्रों में चिर (पाइन) वनों के व्यापक विस्तार के कारण, दावानल की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है।
Incorrect
उत्तर: c)
- जंगलों को सर्वाधिक खतरा दावानल (Forests fires) से होता है। दावानल की घटना उतनी ही पुरानी है जितने कि स्वयं जंगल। दावानल न केवल वन संपदा के लिए बल्कि संपूर्ण वनस्पतिजात और प्राणीजात के लिए भी खतरा उत्पन्न करती है। यह किसी पर्यावरण क्षेत्र की जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
- गर्मियों के दौरान, जब महीनों तक वर्षा नहीं होती है तो जंगल में सूखे पत्तों और टहनियों की बहुतायत हो जाती है, जिसके कारण जंगल में छोटी सी चिंगारी से भी आग उत्पन्न हो सकती है।
- हिमालय की सबसे नवीन पर्वत श्रृंखलाएं, विश्व में दावानल के प्रति अतिसंवेदनशील हैं। पूर्वी हिमालय की तुलना में पश्चिमी के वन, दावानल के प्रति अतिसंवेदनशील हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूर्वी हिमालय के वन उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होते हैं। हिमालय के कई क्षेत्रों में चिर (पाइन) वनों के व्यापक विस्तार के कारण, दावानल की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है।