HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- भारत में संसदीय प्रणाली की शुरुआत, भारत परिषद अधिनियम 1861 के द्वारा की गई थी।
- चार्टर अधिनियम, 1833 द्वारा भारतीय सिविल सेवा के संबंध में मैकाले समिति की नियुक्ति की अनुशंसा की गयी थी।
- चार्टर अधिनियम, 1833 द्वारा बॉम्बे और मद्रास के राज्यपालों को विधायी शक्तियों से वंचित कर दिया गया था। साथ ही, भारत के गवर्नर जनरल को संपूर्ण ब्रिटिश भारत के लिए विशेष विधायी शक्तियां प्रदान की गई।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?
Correct
उत्तर: c)
भारत में संसदीय प्रणाली की शुरुआत चार्टर अधिनियम, 1833 से मानी जा सकती है
पहली बार, गवर्नर जनरल की परिषद के विधायी और कार्यकारी कार्यों को पृथक किया गया था।
इसके तहत विधान परिषद में छह नए सदस्यों (विधान पार्षद) को शामिल करने का प्रावधान किया गया था।
चार्टर अधिनियम, 1853 द्वारा भारतीय सिविल सेवा के संबंध में ‘मैकाले समिति’ की नियुक्ति की अनुशंसा की गयी थी।
Incorrect
उत्तर: c)
भारत में संसदीय प्रणाली की शुरुआत चार्टर अधिनियम, 1833 से मानी जा सकती है
पहली बार, गवर्नर जनरल की परिषद के विधायी और कार्यकारी कार्यों को पृथक किया गया था।
इसके तहत विधान परिषद में छह नए सदस्यों (विधान पार्षद) को शामिल करने का प्रावधान किया गया था।
चार्टर अधिनियम, 1853 द्वारा भारतीय सिविल सेवा के संबंध में ‘मैकाले समिति’ की नियुक्ति की अनुशंसा की गयी थी।
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Question 2 of 5
2. Question
संविधान में श्रम अधिकारों की अभिपुष्टि की गई है। निदेशक तत्वों के माध्यम से निम्नलिखित में से किस तरीके से श्रम कल्याण सुनिश्चित किया गया है?
- इनमें कार्य और मातृत्व राहत के लिए उचित और मानवीय परिस्थितियों के संबंध में प्रावधान किए गए हैं।
- ये सरकार को उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने हेतु अधिकृत करते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
कथन 1: मातृत्व लाभ अधिनियम या इसके हालिया संशोधन जैसे अधिनियमों को राज्य की नीति के निदेशक तत्वों (अनुच्छेद 42) की भावना के अनुरूप अधिनियमित किया गया है।
कथन 2: ये एक प्रकार के समाजवादी सिद्धांत हैं जो भारत के आर्थिक इतिहास पर आधारित हैं। भारत में समता, निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित एक आर्थिक प्रणाली को स्थापित किया गया है। इसलिए, श्रम कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे अधिकार (प्रावधान) महत्वपूर्ण हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
कथन 1: मातृत्व लाभ अधिनियम या इसके हालिया संशोधन जैसे अधिनियमों को राज्य की नीति के निदेशक तत्वों (अनुच्छेद 42) की भावना के अनुरूप अधिनियमित किया गया है।
कथन 2: ये एक प्रकार के समाजवादी सिद्धांत हैं जो भारत के आर्थिक इतिहास पर आधारित हैं। भारत में समता, निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित एक आर्थिक प्रणाली को स्थापित किया गया है। इसलिए, श्रम कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे अधिकार (प्रावधान) महत्वपूर्ण हैं।
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Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित में से कौन-से आदर्श रूप से एक लोकतांत्रिक राजनीति की विशेषताएं नहीं होने चाहिए?
- प्रेस पर सेंसरशिप
- यदि नागरिक संस्थाएं लोकतांत्रिक आशाओं को पूरा करने में विफल रहती हैं तो सैन्य बल उन पर अधिकार स्थापित कर सकते हैं
- सरकार का संचालन गैर-निर्वाचित व्यक्तियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए।
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: a)
लोकतंत्र, सरकार का एक रूप है जो लोगों को अपने शासक को चुनने की अनुमति प्रदान करता है। लोकतंत्र में, केवल लोगों द्वारा चुने गए नेताओं को ही देश पर शासन करना चाहिए। साथ ही, लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता और विरोध करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। अत: विकल्प 1 और 2, इन दो मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
लोकतंत्र, सरकार का एक रूप है जो लोगों को अपने शासक को चुनने की अनुमति प्रदान करता है। लोकतंत्र में, केवल लोगों द्वारा चुने गए नेताओं को ही देश पर शासन करना चाहिए। साथ ही, लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता और विरोध करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। अत: विकल्प 1 और 2, इन दो मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं।
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Question 4 of 5
4. Question
भारत के संविधान में उल्लिखित राज्यपाल पद के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- उसका पद संवैधानिक रूप से केंद्र सरकार के अधीन और अधीनस्थ होता है।
- किसी विशेष राज्य के राज्यपाल का उस राज्य से संबंध नहीं होना चाहिए।
- भारत के राष्ट्रपति को उस राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति करने से पूर्व संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श करना चाहिए।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
संविधान के तहत राज्यपाल स्वतंत्र पद धारण करता है।
राज्यपाल के रूप में किसी व्यक्ति की नियुक्ति के लिए संविधान केवल दो निर्हर्ताएं निर्धारित करता है। ये निम्नलिखित हैं:
- उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उसकी आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, इस संबंध में कई वर्षों के दौरान दो परिपाटियों का भी विकास हुआ है। प्रथम, वह एक बाहरी व्यक्ति होना चाहिए, अर्थात्, वह उस राज्य से संबंधित नहीं होना चाहिए जहां उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त होकर निष्पक्ष रूप से कार्य कर सके। दूसरा, राज्यपाल की नियुक्ति करते समय, राष्ट्रपति को संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श करना चाहिए, ताकि राज्य में संवैधानिक तंत्र का सुचारु रूप से संचालन सुनिश्चित हो सके। हालाँकि, कुछ मामलों में इन दोनों परिपाटियों का उल्लंघन किया गया है।
Incorrect
उत्तर: d)
संविधान के तहत राज्यपाल स्वतंत्र पद धारण करता है।
राज्यपाल के रूप में किसी व्यक्ति की नियुक्ति के लिए संविधान केवल दो निर्हर्ताएं निर्धारित करता है। ये निम्नलिखित हैं:
- उसे भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उसकी आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, इस संबंध में कई वर्षों के दौरान दो परिपाटियों का भी विकास हुआ है। प्रथम, वह एक बाहरी व्यक्ति होना चाहिए, अर्थात्, वह उस राज्य से संबंधित नहीं होना चाहिए जहां उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त होकर निष्पक्ष रूप से कार्य कर सके। दूसरा, राज्यपाल की नियुक्ति करते समय, राष्ट्रपति को संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श करना चाहिए, ताकि राज्य में संवैधानिक तंत्र का सुचारु रूप से संचालन सुनिश्चित हो सके। हालाँकि, कुछ मामलों में इन दोनों परिपाटियों का उल्लंघन किया गया है।
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Question 5 of 5
5. Question
राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल को भेजा जाता है, तो वह:
- विधेयक पर अपनी सहमति रोक सकता है।
- राज्य विधायिका के पुनर्विचार हेतु धन विधेयक सहित विधेयक को लौटा सकता है।
- राष्ट्रपति के विचारार्थ विधेयक को सुरक्षित रख सकता है।
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: c)
राज्य विधायिका द्वारा पारित, किसी विधेयक को राज्यपाल को भेजा जाता है, तो वह:
(a) विधेयक पर अपनी सहमति दे सकता है, या
(b) विधेयक पर अपनी सहमति को रोक सकता है, या
(c) राज्य विधायिका को विधेयक (यदि धन विधेयक नहीं है) को पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है। हालाँकि, यदि विधेयक को राज्य विधानमंडल द्वारा पुन: पारित कर या बिना संशोधनों के साथ पुन: भेजा जाता है, तो इस पर राज्यपाल को अपनी स्वीकृति देना अनिवार्य होगा, या
(d) राष्ट्रपति के विचारार्थ विधेयक को आरक्षित कर सकता है। विधेयक को एक ऐसे मामले में आरक्षित करना अनिवार्य होता है, जहां राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयक राज्य उच्च न्यायालय की स्थिति के समक्ष किसी प्रकार का खतरा उत्पन्न करता है। इसके अलावा, राज्यपाल विधेयक को आरक्षित भी कर सकता है यदि विधेयक निम्नलिखित प्रकृति का हो:
(i) यदि वह अधिकातीत (Ultra-vires) हो, अर्थात् संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध हो।
(ii) राज्य के नीति के निर्देशक तत्वों का उल्लंघन करता हो।
(iii) देश के व्यापक हित के विरुद्ध हो।
(iv) व्यापक राष्ट्रीय महत्व का हो।
(v) संविधान के अनुच्छेद 31A के तहत संपत्ति के अनिवार्य अधिग्रहण से संबंधित हो।
Incorrect
उत्तर: c)
राज्य विधायिका द्वारा पारित, किसी विधेयक को राज्यपाल को भेजा जाता है, तो वह:
(a) विधेयक पर अपनी सहमति दे सकता है, या
(b) विधेयक पर अपनी सहमति को रोक सकता है, या
(c) राज्य विधायिका को विधेयक (यदि धन विधेयक नहीं है) को पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है। हालाँकि, यदि विधेयक को राज्य विधानमंडल द्वारा पुन: पारित कर या बिना संशोधनों के साथ पुन: भेजा जाता है, तो इस पर राज्यपाल को अपनी स्वीकृति देना अनिवार्य होगा, या
(d) राष्ट्रपति के विचारार्थ विधेयक को आरक्षित कर सकता है। विधेयक को एक ऐसे मामले में आरक्षित करना अनिवार्य होता है, जहां राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयक राज्य उच्च न्यायालय की स्थिति के समक्ष किसी प्रकार का खतरा उत्पन्न करता है। इसके अलावा, राज्यपाल विधेयक को आरक्षित भी कर सकता है यदि विधेयक निम्नलिखित प्रकृति का हो:
(i) यदि वह अधिकातीत (Ultra-vires) हो, अर्थात् संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध हो।
(ii) राज्य के नीति के निर्देशक तत्वों का उल्लंघन करता हो।
(iii) देश के व्यापक हित के विरुद्ध हो।
(iv) व्यापक राष्ट्रीय महत्व का हो।
(v) संविधान के अनुच्छेद 31A के तहत संपत्ति के अनिवार्य अधिग्रहण से संबंधित हो।