HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
अशोक के स्तंभों की विशेषता के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए?
- इन्हें मेसन द्वारा टुकड़ों में निर्मित किया गया है।
- स्तंभ के शीर्ष भाग पर आमतौर पर बैल या शेर की उत्कृष्ट आकृतियाँ उकेरी गई हैं।
- मौर्य साम्राज्य में प्रस्तर निर्मित स्तम्भ स्थापित किए गए थे, जिन्हें अभिलेखित किया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
स्तंभों का निर्माण करने की परंपरा अति प्राचीन है और यह देखा जा सकता है कि स्तंभों का निर्माण अखमानी साम्राज्य (Achaemenid Empire) में भी प्रचलित था। अखमानी स्तंभ, मौर्यकालीन स्तंभों से भिन्न थे।
मौर्य स्तंभ रॉक-कट स्तंभ हैं, जिन पर उत्कृष्ट नक्काशी की गई है, जबकि अखमानी स्तंभों का निर्माण मेसन द्वारा टुकड़ों में किया गया है।
मौर्य साम्राज्य में प्रस्तर निर्मित स्तम्भ स्थापित किए गए थे, जिन्हें अभिलेखित किया गया था। स्तम्भ पर शीर्ष भाग पर बैल, शेर, हाथी आदि की उत्कृष्ट आकृतियाँ उकेरी गई हैं। सभी आकृतियाँ ओजस्वीपूर्ण हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
स्तंभों का निर्माण करने की परंपरा अति प्राचीन है और यह देखा जा सकता है कि स्तंभों का निर्माण अखमानी साम्राज्य (Achaemenid Empire) में भी प्रचलित था। अखमानी स्तंभ, मौर्यकालीन स्तंभों से भिन्न थे।
मौर्य स्तंभ रॉक-कट स्तंभ हैं, जिन पर उत्कृष्ट नक्काशी की गई है, जबकि अखमानी स्तंभों का निर्माण मेसन द्वारा टुकड़ों में किया गया है।
मौर्य साम्राज्य में प्रस्तर निर्मित स्तम्भ स्थापित किए गए थे, जिन्हें अभिलेखित किया गया था। स्तम्भ पर शीर्ष भाग पर बैल, शेर, हाथी आदि की उत्कृष्ट आकृतियाँ उकेरी गई हैं। सभी आकृतियाँ ओजस्वीपूर्ण हैं।
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Question 2 of 5
2. Question
धम्मचक्रप्रवर्तन प्रतीक वाला मौर्यकालीन स्तंभ निम्नलिखित किस स्थान पर स्थित है
Correct
उत्तर: a)
यह सारनाथ में स्थित है और इसे लोकप्रिय रूप से अशोक स्तम्भ के रूप में जाना जाता है, जो मौर्यकालीन मूर्तिकला परंपरा का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।
यह हमारा राष्ट्रीय प्रतीक भी है। इसे सूक्ष्मता के साथ उत्कीर्णित किया गया है। इसमें गोलकार आधार पर गर्जन करते खड़े हुए शेरों की आकृतियां निर्मित है, साथ ही घोड़े, बैल, शेर और हाथी की आकृतियां भी निर्मित हैं, जिन्हें सटीकता के साथ उत्कीर्णित किया गया है। यह मूर्तिकला तकनीक के उत्कृष्ट कार्य को प्रदर्शित करता है।
धम्मचक्रप्रवर्तन (बुद्ध द्वारा प्रथम उपदेश) का प्रतीक यह स्तंभ, बुद्ध के जीवन में इस (धम्मचक्रप्रवर्तन) महान ऐतिहासिक घटना का एक मानक प्रतीक बन गया है।
Incorrect
उत्तर: a)
यह सारनाथ में स्थित है और इसे लोकप्रिय रूप से अशोक स्तम्भ के रूप में जाना जाता है, जो मौर्यकालीन मूर्तिकला परंपरा का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।
यह हमारा राष्ट्रीय प्रतीक भी है। इसे सूक्ष्मता के साथ उत्कीर्णित किया गया है। इसमें गोलकार आधार पर गर्जन करते खड़े हुए शेरों की आकृतियां निर्मित है, साथ ही घोड़े, बैल, शेर और हाथी की आकृतियां भी निर्मित हैं, जिन्हें सटीकता के साथ उत्कीर्णित किया गया है। यह मूर्तिकला तकनीक के उत्कृष्ट कार्य को प्रदर्शित करता है।
धम्मचक्रप्रवर्तन (बुद्ध द्वारा प्रथम उपदेश) का प्रतीक यह स्तंभ, बुद्ध के जीवन में इस (धम्मचक्रप्रवर्तन) महान ऐतिहासिक घटना का एक मानक प्रतीक बन गया है।
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Question 3 of 5
3. Question
नालंदा महाविहार के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसे मूल रूप से गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम द्वारा निर्मित किया गया था।
- गुप्त काल के बाद, विशेषकर 7वीं शताब्दी के दौरान कन्नौज के सम्राट हर्ष के शासन के दौरान नालंदा को कई राजाओं द्वारा नष्ट कर दिया गया था।
- ह्वेनत्सांग और फाहियान दोनों चीनी तीर्थयात्रियों ने नालंदा में अध्ययन किया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: c)
भारत में मगध (आधुनिक बिहार) के प्राचीन राज्य में नालंदा महाविहार एक विशाल और श्रद्धेय बौद्ध मठ था। मूल रूप से इसका निर्माण गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम द्वारा करवाया गया था, लेकिन गुप्त काल के दौरान और बाद में इसका विस्तार करने का कार्य जारी रहा था। गुप्त काल के बाद नालंदा ने कई राजाओं विशेषकर 7वीं शताब्दी के दौरान कन्नौज के सम्राट हर्ष के शासनकाल में इसका निर्माण कार्य जारी रहा। ह्वेनत्सांग और फाहियान दोनों चीनी तीर्थयात्रियों ने नालंदा में अध्ययन किया था और यहाँ के रहन-सहन और जीवन का वर्णन किया।
Incorrect
उत्तर: c)
भारत में मगध (आधुनिक बिहार) के प्राचीन राज्य में नालंदा महाविहार एक विशाल और श्रद्धेय बौद्ध मठ था। मूल रूप से इसका निर्माण गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम द्वारा करवाया गया था, लेकिन गुप्त काल के दौरान और बाद में इसका विस्तार करने का कार्य जारी रहा था। गुप्त काल के बाद नालंदा ने कई राजाओं विशेषकर 7वीं शताब्दी के दौरान कन्नौज के सम्राट हर्ष के शासनकाल में इसका निर्माण कार्य जारी रहा। ह्वेनत्सांग और फाहियान दोनों चीनी तीर्थयात्रियों ने नालंदा में अध्ययन किया था और यहाँ के रहन-सहन और जीवन का वर्णन किया।
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Question 4 of 5
4. Question
निम्नलिखित स्थानों में से कौनसे महत्वपूर्ण प्राचीन बंदरगाह शहर हैं?
- कांची
- मदुरा
- कदलकोल
- मुजिरिस
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: c)
कांची को तमिलनाडु में कांचीपुरम के रूप में जाना जाता है। यह 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व स्थित था। यहाँ पर चीनी लोग विदेशी जहाजों में मोती, दुर्लभ पत्थर और कांच खरीदने के लिए आते थे और बदले में वे स्वर्ण और रेशम बेचते थे।
तमिलनाडु में मदुरा (मदुरै): यह पांड्यों की राजधानी थी जिनका मन्नार की खाड़ी से होने वाले मोतियों के उत्पादन पर नियंत्रण था।
मुजिरिस, ईसा पूर्व पहली शताब्दी में केरल के मालाबार तट पर मुजिरिस या मुसिरी नामक एक प्राचीन इंडो-रोमन बंदरगाह था।
तमिलनाडु में चोल राजवंश का बंदरगाह शहर ‘पूमापुहर’ जो लगभग 1,000 वर्ष पूर्व समुद्री में नष्ट हो गया था। ज्ञातव्य है कि पूमापुहर शहर को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के नेतृत्व वाले एक कॉन्सॉर्टियम द्वारा डिजिटल रूप से पुन: निर्मित किया जाएगा।
DST अधिकारियों ने कहा कि संगम तमिल साहित्य में यह वर्णित किया गया है कि दक्षिणी तमिलनाडु में मौजूदा पूमापुहर शहर से 30 किमी दूर स्थित शहर, “कदलकोल” या समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण जलमग्न हो गया था।
Incorrect
उत्तर: c)
कांची को तमिलनाडु में कांचीपुरम के रूप में जाना जाता है। यह 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व स्थित था। यहाँ पर चीनी लोग विदेशी जहाजों में मोती, दुर्लभ पत्थर और कांच खरीदने के लिए आते थे और बदले में वे स्वर्ण और रेशम बेचते थे।
तमिलनाडु में मदुरा (मदुरै): यह पांड्यों की राजधानी थी जिनका मन्नार की खाड़ी से होने वाले मोतियों के उत्पादन पर नियंत्रण था।
मुजिरिस, ईसा पूर्व पहली शताब्दी में केरल के मालाबार तट पर मुजिरिस या मुसिरी नामक एक प्राचीन इंडो-रोमन बंदरगाह था।
तमिलनाडु में चोल राजवंश का बंदरगाह शहर ‘पूमापुहर’ जो लगभग 1,000 वर्ष पूर्व समुद्री में नष्ट हो गया था। ज्ञातव्य है कि पूमापुहर शहर को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के नेतृत्व वाले एक कॉन्सॉर्टियम द्वारा डिजिटल रूप से पुन: निर्मित किया जाएगा।
DST अधिकारियों ने कहा कि संगम तमिल साहित्य में यह वर्णित किया गया है कि दक्षिणी तमिलनाडु में मौजूदा पूमापुहर शहर से 30 किमी दूर स्थित शहर, “कदलकोल” या समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण जलमग्न हो गया था।
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Question 5 of 5
5. Question
निम्नलिखित में से कौनसे भारत में नवपाषाण स्थल हैं?
- बुर्जहोम
- ब्रह्मगिरि
- तेक्कलकोटा
- चिरांद
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: d)
भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे महत्वपूर्ण नवपाषाण कृषि बस्तियों में से एक मेहरगढ़ है। यह बलूचिस्तान पठार के पूर्वी किनारे पर, सिंधु की एक सहायक नदी, बोलन नदी पर स्थित है।
अन्य महत्वपूर्ण नवपाषाण स्थलों में कश्मीर में गुफक्राल और बुर्जहोम, उत्तर प्रदेश की बेलन नदी घाटी में स्थित महगारा, चोपनी-माण्डो और कोल्डिहवा, बिहार में स्थित चिरांद आदि शामिल हैं।
दक्षिण भारत में, महत्वपूर्ण नवपाषाण स्थलों में आंध्र प्रदेश में कोडेकल, उतनूर, नागाजुनीकोंडा, पलावोय, कर्नाटक में टेककलकोल्टा, मास्की, नरसीपुर, सांगंकल्लू, हालूर और ब्रह्मगिरि, तमिलनाडु में परिमलपल्ली आदि शामिल हैं।
Incorrect
उत्तर: d)
भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे महत्वपूर्ण नवपाषाण कृषि बस्तियों में से एक मेहरगढ़ है। यह बलूचिस्तान पठार के पूर्वी किनारे पर, सिंधु की एक सहायक नदी, बोलन नदी पर स्थित है।
अन्य महत्वपूर्ण नवपाषाण स्थलों में कश्मीर में गुफक्राल और बुर्जहोम, उत्तर प्रदेश की बेलन नदी घाटी में स्थित महगारा, चोपनी-माण्डो और कोल्डिहवा, बिहार में स्थित चिरांद आदि शामिल हैं।
दक्षिण भारत में, महत्वपूर्ण नवपाषाण स्थलों में आंध्र प्रदेश में कोडेकल, उतनूर, नागाजुनीकोंडा, पलावोय, कर्नाटक में टेककलकोल्टा, मास्की, नरसीपुर, सांगंकल्लू, हालूर और ब्रह्मगिरि, तमिलनाडु में परिमलपल्ली आदि शामिल हैं।