HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
Quiz-summary
0 of 5 questions completed
Questions:
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
Information
Welcome to Insights IAS Static Quiz in HINDI. We have already outlined details of this New Initiative HERE.
You have already completed the quiz before. Hence you can not start it again.
Quiz is loading...
You must sign in or sign up to start the quiz.
You have to finish following quiz, to start this quiz:
Results
0 of 5 questions answered correctly
Your time:
Time has elapsed
You have reached 0 of 0 points, (0)
Categories
- Not categorized 0%
- 1
- 2
- 3
- 4
- 5
- Answered
- Review
-
Question 1 of 5
1. Question
मध्यकालीन युग के कुछ घटनाओं के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- अल–बिरूनी की किताब–उल–हिंद, अंतर दर्शन, रसायन विद्या, सामाजिक जीवन, कानून और माप–पद्धति जैसे कई प्रकार के विषयों से संबंधित है।
- इब्न बतूता की यात्रा वृत्तांत की रचना अरबी में की गई थी, जिसे रिहला कहा जाता है। यह मध्यकालीन युग के भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के बारे में जानकारी का एक स्रोत है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
अल-बिरूनी की “किताब–उल–हिंद“ की रचना अरबी में की गई थी। यह किताब सरल और आकर्षक है। यह एक विशाल पुस्तक है, जिसे धर्म और दर्शन, त्यौहार, खगोल विज्ञान, रसायन विद्या, शिष्टाचार और रीति-रिवाज, सामाजिक जीवन, वजन और माप, आइकनॉग्रफ़ी, कानून और माप-पद्धति जैसे विषयों पर 80 अध्यायों में विभाजित किया गया है।
इब्न बतूता के यात्रा वृत्तांत की रचना अरबी में की गई थी, जिसे रिहला कहा जाता है। यह चौदहवीं शताब्दी के दौरान उपमहाद्वीप में प्रचलित सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के बारे में बेहद समृद्ध और दिलचस्प विवरण प्रदान करती है।
अपनी श्रेणी के अधिकांश अन्य सदस्यों के विपरीत, इब्न बतूता ने यात्रा के माध्यम से प्राप्त अनुभव को पुस्तकों की तुलना में ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत माना था। इसे केवल यात्रा करना पसंद करता था और नई दुनिया एवं लोगों की खोज करने के लिए दूरस्थ स्थानों की यात्रा करता था।
Incorrect
उत्तर: c)
अल-बिरूनी की “किताब–उल–हिंद“ की रचना अरबी में की गई थी। यह किताब सरल और आकर्षक है। यह एक विशाल पुस्तक है, जिसे धर्म और दर्शन, त्यौहार, खगोल विज्ञान, रसायन विद्या, शिष्टाचार और रीति-रिवाज, सामाजिक जीवन, वजन और माप, आइकनॉग्रफ़ी, कानून और माप-पद्धति जैसे विषयों पर 80 अध्यायों में विभाजित किया गया है।
इब्न बतूता के यात्रा वृत्तांत की रचना अरबी में की गई थी, जिसे रिहला कहा जाता है। यह चौदहवीं शताब्दी के दौरान उपमहाद्वीप में प्रचलित सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के बारे में बेहद समृद्ध और दिलचस्प विवरण प्रदान करती है।
अपनी श्रेणी के अधिकांश अन्य सदस्यों के विपरीत, इब्न बतूता ने यात्रा के माध्यम से प्राप्त अनुभव को पुस्तकों की तुलना में ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत माना था। इसे केवल यात्रा करना पसंद करता था और नई दुनिया एवं लोगों की खोज करने के लिए दूरस्थ स्थानों की यात्रा करता था।
-
Question 2 of 5
2. Question
1858 की महारानी विक्टोरिया की घोषणा के द्वारा कौन–सी घटना घटित हुई
- ब्रिटिश क्राउन द्वारा सभी रियासतों और उनके विषयों पर संप्रभुता और नियंत्रण स्थापित करना।
- ब्रिटिश क्राउन द्वारा धीरे–धीरे भारत में एक जिम्मेदार सरकार की स्थापना की जाएगी जहां जनता शक्ति का स्रोत होगी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
1858 की महारानी विक्टोरिया घोषणा के अनुसार, भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा प्रशासित क्षेत्रों का शासन अब प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटेन के क्राउन द्वारा किया जायेगा। भारतीय नरेशों के साथ कम्पनी द्वारा की गई सभी संधियों और समझौतों को ब्रिटिश क्राउन के द्वारा यथावत स्वीकार कर लिया गया।
घोषणा में यह आश्वासन भी दिया गया कि नरेशों के अधिकारों, गरिमा और प्रस्थिति का सम्मान किया जायेगा। भारतीय जनता को यह आश्वासन भी उसके द्वारा वर्तमान राज्य
क्षेत्र में विस्तार नहीं किया जायेगा।
सबसे महत्वपूर्ण घोषणा यह थी कि अब भारतीय सिपाहियों को ब्रिटिश सेना में नियमित सेवा में भर्ती किया गया और विश्व युद्धों में तैनात किया गया।
Incorrect
उत्तर: d)
1858 की महारानी विक्टोरिया घोषणा के अनुसार, भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा प्रशासित क्षेत्रों का शासन अब प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटेन के क्राउन द्वारा किया जायेगा। भारतीय नरेशों के साथ कम्पनी द्वारा की गई सभी संधियों और समझौतों को ब्रिटिश क्राउन के द्वारा यथावत स्वीकार कर लिया गया।
घोषणा में यह आश्वासन भी दिया गया कि नरेशों के अधिकारों, गरिमा और प्रस्थिति का सम्मान किया जायेगा। भारतीय जनता को यह आश्वासन भी उसके द्वारा वर्तमान राज्य
क्षेत्र में विस्तार नहीं किया जायेगा।
सबसे महत्वपूर्ण घोषणा यह थी कि अब भारतीय सिपाहियों को ब्रिटिश सेना में नियमित सेवा में भर्ती किया गया और विश्व युद्धों में तैनात किया गया।
-
Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित में से कौन पूर्व–औपनिवेशिक भारत में अन्यायपूर्ण सामाजिक भेदभाव को कम या समाप्त करने में शामिल थे?
- बौद्ध धर्म
- भक्ति आंदोलन
- सूफी आंदोलन
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: d)
समाज अनेक सामाजिक बुराइयों ने भारतीय समाज को त्रस्त कर दिया था। समाज में सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह और जातिगत भेदभाव जैसी बहुचर्चित समस्याएं प्रचलित थी। ऐसा नहीं है कि पूर्व-औपनिवेशिक भारत में सामाजिक भेदभाव से लड़ने के प्रयास नहीं किए गए थे। भक्ति आंदोलन, सूफी आंदोलन और बौद्ध धर्म के ये केंद्र विषय थे और इनके द्वारा पुरजोर विरोद्ध किया गया था। तत्पश्चात, 19वीं सदी में उत्तर उपनिवेशवादी के दौरान सामाजिक सुधार के प्रयासों के रूप में आधुनिक संदर्भ और विचारों को बढ़ावा दिया गया। यह पश्चिमी उदारवाद के आधुनिक विचारों का रचनात्मक संयोजन और पारंपरिक साहित्य पर एक नया रूप था।
Incorrect
उत्तर: d)
समाज अनेक सामाजिक बुराइयों ने भारतीय समाज को त्रस्त कर दिया था। समाज में सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह और जातिगत भेदभाव जैसी बहुचर्चित समस्याएं प्रचलित थी। ऐसा नहीं है कि पूर्व-औपनिवेशिक भारत में सामाजिक भेदभाव से लड़ने के प्रयास नहीं किए गए थे। भक्ति आंदोलन, सूफी आंदोलन और बौद्ध धर्म के ये केंद्र विषय थे और इनके द्वारा पुरजोर विरोद्ध किया गया था। तत्पश्चात, 19वीं सदी में उत्तर उपनिवेशवादी के दौरान सामाजिक सुधार के प्रयासों के रूप में आधुनिक संदर्भ और विचारों को बढ़ावा दिया गया। यह पश्चिमी उदारवाद के आधुनिक विचारों का रचनात्मक संयोजन और पारंपरिक साहित्य पर एक नया रूप था।
-
Question 4 of 5
4. Question
तत्त्वबोधिनी सभा के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसका गठन ब्रह्म समाज से प्रथक होकर किया गया था।
- इसे देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित किया गया था।
- इसने हिंदू धर्म के वैदिक विचारों का विरोध किया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
कुछ टीकाकाररों के अनुसार, “शुरुआती वर्षों के दौरान देबेंद्रनाथ टैगोर का मानना था कि विश्व ईश्वर द्वारा निर्मित है और इसके भीतर सभी चीजें मौजूद हैं, जो परमात्मा और अंतिम लक्ष्य रूपी ब्रह्म के ज्ञान का मार्ग करती हैं।
इसी प्रकार, उनका मानना था कि भौतिक संपत्ति का निर्माण या उस पर अधिकार उचित इरादे से किया जाना चाहिए जो कि समाज और दूसरों लोगों के हित में हो। साथ ही, उस संपति को न केवल नैतिक रूप से, बल्कि सामंजस्यपूर्ण समाज की अति-आवश्यकता के अनुरूप भी होना चाहिए। ” 1859 में, देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा तत्त्वबोधिनी को पुन: ब्रह्म समाज में शामिल कर दिया गया था।
Incorrect
उत्तर: b)
कुछ टीकाकाररों के अनुसार, “शुरुआती वर्षों के दौरान देबेंद्रनाथ टैगोर का मानना था कि विश्व ईश्वर द्वारा निर्मित है और इसके भीतर सभी चीजें मौजूद हैं, जो परमात्मा और अंतिम लक्ष्य रूपी ब्रह्म के ज्ञान का मार्ग करती हैं।
इसी प्रकार, उनका मानना था कि भौतिक संपत्ति का निर्माण या उस पर अधिकार उचित इरादे से किया जाना चाहिए जो कि समाज और दूसरों लोगों के हित में हो। साथ ही, उस संपति को न केवल नैतिक रूप से, बल्कि सामंजस्यपूर्ण समाज की अति-आवश्यकता के अनुरूप भी होना चाहिए। ” 1859 में, देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा तत्त्वबोधिनी को पुन: ब्रह्म समाज में शामिल कर दिया गया था।
-
Question 5 of 5
5. Question
भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत छोड़ो आंदोलन, कैबिनेट मिशन योजना की विफलता का एक प्रमुख आधार था।
- आंदोलन का पहला आधा भाग प्रदर्शनों और जुलूसों के साथ शांतिपूर्ण रहा।
- भारत छोड़ो आंदोलन की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी कि इस दौरान देश के कुछ हिस्सों में समानांतर सरकारें स्थापित की गई।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: c)
1942 में, विश्व द्वितीय विश्व युद्ध की त्रासदी से त्रस्त था। ज्ञातव्य है कि भारत भी इससे प्रभावित हुआ और क्रिप्स मिशन के विफल होने के बाद, 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से ‘करो या मरो‘ का नारा दिया।
8 अगस्त, 1942 को, महात्मा गांधी ने बॉम्बे में गोवालिया टैंक मैदान में अपने भारत छोड़ो भाषण में “करो या मरो“ का नारा दिया।
उल्लेखनीय है कि इस भाषण से पार्टी के भीतर हलचल मच गई और यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आज़ाद जैसे नेताओं ने भी इसकी आलोचना की, लेकिन अंत तक गांधी के नेतृत्व का ही समर्थन करते रहे।
अन्य प्रमुख तथ्य:
- महात्मा गांधी, अब्दुल कलाम आज़ाद, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे कई राष्ट्रीय नेताओं को गिरफ्तार किया गया।
- कांग्रेस को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था, नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था और पूरे देश में उसके कार्यालयों पर छापा मारा गया तथा उनकी सम्पत्ति को जप्त का लिया गया।
- आंदोलन का पहला आधा भाग प्रदर्शनों और जुलूसों के साथ शांतिपूर्ण था। महात्मा गांधी की रिहाई तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन ही किए गए थे।
- आंदोलन का दूसरा भाग डाकघरों, सरकारी भवनों और रेलवे स्टेशनों की लूट और आगजनी की घटनाओं के साथ हिंसक हो गया था। लॉर्ड लिनलिथगो ने हिंसा की नीति को अपनाया।
भारत छोड़ो आंदोलन की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी कि इस दौरान देश के कुछ हिस्सों में समानांतर सरकारें स्थापित की गई। इसकी प्रथम घोषणा अगस्त 1942 में चित्तू पांडे के नेतृत्व में पूर्वी यूपी के बलिया में की गई थी। बंगाल के मिदनापुर जिले के तमलुक में, 17 दिसंबर 1942 को जटिया सरकार अस्तित्व में आई और सितंबर 1944 बनी रही। महाराष्ट्र के सतारा में सबसे लंबे समय तक चलने वाली और प्रभावी समानांतर सरकार की स्थापना की गयी थी।
Incorrect
उत्तर: c)
1942 में, विश्व द्वितीय विश्व युद्ध की त्रासदी से त्रस्त था। ज्ञातव्य है कि भारत भी इससे प्रभावित हुआ और क्रिप्स मिशन के विफल होने के बाद, 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से ‘करो या मरो‘ का नारा दिया।
8 अगस्त, 1942 को, महात्मा गांधी ने बॉम्बे में गोवालिया टैंक मैदान में अपने भारत छोड़ो भाषण में “करो या मरो“ का नारा दिया।
उल्लेखनीय है कि इस भाषण से पार्टी के भीतर हलचल मच गई और यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू और मौलाना आज़ाद जैसे नेताओं ने भी इसकी आलोचना की, लेकिन अंत तक गांधी के नेतृत्व का ही समर्थन करते रहे।
अन्य प्रमुख तथ्य:
- महात्मा गांधी, अब्दुल कलाम आज़ाद, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे कई राष्ट्रीय नेताओं को गिरफ्तार किया गया।
- कांग्रेस को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था, नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था और पूरे देश में उसके कार्यालयों पर छापा मारा गया तथा उनकी सम्पत्ति को जप्त का लिया गया।
- आंदोलन का पहला आधा भाग प्रदर्शनों और जुलूसों के साथ शांतिपूर्ण था। महात्मा गांधी की रिहाई तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन ही किए गए थे।
- आंदोलन का दूसरा भाग डाकघरों, सरकारी भवनों और रेलवे स्टेशनों की लूट और आगजनी की घटनाओं के साथ हिंसक हो गया था। लॉर्ड लिनलिथगो ने हिंसा की नीति को अपनाया।
भारत छोड़ो आंदोलन की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी कि इस दौरान देश के कुछ हिस्सों में समानांतर सरकारें स्थापित की गई। इसकी प्रथम घोषणा अगस्त 1942 में चित्तू पांडे के नेतृत्व में पूर्वी यूपी के बलिया में की गई थी। बंगाल के मिदनापुर जिले के तमलुक में, 17 दिसंबर 1942 को जटिया सरकार अस्तित्व में आई और सितंबर 1944 बनी रही। महाराष्ट्र के सतारा में सबसे लंबे समय तक चलने वाली और प्रभावी समानांतर सरकार की स्थापना की गयी थी।