HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
विकासशील देशों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में निम्नलिखित में से कौन-सा कारक प्रतिकूल है?
Correct
उत्तर: c)
वैश्विक बाजारों का वर्तमान एकीकरण अधिक प्रतिस्पर्धी देश से अधिक प्रतिस्पर्धी उत्पाद का पक्षधर रहा है। विकसित देशों को भौतिक और साथ ही मानव पूंजी में उन्नति के कारण विनिर्मित वस्तुओं पर बढ़त प्राप्त है।
विकासशील देशों द्वारा प्राथमिक वस्तुओं का अधिक निर्यात किया जाता है क्योंकि उनके पास इनकी प्रचुर मात्रा मौजूद है। यह लंबे समय में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करता है क्योंकि वे विनिर्माण आधार बनाने के अवसर से चूक जाते हैं और प्राथमिक उत्पादों का निर्माण करने वाली पिछड़ी अर्थव्यवस्था ही बने रहते हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
वैश्विक बाजारों का वर्तमान एकीकरण अधिक प्रतिस्पर्धी देश से अधिक प्रतिस्पर्धी उत्पाद का पक्षधर रहा है। विकसित देशों को भौतिक और साथ ही मानव पूंजी में उन्नति के कारण विनिर्मित वस्तुओं पर बढ़त प्राप्त है।
विकासशील देशों द्वारा प्राथमिक वस्तुओं का अधिक निर्यात किया जाता है क्योंकि उनके पास इनकी प्रचुर मात्रा मौजूद है। यह लंबे समय में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करता है क्योंकि वे विनिर्माण आधार बनाने के अवसर से चूक जाते हैं और प्राथमिक उत्पादों का निर्माण करने वाली पिछड़ी अर्थव्यवस्था ही बने रहते हैं।
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Question 2 of 5
2. Question
निम्नलिखित में से कौन–सा भारत द्वारा आर्थिक “संरक्षणवाद” का एक रूप हो सकता है?
- विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना
- घरेलू उद्योगों के लिए अधिमान्य बाजार पहुंच नीतियों को अपनाना
- आयातित वस्तुओं और सेवाओं पर सीमा शुल्क को बढ़ाना
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: d)
संरक्षणवाद (Protectionism) घरेलू उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बचाने का किसी भी प्रकार का प्रयास हो सकता है। लोगों (श्रम), वस्तुओं, सेवाओं के संचलन को प्रतिबंधित करना आर्थिक संरक्षणवाद का एक स्वरूप हो सकता है।
घरेलू उद्योगों को वरीयता देने से भारत में निवेश की इच्छा रखने वाली अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के समक्ष बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
आयातित वस्तुओं और सेवाओं पर सीमा शुल्कों में वृद्धि करने से विदेशों से आयात किए गए सामानों की तुलना में भारतीय सामान अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाते हैं।
Incorrect
उत्तर: d)
संरक्षणवाद (Protectionism) घरेलू उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बचाने का किसी भी प्रकार का प्रयास हो सकता है। लोगों (श्रम), वस्तुओं, सेवाओं के संचलन को प्रतिबंधित करना आर्थिक संरक्षणवाद का एक स्वरूप हो सकता है।
घरेलू उद्योगों को वरीयता देने से भारत में निवेश की इच्छा रखने वाली अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के समक्ष बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
आयातित वस्तुओं और सेवाओं पर सीमा शुल्कों में वृद्धि करने से विदेशों से आयात किए गए सामानों की तुलना में भारतीय सामान अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाते हैं।
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Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित में से कौन भारत में विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserves) में वृद्धि और बचत को बढ़ावा दे सकते हैं?
- भारतीय शेयरों और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निवेश में वृद्धि करना।
- कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट होना।
- भारत से विदेशी विप्रेषण और विदेश यात्रा में गिरावट होना।
- भारत में निगम कर दरों में कटौती करना।
सही उत्तर कूट का चयन करें:
Correct
उत्तर: d)
अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserves) क्यों बढ़ रहा है?
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का प्रमुख कारण भारतीय शेयरों और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निवेश में वृद्धि है। विदेशी निवेशकों ने पिछले दो महीनों में कई भारतीय कंपनियों में निवेश किया है। RBI द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, जहाँ FDI प्रवाह मार्च में 4 बिलियन डॉलर था, वहीँ अप्रैल में घटकर 2.1 बिलियन डॉलर रह गया।
मार्च में डेट और इक्विटी प्रत्येक में से 60,000 करोड़ रुपये निकालने के बाद, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI), जो इस वित्त वर्ष में बाद अर्थव्यवस्था में बदलाव की आशा करते हैं, अब भारतीय बाजारों में पुन: निवेश कर रहे हैं और इनके द्वारा जून का पहले सप्ताह में 2.75 बिलियन डॉलर से अधिक के शेयर खरीदे हैं। विदेशी मुद्रा प्रवाह में 500 बिलियन डॉलर से भी अधिक वृद्धि हुई है और रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी अर्थात Jio Platforms द्वारा 97,000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त किया गया है।
दूसरी ओर, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से तेल आयात के बिल में कमी हुई है, जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। इसी तरह, विदेशी विप्रेषण और विदेश यात्रा में अप्रैल माह में कमी के कारण यह 12.87 बिलियन डॉलर से घटकर 61 फीसदी कम हो गया है।
पिछले नौ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में में हुई अत्यधिक वृद्धि का कारण वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण द्वारा 20 सितंबर को की गयी निगम कर दरों में कटौती की घोषणा रही है। तब से विदेशी मुद्रा भंडार में 73 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है।
Incorrect
उत्तर: d)
अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserves) क्यों बढ़ रहा है?
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का प्रमुख कारण भारतीय शेयरों और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निवेश में वृद्धि है। विदेशी निवेशकों ने पिछले दो महीनों में कई भारतीय कंपनियों में निवेश किया है। RBI द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, जहाँ FDI प्रवाह मार्च में 4 बिलियन डॉलर था, वहीँ अप्रैल में घटकर 2.1 बिलियन डॉलर रह गया।
मार्च में डेट और इक्विटी प्रत्येक में से 60,000 करोड़ रुपये निकालने के बाद, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI), जो इस वित्त वर्ष में बाद अर्थव्यवस्था में बदलाव की आशा करते हैं, अब भारतीय बाजारों में पुन: निवेश कर रहे हैं और इनके द्वारा जून का पहले सप्ताह में 2.75 बिलियन डॉलर से अधिक के शेयर खरीदे हैं। विदेशी मुद्रा प्रवाह में 500 बिलियन डॉलर से भी अधिक वृद्धि हुई है और रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी अर्थात Jio Platforms द्वारा 97,000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त किया गया है।
दूसरी ओर, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से तेल आयात के बिल में कमी हुई है, जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। इसी तरह, विदेशी विप्रेषण और विदेश यात्रा में अप्रैल माह में कमी के कारण यह 12.87 बिलियन डॉलर से घटकर 61 फीसदी कम हो गया है।
पिछले नौ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में में हुई अत्यधिक वृद्धि का कारण वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण द्वारा 20 सितंबर को की गयी निगम कर दरों में कटौती की घोषणा रही है। तब से विदेशी मुद्रा भंडार में 73 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है।
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Question 4 of 5
4. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षक और प्रबंधक के रूप में कार्य करता है।
- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का अधिकांश हिस्सा विदेशी केंद्रीय बैंकों में जमा किया जाता है।
- लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत, भारत के लोगों को प्रतिवर्ष 25000 डॉलर तक का निवेश दूसरे देश में निवेश और व्यय के लिए भेजने की अनुमति है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षक और प्रबंधक के रूप में कार्य करता है और सरकार के साथ सहमत हुए समग्र नीतिगत ढांचे के भीतर इसका संचालन किया जाता है। RBI विशिष्ट उद्देश्यों के लिए डॉलर का आवंटन करता है। उदाहरण के लिए, उदारीकृत प्रेषण योजना के तहत, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (Liberalised Remittances Scheme) के तहत, लोगों को प्रतिवर्ष 25000 भेजने की अनुमति है। RBI रुपये के क्रमबद्ध संचलन के लिए अपनी विदेशी मुद्रा कोष का उपयोग करता है। यह रुपया कमजोर होने पर डॉलर की बिक्री करता है और जब रुपया मजबूत होता है तो डॉलर खरीद करता है। RBI द्वारा भारतीय मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीद की जा रही है। जब RBI डॉलर की खरीद करता है, तो इसके द्वारा रुपये में बराबर राशि जारी की जाती है। यह अतिरिक्त तरलता को बांड और प्रतिभूतियों और LAF संचालन के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
RBI अधिनियम, 1934 मुद्राओं, उपकरणों, जारीकर्ताओं और समकक्षों के व्यापक मापदंडों के भीतर विभिन्न विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों और स्वर्ण में आरक्षित मुद्रा भंडार के परिनियोजन के लिए व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार के 64 प्रतिशत को विदेशों (मुख्य रूप से अमेरिका में) के ट्रेजरी बिल जैसी प्रतिभूतियों में परिनियोजित किया जाता है, 28 प्रतिशत को विदेशों के केंद्रीय बैंकों में जमा किया जाता है और 7.4 प्रतिशत विदेशों में वाणिज्यिक बैंकों में भी जमा किया जाता है।
विदेशी केंद्रीय बैंकों और वाणिज्यिक बैंकों में रखे गए भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर नगण्य प्रतिफल प्राप्त होता है। हालाँकि, RBI ने विदेशी मुद्रा निवेश पर प्राप्त होने वाले प्रतिफल को प्रकट नहीं किया है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका और यूरो क्षेत्र में ब्याज दरों में गिरावट को देखते हुए यह लगभग एक प्रतिशत या उससे भी कम हो सकता है। कुछ तिमाहियों से यह मांग भी बनी हुई थी कि देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया जाना चाहिए। हालाँकि, RBI ने इस योजना का विरोध किया था।
एक अन्य मुद्दा इस भंडार में अस्थिर प्रवाह (पोर्टफोलियो प्रवाह और अल्पकालिक ऋण) का उच्च अनुपात का होना रहा है जो लगभग 80 प्रतिशत है। इस धन शीघ्रता से ही आहरित किया जा सकता है।
Incorrect
उत्तर: c)
रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षक और प्रबंधक के रूप में कार्य करता है और सरकार के साथ सहमत हुए समग्र नीतिगत ढांचे के भीतर इसका संचालन किया जाता है। RBI विशिष्ट उद्देश्यों के लिए डॉलर का आवंटन करता है। उदाहरण के लिए, उदारीकृत प्रेषण योजना के तहत, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (Liberalised Remittances Scheme) के तहत, लोगों को प्रतिवर्ष 25000 भेजने की अनुमति है। RBI रुपये के क्रमबद्ध संचलन के लिए अपनी विदेशी मुद्रा कोष का उपयोग करता है। यह रुपया कमजोर होने पर डॉलर की बिक्री करता है और जब रुपया मजबूत होता है तो डॉलर खरीद करता है। RBI द्वारा भारतीय मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीद की जा रही है। जब RBI डॉलर की खरीद करता है, तो इसके द्वारा रुपये में बराबर राशि जारी की जाती है। यह अतिरिक्त तरलता को बांड और प्रतिभूतियों और LAF संचालन के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
RBI अधिनियम, 1934 मुद्राओं, उपकरणों, जारीकर्ताओं और समकक्षों के व्यापक मापदंडों के भीतर विभिन्न विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों और स्वर्ण में आरक्षित मुद्रा भंडार के परिनियोजन के लिए व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार के 64 प्रतिशत को विदेशों (मुख्य रूप से अमेरिका में) के ट्रेजरी बिल जैसी प्रतिभूतियों में परिनियोजित किया जाता है, 28 प्रतिशत को विदेशों के केंद्रीय बैंकों में जमा किया जाता है और 7.4 प्रतिशत विदेशों में वाणिज्यिक बैंकों में भी जमा किया जाता है।
विदेशी केंद्रीय बैंकों और वाणिज्यिक बैंकों में रखे गए भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर नगण्य प्रतिफल प्राप्त होता है। हालाँकि, RBI ने विदेशी मुद्रा निवेश पर प्राप्त होने वाले प्रतिफल को प्रकट नहीं किया है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका और यूरो क्षेत्र में ब्याज दरों में गिरावट को देखते हुए यह लगभग एक प्रतिशत या उससे भी कम हो सकता है। कुछ तिमाहियों से यह मांग भी बनी हुई थी कि देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया जाना चाहिए। हालाँकि, RBI ने इस योजना का विरोध किया था।
एक अन्य मुद्दा इस भंडार में अस्थिर प्रवाह (पोर्टफोलियो प्रवाह और अल्पकालिक ऋण) का उच्च अनुपात का होना रहा है जो लगभग 80 प्रतिशत है। इस धन शीघ्रता से ही आहरित किया जा सकता है।
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Question 5 of 5
5. Question
वित्तीय क्षेत्र नियामकीय नियुक्ति खोज समिति (FSRASC) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- FSRASC, RBI गवर्नर और SEBI के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश करती है।
- FSRASC की अध्यक्षता वित्त सचिव करते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
नियामकीय प्रमुखों की नियुक्ति की प्रक्रिया के अनुसार, उम्मीदवारों को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली “वित्तीय क्षेत्र नियामकीय नियुक्ति खोज समिति (Financial Sector Regulatory Appointments Search Committee: FSRASC)” द्वारा शॉर्टलिस्ट किया जाएगा।
शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का साक्षात्कार आर्थिक मामलों के सचिव और इस प्रख्यात तीन बाहरी सदस्यों के एक पैनल द्वारा किया जाता है।
वार्ता के आधार पर, FSRASC अनुमोदन के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति को नामों की सिफारिश करती है।
Incorrect
उत्तर: a)
नियामकीय प्रमुखों की नियुक्ति की प्रक्रिया के अनुसार, उम्मीदवारों को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली “वित्तीय क्षेत्र नियामकीय नियुक्ति खोज समिति (Financial Sector Regulatory Appointments Search Committee: FSRASC)” द्वारा शॉर्टलिस्ट किया जाएगा।
शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का साक्षात्कार आर्थिक मामलों के सचिव और इस प्रख्यात तीन बाहरी सदस्यों के एक पैनल द्वारा किया जाता है।
वार्ता के आधार पर, FSRASC अनुमोदन के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति को नामों की सिफारिश करती है।