INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 10 June

विषय-सूची

सामान्य अध्ययन-II

1. दिल्ली सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सीमित करने का निर्णय

2. कृष्णा तथा गोदावरी नदियों के जल का उपयोग

3. क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021

4. कोरोनोवायरस को नष्ट करने हेतु खाद्य पदार्थों पर पराबैगनी किरणों का प्रयोग

5. अमेरिका में ‘पुलिस सुधार विधेयक’

 

सामान्य अध्ययन-IV

1. प्रवासी मजदूरों पर लॉकडाउन उल्लंघन का मुकदमा नहीं: उच्चत्तम न्यायालय

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया की अवस्थिति

2. प्रवाल त्रिभुज दिवस (Coral Triangle Day) क्या है?

3. ‘तुरंत सीमा शुल्क’ (Turant Customs)

4. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

 


 सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

दिल्ली सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सीमित करने का निर्णय

क्या अध्ययन करें?

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु: राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) – अध्यक्ष, शक्तियां तथा कार्य

मुख्य परीक्षा हेतु: दिल्ली सरकार का आदेश, निहितार्थ तथा इसे रद्द करने की आवश्यकता

संदर्भ: दिल्ली के उपराज्यपाल ने पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार द्वारा की गई महत्वपूर्ण घोषणाओं पर दो आदेश जारी किए हैं। दिल्ली सरकार द्वारा निम्नलिखित निर्णय लिए गए थे:

  1. दिल्ली के निवासियों हेतु निजी तथा दिल्ली सरकार के अस्पतालों में बेड आरक्षित करना।
  2. कोविड-19 परीक्षण के दायरे को सीमित करना।

पृष्ठभूमि

दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली स्थिति निजी अस्पतालों तथा दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में COVID -19 उपचार को प्रतिबंधित करने की घोषणा की थी, जिसके अंतर्गत केवल दिल्ली के निवासियों को वैध प्रमाणपत्र दिखाने के पश्चात कोविड-19 के ईलाज हेतु भर्ती किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (Director General of Health Services DGHS), दिल्ली, ने कोरोना संक्रमित रोगियों के संपर्क में आने वालों के परीक्षण से इनकार कर दिया था।

उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार को निरस्त करने का कारण

  1. ‘स्वास्थ्य का अधिकार’, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ‘जीवन के अधिकार’ का अभिन्न अंग है। चूंकि, भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ सबके लिए सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध नहीं है, अतः निवास के आधार स्वास्थ्य सेवाओं को सीमित करना असंवेदनशील तथा गैर जिम्मेदारी भरा है।
  2. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT), हरियाणा के गुरुग्राम तथा उत्तर प्रदेश में नोएडा के साथ कार्यात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। काम तथा स्वास्थ्य सेवाओं सहित अन्य आवश्यकताओं हेतु हजारों व्यक्ति प्रतिदिन इन सीमाओं के पार अवागमन करते हैं। इन स्थानों के निवासी, संबंधित तीनो क्षेत्रों के कर- राजस्व में योगदान करते हैं। अतः इस प्रकार के प्रतिबंध लागू नहीं किये जा सकते।
  3. अपने दूसरे आदेश में, उपराज्यपाल ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council for Medical Research-ICMR) के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार को कोरोना संक्रमित रोगियों के संपर्क में आने वालों के परीक्षण करने का निर्देश दिया है  क्योंकि, ICMR के दिशानिर्देशों की अवहेलना करने से संक्रमित व्यक्तियों के सम्पर्क में आने वाले लोगो की जांच में कमी आयेगी, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्र्रे राजधानी क्षेत्र दिल्ली में COVID-19 के प्रसरण में और अधिक वृद्धि हो सकती है।

दिल्ली सरकार का तर्क

दिल्ली में कोरोना संक्रमण की स्थिति संवेदनशील है। दिल्ली में जून के अंत तक 15 हजार बेड की आवश्यकता होगी, जबकि दिल्ली सरकार के मात्र 10 हजार बेड उपलब्ध हैं। ऐसे में अस्पतालों को सबके लिए खोला जाना संभव नहीं होगा।

इस आदेश को जारी करने हेतु उपराज्यपाल की शक्तियां

उपराज्यपाल को ‘दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ (Delhi Disaster Management Authority DDMA) के अध्यक्ष के रूप में इस प्रकार के आदेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है।

इन शक्तियों को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 18(3) तथा धारा 18(2)(d) द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है।

दिल्ली सरकार के आदेश से समस्या

दिल्ली सरकार के आदेश के लागू होने पर मुख्यतः निम्नलिखित दो प्रभाव होते:

  1. इसके परिणामस्वरूप, गृह-राज्यों में विशेष उपचार की सुविधाएं की अनुपलब्धता के कारण अन्य राज्यों से ईलाज हेतु दिल्ली आने वाले बड़ी संख्या में मरीजों को स्वास्थ्य सेवा से वंचित होना पड़ता।
  2. इस आदेश से, दिल्ली में रहने तथा काम करने वालों को भी निवास प्रमाण पत्र के आभाव में चिकित्सा सुविधाओं से वंचित होना पड़ता।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) – संरचना, कार्य तथा शक्तियां।
  2. दिल्ली के उपराज्यपाल बनाम राज्यों के राज्यपाल- शक्तियो तथा नियुक्ति प्रक्रिया में अंतर।
  3. दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA)- अध्यक्ष तथा सरकार के आदेशों को रद्द करने की शक्तियां।
  4. NCR में सम्मिलित क्षेत्र?
  5. दिल्ली के मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?

मेंस लिंक:

क्या किसी विशेष राज्य के अस्पतालों में मात्र उस राज्य के निवासियों हेतु उपचार को आरक्षित किया जा सकता है? उपरोक्त मामले को सम्मिलित करते हुए चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

  

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

 कृष्णा तथा गोदावरी नदियों के जल का उपयोग

 क्या अध्ययन करें?

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु: कृष्णा और गोदावरी नदियों की उत्पत्ति, सहायक नदियां तथा महत्वपूर्ण परियोजनाएँ।

मुख्य परीक्षा हेतु: विवाद की उत्पत्ति, समाधान हेतु प्रयास तथा आगे की राह।

संदर्भ: तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश द्वारा एक दूसरे के दिरुद्ध शिकायत करने के पश्चात, केंद्र सरकार,   कृष्णा तथा गोदावरी नदियों के जल-उपयोग का जायजा लेने जा रही है।

इस संबंध में, केंद्रीय जल मंत्रालय ने कृष्णा तथा गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्डों के अध्यक्षों से महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में सिंचाई परियोजनाओं के विवरणों को भी प्राप्त करने तथा एक माह के भीतर केंद्र के पास जमा करने को कहा है।

आवश्यकता

इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य, विवाद के मद्देनजर नयी परियोजनाओं हेतु अधिशेष जल की उपलब्धता का आकलन करना है।

विवाद का कारण

कृष्णा और गोदावरी नदियाँ तथा उनकी कुछ सहायक नदियाँ, आंध्रप्रदेश तथा तेलंगाना, दोनों राज्यों से होकर बहती हैं।

इन राज्यों ने, नदी जल बोर्ड, केंद्रीय जल आयोग तथा शीर्ष जल परिषद, जिसमे केंद्रीय जल संसाधन मंत्री तथा राज्य के मुख्य मंत्री सम्मिलित होते हैं, से अनुमति प्राप्त किए बगैर कई नई परियोजनाओं का आरम्भ किया है।

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के अंतर्गत, इस राज्यों द्वारा किसी नयी परियोजना के शुरू करने हेतु, नदी जल बोर्ड, केंद्रीय जल आयोग तथा शीर्ष जल परिषद की अनुमति लेना अनिवार्य है।

तेलंगाना सरकार ने पिछले वर्ष आंध्र प्रदेश सरकार के विरुद्ध कृष्णा नदी पर परियोजनाएं शुरू करने पर शिकायत दर्ज की थी।

 कृष्णा नदी

यह पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली नदी है।

इसकी उत्पत्ति महाराष्ट्र में महाबलेश्वर की पहाडियों से होती है तथा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

सहायक नदियाँ: तुंगभद्रा, मल्लप्रभा, कोयना, भीम, घटप्रभा, एरला, वारणा, डिंडी, मूसी तथा दूधगंगा।

 गोदावरी नदी

यह महाराष्ट्र में नासिक के समीप त्र्यंबकेश्वर पहाड़ियों से निकलती है तथा बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व लगभग 1465 किलोमीटर की दूरी तक प्रवाहित होती है।

नदी बेसिन: गोदावरी बेसिन महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों के अतिरिक्त मध्य प्रदेश, कर्नाटक और संघ शासित प्रदेश पुडुचेरी के कुछ भागों तक विस्तृत है।

सहायक नदियाँ: प्रवर, पूर्णा, मंजरा, पेनगंगा, वर्धा, वैनगंगा, प्राणहिता (वैनगंगा, पेनगंगा गंगा तथा वर्धा नदियों का संयुक्त प्रवाह), इंद्रावती, मानेर और सबरी।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. कृष्णा की सहायक नदियाँ।
  2. गोदावरी की सहायक नदियाँ।
  3. भारत की पूर्व तथा पश्चिम दिशा में प्रवाहित होने वाली नदियाँ।
  4. अंतरराज्यीय नदी जल विवाद- प्रमुख प्रावधान।
  5. कृष्णा और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड- गठन, कार्य और अधिदेश।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: शिक्षा संबधी विषय।

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021

(QS World University Rankings)

क्या अध्ययन करें?

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु: रैंकिंग संकेतक, वैश्विक और भारतीय संस्थानों का प्रदर्शन।

मुख्य परीक्षा हेतु: इन रैंकिंग का महत्व, भारत रैंकिंग में कैसे सुधार कर सकता है?

संदर्भ: हाल ही में, क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (QS World University rankings) का 17 वां संस्करण जारी किया गया है।

 QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग क्या है?

  • QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, का वार्षिक प्रकाशन एक ब्रिटिश संस्था ‘क्वैकेरेली साइमंड्स’ (Quacquarelli Symonds- QS) द्वारा किया जाता है।
  • Quacquarelli Symonds- QS, विश्व में उच्च शिक्षा संस्थानों के विश्लेषण में विशेषज्ञता प्राप्त संस्था है।
  • वर्ष 2010 से पूर्व इसे, टाइम्स हायर एजुकेशन – क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (Times Higher Education – QS world University rankings) के नाम से भी जाना जाता था।
  • अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग विशेषज्ञ समूह (International Ranking Expert Group IREG) द्वारा मान्यता प्राप्त यह एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग है।
  • QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, वैश्विक स्तर पर शीर्ष 1000 विश्वविद्यालयों को रैंकिंग प्रदान करता है।

विश्वविद्यालयों की रैंकिंग किस प्रकार की जाती है?

निम्नलिखित छह संकेतकों के आधार पर संस्थानों की रैंकिंग निर्धारित की जाती है:

  1. शैक्षणिक प्रतिष्ठा (Academic Reputation)
  2. नियोक्ता की प्रतिष्ठा (Employer Reputation)
  3. संकाय-छात्र अनुपात (Faculty-Student Ratio)-
  4. प्रकाशित शोध / संकाय (Citations per faculty)
  5. अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का अनुपात (Proportion of International Students)
  6. अंतर्राष्ट्रीय संकाय अनुपात (Proportion of International Faculty)

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 के अनुसार शीर्ष 20 संस्थान

top20_institutions

भारतीय संस्थानों का प्रदर्शन

शीर्ष 200 में भारत में शीर्ष तीन संस्थान तथा उनकी रैंकिंग:

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे,(172),
  • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC), बंगलौर (185),
  • आईआईटी दिल्ली (193)

हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में तीनों संस्थानों की रैंकिंग में गिरावट हुयी है।

21 भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों ने विश्व के शीर्ष 1,000 संस्थानों के मध्य अपनी जगह बनायी है। (पिछले वर्ष यह संख्या 24 थी)

भारतीय उच्च शिक्षा संस्थनों ने, अनुसंधान गुणवत्ता में अच्छा प्रदर्शन किया है, हालाँकि अपने वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों के सापेक्ष शैक्षणिक स्तर, शैक्षणिक क्षमता तथा अंतर्राष्ट्रीयकरण में वृद्धि करने में विफल रहे।

भारतीय संस्थानों द्वारा खराब प्रदर्शन के कारण

भारतीय संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय संकाय तथा छात्रों के अनुपात संकेतक पर शून्य अंक प्राप्त हुए है। भारत का ‘संकाय-छात्र अनुपात’ संकेतक पर भी खराब प्रदर्शन रहा है।

इसका कारण है कि, भारत में केवल पूर्णकालिक अध्यापन करने वालो की फैकल्टी/संकाय के रूप में गणना की जाती है, जबकि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अध्यापन करने वाले पीएचडी के छात्रों तथा शोध-सहायकों को भी संकाय के रूप में गिना जाता है।

आगे की राह

भारत सरकार द्वारा ‘प्रमुख भारतीय संस्थानों के प्रति विदेशों में निर्मित धारणा में सुधार’ हेतु एक समिति का गठन किया गया है।

सरकार द्वारा भारतीय संस्थानों के प्रति नजरिये को बदलने के लिए ‘अद्भुत भारत’ (Incredible India) जैसे एक अभियान को आरम्भ करने की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. संस्थानों की रंकिग हेतु प्रयुक्त 6 संकेतकों का नाम बताइए।
  2. भारत ने किस मानक पर शून्य स्कोर किया है?
  3. शीर्ष 200 तथा शीर्ष 1000 में कुल भारतीय संस्थान?
  4. 2020 रैंकिंग के साथ तुलना।
  5. इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस योजना का आरम्भ कब हुआ था?
  6. विश्व के शीर्ष 10 संस्थान।

मेंस लिंक:

‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ योजना पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: स्वास्थ्य संबंधी विषय।

कोरोनोवायरस को नष्ट करने हेतु खाद्य पदार्थों पर पराबैगनी किरणों का प्रयोग

क्या अध्ययन करें?

प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा हेतु: पराबैगनी किरणों का उपयोग- महत्व तथा संबंधित चिंताएँ।

संदर्भ: सम्पूर्ण भारत में कई मिठाई विक्रेताओं ने खाद्य पदार्थों को कीटाणुरहित करने तथा वायरस नष्ट करने हेतु पराबैगनी प्रकाश तंत्र (UV light mechanism) का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।

प्रयोग की विधि

पराबैगनी विकिरण (UV radiations), का प्रयोग सामान्यतः सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए किया जाता है।

पराबैंगनी रोगाणुनाशक विकिरण (Ultraviolet germicidal irradiation -UVGI), जिसे UV-C भी कहा जाता है, एक कीटाणुशोधन (disinfection) विधि है।

UVGI में लघु-तरंग दैर्ध्य पराबैंगनी प्रकाश का प्रयोग सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने अथवा निष्क्रिय करने के लिए किया जाता है, इसके दवारा सूक्ष्मजीवों के न्यूक्लिक एसिड को नष्ट कर दिया जाता है अथवा यह उनके DNA को भंग कर देता है जिस कारण सूक्ष्मजीव आवश्यक कोशिकीय क्रियाएं करने में तथा वृद्धि करने में अक्षम हो जाते हैं।

  • UVGI का प्रयोग भोजन, हवा तथा जल शोधन, जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है।
  • शोध अध्ययनों के अनुसार, UVC विकिरण विभिन्न सतहों पर कोरोनावायरस को नष्ट करने में भी प्रभावी है, परन्तु सतह की संरचना के अनुसार पर इसकी प्रभाविकता परिवर्तनीय होती है।

पराबैंगनी विकिरण (UV radiation) क्या है?

पराबैंगनी विकिरण, एक्स-रे तथा दृश्य प्रकाश के मध्य विद्युत्चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का भाग होता है।

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पराबैंगनी विकिरण का सबसे सामान्य रूप ‘सौर-प्रकाश’ होता है। सौर-प्रकाश मुख्यतः तीन प्रकार का पराबैंगनी विकिरण उत्सर्जित करता है:

  1. UVA
  2. UVB
  3. UVC

प्रमुख विशेषताऐं

  • UVA किरणों की तरंग दैर्ध्य सर्वाधिक लंबी तथा UVC किरणों की तरंग दैर्ध्य सबसे छोटी होती हैं।
  • UVA और UVB किरणों का संचरण वायुमंडल के माध्यम होता है। जबकि, पृथ्वी की ओजोन परत द्वारा सभी UVC तथा कुछ UVB किरणें अवशोषित हो जाती हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय

अमेरिका में ‘पुलिस सुधार विधेयक’

क्या अध्ययन करें?

प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा हेतु: विधेयक के प्रमुख प्रावधान, महत्व तथा आवश्यकता।

संदर्भ: अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट पार्टी ने एक विधेयक, ‘जस्टिस इन पोलिसिंग एक्ट’ (Justice in Policing Act) पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य पुलिस प्रशासन में सुधार करना है। अमेरिका में पुलिस द्वारा क्रूरतापूर्ण बल प्रयोग तथा व्यवस्थागत नस्लवाद के विरुद्ध रोज प्रदर्शन हो रह हैं।

इस बिधेयक में पुलिस द्वारा क्रूरतापूर्ण बल-प्रयोग को रोकने तथा शक्तियों के दुरूपयोग तथा दुर्व्यवहार करने पर अधिकारियों के लिए जवाबदेह ठहराए जाने हेतु प्रावधान किये गए हैं।

इस विधेयक को पारित होने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के दूसरे प्रमुख दल ‘रिपब्लिकन पार्टी’ के समर्थन की आवश्यकता होगी।

पृष्ठभूमि

अमेरिका में मिनियापोलिस (Minneapolis) के एक पुलिस अधिकारी द्वारा, एक निहत्थे अश्वेत, जॉर्ज फ्लॉयड, की गर्दन को घुटने से लगभग नौ मिनट तक दबाये रखने पर मौत हो गयी थी।

इस घटना के पश्चात, अश्वेत अमेरिकी नागरिकों पर क्रूरता के विरुद्ध देशव्यापी प्रदर्शन आरम्भ हो गए है। ‘जस्टिस इन पोलिसिंग एक्ट’ विधेयक को इस घटना के दो सप्ताह के पश्चात पेश किया गया है।

विधेयक में प्रस्तावित प्रमुख प्रावधान

  1. अधिकारियों के लिए ‘प्राप्त उन्मुक्ति’ में सुधार। इससे नागरिकों के संवैधानिक अधीकारो के हनन पर रोक लगेगी।
  2. आपराधिक पुलिस व्यवहार के लिए संघीय मानदंडों में परिवर्तन
  3. पुलिस कदाचार के लिए एक संघीय रजिस्ट्री का आरम्भ किया जाए
  4. चोकहोल्ड (chokeholds) तथा गर्दन से पकड़ने (carotid holds) की परम्परा पर रोक
  5. ड्रग्स मामलों में “नो-नॉक” सर्च वारंट के प्रयोग पर प्रतिबंध।
  6. पुलिस विभाग के आचरण में जारी ‘परंपरा तथा प्रचलन’ की जाँच हेतु न्याय विभाग को सम्मन जारी करने का अधिकार प्रदान किया जाए
  7. संघीय स्तर पर नस्लीय पूर्वाग्रहों तथा निहित पूर्वाग्रहों पर प्रशिक्षण
  8. राज्य तथा स्थानीय पुलिस के लिए सैन्य-ग्रेड हथियार दिए जाने पर नियंत्रण
  9. लिंचिंग का संघीय घृणा-अपराध के रूप में वर्गीकरण

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संयुक्त राज्य अमेरिका में नस्लवाद

दासता पर गृहयुद्ध होने बाद भी, गरिमा तथा समानता हेतु, अश्वेत नागरिकों के प्रति होने वाले व्यवस्थागत भेदभाव तथा हिंसा के विरुद्ध नागरिक आधिकार आन्दोलन जारी है। देश में नस्लवाद बेरोकटोक प्रचलित है।

नस्लवाद (Racism) क्या है?

नस्लवाद एक व्यवस्थागत विचारधारा होती है, जिसमे मान्यताओं और प्रथाओं का एक जटिल समूह होता है। जो नस्ल के प्रकल्पित आधार पर मानव को ‘उच्चतर’ और ‘निम्नतर’ में विभाजित करता है।

इसका प्रभाव

नस्लवाद, वंशानुगत पदानुक्रम को स्थापित करता है तथा इसे बनाये रखता है। इसमें, ‘हीन’ के रूप में स्थापित समूहों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। श्वेत लोगों में उच्चता की भावना, अश्वेत नागरिको के दमन को प्रेरित करती है व उनसे अन्यायपूर्ण व्यवहार करने को अपना अधिकार मानती है। उदाहरण के लिए, उनके साथ संपर्क रखना बहुधा दूषित समझा जाता है।

यह अमानवीय विचारधारा है अतः इस पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।

समय की मांग

संस्थागत नस्लवाद को केवल शांतिपूर्ण आंदोलन से समाप्त किया जा सकता है।  जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद, अश्वेत तथा श्वेत नागरिको द्वारा किये गए हालिया प्रदर्शन नस्लवाद की समाप्ति के लिए आन्दोलन का अच्छा उदहारण है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. सरकार की संसदीय पद्धति तथा राष्ट्रपति पद्धति।
  2. अमेरिका के राष्ट्रपति का निर्वाचन किस प्रकार होता है?
  3. अमेरिकी राष्ट्रपति तथा भारत के प्रधानमंत्री में प्रमुख अंतर।

स्रोत: द हिंदू

 


 सामान्य अध्ययन-IV


 प्रवासी मजदूरों पर लॉकडाउन उल्लंघन का मुकदमा नहीं: उच्चत्तम न्यायालय

संदर्भ: उच्चत्तम न्यायालय ने प्रवासी मजदूरों के पलायन का स्वतः संज्ञान लेने के पश्चात प्रवासी श्रमिकों संबंधी आदेश पारित किया।

इस प्रकार के विषयों पर उच्च न्यायालयों की शक्ति:

उच्च न्यायालय, संवैधानिक न्यायालयों के रूप में, प्रवासी श्रमिकों के मूल अधिकारों के उल्लंघन होने पर स्वतः संज्ञान लेने तथा उपयुक्त कार्यवाही करने हेतु सक्षम है।

नयायालय का कथन

न्यायालय के अनुसार, देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अपने घरों तक पहुचने के प्रयास करने पर प्रवासी श्रमिकों पर अभियोग नहीं चलाया जाना चाहिए।

जिन प्रवासी मजदूरों पर लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर चलने तथा लॉकडाउन उल्लंघन करने पर ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 तथा अन्य संबंधित अपराधों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गयी है, राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को, प्रवासी मजदूरों के खिलाफ इस प्रकार की सभी शिकायतों को वापस ले लेना चाहिए।

रेलवे को प्रवासी मजदूरों के परिवहन हेतु राज्यों को अगले 24 घंटों के भीतर 171 अतिरिक्त श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उपलब्ध करानी चाहिए।

पृष्ठभूमि

प्रवासी मजदूरी द्वारा जिन कठिनाइयों और दुखों का सामना करना पड़ रहा है, उससे समग्र समाज हिल गया है।

महामारी के दौरान भुखमरी, बेरोजगारी और बीमारी से बचने के लिए प्रवासी मजदूर, बड़े शहरों से अपने मूल गाँवों के लिए पैदल ही निकल पड़े थे।

परन्तु, इन मजदूरों को पुलिस द्वारा विभिन्न चौकियों पर रोक लिया जाता था, तथा उन्हें उनके राज्यों या गांवों में प्रवेश करने से रोक दिया जाता था। इस प्रक्रिया से मजदूरों को आश्रयहीन हो जाना पड़ा जिस कारण उनके दुखों में और वृद्धि हुई।

किसी प्रवासी श्रमिक को, अपने घर पहुचने के लिए पैदल यात्रा करने पर, क़ानून के उल्लंघन के दोषी पाए जाने पर कानून की धारा 51 के तहत, एक वर्ष का कारावास अथवा जुर्माना, अथवा दोनों का सामना करना पड़ सकता है।

आगे की राह

देशव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर, रोजगार के समाप्त हो जाने के कारण अपने अपने मूल स्थान पर लौटने के लिए विवश थे। ये लोग पहले से काफी पीड़ित हैं। पुलिस तथा अन्य अधिकारियों को इन श्रमिक लोगों से मानवीय तरीके से निपटना होगा।

अतः, इन श्रमिको के अपने घरों में पहुच जाने के पश्चात, संबंधित राज्यों द्वारा इनकी जरूरतों को पूरा करने की आवश्यकता है। राज्य इनके लिए रोजगार के स्रोत, भोजन का प्रावधान तथा राशन आदि की व्यवस्था करे।

उनके पुनर्वास और रोजगार के लिए तैयार की गई विभिन्न योजनाओं के बारे में सूचना देने हेतु परामर्श केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।

स्रोत: द हिंदू

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया की अवस्थिति

संदर्भ: उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के साथ, शीर्ष नेताओं के लिए हॉटलाइन सहित सभी संचार लाइनों को काट दिया है।

उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया को ‘शत्रु’ बताते हुए की जाने वाली कार्रवाइयों में यह पहला कदम बताया।

यह कदम, दक्षिण कोरियाई कार्यकर्ताओं द्वारा सीमा पार गुब्बारे के माध्यम से प्योंगयांग विरोधी (anti-Pyongyang) संदेश भेजने के कारण, नाराज होकर उठाया गया।

मुख्य तथ्य

  • यह कोरियाई प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित पूर्वी एशियाई देश है।
  • इसके उत्तर में चीन तथा रूस स्थित है, तथा अम्नोक और तुमेन नदिया इसकी उतरी सीमा बनाती है। इसके दक्षिण में दक्षिण कोरिया स्थित है, दोनों देशो के मध्य एक विस्तृत असैन्य क्षेत्र (Demilitarized ZoneDMZ) है।

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प्रवाल त्रिभुज दिवस (Coral Triangle Day) क्या है?

  • प्रतिवर्ष प्रत्येक 9 जून को मनाया जाता है।
  • प्रवाल त्रिभुज एक विशाल उत्सव है, यह विश्व समुद्री जैव विविधता का केंद्र है।
  • कोरल त्रिभुज एशिया में पश्चिमी प्रशांत महासागर में एक समुद्री क्षेत्र है। इसमें तिमोर लेस्ते, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, सोलोमन द्वीप और पापुआ न्यू गिनी के समुद्रों को समिलित किया जाता है। कोरल त्रिभुज में रहने वाले 600 से अधिक विभिन्न प्रकार के रीफ-बिल्डिंग कोरल हैं।

 उद्देश्य: प्रवाल त्रिभुज दिवस का आयोजन प्रतिवर्ष सागरीय संरक्षण पर प्रकाश डालने तथा उपायों पर चर्चा करने हेतु किया जाता है, जिसमे विश्व भर के समुद्री संरक्षण से संबधित व्यक्ति तथा संस्थाए भाग लेते हैं।

  • कोरल त्रिभुज को कांगो बेसिन और अमेज़ॅन बर्षावनों सहित पृथ्वी पर 3 महा-पारिस्थितिक परिसरों में से एक माना जाता है। इस क्षेत्र में सभी ज्ञात प्रवाल प्रजातियों का 76%, सभी ज्ञात प्रवाल भित्तियों की प्रजातियों का 37% तथा विश्व की कुल प्रवाल भित्तियों का 53% सम्मिलित है।
  • पहला कोरल त्रिभुज दिवस 9 जून 2012 को विश्व महासागर दिवस के साथ मनाया गया था। विश्व महासागर दिवस का आयोजन प्रतिवर्ष 8 जून को किया जाता है।

‘तुरंत सीमा शुल्क’ (Turant Customs)

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs) ने बेंगलुरु और चेन्नई में अपने प्रमुख कार्यक्रम ‘Turant Customs’ को लॉन्च किया है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत, आयातकों के सामान का क्लीयरेंस फेसलेस, कांटेक्टलेस और पेपरलेस हो जायेगा। तथा यह कार्यक्रम दिसंबर तक पूरे देश के पोर्ट, एयरपोर्ट,इंनलैंड कंटेनर डिपो में प्रारंभ हो जाएगा।

इस कार्यक्रम के तहत, चेन्नई में आयात किए गए सामान का मूल्यांकन बेंगलुरु में स्थित सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा किया जा सकेगा और इसी प्रकार बेंगलुरु में आयात किए गए सामान का मूल्यांकन चेन्नई में स्थित सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा किया जा सकेगा।

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

प्रसंग: COVID 19 महामारी के कारण इस वर्ष रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को रद्द कर दिया गया है।

पुरस्कार के बारे में

  • यह एशिया का सर्वोच्च सम्मान है तथा इसे नोबेल पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है।
  • यह 1957 में फिलीपींस के तीसरे राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की याद में न्यूयॉर्क शहर स्थित रॉकफेलर ब्रदर्स फंड और फिलीपीन सरकार के ट्रस्टियों द्वारा स्थापित किया गया था।
  • यह एशिया क्षेत्र के व्यक्तियों अथवा संगठनों को मानवता सेवा के लिए प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।

 


Insights Current Affairs Analysis (ICAN) by IAS Topper